Chaiti Mandir 🛕 Kashipur | आखिर क्यों बनवाया औरंगजेब ने ये मंदिर | Chaiti Mandir | Anokhe Manzar

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  • เผยแพร่เมื่อ 26 ส.ค. 2024
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    / anokhemanzar_
    नोट: ये सारी जानकारी मंदिर के पुजारी तथा इंटरनेट के द्वारा प्रप्त की गई है
    ------ निर्माण --------
    ये मंदिर औरंगजेब के द्वारा बनवाया गया है
    -------- मेला---------
    शाक्त सम्प्रदाय से सम्बन्धित अधिकांश मंदिरों में नवरात्रि में मेले लगते हैं, वैसे ही माँ बालासुन्दरी के इस मन्दिर में भी नवरात्रि में अष्टमी, नवमी व दशमी के दिन यहाँ श्रद्धालुओं का तो समुह ही उमड़ पड़ता है। नवरात्रि के अवसर पर यहाँ तरह-तरह की दुकानें भी मेले में लगती हैं। यहां देवी महाकाली के मंदिर में बलि भी चढाई जाती थी। अन्त में दशमी की रात्रि को बालासुन्दरी की डोली में बालासुन्दरी की सवारी अपने स्थाई भवन काशीपुर के लिए प्रस्थान करती है। प्राय: चैती मेले में पूरी ऊर्जा काशीपुर से डोला चैती मेला स्थान पर पहुँचने पर ही आती है। डोले में प्रतिमा को रखने से पूर्व अर्धरात्रि में पूजन होता है तथा बकरों का बलिदान भी किया जाता है। डोले को स्थान-स्थान पर श्रद्धालु रोककर पूजन अर्चन करते और भगवती को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते है। मेले का समापन इसके बाद ही होता है। जनविश्वास के अनुसार इन दिनों जो भी मनौती माँगी जाती है, वह अवश्य पूरी होती है।
    -------मान्यताएं-------
    लोक मान्यतानुसार जो लोग इस मन्दिर के वर्तमान पण्डे हैं, उनके पूर्वज मुगलों के समय में यहाँ आये थे और उन्होंने ही इस स्थान पर माँ बालासुन्दरी के इस मन्दिर की स्थापना की। तत्कालीन मुगल सम्राट औरंगजेब ने भी इस मंदिर को बनाने में सहायता दी थी। इस मंदिर परिसर में एक पाकड़ का पेड़ स्थित है। इसका तना और पतली टहनी तक सब खोखला है। स्थानीय पंडा पेड़ के संबंध में मान्यता बताते हैं कि एक बार एक महात्मा आए उन्होंने मंदिर के पुजारी पंडा को शक्ति दिखाने को कहा तो पंडा ने कदंब के पेड़ पर पानी का छींटा मारा तो पेड़ फ़ौरन सूख गया। तब उन्होंने फिर उसे हरा करने को कहा तो पंडा ने पेड़ हरा कर दिया, लेकिन पेड़ खोखला रह गया।[3] यह पेड आज भी यहां दिखाई देता है।

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