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ಚಿಂತಾಮಣಿ ಕಡಲೆಕಾಯಿ ಕೃಷಿ | Chintamani Groundnut Cultivation | High quality peanut producing

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  • เผยแพร่เมื่อ 15 มิ.ย. 2021
  • Groundnut harvesting at Villages in India, there was no agriculture machines no modern technology only do manually Sowing and harvesting both process

ความคิดเห็น • 2

  • @natrajvelor2425
    @natrajvelor2425 ปีที่แล้ว

    🙏👌👍🤝👏🌳

  • @rohitagrawal8809
    @rohitagrawal8809 3 ปีที่แล้ว

    नमस्कार सर, रोपाई के बाद, मोदिकेयर एक्टिव्80गोल्ड मिट्टी में 100मि.ली. प्रति एकड़ से (पूरे फ़सल दिवस में, सिर्फ़ 1 बार)
    1. पानी के साथ छोड़ें या
    2. रेत/बालु/npk के साथ मिलाकर छिड़काव करें या
    3. मोदिकेयर एक्टिव्मेक्स (पौधापोषक) 150मि.ली. प्रति एकड़ से, मिट्टी में, पानी के साथ छोड़ सकते हैं
    (दोनों तत्व एक साथ व अलग अलग भी) सभी प्रकार के फ़ल्, फ़ुल्, फ़सल्, सजावट घास, जंगल, वनसपति, व अञ के पेड़, पौधों के लिए लाभदायक हैं
    (खर्पतवार कम करना हो तो एक्टिव्मेक्स का उपयोग नहीं करें बलकि एक्टिव्80गोल्ड को खर्पत्वारनाशक के साथ 8-10मि.ली. प्रति 15-20 लीटर स्प्रेयर में मिलाए)
    1. रोपाई के बाद, एक्टिव्80गोल्ड 5-7मि.ली. + एक्टिव्मेक्स 15-20मि.ली. प्रति 15-20लीटर स्प्रेयर में घोलकर छिड़काव करें,
    2. फ़ुल व फ़ल आने के समय इसे जरूर दें,
    (ज्यादा अवधि वाले पेड़, पौधों, फ़सल में प्रत्येक 20-25-30 दिनों में छिड़काव कर सकते हैं)
    *_बीज व जड़ उपचार_* :- 1 टब में एक्टिव्मेक्स 2-3मि.ली. प्रति लीटर पानी से मिलाकर
    1. नरम बीज जैसे टमाटर्, मिर्च, बैगन, नरमा, तिल इत्यादि को 10-12मिनट भिगोकर सुखाकर इस्तेमाल करें,
    2. कडक बीज जैसे धान, भिन्डी, मक्का, बाजरा, इत्यादि को 50-60मिनट भिगोकर सुखाकर इस्तेमाल करें,
    3. रोपा के समय फ़सल की जड़ जैसे धान, मिर्च, गन्ना, इत्यादि को 4-5 मिनट घोल में भिगोकर रोपा करें
    एक्टिव्80गोल्ड (किसी भी जैविक/रसायनिक) अञ पौधापोषक/ कीटनाशक/ फ़फ़ून्द्नाशक/ खर्पतवार्नाशक के साथ मिलने योग्य है, 5-7 मि.ली. प्रति 15-20लीटर प्रति स्प्रेयर से घोलकर छिड़काव करें,
    संगतता हमेशा जांच लें,
    ज्यादा अल्कालीन वाले पदार्थ, या चिपकाने वाले या शैंपू नहीं मिलाना है, डेमो उप्लब्ध..
    *_फ़ायदे_* :-
    1. जड़ को फ़ैलने में मदद,
    2. जड़ और तने को मजबूत, घना और गहरा करे
    3. मिट्टी से पोशक तत्व उपर पहुंचाने में मदद,
    4. पौधे में पोषण की कमी को पूरा करने में सफल,
    5. पैदावार बढाए
    6. बिजली, पानी और रसायन के इस्तेमाल एवं खर्च में कमी लाए
    7. बे-असर चिपकने वाले पदार्थ और उसके उपरांत होने वाले नुक्सान से बचाए
    8. जैविक तरीके से मिट्टी को उपजाउ बनाए
    9. कुपोषण से रोकथाम करने में सहायक है
    (पोषण की कमी से होने वाली बिमारी - जड़ गलन्, सिकुड़न, पत्ते, फ़ुल्, फ़ल में दाग-धब्बे, फ़ल-फ़ुल के रंग, आकार, वजन में बद्लाव, अधिक वर्षा में फ़ुल, फ़ल झड़ना व पौधा गिर या सो जाना, अधिक गर्मी में पौधा सूख जाना या जल जाना), धञवाद,
    नियम व शर्तें लागू... ***