आपने बिल्कुल सही फरमाया जो गुमराह करने वाले लोग हैं उन्हें आपकी बातें पसंद नहीं आएगा क्योंकि या तो ये गुमराह हैं है या उनकी मंशा गुमराह ही करने कीहै लेकिन आप चिंता ना करें सत्यको परेशान किया जा सकता है पराजित नहीं आप महान हैं आपने महान कामकिया है भगवान आपको इस महान रास्ते पर चलने की महान शक्ति प्रदान करें हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं ।।जय हिंद जय भारत जय श्री राम।।
मनुस्मृति के अनुसार शूद्र (अज्ञानी) वर्ण में पैदा होने वाला भी अपनी मेहनत व बुद्धि से ब्राह्मण बन सकता है लेकिन संविधान में ब्राह्मण वर्ण में पैदा होने वाला अज्ञानी भी ब्राह्मण ही रहेगा। अतः बिना पढ़े किसी पर दोषारोपण करना सही नहीं है।
ब्राम्हण और क्षत्रिय औरतों के पेट में ही संस्कार हो जाते हैं आदरणीय, जो जन्म होते ही महाराज और कुँवर पैदा होते हैं। और जो आपकी नजर में शूद्र हैं वो पढे लिखे होने के वाद भी छुआछूत के शिकार होते हैं। किताब लिखने की क्यों जरूरत पढी, मूल किताब कहाँ है।
अंबेडकर जी सिर्फ संविधान सभा के अध्यक्ष थे ना की लेखक अतः सम्मान देना अच्छा है परंतु किसी का अपमान करके नही अतः पूर्ण ज्ञान लें और दें यही सबके लिए उचित है।
जातिवादी मानसिकता तो संविधान से आती है जिसमें जाति के आधार पर आरक्षण की बात कही गई है और 70 75 सालों के बाद भी जिस व्यवस्था से दलित दलित ही रह गया स्वर्ण नहीं बन पाया एसे संविधान का क्या करना चाहिए इस पर विचार कीजिए
महोदय !आपकी वार्ता उचित लगी। साधुवाद।आगे निवेदन है कि जिन प्रक्षिप्त श्लोकों ने हमारे जीवन कोअकल्पित हद तक नारकीय बनाया,समाज के सम्मुख आकर उन्हें प्रक्षिप्त स्वीकारने,हटाने ,साथ ही आज भी यत्र -तत्र दिखती रहने वाली उस नारकीयता, अमानवीयता को पूर्णतः समाप्त करने की सम्पूर्ण जिम्मेदारी भी आपको ही ,यह स्वीकारते हूए उठानी चाहिए, कि इस शुद्धता/प्रक्षिप्तताके जिम्मेदार भी आप अर्थात् ब्राम्हण ही हैं।कृपया उद्घोष करें।भविष्य उज्ज्वल है।
क्या बात करते है आप ? आज राष्ट्रपति दलित है तो उसका श्रेय आप मनुस्मृति को दे रहै.सरासर गुमराह कर रहै. आज अगर कोई दलित किसी भी पद पर है तो बाबासाहेब के बनाये हुये सँविधान की वजह से है. मनुस्मृति मे तो शुद्र की शिक्षा पर ही रोक है।। और कुछ लोगो ने अगर इधर उधर से शिक्षा लेने की कोशिश किया तो उनका परिणाम बहुत दुखद रहा । जैसे शम्बूक पढा रामने ब्राहमणो को खुश करने के लिये शम्बूक की हत्या करदी । अर्जुन के लियै द्रोणाचार्य दोगले ने एकलब्य का अँगूठा काट लिया...कर्ण को बार बार शुद्र पुत्र कहकर अपमानित किया गया.. तो महाशय सँविधान की बात करे मनुस्मृति की नही
क्योंकि वर्तमान में संविधान ने जन्म आधारित ठप्पा लगा रखा है जो ब्रहामण के घर जन्म लेगा वह ब्राह्मण ही कहलायेगा और जो क्षत्रिय के घर जन्म लेगा वह क्षत्रिय अगर आप मनुस्मृति को लागू करवाते हो तो वर्तमान के सभी ब्रहामण क्षत्रिय खुद को ब्राह्मण क्षत्रिय नहीं बोल पाएंगे क्योंकि मनुस्मृति कर्म के आधार पर वर्गीकरण करती है ना की जन्म के आधार पर इसलिए ब्राह्मण क्षत्रिय कभी मनुस्मृति को स्वीकार नहीं करते। जिस दिन तुम लोगों ने मनुस्मृति को स्वीकार कर लिया उस दिन तुम खुलकर ब्रहामण क्षत्रिय को बोल सकते हो की तुम यह कर्म कर रहे हो इसलिए तुम ब्राह्मण नही
@@satyamdiwakar5440 Read visuddh manusmriti and clear your all doubts. They have translated the texts with native sanscrit scholars and taken original verses.
एक पुस्तक जो हजारो साल पहले लिखी गई उसको लेकर आज के समय मैं ये चर्चा ब्यर्थ है आज क्या आप लोग सभी लोगो को समान मानते है ।शायद नही आज भी देश मे ऊंच नीच है देश मे
विनय आर्य जी और उनके साथी ,दोनोने बहूत बहुमूल्य जाणकारी देणे का प्रयास उत्तम तरिकेसे किया. सत्य सनातन धर्म मे महर्षी मनु एक महान ऋषी थे.उन्होंने चार वर्ण ,समाज व्यवस्था मे आवश्यक हैं, यह विचार रखे थे.षडयंत्र रचणे वाले आधे ज्ञानी होते हैं.विनय जी जब मनुस्मृती के बारे मे जाणकारी दे रहे थे,तब ओ ब्राह्मण यांनी ज्ञानी का कार्य कर रहे थे.हम रस्ते पर चलते समय कोई कुत्ता या अन्य प्राणी हमला करता है,तो हम उसे भगाने के लिये हात उपर करके उसे डराने का प्रयास करते है.उस वक्त हम क्षत्रिय की भूमिका मे होते हैं. बजार मे कोई खरिद रहे हो ,तो हम किंमत कम जादा करते है, तब हम वैश्य की भूमिका मे होते हैं.स्नान करते समय हमारा शरिर हमेशा ही स्वच्छ करना पडता है.शरिर स्वच्छ करणे नोकर नहीं रखते.तब हम शूद्र की भूमिका में होते है.हर एक थोडा ब्राह्मण का काम करते है, क्षत्रिय भी होते है,वैश्य भी होते है, शूद्र भी होते है.लेकिन सत्य सनातन धर्म पर टिका करणे वाले को अन्य धर्मीय बहूमान देते है.कोई भी हिंदू सहनशील है मतलब बूजदील नहीं.
मनुस्मृति में वामपंथियों ने अपने घिनोने षड्यन्त्र से गलत श्लोकों को जोड़कर ही हम दलित लोगों को धर्म के नाम पर जातियों में बांट कर राज किया । जिसका फायदा कांग्रेस भी भरपूर उठा रही है✍️ यही सत्य है
आजादी के समय दूसरा संबिधान बनवाना ही नहीं चाहिए था मनु स्मृति संबिधान से ही आजादी ले लेना था।लाना है तो लाओ पावर आप लोगों की है।अगर ये सही था तो डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर के बिचार संबिधान लागू ही नहीं करना था।
यदि पहले वाला मनुस्मृति मिलावटी था आप भी तो काट-छांट कर मिलावट ही कर रहे हैं। इसतरह पहले वाला मिलावटकार ग़लत और आप भी ग़लत हैं । हां ऐसा कहिए कि सामाजिक हालात से मजबूर होकर आपको मूल मनुस्मृति में संशोधन करना पर रहा है
वह लोग खुल कर मनुस्मृति को गलत कहते हैं, परंतु हम उनकी बातों में आकर महाराज मनु से दूर होते जा रहा है... यह दुर्गति लाएगा हम सब मनुस्मृति तथा महराज मनु को अपने हृदय में रखे और अपना कर्म करते रहें।। ॐ
@@assharma7418 जी, कौन सी वाली 1875 से पहलेवाली या उसके बाद वाली ? 🙋♂️हिन्दू धर्म के ग्रंथ " मनु स्मृति " को 1927 में एक बड़े कार्यक्रम में सरेआम जलाया गया था । RSS और हिन्दू महासभा दोनों मिलकर नहीं रोका ?? ♨️हिन्दू धर्म बहुत कट्टर धर्म है ♨️
@@assharma7418 जी, 1927 में जिस ग्रंथ को सरेआम जलाया गया है और उसका कोई बचाव करने की हिम्मत भी नहीं किया तो तभी वह ग्रंथ खण्डित हो चुका है ~ खण्डित मूर्ति की पूजा नहीं की जाती है और खण्डित ग्रंथ को भी पढ़ने की जरूरत नहीं है ।
जबकि मनुष्य में कोई भेद नहीं सभी एक जैसे हैं, फिर यें सारे विवाद क्यों ? और जब बाल्मीकि और व्यास मुनि भी तो ब्राह्मण की तरंह पुजे जाते है फिर यें लड़ाई क्यों । जबकि मनुस्मृति में कहा गया है कि मनुष्य ज्ञान से उच्च वर्ग के होते है, तो इस पथ पर तो ज्यादा शांति है ।
आरक्षण 10 साल के लिए था पर उसे हर साल क्यों बढ़ाते आये,कसाब को भी जमानत मिल जाती है पर sc/st act में बिना दोष रोपण के ही काले कानून की तरह जेल में क्यों डाल दियाजाता है
This is because government wants development of all societies and ensure that every society will be equal. Tabhi caste discrimination khatam ho sakta hai
वेद ही ऐसा ग्रहन्त हे जिस में कोई मिलावट नही कर पाए जिस ने भी मनु की लिखी किताब में मिलावट की वो मनुषय मर चुका है इस लिए जोभी मिलावट हे उसे हटा देना चाहिये सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय
ब्रह्माजी(Brahmaaji) कि डिलीवरी का video अगर है तो भेजो हम भी देखे कि उनकी डिलीवरी के दौरान मुख से ब्राह्मण, बाहु से क्षत्रिय, ओर छाती से कुछ वैश्य मगर यह बात सुनी सुनाई है कोई एक बाप की औलाद है तो ब्रह्मा जी कि डिलवरी को न किया और ब्रह्मा अगर पुरुष है तो पुरुष जात जन्म नहीदे सकती यह science hai झाटु लोगों
कोई ब्राह्मण शूद्र क्यों नहीं होता है ।सभी ब्राह्मण वर्ण व्यवस्था के ऊपर ही क्यों होता है ।मनुस्मृतीने सभी अधिकार ब्राह्मणें को ही क्यों दिए हैं ।ब्राह्मण चाहे कितने भी गलतियां कर लें लेकिन वो सर्वश्रेष्ठ रहता है मनुस्मृती के नुसार ऐसा क्यूं ।
Prashik Bahade भाई आपने मनुस्मृति नहीं पढ़ी है। उदाहरण, एक अपराध के लिए एक शुद्र को आठ वर्ष की सजा तो उसी अपराध के लिए ब्राह्मण को 64 वर्ष कि सजा। ये मनुस्मृति के एक श्लोक का अर्थ है।
Prashik Bahade क्यों ऐसा बोल रहा है तू ने मनुस्मृति पढ़ी नहीं कहा वह ब्राह्मणों को ऊंचा उठा रही है क्यों नहीं शूद्र ब्राह्मण बन सकता था इसी के लिए तो है मनुस्मृति की बात कर रहा हूं ढंग से तो पढ़ लो
एक कठपुतली राष्ट्रपति बना कर मनुस्मृति को महिमा मंडित कर रहे हो शर्म करो यह बताओ वर्तमान में कितने मुख्यमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के जज , कितने विश्व विद्यालयो के कुलपति/उपकुलपति आरक्षित वर्ग से है?
uske liye talent chahiye... mehnat karni padti hai... reservation nahi. tum logo ki soch to nich he hi... ek baap ki aulad ho to bagair resevation ke talent paida karo. talent kisi jaat ka monopoly nahi hai... samjhe niche soch wale
@@charvaak हाँ सही कहा आपने। हम बच्चो को यही सिखाते है के इतने ही सीट है ऐसा मान कर चले। आरक्षण के कारण कही द्वेष करने के झंझट मे अटक गये तो कुछ न पाओगे। तो बच्चे मेहनत करेंगेही। जिनको especially भिमटोको जातपात भेदभाव करना है, करे। उनके बच्चो को आरक्षण के कारण भेदभाव वाली सिख बचपन मे ही मिलती है। तो जातपात नष्टीकरण तो होनेसे रहा।
मान्यवर आपणे बडा मनुस्मृती का बखान किया हैं आप ने बताया हैं की गुणकर्म के आधार पर वर्ण बनाया हैं तो आप ये बताने का कष्ट करे क्या शिवाजी महाराज के कर्म शुद्र थे अगर नही तो उनके राज्यभिषेक का विरोध किसने किया ,क्या म.ज्योतिबा फुले गुण कर्म से शुद्र थे अगर नही तो ऊनका विरोध किसने किया,छ. शाहू महाराज क्या गुण कर्म से शूद्र थे अगर नही तो ऊनका अपमान किसने किया,डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर क्या गुण कर्म से शुद्र थे अगर नही तो बार बार उन्हे अपमानित किसने किया और क्यो किया बाबासाहेब तो हिंदू धर्म मे पैदा हुये थे धर्म परिवर्तन करणे मे मजबूर क्यो हो गये थे ।ढोल,गवार, पशु,शुद्र,नारी सभी ताडन के अधिकारी ये आपणे तुलसीदास का मनुस्मृती मे जोडकें गुमराह कर रहे हो बाबासाहेब आंबेडकर ने जब मनुस्मृती जलाई तब ऊनके साथ शहत्रबुद्धे भी थे ऊस वक्त बाबासाहेब का विरोध किसिने क्यो नही किया था और ये आप बार बार दलित दलित रटते रहते हो ये दलित क्या हैं वर्ण तो सिर्फ चार हैं फिर ये दलित कौन हैं आप लोग कहते हो की जन्म से सब शुद्र होते हैं और कर्म से द्विज धारण करते हैं तो क्या राष्ट्रपती कोविंदजी अब द्विज (जनेऊ,उपनयन संस्कार) धारण कर शकते हैं अगर सही मे आप सब को लगता हैं कर्म के आधार पर वर्ण बनाये हैं तो क्यो नही जातीया खतम करणे की पहल करते हो ,फिर वो कोई भी वर्ण का रहे जीसके गुणकर्म अच्छे हैं वो ब्राम्हण कहलायेगा मंदिरी मे भी पुजारी बनने का भी अधिकार पायेगालेकीन यहा तो गुणकर्म के आधार पर हजारो जातीया बनाई हैं आप जीनको दोष दे रहे हो क्या ऊन (शुद्र)लोगो ने जातीया बनाई अगर हा तो गुणकर्म के आधार पर वर्णव्यवस्था का सिद्धांत ही गलत हैं..जय शिवराय.. जय भीम..जय भारत
जो मनुस्मृती मे विश्वास रखते है या समर्थन करते है वो भारत के संविधान को मानते नही. जो धर्म एक आदमी जन्मतः उच्च और दुसरा नीच है वो धर्म उच्च कोटीका कैसे होता है .? मैने ओरिजीनल मनुस्मृती पढी है उसपर चिंतन किया है.
धर्म की दलाली करना बंद करो पागलों जो तुम्हारे धर्म ग्रंथों में लिखा है उसकी सच्चाई तो साफ झलक रही है,अब मिर्च मसाला लगाने से क्या फायदा,जो धर्म ग्रंथों में लिखा है वहीं सत्य है और उस सत्य को हम कभी नही मानेंगे
Mai tujhse kehtaa hun aaj jo balatkaar ho rhe hain uski vajah sirf ambedkar ka savidhaan hai toh tu bhi wahi kahega jo ye keh rhe hain or tere jaise maadrchod bohat ghumte firte hain unko rajasthan high Court nai faisla deke tere jaison ki chaddhi tak utaar di
मनुस्मृति में न्याय की बात थी तो किस नक़ानून के आधार पर वंचित तबकों के गलो में हांडी और कमर में झाड़ू बांधकर घूमना पड़ता था।क्यो उन्हें मंदिरो में प्रवेश नहीं करने दिया जाता था।आज पढ़लिखकर जानने लगे है और वैज्ञानिक सोच आयी है तब से आप लोगो के सारे मंत्रो के अर्थ बदलने लगे है।मनुस्मृति में यदि न्याय था तो क्यो एक वर्ग हमेशा से सबसे ऊपर रहा है।उसे ही क्यो सारे सामाजिक धार्मिक राजनीतिक और आर्थिक आधार प्राप्त थे?क्यो एक वर्ग इन सबसे वंचित रखा?ये मनु बाबा का विधान था कि ब्रह्मण ब्रह्मा के मुख से क्षत्रिय भुजा से वैश्य उदार से और शूद्र पैरो से।पुरानी मनुस्मृति की पुरानी पांडुलिपि तो होगी आप लोगो के पास वो लोगो के समक्ष पेश करनी चाहिए।मनुस्मृति सच मे समानता और न्याय पर आधारित थी तो उसका धरातल पर सही और व्यवहारिक रूप राष्ट्र में क्यो नही विकसित हो पाया?शुद्रो को हमेशा क्यो हासिए पर रखा?उन्हें क्यों अधिकारों से वंचित रखा?
हमारे सनातन संष्ठापक महर्षि मनु को कोटि कोटि प्रणाम यह सनातन को मानने वाले कभी आपके ऋण से कभी उऋण नही होंगे जिनको आस्था नही है फालतू कमेंट न कर इसको छोड़कर जो अच्छा लगे वो अपना ले आपके जाने या रहने से कोई फर्क कतई नही पड़ने वाला क्योंकि कायर न देश धर्म के काम के है न समाज के आज जो संविधान को खुले रूप से चेलेंज करते है तो उनके बारे में कुछ भी बोलने की हिम्मत नही होती इसलिए यदि आपको पसंद नही है तो कोई साथ रहने को बाध्य नही कर रहा है जहां सम्मान मिले वहां चुप चाप चले जाएं फालतू बकवाश ण् ही करें
Acha g ek bat btaiye ki manu ne bhraman ko bhraman ,shtriye ko shatriye btaya or vaish ko vaish fir shudero shuder btaya. Padhne ka adhikar bhraman ko hathiyar ka adhikat shtriye ko or business ka vaish ko or sir shuder ko kya adhikar the btaiye aap sb.
मनुस्मृति कहत हैं: जनम से सब शूद्र हैं और कर्म से ब्राह्मण (जो विद्वान, शिक्षक), छत्रिय (समाज के रक्षक), वैश्य (व्यापारी), शूद्र (सेवा वर्ग) को मानते हैं। यह अर्थ समय-समय पर बदलता रहा है और जो ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए हैं they start considering they are brahmins , even they dont study at some later stage (baad me). जिन्हें एक अलग तरीके से लिया गया है और बाद के चरण में अर्थ को पूरी तरह से बदल दिया गया है। इस पुस्तक को कुछ नियमों में लोगों को अच्छी तरह से चलाने के लिए प्रबंधित किया गया था, लेकिन निश्चित रूप से इसने अलग-अलग आकार लिए हैं और इसे ऊपरी परत द्वारा समय-समय पर संशोधित किया गया है और इसने अजीब आकार ले लिया है .. जो निचली परत के लिए अभिशाप बन गया है। आप एक व्यक्ति से कुछ कहते हैं, वह व्यक्ति अगले व्यक्ति के लिए कुछ और कहता है और अगले 100 व्यक्ति के लिए आगे बढ़ता है और जब वह आपके पास वापस आता है, तो अर्थ पूरी तरह से बदल जाता है।
यही बात मनुस्मृति की भी हुई ।। महाभारत में जय महा काव्य में 24,000 श्लोक थे और अब महाभारत में 1 लाख से अधिक श्लोक हैं। रामायण में उत्तरकांड अतिरिक्त है जो बाल्मीकि रामायण में नहीं था। हाँ सच। उस समय मीडिया मजबूत नहीं था। कोई भी प्रकाशन से पहले पढ़ने की क्षमता और प्रमाण की जाँच नहीं कर रहा था। भारत में कई विदेशियों द्वारा और वर्षों के दौरान कई और परिवर्तनों द्वारा घुसपैठ की गई है .. हिंदू राजा मुगल से लेकर अंगरेज और फिर अब स्वतंत्र भारत .. अब हम खुले हैं और डिजिटल मीडिया में अपने विचार रख सकते हैं और अपने विचार रख सकते हैं .. सोशल मीडिया मजबूत है और सभी Google और आप ट्यूब पर available information’s ... भीम राव अम्बेडकर ने मनुस्मृति को जलाया, ठीक है, लेकिन जलने से पहले उन्हें दोषों को खोजना और उजागर करना चाहिए और मनुस्मृति की मौलिकता की जांच करनी चाहिए। यदि हमने गलतियाँ की हैं तो केवल हम इसे संशोधित कर सकते हैं। जरा सोचिए अगर आपके ग्रैंड फादर ने परिवार में कुछ गलतियां की हैं, तो आप सुधारने की कोशिश करेंगे। इसलिए हममें से केवल भारत के लोगों के सामने मूल मनुस्मृति को संशोधित करने और उसे लाने के बारे में सोचना चाहिए। ब्यूरिंग ने इस बात पर मुहर लगाई है कि शूद्र जन्म से और काम से शूद्र होते हैं, अब वे शिकार हो गए हैं और बुद्धत्व या इस्लाम या ईसाई को अपनाने का उपाय खोजने की कोशिश कर रहे हैं। वहां कुछ नेता और लोग जो सभी संशोधित किताबों के आधार पर मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहे हैं .. यह योजना बनाई गई है और हिंदू धर्म को नष्ट करने की साजिश रची गई है। मूल मनु स्मृति को सामाजिक व्यवस्था का समर्थन करने और योजना के साथ सामाजिकता को चलाने के लिए लिखा गया है। राजा जन्म या परिवार के आधार पर सभी दिव्यांगों के लिए मुफ्त शिक्षा की मांग कर रहे थे। बाद के चरणों में, कुछ मूर्खतापूर्ण दिमाग द्वारा प्रूपोज के लिए बहुत सारे संशोधन किए गए हैं फिर मोटिव और दिशा को पूरी तरह से chnaged किया गया है। अतीत में इसकी कभी समीक्षा नहीं की गई है, हालांकि, कुछ विद्वानों की समीक्षा की गई है और सभी अवांछित और बाद में संशोधित संस्करणों को हटा दिया गया है और मौलिकता बनाए रखने की कोशिश की जा रही है .. अब कुछ सार्वजनिक आंकड़े भी पीड़ित कार्ड खेलना और समर्थन करना नहीं चाहते हैं। मेरा विश्वास करो तुम अपनी जड़ ढीली करोगे और जड़ के बिना तुम कुछ भी नहीं हो .. इसलिए अगर कुछ गलत हुआ तो लड़ाई करो, आवाज उठाओ और इसे संशोधित करो और फिर सारे अधिकार ले लो .. इसमें कुछ भी गलत नहीं है। बहुत सारी चीजें ईश्वर की नहीं हैं जिन्हें सती प्रथा की तरह संशोधित किया गया है .. बालों को हटाना, महिलाओं की स्वतंत्रता .. भारत की शान्ति ने कभी भी ऐसी चीजों को प्रचारित नहीं किया है .. इसलिए हम 21 वीं शताब्दी में हैं और आपको अपनी जड़ों से विचलित नहीं होना चाहिए और इसे बेहतर बनायें अगर कुछ मुद्दे हैं .. हम सब एक हैं और गरव से कहो हम हिन्दू हैं। हिंदू एक विचार है और सनातन धर्म वास्तविक धर्म है।
Bhai mai ne bhi padhi hai Manusmriti .Bahut contradictions hai.Bech bech me out of the context verses dale huye hai.Ek verse me non veg ,sex,alcohol ko strictly mana karta hai toh dusre me inko normal batata hai. Kuch verses me women ki position bahot acchi hai but baki ki verses me bad remarks ki hui hai. Ek verse me mujhe bahot accha laga Kashta hai No one is born a brahmin,.But some verses extremely violent bhi hai dalits ke liye. Sayad translation mistake huyi , ya kissi ne daal di . Pata nahi. Mai toh Nastik hoon but culture ki respect bahot karta hoon. Out of context verses ko hatana chahiye
Sir बकवास की भी हद हे करोडो वर्ष पहले मानव का जन्म ही नही हे ओर डर का नाम भगवान हे ओर भगवन नाम की कोई चिज नही हे इस प्रकार कोई किताब भगवन ने ना लिखी।अब मनुवादी लोग नई मनूस्मर्ति ला रहे ओर उसे सही बता रहे हे।लगभग सभी धर्माचार्य बकायदा शूद्रो को कहते हे कि ये पढ लिख नही सकते इन्हे हक ही नही इनका काम उपर के वर्ण की सेवा करना हे।अब मनुवादी कितनी भी कोशिश कर ले बहुजन झासे मे आने वाले नही।जो धर्म उंच-नीच पर अधारित हे वो धर्म नही उसे छोड देना चाहिए।आपकी बहस तार्किक नही हे ।समाज मनु के आधार पर बटा हे सनातन धर्म के अनुसार मानव मानव नही हे ।आप बेठ कर कोरी बकवास कर रहे हे।ऐसा क्या कारण हे की सविंधान से पहले भेदभाव चर्म पर था क्यों हे इसका कोई जवाब।जय भीम नमो बुधाय
श्रीमान जी आप सही कह रहे।ये क्या है ना। कि अब मेने पड़ा है अर्थशास्त्र, और आपने पड़ा है विज्ञान ,तो मै जिद कर रही हूं कि मुझे वैज्ञानिक बनना है । की श्री कृष्णा
Anil RAJAK yeh arya samaj naya hindu jihadi shanghtan hai. Jo jabardasti sabko convert kara raha h. Islam or isme kuch farq nahi h. Yeh ek din bolenge ki caste based atrocitu bhi scientific hai use support karna chahiye. Ram ne shambuk ko mara. Sab sawarno ko shudro ko marna chahiye
मनु स्मृति में मिलावट की गई अंग्रेजी द्वारा,,जिसका सबसे पहले पता दयानंद सरस्वती जी ने लगाया। अंग्रेजो का लक्ष्य था,,फुट डालो ओर राज करो।। मनु महाराज द्वारा रचित मनु स्मृति सबके लिए भलाई योग्य थी,,,जिसका गलत अर्थ निकाला ,,जिसका उद्देश्य,, ब्राह्मणों ओर शूद्रों को बड़ा छोटा बताकर सिर्फ लड़ाना था।।
तुमने मनुस्मृति के बारे में गलत जानकारी दीया है या तुमने गलत जानकारी प्राप्त किया है चाहे जो हो जाये मनुस्मृति लागु नहीं होने देगे ईसकेलीए जीतना भी खुन बहे कोई प्रवाह नहीं जय भीम जय संविधान ही रहे गा
जानना नही मानना नही खुन सबका बहेगा हानी सबको होगी फायदा सिर्फ मजहब वालो का धर्म एक जाती है तुम एक बार जरूर सोचना रिश्ता बराबर वालो मै ही होता है आगे बढने की जरूरत है पीछे देखने की नही
लगभग पाच हजार साल पहले युरेशियन आर्य भारत में आए और मनुस्मृती लिखी गई . उससे पहले भारत इतना समृद्ध था कि भारत को सोने की चिडिया कहा जाता था . उस समय वंश परंपरां थी .जैसे के बळीवंश. बळी के राज्यों में पुरा भारत काफी समृद्ध tha . aryone baliko kapat karake mara . badme manusmrutiki niti chalayi gayi . usake bad bharat ki samruddhi dhire dhire kam hoti gayi our aaj ke bure din aa gaye. manusmrutike lagu honese bharat soneki chidiya nahi raha. halat bigad gaye to manusmrutiko sahi ya achchha kaise kaha sakte hai?? ulta uske bunahi bharat samruddha tha . isliye manusmruti bahuthi ghatiya kitab hai jispe duniya hasti hai . ishvarne bataye huye ved par agar manusmruti bani hai to vo ved isvarne kisko bataye the ? kya manu ke kan me ? isvar agar ved bata sakta hai to likh bhi sakta ta usne kisi manusyaka sahara kyun liya ? ved duniyame kisi desh ne dekhe ya padhe hai ? nahi na ! to kaise mane jo vedome hai vo manusmruti me hai ? ved agar hindu dharma ke dharm granth hai to sabhi hindu logonko unkehi dharmagranth kyon nahi padhane dete ye bramhan ? padhana to chodo dekhanebhi nahi dete. kyonki kisine ved padhe to sabko pata chalega ki vedome kitani barbarta hai, amanaviyata hai, tyachar v asamanata etc. hai. EVM HATAO , VVPTA LAO ,DESH BACHAO. JAY MOOLNIVASI.JAY BHARAT.
Or manusmriti aj s 5000 sal pehly likhi gai thi OS wqt humy nahi pata ki kya paristhiti thi ki esa SAMVIDHAN likha gaya mgr aj hum sab ise smjh kr khud ko BADAL rahy HAI mgr baki dharamo ka kya Jo kabi nahi badlny wale
राजस्थान High-Court परिसर में स्थापित महर्षि मनु की प्रतिमा [ मनुस्मृति के रचयिता ] ------------------------------------------- मनु के अवांछित विरोध के फलस्वरूप 28th Aug 1989 को राजस्थान उच्च- न्यायालय के जयपुर परिसर में स्थापित महर्षि मनु की प्रतिमा को हटाने का प्रस्ताव राजस्थान उच्च- न्यायालय की पूर्व पीठ द्वारा सर्वसम्मति से पारीत हो गया। जब यह बात चर्चा में आई तब डॉ सुरेंद्र कुमार जी की प्रेरणा से मैंने एक समादेश याचिका राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर पीठ के समक्ष प्रस्तुत करके उस आदेश को रद्द करने की प्रार्थना की। उस समादेश याचिका के समर्थन में 14 बातें (तर्क के रूप में ) न्यायालय के समक्ष रखी गई थीं। या यूं कहिये की पूरी समादेश याचिका को 14 बातोँ पर आधारित करके प्रार्थना की गई थी कि--- " महर्षि मनु की स्थापित प्रतिमा को निर्धारित स्थान से अन्यत्र न हटाया जाए ।" वे आधारभूत बातें निम्नलिखित हैं-- 1. सर्वप्रथम और सर्वोपरि धर्मशात्र के प्रेरणा महर्षि मनु। 2. धार्मिक गुरु और धर्मप्रवक्ता 3. आर्यसमाज का विशिष्ट धर्मग्रथ मनुस्मृति है। 4. प्रथम विधि-प्रेरणा 5. आधुनिक विद्वानों की दृष्टि में मनु और मनुस्मृति सर्वाधिक प्रामाणिक 6.सर्वोच्च न्यायालय में मनु की प्रतीक प्रतिमा 7.मनु की विदेशों में मान्यता 8.मनु मानवसृष्टि के आदि जनक 9.मनु की वर्णव्यवस्था का वास्तविक स्वरूप 10. मनु के मत में शुद्र अस्पृश्य नही 11.मनु की दंड व्यवस्था शूद्रविरोधी नही 12.वर्ण परिवर्तन के ऐतिहासिक उदाहरण और प्रमाण 13. आधुनिक काल मे मनु व्यवस्था के अनुसार वर्ण परिवर्तन 14.मनुस्मृति में प्रक्षेप और प्रक्षेपों पर शोधकार्य अपनी बात को रखने के लिए न्यायालय के मुझ याचिका कर्ता को भी बुलाया गया। समय कम दिया था अतः मैन मनु की मूर्ति का प्रतिवाद कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता महोदय से पूछा -- " मैंने अपनी याचिका में 14 बातों को आधार बनाया है। यदि आप इन 14 बातों में जिन किसी भी तीन बातों को सबसे कमजोर समझते हैं, उन्हें आप बता दें, यही तीन बातें मेरा आधार होंगी।मैं उन्ही पर बोलूँगा।शेष बातें फिलहाल समयाभाव के कारण छोड़ देते हैं। " बात तो बड़ी अटपटी सी लगी कि कोई व्यक्ति प्रतिपक्षी अधिवक्ता से ही पूछे कि मेरे पक्ष की (14 में से)सबसे कमजोर कोई भी तीन बातें बता दे,वही मेरा आधार होंगी।लेकिन प्रतिवादी वरिष्ठ अधिवक्ता न बता सके। उनका उत्तर न आते देखकर मामले की सुनवाई कर रही पूर्णपीठ ने आदेश दिया कि मैं अपने समर्थन में कही गयी सभी 14 आधारभूत बातों का खुलासा करके न्यायालय के समक्ष रखूं। मैंने वही किया। लगभग पूरे 3 दिन का समय लगा।पूर्ण पीठ ने सभी बातें बड़ी ध्यान से सुनीं। उत्तर देने के लिए जब प्रतिवादी वरिष्ठ अधिवक्ता का क्रम आया तो वे अपना पक्ष न रखकर बगले झाँकने लगे। न्यायालय की कार्यवाही का रिकॉर्ड बताता है-- "लगभग 20 min तक इंतज़ार करने के बाद भी मनु का प्रतिवाद कर रहे पक्ष की ओर से जवाब देने का साहस अधिवक्ता नही जुटा पाए। ।" अंत में न्यायालय ने एक अंतिम आदेश पारित करके मनु की मूर्ति को न्यायालय परिसर से अन्यत्र स्थानांतरित करने संबंधित 28th Aug 1989 के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी । नतीजन आज भी महर्षि मनु की प्रतिमा वही पर है। ---धर्मपाल आर्य (मंत्री, मनु प्रतिष्ठा संघर्ष समिति एवं मंत्री , आर्ष साहित्य प्रचार ट्रस्ट) प्रस्तुति -अनिल आर्य
o dharma hi kis kam ka jisme hamehi hamarehi dharm granth padhsne sunane yaa dekhanabhi mana hai our aisa kiyabhi to dandit kiya jata ho. namo buddhay.
आपने बिल्कुल सही फरमाया जो गुमराह करने वाले लोग हैं उन्हें आपकी बातें पसंद नहीं आएगा क्योंकि या तो ये गुमराह हैं है या उनकी मंशा गुमराह ही करने कीहै लेकिन आप चिंता ना करें सत्यको परेशान किया जा सकता है पराजित नहीं आप महान हैं आपने महान कामकिया है भगवान आपको इस महान रास्ते पर चलने की महान शक्ति प्रदान करें हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं
।।जय हिंद जय भारत जय श्री राम।।
अंबेडकर का अंबेडकर ने पूरी दुनिया की डिग्री ले ली मगर अपने ही धर्म के ग्रंथों को नहीं समझा और अपने लोगों को नहीं समझ आया यही बड़ी दुख की बात है
मनुस्मृति को महिमा मंडन करने का प्रयास सराहनीय है। परंतु दलितों का उत्थान मनुस्मृति से नही , संविधान से हुआ है। इसे भी नकारा नही जा सकता।
Savidhan ki utpati kaha se hui
मनुस्मृति के अनुसार शूद्र (अज्ञानी) वर्ण में पैदा होने वाला भी अपनी मेहनत व बुद्धि से ब्राह्मण बन सकता है लेकिन संविधान में ब्राह्मण वर्ण में पैदा होने वाला अज्ञानी भी ब्राह्मण ही रहेगा।
अतः बिना पढ़े किसी पर दोषारोपण करना सही नहीं है।
मेने यहाँ दर्ज अधिकतर टिप्पणी पढी पर विरोध करने वाले भाई उचित तर्क नही दे पा रहे विरोध करना है केवल इसलिए विरोध कर रहे है
1qq
ब्राम्हण और क्षत्रिय औरतों के पेट में ही संस्कार हो जाते हैं आदरणीय, जो जन्म होते ही महाराज और कुँवर पैदा होते हैं। और जो आपकी नजर में शूद्र हैं वो पढे लिखे होने के वाद भी छुआछूत के शिकार होते हैं। किताब लिखने की क्यों जरूरत पढी, मूल किताब कहाँ है।
अंबेडकर जी सिर्फ संविधान सभा के अध्यक्ष थे ना की लेखक अतः सम्मान देना अच्छा है परंतु किसी का अपमान करके नही अतः पूर्ण ज्ञान लें और दें यही सबके लिए उचित है।
Jake America aur briten wale se puchhna
जातिवादी मानसिकता तो संविधान से आती है जिसमें जाति के आधार पर आरक्षण की बात कही गई है और 70 75 सालों के बाद भी जिस व्यवस्था से दलित दलित ही रह गया स्वर्ण नहीं बन पाया एसे संविधान का क्या करना चाहिए इस पर विचार कीजिए
जय जय जय जय हो मनुस्मृति !
महोदय !आपकी वार्ता उचित लगी। साधुवाद।आगे निवेदन है कि जिन प्रक्षिप्त श्लोकों ने हमारे जीवन कोअकल्पित हद तक नारकीय बनाया,समाज के सम्मुख आकर उन्हें प्रक्षिप्त स्वीकारने,हटाने ,साथ ही आज भी यत्र -तत्र दिखती रहने वाली उस नारकीयता, अमानवीयता को पूर्णतः समाप्त करने की सम्पूर्ण जिम्मेदारी भी आपको ही ,यह स्वीकारते हूए उठानी चाहिए, कि इस शुद्धता/प्रक्षिप्तताके जिम्मेदार भी आप अर्थात् ब्राम्हण ही हैं।कृपया उद्घोष करें।भविष्य उज्ज्वल है।
क्या बात करते है आप ? आज राष्ट्रपति दलित है तो उसका श्रेय आप मनुस्मृति को दे रहै.सरासर गुमराह कर रहै. आज अगर कोई दलित किसी भी पद पर है तो बाबासाहेब के बनाये हुये सँविधान की वजह से है. मनुस्मृति मे तो शुद्र की शिक्षा पर ही रोक है।। और कुछ लोगो ने अगर इधर उधर से शिक्षा लेने की कोशिश किया तो उनका परिणाम बहुत दुखद रहा । जैसे शम्बूक पढा रामने ब्राहमणो को खुश करने के लिये शम्बूक की हत्या करदी । अर्जुन के लियै द्रोणाचार्य दोगले ने एकलब्य का अँगूठा काट लिया...कर्ण को बार बार शुद्र पुत्र कहकर अपमानित किया गया.. तो महाशय सँविधान की बात करे मनुस्मृति की नही
You are a dalit, you will only support and justify a dalit.
तो बताओ अंग्रेजों के आने के पूर्व भारत देश में सभी मूलनिवासी अनपढ़ क्यों थे??
Niscit rup se the.... Jiska praman ajj v gaon me milta hay...
Mulnivasi jaisa kuch nahi hota . Visuddh Manusmriti padho
सत्यार्थप्रकाश और मनुस्मृति पूर्णत: विरुद्ध है,
Janm se sabhi shudra hain.....aur karm sanskar se sabhi brahmad 🚩🚩
बिल्कुल सही यह कार्य बहुत पहिले हो जाना चाहिए था सत्य स्थापित किया आपका उपकार
Jai sanvidhan
Jay Jay vishuddh manusmriti Jay Manu Maharaj
अगर जन्म से सभी शूद्र होते हैं तो कोई ब्राह्मण या ठाकुर शूद्र क्यों नहीं होता शूद्र ही सूत्र क्या होता है वह ब्राह्मण क्यों नहीं बन सकते
Pndit ke ghar khane se pndit nhi bnege. Dlit ke ghar hkane se dlit bnege. Aapka dimosn hea prmosn nhi ahi mnuismrti hea.
Bhai To aap Manusmriti kyo jalate ho Jab Usme likha hai ki sab janm se shudr Hote Hai.
iska mtlb manusmriti achhi hai
Sahi kaha aapne bhaiya...chutiya bnate h...hm inki nzr me nich h nich hi rhenge baat khtm
आपकी इस बात पर मैं बस यही कहूंगा
की कभी डॉक्टर का बेटा अनपढ़ देखा है?
क्योंकि वर्तमान में संविधान ने जन्म आधारित ठप्पा लगा रखा है जो ब्रहामण के घर जन्म लेगा वह ब्राह्मण ही कहलायेगा और जो क्षत्रिय के घर जन्म लेगा वह क्षत्रिय अगर आप मनुस्मृति को लागू करवाते हो तो वर्तमान के सभी ब्रहामण क्षत्रिय खुद को ब्राह्मण क्षत्रिय नहीं बोल पाएंगे क्योंकि मनुस्मृति कर्म के आधार पर वर्गीकरण करती है ना की जन्म के आधार पर इसलिए ब्राह्मण क्षत्रिय कभी मनुस्मृति को स्वीकार नहीं करते। जिस दिन तुम लोगों ने मनुस्मृति को स्वीकार कर लिया उस दिन तुम खुलकर ब्रहामण क्षत्रिय को बोल सकते हो की तुम यह कर्म कर रहे हो इसलिए तुम ब्राह्मण नही
मनुस्मृति में बदलाव किसने किए क्योंकि संस्कृत पढने पढ़ने का अधिकार तो बाम्हणों को ही था
Manusmriti me badlav angrejo ne kiya hai
Hindu dharma ko badnam karne ke liye
एकलव्य ने अपना अगूठॉ क्यों काटा था
Narottam Pathak unko sanskrit bahmano ne hi sikhayi thi chu
Mangal Singh yeh chutiye hindu apologist kabhi apni galti nahi manenge. Kal bolenge dalit utpidan sahi h kyuki Ram ne shambuk ko mara tha
थुकता हु तुम्हारे मनुस्मृति पे मै
जय भीम जय सविंधान 💪💪
kavve ko padaye char ved raha dhed ka dhed bhudi hain tujme bimte
tumare jese ko gharna ka pathra ho logo ko ese hi
@@dushyantsingh6653 तुम्हारे वेद पुराण मे
क्या लिखा है कभी पढा़ है तुने मनुवाद के पुजारी🔫🔫🔫🔫🔫
Thukta hoo mein samvhidhan par ambedkar Kar jisne is desh ki vatt laga di
@@satyamdiwakar5440 Read visuddh manusmriti and clear your all doubts. They have translated the texts with native sanscrit scholars and taken original verses.
@@rahulbajaj2710 desh ki nahi brahmnoki videshionki.jay mulnivsi jay bharat.
आप कह रहे हैं की जन्म से हर व्यक्ति शुदृ है तो फिर यह जातिवाद क्यों ब्राह्मण की बेटी दलित के साथ शादी क्यों ना कर दी जाए आपकी क्या राय आर्य जी
अब मनुस्मृति पड़ने के बाद पता चला कि मनुस्मृति ही सत्य है। ये नेता और मीडिया वाले भरम फैलाते है।
मनुस्मृती को संविधान बोलना ही गलत है..।
और मनु ने लिखागया एक धार्मीक ग्रंथ है।
संविधान ये देश चलना के बनाया है । बाकी सब बयान बकवास है।
एक पुस्तक जो हजारो साल पहले लिखी गई उसको लेकर आज के समय मैं ये चर्चा ब्यर्थ है आज क्या आप लोग सभी लोगो को समान मानते है ।शायद नही आज भी देश मे ऊंच नीच है देश मे
manusmiriti padh ke comment kare. bakwas na kare
विनय आर्य जी और उनके साथी ,दोनोने बहूत बहुमूल्य जाणकारी देणे का प्रयास उत्तम तरिकेसे किया. सत्य सनातन धर्म मे महर्षी मनु एक महान ऋषी थे.उन्होंने चार वर्ण ,समाज व्यवस्था मे आवश्यक हैं, यह विचार रखे थे.षडयंत्र रचणे वाले आधे ज्ञानी होते हैं.विनय जी जब मनुस्मृती के बारे मे जाणकारी दे रहे थे,तब ओ ब्राह्मण यांनी ज्ञानी का कार्य कर रहे थे.हम रस्ते पर चलते समय कोई कुत्ता या अन्य प्राणी हमला करता है,तो हम उसे भगाने के लिये हात उपर करके उसे डराने का प्रयास करते है.उस वक्त हम क्षत्रिय की भूमिका मे होते हैं. बजार मे कोई खरिद रहे हो ,तो हम किंमत कम जादा करते है, तब हम वैश्य की भूमिका मे होते हैं.स्नान करते समय हमारा शरिर हमेशा ही स्वच्छ करना पडता है.शरिर स्वच्छ करणे नोकर नहीं रखते.तब हम शूद्र की भूमिका में होते है.हर एक थोडा ब्राह्मण का काम करते है, क्षत्रिय भी होते है,वैश्य भी होते है, शूद्र भी होते है.लेकिन सत्य सनातन धर्म पर टिका करणे वाले को अन्य धर्मीय बहूमान देते है.कोई भी हिंदू सहनशील है मतलब बूजदील नहीं.
Hindu society is full supporter of Manu smriiti except the dalit community.
मनुस्मृति में वामपंथियों ने अपने घिनोने षड्यन्त्र से गलत श्लोकों को जोड़कर ही हम दलित लोगों को धर्म के नाम पर जातियों में बांट कर राज किया । जिसका फायदा कांग्रेस भी भरपूर उठा रही है✍️
यही सत्य है
आजादी के समय दूसरा संबिधान बनवाना ही नहीं चाहिए था मनु स्मृति संबिधान से ही आजादी ले लेना था।लाना है तो लाओ पावर आप लोगों की है।अगर ये सही था तो डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर के बिचार संबिधान लागू ही नहीं करना था।
Baba shaheb ke bichar , vanek desho ki sambidhan se copy kr liya aur kya
आज भी अगर दलित पड़ा लिखा संस्कारी हो तो भी भेदभाव होता है और उसे सुद्र कहते है ये सच है ।
Sudhra hona galat baat nhi
महेन्द्र पाल आर्य का विडियो ईमाम थे पंडित केसे बने पहले जानो
विश्व मे पूजा अम्बेडकर की होती है । पागल मनु की नही । इसे कुछ ही लोग मानते है । जो कि अंधविश्वास में आस्था रखते हैं ।
Jai bhim namo buddhay Sir Good
अरे चूतिये भारत के अलावा कोई कुत्ता भी नहीं पूछता इसको
Gandu bhimto के अलावा kutta भी नहीं जानता समझा
संविधान तेरे बाप आंबेडकर की देन नही है। घटना समिती की देन है। इसके हर कलम पर संसद मे चर्चा हुयी। मान्यता मिलनेपर लाग हुवा।
लौड़ा होता सिर्फ तेरे जैसे जाहिल करते हैं
जिसको ये नहीं पता सांविधान ब्रिटिश एक्ट 1935 की कॉपी है
लोगो का शोषण करने के लिए मनुस्मृति बनाया गया था। सभी लोगो का उत्थान करने के लिए बाबा साहब का संविधान है जो ब्राहम्णो को हजम नही हो रहा है अब।
भाई भृमित मत करो
मैंने ये किताब पढ़ी है
ये बहुत ही अपित्तजनक किताब है।
जय हो
यदि पहले वाला मनुस्मृति मिलावटी था आप भी तो काट-छांट कर मिलावट ही कर रहे हैं। इसतरह पहले वाला मिलावटकार ग़लत और आप भी ग़लत हैं । हां ऐसा कहिए कि सामाजिक हालात से मजबूर होकर आपको मूल मनुस्मृति में संशोधन करना पर रहा है
हम क्षत्रिय बली महाराज का आदर्श रखेंगे.यज्ञ संस्कृती हम नही मानेंगे. सिंधु संस्कृती झिंदाबाद.
वह लोग खुल कर मनुस्मृति को गलत कहते हैं, परंतु हम उनकी बातों में आकर महाराज मनु से दूर होते जा रहा है... यह दुर्गति लाएगा
हम सब मनुस्मृति तथा महराज मनु को अपने हृदय में रखे और अपना कर्म करते रहें।।
ॐ
हिन्दू धर्म के ग्रंथ " मनु स्मृति " को 1927 में एक बड़े कार्यक्रम में सरेआम जलाया गया ----- हिन्दू धर्म बहुत कट्टर है ।
@@Sameer.867 aapne kabhi padhi hai?
@@assharma7418 जी, कौन सी वाली 1875 से पहलेवाली या उसके बाद वाली ?
🙋♂️हिन्दू धर्म के ग्रंथ " मनु स्मृति " को 1927 में एक बड़े कार्यक्रम में सरेआम जलाया गया था । RSS और हिन्दू महासभा दोनों मिलकर नहीं रोका ??
♨️हिन्दू धर्म बहुत कट्टर धर्म है ♨️
@@Sameer.867 aapne kaunsi padhi hai??
@@assharma7418 जी, 1927 में जिस ग्रंथ को सरेआम जलाया गया है और उसका कोई बचाव करने की हिम्मत भी नहीं किया तो तभी वह ग्रंथ खण्डित हो चुका है ~ खण्डित मूर्ति की पूजा नहीं की जाती है और खण्डित ग्रंथ को भी पढ़ने की जरूरत नहीं है ।
जबकि मनुष्य में कोई भेद नहीं सभी एक जैसे हैं, फिर यें सारे विवाद क्यों ? और जब बाल्मीकि और व्यास मुनि भी तो ब्राह्मण की तरंह पुजे जाते है फिर यें लड़ाई क्यों । जबकि मनुस्मृति में कहा गया है कि मनुष्य ज्ञान से उच्च वर्ग के होते है, तो इस पथ पर तो ज्यादा शांति है ।
आरक्षण 10 साल के लिए था पर उसे हर साल क्यों बढ़ाते आये,कसाब को भी जमानत मिल जाती है पर sc/st act में बिना दोष रोपण के ही काले कानून की तरह जेल में क्यों डाल दियाजाता है
This is because government wants development of all societies and ensure that every society will be equal. Tabhi caste discrimination khatam ho sakta hai
वेद ही ऐसा ग्रहन्त हे जिस में कोई मिलावट नही कर पाए जिस ने भी मनु की लिखी किताब में मिलावट की वो मनुषय मर चुका है इस लिए जोभी मिलावट हे उसे हटा देना चाहिये सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय
ब्रह्माजी(Brahmaaji) कि डिलीवरी का video अगर है तो भेजो हम भी देखे कि उनकी डिलीवरी के दौरान मुख से ब्राह्मण, बाहु से क्षत्रिय, ओर छाती से कुछ वैश्य मगर यह बात सुनी सुनाई है कोई एक बाप की औलाद है तो ब्रह्मा जी कि डिलवरी को न किया और ब्रह्मा अगर पुरुष है तो पुरुष जात जन्म नहीदे सकती यह science hai झाटु लोगों
Vilas Londhe sahi kaha😂😂😂😂
Bhai teri galti nhi h ...suni hui baat ko mat bola karo ..hmare garandho k sath ched chad kiya gaya h ...
Very good explanation.. much appreciated
25 December ko manusmrti ko hr saal moolnivasi jalate h aur jalate rahenge ,,
Han bilkul Aisa hi hona chahiye
Jay bhim jay samvidhan
Bhimta
:-बहुजन जागो, हिन्दू धर्म त्यागो, बौद्ध धर्म अपनाओ, बाबा साहेब का वचन निभाओ, BJP भगाओ, EVM हटाओ,भारत देश बचाओ, जय हिंद,जय भारत।।। 🌹🌹🌹
:-बहुजन जागो, हिन्दू धर्म त्यागो, बौद्ध धर्म अपनाओ, बाबा साहेब का वचन निभाओ, BJP भगाओ, EVM हटाओ,भारत देश बचाओ, जय हिंद,जय भारत।।। 🌹🌹🌹
कोई ब्राह्मण शूद्र क्यों नहीं होता है ।सभी ब्राह्मण वर्ण व्यवस्था के ऊपर ही क्यों होता है ।मनुस्मृतीने सभी अधिकार ब्राह्मणें को ही क्यों दिए हैं ।ब्राह्मण चाहे कितने भी गलतियां कर लें लेकिन वो सर्वश्रेष्ठ रहता है मनुस्मृती के नुसार ऐसा क्यूं ।
Prashik Bahade भाई आपने मनुस्मृति नहीं पढ़ी है। उदाहरण, एक अपराध के लिए एक शुद्र को आठ वर्ष की सजा तो उसी अपराध के लिए ब्राह्मण को 64 वर्ष कि सजा। ये मनुस्मृति के एक श्लोक का अर्थ है।
+Vishal Chaubey agar 64 din ki saja brahmin ko di jati hai. to 64 salo ke barabar hoti hai. aisa manusmurti me kaha gaya hai.
तुलसी दास मनुस्मृती का पालन करने वाले वाले थे।
उन्होने लिखा ;
पूजिये विपृ गुणज्ञान शील हिणा ।
ना पूजीये शुद्र गुणज्ञान शील प्रवीणा।।
Bhai authentic Manusmriti khareed kar jaroor pdhe phir burai kare.
Prashik Bahade क्यों ऐसा बोल रहा है तू ने मनुस्मृति पढ़ी नहीं कहा वह ब्राह्मणों को ऊंचा उठा रही है क्यों नहीं शूद्र ब्राह्मण बन सकता था इसी के लिए तो है मनुस्मृति की बात कर रहा हूं ढंग से तो पढ़ लो
bilkul jaruri hai sir...video banaiye
एक कठपुतली राष्ट्रपति बना कर मनुस्मृति को महिमा मंडित कर रहे हो शर्म करो यह बताओ वर्तमान में कितने मुख्यमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के जज , कितने विश्व विद्यालयो के कुलपति/उपकुलपति आरक्षित वर्ग से है?
uske liye talent chahiye... mehnat karni padti hai... reservation nahi. tum logo ki soch to nich he hi... ek baap ki aulad ho to bagair resevation ke talent paida karo. talent kisi jaat ka monopoly nahi hai... samjhe niche soch wale
vastatav me aj sc bachche ararksha ke karan kam mehant karte h . vahi genenal vale arakshan na hone ke karan bahut mehant karte h.
तु ही चल ja
@@charvaak हाँ सही कहा आपने। हम बच्चो को यही सिखाते है के इतने ही सीट है ऐसा मान कर चले। आरक्षण के कारण कही द्वेष करने के झंझट मे अटक गये तो कुछ न पाओगे। तो बच्चे मेहनत करेंगेही। जिनको especially भिमटोको जातपात भेदभाव करना है, करे। उनके बच्चो को आरक्षण के कारण भेदभाव वाली सिख बचपन मे ही मिलती है। तो जातपात नष्टीकरण तो होनेसे रहा।
From where I can buy the Original MANUSMIRTI Book plz guide me 🙏🙏
jay bhim jay bhim
मान्यवर आपणे बडा मनुस्मृती का बखान किया हैं आप ने बताया हैं की गुणकर्म के आधार पर वर्ण बनाया हैं तो आप ये बताने का कष्ट करे क्या शिवाजी महाराज के कर्म शुद्र थे अगर नही तो उनके राज्यभिषेक का विरोध किसने किया ,क्या म.ज्योतिबा फुले गुण कर्म से शुद्र थे अगर नही तो ऊनका विरोध किसने किया,छ. शाहू महाराज क्या गुण कर्म से शूद्र थे अगर नही तो ऊनका अपमान किसने किया,डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर क्या गुण कर्म से शुद्र थे अगर नही तो बार बार उन्हे अपमानित किसने किया और क्यो किया बाबासाहेब तो हिंदू धर्म मे पैदा हुये थे धर्म परिवर्तन करणे मे मजबूर क्यो हो गये थे ।ढोल,गवार, पशु,शुद्र,नारी सभी ताडन के अधिकारी ये आपणे तुलसीदास का मनुस्मृती मे जोडकें गुमराह कर रहे हो बाबासाहेब आंबेडकर ने जब मनुस्मृती जलाई तब ऊनके साथ शहत्रबुद्धे भी थे ऊस वक्त बाबासाहेब का विरोध किसिने क्यो नही किया था और ये आप बार बार दलित दलित रटते रहते हो ये दलित क्या हैं वर्ण तो सिर्फ चार हैं फिर ये दलित कौन हैं आप लोग कहते हो की जन्म से सब शुद्र होते हैं और कर्म से द्विज धारण करते हैं तो क्या राष्ट्रपती कोविंदजी अब द्विज (जनेऊ,उपनयन संस्कार) धारण कर शकते हैं अगर सही मे आप सब को लगता हैं कर्म के आधार पर वर्ण बनाये हैं तो क्यो नही जातीया खतम करणे की पहल करते हो ,फिर वो कोई भी वर्ण का रहे जीसके गुणकर्म अच्छे हैं वो ब्राम्हण कहलायेगा मंदिरी मे भी पुजारी बनने का भी अधिकार पायेगालेकीन यहा तो गुणकर्म के आधार पर हजारो जातीया बनाई हैं आप जीनको दोष दे रहे हो क्या ऊन (शुद्र)लोगो ने जातीया बनाई अगर हा तो गुणकर्म के आधार पर वर्णव्यवस्था का सिद्धांत ही गलत हैं..जय शिवराय.. जय भीम..जय भारत
Bilkul sahi
Good
जाती तोडो समाज जोडो you saying is great.
मनुस्मृति ही अन्याय की जड़ है
जाती तोडो समाज जोडो iska jawab in brahman hindu apologist k paas nahi
तर्क देने के बजाय जात पात खत्म करने की बात क्यों नहीं करते हो आप लोगों को अब बेवकुफ बनाना बन्द करो
गधों का ज्ञान गधो को ही सही लगेगा। जिसने मानव को बाँट कर रखा वो कैसे सही हो सकता है।
Anil Kumar
Anil Kumar भाई मनुस्मृति में मिलावट की गई है। आज भी सही मनुस्मृति उपलब्ध है।
Anil Kumar th-cam.com/video/T_CLzk0XD6g/w-d-xo.html
100% gadho ka gyaan
'अनुसूचित जाति का व्यक्ति राष्ट्रपति बना ये मनुस्मृति से संभव हुआ |' चुप बे गधे
I support Manu Maharaj..
क्षत्रियरत्न बलीदेव , तथागत सिध्दार्थ,वर्धमान महावीर की जय .
अरे भाई वर्ण व्यवस्था से जाती व्यवस्था का निर्माण होगया है ईसकेलिये मनुस्मृती ही जिमेदारहै
Accha beta agar tujhe goli khane ko kaha jatega toh tu fasi par latak jayega
जो मनुस्मृती मे विश्वास रखते है या समर्थन करते है वो भारत के संविधान को मानते नही. जो धर्म एक आदमी जन्मतः उच्च और दुसरा नीच है वो धर्म उच्च कोटीका कैसे होता है .?
मैने ओरिजीनल मनुस्मृती पढी है उसपर चिंतन किया है.
धर्म की दलाली करना बंद करो पागलों जो तुम्हारे धर्म ग्रंथों में लिखा है उसकी सच्चाई तो साफ झलक रही है,अब मिर्च मसाला लगाने से क्या फायदा,जो धर्म ग्रंथों में लिखा है वहीं सत्य है और उस सत्य को हम कभी नही मानेंगे
जाके मुल्ला बन जा कौन है तेरे चक्कर मे
Allah ho akbar bol tu sale
Jaao bhai dhrm privartn kralo. 🌝
Mai tujhse kehtaa hun aaj jo balatkaar ho rhe hain uski vajah sirf ambedkar ka savidhaan hai toh tu bhi wahi kahega jo ye keh rhe hain or tere jaise maadrchod bohat ghumte firte hain unko rajasthan high Court nai faisla deke tere jaison ki chaddhi tak utaar di
Interpolation किसने किया इसपर मेरे साथ चर्चा किजीए .
Jai bhim
सर गुमराह न करें आज समाज मे क्या हो रहा आप जानते है
आज भी जातिवाद क्यों है ये क्यों नहीं बताते ग्रामीण क्षेत्रो में और विज्ञापन से क्यों नहीं बताते ।
मनुस्मृति में न्याय की बात थी तो किस नक़ानून के आधार पर वंचित तबकों के गलो में हांडी और कमर में झाड़ू बांधकर घूमना पड़ता था।क्यो उन्हें मंदिरो में प्रवेश नहीं करने दिया जाता था।आज पढ़लिखकर जानने लगे है और वैज्ञानिक सोच आयी है तब से आप लोगो के सारे मंत्रो के अर्थ बदलने लगे है।मनुस्मृति में यदि न्याय था तो क्यो एक वर्ग हमेशा से सबसे ऊपर रहा है।उसे ही क्यो सारे सामाजिक धार्मिक राजनीतिक और आर्थिक आधार प्राप्त थे?क्यो एक वर्ग इन सबसे वंचित रखा?ये मनु बाबा का विधान था कि ब्रह्मण ब्रह्मा के मुख से क्षत्रिय भुजा से वैश्य उदार से और शूद्र पैरो से।पुरानी मनुस्मृति की पुरानी पांडुलिपि तो होगी आप लोगो के पास वो लोगो के समक्ष पेश करनी चाहिए।मनुस्मृति सच मे समानता और न्याय पर आधारित थी तो उसका धरातल पर सही और व्यवहारिक रूप राष्ट्र में क्यो नही विकसित हो पाया?शुद्रो को हमेशा क्यो हासिए पर रखा?उन्हें क्यों अधिकारों से वंचित रखा?
Qki अंग्रेजो की नीति थी फुट डालो और राज करो।।जिसको हम ओर आप लोग समझ नहीं पा रहे।
आय॔ युरोशिया से आये,यहा के लोगों मे बस गये, आज कोई भी शुद आय॔ ,ब्राम्हण देश मे नही है. सब मिलावटी है.
Tum log Africa se aaye wahi jao
Fuddu nahi banegi janta Jai savidhan
Visuddh Manusmriti padho
Mr Brahman ur teaching is two god one for Bharat & other for west others
मंदिर मे गैर ब्राम्हण क्यो नही चालता?
Mandir banwao aur pujari bano
तु बाता कि किसी को अगर समझाये तो उसे समाझ मे न आये ऐसा हुआ है
शूद्रों को पढने के अधिकर से किसने और किस संविधान के आधार पर वंचित किया कौन बतायेगा
Only constitution by Dr B.R.Ambedkar..
India,s constitution is first time real law for the people ,from the ancient period .No manu no ganu.,
आज संविधान की जरूरत है किसी मनुस्मृती की नहि।
पहली तुम मनुस्मृति पढ़ा लिखा तो है नहीं
हमारे सनातन संष्ठापक महर्षि मनु को कोटि कोटि प्रणाम यह सनातन को मानने वाले कभी आपके ऋण से कभी उऋण नही होंगे जिनको आस्था नही है फालतू कमेंट न कर इसको छोड़कर जो अच्छा लगे वो अपना ले आपके जाने या रहने से कोई फर्क कतई नही पड़ने वाला क्योंकि कायर न देश धर्म के काम के है न समाज के आज जो संविधान को खुले रूप से चेलेंज करते है तो उनके बारे में कुछ भी बोलने की हिम्मत नही होती इसलिए यदि आपको पसंद नही है तो कोई साथ रहने को बाध्य नही कर रहा है जहां सम्मान मिले वहां चुप चाप चले जाएं फालतू बकवाश ण् ही करें
जय भारतीय संविधान जय मुलनिवासी SC ST OBC जर
Acha g ek bat btaiye ki manu ne bhraman ko bhraman ,shtriye ko shatriye btaya or vaish ko vaish fir shudero shuder btaya. Padhne ka adhikar bhraman ko hathiyar ka adhikat shtriye ko or business ka vaish ko or sir shuder ko kya adhikar the btaiye aap sb.
Ab aap videsho me bhi Manushrimit ko lagu karavo .
जो भगवान को निराकार मानते हैं और वेंदो में भगवान साकर लिखा है जो वेद को नहीं समझ सके उनसे मनुस्मृति को क्या समझेंगे
मनुस्मृति कहत हैं: जनम से सब शूद्र हैं और कर्म से ब्राह्मण (जो विद्वान, शिक्षक), छत्रिय (समाज के रक्षक), वैश्य (व्यापारी), शूद्र (सेवा वर्ग) को मानते हैं। यह अर्थ समय-समय पर बदलता रहा है और जो ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए हैं they start considering they are brahmins , even they dont study at some later stage (baad me). जिन्हें एक अलग तरीके से लिया गया है और बाद के चरण में अर्थ को पूरी तरह से बदल दिया गया है। इस पुस्तक को कुछ नियमों में लोगों को अच्छी तरह से चलाने के लिए प्रबंधित किया गया था, लेकिन निश्चित रूप से इसने अलग-अलग आकार लिए हैं और इसे ऊपरी परत द्वारा समय-समय पर संशोधित किया गया है और इसने अजीब आकार ले लिया है .. जो निचली परत के लिए अभिशाप बन गया है।
आप एक व्यक्ति से कुछ कहते हैं, वह व्यक्ति अगले व्यक्ति के लिए कुछ और कहता है और अगले 100 व्यक्ति के लिए आगे बढ़ता है और जब वह आपके पास वापस आता है, तो अर्थ पूरी तरह से बदल जाता है।
यही बात मनुस्मृति की भी हुई ।।
महाभारत में जय महा काव्य में 24,000 श्लोक थे और अब महाभारत में 1 लाख से अधिक श्लोक हैं। रामायण में उत्तरकांड अतिरिक्त है जो बाल्मीकि रामायण में नहीं था। हाँ सच। उस समय मीडिया मजबूत नहीं था। कोई भी प्रकाशन से पहले पढ़ने की क्षमता और प्रमाण की जाँच नहीं कर रहा था।
भारत में कई विदेशियों द्वारा और वर्षों के दौरान कई और परिवर्तनों द्वारा घुसपैठ की गई है .. हिंदू राजा मुगल से लेकर अंगरेज और फिर अब स्वतंत्र भारत .. अब हम खुले हैं और डिजिटल मीडिया में अपने विचार रख सकते हैं और अपने विचार रख सकते हैं .. सोशल मीडिया मजबूत है और सभी Google और आप ट्यूब पर available information’s ...
भीम राव अम्बेडकर ने मनुस्मृति को जलाया, ठीक है, लेकिन जलने से पहले उन्हें दोषों को खोजना और उजागर करना चाहिए और मनुस्मृति की मौलिकता की जांच करनी चाहिए। यदि हमने गलतियाँ की हैं तो केवल हम इसे संशोधित कर सकते हैं। जरा सोचिए अगर आपके ग्रैंड फादर ने परिवार में कुछ गलतियां की हैं, तो आप सुधारने की कोशिश करेंगे। इसलिए हममें से केवल भारत के लोगों के सामने मूल मनुस्मृति को संशोधित करने और उसे लाने के बारे में सोचना चाहिए। ब्यूरिंग ने इस बात पर मुहर लगाई है कि शूद्र जन्म से और काम से शूद्र होते हैं, अब वे शिकार हो गए हैं और बुद्धत्व या इस्लाम या ईसाई को अपनाने का उपाय खोजने की कोशिश कर रहे हैं। वहां कुछ नेता और लोग जो सभी संशोधित किताबों के आधार पर मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहे हैं .. यह योजना बनाई गई है और हिंदू धर्म को नष्ट करने की साजिश रची गई है।
मूल मनु स्मृति को सामाजिक व्यवस्था का समर्थन करने और योजना के साथ सामाजिकता को चलाने के लिए लिखा गया है। राजा जन्म या परिवार के आधार पर सभी दिव्यांगों के लिए मुफ्त शिक्षा की मांग कर रहे थे। बाद के चरणों में, कुछ मूर्खतापूर्ण दिमाग द्वारा प्रूपोज के लिए बहुत सारे संशोधन किए गए हैं फिर मोटिव और दिशा को पूरी तरह से chnaged किया गया है। अतीत में इसकी कभी समीक्षा नहीं की गई है, हालांकि, कुछ विद्वानों की समीक्षा की गई है और सभी अवांछित और बाद में संशोधित संस्करणों को हटा दिया गया है और मौलिकता बनाए रखने की कोशिश की जा रही है .. अब कुछ सार्वजनिक आंकड़े भी पीड़ित कार्ड खेलना और समर्थन करना नहीं चाहते हैं। मेरा विश्वास करो तुम अपनी जड़ ढीली करोगे और जड़ के बिना तुम कुछ भी नहीं हो .. इसलिए अगर कुछ गलत हुआ तो लड़ाई करो, आवाज उठाओ और इसे संशोधित करो और फिर सारे अधिकार ले लो .. इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
बहुत सारी चीजें ईश्वर की नहीं हैं जिन्हें सती प्रथा की तरह संशोधित किया गया है .. बालों को हटाना, महिलाओं की स्वतंत्रता .. भारत की शान्ति ने कभी भी ऐसी चीजों को प्रचारित नहीं किया है .. इसलिए हम 21 वीं शताब्दी में हैं और आपको अपनी जड़ों से विचलित नहीं होना चाहिए और इसे बेहतर बनायें अगर कुछ मुद्दे हैं .. हम सब एक हैं और गरव से कहो हम हिन्दू हैं। हिंदू एक विचार है और सनातन धर्म वास्तविक धर्म है।
Agar aap logon ke dwara diye gye waktavya purntaya satya hain toh mai abhi se Arya Samaj ka anupalan krna suru kr doonga.
Aag Laga do isse
Muje agar manusmruti book Lena hoto plz konsa leu
Jai bheem jai samvidhan jai Gyan..
समाज मे मनुवादी से शूद्र तथा दलित गृणा करते हैं। मनुवाद के कारण ही एकलव्य को पढने नही दिया।
में दलित हूं मैने पड़ा है और में सही मानता हूं मनुस्मृति को जय मनु महाराज
Bhai mai ne bhi padhi hai Manusmriti .Bahut contradictions hai.Bech bech me out of the context verses dale huye hai.Ek verse me non veg ,sex,alcohol ko strictly mana karta hai toh dusre me inko normal batata hai. Kuch verses me women ki position bahot acchi hai but baki ki verses me bad remarks ki hui hai. Ek verse me mujhe bahot accha laga Kashta hai No one is born a brahmin,.But some verses extremely violent bhi hai dalits ke liye. Sayad translation mistake huyi , ya kissi ne daal di . Pata nahi. Mai toh Nastik hoon but culture ki respect bahot karta hoon. Out of context verses ko hatana chahiye
Kounsi पढ्नी चाहिए mujhe bhi bataiy
:-बहुजन जागो, हिन्दू धर्म त्यागो, बौद्ध धर्म अपनाओ, बाबा साहेब का वचन निभाओ, BJP भगाओ, EVM हटाओ,भारत देश बचाओ, जय हिंद,जय भारत।।। 🌹🌹🌹
:-बहुजन जागो, हिन्दू धर्म त्यागो, बौद्ध धर्म अपनाओ, बाबा साहेब का वचन निभाओ, BJP भगाओ, EVM हटाओ,भारत देश बचाओ, जय हिंद,जय भारत।।। 🌹🌹🌹
:-बहुजन जागो, हिन्दू धर्म त्यागो, बौद्ध धर्म अपनाओ, बाबा साहेब का वचन निभाओ, BJP भगाओ, EVM हटाओ,भारत देश बचाओ, जय हिंद,जय भारत।।। 🌹🌹🌹
Manuismarthi mera adhras hain
jai ho mershi manu ki
hamara prachin savidan manu ji
Jai Manu.. ❤️ Mulle dislike mar sakte hain.
very good video jai manu
Sir बकवास की भी हद हे करोडो वर्ष पहले मानव का जन्म ही नही हे ओर डर का नाम भगवान हे ओर भगवन नाम की कोई चिज नही हे इस प्रकार कोई किताब भगवन ने ना लिखी।अब मनुवादी लोग नई मनूस्मर्ति ला रहे ओर उसे सही बता रहे हे।लगभग सभी धर्माचार्य बकायदा शूद्रो को कहते हे कि ये पढ लिख नही सकते इन्हे हक ही नही इनका काम उपर के वर्ण की सेवा करना हे।अब मनुवादी कितनी भी कोशिश कर ले बहुजन झासे मे आने वाले नही।जो धर्म उंच-नीच पर अधारित हे वो धर्म नही उसे छोड देना चाहिए।आपकी बहस तार्किक नही हे ।समाज मनु के आधार पर बटा हे सनातन धर्म के अनुसार मानव मानव नही हे ।आप बेठ कर कोरी बकवास कर रहे हे।ऐसा क्या कारण हे की सविंधान से पहले भेदभाव चर्म पर था क्यों हे इसका कोई जवाब।जय भीम नमो बुधाय
श्रीमान जी आप सही कह रहे।ये क्या है ना। कि अब मेने पड़ा है अर्थशास्त्र, और आपने पड़ा है विज्ञान ,तो मै जिद कर रही हूं कि मुझे वैज्ञानिक बनना है ।
की श्री कृष्णा
जय मनूमहाराज 🙏🙏🚩🚩
:-बहुजन जागो, हिन्दू धर्म त्यागो, बौद्ध धर्म अपनाओ, बाबा साहेब का वचन निभाओ, BJP भगाओ, EVM हटाओ,भारत देश बचाओ, जय हिंद,जय भारत।।। 🌹🌹🌹
:-बहुजन जागो, हिन्दू धर्म त्यागो, बौद्ध धर्म अपनाओ, बाबा साहेब का वचन निभाओ, BJP भगाओ, EVM हटाओ,भारत देश बचाओ, जय हिंद,जय भारत।।। 🌹🌹🌹
@@पत्रकारपोपटलाल-फ9ण 🤣🤣🤣🤣🤣नहीं सुधरोंगे तूम
Sadar pranam
Brahman hi sare kitabo ko likhe apne anusar jisme brahmano ko dev or mulniwasiyo ko sc st obc ko rakchhas banaye
Anil RAJAK yeh arya samaj naya hindu jihadi shanghtan hai. Jo jabardasti sabko convert kara raha h. Islam or isme kuch farq nahi h. Yeh ek din bolenge ki caste based atrocitu bhi scientific hai use support karna chahiye. Ram ne shambuk ko mara. Sab sawarno ko shudro ko marna chahiye
How do u define word sudra? I have seen people from sabarn are worst from lower caste.Do u call them sudra?
Vedas are written by man when nagri lipi came into process
Baba sahab good
मनु स्मृति में मिलावट की गई अंग्रेजी द्वारा,,जिसका सबसे पहले पता दयानंद सरस्वती जी ने लगाया।
अंग्रेजो का लक्ष्य था,,फुट डालो ओर राज करो।।
मनु महाराज द्वारा रचित मनु स्मृति सबके लिए भलाई योग्य थी,,,जिसका गलत अर्थ निकाला ,,जिसका उद्देश्य,, ब्राह्मणों ओर शूद्रों को बड़ा छोटा बताकर सिर्फ लड़ाना था।।
बिल्कुलसही
Land ka dayanand sasvati khoj lagaya
👍
@@mahidmohanti3599 haram ke jane sale dhed chup bet
O dyanand saraswati jo gyan deta hai.guda se sanp ko utha lena.😂😂😂😂
मनुसमृति लाकर देश को दुसरी बार गुलामी की और नहीं धकेलना है।
तुमने मनुस्मृति के बारे में गलत जानकारी दीया है
या तुमने गलत जानकारी प्राप्त किया है
चाहे जो हो जाये मनुस्मृति लागु नहीं होने देगे
ईसकेलीए जीतना भी खुन बहे कोई प्रवाह नहीं
जय भीम जय संविधान ही रहे गा
जानना नही मानना नही खुन सबका बहेगा हानी सबको होगी फायदा सिर्फ मजहब वालो का धर्म एक जाती है तुम एक बार जरूर सोचना रिश्ता बराबर वालो मै ही होता है आगे बढने की जरूरत है पीछे देखने की नही
तुम सरिया का विरोध करो भाई यह मनुस्मृति को विरोध करने का काम तो हिन्दुओं का है।
बिलकुल सही कहा आपने
लगभग पाच हजार साल पहले युरेशियन आर्य भारत में आए और मनुस्मृती लिखी गई . उससे पहले भारत इतना समृद्ध था कि भारत को सोने की चिडिया कहा जाता था . उस समय वंश परंपरां थी .जैसे के बळीवंश. बळी के राज्यों में पुरा भारत काफी समृद्ध tha . aryone baliko kapat karake mara . badme manusmrutiki niti chalayi gayi . usake bad bharat ki samruddhi dhire dhire kam hoti gayi our aaj ke bure din aa gaye. manusmrutike lagu honese bharat soneki chidiya nahi raha. halat bigad gaye to manusmrutiko sahi ya achchha kaise kaha sakte hai?? ulta uske bunahi bharat samruddha tha . isliye manusmruti bahuthi ghatiya kitab hai jispe duniya hasti hai .
ishvarne bataye huye ved par agar manusmruti bani hai to vo ved isvarne kisko bataye the ? kya manu ke kan me ? isvar agar ved bata sakta hai to likh bhi sakta ta usne kisi manusyaka sahara kyun liya ? ved duniyame kisi desh ne dekhe ya padhe hai ? nahi na ! to kaise mane jo vedome hai vo manusmruti me hai ? ved agar hindu dharma ke dharm granth hai to sabhi hindu logonko unkehi dharmagranth kyon nahi padhane dete ye bramhan ? padhana to chodo dekhanebhi nahi dete. kyonki kisine ved padhe to sabko pata chalega ki vedome kitani barbarta hai, amanaviyata hai, tyachar v asamanata etc. hai.
EVM HATAO , VVPTA LAO ,DESH BACHAO.
JAY MOOLNIVASI.JAY BHARAT.
Bore din muglo portgaliyo or angrejo k any s aye
Ab ap kya chahtey HAI ki brahmin ko FANSI PR ltka diya jaye ved Ram krishan s bohot pehle a GAE thy
Or balet box ka time b hamny dekha HAI onhy BADAL diya jata tha badle hue bellet box nale m milty thy or bohot badi sankhya mai
Or manusmriti aj s 5000 sal pehly likhi gai thi OS wqt humy nahi pata ki kya paristhiti thi ki esa SAMVIDHAN likha gaya mgr aj hum sab ise smjh kr khud ko BADAL rahy HAI mgr baki dharamo ka kya Jo kabi nahi badlny wale
पाखंडी /ढौगियो के लाभार्थ पीढी दर पीढ़ी के लिए बनाया गया है । एक जाति को छोड़कर सबके कलिए अहितकर है ।।
संविधान की जय हो ।।
राजस्थान High-Court परिसर में स्थापित महर्षि मनु की प्रतिमा [ मनुस्मृति के रचयिता ]
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मनु के अवांछित विरोध के फलस्वरूप 28th Aug 1989 को राजस्थान उच्च- न्यायालय के जयपुर परिसर में स्थापित महर्षि मनु की प्रतिमा को हटाने का प्रस्ताव राजस्थान उच्च- न्यायालय की पूर्व पीठ द्वारा सर्वसम्मति से पारीत हो गया। जब यह बात चर्चा में आई तब डॉ सुरेंद्र कुमार जी की प्रेरणा से मैंने एक समादेश याचिका राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर पीठ के समक्ष प्रस्तुत करके उस आदेश को रद्द करने की प्रार्थना की। उस समादेश याचिका के समर्थन में 14 बातें (तर्क के रूप में ) न्यायालय के समक्ष रखी गई थीं। या यूं कहिये की पूरी समादेश याचिका को 14 बातोँ पर आधारित करके प्रार्थना की गई थी कि---
" महर्षि मनु की स्थापित प्रतिमा को निर्धारित स्थान से अन्यत्र न हटाया जाए ।"
वे आधारभूत बातें निम्नलिखित हैं--
1. सर्वप्रथम और सर्वोपरि धर्मशात्र के प्रेरणा महर्षि मनु।
2. धार्मिक गुरु और धर्मप्रवक्ता
3. आर्यसमाज का विशिष्ट धर्मग्रथ मनुस्मृति है।
4. प्रथम विधि-प्रेरणा
5. आधुनिक विद्वानों की दृष्टि में मनु और मनुस्मृति सर्वाधिक प्रामाणिक
6.सर्वोच्च न्यायालय में मनु की प्रतीक प्रतिमा
7.मनु की विदेशों में मान्यता
8.मनु मानवसृष्टि के आदि जनक
9.मनु की वर्णव्यवस्था का वास्तविक स्वरूप
10. मनु के मत में शुद्र अस्पृश्य नही
11.मनु की दंड व्यवस्था शूद्रविरोधी नही
12.वर्ण परिवर्तन के ऐतिहासिक उदाहरण और प्रमाण
13. आधुनिक काल मे मनु व्यवस्था के अनुसार वर्ण परिवर्तन
14.मनुस्मृति में प्रक्षेप और प्रक्षेपों पर शोधकार्य
अपनी बात को रखने के लिए न्यायालय के मुझ याचिका कर्ता को भी बुलाया गया। समय कम दिया था अतः मैन मनु की मूर्ति का प्रतिवाद कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता महोदय से पूछा --
" मैंने अपनी याचिका में 14 बातों को आधार बनाया है। यदि आप इन 14 बातों में जिन किसी भी तीन बातों को सबसे कमजोर समझते हैं, उन्हें आप बता दें, यही तीन बातें मेरा आधार होंगी।मैं उन्ही पर बोलूँगा।शेष बातें फिलहाल समयाभाव के कारण छोड़ देते हैं। "
बात तो बड़ी अटपटी सी लगी कि कोई व्यक्ति प्रतिपक्षी अधिवक्ता से ही पूछे कि मेरे पक्ष की (14 में से)सबसे कमजोर कोई भी तीन बातें बता दे,वही मेरा आधार होंगी।लेकिन प्रतिवादी वरिष्ठ अधिवक्ता न बता सके। उनका उत्तर न आते देखकर मामले की सुनवाई कर रही पूर्णपीठ ने आदेश दिया कि मैं अपने समर्थन में कही गयी सभी 14 आधारभूत बातों का खुलासा करके न्यायालय के समक्ष रखूं। मैंने वही किया। लगभग पूरे 3 दिन का समय लगा।पूर्ण पीठ ने सभी बातें बड़ी ध्यान से सुनीं। उत्तर देने के लिए जब प्रतिवादी वरिष्ठ अधिवक्ता का क्रम आया तो वे अपना पक्ष न रखकर बगले झाँकने लगे। न्यायालय की कार्यवाही का रिकॉर्ड बताता है--
"लगभग 20 min तक इंतज़ार करने के बाद भी मनु का प्रतिवाद कर रहे पक्ष की ओर से जवाब देने का साहस अधिवक्ता नही जुटा पाए। ।"
अंत में न्यायालय ने एक अंतिम आदेश पारित करके मनु की मूर्ति को न्यायालय परिसर से अन्यत्र स्थानांतरित करने संबंधित 28th Aug 1989 के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी । नतीजन आज भी महर्षि मनु की प्रतिमा वही पर है।
---धर्मपाल आर्य
(मंत्री, मनु प्रतिष्ठा संघर्ष समिति एवं
मंत्री , आर्ष साहित्य प्रचार ट्रस्ट)
प्रस्तुति -अनिल आर्य
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9784729718
o dharma hi kis kam ka jisme hamehi hamarehi dharm granth padhsne sunane yaa dekhanabhi mana hai our aisa kiyabhi to dandit kiya jata ho.
namo buddhay.
देश संममबिधाान से चले गा मनुस्मृति से नहीं चलेगा जो
Great Work