bahut khoob rajas aur chunati likhi aur padhi hai chote shehzaade fatahe karbala baani-e-inquilab-e-roz e ashoora , maidaan-e-karbala janab e Ali Asghar (a.s.) ki aur jis tasalsul aur tarteeb se ta'arruf kafwaaya hai apne aaba o ajdaad ka - lajawaab hai.
हुरमुला तीर तीर चला दस्ते शब्बीर पा बेशीर जो रन को निकला आस्तीं उल्टे हुए न्न्हे मुजाहिद ने कहा अपनी औक़ात में रह तू ना मुझे आंख दिखा हुरमुला तीर चला तीर चला,,,,, मेरे दादा को सभी शेरे ख़ुदा हैं कहते थी यही उम्र जो अजदर के किये थे टुकड़े मैं उसी शेर के बच्चे का हूँ बच्चा हुरमुला तीर चला,,,,,,,,,,,, आऐ जब जंग के मैंदा में मेरे दादा अली बा खु़दा दादा की तेरे फौज थी जो भाग चली ख़ुद समझ मेरे मका़बिल तेरी औकात है क्या हुरमुला तीर चला,,, , ,,, कुल्ले इमांन जिसे खु़द ही पयम्बर ने कहा अपनी उंगली पे उठाऐ था जो दर खै़बर का है वही दादा मेरा मैं हूँ उसी का पोता हुरमुला तीर चला,,,,,,,,,,,,,, अर्श वाले भी जहाँ आके चलाऐं चक्की जिसकी ताजी़म को उठते हों इमाम और नबी मैं उसी फातिमा ज़हरा का हूँ आंगन का पला हुरमुला तीर चला,,,,,,,,,,,,,,,,,,, जिसकी ख़ातिर थे बने दीं के पयम्बर नाका़ जिसके बाबा के लिए डूबता सूरज पलटा उसी हुसैन इब्ने अली का हूँ मैं छोटा बच्चा हुरमुला तीर चला,,,,,,,,,,,,,,,,, नाम अब्बास का तूने तो सुना ही होगा जिसकी हैबत से लरज़ता रहा लश्कर तेरा वो चचा मेरा है मैं हूँ भतीजा उसका हुरमुला तीर चला,,,,,,,,,,,,,,,, हम तबस्सुम में भी तलवार का दम रखते हैं रन में हंस हंस के शुजाअत का भरम रखते हैं तू बहादुर है तो एक बार नज़र मुझसे मिला हुरमुला तीर चला,,,,,
bahut khoob rajas aur chunati likhi aur padhi hai chote shehzaade fatahe karbala baani-e-inquilab-e-roz e ashoora , maidaan-e-karbala janab e Ali Asghar (a.s.) ki aur jis tasalsul aur tarteeb se ta'arruf kafwaaya hai apne aaba o ajdaad ka - lajawaab hai.
Masha allah
Jazakallah
हुरमुला तीर तीर चला
दस्ते शब्बीर पा बेशीर जो रन को निकला
आस्तीं उल्टे हुए न्न्हे मुजाहिद ने कहा
अपनी औक़ात में रह तू ना मुझे आंख दिखा
हुरमुला तीर चला तीर चला,,,,,
मेरे दादा को सभी शेरे ख़ुदा हैं कहते
थी यही उम्र जो अजदर के किये थे टुकड़े
मैं उसी शेर के बच्चे का हूँ बच्चा
हुरमुला तीर चला,,,,,,,,,,,,
आऐ जब जंग के मैंदा में मेरे दादा अली
बा खु़दा दादा की तेरे फौज थी जो भाग चली
ख़ुद समझ मेरे मका़बिल तेरी औकात है क्या
हुरमुला तीर चला,,, , ,,,
कुल्ले इमांन जिसे खु़द ही पयम्बर ने कहा
अपनी उंगली पे उठाऐ था जो दर खै़बर का
है वही दादा मेरा मैं हूँ उसी का पोता
हुरमुला तीर चला,,,,,,,,,,,,,,
अर्श वाले भी जहाँ आके चलाऐं चक्की
जिसकी ताजी़म को उठते हों इमाम और नबी
मैं उसी फातिमा ज़हरा का हूँ आंगन का पला
हुरमुला तीर चला,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
जिसकी ख़ातिर थे बने दीं के पयम्बर नाका़
जिसके बाबा के लिए डूबता सूरज पलटा
उसी हुसैन इब्ने अली का हूँ मैं छोटा बच्चा
हुरमुला तीर चला,,,,,,,,,,,,,,,,,
नाम अब्बास का तूने तो सुना ही होगा
जिसकी हैबत से लरज़ता रहा लश्कर तेरा
वो चचा मेरा है मैं हूँ भतीजा उसका
हुरमुला तीर चला,,,,,,,,,,,,,,,,
हम तबस्सुम में भी तलवार का दम रखते हैं
रन में हंस हंस के शुजाअत का भरम रखते हैं
तू बहादुर है तो एक बार नज़र मुझसे मिला
हुरमुला तीर चला,,,,,