बचपन में कक्षा दो या तीन में एक कविता पढ़ी थी एक बहुत था लोभी भाई जिसकी ज्यादा थी ना कमाई रूखी सूखी रोटी खाता दुख से अपना समय बिताता पर उसकी किस्मत ने पलटा खाया मुर्गी उसने पाई एक जो थी सीधी बहुत ही नेक दो सोने के अंडे प्यारे देती थी वह उठ भिनसारे लोभी के मन लालच आया क्यो न मार मुर्गी को डालू सारे अंडे एक साथ निकलू लोभी फौरन चाकू लाया मुर्गी मारी खून बहा या अंडा उसने एक ना पाया लोभी रो रो बहुत पछताया यहाँ लोभी मतलब बो बुड्ढा बाबा मुर्गी मतलब बेचारा गौरव भाई
*कुत्तों को घी हजम नहीं होता* *मनुष्य में इसका तात्पर्य यह होता है कि एक दोयम दर्जे के व्यक्ति को अच्छा अवसर भी प्राप्त हो जाए तब भी उसके लिए लाभकारी नहीं होता* *We Stand With **#GauravWasan** & Abhishek Bhai Keep Up The Good Work, Subscribed Your Channel Right Now* :)
बचपन में कक्षा दो या तीन में एक कविता पढ़ी थी
एक बहुत था लोभी भाई
जिसकी ज्यादा थी ना कमाई
रूखी सूखी रोटी खाता
दुख से अपना समय बिताता
पर उसकी किस्मत ने पलटा खाया
मुर्गी उसने पाई एक
जो थी सीधी बहुत ही नेक
दो सोने के अंडे प्यारे
देती थी वह उठ भिनसारे
लोभी के मन लालच आया
क्यो न मार मुर्गी को डालू
सारे अंडे एक साथ निकलू
लोभी फौरन चाकू लाया
मुर्गी मारी खून बहा या
अंडा उसने एक ना पाया
लोभी रो रो बहुत पछताया
यहाँ लोभी मतलब बो बुड्ढा बाबा
मुर्गी मतलब बेचारा गौरव भाई
*कुत्तों को घी हजम नहीं होता*
*मनुष्य में इसका तात्पर्य यह होता है कि एक दोयम दर्जे के व्यक्ति को अच्छा अवसर भी प्राप्त हो जाए तब भी उसके लिए लाभकारी नहीं होता*
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बहुत बहुत धन्यवाद भाई
इस बुड्ढे के लिए दो लाईन👇
बडे कम बख्त होते हैं ये गुब्बारे चंद सांसों में फूल जाते हैं
थोडी सी उचाई पाकर अपनी अवक़ात भूल जाते हैं
Sahi bole bhai
Lalchchi baba kibajay se lakho gareebo ki help ab nhi hogi
Lalchchi baba
बाबा पागल हो गया है
Hnmm bhai baba lalchi hai
बाबा की जय हो