माँसाहार का समर्थन - मूर्खता या बेईमानी? (भाग-3) || आचार्य प्रशांत (2020)
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- เผยแพร่เมื่อ 30 ก.ย. 2024
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वीडियो जानकारी:
27 अगस्त 2020. खुला संवाद, ग्रेटर नॉएडा, उ.प्र.
प्रसंग:
~ पौधों में भी तो जान होती है, तो हम पौधों को 'मारकर' क्यों खाते हैं?
~ माँसाहार को गलत क्यों माना जाता है?
~ प्रकृति में सभी बड़े जानवर अपने से छोटे जानवर को मारकर तो खाते ही हैं, तो इंसान क्यों न खाएँ?
~ एक नूर से ही तो सब कुछ उपजा है, सब कुछ भगवान का ही रूप है, तो क्या वेज क्या नॉन-वेज?
संगीत: मिलिंद दाते
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आचार्य जी आप जैसे दस लोगों को ही इक्कठा कर लिजिए ताकि सारे देश विदेश में जानवरो का मांस खा रहे है उनके खिलाफ सरकार से सब मांस पर बेन लग जाए क्योंकि ऐसे कमेंट करने से ना मांस में कुछ कर सकती हूं ना आप कुछ कर सकते क्योंकि जब तक सरकार कुछ नहीं कर सकते हम सब एक बेजान है क्योंकि लोग जिन्दा जानवर का मांस भी खाते है यह लोग कभी नही सुधरेंगे
Acharya ji ka virodh vahi ker sakte hai jise vaido ka koi Gyan nahi Gita ka gyan nahi
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प्रणाम आचार्य जी।
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True said