देवीनगर की सड़क पर आते ही गांव से तब गर्मी मैं मेरी मां ने सड़क पार पहाड़ो से रिसते पानी को पिलाया था बचपन मैं तब सामने की सड़क पर हरे जंगल होते थे कोई भी मकान नहीं थे आज वहां सबसे बड़ी आबादी बन गई आज भी याद है वो पहाड़ पर मां हाथ लगा कर मुठ्ठी मैं पानी भर कर पिलाना..जब नीचे गांव से सड़क तक आते आते पटा का सेक लग जाता था.😮
ये तो तुम्हारे बस की बात गांव से देवीनागर पैदल चल कर हिम्मत की बात ...पर गांव के सुंदर नजारे स्वर्ग है😮 जेठ मैं घाम बेगी लागौ... ओहो बुआ चली गई😮 ॐ शांति ॐ 🙏
घाम लागिग्यो😮 सूरदा मोल छना 😊
Hoii
देवीनगर की सड़क पर आते ही गांव से तब गर्मी मैं मेरी मां ने सड़क पार पहाड़ो से रिसते पानी को पिलाया था बचपन मैं तब सामने की सड़क पर हरे जंगल होते थे कोई भी मकान नहीं थे आज वहां सबसे बड़ी आबादी बन गई आज भी याद है वो पहाड़ पर मां हाथ लगा कर मुठ्ठी मैं पानी भर कर पिलाना..जब नीचे गांव से सड़क तक आते आते पटा का सेक लग जाता था.😮
👍🙂
ये तो तुम्हारे बस की बात गांव से देवीनागर पैदल चल कर हिम्मत की बात ...पर गांव के सुंदर नजारे स्वर्ग है😮 जेठ मैं घाम बेगी लागौ...
ओहो बुआ चली गई😮 ॐ शांति ॐ 🙏
Hanji 🥲