पहले मैं भी बहुत विचलित होता था की कोई कहता विष्णु परमात्मा हैँ कोई कहता शिव परमात्मा हैँ कोई कहता आदिशक्ति कोई कहता श्रीकृष्ण तों कोई कहता गणेश तों फिर अंत समय मे इनका नाम क्यों नही लिया जाता केवल राम नाम ही सत्य क्यों कहा जाता है लेकिन स्वयं शास्त्र अध्ययन किया और संत पुरुषो से शास्त्र रहस्य समझें तों उनके सानिध्य से कुछ कुछ रहस्य समझ मे आने लगा है सत्य यह है की अनन्तो कल्पों मे सृस्टि हुई है कभी सदाशिव से त्रिदेव बनते हैँ कभी महाविष्णु से तों कभी आदिशक्ति से कभी आदिसूर्य से कभी आदिग्नेश से लेकिन चाहे किसी भी देवता के पुराण हो राम नाम ही परमब्रह्म कहा गया है राम नाम ही सत्य कहा जाता है समस्त सनातन धर्म मे आत्मा की गति के लिए चाहे किसी भी रूप का उपासक हो. राम नाम से ही ॐ, ओमकार, ररंकार सोहम आदि ब्रह्माण्ड धुनें प्रकट हुई हैँ अनहद नाद तों प्रथम धुन है जो पिंड यानि शरीर मे चल रही जो इन ब्रह्मणदीय धुनो से योग कराती है इसलिए किसी भी नाम को श्रद्धा से जपो कुछ समय बाद अनहद ही सुनाई देगा फिर कुछ समय बाद अनहद भी समाप्त हो जायेगा फिर इन ब्रह्माण्ड धुनो का अनुभव होने लगेगा जो अंत मे राम नाम तक ले जाएंगी वही आनंद की परम अवस्था कही गयी है.. 🙏🏻अनहद भी तत्वों की ध्वनि है इसे परमात्मा मान के ना चलो इससे आगे बढ़ो यही कबीर भी कह गए जप मरे अजपा मरे अनहद भी मर जाये तब तक आगे जाना है जब तक सतनाम या राम नाम की धुन ना सुनाई दे राम नाम ही वह सोना है जिससे सब आभूषण ( राम, कृष्ण, शिव, सदाशिव, विष्णु, ब्रह्मा, महाविष्णु ) बने हैँ हिंदु धर्म की यह भी विडम्बना है लोग सभी शास्त्र को पवित्र तो मानते हैँ लेकिन अपनी आस्था अनुसार इष्ट देव अनुसार एक ही शास्त्र को सब कुछ मानकर बाकि शास्त्रों को व्यर्थ मानने की भूल कर लेते हैँ 😎 सबकी परम सत्य यदि एक शास्त्र मे व्यक्त हो पाता तों 108 उपनिषद,4 वेद 18 पुराण कई समहितायें क्यों लिखी जाती? और राम नाम को तों अवैदिक ग्रंथों जैसे कबीर बीजक, गुरू ग्रन्थ साहेब मे सभी संतो की वानियों मे भी सृस्टि का परम सत्य कहा है. राम नाम को शिव पुराण मे सकलेश्वर ( सभी ईश्वरों का ईश्वर ) कहा गया है तों विष्णु पुराण मे विष्णु के मुख्य हज़ार नामो से भी शक्तिमान कहा है, गणेश पुराण मे गणेश के प्रथम पूज्य होने का मूल कारण भी कहा है तों आदिपुराण मे कृष्ण का भी उपास्य नाम कहा है जिसको कृष्ण भी जपते हैँ राम से बड़ा राम का नाम कहा जाता है यहाँ राम का मतलब विष्णु अवतार नहीं क्योकि विष्णु से ऊपर कई अन्य महाशक्तियाँ अन्य भी हैँ जैसे महाविष्णु,सदाशिव,आदिशक्ति,गोलोकी कृष्ण यहाँ राम का अर्थ है रमन्ते योगिनः यानि योगियों का जो परम साध्य निर्गुण निराकार परमब्रह्म है उससे है जिसका राम नाम विष्णु के तीन अवतारों को दिया गया और शिव भी इसी निर्गुण राम की समाधी लगाते हैँ उस निर्गुण राम से परे राम नाम है इसीलिए अंत काल राम नाम ही सत्य है का उद्घोष किया जाता है चाहे किसी भी देवता का उपासक हो उसके लिए राम नाम ही सत्य बोला जायेगा 😎🙏🏻
सार सब्द है शिखर पर। मूल ठिकाना सोय।। जिको सतगुर मिलिया। उन्हीं को मालूम होय।। झंडा रोपा गैब का। दो पर्वत के संध।। साध पहिचाने सब्द को। दृष्टि कमल के अंत।। साहेब बंदगी साहेब जी
आपने राम नाम की महिमा का वर्णन किया बहुत अच्छा लगा , कबीर बीजक में भी राम का जिक्र किया है रामनाम , सतनाम, राम की कृपा से शब्द धुन परकत होती हैं उसको कबीर साहेब ने सार शब्द कहा, वो ही राम परमत्मा है कयोकि मुर्दे को शमशान घाट में जलाने के लिए लेकर जाते हैं तब सब लोग बोलते है राम नाम सत हैं
पहले मैं भी बहुत विचलित होता था की कोई कहता विष्णु परमात्मा हैँ कोई कहता शिव परमात्मा हैँ कोई कहता आदिशक्ति कोई कहता श्रीकृष्ण तों कोई कहता गणेश तों फिर अंत समय मे इनका नाम क्यों नही लिया जाता केवल राम नाम ही सत्य क्यों कहा जाता है लेकिन स्वयं शास्त्र अध्ययन किया और संत पुरुषो से शास्त्र रहस्य समझें तों उनके सानिध्य से कुछ कुछ रहस्य समझ मे आने लगा है सत्य यह है की अनन्तो कल्पों मे सृस्टि हुई है कभी सदाशिव से त्रिदेव बनते हैँ कभी महाविष्णु से तों कभी आदिशक्ति से कभी आदिसूर्य से कभी आदिग्नेश से लेकिन चाहे किसी भी देवता के पुराण हो राम नाम ही परमब्रह्म कहा गया है राम नाम ही सत्य कहा जाता है समस्त सनातन धर्म मे आत्मा की गति के लिए चाहे किसी भी रूप का उपासक हो. राम नाम से ही ॐ, ओमकार, ररंकार सोहम आदि ब्रह्माण्ड धुनें प्रकट हुई हैँ अनहद नाद तों प्रथम धुन है जो पिंड यानि शरीर मे चल रही जो इन ब्रह्मणदीय धुनो से योग कराती है इसलिए किसी भी नाम को श्रद्धा से जपो कुछ समय बाद अनहद ही सुनाई देगा फिर कुछ समय बाद अनहद भी समाप्त हो जायेगा फिर इन ब्रह्माण्ड धुनो का अनुभव होने लगेगा जो अंत मे राम नाम तक ले जाएंगी वही आनंद की परम अवस्था कही गयी है.. 🙏🏻अनहद भी तत्वों की ध्वनि है इसे परमात्मा मान के ना चलो इससे आगे बढ़ो यही कबीर भी कह गए जप मरे अजपा मरे अनहद भी मर जाये तब तक आगे जाना है जब तक सतनाम या राम नाम की धुन ना सुनाई दे राम नाम ही वह सोना है जिससे सब आभूषण ( राम, कृष्ण, शिव, सदाशिव, विष्णु, ब्रह्मा, महाविष्णु ) बने हैँ हिंदु धर्म की यह भी विडम्बना है लोग सभी शास्त्र को पवित्र तो मानते हैँ लेकिन अपनी आस्था अनुसार इष्ट देव अनुसार एक ही शास्त्र को सब कुछ मानकर बाकि शास्त्रों को व्यर्थ मानने की भूल कर लेते हैँ 😎 सबकी परम सत्य यदि एक शास्त्र मे व्यक्त हो पाता तों 108 उपनिषद,4 वेद 18 पुराण कई समहितायें क्यों लिखी जाती? और राम नाम को तों अवैदिक ग्रंथों जैसे कबीर बीजक, गुरू ग्रन्थ साहेब मे सभी संतो की वानियों मे भी सृस्टि का परम सत्य कहा है. राम नाम को शिव पुराण मे सकलेश्वर ( सभी ईश्वरों का ईश्वर ) कहा गया है तों विष्णु पुराण मे विष्णु के मुख्य हज़ार नामो से भी शक्तिमान कहा है, गणेश पुराण मे गणेश के प्रथम पूज्य होने का मूल कारण भी कहा है तों आदिपुराण मे कृष्ण का भी उपास्य नाम कहा है जिसको कृष्ण भी जपते हैँ राम से बड़ा राम का नाम कहा जाता है यहाँ राम का मतलब विष्णु अवतार नहीं क्योकि विष्णु से ऊपर कई अन्य महाशक्तियाँ अन्य भी हैँ जैसे महाविष्णु,सदाशिव,आदिशक्ति,गोलोकी कृष्ण यहाँ राम का अर्थ है रमन्ते योगिनः यानि योगियों का जो परम साध्य निर्गुण निराकार परमब्रह्म है उससे है जिसका राम नाम विष्णु के तीन अवतारों को दिया गया और शिव भी इसी निर्गुण राम की समाधी लगाते हैँ उस निर्गुण राम से परे राम नाम है इसीलिए अंत काल राम नाम ही सत्य है का उद्घोष किया जाता है चाहे किसी भी देवता का उपासक हो उसके लिए राम नाम ही सत्य बोला जायेगा 😎🙏🏻
Jay shri sadgurudev bhagvan ki jay🙏🙏🙏🙏🙏
Om sadguru dev ki jai
Sat guru sahib ki Jay ho
Adbhut prem Naman ji 🎉🎉🎉🎉
🙇
राम राम
Add,Gurvay,nmo,jugad,Gurvay,nmo satguru,Dev,nmo,Shri,Gurdev,nmo,!
जय गुरू भगवान
Om shree sadgurudev bhagwan ki jai
Guruji aap keval jivan jine ki rah batlaye pranam
Jai ho
Jai shree Ram radhe shyam
जैजैऋ।परमपूज्य।ऋगुरूदेवजी।महराज।सदाही।आपकी।जैहो।आपने।मार्ग।दरसन।किया।आपके।अनमोल।बचन।लखाये।सदाही।आपके।चरनो।को।अपने।सुरत।से।जोड़।कर।रखूगा।आपदयालू।सँत।है।सब।समझतेहै।प्रभूदयालूहै।आपमे।और।भगवान।मेकोईअँतर।नहीहै।भोपालसे।छँगूपटेल।एकगरीबभगत।नया।तयार।होने।जारहाहै।आप।सभी।सँन्तो।के।सहारे।आपके।दरन।सदाही।करता।रहूँ।बसयही।अँतिम।इक्छाहै।जैऋ।गुरूदेवजीधन्रहैआप।
Shree shree aik hajaraath shree poojy mahraj ji ke charno main koti vandan.prabhu mujhdasanudas par bhi kripa karen.
Shri ram Jay ram Jay Jay ram . ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤
🌹🌹🙏🙇
Om 🙏🌺🙇🙇🙏🙏🙇
गुरु जी राम राम🙏
Super Maharaj ji
🙏🙏🚩
सुपर महाराज जी
धन्यवाद गुरु जी❤
पहले मैं भी बहुत विचलित होता था की कोई कहता विष्णु परमात्मा हैँ कोई कहता शिव परमात्मा हैँ कोई कहता आदिशक्ति कोई कहता श्रीकृष्ण तों कोई कहता गणेश तों फिर अंत समय मे इनका नाम क्यों नही लिया जाता केवल राम नाम ही सत्य क्यों कहा जाता है
लेकिन स्वयं शास्त्र अध्ययन किया और संत पुरुषो से शास्त्र रहस्य समझें तों उनके सानिध्य से कुछ कुछ रहस्य समझ मे आने लगा है सत्य यह है की अनन्तो कल्पों मे सृस्टि हुई है कभी सदाशिव से त्रिदेव बनते हैँ कभी महाविष्णु से तों कभी आदिशक्ति से कभी आदिसूर्य से कभी आदिग्नेश से लेकिन चाहे किसी भी देवता के पुराण हो राम नाम ही परमब्रह्म कहा गया है राम नाम ही सत्य कहा जाता है समस्त सनातन धर्म मे आत्मा की गति के लिए चाहे किसी भी रूप का उपासक हो. राम नाम से ही ॐ, ओमकार, ररंकार सोहम आदि ब्रह्माण्ड धुनें प्रकट हुई हैँ अनहद नाद तों प्रथम धुन है जो पिंड यानि शरीर मे चल रही जो इन ब्रह्मणदीय धुनो से योग कराती है इसलिए किसी भी नाम को श्रद्धा से जपो कुछ समय बाद अनहद ही सुनाई देगा फिर कुछ समय बाद अनहद भी समाप्त हो जायेगा फिर इन ब्रह्माण्ड धुनो का अनुभव होने लगेगा जो अंत मे राम नाम तक ले जाएंगी वही आनंद की परम अवस्था कही गयी है.. 🙏🏻अनहद भी तत्वों की ध्वनि है इसे परमात्मा मान के ना चलो इससे आगे बढ़ो यही कबीर भी कह गए जप मरे अजपा मरे अनहद भी मर जाये तब तक आगे जाना है जब तक सतनाम या राम नाम की धुन ना सुनाई दे राम नाम ही वह सोना है जिससे सब आभूषण ( राम, कृष्ण, शिव, सदाशिव, विष्णु, ब्रह्मा, महाविष्णु ) बने हैँ हिंदु धर्म की यह भी विडम्बना है लोग सभी शास्त्र को पवित्र तो मानते हैँ लेकिन अपनी आस्था अनुसार इष्ट देव अनुसार एक ही शास्त्र को सब कुछ मानकर बाकि शास्त्रों को व्यर्थ मानने की भूल कर लेते हैँ 😎 सबकी परम सत्य यदि एक शास्त्र मे व्यक्त हो पाता तों 108 उपनिषद,4 वेद 18 पुराण कई समहितायें क्यों लिखी जाती? और राम नाम को तों अवैदिक ग्रंथों जैसे कबीर बीजक, गुरू ग्रन्थ साहेब मे सभी संतो की वानियों मे भी सृस्टि का परम सत्य कहा है. राम नाम को शिव पुराण मे सकलेश्वर ( सभी ईश्वरों का ईश्वर ) कहा गया है तों विष्णु पुराण मे विष्णु के मुख्य हज़ार नामो से भी शक्तिमान कहा है, गणेश पुराण मे गणेश के प्रथम पूज्य होने का मूल कारण भी कहा है तों आदिपुराण मे कृष्ण का भी उपास्य नाम कहा है जिसको कृष्ण भी जपते हैँ राम से बड़ा राम का नाम कहा जाता है यहाँ राम का मतलब विष्णु अवतार नहीं क्योकि विष्णु से ऊपर कई अन्य महाशक्तियाँ अन्य भी हैँ जैसे महाविष्णु,सदाशिव,आदिशक्ति,गोलोकी कृष्ण यहाँ राम का अर्थ है रमन्ते योगिनः यानि योगियों का जो परम साध्य निर्गुण निराकार परमब्रह्म है उससे है जिसका राम नाम विष्णु के तीन अवतारों को दिया गया और शिव भी इसी निर्गुण राम की समाधी लगाते हैँ उस निर्गुण राम से परे राम नाम है इसीलिए अंत काल राम नाम ही सत्य है का उद्घोष किया जाता है चाहे किसी भी देवता का उपासक हो उसके लिए राम नाम ही सत्य बोला जायेगा 😎🙏🏻
Good. Payari. Jankri 🌹💕😍🙏👍
👏👏👏 श्री सदगुरू देव भगवान की जय
Jai shree om gurudev ji sashtang pranam 🙏🏽🙏🏽
ॐ🔱श्री सद्गुरुदेव भगवान् की जय ॐ🔱 पार्वती पतये ॐ🔱 हर हर महादेव ॐ🚩🚩🚩🚩 🌺🌺🌺🌺👏👏👏👏🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐🚩🚩🚩🚩ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ बोधगम्य आशिर्वचन ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ
सार सब्द है शिखर पर।मूल ठिकाना सोय।।
सार सब्द है शिखर पर।
मूल ठिकाना सोय।।
जिको सतगुर मिलिया।
उन्हीं को मालूम होय।।
झंडा रोपा गैब का।
दो पर्वत के संध।।
साध पहिचाने सब्द को।
दृष्टि कमल के अंत।।
साहेब बंदगी साहेब जी
सदगुरु देव भगवान कि जय हो
Aap Arya samaj ka muh torh javab de sakte hai pranam
कबीर गुण तीनों की भक्ति में भूल पद्यो संसार कहे कबीर निज नाम बिन कैसे उत्तर पार।।
आपने राम नाम की महिमा का वर्णन किया बहुत अच्छा लगा , कबीर बीजक में भी राम का जिक्र किया है रामनाम , सतनाम, राम की कृपा से शब्द धुन परकत होती हैं उसको कबीर साहेब ने सार शब्द कहा, वो ही राम परमत्मा है कयोकि मुर्दे को शमशान घाट में जलाने के लिए लेकर जाते हैं तब सब लोग बोलते है राम नाम सत हैं
पहले मैं भी बहुत विचलित होता था की कोई कहता विष्णु परमात्मा हैँ कोई कहता शिव परमात्मा हैँ कोई कहता आदिशक्ति कोई कहता श्रीकृष्ण तों कोई कहता गणेश तों फिर अंत समय मे इनका नाम क्यों नही लिया जाता केवल राम नाम ही सत्य क्यों कहा जाता है
लेकिन स्वयं शास्त्र अध्ययन किया और संत पुरुषो से शास्त्र रहस्य समझें तों उनके सानिध्य से कुछ कुछ रहस्य समझ मे आने लगा है सत्य यह है की अनन्तो कल्पों मे सृस्टि हुई है कभी सदाशिव से त्रिदेव बनते हैँ कभी महाविष्णु से तों कभी आदिशक्ति से कभी आदिसूर्य से कभी आदिग्नेश से लेकिन चाहे किसी भी देवता के पुराण हो राम नाम ही परमब्रह्म कहा गया है राम नाम ही सत्य कहा जाता है समस्त सनातन धर्म मे आत्मा की गति के लिए चाहे किसी भी रूप का उपासक हो. राम नाम से ही ॐ, ओमकार, ररंकार सोहम आदि ब्रह्माण्ड धुनें प्रकट हुई हैँ अनहद नाद तों प्रथम धुन है जो पिंड यानि शरीर मे चल रही जो इन ब्रह्मणदीय धुनो से योग कराती है इसलिए किसी भी नाम को श्रद्धा से जपो कुछ समय बाद अनहद ही सुनाई देगा फिर कुछ समय बाद अनहद भी समाप्त हो जायेगा फिर इन ब्रह्माण्ड धुनो का अनुभव होने लगेगा जो अंत मे राम नाम तक ले जाएंगी वही आनंद की परम अवस्था कही गयी है.. 🙏🏻अनहद भी तत्वों की ध्वनि है इसे परमात्मा मान के ना चलो इससे आगे बढ़ो यही कबीर भी कह गए जप मरे अजपा मरे अनहद भी मर जाये तब तक आगे जाना है जब तक सतनाम या राम नाम की धुन ना सुनाई दे राम नाम ही वह सोना है जिससे सब आभूषण ( राम, कृष्ण, शिव, सदाशिव, विष्णु, ब्रह्मा, महाविष्णु ) बने हैँ हिंदु धर्म की यह भी विडम्बना है लोग सभी शास्त्र को पवित्र तो मानते हैँ लेकिन अपनी आस्था अनुसार इष्ट देव अनुसार एक ही शास्त्र को सब कुछ मानकर बाकि शास्त्रों को व्यर्थ मानने की भूल कर लेते हैँ 😎 सबकी परम सत्य यदि एक शास्त्र मे व्यक्त हो पाता तों 108 उपनिषद,4 वेद 18 पुराण कई समहितायें क्यों लिखी जाती? और राम नाम को तों अवैदिक ग्रंथों जैसे कबीर बीजक, गुरू ग्रन्थ साहेब मे सभी संतो की वानियों मे भी सृस्टि का परम सत्य कहा है. राम नाम को शिव पुराण मे सकलेश्वर ( सभी ईश्वरों का ईश्वर ) कहा गया है तों विष्णु पुराण मे विष्णु के मुख्य हज़ार नामो से भी शक्तिमान कहा है, गणेश पुराण मे गणेश के प्रथम पूज्य होने का मूल कारण भी कहा है तों आदिपुराण मे कृष्ण का भी उपास्य नाम कहा है जिसको कृष्ण भी जपते हैँ राम से बड़ा राम का नाम कहा जाता है यहाँ राम का मतलब विष्णु अवतार नहीं क्योकि विष्णु से ऊपर कई अन्य महाशक्तियाँ अन्य भी हैँ जैसे महाविष्णु,सदाशिव,आदिशक्ति,गोलोकी कृष्ण यहाँ राम का अर्थ है रमन्ते योगिनः यानि योगियों का जो परम साध्य निर्गुण निराकार परमब्रह्म है उससे है जिसका राम नाम विष्णु के तीन अवतारों को दिया गया और शिव भी इसी निर्गुण राम की समाधी लगाते हैँ उस निर्गुण राम से परे राम नाम है इसीलिए अंत काल राम नाम ही सत्य है का उद्घोष किया जाता है चाहे किसी भी देवता का उपासक हो उसके लिए राम नाम ही सत्य बोला जायेगा 😎🙏🏻
Sant g Ram Ram sant g Haryana me kbh darshan honge aap g ke mehar krna Ram Ram g
ॐ श्री सद्गुरुदेव भगवान् की जय ॐ
Om Shree Sadguru Maharaj ki Jai..Shat Shar Naman..
Is Divya gyan se band pade hue chakshu khul gaye hain
Om shree sadgurudev bhagwan ki jai
Om sri sadgurudev bhagwan ki jai