स्वर्णाकर्षण भैरव साधना विधि | Swarnakarshan Bhairav Sadhana Method.

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  • เผยแพร่เมื่อ 20 ธ.ค. 2023
  • स्वर्णाकर्षण भैरव साधना विधि | Swarnakarshan Bhairav Sadhana Method.‎@bhairavdhamsarkar
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    स्वर्णाकर्षण भैरव
    कैसे करें स्वर्णाकर्षण भैरव
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    स्वर्णाकर्षण भैरव काल भैरव का सात्त्विक रूप हैं, जिनकी पूजा धन प्राप्ति के लिए की जाती है। यह हमेशा पाताल में रहते हैं, जैसे सोना धरती के गर्भ में होता है। इनका प्रसाद दूध और मेवा है। यहां मदिरा-मांस सख्त वर्जित है। भैरव रात्रि के देवता माने जाते हैं। इस कारण इनकी साधना का समय मध्य रात्रि यानी रात के 12 से 3 बजे के बीच का है। इनकी उपस्थिति का अनुभव गंध के माध्यम से होता है। शायद यही वजह है कि कुत्ता इनकी सवारी है। कुत्ते की गंध लेने की क्षमता जगजाहिर है।
    इनके साधना से अष्ट-दारिद्य्र समाप्त हो सकता है। जो साधक इनका साधना करता है,उसके जिवन मे कभी आर्थिक हानी नही होती एवं सिर्फ आर्थिक लाभ देखने मिलता है। इनके यंत्र का फोटो दे रहा हू,थोड़ा ठिक से देखिये “इसमे चित्र और यंत्र साथ मे है,यंत्र के उपर स्वर्ण पालिश है “। बाकी लोग यंत्र बेचने के नाम पर कुछ भी दे देते है परंतु यंत्र शुद्ध,चैतन्य,प्राण-प्रतिष्ठित होना जरूरी है। इस साधना मे जितना महत्व मंत्र का है उतना ही महत्व यंत्र का है। स्वर्णाकर्षण भैरव यंत्र स्थापन करने से बहोत सारे लाभ है,जिनको यहा पर लिखना भी सम्भव नही है।
    साधना विधि:-सर्वप्रथम रात्री मे 11 बजे स्नान करके उत्तर दिशा मे मुख करके साधना मे बैठे।पिले वस्त्र-आसन होना जरुरी है। स्फटिक माला और यंत्र को पिले वस्त्र पर रखे और उनका सामान्य पुजन करे। साधना सिर्फ मंगलवार के दिन रात्री मे 11 से 3 बजे के समय मे करना है। इसमे 11 माला मंत्र जाप करना आवश्यक है। भोग मे मिठे गुड का रोटी चढाने का विधान है और दुसरे दिन सुबह वह रोटी किसी काले रंग के कुत्ते को खिलाये,काला कुत्ता ना मिले तो किसी भी कुत्ते को खिला दिजीये । सुशिल नरोले के तरफ से आपको पुर्ण विधि-विधान समजाया जा रहा है,ताकी साधना मे आपसे कोइ गलती ना हो ।
    दहिने हाथ मे जल लेकर विनियोग मंत्र बोलकर जमिन पर छोड़ दिजीये ।
    विनियोग -
    ।। ॐ अस्य श्रीस्वर्णाकर्षणभैरव महामंत्रस्य श्री महाभैरव ब्रह्मा ऋषिः , त्रिष्टुप्छन्दः , त्रिमूर्तिरूपी भगवान स्वर्णाकर्षणभैरवो देवता, ह्रीं बीजं , सः शक्तिः, वं कीलकं मम् दारिद्रय नाशार्थे विपुल धनराशिं स्वर्णं च प्राप्त्यर्थे जपे विनियोगः।
    अब बाए हाथ मे जल लेकर दहिने हाथ के उंगलियों को जल से स्पर्श करके मंत्र मे दिये हुए शरिर के स्थानो पर स्पर्श करे।
    ऋष्यादिन्यासः
    श्री महाभैरव ब्रह्म ऋषये नमः शिरसि।
    त्रिष्टुप छ्न्दसे नमः मुखे।
    श्री त्रिमूर्तिरूपी भगवान
    स्वर्णाकर्षण भैरव देवतायै नमः ह्रदिः।
    ह्रीं बीजाय नमः गुह्ये।
    सः शक्तये नमः पादयोः।
    वं कीलकाय नमः नाभौ।
    मम्‍ दारिद्रय नाशार्थे विपुल धनराशिं
    स्वर्णं च प्राप्त्यर्थे जपे विनियोगाय नमः
    सर्वांगे।
    मंत्र बोलते हुए दोनो हाथ के उंगलियों को आग्या चक्र पर स्पर्श करे। अंगुष्ठ का मंत्र बोलते समय दोनो अंगुष्ठ से आग्या चक्र पर स्पर्श करना है।
    करन्यासः
    ॐ अंगुष्ठाभ्यां नमः।
    ऐं तर्जनीभ्यां नमः।
    क्लां ह्रां मध्याभ्यां नमः।
    क्लीं ह्रीं अनामिकाभ्यां नमः।
    क्लूं ह्रूं कनिष्ठिकाभ्यां नमः।
    सं वं करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः।
    अब मंत्र बोलते हुए दाहिने हाथ से मंत्र मे कहे गये शरिर के भाग पर स्पर्श करना है।
    हृदयादि न्यासः
    आपदुद्धारणाय हृदयाय नमः।
    अजामल वधाय शिरसे स्वाहा।
    लोकेश्वराय शिखायै वषट्।
    स्वर्णाकर्षण भैरवाय कवचाय हुम्।
    मम् दारिद्र्य विद्वेषणाय नेत्रत्रयाय वौषट्।
    श्रीमहाभैरवाय नमः अस्त्राय फट्।
    रं रं रं ज्वलत्प्रकाशाय नमः इति दिग्बन्धः।
    अब दोनो हाथ जोड़कर ध्यान करे।
    (ध्यान मंत्र का उच्चारण करें। जिसका हिन्दी में सरलार्थ नीचे दिया गया है। वैसा ही आप भाव करें।)
    ॐ पीतवर्णं चतुर्बाहुं त्रिनेत्रं पीतवाससम्।
    अक्षयं स्वर्णमाणिक्य तड़ित-पूरितपात्रकम्॥
    अभिलसन् महाशूलं चामरं तोमरोद्वहम्।
    सततं चिन्तये देवं भैरवं सर्वसिद्धिदम्॥
    मंदारद्रुमकल्पमूलमहिते माणिक्य सिंहासने, संविष्टोदरभिन्न चम्पकरुचा देव्या समालिंगितः।
    भक्तेभ्यः कररत्नपात्रभरितं स्वर्णददानो भृशं, स्वर्णाकर्षण भैरवो विजयते स्वर्णाकृति : सर्वदा॥
    मंत्र :-
    ॐ ऐं क्लां क्लीं क्लूं ह्रां ह्रीं ह्रूं स: वं आपदुद्धारणाय अजामलवधाय लोकेश्वराय स्वर्णाकर्षण भैरवाय मम् दारिद्रय विद्वेषणाय ॐ ह्रीं महाभैरवाय नम:।
    om aim klaam kleem klum hraam hreem hoom sah vam aapaduddhaaranaay ajaamalawadhaay lokeshwaraay swarnaakarshan bhairawaay mam daaridrya vidhweshanaay om hreem mahaabhairawaay namah
    🚫 मंत्र जाप लगभग सवा लाख पूरा करना है उसके बाद उसका दशांश अर्थात 10% हवन करना अनिवार्य है!
    अब क्षमा प्रार्थना करते हुए भैरवजी से आशिर्वाद मांगें।
    इतना विधान करने के बाद आपके समस्त प्रकार के आर्थिक समस्या से आपको राहत मिलेगा। यंत्र को पुजा स्थान मे ही स्थापित रहेने दे और नित्य यंत्र का दर्शन करे।

ความคิดเห็น • 3

  • @user-bo8xl5vp9g
    @user-bo8xl5vp9g 5 หลายเดือนก่อน +2

    Jai sri Jay Shri Jay Shri Bharav bhairavnath❤ Har Har Mahadev ❤ Dhanyvad ❤

  • @user-sc4gl1kf7c
    @user-sc4gl1kf7c 5 หลายเดือนก่อน +2

    Jay shri bhairav

  • @user-kx1ez8cl2t
    @user-kx1ez8cl2t 5 หลายเดือนก่อน +1

    जय श्री भैरव