देवन को दरबार सज्यो जब पिंगल कवि एक छंद कयो री। काहु से अर्थ कयो नी गयो तब नारद मुनि उपाय कयो री। मृत्यु लोक में है एक गंग कवि जाको यस चहुं ओर भयो री। तब चाह भई शिवशंकर को गंग को लेण गजराज पठायो।। 🙏🙏🙏🙏🙏
भभूत लगावत शंकर को, अहिलोचन मध्य परौ झरि कै। अहि की फुँफकार लगी शशि को, तब अंमृत बूंद गिरौ चिरि कै। तेहि ठौर रहे मृगराज तुचाधर, गर्जत भे वे चले उठि कै। सुरभी-सुत वाहन भाग चले, तब गौरि हँसीं मुख आँचल दै॥
देखिए ऐसी बात है कि अगर भभुत से दोहा शुरू करते हैं तो वो दध अक्षर बनता है,, और जो पुराना कवि हैं और उसको कविता का ज्ञान है,, वो आदमी भभुत से दोहा कभी भी शुरू नहीं करेगा
सही दोहा इस प्रकार है,,सार लगावत शंकर के,अही लोचन बीच पङी ठरके?जीसकी फनकार लगी शशी के जब अम्रत बुंद पङी धरपे??उठियो बनराय रहियो गरणाय सुरभि सुत भागीयो देख डरके,? कवि गंग कह सुण साह अकबर गंवर हंसी मुख यूं करके,??
यही तो वर्तमान में ऐक समस्या बनी हुई है कि वर्तमान में जिनके राजस्व खाते में राव जाति लि़खी है वै ढौल बजाते हैं व ऊनको डैली कहते हैं अर्थात ईस महान समाज को अर्श से फर्श पर पटक दिया यह दुर्दशा कैसे हुई यह बतावें
Very very good bat he ravaji sa bot khus raho thanks jug jug jiyo 👍👍🙏🙏🙏🙏🙏
राव जी थाकी बातें सुनकर दिल खुश हो गया है
रावजी साहब ने बहुत ही बढियां हुंकारेबात बात सुनाई रावजी साहब क़ो बहुत बहुत धन्यवाद सर
बहुत बढ़िया बात राव जी
Bahut Asibat Kahi Ravji
Nice
Va sa ravji va , very good story
❤
देवन को दरबार सज्यो जब पिंगल कवि एक छंद कयो री।
काहु से अर्थ कयो नी गयो तब नारद मुनि उपाय कयो री।
मृत्यु लोक में है एक गंग कवि जाको यस चहुं ओर भयो री।
तब चाह भई शिवशंकर को गंग को लेण गजराज पठायो।।
🙏🙏🙏🙏🙏
भयो री ओर पठायो यह दोहा में सही जुङता नहीं है,,हर दोहे एक सेह और पेह जुङनी चाहिए तभी दोहा बोलने और सुनने में अच्छा लगता है
धन्यवाद सा अर्जुन दास जी
सभी जगह से री हटा दो@@raojiofficialstudio
🥰🥰🥰
राव जी राम राम सा
भभूत लगावत शंकर को, अहिलोचन मध्य परौ झरि कै।
अहि की फुँफकार लगी शशि को, तब अंमृत बूंद गिरौ चिरि कै।
तेहि ठौर रहे मृगराज तुचाधर, गर्जत भे वे चले उठि कै।
सुरभी-सुत वाहन भाग चले, तब गौरि हँसीं मुख आँचल दै॥
देखिए ऐसी बात है कि अगर भभुत से दोहा शुरू करते हैं तो वो दध अक्षर बनता है,, और जो पुराना कवि हैं और उसको कविता का ज्ञान है,, वो आदमी भभुत से दोहा कभी भी शुरू नहीं करेगा
कविता में कितने दध अक्षर होते हैं,, अगर आपको इसके बारे में जरा सा भी ज्ञान है तो विस्तार बताओ
आपका परिचय दो,, ओर दध अक्षर कितने होते हैं उसके बारे में थोड़ा बताओं
सही दोहा इस प्रकार है,,सार लगावत शंकर के,अही लोचन बीच पङी ठरके?जीसकी फनकार लगी शशी के जब अम्रत बुंद पङी धरपे??उठियो बनराय रहियो गरणाय सुरभि सुत भागीयो देख डरके,? कवि गंग कह सुण साह अकबर गंवर हंसी मुख यूं करके,??
यही तो वर्तमान में ऐक समस्या बनी हुई है कि वर्तमान में जिनके राजस्व खाते में राव जाति लि़खी है वै ढौल बजाते हैं व ऊनको डैली कहते हैं अर्थात ईस महान समाज को अर्श से फर्श पर पटक दिया यह दुर्दशा कैसे हुई यह बतावें
Gang Rav nhi the
Galat mt kho
Kon the bhai fir... Bhatt brahmin the kya ?