{सत साहेब} पूर्ण परमात्मा परम अक्षर ब्रह्म श्री सद्गुरु श्री कबीर साहेब जी के चरणों में बारंबार प्रणाम। ------- 1. तीन देव की भग्ती में, भूल पड़ियो संसार। कहे कबीर निज नाम बिना, कैसे उतरें पार।। -------- 2. जेता मीठा बोलता, तेतां संत न होय। खरी खरी जो कहत है, संत कहावे सोय। {सत साहेब} =================== 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 ===================
पूर्ण मोक्ष पूर्ण गुरु से शास्त्रानुकूल भक्ति प्राप्त करके ही संभव है जो कि विश्व में वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी के अतिरिक्त किसी के पास नहीं है।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य विश्व में प्रेम व शांति स्थापित करना व कुरीतियों, पाखंडवाद, नशा, दहेज प्रथा आदि को समाप्त करके सबको एक परमात्मा की भक्ति करवाकर सुखी बनाना और पूर्ण मोक्ष देना है।
जगतगुरु तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज जी इस सम्पूर्ण ब्रह्मांड में एक मात्र सतगुरु है इनसे नाम दीक्षा लेकर कबीर परमेश्वर की भगति से मनुष्य का जीव का कल्याण होगा। सत साहेब जी
जहाँ दया तहाँ धर्म है,जहाँ लोभ तहाँ पाप । जहाँ क्रोध तहाँ पाप है, जहाँ क्षमा तहाँ आप ॥ अर्थ : जहाँ दया-भाव है, वहाँ धर्म-व्यवहार होता है। जहाँ लालच और क्रोध है वहाँ पाप बसता है। जहाँ क्षमा और सहानुभूति होती है, वहाँ भगवान् रहते हैं।
जिन मोकु निज नाम दिया सोय सतगुरु हमार दादु दुसरा कोई नहीं ये कबीर सिरजनहार तीन चरण चिन्तामणी साहेब, शेष बदन पर छाए माता पिता, कुल न बन्धु, ना किन्हे जननी जाये
वेदों में प्रमाण है कबीर साहिब भगवान हैं अगर नहीं मानते हो तो देख लो अपने सत ग्रंथ खोल खोल के परमात्मा ने आकर सब कुछ बता दिया है मालिक का ज्ञान सुनने के लिए रात्रि 7:30 बजे अवश्य देखें साधना जी
बन्दी छोड़ की दया से आज हम सभी भगत आत्माओं को परमात्मा का ये निर्मल ज्ञान सुनने को मिला है। बन्दी छोड़ से हाथ जोड़ कर यही मागते हैं की हे मालिक आपका ये निर्मल ज्ञान और आपकी भक्ति का दान आपके दासो को इसी प्रकार मिलता रहे। बन्दी छोड़ जगत गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी की जय हो। सतगुरु देव जी की जय हो। सत् साहेब जी।
संत रामपाल जी महाराज सभी पहलुओं में पूर्ण संत हैं, उनकी शिक्षा हमारी पवित्र पुस्तकें पर आधारित है। सभी को साधना चैनल पर 7:30 बजे अपने सत्संग सुनना चाहिए
कबीर गुर सो ज्ञान लीजिये शीश दीजिये दान बहुतक भोंदू बहे राखि जीव अभिमान । मैं रोऊँ इस सृष्टि को, ये सृष्टि रॉय मोहे। कह कबीर इस वियोग को, समझ नही सकता कोय।। جیون تو تہوڑا ھی لاکھ ورش کا جیونا لی
आपा तजे हरि भजे, नख सिख तजे विकार । सब जीवन से निर्भैर रहे, साधू मता है सार ॥ जो व्यक्ति अपने अहम् को छोड़कर, भगवान् कि उपासना करता है, अपने दोषों को त्याग देता है, और किसी जीव-जंतु से बैर नहीं रखता, वह व्यक्ति साधू के सामान और बुद्धिमान होता है।
कर जोरू विनती करू, धरु चरण पर शीश।
गुरुजी रामपाल जी महाराज ने, दियो नाम बक्शीश।।
सतगुरु बिन माला फेरते,सतगुरु बिन देते दान।
सतगुरु बिन दोनों निष्फल है, चाहे पूछो वेद पुराण।।
Bandi chhod satguru Rampal Maharaj ki Jay Ho 🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏🌹🌹🌹🌹
सतगुरुदेव के चरणों में कोटि कोटि दंडवत प्रणाम
Bandi chhod satguru rampal Maharaj ki Jay 👏🪔👏🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔
कबीर सब जग निर्धना धनवंता ना कोई धनवंता सो जानिय राम नाम धन हो य
{सत साहेब}
पूर्ण परमात्मा परम अक्षर ब्रह्म श्री सद्गुरु श्री कबीर साहेब जी के चरणों में बारंबार प्रणाम।
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1. तीन देव की भग्ती में, भूल पड़ियो संसार।
कहे कबीर निज नाम बिना, कैसे उतरें पार।।
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2. जेता मीठा बोलता, तेतां संत न होय।
खरी खरी जो कहत है, संत कहावे सोय।
{सत साहेब}
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गुण तीनों की भक्ति में भूल पड़ीयो संसार कह कबीर निज नाम बिना कैसे उतरे पार
बनदीछोड जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी भगवान की जय हो आप जी के चरणों कोटि कोटि दंडवत प्रणाम है मालिक संत साहेब 😂😂😂😂😂❤❤❤
गुरु गोविंद दोनों खडे काके लागू पाय बलिहारी गुरु देव आपका जन्म गोविंद दियो मिलाय
कर जोड़ें विनती करूं धरु चरण में शीश सतगुरु रामपालजी महाराज जी ने दिया नाम बख्शीश
कबीर,राम कृष्ण से कौन बड़ा ,उन्हों भी गुरू कीन्ह।
तीन लोक के वे धनी ,गुरू आगे आधीन।।
मैं रोऊँ इस सृष्टि को, ये सृष्टि रॉय मोहे।
कह कबीर इस वियोग को, समझ नही सकता कोय।।
جیون تو تہوڑا ھی بلا جے ست سمرن ھو
لاکھ ورش کا جیونا لی🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟
जय हो बन्दी छोड़ सत गुरू रामपाल जी महाराज की जय हो ।
सत साहेब जी
माया का रस पीय कर हो गये डामाडोल।
ऐसा सतगुरु मिला ज्ञान योग दिया खोल ।।
पूर्ण मोक्ष पूर्ण गुरु से शास्त्रानुकूल भक्ति प्राप्त करके ही संभव है जो कि विश्व में वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी के अतिरिक्त किसी के पास नहीं है।
कबीर भक्ति बिज बिनसे नही आय परै सो झोल जो कंचन विषठा परे घटै न ताको मोल
संत रामपाल जी महाराज पूर्ण परमात्मा के अवतार आए हुए हैं आप सभी संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लो और भक्ति करो
कबीर लहरि समंद की, मोती बिखरे आई।
बगुला भेद न जानई, हंसा चुनी-चुनी खाई।।
कबीर,काल जो पीसे पीसना, जोरा है पनिहार।
ये दो असल मजदूर हैं, मेरे सतगुरु के दरबार।।
बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय हो।।
जय हो बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की
सत साहिब बंदी छोड़ सतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज की जय
नौ मन सूत उलझिया ऋषि रहे झख मार सतगुरु ऐसा सुलझा दे उलझे न दुजी बार। बन्दी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय हो सत साहेब
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य विश्व में प्रेम व शांति स्थापित करना व कुरीतियों, पाखंडवाद, नशा, दहेज प्रथा आदि को समाप्त करके सबको एक परमात्मा की भक्ति करवाकर सुखी बनाना और पूर्ण मोक्ष देना है।
जगतगुरु तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज जी इस सम्पूर्ण ब्रह्मांड में एक मात्र सतगुरु है इनसे नाम दीक्षा लेकर कबीर परमेश्वर की भगति से मनुष्य का जीव का कल्याण होगा।
सत साहेब जी
नौ मन सूत उलझिया ऋषि रहे झक मार सतगुरु रामपाल जी ऐसा सुलझा दे उलझे न दूजी बार
बंदी छोड़ छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय
जहाँ दया तहाँ धर्म है,जहाँ लोभ तहाँ पाप ।
जहाँ क्रोध तहाँ पाप है, जहाँ क्षमा तहाँ आप ॥
अर्थ : जहाँ दया-भाव है, वहाँ धर्म-व्यवहार होता है। जहाँ लालच और क्रोध है वहाँ पाप बसता है। जहाँ क्षमा और सहानुभूति होती है, वहाँ भगवान् रहते हैं।
जिन मोकु निज नाम दिया सोय सतगुरु हमार दादु दुसरा कोई नहीं ये कबीर सिरजनहार तीन चरण चिन्तामणी साहेब, शेष बदन पर छाए
माता पिता, कुल न बन्धु, ना किन्हे जननी जाये
नो मण सुत उलझीया,ये रिषी रहे झकमार । सतगुरू ऐसा सुलझा दे,उलझे ना दुजी बार ।।
कबीर, लख भर सुरा जूजहि, लख भर सावंत देहl
लख भर यति जहान में, तव सतगुरु शरणा लेह ll
साँचा शब्द कबीर का सुनते ही लागे आग ।
अज्ञानी सो जल जल मरे ज्ञानी जाए जाग ।।
अवश्य सुनिए सत्संग
साधना चैनल पर 7:30 से 8:30 तक
Jai ho puran parmeshwar avinashi satpurush puran brahma satguru dev kabir saheb ji ki jai ho❤️🙏🏻❤️❤️
वेदों में प्रमाण है कबीर साहिब भगवान हैं अगर नहीं मानते हो तो देख लो अपने सत ग्रंथ खोल खोल के परमात्मा ने आकर सब कुछ बता दिया है मालिक का ज्ञान सुनने के लिए रात्रि 7:30 बजे अवश्य देखें साधना जी
बंदी छोड सतगुरू देव की जय हो
Bandi chhod satguru Rampal Maharaj ji ki Jay sabhi bhakton ki Jay Ho
सतयुग में सत सुकृत कह टेरा तरेता नाम मुनींद्र मेरा द्वापर में करूणामय कहाया कलयुग नाम कबीर धराया ||
कबीर, हरि के रूठते गुरू के शरण मे जाय कहै कबीर गुरू रूठते हरि नही होत सहाय
सतगुरु रामपाल जी महाराज काे काेटी काेटी प्रणाम कोटि कोटि नमन सत् साहेब
जीव हमारी जाति है ,मानव धर्म हमारा ।हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ,धर्म नही कोई न्यारा ।।
कबीर साथी हमारे चले गये हम भी चालन हार है कोई कागज मे बाकी रह रही ता ते लागी वार
एक लेवा एक देवा दूतं, कोई किसी का पिता ना पूतं।
ऋण संबंध बना एक ठाठा अन्त समय सब बारा बाटा।।
Bandi chhod satguru Rampal Ji Maharaj ki Jai Ho sat sahib ji
कबीर, जब जन्मे नहीं रामचन्द राजा, तब क्या रटती बाजी ।
वेद कुरान कतेब नही थे, तब क्या पढते पण्डित काजी ॥
सतगुरु देव की जय हो
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज के चरणो में कोटि-कोटि दंडवत प्रणाम
बन्दी छोड़ की दया से आज हम सभी भगत आत्माओं को परमात्मा का ये निर्मल ज्ञान सुनने को मिला है। बन्दी छोड़ से हाथ जोड़ कर यही मागते हैं की हे मालिक आपका ये निर्मल ज्ञान और आपकी भक्ति का दान आपके दासो को इसी प्रकार मिलता रहे। बन्दी छोड़ जगत गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी की जय हो।
सतगुरु देव जी की जय हो।
सत् साहेब जी।
सतयुग में सतसुकृत कह टेरा,त्रेता नाम मुनींद्र मेरा ।द्वापर में करुणामय कहाया, कलयुग नाम कबीर धराया।।
जा पल दरसन साधू का, ता पल की बलिहारी।
राम नाम रसना बसे, लीजै जनम सुधारी।।
जिन मोकु निज नाम दिया सोय सतगुरु हमारे दादू दुसरा कोई नहीं कबीर सिरजनहार
दास गरीब अब बेर हमारी, तुम सुनियो अलख अलाह ।।
तुम बिन कौन छुटावै, गज पकरे हैं गिराह ।।
संत रामपाल जी महाराज सभी पहलुओं में पूर्ण संत हैं, उनकी शिक्षा हमारी पवित्र पुस्तकें पर आधारित है।
सभी को साधना चैनल पर 7:30 बजे अपने सत्संग सुनना चाहिए
कबीर गुर सो ज्ञान लीजिये शीश दीजिये दान बहुतक भोंदू बहे राखि जीव अभिमान ।
मैं रोऊँ इस सृष्टि को, ये सृष्टि रॉय मोहे।
कह कबीर इस वियोग को, समझ नही सकता कोय।।
جیون تو تہوڑا ھی لاکھ ورش کا جیونا لی
और ज्ञान सब ज्ञानड़ी कबीर ज्ञान सो ज्ञान जैसे गोला तोप का करता चले मैदान
सभी शास्त्रों में प्रमाण है कबीर साहिब जी ही भगवान है
कबीर हम ही अलख अल्लाह हैं कुतब गाैस और पीर गरीब दास खालिक धनी हमरा नाम कबीर देखें वृंदा टीवी पर रात 9:30 से
गुरु बिन माला फेरते गुरु बिन देते दान ।
दोनों निष्फल है चाहे पूछो वेद पुराण ।।
सतगुरु रामपाल जी महाराज के चरणो में दास का दंडवत प्रणाम
सतगुरू देव की जय हो
बन्दी छोड सतगुरू रामपालजी महाराज के चरणों में कोटी कोटी दण्डवत प्रणाम
ना जाने ये काल की कर डारै, किस विधि ढल जा पासा वे।
जिन्होने सिर थे मौत खुडगदी, उन्हानू केडा हादसा वे।।
संत रामपाल महाराज जी एक सच्चे संत ओर सच्चे समाज सुधारक है जो शास्त्र अनुकुल साधना देकर जीव की मुक्ति के लिए आये हुए है ।
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण फिरता दाने-दाने न्यू सर्व कला सतगुरु साहिब की हरी आए हरियाणा न्यू
Sat guru dev ji ki jay ho bndhi chhod bhgwan rampalji mharaj ki jay ho sat saheb ji ❤🌹
सुख मे सुमिरन ना किया, दु:ख में करते याद ।
कह कबीर ता दास की, कौन सुने फरियाद ॥
राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट | अंतकाल पछताओ गे प्राण जाएंगे छूट ||
चिड़ी चोंच भर ले गई नदी न घटिया नीर दान दिए धन ना घटे कह गए साहेब कबीर
सच्चा शब्द कबीर का, सुनकर लागे आग ।
अज्ञानी है वो जल मरे,ज्ञानी जाय जाग ।।
कबीर जबहि नाम ह्रदय धरयो, भयो पाप को नाश।
मानो चिंगारी अग्नि की, पड़ी पुराने घास।।
चिंता से चतुर घटे दुख से घटे शरीर ।
दान दिया धन ने घटे कहे गए साहब कबीर ।।
कबीर, मेरा संगी दो जणा, एक सणगुरू, एक राम।
ये दाता हैं मुक्ति के, ये सुमरवावैं नाम।।
*कबीर,सतगुरु के दरबार में जाइयो बारंबार।"*
*_भूली वस्तु याद दिलावें है सतगुरु दातार।।_*
सत गुरु पूरण ब्रम्हा सतगुरु आप अलेख ।
सतगुरु रमता राम है या मे मीन न मेख।
गोवर्धन श्री कृष्ण उठायो, द्रोणागिरी हनुमंत।
शेषनाग सारी सृष्टि उठाई, इनमे कौन भगवंत।।
गरीब, जिन हर की चोरी करी और गए राम गुण भूल।
ते विधना बागुल किए, रहे ऊरध मुख झूल।।
बनदीछोड जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी भगवान की जय हो आप जी के चरणों में कोटि कोटि दंडवत प्रणाम है मालिक 😂😂
अवगुन को तो ना गहे, गुन हि को ले बीन ।
घट घट महके मधुप ज्यों, परमातम ले चीन्ह ॥
गुरु गोविन्द दोनों खड़े काके लागू पाय ।
बलिहारी गुरु आपने गोविन्द दिनों मिलाय ।।
कबीर,बेटा जाया खुशी हुई,खूब बजाए थाल
आना जाना लगा रहा भाई, ज्यूँ कीड़ी का नाल
सुन सुन साख कबीर की काल निवाये माथ ।
धन्य धन्य तीनो लोक मे दादू जोङे हाथ ।।
केहरी नाम कबीर का विषम काल गजराज ।
दादछ भजन परताप से भाजे सुनत आवाज ।
Saint rampal ji maharaj is representative of the complete god kabir sahib.
सतगुरु महिमा अनन्त, अनन्त किया उपकार ।
लोचन अनन्त उघाङिया, अनन्त दिखावन हार ।।
राम नाम कड़वा लागे, मीठे लागेदाम ।
दुविधा मे दोनो गए, माया मिली न राम ।।
सतलोक में चल मेरी सूरता या ना लावे देरी
साच कह ना झूट रति भर बात मानले मेरी
सुरती समावे राम में, जग से रहे उदास।
कहैं कबीर गुरु चरण में, दृढ राखो विश्वास।।
सत साहेब जी
आपा तजे हरि भजे, नख सिख तजे विकार ।
सब जीवन से निर्भैर रहे, साधू मता है सार ॥
जो व्यक्ति अपने अहम् को छोड़कर, भगवान् कि उपासना करता है, अपने दोषों को त्याग देता है, और किसी जीव-जंतु से बैर नहीं रखता, वह व्यक्ति साधू के सामान और बुद्धिमान होता है।
सत साहेब भगत जी
बिन गुरु भक्ति अति कठिन है, ज्यों खाँड़े की धार ।
बिना साच पहुँचै नहीं, महा कठिन ब्यौहार ।।3।।
तेरा एक नाम तारे संसार, मैं ऐहा आस ऐहो आधार।
नानक नीच कहै बिचार,धाणक रूप रहा करतार।।
"जिन मोकु निज नाम दिया सोइ सतगुरु हमार ।
दादू दूसरा कौई नही है, वो कबीर सिरजनहार ।।
पीछे लाग्या जाऊ था में लाेक वेद साथ |
रास्ते में सतगुरू मिल गए दिपक दे दिया हाथ ||
राम बुलावा भेजिया, दिया कबीरा रोय।
जो सुख है सत्संग में, बैकुंठ में ना होय।।
सतगुरु आए दया करी ऐसे दीनदयाल बंदी छोड़ दयाल जी चित्र अपनी प्रतिपाल
पूर्व-पश्चिम उत्तर-दक्षिण,तूँ फिरता दाणे दाणे नूँ l
सर्व कला सतगुरु साहेब की ,हरि आए हरियाणे नूँ ll
नौ मन सूत उलझिया, ये ऋषि रहे जख मार।।
सतगुरु ऐसा सुलझा दे, उलझे न दूजी बार।।
राम नाम रटते रहो जब तक घट में प्राण कबून दीनदयाल के भनक पड़ेगी कान
9 मण सुत उलझ गया यह ऋषि रहे झक मार तत्वदर्शी संत सतगुरु ऐसा सुलझा दे उलझे न दूजी बार
भोली सी दुनिया सतगुरु बिन कैसे तैरिया।
अपने बच्चे के बाल उतरावै ,केंची ना लग जाइयां
एक बकरी का बच्चा लेकर उसका गला कटाईयां ,रे भोली सी दुनिया.......
वेदों में प्रमाण कबीर साहब भगवान है
कबीर चारभुजा के भक्ती मे, भूल परियो सब संत। कबीरा सुमरे तासु को, जाके भूजा अनंत।।
Kabir is supreme God
sat saheb ji
सतगुरु पूर्णब्रह्म है सतगुरु आप आलेख सतगुरु को सजदा करें कोटि कोटि प्रणाम