सचेतन, पंचतंत्र की कथा-27 :सियार की चाल-2

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  • เผยแพร่เมื่อ 9 ม.ค. 2025
  • सियार चंडरव की कथा
    नमस्कार दोस्तों! आपका स्वागत है "सचेतन" के इस सत्र में, जहाँ हम पंचतंत्र की कहानियों से सीख और प्रेरणा लेते हैं। आज की कहानी है एक चालाक सियार 'चंडरव' की, जो जंगल के दूसरे जानवरों को अपनी बुद्धिमानी से ठगता है।
    एक दिन भूख से परेशान होकर चंडरव नामक सियार भोजन की तलाश में नगर की ओर निकल गया। जैसे ही वह नगर में घुसा, कुत्तों ने उसे घेर लिया और उसे काटने की कोशिश करने लगे। अपनी जान बचाने के लिए वह एक रंगरेज के घर में जा घुसा और वहां रखे नीले रंग के बड़े बर्तन में कूद पड़ा। जब वह बाहर निकला, तो उसका पूरा शरीर नीले रंग में रंग चुका था। इस अजीब रंग के कारण कुत्ते उसे पहचान नहीं पाए और वहां से भाग गए। चंडरव ने सोचा कि इस नए रूप का फायदा उठाया जाए, और वह जंगल वापस चला गया। जंगल के सभी जानवरों ने जब उसे नीले रंग में देखा, तो वे डर गए और उसे अजीब प्राणी समझकर दूर भागने लगे।
    चंडरव ने जानवरों को घबराते हुए देखा और कहा, "डरो मत, मुझे ब्रह्मा ने स्वयं बनाया है और जंगल का राजा नियुक्त किया है। अब मैं तुम्हारा नया राजा ‘ककुद्रुम’ हूँ और मेरी छत्रछाया में तुम सब सुरक्षित रहोगे।" उसकी बात सुनकर जंगल के सभी जानवर जैसे सिंह, बाघ, भेड़िये आदि उसे अपना राजा मानने लगे। उसने सिंह को मंत्री, बाघ को सेजपाल और चीते को पान-सुपारी का अधिकारी बना दिया। उसने अपने पुराने साथी सियारों को भी बाहर निकाल दिया। इस प्रकार चंडरव से ‘ककुद्रुम’ बन कर जंगल का राज-काज चलाने लगा और सभी जानवर उसका पालन करने लगे। लेकिन आगे क्या होता है-
    इस प्रकार कुछ समय बीतने पर, एक बार ककुद्रुम ने दूर से सियारों को भौंकते हुए सुना। उनकी आवाज सुनकर उसके शरीर के रोएं खड़े हो गए, आंखों में खुशी के आंसू भर आए, और वह ऊंचे स्वर से रोने लगा। इतने में सिंह और अन्य जानवरों ने उसकी ऊंची आवाज सुनी, और उसकी असली पहचान जान ली कि वह सिर्फ एक साधारण सियार है। शर्म से थोड़ा सिर झुकाए उन्होंने कहा, "अरे! इसने हमें धोखा दिया है। यह तो एक छोटा सियार है, इसे मारो।" यह सुनकर चंडरव भागना चाहता था, लेकिन सिंह और अन्य जानवरों ने उस पर हमला कर दिया और उसे मार डाला।
    इसलिए कहा गया है कि जो अपने नजदीकी लोगों को दूर कर देता है और अजनबियों पर भरोसा करता है, वह अंत में राजा ककुद्रुम की तरह मृत्यु को प्राप्त होता है।
    सियार चंडरव की कथा सुनकर पिंगलक ने कहा, "यदि यह संजीवक मेरे प्रति बुरी नीयत रखता है, तो इसकी पुष्टि कैसे हो सकती है?" दमनक ने कहा, "आज ही उसने मेरे सामने यह निश्चय किया है कि वह सुबह आपको मार डालेगा। यही इस बात की पुष्टि है।" सुबह के समय, जब वह लाल आंखों और फड़कते होंठों के साथ सभा में आपकी ओर देखेगा, तो आप समझ जाइएगा। यह जानकर जैसा उचित हो, वैसा कीजिएगा।
    इसके बाद दमनक संजीवक के पास गया, उसे प्रणाम किया और उसके सामने बैठ गया। संजीवक ने उसे अनमने और धीरे-धीरे आते हुए देखकर कहा, "मित्र! बहुत दिनों बाद दिखाई दिए। क्या कुशल से हो? अगर तुम्हें किसी चीज की जरूरत हो, तो चाहे वह देने लायक न हो, फिर भी मैं तुम्हें दूंगा।कहा भी है, 'जिनके घर मित्रजन आते हैं, वे इस पृथ्वी पर धन्य, बुद्धिमान और प्रशंसा के पात्र होते हैं।'"
    दमनक ने कहा, "अरे, नौकरों की कुशल ही क्या? जो राजा के नौकर हैं, उनकी दौलत पराधीन होती है, उनका मन हमेशा चिंतित रहता है, और उन्हें अपने जीवन के बारे में भी कोई विश्वास नहीं होता।"
    संजीवक ने कहा, "अरे! तूने यह बात ठीक नहीं कही। बदमाश चाहे छोटे भी हों, तो भी उनके बीच रहना नहीं चाहिए। वे कोई न कोई उपाय रचकर रहने वाले को मार सकते हैं। कहा गया है, 'चालबाजी से अपनी रोजी चलाने वाले छोटे पंडित ऊंट के बारे में जो कुछ कौओं आदि ने किया, उसी प्रकार भला या बुरा करते हैं।'"
    दमनक ने पूछा, "यह कैसे?"
    संजीवक कहने लगा-सिंह, ऊँट, सियार और कौए की कथा
    तो दोस्तों, इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि जो लोग अपने पुराने साथियों को छोड़कर अजनबियों पर भरोसा करते हैं, वे अंततः धोखे का शिकार हो जाते हैं। चंडरव ने अपने जैसे सियारों से दूरी बनाकर अपनी असलियत छुपाने की कोशिश की, लेकिन अंत में उसकी सच्चाई सबके सामने आ ही गई। इसलिए, हमेशा अपनी असली पहचान को मानें और दूसरों को धोखा देने से बचें।
    अंततः, दमनक की चालाकियों और साजिशों के कारण पिंगलक संजीवक को मारने का निर्णय ले लेता है। इस प्रकार दमनक सफलतापूर्वक पिंगलक और संजीवक की मित्रता में दरार डाल देता है और अपने स्वार्थ की पूर्ति करता है।
    आशा है आपको आज की यह कहानी पसंद आई होगी। फिर मिलेंगे "सचेतन" के अगले सत्र में, जहाँ हम पंचतंत्र की एक और प्रेरणादायक कहानी लेकर आएंगे। तब तक के लिए धन्यवाद और खुश रहिए।
    सचेतन के साथ रहें, समझदारी की कहानियाँ सुनते रहें।

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