जब सुनहरी मस्जिद पहुंचा नादिर शाह | When Nadir Shah reached Sunehri Masjid
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- เผยแพร่เมื่อ 26 ก.ย. 2024
- सुन्हेरे गुम्बद से ढ़की ये मस्जिद, भारतीय इतिहास के सबसे दर्दनाक क़िस्सों में से एक की गवाह रही है| ये दिल्ली के मशहूर चांदनी चौक में मौजूद, सुनहरी मस्जिद है, जहां से ईरानी हमलावर नादिर शाह ने सन 1739 में दिल्ली के नरसंहार को अंजाम दिया था|
यहाँ, एक छोटी-सी सीढ़ी मस्जिद के संगमर्मर से बने आंगन तक ले जाती है , जहाँ तीन गुम्बदों की सीध पर नमाज़ पढने के तीन दालान बने हुए हैं, जो सिर्फ नमाज़ के वक़्त ही खुलते हैं|
सुन्हेरी मस्जिद, सन 1721 में मुग़लों के एक वफ़ादार रौशानउद्दौला ज़फ़र खां ने मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह के शासनकाल में बनवाई थी | ये दौर अट्ठारहवीं शताब्दी का था, जब मुग़ल सल्तनत अपने पतन की ओर बढ़ रही थी| फिर भी भारत की दौलत और शान-शौकत दुनियाभर में मशहूर थी| उस ज़माने के मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह, अपने राजपाठ से कहीं ज़्यादा अपनी अय्याशियों में व्यस्त रहते थे । अपने इसी मिज़ाज की वजह से उनको “रंगीले शाह” भी कहा जाता था| किसी ने सोचा भी नहीं होगा, कि उनका ये मिज़ाज ही उनकी सल्तनत के पतन की वजह बनेगा!
दूसरी ओर था ईरान का राजा नादिर शाह, जो अफ़शारी सल्तनत की स्थापना करने के बाद, मध्य और पश्चिम एशिया में अपने पाँव पसार रहा था| सन 1738 में क़ंदहार पर क़ब्ज़ा जमाने के बाद, नादिर ने भारत की ओर रुख़ किया| ख़ज़ानों पर नज़र के साथ-साथ, नादिर को मालूम हुआ, कि मुग़लिया सल्तनत अब कमज़ोर होती जा रही थी|
सबसे बड़ी बात ये थी, कि अफगानों के खिलाफ अपनी जंग के दौरान, नादिर के कहने पर मुहम्मद शाह ने राज़ी होने के बाद भी काबुल में अपने सल्तनत की सरहदें, बंद नहीं करवाईं| जिसके कारण नादिर को वक़्त, और यहाँ तक संसाधनों की बर्बादी का सामना करना पड़ा|
सन 1738 के अंत में नादिर ने भारत की सरहदें पार कीं। उसके बाद 24 फ़रवरी सन 1739 को उसने करनाल में मुग़ल फ़ौज पर फ़तह हासिल की। मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह के दो वफ़ादारों- सआदत खां और निज़ाम-उल- मुल्क ने नादिर के सामने हथियार डाले और उन्होंने नादिर को दिल्ली की ओर कूच करने और मोहम्मद शाह से भारी रक़म वसूल करने की सलाह दी| 20 मार्च सन 1739 को नादिर दिल्ली के लाल क़िले में दाखिल हुआ, जहां मुहम्मद शाह ने पूरे सम्मान के साथ उसकी ख़ातिर-तवाज़ोह भी की| तब नादिर, दिल्ली में क़त्लेआम के इरादे से नहीं आया था|
कहा जाता है, कि जब नादिर लाल क़िले के अन्दर था, तब उसके सैनिक चांदनी चौक की गलियों में टहल रहे थे| उस दौरान अफ़वाह फैली, कि नादिर क़िले के अन्दर मारा गया। यह अफ़वाह सुनकर चांदनी चौक के निवासियों ने नादिर के सैनिकों पर हमला बोल दिया| कुछ लोगों ने नशे में इस हमले को अंजाम दिया था| इस हमले में कई ईरानी सैनिक मारे गए थे| जब नादिर को इस बात का पता चला, तब वो चांदनी चौक होते हुए, सुनहरी मस्जिद में गया और उसके सोने के गुम्बदों पर खड़े होकर, उसने दिल्ली के लोगों के क़त्ल-ए-आम का हुक्म दे दिया| कई घंटों बाद, मुहम्मद शाह ने, नादिर से रहम की भीख मांगीं तब उस क़त्ल-ए-आम पर रोक लगाई गई|
माना जाता है, कि इस नरसंहार में शाहजहानाबाद के क़रीब 30 हज़ार निवासियों ने जानें गंवाईं| इसके दो महीने बाद, तख़्त-ए-ताऊस, कोहिनूर हीरे के साथ-साथ सोना, चांदी और कई बेशक़ीमती सामान के साथ, नादिर वापस चला गया | इस लूट ने नादिर को इतना अमीर बनाया दिया था, कि उसने अपनी ईरानी प्रजा के लिए तीन साल तक का लगान माफ़ कर दिया था|
आज ये मस्जिद, चांदनी चौक में, रोज़मर्रा के शोर-शराबे के बीच ख़ामोश तो खड़ी है, लेकिन फिर भी उस दर्दनाक हादसे की याद दिलाती रहती है|
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Nader Shah Alamgir zaindabad 🇮🇷
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Fake history
Shia Zindabad. Brave Shia King Nader Shah made the Sunni Mughal Empire and it's Emperor wet his Pants. 😎
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