netaam patari chattaa raja itihaas saamaajik and rajnitik tathya video no-126(lingo tv jangom media)

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  • เผยแพร่เมื่อ 21 ก.ย. 2024
  • गोंडवाना माइथोलाजी में नेताम गोत्र की वंशावली टोटम व्यवस्था ही मुल पहचान है कोया वंशीय गंड जीवों के समुदाय की सगा घटक में विभाजित सामाजिक संरचना सगा सावरी वृक्ष के बारह पत्तियों की संरचना के सामान है जिस तरह एक वर्ष में बारह माह होते है जिस तरह एक आकाश गंगा में बारह ग्रह अपनी कक्षा में परिक्रमा करते है ठीक उसी तरह कोया वंशीय गंड जीवों के गोंदोला (समुदाय )की बारह सगाओ में संरचित सामाजिक व्यवस्था है,जो सामुदायिक मूल्यों के अनुसार संचालित होती है | जिस तरह सात रंगों से युक्त वर्षा ऋतू के समय आकाश में दृष्टि गोचर होने वाला वर्षा धनुष होता है जो सूर्य के श्वेत रंग में समाहित सात रंगों का प्रतिक है ठीक उसी तरह कोया वंशीय गंड जीवों के समुदाय के सात सगाओ को परिलक्षित करने वाला सप्तरंगी ध्वज होता है जिस पर से सात दिनों का सप्ताह बना है सात पर्वतीय मालाये और सात समुन्दर भी कोया वंशीय गोंडी वेन गंड जीवों के गोंदोला व्यवस्था के प्रतिक है | जिस प्रकार पांच पर्वतीय मालाओं का पंच मडी पांच पंचो तत्वों का गंड जीव बनता है उसी तरह कोया वंशीय गोंडी वेन गंड जीवों के गोंदोला व्यवस्था के पांच मुठ्वा है | पांच खंडो के संयुक्तीकरण से एक गंडा (संच )बनकर इस धरती माता की रचना हुई है गंडो दाई (धरती माता )के गंड जीवों (संतानों )की पहचान एक गोंदोला (समुदाय )में होती है गोंडी वेन समुदाय के गंड जीवों की भूमि गोंडवाना बनी है गंडो दाई की कोया से जन्म लेते है इसलिए कोया वंश बना है |गंडो दीप कोया वंशीय गंड जीवों की सामुदायिक संरचना किस तरह संरचित किया जाय जिससे सम्पूर्ण समुदाय में फैला हुआ असंतोष क्लेश मय जीवन ,अन्याय ,अत्याचार,और अंहकार का समूल निर्मूलन होकर उसमे प्रेम ,बंधुभाव ,समानता ,सहकार्य,एवं सहवास का शांति पूर्ण वातावरण प्रतिस्थापित हो पायेगा इस विषय में सत्यज्ञान का साक्षात्कार पाहन्दी पारी कुपार लिंगो को उसकी बौद्धिक ज्ञान चक्षुओं के माध्यम से सगा सावरी वृक्ष के पत्तियों की संरचना और पुर्वाकुंडा (पोतुकुंडा )अर्थात सूर्यमाला के ग्रहों की स्थिति से हुआ अपने साक्सात्कारित ज्ञान प्रकाश के अनुसार यदि सम्पूर्ण गंडो दीप के कोया वंशीय गंड जीवों को उनके आनुवांशिक गुणों के आधार पर सगायुक्त शाखाओं में विभाजित किया गया और उनमे प्रकृति के संल्ला गांगरा पूना ऊना परस्पर विरोधी गुण शक्तियों में आपसी क्रिया प्रक्रियात्मक सम्बन्ध के अनुसार सम विषम अनुवांशिक गुण धारक सगा घटक में अनुच्छेदित पारी सम्बन्ध प्रतिस्थापित किये गए तो प्रकृति के नियमो के अनुसार सभी कोया वंशीय गंड जीव एक दुसरे के सगा भाई और सगा पारी (सम्बंधि)के रूप में जुड़ जायेंगे और उनके क्रिया प्रक्रिया से जो नवजीव सत्व प्रजनित होंगे वे सबल और बुद्धिमान होंगे सम गुण धारि जीव गंडो में पारी सम्बन्ध प्रतिस्थास्पित होकर जो निर्बल और शारीरिक रूप से अपंग जीव सत्वों का प्रादुर्भाव होता है उसमे प्रतिबन्ध आ जाएगा उसी तरह आपसी लड़ाई झगड़ों से उनसे सामुदायिक जीवन का दायरा जो सिमित हो गया था और आपस में ही वैवाहिक सम्बन्ध प्रतिस्थापित हो रहे थे उस पर प्रतिबन्ध लग जायेगा और सभी को अपने विषम गुण धारी सगाओं से वैवाहिक सम्बन्ध प्रतिस्थापित करने हेतु एक गंड राज्य से दुसरे गंड राज्य में एक समुदाय से दुसरे समुदाय में एक कोट से दुसरे कोट में एक सगा गोत्र से दुसरे सगा गोत्र में ,और एक कस्बे से दुसरे कस्बे में जाना होगा जिससे उनमे सगा सम्बन्ध प्रतिस्थापित होकर वे सभी एक ही समुदाय के अंग बन जायेंगे और उनमे वैमनस्य निर्माण हो चूका है वह समूल मिट जाएगा जिस प्रकार सभी ग्रह अपने आस शक्ति से अपनी अपनी कक्षा में परिक्रमा करते है उनमे कभी आपसी टकराव नहीं होता उसी प्रकार सगा घटक पहांदी पारी कुपार लिंगो के सामुदायिक जीवन चक्र में केन्द्रीभूत होकर अपने कक्ष में अपने अपने मार्ग पर परिक्रमा कर आपस में विषम सगाओं से पारी सम्बन्ध प्रतिस्थापित कर शांतिपूर्ण सामुदायिक जीवन का लाभ उठा पाएंगे गोंडवाना भूखंड में गोंडवाना वासी कोया सगा समाज में कोयतुरीयन-दाईनोरबीर द्रविड़ बोधचिन्ह थे यहाँ पर निम्नांकित तथ्य है -- नेताम नय-ताह्का-मड़ा ,बेहड़ा पेड़ ,कुत्ता पशु ,कछुआ जंतु ,टेकाम-टेक मड़ा सागौन पेड़ लाल पिटटे पक्षी ,कछुआ जंतु ,मरकाम-मरका मड़ा,आम पेड़,आत्राम आत्रा मड़ा ककई पेड़ ,कंगाली-बरगद पेड़,ताराम-ताड़ मड़ा ताड़ का पेड़,मलगाम - कुचला पेड़,ओटी ओली -कासी पेड़,पोर्ते-गोंगलमर्रा सरई पेड़,उइके -खैर पेड़,धुरवा - साल्हे पेड़,मंडावी - चारोली पेड़ ,कुंजाम -लौकी कुम्हड़ा बेला ,ओकडे -ओरिया पेड़,पुरार वंशीय -छोटा कबूतर,नालेंज वंशीय-सारस पक्षी,रावन वंशीय - साईंगामाली पक्षी,काकतेयवंशीय-कौआ पक्षी,कछवाह वंशीय - कछुआ जंतु ,सोडूम वंशीय - सिंह जंतु नन्दई -वृषभ वंशीय -बैल पशु ,यदु वंशीय - गाय पशु,राहुड वंशीय - शेर जंतु,सहुनाल सुंगई वंशीय - सोनकुत्ता जंतु परमार वंशीय चिता जंतु चंदेल वंशीय -चंदिया खरगोश जंतु ,गंग वंशीय - शंख जंतु,हयय वंशीय -सियार जंतु नाग वंशीय - नाग जंतु गुप्त वंशीय - दीमक कीड़े , ,कलचुरी वंशीय - गिलहरी जंतु ,गदमीनवंश - मछली जंतु , मौर्य -मल वंशीय - मोर पक्षी ,वकाटक वंशीय - जंगली बिल्ली पशु ,सिरीसतवावंशीय - मिठ्ठू तोता पक्षी ,चोल वंशीय - लोमड़ी जंतु ,आदि गंड जीव गण बोध चिन्ह रहा है इस तरह टोटम के अनुसार से पहचाने जाते थे कोया वंशीय गोंड समुदाय के गंडजीवों का जीवन मूल्यों के अध्ययन से यह दर्शन होता है कि वे अपने व्यवहार में प्रलोभन प्रवृति को कभी हावी नहीं होने देते | उनका स्वभाव गुणधर्म ही संतोषजनक होता है | उनके पास जो कुछ भी जीवनोपयोगी साधन होते है | उसी में ही सन्तुष्ट रहते है | उनमें किसी भी वस्तु को पाने की लालसा नही होती | वे अपनी मर्यादा के बाहर जाकर कभी कोई कार्य नहीं करते उनका सगा सामुदायिक दर्शन एसा है की उन्हें विशेष मर्यादाओं में सिमित रहने की शिक्षा प्रदान करता है वे कभी किसी पर क्रोध नहीं करते है वे हर पल प्रेमभाव से ही सगा के साथ अपना करते है

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