न तत भासते सुर्य न शाशंक न पावक यत गत्वा न निवतर्तन्ते तत़ धाम परमम मम =उस परमपद को न सुर्य न चन्द्रमा और न पावक न अग्नि न सुर्य प्रकाशित करती है जिस धाम कों जाकर दुखी संसार में वापस नहीं लौटते वह मेरा परमधाम है श्लेक -15/6
मैआदिदेवता स्वरूप =मैं सुख स्वरूप सम्पुणं निविकारी आत्मा अपने देवता स्वरूप में स्थित हूं मेरा यह देवता स्वरूप कितना सुन्दर श्रृंगारित है यहा सम्पुणं पवित्रता सुख शांति व सम्पत्ति है मैं विश्व राज्याधिकारी के सिंहासन पर विराजमान हु प्रकृति भी अपनी सम्पुणं सत्तोप्रधान अवस्था में है चारोओर सभी सम्पुणं सुख शान्ति की प्रालब्ध का अनुभव कर रहे है सच्ची गीता मु ता -30-11-10❤
महर्षय सप्त पुवं चत्वारो मनवस्तथा मद्धवा मानसा जाता येषा लोक इमा प्रजा सृष्टि को स्वर्ग बनाने वाले शिव शंकर मेंरा बाबा =सात महर्षि सप्तर्षि पुवंकालीन चार सनत कुमार तथा =14=मनु ये सब मेरे भाव अर्थात स्वरूप है जो मानसिक मंथन से उत्पन्न हुए हैं जिनकी संसार में यह देवता धर्म को पिता परमात्मा शिव शंकर भोलेनाथ है श्लेक =10/6
Om shanti Mera baba payra baba Meethe baba shiv baba 🙏🙏🌹🌹
ॐ शान्ति शिव बाबा 🧘🙏🌻धन्यवाद मेरा बाबा🌻🙏🌻🙏
om shanti shiva BABA🧘
ஓம் சாந்தி பாபா
very beautiful video really interesting and amazing 👏
Om Shati shiv baba ji 🌹🙏🌹
न तत भासते सुर्य न शाशंक न पावक यत गत्वा न निवतर्तन्ते तत़ धाम परमम मम =उस परमपद को न सुर्य न चन्द्रमा और न पावक न अग्नि न सुर्य प्रकाशित करती है जिस धाम कों जाकर दुखी संसार में वापस नहीं लौटते वह मेरा परमधाम है श्लेक -15/6
Om Santhi baba
good morning. shiv baba. 🌹🙏🌹
❤❤❤❤❤
सदा इसी रूहाब मेरहो कि बाप हामको वापिस ले जाने के लिएं आये है अब सबको वापिस चलना है। प़ात मुरली,,13
13/7/2/12
मैआदिदेवता स्वरूप =मैं सुख स्वरूप सम्पुणं निविकारी आत्मा अपने देवता स्वरूप में स्थित हूं मेरा यह देवता स्वरूप कितना सुन्दर श्रृंगारित है यहा सम्पुणं पवित्रता सुख शांति व सम्पत्ति है मैं विश्व राज्याधिकारी के सिंहासन पर विराजमान हु प्रकृति भी अपनी सम्पुणं सत्तोप्रधान अवस्था में है चारोओर सभी सम्पुणं सुख शान्ति की प्रालब्ध का अनुभव कर रहे है सच्ची गीता मु ता -30-11-10❤
महर्षय सप्त पुवं चत्वारो मनवस्तथा मद्धवा मानसा जाता येषा लोक इमा प्रजा सृष्टि को स्वर्ग बनाने वाले शिव शंकर मेंरा बाबा =सात महर्षि सप्तर्षि पुवंकालीन चार सनत कुमार तथा =14=मनु ये सब मेरे भाव अर्थात स्वरूप है जो मानसिक मंथन से उत्पन्न हुए हैं जिनकी संसार में यह देवता धर्म को पिता परमात्मा शिव शंकर भोलेनाथ है श्लेक =10/6
😭 *PromoSM*