राम रहीम जी जो नाम दीक्षा देते है वो पूर्ण नही है जो सावन सिंह जी महाराज पांच नाम संगत को देते थे वो इन्हें उनसे प्राप्त नही हुए। इन्होंने अपनी मर्जी से अलग तीन नाम बना कर संगत को देना आरम्भ कर दिया । जो कि गुर मर्यादा के विरुद्ध होने मोक्ष दायक नही है। अपना जीवन स्वयं बचाएँ।
पूर्ण संत अपनी मर्जी का मालिक होता है, उसको परमात्मा की तरफ से अधिकार होता है, वो चाहे तों शिर्फ नजरों से ही सतलोक दिखा दे,नाम दीक्षा के बिना भी,ये उसकी मर्जी होती है जी
@spinsan7 जो टीचर 2+2 का उत्तर 4 करता है वो सही टीचर हैऔर जो कोई कहे मेरा टीचर पूर्ण है वो 2+2 5 करता अपनी मर्जी का मालिक है वो टीचर सही नही है बच्चे की शिक्षा खराब कर देगा सो मेरे भाई एक अपनी मत होती है उसको मनमत कहते है दूसरी गुर मत होती है उसको सन्त मत में गुरमत कहते है। राम रहीम जी अपनी मनमर्जी से नाम दीक्षा देते है जब कि महाराज सावन सिंह जी अपने गुरु बाबा जैमल सिंह की मत अनुसार पांच नाम देते थे । पांच शब्द धुनकर धुन तह बाजे सब्द निसान तो बानी में लिखा परन्तु कही तीन शब्द धुनकार धुन कही नही लिखा। सो इस बानी से सिद्ध होता है कि साधना मन्त्र मनमुखि है जो गुरूसीडी से चके है। जिससे साधक सतलोक नही जा सकता।
धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा जी ❤❤
Dhan dhan sat guru ji🌹🌳🙏 tera he🌳🙏🌹 aasra
I love you my MSG PAPA Ji ❤️🙏
Manju insa dhan dhan satguru tera hi aasra ❤
Dhan dhan satguru tera hi aasra ji
DHAN DHAN SATGURU TERA HI AASRA
🙏🙏
राम रहीम जी जो नाम दीक्षा देते है वो पूर्ण नही है जो सावन सिंह जी महाराज पांच नाम संगत को देते थे वो इन्हें उनसे प्राप्त नही हुए। इन्होंने अपनी मर्जी से अलग तीन नाम बना कर संगत को देना आरम्भ कर दिया । जो कि गुर मर्यादा के विरुद्ध होने मोक्ष दायक नही है। अपना जीवन स्वयं बचाएँ।
पूर्ण संत अपनी मर्जी का मालिक होता है, उसको परमात्मा की तरफ से अधिकार होता है, वो चाहे तों शिर्फ नजरों से ही सतलोक दिखा दे,नाम दीक्षा के बिना भी,ये उसकी मर्जी होती है जी
@spinsan7 जो टीचर 2+2 का उत्तर 4 करता है वो सही टीचर हैऔर जो कोई कहे मेरा टीचर पूर्ण है वो 2+2 5 करता अपनी मर्जी का मालिक है वो टीचर सही नही है बच्चे की शिक्षा खराब कर देगा सो मेरे भाई एक अपनी मत होती है उसको मनमत कहते है दूसरी गुर मत होती है उसको सन्त मत में गुरमत कहते है। राम रहीम जी अपनी मनमर्जी से नाम दीक्षा देते है जब कि महाराज सावन सिंह जी अपने गुरु बाबा जैमल सिंह की मत अनुसार पांच नाम देते थे । पांच शब्द धुनकर धुन तह बाजे सब्द निसान तो बानी में लिखा परन्तु कही तीन शब्द धुनकार धुन कही नही लिखा। सो इस बानी से सिद्ध होता है कि साधना मन्त्र मनमुखि है जो गुरूसीडी से चके है। जिससे साधक सतलोक नही जा सकता।
Dhan Dhan satguru Tera hi aasra❤❤❤❤❤❤❤
Dhan Dhan satguru Tera hi aasra
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Dhan Dhan satguru tera hi aasra 🙏