संसार का इकलौता यमराज जी का मंदिर। 4K । दर्शन 🙏
ฝัง
- เผยแพร่เมื่อ 19 ต.ค. 2024
- भक्तों नमस्कार! प्रणाम! सादर नमन और अभिनन्दन.... निःसन्देह हमारे देश में देवभूमि और तपोभूमि हिमाचल प्रदेश बात निराली है... हिमाचल प्रदेश सिर्फ अपनी खूबसूरत वादियों और बर्फ से ढके पहाड़ों की वजह से बीच नहीं जाना जाता, बल्कि यहां के हजारों हज़ार मंदिर भी तीर्थ यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
भक्तों! हिमाचल प्रदेश के चंबा जिला के भरमौर स्थित चौरासी मंदिर समूह में संसार के इकलौते मौत के देवता यमराज का मंदिर है। जहां मरने के बाद हर किसी को जाना ही पड़ता है चाहे वह आस्तिक हो या नास्तिक।
मंदिर और उसकी स्थापना:
भक्तों! चौरासी मंदिर की स्थापना कब और किसने किया, ये कोई नहीं जानता। इसके निर्माण को लेकर लोगों में कई मत हैं। जहां कुछ लोग इसे छठी शताब्दी तो कुछ इसे दशवीं शताब्दी का बना हुआ मानते हैं तो वही कुछ लोगों के अनुसार चंबा रियासत के राजा मेरूवर्मन ने छठी शताब्दी में इस मंदिर की सीढिय़ों का जीर्णोद्धार करवाया था। इसके अलावा इस मंदिर की स्थापना को लेकर अभी तक किसी को भी जानकारी नहीं है।
भक्तों! भरमौर चौरासी मंदिर धार्मिक ही नहीं ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। कहते हैं यह पहले पहाड़ी राजाओं की राजधानी हुआ करती थी। तब भरमौर का नाम ब्रह्मपुर हुआ करता था। शहर के बीच स्थित ये मंदिर लगभग 1,400 से अधिक वर्षों से खड़े, चौरासी मंदिर परिसर को यह नाम उन 84 तीर्थस्थलों से मिला है, जो भरमौर के बीचो बीच बने हैं। 84 मंदिर परिसर में मणिमहेश मंदिर का सबसे अधिक महत्व है, क्योंकि यह भगवान शिव का मंदिर, सभी मंदिरो से पुराना है। यहाँ के अन्य मंदिरों में छोटे मंदिर विष्णु, हनुमान, लक्ष्मी नारायण के अलावा कई देवी देवताओं की मूर्तियाँ प्रतिष्ठित हैं।
भगवान शिव की कथा:
भक्तों! लोककथाओं के अनुसार, एक समय था जब भरमौर को ब्रह्मपुर के नाम से जाना जाता था, तब यहाँ ब्राह्मणी देवी का निवास था। किंवदंती के अनुसार, एक बार देवी किसी काम के चलते यहां से चली गई, तभी भगवान शिव, आदियोगी ने अन्य 84 योगियों की टुकड़ी के साथ मणिमहेश कैलाश की ओर जा रहे थे। अपनी यात्रा के दौरान उनकी नजर इस स्थान पर पड़ी तो वहीं थोड़ा विश्राम करने का फैसला किया।
भक्तों! जब देवी वापस आईं, तो उन्होंने अपनी इच्छा के विरूद्ध अपने निवास स्थान पर इन संतों को देखकर काफी उग्र हो गई और गुस्से में सभी योगियों और सिद्धों को यह स्थान छोड़ने के लिए कहा। भगवान शिव ने, देवी से एक रात के आश्रय हेतु अनुरोध किया और आश्वासन दिया कि “वे सभी अगली सुबह चले जाएंगे”। और किसी अज्ञात कारण वश भगवान शिव ने 84 योगियों को 84 शिवलिंगों में बदल दिया और स्वयं अकेले ही कैलाश चले गए।
मंदिर निर्माण की कहानी:
भक्तों! भरमौर के चौरासी मंदिर से जुड़ा एक और किस्सा है। कहा जाता है कि राजा साहिल वर्मन ने ब्रह्मपुर (भरमौर का पुराना नाम) को अपनी राजधानी बनाया। और वहीं निवास कर अपनी सत्ता चलाने लगे। कुछ ही समय बाद, वहाँ 84 योगियों का आगमन हुआ। जो कुरुक्षेत्र से आए थे और मणिमहेश झील व मणिमहेश कैलाश पर्वत दर्शन के लिए जा रहे थे। राजा साहिल वर्मन उनका बहुत ही आवभगत और स्वागत सत्कार किया। सभी योगी राजा के आतिथ्य से बहुत प्रसन्न हुये। उस समय तक राजा के कोई भी संतान नहीं थी, तब योगियों ने राजा को वरदान दिया कि “उसके यहाँ 10 पुत्रो का जनम होगा”| कुछ सालो बाद राजा के घर दस पुत्रों और एक पुत्री का जनम हुआ। पुत्री का नाम चंपावती रखा गया। पुत्री चम्पावती के पसंद से राजा ने नई राजधानी बनाया... और पुत्री नाम पर राजधानी का नाम चम्बा रखा। कहा जाता है भरमौर के 84 मंदिर, उन्ही 84 योगियों को समर्पित करके बनाए गए थे, जो चौरासी मंदिर के नाम से मशहूर हैं। चौरासी मंदिर परिसर में बड़े और छोटे 84 मंदिर हैं। भरमौर के केंद्र में एक विशाल मैदान है... जहां शिवलिंग के रूप में मंदिरों की आकाशगंगा है।
चित्रगुप्त का खाली कमरा:
भक्तों! 84 मंदिर में एक खाली कमरा है, जहां पर आत्मा के उल्टे पांव भी दर्शाए गए हैं। जिसे चित्रगुप्त का कमरा माना जाता है। चित्रगुप्त यमराज के सचिव हैं जो जीवात्मा के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। मान्यता है कि जब किसी की मृत्यु होती है तब यमराज के दूत उस व्यक्ति की आत्मा को पकड़कर सबसे पहले इस मंदिर में चित्रगुप्त के सामने प्रस्तुत करते हैं। चित्रगुप्त जीवात्मा के कर्मों का पूरा ब्योरा देते हैं।
यमराज की न्यायसभा:
भक्तों! चित्रगुप्त के कमरे से सामने यमराज की न्यायसभा है। चित्रगुप्त के कक्ष से आत्मा को यहीं लाया जाता है। यहां पर यमराज कर्मों के अनुसार आत्मा को अपना फैसला सुनाते हैं। मान्यता है इस मंदिर में चार अदृश्य द्वार हैं जो स्वर्ण, रजत, तांबा और लोहे के बने हैं। यमराज का फैसला आने के बाद यमदूत आत्मा को कर्मों के अनुसार इन्हीं द्वारों से स्वर्ग या नरक में ले जाते हैं। गरूड़ पुराण में भी यमराज के दरबार में चार दिशाओं में चार द्वारों का उल्लेख किया गया है।
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन ! 🙏
इस कार्यक्रम के प्रत्येक एपिसोड में हम भक्तों को भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर, धाम या देवी-देवता के दर्शन तो करायेंगे ही, साथ ही उस मंदिर की महिमा उसके इतिहास और उसकी मान्यताओं से भी सन्मुख करायेंगे। तो देखना ना भूलें ज्ञान और भक्ति का अनोखा दिव्य दर्शन। 🙏
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
#devotional #mandir #vlogs #hinduism #84temple #yamraj #chamba #HimachalPradesh #travel #darshan #tilak #yatra #TH-cam
Jay shree ram ♥️♥️♥️♥️
ॐ नमः शिवाय
Jai shri ram 🚩
🙏🌹🌹🙏
Jai sanatan dharm ke dhrmadhiakari nayaymurti bhagwan chittagupt ji mharaj
Jay Shri ram🙏🙏
जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम
Jai ho chaurasi ji ki🙏🏻
बेहतरीन जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद🙏💕
बहुत ही सुंदर जानकारी दी आपने धन्यवाद ..... 🙏
Chama bhagwan
Wah g wah
Hare Krishna 🙏🙏♥️
Om Suryaputra Vidhya Mahi Maha kala Dhimi Thanno Yumo prachodayat
84 लाख योनियों से संबंधित भी हो सकता है
Mai ja chuka hun swarg hai
How to go chaba
Yamraj mandir
Faizan Khan
🇳🇵🇳🇵🕉️🥀😂😂🙏🙏🙏🙏
Jay shree ram ji 🙏🙏