इस चैनल पर आर्य समाज और वेद प्रचार के कार्यक्रम को चलवाने हेतु और कार्यक्रम की कवरेज हेतु संपर्क करें l दिलबाग आर्य (M.D) 9354867000 हर्षित शर्मा (Camera & Editor) 8814835357
Aacharya ji कोटि-कोटि Naman. Itna Sundar aur achcha pravachan aapane Diya. Per tab Suna jab sab kuchh ho chuka. Yani ki bacchon ke gun karam sambhav to humne Mila hi nahin
Pranam Acharya ji mere bahut se prashn hain ishwar, atma, life, punarjanm, truth se related kuch Arya samaji reply karte hain kuch nahi and kuch bolte pehle Satyarth Prakash padho Satyarth Prakash ki language tough lag rahi hai par mai padhungi lekin questions to hamesha rehte hain mind me itne saare bachpan se itna pauranik pakhand dekha hai ... Arya samaj waale swami ji acharya ji ki videos mai ghar ka kaam karte karte sun leti hu fir question bhi rise hote rehte hain 🙏 aur kuch se to confusion bhi hojata hai jese Hanuman ji ud kar gaye ya tair kar sab k alag alag vichar finally ye doubt Acharya Agnivrat ji ki video se clear hua to mai questions kaha puchu?
बहन जी आपके जैसे प्रशन मैं भी विद्वान आचार्य से करता हूं। यह केवल अपने मन के बने हुए विचार ही बताते हैं कोई नियम सिद्धांत नहीं बताते?? आपके प्रश्न तो बहुत निचले स्तर के हैं?? क्योंकि प्रश्नों के उत्तर तो आदमी स्वयं भी खोज सकता है। उसके लिए प्राकृतिक नियम, सिद्धांत और "कारण" जानना जरूरी है।। यदि सभी प्रश्नों के "कारण" खोजोगी तो सारे प्रश्नों का कारण का अंत एक सृष्टिकर्ता पर खत्म होते हैं।। सिद्धांत है:- कारण के बिना कोई कार्य करना होना संभव नहीं है।। इसलिए सृष्टि क्यूं बनी, उसका क्या कारण है?? ऐसे कई सारे नियम सिद्धांत पर आधारित प्रश्न आधारित है जिनके ऊपर कोई विद्वान आचार्य नहीं दे पाता है।। एक प्रश्न विद्वान आचार्य से किया गया?आप को भेज रहा हूं आप इस पर विचार करना।।
पढ़ा लिखा होना यह नहीं कि वह ज्ञानी है।। एक पढ़ा-लिखा चतुर्थ स्वार्थी अपने तर्कों से अल्प बुद्धि, मुर्खो का और मूर्ख बनाकर अपनी बात मनवा सकता है? और उनसे अपना स्वार्थ सिद्ध कर सकता है? क्योंकि अल्प बुद्धि उसके तर्कों का मुकाबला नहीं कर पाते?? और फिर एक से बढ़कर एक चतुर, स्वार्थी तार्किक आते जाते हैं और मत पंथ संप्रदाय धर्म बनते चले जाते हैं?? यानी कि एक बहुत अच्छा और सच्चा आदमी किसी कारण कभी भी झूठ बोल सकता है।।।और एक झूठा, पाखंडी आदमी कभी भी सच बोल जाता है।। हम उसके सच्चे और झूठे होने की पहचान उसके संस्कार उसका आचरण उसकी परीक्षा लेकर करते हैं।। लेकिन उसमें भी इंसान को धोखा लग जाता है और उस इंसान की सोच गलत भी और सही भी साबित होती है।। यानी इंसान के मस्तिष्क में वह गुण ज्ञान नहीं है कि किसी की सच्चाई और झूठ को तुरंत जान जाए?? केवल प्रत्यक्ष प्रमाण को देखकर इंसान जान जाता है और उसको सत्य मानता है।। सभी धर्म के व्यक्ति अपने धर्म के ज्ञानियों की बात को सत्य मानकर,उन्हीं के द्वारा बताया गया, सृष्टि कर्ता के ज्ञान जोकि प्रत्यक्ष भी होता है, अदृश्य भी होता है। को सत्य मानकर उस पर अपना जीवन बिताते हैं।। प्रशन है:- कि हम उन ज्ञानियों की जन्म मृत्यु कर्म फल, ब्रह्मांड, मन्वंतर सृष्टि, परले।। जन्नत,दोजख आदि बातें जोकि सृष्टिकर्ता के ज्ञान की आदि बातों है।। उन ज्ञानियों के ज्ञान का क्या आधार है कि श्रृष्टि कर्ता जो कि अदृश्य है। ये उसी के ज्ञान की सत्यता को बता रहे हैं।। केवल उन ज्ञानियों के ज्ञान का आधार, नियम सिद्धांत प्रमाण दे दो कि हम जान जाए कि उनकी बात सत्य पर आधारित है।। यदि तुम ज्ञानियों की सत्यता का आधार उनका आचरण संस्कार जड़ी बूटियों का ज्ञान आदि बताते हो? तो बिना आधार बिना प्रत्यक्ष प्रमाण के वह तुम्हारी बात चलेगी नहीं?? क्यूंकि ऐसे आचरण संस्कार जड़ी बूटियों आदि ज्ञान एक नास्तिक की भी हो सकते हैं जोकि श्रृष्टि कर्ता को मानता नहीं है???
ओम आचार्य जी अगर इस तरह के विचार सभी जगह सूनाया जाए तो अवश्य बदलाव आ सकता है। आप आर्य को जगह -2जाकर विचार व्यक्त किए जाना चाहिए। ज्यादा तर गांवों में जाना चाहिए। क्योंकि गांवों में बोली भाली जनता होती है ।उनको हर कोई गुमराह कर रहे होते हैं।
Aacharya ji कोटि-कोटि Naman. Itna Sundar aur achcha pravachan aapane Diya. Per tab Suna jab sab kuchh ho chuka. Yani ki bacchon ke gun karam sambhav to humne Mila hi nahin
अति सुन्दर और सार्थक प्रवचन achary gi
अति सुन्दर प्रस्तुति है
Very Nice 👍👍👍👍 Ramchand Goyal Ballabgarh
बहुत बडीया धन्यवाद
Om
💯💯👌🙏🙏🙏🙏
ll ओ३म ll नमस्ते जी । धन्यवाद।
👍🙏🙏
🕉👏
Jai ho acharya ji, Aum kotik,kotik naman🙏🏼👍
Namaste ji.This very useful in human being.Thanks.Aryaji Ashramaka Address.hona.
સરસ
Acharya ji namaste very good speech and you have been deeply knowledge in vedic education ..
अति सुंदर
Pranam Acharya ji mere bahut se prashn hain ishwar, atma, life, punarjanm, truth se related kuch Arya samaji reply karte hain kuch nahi and kuch bolte pehle Satyarth Prakash padho Satyarth Prakash ki language tough lag rahi hai par mai padhungi lekin questions to hamesha rehte hain mind me itne saare bachpan se itna pauranik pakhand dekha hai ... Arya samaj waale swami ji acharya ji ki videos mai ghar ka kaam karte karte sun leti hu fir question bhi rise hote rehte hain 🙏 aur kuch se to confusion bhi hojata hai jese Hanuman ji ud kar gaye ya tair kar sab k alag alag vichar finally ye doubt Acharya Agnivrat ji ki video se clear hua to mai questions kaha puchu?
A
बहन जी आपके जैसे प्रशन मैं भी विद्वान आचार्य से करता हूं। यह केवल अपने मन के बने हुए विचार ही बताते हैं कोई नियम सिद्धांत नहीं बताते?? आपके प्रश्न तो बहुत निचले स्तर के हैं??
क्योंकि प्रश्नों के उत्तर तो आदमी स्वयं भी खोज सकता है। उसके लिए प्राकृतिक नियम, सिद्धांत और "कारण" जानना जरूरी है।। यदि सभी प्रश्नों के "कारण" खोजोगी तो सारे प्रश्नों का कारण का अंत एक सृष्टिकर्ता पर खत्म होते हैं।।
सिद्धांत है:- कारण के बिना कोई कार्य करना होना संभव नहीं है।।
इसलिए सृष्टि क्यूं बनी, उसका क्या कारण है??
ऐसे कई सारे नियम सिद्धांत पर आधारित प्रश्न आधारित है जिनके ऊपर कोई विद्वान आचार्य नहीं दे पाता है।।
एक प्रश्न विद्वान आचार्य से किया गया?आप को भेज रहा हूं आप इस पर विचार करना।।
पढ़ा लिखा होना यह नहीं कि वह ज्ञानी है।। एक पढ़ा-लिखा चतुर्थ स्वार्थी अपने तर्कों से अल्प बुद्धि, मुर्खो का और मूर्ख बनाकर अपनी बात मनवा सकता है? और उनसे अपना स्वार्थ सिद्ध कर सकता है? क्योंकि अल्प बुद्धि उसके तर्कों का मुकाबला नहीं कर पाते?? और फिर एक से बढ़कर एक चतुर, स्वार्थी तार्किक आते जाते हैं और मत पंथ संप्रदाय धर्म बनते चले जाते हैं??
यानी कि एक बहुत अच्छा और सच्चा आदमी किसी कारण कभी भी झूठ बोल सकता है।।।और एक झूठा, पाखंडी आदमी कभी भी सच बोल जाता है।।
हम उसके सच्चे और झूठे होने की पहचान उसके संस्कार उसका आचरण उसकी परीक्षा लेकर करते हैं।। लेकिन उसमें भी इंसान को धोखा लग जाता है और उस इंसान की सोच गलत भी और सही भी साबित होती है।।
यानी इंसान के मस्तिष्क में वह गुण ज्ञान नहीं है कि किसी की सच्चाई और झूठ को तुरंत जान जाए??
केवल प्रत्यक्ष प्रमाण को देखकर इंसान जान जाता है और उसको सत्य मानता है।।
सभी धर्म के व्यक्ति अपने धर्म के ज्ञानियों की बात को सत्य मानकर,उन्हीं के द्वारा बताया गया, सृष्टि कर्ता के ज्ञान जोकि प्रत्यक्ष भी होता है, अदृश्य भी होता है। को सत्य मानकर उस पर अपना जीवन बिताते हैं।।
प्रशन है:- कि हम उन ज्ञानियों की जन्म मृत्यु कर्म फल, ब्रह्मांड, मन्वंतर सृष्टि, परले।। जन्नत,दोजख आदि बातें जोकि सृष्टिकर्ता के ज्ञान की आदि बातों है।। उन ज्ञानियों के ज्ञान का क्या आधार है कि श्रृष्टि कर्ता जो कि अदृश्य है। ये उसी के ज्ञान की सत्यता को बता रहे हैं।।
केवल उन ज्ञानियों के ज्ञान का आधार, नियम सिद्धांत प्रमाण दे दो कि हम जान जाए कि उनकी बात सत्य पर आधारित है।।
यदि तुम ज्ञानियों की सत्यता का आधार उनका आचरण संस्कार जड़ी बूटियों का ज्ञान आदि बताते हो? तो बिना आधार बिना प्रत्यक्ष प्रमाण के वह तुम्हारी बात चलेगी नहीं?? क्यूंकि ऐसे आचरण संस्कार जड़ी बूटियों आदि ज्ञान एक नास्तिक की भी हो सकते हैं जोकि श्रृष्टि कर्ता को मानता नहीं है???
🙏🙏🙏
Uh
आप वसाने की बात कर रहे थे पर चलाने की कर रहे है
❤👌👌👌💯🙏🙏🙏
आचार्य जी नमस्ते। बहुत अच्छी प्रस्तुति। कृपया विवाह संस्कार पर भी एक विडियो बनाएं।
namaste . Neoal se moti
Gyan ko jaan kyo bolte hai
जय श्री राधे कृष्ण🙏🙏
Very Nice 👍👍👍 Ramchand Goyal Ballabgarh
ओम आचार्य जी
अगर इस तरह के विचार सभी जगह सूनाया जाए तो अवश्य बदलाव आ सकता है। आप आर्य को जगह -2जाकर विचार व्यक्त किए जाना चाहिए। ज्यादा तर गांवों में जाना चाहिए। क्योंकि गांवों में बोली भाली जनता होती है ।उनको हर कोई गुमराह कर रहे होते हैं।