||दोराणी जेठाणी का जोरदार किस्सा||ज्ञान का गुलगुला ||मालूणी का चुटकुला भाग-4||Singer-RamKumar Maluni
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- เผยแพร่เมื่อ 5 ก.พ. 2025
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Welcome to Maluni music
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•Maluni music Presents....
*Singer-RAMKUMAR MALUNI
*Song-dorani jetani comedy
*Song title-Comedy video 2021
*Director--RamKumar maluni Mo.~9828385198
*Video Edit-Rajendra saini Ghati Malpura
...... ShyamNagar live.......
*Cameramen-Ramdev ji saini Malpura
(Sagar films studio Malpura)
*Song lyrics-Maluni music
*Copyright-Maluni music
*Only RAMKUMAR MALUNI SONG!!
Thanks for Maluni music team
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#Maluni_music,#Ramkumar_Maluni
जय हो गुरुदेव की
आनंद आ गया
क्या बात है
Nice ji
Nice 👍
Good guruji mast ❤❤
Bahut acche Baat sunaeye
सही है जय हो 🙏🙏
बहुत बढ़िया सा
सुपर गुरूजी
बहुत ही सुन्दर बात वैरी नाईस
Veeryg00d
बहुत सुन्दर बात कही
Superb🙏🙏🙏👌👌👌👌
GOOd
Jay Shri Ram Jay Shri Shyam
Gjb chutkala sirji
🚩 " जय श्री राम " 🚩 🚩 " जय श्री बालाजी " 🚩
Nice
बहुत सुन्दर
Nice ji
Nice Guru
Dekhiya dekhee bhakti ki jai ho ji 😆😆😆😆😆😆😆😆😆👏👏👏👏👏👏👏🙏🙏🙏🙏🙏
Ha Ha Ha Ha Ha Ha.
Sahi h BHAI SA sachhi bhakti to ek din ki hi bahut h .
Dhong chahe sari ummar karte rahe to bhi parmeshwar koni mile
JAY GURUDEV !
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
Wa sa guru dev
मेरी मेहंदी को इतना प्यार देने के लिए दिल से धन्यवाद भगवान शिव आपकी हर मनोकामना पूरी करे और आपके परिवार को हर खुशी दे 😍😋😘😘🥰🥰🌹
Nice जी👌
Good
*जैसा अन्न वैसा मन*
*एक बार एक ऋषि ने सोचा कि लोग गंगा में पाप धोने जाते है, तो इसका मतलब हुआ कि सारे पाप गंगा में समा गए और गंगा भी पापी हो गयी !*
*अब यह जानने के लिए तपस्या की, कि पाप कहाँ जाता है ?*
*तपस्या करने के फलस्वरूप देवता प्रकट हुए , ऋषि ने पूछा कि भगवन जो पाप गंगा में धोया जाता है वह पाप कहाँ जाता है ?*
*भगवन ने जहा कि चलो गंगा से ही पूछते है, दोनों लोग गंगा के पास गए और कहा कि "हे गंगे ! जो लोग तुम्हारे यहाँ पाप धोते है तो इसका मतलब आप भी पापी हुई !"*
*गंगा ने कहा "मैं क्यों पापी हुई, मैं तो सारे पापों को ले जाकर समुद्र को अर्पित कर देती हूँ !"*
*अब वे लोग समुद्र के पास गए, "हे सागर ! गंगा जो पाप आपको अर्पित कर देती है तो इसका मतलब आप भी पापी हुए !"समुद्र ने कहा "मैं क्यों पापी हुआ, मैं तो सारे पापों को लेकर भाप बना कर बादल बना देता हूँ !"*
*अब वे लोग बादल के पास गए और कहा "हे बादलो ! समुद्र जो पापों को भाप बनाकर बादल बना देते है, तो इसका मतलब आप पापी हुए !"*
*बादलों ने कहा "मैं क्यों पापी हुआ, मैं तो सारे पापों को वापस पानी बरसा कर धरती पर भेज देता हूँ , जिससे अन्न उपजता है, जिसको मानव खाता है, उस अन्न में जो अन्न जिस मानसिक स्थिति से उगाया जाता है और जिस वृत्ति से प्राप्त किया जाता है, जिस मानसिक अवस्था में खाया जाता है , उसी अनुसार मानव की मानसिकता बनती है !"*
*अन्न को जिस वृत्ति ( कमाई ) से प्राप्त किया जाता है और जिस मानसिक अवस्था में खाया जाता है, वैसे ही विचार मानव के बन जाते है ! इसीलिये सदैव भोजन सिमरन और शांत अवस्था मे करना चाहिए और कम से कम अन्न जिस धन से खरीदा जाए वह धन ईमानदारी एवं श्रम का होना चाहिए !*
*जैसे-*
*भीष्म पितामह शरशय्या पर पड़े प्राण त्यागने के लिए शुक्लपक्ष के आगमन की प्रतीक्षा कर रहे थे. भगवान श्रीकृष्ण के आदेश पर युधिष्ठिर उनसे प्रतिदिन नीति ज्ञान लेते थे। द्रौपदी कभी नहीं जाती थीं।*
*इससे भीष्म के मन में पीड़ा थी। श्रीकृष्ण ने भांप लिया था। उन्होंने युधिष्ठिर से कहा- अंतकाल की प्रतीक्षा में साधनारत पूर्वज से सपरिवार मिलना चाहिए. परिवार पत्नी के बिना पूर्ण नहीं है।*
*इशारा समझकर युधिष्ठिर जिद करके द्रौपदी को भी साथ ले गए। पितामह उन्हें नीति ज्ञान देने लगे। द्रौपदी कुंठित होकर चुपचाप सुन रही थी. अचानक द्रोपदी को हंसी आ गई।*
*भीष्म ने कहा- पुत्री तुम्हारे हंसने का कारण मैं जानता हूं। द्रोपदी सकुचाई को भीष्म ने कहा- पुत्री तुम अपने मन की दुविधा पूछ ही लो. मुझे शांति मिलेगी।*
*द्रोपदी ने कहा- स्वयं भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि भीष्म के समान नीति का ज्ञाता दूसरा कोई नहीं किंतु आपका ज्ञान कहां लुप्त हो गया था जब पुत्रवधू आपके सामने निवस्त्र की जा रही थी?*
*भीष्म ने कहा- इसी प्रश्न की प्रतीक्षा थी। जैसा अन्न वैसा मन। मैं दुर्योधन जैसे अधर्मी का अन्न खा रहा था। उस अन्न ने मेरी बुद्धि जड़ कर दी थी। सही निर्णय लेने की क्षमता खत्म हो गई थी।*
*अन्न ही रक्त का कारक है। अर्जुन के बाणों ने मेरे शरीर से वह रक्त धीरे-धीरे करके निकाल दिया है। अब इस शरीर में सिर्फ गंगापुत्र भीष्म शेष है। सिर्फ माता का अंश है जो सबको निर्मल करती हैं इसलिए मैं नीति की बातें कर पा रहा हूं।*
*भीष्म की बात को अटल सत्य समझिए। दुराचार से या किसी को सताकर कमाए गए धन से यदि आप परिवार का पालन करते हैं तो वह परिवार की बुद्धि भ्रष्ट करता है। उससे जो सुख है वह क्षणिक है किंतु लंबे समय में वह दुख का कारण बनता है। यदि आपके सामने गलत तरीके से पैसा कमाकर भी कोई फल-फूल रहा है तो यह समझिए कि वे उसके पूर्वजन्म के संचित पुण्य हैं जिसे निगल रहा है। जैसे ही वे पुण्य कर्म समाप्त होंगे, उसके दुर्दिन आरंभ होजायेंगे*
ःःः
ओके जी
Kya bat he Guru dev
Jay shree krishna ❤️❤️❤️❤️❤️
Shandar guru ji
हिंदू धर्म में 12:30 पंथ है
मालूणीजी पति के लखण भी परमेश्वर जैसे होने चाहिए आज ना पति है ना पत्नी
सुनो मेरे गुरुदेव। आनंद हो गया आज तो
जय हो गुरुदेव की
Ĺ
RAM RAM JI
Very nice 👍
समस्तकं
Jay Shri Ram 🙏🙏🙏🙏🙏
Very nice Katha
पाली जिला
🙏🙏
Congratulations
Koi problem chi kai program m
🤗🤗🤗🤗🤗👍👍👍
❤️❤️❤️🙏🙏
राम राम जी
Ram Ram g 🙏🙏
1like.1subscribe.super.sirji
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5
Guji aap navlghar jhanjanu gaya pr program to puro karya he kon aakriti ki sath
Me keval opening karne gaya tha mera to khatushyam ji program tha.
तत्तव नननब्रर्म५".शंऔऊन
झूठे न्
⁰
Nice
🙏🙏
Super Gurudev super bahut acchi
🙏🙏🙏🙏