माता चंडिका बागेश्वर Chandika Mandir Bageshwar Uttarkhand

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  • เผยแพร่เมื่อ 2 ธ.ค. 2024
  • भीलेश्वर पहाड़ी (Bhuleshwar) पर स्थित माता चंडिका (Chandika Mandir) को बागेश्वर (Bageshwar) की नगरदेवी का दर्जा प्राप्त है. माता चंडिका (Mata Chandika) को चंद शासकों के कुल पुरोहित पांडेय वंशजों ने चंपावत से यहां लाकर स्थापित किया था. वर्षभर जिले के भक्तजन माता के दरबार में आकर पूजा-अर्चना करते हैं. शारदीय और चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri) में मंदिर में भक्त अधिक संख्या में आते हैं. इस दौरान भजन-कीर्तन कर मां चंडिका की आराधना की जाती है.
    क्या है मान्यता
    चंडिका माता को मूल रूप से चंपावत का माना जाता है. वर्ष 1698 से 1701 में चंद राजाओं के शासनकाल में उनके कुल पुरोहित रहे सिमल्टा (चंपावत) गांव के पंडित श्रीराम पांडेय चंडिका देवी और गोल्ज्यू को लेकर बागेश्वर आए थे. ताम्र पत्र और शिलालेख में अंकित जानकारी के अनुसार भीलेश्वर पर्वत पर माता चंडिका का छोटा मंदिर (‌थान) बनाया गया. जिसके कुछ दूरी पर गोल्ज्यू की स्थापना की गई. जिन्हें अब चौरासी गोल्ज्यू के नाम से जाना जाता है. पांडेय वंशजों ने मंदिर के समीप चौरासी गांव को अपनी निवास स्थली बनाया और यहीं बस गए. जिसके बाद से पांडेय वंशजों की पीढ़ी चंडिका मंदिर के पुजारी के रूप में मां की सेवा कर रही है.
    बागेश्वर की नगरदेवी हैं माता चंडिका, चंद शासकों से जुड़ा है इतिहास उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के भीलेश्वर पहाड़ी पर स्थित माता चंडिका का मंदिर है. माता चंडिका को बागेश्वर की नगरदेवी कहा जाता है. यहां वर्ष भर भक्तजनों का तांता लगा रहता है. शारदीय और चैत्र नवरात्र में मंदिर में भक्त भजन-कीर्तन कर मां चंडिका की आराधना करते हैं कब हुआ मंदिर का नवीनीकरण
    कालांतर में समय बदला और बागेश्वर का भी विकास होता गया. पांडेय वंशजों के अलावा नगर और जिले के अन्य लोगों की आस्था भी चंडिका देवी में बढ़ने लगी. क्षेत्रवासियों ने महिषासुर मर्दिनी के नाम से विख्यात चंडिका मंदिर की पूजा नगरदेवी के रूप में शुरु कर दी. वर्ष 1985 में मंदिर के नवीनीकरण को लेकर विचार विमर्श शुरु हुआ. नगरवासियों ने मंदिर में निर्माण कार्य कराने के लिए कमेटी के गठन का विचार किया.
    कब मदिर का निर्माण
    सर्वसम्मति से 1988 में चंडिका मंदिर कमेटी का गठन किया गया. कमेटी की देखरेख में 90 के दशक में चंडिका माता का भव्य मंदिर निर्माण किया गया. जिसके बाद मंदिर परिसर का विस्तार, मंदिर के समीप विश्राम गृह की स्थापना, मंदिर परिसर में चाहरदीवारी निर्माण, मंदिर तक सड़क निर्माण आदि कार्य कराए जा चुके हैं. वर्तमान में यहां मां च‌ंडिका के अलावा मां चामुंडा, माता कालिका, संतोषी माता, महावीर हनुमान, लांगुड़ावीर, क्षेत्रपाल और भेलू देवता के मंदिर स्थापित हैं. मंदिर की देखरेख का कार्य कमेटी जबकि पूजा अर्चना की जिम्मेदारी चौरासी के पांडेय वंशजों के पास है

ความคิดเห็น • 9

  • @nitinbishtkomauni1284
    @nitinbishtkomauni1284 ปีที่แล้ว +1

    Jai mata di🙏🙏🙏🙏

  • @deepakbhatt-jf3ql
    @deepakbhatt-jf3ql ปีที่แล้ว +1

    जय माता दी

  • @archanakandpal5904
    @archanakandpal5904 ปีที่แล้ว +1

    🙏🏻🙏🏻

  • @bablujoshi1791
    @bablujoshi1791 ปีที่แล้ว +1

    🙏 जय मां चंडिका आपकी भक्तों पर सदा कृपा बनी रहें।

    • @ravibisht7073
      @ravibisht7073 ปีที่แล้ว

      जय माँ भवानी आप पर माँ की कृपा बनी रहे ।।

  • @gopalgirigoswami4945
    @gopalgirigoswami4945 ปีที่แล้ว +1

    Jai ho chandika maa sabka kalyan karna Sundar Prashtuti ji

  • @hemajoshi1010
    @hemajoshi1010 ปีที่แล้ว +1

    Bhut sunder

    • @ravibisht7073
      @ravibisht7073 ปีที่แล้ว

      मातारानी आपको सदैव प्रसन्न रखें । जय माँ भवानी ।।

  • @devbhoomivlogsuttrakhand3777
    @devbhoomivlogsuttrakhand3777 ปีที่แล้ว +1

    🙏🙏🙏🙏