मंगल प्रवचन | मुनि श्री १०८ निर्वेगसागर जी महाराज 12 jan 2024 |मोदी जी की नसिया

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  • เผยแพร่เมื่อ 1 ก.พ. 2025
  • मुनिश्री १०८ निर्वेगसागर जी महाराज जैन धर्म के एक प्रसिद्ध और अत्यधिक सम्मानित मुनि हैं। वे अपने प्रवचनों के माध्यम से धार्मिक, दार्शनिक और आचार्य विषयों पर गहरी शिक्षा देते हैं। उनके प्रवचन विशेष रूप से आत्मकल्याण, संयम, अहिंसा, और आचार्य धर्म की प्रेरणा देने वाले होते हैं।
    उनके प्रवचन में प्रमुखत: निम्नलिखित विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है:
    आत्मज्ञान और आत्मकल्याण: मुनिश्री के प्रवचन आत्मा के महत्व और जीवन के उद्देश्य को स्पष्ट करते हैं। वे यह सिखाते हैं कि आत्मा का परम लक्ष्य मोक्ष है, और उसके लिए हमें अपने भीतर के कषाय (राग, द्वेष, मोह, और अभिमान) को समाप्त करना चाहिए।
    ध्यान और साधना: मुनिश्री साधना और ध्यान की शक्ति पर भी जोर देते हैं। वे कहते हैं कि सम्यकदर्शन, सम्यकज्ञान, और सम्यकचारित्र के द्वारा ही आत्मा को पवित्र किया जा सकता है।
    संयम और अहिंसा: जैन धर्म में अहिंसा का अत्यधिक महत्व है। मुनिश्री संयम के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं और यह सिखाते हैं कि जीवन में हर कदम पर अहिंसा का पालन करना चाहिए।
    भक्ति और श्रद्धा: मुनिश्री प्रवचनों में यह भी बताते हैं कि भक्ति का मार्ग सिर्फ भगवान के प्रति श्रद्धा से नहीं, बल्कि आत्मा के प्रति भी सच्ची श्रद्धा से जुड़ा होता है।
    उनके प्रवचन व्यापक रूप से जैन समाज में सुनें जाते हैं और उनके मार्गदर्शन से अनेक लोग अपने जीवन को सुधारने और सच्चे मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित होते हैं।
    मुनिश्री १०८ निर्वेगसागर जी महाराज के प्रवचन में उनकी विशेष शैली, सरलता, और प्रभावी शब्दों के कारण लोग अधिक प्रभावित होते हैं।

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