Dada dev mandir palam delhi | दादा देव मंदिर | dada dev mandir history

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  • เผยแพร่เมื่อ 18 พ.ย. 2024

ความคิดเห็น • 16

  • @SanjaySharma-cd3ef
    @SanjaySharma-cd3ef หลายเดือนก่อน +2

    Jai dada dev

  • @geetatanwar8028
    @geetatanwar8028 11 หลายเดือนก่อน +1

    Thanku so much 👍 aane ke liye 🙏 aapko kaisa lge hmare kul devta shree Dada Dev ji maharaj 🙏🙏🙏🙏🙏🌸🌸🌸🌸

  • @Ranablogger15
    @Ranablogger15 6 หลายเดือนก่อน +1

    Nice video

  • @Ranablogger15
    @Ranablogger15 6 หลายเดือนก่อน +1

    Jai Dada dev🙏

  • @poojakiran954
    @poojakiran954 11 หลายเดือนก่อน

    Jai shree dada dev Maharaj ❤

  • @Abhishekkumar-dp6pq
    @Abhishekkumar-dp6pq 2 ปีที่แล้ว

    Majje aa gye bhaiya ji

  • @ManojKumar-vi1bx
    @ManojKumar-vi1bx 2 ปีที่แล้ว

    Nice

  • @Abhishekkumar-dp6pq
    @Abhishekkumar-dp6pq 2 ปีที่แล้ว

    Osm

  • @AnkurSingh9761-r3h
    @AnkurSingh9761-r3h 11 หลายเดือนก่อน +1

    Dada dev

  • @pradeeprawat8769
    @pradeeprawat8769 2 ปีที่แล้ว

    osm👍❤️

  • @formativeteacher9835
    @formativeteacher9835 2 ปีที่แล้ว

    Bhaiya mst vedio bnai h aap e me har Sunday jati hu sach me hmare dada dev bhut dyaalu bhut chmtkaari h 🙏🙏jai ho mere dada dev mhaaraj ji ki jai

  • @RanjanaGupta-ol8dq
    @RanjanaGupta-ol8dq 10 หลายเดือนก่อน +1

    Dada dev maharaj mujhe ek beta dedo

  • @mishra_ji415
    @mishra_ji415 ปีที่แล้ว

    करीब 1200 साल पहले की बात है दादा देव का जन्म राजस्थान के एक छोटे से गांव टोडा रॉय सिंह जिला टौंक में हुआ था दादा देव जी ने अपने गाव में ही समाधि ली थी दादा देव ने एक पत्थर के शिला पर समाधि ली थी गांव टोडा रॉय सिंह जिला टौंक में दादा देव ने पत्थर के शिला पर समाधि ली इसके बाद गाव के लोग जिस शिला पर दादा देव ने समाधि ली थी उसे पूजना शुरू किया तो उनकी हर मनोकामना पूरी होने लगी लेकिन जब गाव में अकाल पड़ गया था लोगो को गाव को छोड़ना पड़ा था गाव के लोग उस शिला को छोड़ नही सकते थे जिसपर दादा देव ने समाधि ली थी इसलिए गाव के लोगो ने उस शिला को भी अपने साथ ले जाने का फैसला किया जब गाव के लोग शिला को ले जा रहे थे तभी रास्ते में ही आकाश वाणी हुई की भक्तो ये शीला जहाँ भी गिरेगी वही अब मैं निवास करूॅगा गाव वाले काफी दूर तक चलते रहे अंत में वो शिला दिल्ली के पालम में गिरी आकाश वाणी के हिसाब से दादा देव ने कहा था की शिला जहाँ भी गिरेगी वही अब मैं निवास करूॅगा ये बात भक्तो को याद आई और भक्तो ने वही दादा देव का मंदिर बना दिया और शीला को पालम में ही स्थापित कर दिया और पालम में ही दादा देव मंदिर बना दी वैसे तो दादा देव मंदिर पालम में है और पालम में ही दादा देव का निवास है मगर दादा देव की कृपा से दिल्ली में 12 गाव और बने इन बारह गाँवों के नाम क्रमशः पालम, शाहबाद, बागडोला, नासिरपुर, बिंदापुर, डाबड़ी, असालतपुर, उंटाला, मटियाला, बापरोला, पूठकला और नांगलराई है इसलिए पालम और इन 12 गाव के लोग आज भी दादा देव को बहुत मानते है मान्यता के अनुसार दादा देव का जन्म आज से लगभग 1200 साल पहले दशहरा के दिन हुआ था इसलिए दशहरा को दादा देव का जन्म दिवस माना जाता है और कुछ लोग कहते है की दादा देव को गुड बहुत पसंद था इसलिए प्रसाद में गुड चढ़ाया जाता हैं मान्यता के अनुसार दादा देव जी के तप से खुश होकर भागवन ने बहुत सी शक्ति दादा देव जी को दी है दादा देव इन शक्ति से अपने भक्तो का कल्याण करते है दादा देव का पालम स्थित मंदिर 8 एकड़ में फैला है इस मंदिर में एक तालाब है मान्यता है की तालाब की मिट्टी त्वचा के सभी रोगों को दूर कर देती है दादा देव मंदिर में पार्क नाना प्रकार के पेड़ पौधे है लगे हुए है पार्क की शोभा देखते ही बनती हैपालम का स्वर्ग दादा ही है और आज दादा जी की कृपा से दादा देव का स्कूल मंदिर हॉस्पिटल श्मशान भूमि आदि भी बन चुका है दादा देव जूडो academy आदि सबकुछ खुल चुके है जय दादा देव 🚩🚩🚩🚩

  • @mishra_ji415
    @mishra_ji415 ปีที่แล้ว +3

    करीब 1200 साल पहले की बात है दादा देव का जन्म राजस्थान के एक छोटे से गांव टोडा रॉय सिंह जिला टौंक में हुआ था दादा देव जी ने अपने गाव में ही समाधि ली थी दादा देव ने एक पत्थर के शिला पर समाधि ली थी गांव टोडा रॉय सिंह जिला टौंक में दादा देव ने पत्थर के शिला पर समाधि ली इसके बाद गाव के लोग जिस शिला पर दादा देव ने समाधि ली थी उसे पूजना शुरू किया तो उनकी हर मनोकामना पूरी होने लगी लेकिन जब गाव में अकाल पड़ गया था लोगो को गाव को छोड़ना पड़ा था गाव के लोग उस शिला को छोड़ नही सकते थे जिसपर दादा देव ने समाधि ली थी इसलिए गाव के लोगो ने उस शिला को भी अपने साथ ले जाने का फैसला किया जब गाव के लोग शिला को ले जा रहे थे तभी रास्ते में ही आकाश वाणी हुई की भक्तो ये शीला जहाँ भी गिरेगी वही अब मैं निवास करूॅगा गाव वाले काफी दूर तक चलते रहे अंत में वो शिला दिल्ली के पालम में गिरी आकाश वाणी के हिसाब से दादा देव ने कहा था की शिला जहाँ भी गिरेगी वही अब मैं निवास करूॅगा ये बात भक्तो को याद आई और भक्तो ने वही दादा देव का मंदिर बना दिया और शीला को पालम में ही स्थापित कर दिया और पालम में ही दादा देव मंदिर बना दी वैसे तो दादा देव मंदिर पालम में है और पालम में ही दादा देव का निवास है मगर दादा देव की कृपा से दिल्ली में 12 गाव और बने इन बारह गाँवों के नाम क्रमशः पालम, शाहबाद, बागडोला, नासिरपुर, बिंदापुर, डाबड़ी, असालतपुर, उंटाला, मटियाला, बापरोला, पूठकला और नांगलराई है इसलिए पालम और इन 12 गाव के लोग आज भी दादा देव को बहुत मानते है मान्यता के अनुसार दादा देव का जन्म आज से लगभग 1200 साल पहले दशहरा के दिन हुआ था इसलिए दशहरा को दादा देव का जन्म दिवस माना जाता है और कुछ लोग कहते है की दादा देव को गुड बहुत पसंद था इसलिए प्रसाद में गुड चढ़ाया जाता हैं मान्यता के अनुसार दादा देव जी के तप से खुश होकर भागवन ने बहुत सी शक्ति दादा देव जी को दी है दादा देव इन शक्ति से अपने भक्तो का कल्याण करते है दादा देव का पालम स्थित मंदिर 8 एकड़ में फैला है इस मंदिर में एक तालाब है मान्यता है की तालाब की मिट्टी त्वचा के सभी रोगों को दूर कर देती है दादा देव मंदिर में पार्क नाना प्रकार के पेड़ पौधे है लगे हुए है पार्क की शोभा देखते ही बनती हैपालम का स्वर्ग दादा ही है और आज दादा जी की कृपा से दादा देव का स्कूल मंदिर हॉस्पिटल श्मशान भूमि आदि भी बन चुका है दादा देव जूडो academy आदि सबकुछ खुल चुके है जय दादा देव 🚩🚩🚩🚩