کیا بتے ماشااللہ اللہ م مولانا مفتی شغیر احمد جوکھن پیر اللہ تعالی اونکو عمر برکت اطفرمے اہلسنت بلجمعت ختیب مایر عیلموفن اونکو سدکامے تمام مسلمانوں کو افی یط اطفرمے امیں
एक ग़ैर मुस्लिम की पूरी मुस्लिम क़ौम को नसीहत किस लिए कहते हो मुझको बुतपरस्त सोचा कभी … फर्क बाहम हम में क्या है गौर फरमाया कभी बुतपरस्त कहते हो हम को कहते हो मुश्रिक हमें… कब्र पर राज्दै करो क्यों ना कहूं मुश्रिक तुम्हें एक ही प्रभू की पूजा हम अगर करते नहीं… एक ही दर पर हमेशा तुम भी सर धरते नहीं अपनी पूजा की जगह देवी का गर स्थान है…सज्दे करने को तुम्हारे पूरा कब्रिस्तान है ताकों पर ये हार क्यों हैं किस लिए है ये चिराग…रोशनी मे शिर्क का तुम को नहीं मिलता सुराग दंडवत बुत को करें तो मुश्रिक ओ काफिर हैं हम..तुम करो कब्रों पै सज्दा बेधड़क बेफिक्र औ ग़म जितने कंकर उतने शंकर बात ये मशहूर है…जितनी कब्रें उतने सज्दे ये भी तो दस्तूर है हमने देवी देवता को माना है गर इखत्यार…कब्र के मुर्दों का तुम भी मानते हो इकतदार वक्त मुश्किल हम सभी के नारे हैं बजरंग बली…तुम्हारे नारे हैं या गौस -ए - आज़म या अली लेता है अवतार प्रभू जिस तरह हर देश में…मानते हो तुम खुदा है मुस्तफा के भेष में मंदिरों में हम बजाते हैं जो घंटे घंटिया…बजती हैं किस वास्ते कृव्वालियों में तालियां हम भजन करते हैं गा कर और लगाकर ठुमरियां…छोड़ कर कुरआन झुमों तुम सुनो कव्वालियां हम चढ़ाते हैं बुतों पर दूध और पानी की धार…तुम चढाओ मुर्ग , बकरे और चादर जर निगार बूत की पूजा हम करें हम को मिले नारे जहीम…तुम जो पूजों कब्र को तुमको मिले हूर ओ नईम तुम भी मुश्रिक हम भी मुश्रिक बात बिल्कुल साफ हैं…फिर ठिकाने क्यों अलग हों ? कैसा ये इन्साफ है ? हम भी क्यों जन्नत ना जाएं तुम अगर हो जन्नती…वरना फिर dozakh में होंगे दोनों भाई साथ ही गर नहीं मंजूर दोज़ख शिर्क से तौबा करो इक खुदा से लौ लगाओ उस का हर दम नाम लो *
ماشاءاللہ🍎🥕
ماشاءاللہ
ماشاءاللہ،،، في أمان الله،
Alama sageer sab ko Allah pak salamat rakha
Suban allah
Subhanallah
ماشاء اللہ
th-cam.com/video/XNGA1Dc7K5U/w-d-xo.html
SUBHAN 🌺🌹💦 Allah 💖 SUBHAN 🌺🌹💦 Allah 💖💖💖 SUBHAN 🌺🌹💦💦 SUBHAN ALLAH 🌹🌹😥😥 labaik Jarusullah 🙏💚🌹🌹🌹😥🤲💚
کیا بتے ماشااللہ اللہ م مولانا مفتی شغیر احمد جوکھن پیر اللہ تعالی اونکو عمر برکت اطفرمے اہلسنت بلجمعت ختیب مایر عیلموفن اونکو سدکامے تمام مسلمانوں کو افی یط اطفرمے امیں
Bahot zabardast bayan
Mashallah mere peero Murshid 🥰
Ma sha Allah
Zabardast
एक ग़ैर मुस्लिम की पूरी मुस्लिम क़ौम को नसीहत
किस लिए कहते हो मुझको बुतपरस्त सोचा कभी … फर्क बाहम हम में क्या है गौर फरमाया कभी
बुतपरस्त कहते हो हम को कहते हो मुश्रिक हमें… कब्र पर राज्दै करो क्यों ना कहूं मुश्रिक तुम्हें
एक ही प्रभू की पूजा हम अगर करते नहीं… एक ही दर पर हमेशा तुम भी सर धरते नहीं
अपनी पूजा की जगह देवी का गर स्थान है…सज्दे करने को तुम्हारे पूरा कब्रिस्तान है
ताकों पर ये हार क्यों हैं किस लिए है ये चिराग…रोशनी मे शिर्क का तुम को नहीं मिलता सुराग
दंडवत बुत को करें तो मुश्रिक ओ काफिर हैं हम..तुम करो कब्रों पै सज्दा बेधड़क बेफिक्र औ ग़म
जितने कंकर उतने शंकर बात ये मशहूर है…जितनी कब्रें उतने सज्दे ये भी तो दस्तूर है
हमने देवी देवता को माना है गर इखत्यार…कब्र के मुर्दों का तुम भी मानते हो इकतदार
वक्त मुश्किल हम सभी के नारे हैं बजरंग बली…तुम्हारे नारे हैं या गौस -ए - आज़म या अली
लेता है अवतार प्रभू जिस तरह हर देश में…मानते हो तुम खुदा है मुस्तफा के भेष में
मंदिरों में हम बजाते हैं जो घंटे घंटिया…बजती हैं किस वास्ते कृव्वालियों में तालियां
हम भजन करते हैं गा कर और लगाकर ठुमरियां…छोड़ कर कुरआन झुमों तुम सुनो कव्वालियां
हम चढ़ाते हैं बुतों पर दूध और पानी की धार…तुम चढाओ मुर्ग , बकरे और चादर जर निगार
बूत की पूजा हम करें हम को मिले नारे जहीम…तुम जो पूजों कब्र को तुमको मिले हूर ओ नईम
तुम भी मुश्रिक हम भी मुश्रिक बात बिल्कुल साफ हैं…फिर ठिकाने क्यों अलग हों ? कैसा ये इन्साफ है ?
हम भी क्यों जन्नत ना जाएं तुम अगर हो जन्नती…वरना फिर dozakh में होंगे दोनों भाई साथ ही
गर नहीं मंजूर दोज़ख शिर्क से तौबा करो
इक खुदा से लौ लगाओ उस का हर दम नाम लो *
Ms
Ulma ahlysunat zenda bad