पाखंड का नाश अब निश्चित है बस अब ये अंतिम चरण है पाखंड का अब सात भक्ति फिर से शुरू होगी संत रामपालजी महाराज जी ने वो करके दिखा दिया जो बड़े बड़े ऋषि महर्षि भी नहीं कर पाए यहाँ तक की सर्कार भी दहेज़ मुक्त भारत नहीं कर पाए जो अब संत रामपालजी महाराज जी ने बहुत सरल तरीके से कर दिया
संत रामपाल जी महाराज जी कबीर साहेब जी का अवतार हैं। वे परमेश्वर कबीर साहेब जी की शास्त्र अनुकूल साधना बताते हैं और उस साधना को करने से ही मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है। वास्तव में सर्वशक्तिमान कबीर साहेब जी संत रामपाल जी के चोले में मानव कल्याण के लिए इस पृथ्वी पर अवतरित हुए हैं। केवल संत रामपाल जी महाराज जी ही एकमात्र अधिकारी तत्वदर्शी संत हैं जो सच्चे मोक्ष मंत्र प्रदान कर रहे हैं।
सत साहेब जी। बंदी छोड़ जगत गुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी भगवान के चरणों में कोटि कोटि डंडवत प्रणाम। कबीर और ज्ञान सब ज्ञानणी कबीर ज्ञान है ज्ञान जैसे गोला तोप का करता चले मैंदान।
दुनिया के उस ब्यक्ति का नाम बताओ ( कबीर पंथी को छोड़कर ) जो रामपाल की नजरों में सही हो । एक आदमी गलत हो तो उसे सुधारने की जरूरत होती है, सब गलत हों तो खुद को सुधरने की ज़रूरत होती है।
❤❤ वेदों से गीता से पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद नहीं मिलते तो रामपाल वेदों से गीता से किसकी पहचान कर रहा है यह धोखा है और कबीर जी के विरुद्ध है। देखो कबीर जी क्या कह रहे हैं। वेद थके ब्रह्मा थके थक गए शेष महेश। गीता को जहां ग़म नहीं वह सद्गुरु का देश।। गीता को पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद के परम धाम की अर्थात सतगुरु के देश की पहुंच नहीं है तो रामपाल गीता से किसकी पहुंच कर रहा है।
Bhagat ji kahin aisa to nahin hai ki aap apni virojgaari door karne ke liye hamaari dukaane band karwa di ab hamaare bache bhukhe mar rahe hai lekin rampal khane ka intjaanm nahin kar paa raha hai - Sant Rampal Virojgaari ko badhaava de raha hai yadi Rampal ki dukaan issi tarah badti hai to duniyaan main bhukhmari suru ho jayegi or uska doshi bhagwaan Rampal hoga
पढ़े लिखे हो इसीलिए तो ज्यादा बोलते हो अगर पढ़े लिखे नहीं होते तो सुख जीवन व्यतीत करते अपने परिवार को सलाह देते दो रोटी को संग्रह करके राम नाम गुड़गांव
Shivansh Narayan dwivedi kah Raha tha ki sabhi shastra sabhi sab kuchh Shri Ganesh Ji ne likhe Hain usko bhi yahi tak yahi Gyan nahin hai ki kisne likhi hai uski khud Hi buddhi Kam Nahin karti hai
गीता अध्याय 7 श्लोक 18 में अपनी साधना से होने वाली गति (लाभ) को अति घटिया (अनुत्तमाम्) कहा है। इसी गीता अध्याय 18 श्लोक 62 तथा अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है कि हे अर्जुन ! तू परम शान्ति तथा सतलोक को प्राप्त होगा, फिर पुनर् जन्म नहीं होता, पूर्ण मोक्ष प्राप्त हो जाता है। मैं (गीता ज्ञान दाता प्रभु) भी उसी आदि नारायण पुरुष परमेश्वर की शरण हूँ, इसलिए दृढ़ निश्चय करके उसी की साधना व पूजा करनी चाहिए।
Bhagawanki clear sandes hai kohi bhi paramparako todna mat ye chetswani ke rupme sapnose clearly bataya sampurna Bhagawanki kassam, surya chandra prithbi ko sanchi hai yamraj jee ki kassam khakar bolraha hu abhi nahi samjha ,!? Tum inte vishal aanatan dharma ki paramparako jad buddhiwale samaj pate yamraj jee se lekar bhagawan paramatna our paranatnaki bhi atmase bhi hamne bat kiya unki direct direction sunte to phir logoko batate sabse pahele paramatko prapti karo nahi to guru our tum donome hi kami hai nahito yehi lifeme paramatma ki।prapti hogi ,ohi murti tujhe jab negative bhabse tum chaloge to tumari binas hogi tumari brainme khudi hi negative energy ghusegi agar tum ohi murti ki paramatma ke rupne dekhoge to tumari uthan hogi ,jo jis chij ko bar bar yad karta usko ohi milegi ,tumare brainme abhi murti puja thik nahi murti pujna thik nahi karke ek practice horahi hai to tum ko brain me murti + gadhe ka gobar se our bhar jayegi jisse tumko binas hogi , sharir hard ware jisko dekh sakte ho chhu sakte ho us sharirka antaskaran man our buddhi soft ware hoti yehi donoka combination se sharir chalegi jaise ankh ki bat kare bina ankhe tum kohi bhi chij ko nahi dekh sakte ho na phir sirf ankhe se bhi kaam nahi chalegi us ankhe ki software usme us ankheme akash tatwa ki software judihui hoti isliye hard ware our software ki combination hona chahiye ,murtiko tum kounsi vision se dekhte ho ye bat bahut important hoti , pundarik ne apni pita mata ko bhagawanke rupme dekhkar sewakiya tonunko badme shakshat bhagawan hi mila agar kohi nida karta karta hota kohi kharab rupme dekhta hota to ohi milta hota ! iska matlab murti ko jo shakshat bhagawan / paramatma ki rupme dekhta usko ohi milegi our jo ninda karta bura samajta to usko ohi milegi jaisa bichar oisahi result !!
शिवांस एक बातूनी तोता है। ज्ञान तो इसमें खोखला है। ये अभी अंडे से बाहर आकर टै टै की रट लगा रहा इसका गुरु पहले से टै टै करके शिर पटक लिया । मेरे सदगुरु संत रामपाल जी महाराज ने कई वर्षों से सभी धर्माचार्यों को खूला चेलेंज दे रखा है।और कहा है। कि तुमहारा ज्ञान गलत है। तो आज तक किसी ने ज्ञान चर्चा के लिए सामने नहीं आये है। ।।
अभी बैठकर यहां पाखंड नहीं कर रहे हो तो क्या कर रहे हो। तीनों गुणों से पार नहीं, मन माया से पार नहीं, जब तक पार नहीं तब तक सब पाखंड ही है। मरने के बाद अगर आपको लगता है आपको मोक्ष मिल जायेगा, तो मरने के बाद सबको लगता है उसको मोक्ष मिल जायेगा। सबके ही मंत्र बावन अक्षर काल में आते हैं। रामपाल जी ने कहा ओर सब भक्ति काल की है, ओर कहते हैं रामपाल जी की भक्ति काल की है। जेसे आपके मंत्र सिद्ध हे वेसे औरों के मंत्र भी सिद्ध है, जिस तरह जाप करके आप मन्त्रों को सिद्ध करते हो, उस तरह ओर भी करते हैं, सारे मंत्र बावन अक्षर काल में आते हैं। समाज सेवा बहुत सारे करते हैं, रही बात आस्था की तो आप मानो, जो जिसे मानता है उसे मानने दो, दुकान तो आपकी भी बंद हो रही है, मोक्ष के विक्रेता बन गये आप लोग, जीते जी मोक्ष मिलता है मरने के बाद नहीं। मन ओर माया तीनों गुणों से बहार हो जाओ पहले खुद। समय कम है फिर अवसर नहीं मिलेगा। कहानियां कहानी बनकर ही रह जायेंगी। ओर समय कम है यह नियम सब पर लागू होता है, गेहूं के साथ घुनों को पीसने की आदत पुरानी है। बाकी सब मन की गुलामी है, न आप लोग बहार न ओर दुसरे बहार।
जब परमेश्वर ने सर्व ब्रह्मण्डों की रचना की और अपने लोक में विश्राम करने लगे। उसके बाद हम सभी काल के ब्रह्मण्ड में रह कर अपना किया हुआ कर्मदण्ड भोगने लगे और बहुत दुःखी रहने लगे। सुख व शांति की खोज में भटकने लगे और हमें अपने निज घर सतलोक की याद सताने लगी तथा वहां जाने के लिए भक्ति प्रारंभ की। किसी ने चारों वेदों को कंठस्थ किया तो कोई उग्र तप करने लगा और हवन यज्ञ, ध्यान, समाधि आदि क्रियाएं प्रारम्भ की, लेकिन अपने निज घर सतलोक नहीं जा सके क्योंकि उपरोक्त क्रियाएं करने से अगले जन्मों में अच्छे समृद्ध जीवन को प्राप्त होकर) जैसे राजा-महाराजा, बड़ा व्यापारी, अधिकारी, देव-महादेव, स्वर्ग-महास्वर्ग आदि (वापिस लख चैरासी भोगने लगे। बहुत परेशान रहने लगे और परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करने लगे कि हे दयालु ! हमें निज घर का रास्ता दिखाओ। हम हृदय से आपकी भक्ति करते हैं। आप हमें दर्शन क्यों नहीं दे रहे हो ? यह वृतान्त कबीर साहेब ने धर्मदास जी को बताते हुए कहा कि धर्मदास इन जीवों की पुकार सुनकर मैं अपने सतलोक से जोगजीत का रूप बनाकर काल लोक में आया। तब इक्कीसवें ब्रह्मण्ड में जहां काल का निज घर है वहां पर तप्तशिला पर जीवों को भूनकर सुक्ष्म शरीर से गंध निकाला जा रहा था। मेरे पहुंचने के बाद उन जीवों की जलन समाप्त को गई। उन्होंने मुझे देखकर कहा कि हे पुरुष ! आप कौन हो? आपके दर्शन मात्रा से ही हमें बड़ा सुख व शांति का आभास हो रहा है। फिर मैंने बताया कि मैं पारब्रह्म परमेश्वर कबीर हूं। आप सब जीव मेरे लोक से आकर काल ब्रह्म के लोक में फंस गए हो। यह काल रोजाना एक लाख मानव के सुक्ष्म शरीर से गंध निकाल कर खाता है और बाद में नाना-प्रकार की योनियों में दण्ड भोगने के लिए छोड़ देता है। तब वे जीवात्माएं कहने लगी कि हे दयालु परमश्ेवर ! हमारे को इस काल की जेल से छुड़वाओ। मैंने बताया कि यह ब्रह्मण्ड काल ने तीन बार भक्ति करके मेरे से प्राप्त किए हुए हैं जो आप यहां सब वस्तुओं का प्रयोग कर रहे हो ये सभी काल की हैं और आप सब अपनी इच्छा से घूमने के लिए आए हो। इसलिए अब आपके ऊपर काल ब्रह्म का बहुत ज्यादा ऋण हो चुका है और वह ऋण मेरे सच्चे नाम के जाप के बिना नहीं उतर सकता।
@Satsaheb47 धन्यवाद आपकी जानकारी जो आपने बताईं। सर्वशक्तिमान ने रचना की काल ओर आत्माओं की। काल को आत्मा नहीं समझते तो यह आपकी भूल है, माया को ब्रह्म को पारब्रह्म को महाकाल को कबीर को रामपाल जी को राम कृष्ण को मुहम्मद इसा को बुद्ध महावीर को गरीबदास नानक जी को ब्रह्म विष्णु महेश को समस्त देवी देवताओं को, समस्त प्राणियों को, इनमें से एख भी बिना आत्मा के नही है, आत्माओं का अपनी इच्छा से आना, यह भ्रम है आपका, काल का अपनी इच्छा से सब कुछ करना यह भी भ्रम है आपका, सर्वशक्तिमान एक अनामी पुरुष उसी के तीन रूप अलख अगम ओर सतपुरूष, सतपुरूष ने काल माया ब्रह्म पारब्रह्म महाकाल आत्मा सबको बनाया, मतलब उनका ही अंश प्रकाश रूप में शब्द रूप में, समस्त संसार की आत्माओं को एक सुई के नोक के ऊपर रखा जा सकता है, बिना सतपुरूष की इच्छा के काल का कुछ भी करना या आत्माओं का कुछ भी करना यह लाजिक नहीं है, सर्वशक्तिमान के सामने मतलब सतपुरूष के सामने दो सर्वशक्तिमान आत्मा ओर काल खड़े हो रहे हैं, ओर अपनी इच्छा से सब कुछ कर रहे हैं, तो फिर सर्वशक्तिमान सतपुरूष नहीं है, काल ओर आत्मा ही सर्वशक्तिमान हो गये। काल ब्रह्म माया पारब्रह्म महाकाल इनमें से एक भी उस सतपुरूष के बिना ध्यान के सुमिरन के एक पल भी नहीं रहता। चारों शरीर के खोल बंधन है, आत्मा किसी भी रूप में बंधन नहीं है। सर्वशक्तिमान सतपुरूष के सिवा आत्माओं को कोई भी नहीं नचवा सकता, आप अपनी आत्मा को नहीं देख सकते तो आपको सबमें भेद नजर आता है, जिस दिन अपनी आत्मा को देख लोगे चारों शरीर के खोल उतारकर, शुद्ध रूप से, फिर सतपुरूष ओर आप में ही फर्क नहीं रहेगा ओर तो बहुत दूर की बात है। सारा खेल उस एक सतपुरूष का है कोई भी उसकी मर्जी के बहार नहीं जाता, शब्द ओर प्रकाश उस अनामी से ही आ रहा है सबके पास, सतपुरूष भी एक असंख्य प्रकाश ओर शब्द का भंडार है, सतपुरूष से ही शब्द ओर प्रकाश सबमें जा रहा है, किरदार फंसाने वाले ओर निकालने वाले सब उस एक सर्वशक्तिमान के ही हैं, अपनी इच्छा से कोई भी कुछ भी नहीं करता, सर्वशक्तिमान एक ही है। काल का असली रूप कर्म है समस्त अच्छे बुरे कर्म इससे बहार निकलना ही काल से बहार निकलना है, काल भी उस का ही अंश है उस सर्वशक्तिमान का, मन ब्रह्म का हिस्सा है मन से बहार निकलना ब्रह्म से बहार निकलना, ब्रह्म भी उसी सर्वशक्तिमान का अंश है, माया समस्त इच्छाएं माया है, समस्त इच्छाओं से बहार निकलना माया से बहार निकलना है, माया भी उसी सर्वशक्तिमान का अंश है, तीनों गुणों से बहार निकलना ब्रह्म विष्णु महेश से बहार निकलना, ब्रह्म विष्णु महेश भी उसी सर्वशक्तिमान का अंश है, प्रकृति पांचों विकार पांचों तत्व,समस्त इन्द्रियों से बहार निकलना, आद्या महाशक्ति भी उसी सर्वशक्तिमान का अंश है, कोई भी अलग नहीं है, ओर बिना आत्मा के उस सर्वशक्तिमान के सिवा कोई भी नहीं है, सब अविनाशी है, चारों शरीर के खोल का विनाश होता है, आत्मा का नहीं। जब तक एक भी भेद रहेगा तब तक भवसागर ही रहेगा। उस सर्वशक्तिमान के ही ये सारे किरदार है, संत परमसंत यह भी उसी सर्वशक्तिमान के किरदार है, अंश सबमें उसी सर्वशक्तिमान का है, किसी का किरदार फंसाने का किसी का किरदार निकालने का, नफरत के लायक एक भी नहीं है, सब आदर के लायक है सब अविनाशी है, मोक्ष चाहिए तो मोक्ष का रास्ता सही तो जानो, सर्वशक्तिमान की मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता, सर्वशक्तिमान का ही सारा खेल है, ओर कोई भी उस एक सर्वशक्तिमान को दोष नहीं दे सकता, वह सबमें रहकर भी सबसे परे है, वह इनमें से किसी में भी नहीं आता। बाकी आपकी मर्जी है जेसा समझना चाहो वेसा समझो।
महोदय जहा हमारे गुरू जी संत रामपाल जी महाराज ओर पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब जहा रहेगे हम वहा जायेगे वो चाहै नरक ही क्यो ना हो ओके , जहा मेरे गुरू जी है वो नरक भी सतलोक ही लगेगा, बोलो बंदीछोड सत गुरू रामपाल जी महाराज की जय 😊 सत साहेब 😊
आप किताबों को प्रमाण मानते हो, ओर किसी भी किताब को आप पूरा नहीं मानते, आपको यही सिखाया जाता है हमें हमारी मतलब की बात को उठाना है बाकी से हमें कोई मतलब नहीं। यह एक भ्रम है, उदाहरण कुछ भी दो, सब मनमुखी है, गीता वेद कबीर सागर पुराण जहां जो अपने ज्ञान को मतलब रामपाल जी के ज्ञान को सिद्ध करने के लिए जरूरी है उठा लो,बाकी सब कबाड़ है, यह लाजिक आपको मान्य होगा, मुझे नहीं, गहराई में उतरे बिना आधार नहीं, भेद दृष्टि का ज्ञान आपका है, साधना किस तरह से की जाती है, यह सबका अपना मत है, आपको मंत्र जाप से मोक्ष मिलेगा, तो औरों को भी मंत्र जाप से मिल जायेगा, जिस तरह रामपाल जी ने काल के बावन अक्षरों से अपने अक्षर निकालकर सिद्ध कर लिये, उसी तरह उन बावन अक्षरों में से औरों ने निकालकर सिद्ध कर लिये। हर एक अक्षर काल का जो बावन अक्षर हैं, वेद पुराण गीता कुरान बाइबिल ओर भी जो धर्म पुस्तकें हैं उन सबमें मिल जायेगा। राधा स्वामी, राम रहीम,आशा राम निरंकारी रामपाल जी कबीर पंथी ग्रन्थ साहिब ब्रह्मा कुमारी, ओर भी जितने है सबके मंत्र बावन अक्षर काल से ही निकलते हैं, ओर सबने अपने मन्त्रों को कहीं न कहीं किसी ना किसी धर्म पुस्तकों का आलमबन लेकर प्रमाण दिखाया है, भाई मेरे मे सबको मानता हूं, लेकिन मन ओर माया से बहार जो है उसे ही में मोक्ष का अधिकारी मानता हूं, ओर किसी भी पंथ में से मुझे कोई भी मन ओर माया से बहार नहीं दिखा। आप मन ओर माया से बहार हो तो बताओ। में विश्व मंच पर आपको ही खड़ा कर देता हूं। कहां क्या लिखा है सबने दिखाया है, सबने हर जगह से अपने ज्ञान को सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने का प्रमाण दिखाया है। अपने अपने अर्थ करके, जियो जिस तरह जीना चाहते हो, लेकिन एक को भी पाखंड कहा तो वे आपको कहेंगे, आप अपने ज्ञान का प्रमाण दिखाओगे वे अपने ज्ञान का प्रमाण दिखायेंगे, नुकसान किसका होगा हमेशा ही भोली भाली जनता का, गुमराह करके अपनी माया की दुकान चलती रहे बस यही मोक्ष है। अगर कोई भी मन ओर माया से बहार होता तो विश्व मंच पर आकर डंके की चोट पर कहता में मन ओर माया से बहार हूं, मुझे किसी भी तरह से मन ओर माया के अंदर साबित करो पूरे विश्व को खुली छूट है, इसे कहते हैं मोक्ष का डंका बजाना, जो आज तक किसी में दम नहीं हुआ। किताबों पर ही लड़ते रहो ओर किताबों में ही सिद्ध करते रहो। फिर भी आपकी आस्था है जिसे मानो आपका चुनाव है। लेकिन मेरी दृष्टि में यह मोक्ष नहीं है।
@amituniyal4899  आदरणीय दादू साहेब जी कबीर परमेश्वर के साक्षी God Kabir आदरणीय दादू साहेब जी कबीर परमेश्वर के साक्षी Updated: January 20th, 2016 by Sant Rampal Ji  आदरणीय दादू साहेब जी जब सात वर्ष के बालक थे तब पूर्ण परमात्मा जिंदा महात्मा के रूप में मिले तथा सत्यलोक ले गए। तीन दिन तक दादू जी बेहोश रहे। होश में आने के पश्चात् परमेश्वर की महिमा की आँखों देखी बहुत-सी अमृतवाणी उच्चारण की: अमृत वाणी में प्रमाण जिन मोकुं निज नाम दिया, सोइ सतगुरु हमार। दादू दूसरा कोई नहीं, कबीर सृजन हार।। दादू नाम कबीर की, जै कोई लेवे ओट। उनको कबहू लागे नहीं, काल बज्र की चोट।। दादू नाम कबीर का, सुनकर कांपे काल। नाम भरोसे जो नर चले, होवे न बंका बाल।। जो जो शरण कबीर के, तरगए अनन्त अपार। दादू गुण कीता कहे, कहत न आवै पार।। कबीर कर्ता आप है, दूजा नाहिं कोय। दादू पूरन जगत को, भक्ति दृढावत सोय।। ठेका पूरन होय जब, सब कोई तजै शरीर। दादू काल गँजे नहीं, जपै जो नाम कबीर।। आदमी की आयु घटै, तब यम घेरे आय। सुमिरन किया कबीर का, दादू लिया बचाय।। मेटि दिया अपराध सब, आय मिले छनमाँह। दादू संग ले चले, कबीर चरण की छांह।। सेवक देव निज चरण का, दादू अपना जान। भृंगी सत्य कबीर ने, कीन्हा आप समान।। दादू अन्तरगत सदा, छिन-छिन सुमिरन ध्यान। वारु नाम कबीर पर, पल-पल मेरा प्रान।। सुन-2 साखी कबीर की, काल नवावै माथ। धन्य-धन्य हो तिन लोक में, दादू जोड़े हाथ।। केहरि नाम कबीर का, विषम काल गज राज। दादू भजन प्रतापते, भागे सुनत आवाज।। पल एक नाम कबीर का, दादू मनचित लाय। हस्ती के अश्वार को, श्वान काल नहीं खाय।। सुमरत नाम कबीर का, कटे काल की पीर। दादू दिन दिन ऊँचे, परमानन्द सुख सीर।। दादू नाम कबीर की, जो कोई लेवे ओट। तिनको कबहुं ना लगई, काल बज्र की चोट।। और संत सब कूप हैं, केते झरिता नीर। दादू अगम अपार है, दरिया सत्य कबीर।। अबही तेरी सब मिटै, जन्म मरन की पीर। स्वांस उस्वांस सुमिरले, दादू नाम कबीर।। कोई सर्गुन मंे रीझ रहा, कोई निर्गुण ठहराय। दादू गति कबीर की, मोते कही न जाय।। जिन मोकुं निज नाम दिया, सोइ सतगुरु हमार। दादू दूसरा कोई नहीं, कबीर सृजन हार।।
@@ramayanpandit4440आपके हिसाब से राम , कृष्ण, गांधी, सुभाष चंद्र बोस , येशु, आदि सभी महापुरुषों अपने गलत कामों का फल भुगते । नानक जी जेल में थे बसुदेव देवकी जेल में थे । माता सीता अजीबन सुख नहीं भोगे ।
@@ramayanpandit4440 इतनी जल्दी मत मचाओ। संत रामपाल जी महाराज सभी केसो में बरी होते जा रहे हैं। उन्ही की जीत हो रही है। वे जेल से बाहर जरूर आएंगे। लेकिन जेल जाने से भी उनके मिशन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है जेल जाने से पहले उनके 50 लाख अनुयायी थे। जो आज 9.5 करोड़ हो चुके हैं। आजकल सब पढ़े-लिखे हैं। कोई किसी को नहीं बका सकता। ये सभी लोग वे है जिन्होंने आध्यात्मिक लाभ प्राप्त किया है। पहले केवल बरवाला में एक आश्रम था। आज 10 आश्रम हो चुके हैं। पहले केवल साधना टीवी पर सत्संग आता था। आज 13 चैनल पर सत्संग आता है।
Agar padney ka hak respected Bhim Rao Ambedkar ji ne diya toh Bhim Rao Ambedkar ji kaisey padhey According to records of Chennai presidency all people were given rights to study Are the ancient documents false Why are they telling lies Iskcon has temples in Pakistan much before you people and stop telling false self praised sentences Please don't defame your guru by spreading false statements Shame on some of these people like Amit Das please don't spread these false statements plz
रामपाल केद हुआ है रामपाल अपनी रक्षा नहीं कर पाता दुसरो की रक्षा क्या खाख करेगा आप प्रणाम ज्ञान गंगा पुस्तक में दिखाते वो पुस्तक रामपाल खुद ने पुस्तक छापी वो पुस्तक रामपाल के मनमर्जी से बनाई है जे श्री राम
इतनी जल्दी मत मचाओ। संत रामपाल जी महाराज सभी केसो में बरी होते जा रहे हैं। उन्ही की जीत हो रही है। वे जेल से बाहर जरूर आएंगे। लेकिन जेल जाने से भी उनके मिशन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है जेल जाने से पहले उनके 50 लाख अनुयायी थे। जो आज 9.5 करोड़ हो चुके हैं। आजकल सब पढ़े-लिखे हैं। कोई किसी को नहीं बका सकता। ये सभी लोग वे है जिन्होंने आध्यात्मिक लाभ प्राप्त किया है। पहले केवल बरवाला में एक आश्रम था। आज 10 आश्रम हो चुके हैं। पहले केवल साधना टीवी पर सत्संग आता था। आज 13 चैनल पर सत्संग आता है।
इतनी जल्दी मत मचाओ। संत रामपाल जी महाराज सभी केसो में बरी होते जा रहे हैं। उन्ही की जीत हो रही है। वे जेल से बाहर जरूर आएंगे। लेकिन जेल जाने से भी उनके मिशन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है जेल जाने से पहले उनके 50 लाख अनुयायी थे। जो आज 9.5 करोड़ हो चुके हैं। आजकल सब पढ़े-लिखे हैं। कोई किसी को नहीं बका सकता। ये सभी लोग वे है जिन्होंने आध्यात्मिक लाभ प्राप्त किया है। पहले केवल बरवाला में एक आश्रम था। आज 10 आश्रम हो चुके हैं। पहले केवल साधना टीवी पर सत्संग आता था। आज 13 चैनल पर सत्संग आता है।
👉🙏🙏🙏🌹🥀🌹🥀🌹🥀🌹🥀🌹🥀🌹🥀🌹🥀🌹🥀🌹🥀बहुत अच्छा डिवाइस चल रहा है भगत जी सत गुरु रामपाल जी महाराज का
❤❤
Very nice gyan sant Rampal Ji Maharaj Ji ka
Achha Gyan Charcha hai
संत रामपाल जी पूर्ण गुरु है
संत रामपाल जी महाराज भारत व विश्व के सबसे बड़े समाज सुधारक है जिन्होंने देश को दहेज, भ्रूण हत्या, जातिवाद, रिश्वतखोरी आदि समस्याओं से निजात दिलाई है।
Jay ho bandichhod satguru Rampal ji bhagawan ji ki jai ho
Nice
Thanks
पाखंड का नाश अब निश्चित है बस अब ये अंतिम चरण है पाखंड का अब सात भक्ति फिर से शुरू होगी
संत रामपालजी महाराज जी ने वो करके दिखा दिया जो बड़े बड़े ऋषि महर्षि भी नहीं कर पाए यहाँ तक की सर्कार भी दहेज़ मुक्त भारत नहीं कर पाए जो अब संत रामपालजी महाराज जी ने बहुत सरल तरीके से कर दिया
Sat Saheb Ji 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Bandi Chhod Satguru Rampal Ji Bhagwan ki Jay Ho
Sat saheb ji
सदगुरू देवकी जे बदी छोड सदगुरू रामपाजी भगवानकी जे🙏🌹🙏🌹
🙏🙏सद्गुरु देव की जय🙏🙏
🙏🙏सत साहेब 🙏🙏
🙏🙏जी🙏🙏
जयहो बदि छोडकी🙏🙏🙏🙏
संत रामपाल जी महाराज जी कबीर साहेब जी का अवतार हैं। वे परमेश्वर कबीर साहेब जी की शास्त्र अनुकूल साधना बताते हैं और उस साधना को करने से ही मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है। वास्तव में सर्वशक्तिमान कबीर साहेब जी संत रामपाल जी के चोले में मानव कल्याण के लिए इस पृथ्वी पर अवतरित हुए हैं। केवल संत रामपाल जी महाराज जी ही एकमात्र अधिकारी तत्वदर्शी संत हैं जो सच्चे मोक्ष मंत्र प्रदान कर रहे हैं।
भागवत प्रमाण से सतलोक प्राकृतिक पल्लवी उड़ जाएगा इसलिए गुरु करो जानकर पानी पियो छान कर।
पहली पीढ़ी को पाखंड दूसरी पीढ़ी के परंपरा तीसरी पीढ़ी के लिए संस्करतिक मान्यता चौथी पीढ़ी के लिए धर्म बन जाता है
🎉
सत ग्यान
भगत अरुन दास बनदि छाेर सत गुरु रामपाल जि महराज कि जै हाे सत साहब
Very good discussion
Satya Sanatan ki Jay Ho
Jay Shri Ram,
Sat Saheb Bhagat ji Bandi chhod satguru Rampal Ji Bhagwan Ji ki Jay Ho 🙏🙏
Hamara Ek Hi Kahana Hai Ram Ka Naam lete Raho Apna Kalyan..Baap Ko Baap Samjho..Hota Rahega aur dusre Ke Baap Ko Baap mat bolo apni
सत साहेब जी।
बंदी छोड़ जगत गुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी भगवान के चरणों में कोटि कोटि डंडवत प्रणाम।
कबीर और ज्ञान सब ज्ञानणी कबीर ज्ञान है ज्ञान जैसे गोला तोप का करता चले मैंदान।
Satshahib
Sat saheb
Live judne ke liye link show ni kar raha hai
कथित शिवांश डूबे महाधूर्त है।
दुनिया के उस ब्यक्ति का नाम बताओ ( कबीर पंथी को छोड़कर ) जो रामपाल की नजरों में सही हो । एक आदमी गलत हो तो उसे सुधारने की जरूरत होती है, सब गलत हों तो खुद को सुधरने की ज़रूरत होती है।
Very nice debate
Shivansh Ji ne aapki Pol khol Di hai
❤❤ वेदों से गीता से पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद नहीं मिलते तो रामपाल वेदों से गीता से किसकी पहचान कर रहा है यह धोखा है और कबीर जी के विरुद्ध है। देखो कबीर जी क्या कह रहे हैं।
वेद थके ब्रह्मा थके थक गए शेष महेश। गीता को जहां ग़म नहीं वह सद्गुरु का देश।।
गीता को पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद के परम धाम की अर्थात सतगुरु के देश की पहुंच नहीं है तो रामपाल गीता से किसकी पहुंच कर रहा है।
कबीर,अच्छे दिन पिछे गए हरि से किया ना हेत
अब पछतावा होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।
❤❤❤❤right information to the world🙏🙏
Bhagat ji kahin aisa to nahin hai ki aap apni virojgaari door karne ke liye hamaari dukaane band karwa di ab hamaare bache bhukhe mar rahe hai lekin rampal khane ka intjaanm nahin kar paa raha hai - Sant Rampal Virojgaari ko badhaava de raha hai yadi Rampal ki dukaan issi tarah badti hai to duniyaan main bhukhmari suru ho jayegi or uska doshi bhagwaan Rampal hoga
Satya he
पढ़े लिखे हो इसीलिए तो ज्यादा बोलते हो अगर पढ़े लिखे नहीं होते तो सुख जीवन व्यतीत करते अपने परिवार को सलाह देते दो रोटी को संग्रह करके राम नाम गुड़गांव
सत साहेब भगत जी 🙏
संत साहेब
जय श्री राम🙏🙏
Shivansh Narayan dwivedi kah Raha tha ki sabhi shastra sabhi sab kuchh Shri Ganesh Ji ne likhe Hain usko bhi yahi tak yahi Gyan nahin hai ki kisne likhi hai uski khud Hi buddhi Kam Nahin karti hai
संत साहेब जी
Agar Bhagwan Na Hote To Kabir ka Janm kahan se hota
Kabir ji ka janm nahi hua hai
J pahle sabhi bhakton se hath jodkar vinati hai ki kripya se Narayan shivansh Narayan dwivedi ki video khatarnak uske channel per na
N o
Live kaise jude
अमित दास आपके माता पिता किसकी पूजा करते थे
गीता अध्याय 7 श्लोक 18 में अपनी साधना से होने वाली गति (लाभ) को अति घटिया (अनुत्तमाम्) कहा है। इसी गीता अध्याय 18 श्लोक 62 तथा अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है कि हे अर्जुन ! तू परम शान्ति तथा सतलोक को प्राप्त होगा, फिर पुनर् जन्म नहीं होता, पूर्ण मोक्ष प्राप्त हो जाता है। मैं (गीता ज्ञान दाता प्रभु) भी उसी आदि नारायण पुरुष परमेश्वर की शरण हूँ, इसलिए दृढ़ निश्चय करके उसी की साधना व पूजा करनी चाहिए।
Rampal ke naam ki dukan band ho jayegi
अमित जी आप ने छिपी हुई सच्चाई खोल दिए। पंडितों ने पहले पढ़ें लिखे थे सब उलटा ज्ञान जनता को परोस दिए हैं। आज सच्चाई आप ने खोल दिए।
Rampal ke chele dar Gaye hai shivanji se
Bhagawanki clear sandes hai kohi bhi paramparako todna mat ye chetswani ke rupme sapnose clearly bataya sampurna Bhagawanki kassam, surya chandra prithbi ko sanchi hai yamraj jee ki kassam khakar bolraha hu abhi nahi samjha ,!? Tum inte vishal aanatan dharma ki paramparako jad buddhiwale samaj pate yamraj jee se lekar bhagawan paramatna our paranatnaki bhi atmase bhi hamne bat kiya unki direct direction sunte to phir logoko batate sabse pahele paramatko prapti karo nahi to guru our tum donome hi kami hai nahito yehi lifeme paramatma ki।prapti hogi ,ohi murti tujhe jab negative bhabse tum chaloge to tumari binas hogi tumari brainme khudi hi negative energy ghusegi agar tum ohi murti ki paramatma ke rupne dekhoge to tumari uthan hogi ,jo jis chij ko bar bar yad karta usko ohi milegi ,tumare brainme abhi murti puja thik nahi murti pujna thik nahi karke ek practice horahi hai to tum ko brain me murti + gadhe ka gobar se our bhar jayegi jisse tumko binas hogi , sharir hard ware jisko dekh sakte ho chhu sakte ho us sharirka antaskaran man our buddhi soft ware hoti yehi donoka combination se sharir chalegi jaise ankh ki bat kare bina ankhe tum kohi bhi chij ko nahi dekh sakte ho na phir sirf ankhe se bhi kaam nahi chalegi us ankhe ki software usme us ankheme akash tatwa ki software judihui hoti isliye hard ware our software ki combination hona chahiye ,murtiko tum kounsi vision se dekhte ho ye bat bahut important hoti , pundarik ne apni pita mata ko bhagawanke rupme dekhkar sewakiya tonunko badme shakshat bhagawan hi mila agar kohi nida karta karta hota kohi kharab rupme dekhta hota to ohi milta hota ! iska matlab murti ko jo shakshat bhagawan / paramatma ki rupme dekhta usko ohi milegi our jo ninda karta bura samajta to usko ohi milegi jaisa bichar oisahi result !!
शिवांश द्विवेदी काल दूत है
शिवांस एक बातूनी तोता है। ज्ञान तो इसमें खोखला है। ये अभी अंडे से बाहर आकर टै टै की रट लगा रहा इसका गुरु पहले से टै टै करके शिर पटक लिया । मेरे सदगुरु संत रामपाल जी महाराज ने कई वर्षों से सभी धर्माचार्यों को खूला चेलेंज दे रखा है।और कहा है। कि तुमहारा ज्ञान गलत है। तो आज तक किसी ने ज्ञान चर्चा के लिए सामने नहीं आये है।
।।
Nonsense
Bhagat ji andha gadha wala baat kar raha hai aur iske alava kuchh bhi nahin hai sat Sahib Ji parampita Parmatma ki Jay Ho 🙏🙏
अमित अगर थोड़ी भी हिम्मत है तो शिवांश से वार्तालाप कर अपने मुंह मियां मिठ्ठू न बन
अभी बैठकर यहां पाखंड नहीं कर रहे हो तो क्या कर रहे हो। तीनों गुणों से पार नहीं, मन माया से पार नहीं, जब तक पार नहीं तब तक सब पाखंड ही है। मरने के बाद अगर आपको लगता है आपको मोक्ष मिल जायेगा, तो मरने के बाद सबको लगता है उसको मोक्ष मिल जायेगा। सबके ही मंत्र बावन अक्षर काल में आते हैं। रामपाल जी ने कहा ओर सब भक्ति काल की है, ओर कहते हैं रामपाल जी की भक्ति काल की है। जेसे आपके मंत्र सिद्ध हे वेसे औरों के मंत्र भी सिद्ध है, जिस तरह जाप करके आप मन्त्रों को सिद्ध करते हो, उस तरह ओर भी करते हैं, सारे मंत्र बावन अक्षर काल में आते हैं। समाज सेवा बहुत सारे करते हैं, रही बात आस्था की तो आप मानो, जो जिसे मानता है उसे मानने दो, दुकान तो आपकी भी बंद हो रही है, मोक्ष के विक्रेता बन गये आप लोग, जीते जी मोक्ष मिलता है मरने के बाद नहीं। मन ओर माया तीनों गुणों से बहार हो जाओ पहले खुद। समय कम है फिर अवसर नहीं मिलेगा। कहानियां कहानी बनकर ही रह जायेंगी। ओर समय कम है यह नियम सब पर लागू होता है, गेहूं के साथ घुनों को पीसने की आदत पुरानी है। बाकी सब मन की गुलामी है, न आप लोग बहार न ओर दुसरे बहार।
जब परमेश्वर ने सर्व ब्रह्मण्डों की रचना की और अपने लोक में विश्राम करने लगे। उसके बाद हम सभी काल के ब्रह्मण्ड में रह कर अपना किया हुआ कर्मदण्ड भोगने लगे और बहुत दुःखी रहने लगे। सुख व शांति की खोज में भटकने लगे और हमें अपने निज घर सतलोक की याद सताने लगी तथा वहां जाने के लिए भक्ति प्रारंभ की। किसी ने चारों वेदों को कंठस्थ किया तो कोई उग्र तप करने लगा और हवन यज्ञ, ध्यान, समाधि आदि क्रियाएं प्रारम्भ की, लेकिन अपने निज घर सतलोक नहीं जा सके क्योंकि उपरोक्त क्रियाएं करने से अगले जन्मों में अच्छे समृद्ध जीवन को प्राप्त होकर) जैसे राजा-महाराजा, बड़ा व्यापारी, अधिकारी, देव-महादेव, स्वर्ग-महास्वर्ग आदि (वापिस लख चैरासी भोगने लगे। बहुत परेशान रहने लगे और परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करने लगे कि हे दयालु ! हमें निज घर का रास्ता दिखाओ। हम हृदय से आपकी भक्ति करते हैं। आप हमें दर्शन क्यों नहीं दे रहे हो ?
यह वृतान्त कबीर साहेब ने धर्मदास जी को बताते हुए कहा कि धर्मदास इन जीवों की पुकार सुनकर मैं अपने सतलोक से जोगजीत का रूप बनाकर काल लोक में आया। तब इक्कीसवें ब्रह्मण्ड में जहां काल का निज घर है वहां पर तप्तशिला पर जीवों को भूनकर सुक्ष्म शरीर से गंध निकाला जा रहा था। मेरे पहुंचने के बाद उन जीवों की जलन समाप्त को गई। उन्होंने मुझे देखकर कहा कि हे पुरुष ! आप कौन हो? आपके दर्शन मात्रा से ही हमें बड़ा सुख व शांति का आभास हो रहा है। फिर मैंने बताया कि मैं पारब्रह्म परमेश्वर कबीर हूं। आप सब जीव मेरे लोक से आकर काल ब्रह्म के लोक में फंस गए हो। यह काल रोजाना एक लाख मानव के सुक्ष्म शरीर से गंध निकाल कर खाता है और बाद में नाना-प्रकार की योनियों में दण्ड भोगने के लिए छोड़ देता है। तब वे जीवात्माएं कहने लगी कि हे दयालु परमश्ेवर ! हमारे को इस काल की जेल से छुड़वाओ। मैंने बताया कि यह ब्रह्मण्ड काल ने तीन बार भक्ति करके मेरे से प्राप्त किए हुए हैं जो आप यहां सब वस्तुओं का प्रयोग कर रहे हो ये सभी काल की हैं और आप सब अपनी इच्छा से घूमने के लिए आए हो। इसलिए अब आपके ऊपर काल ब्रह्म का बहुत ज्यादा ऋण हो चुका है और वह ऋण मेरे सच्चे नाम के जाप के बिना नहीं उतर सकता।
@Satsaheb47 धन्यवाद आपकी जानकारी जो आपने बताईं। सर्वशक्तिमान ने रचना की काल ओर आत्माओं की। काल को आत्मा नहीं समझते तो यह आपकी भूल है, माया को ब्रह्म को पारब्रह्म को महाकाल को कबीर को रामपाल जी को राम कृष्ण को मुहम्मद इसा को बुद्ध महावीर को गरीबदास नानक जी को ब्रह्म विष्णु महेश को समस्त देवी देवताओं को, समस्त प्राणियों को, इनमें से एख भी बिना आत्मा के नही है, आत्माओं का अपनी इच्छा से आना, यह भ्रम है आपका, काल का अपनी इच्छा से सब कुछ करना यह भी भ्रम है आपका, सर्वशक्तिमान एक अनामी पुरुष उसी के तीन रूप अलख अगम ओर सतपुरूष, सतपुरूष ने काल माया ब्रह्म पारब्रह्म महाकाल आत्मा सबको बनाया, मतलब उनका ही अंश प्रकाश रूप में शब्द रूप में, समस्त संसार की आत्माओं को एक सुई के नोक के ऊपर रखा जा सकता है, बिना सतपुरूष की इच्छा के काल का कुछ भी करना या आत्माओं का कुछ भी करना यह लाजिक नहीं है, सर्वशक्तिमान के सामने मतलब सतपुरूष के सामने दो सर्वशक्तिमान आत्मा ओर काल खड़े हो रहे हैं, ओर अपनी इच्छा से सब कुछ कर रहे हैं, तो फिर सर्वशक्तिमान सतपुरूष नहीं है, काल ओर आत्मा ही सर्वशक्तिमान हो गये। काल ब्रह्म माया पारब्रह्म महाकाल इनमें से एक भी उस सतपुरूष के बिना ध्यान के सुमिरन के एक पल भी नहीं रहता। चारों शरीर के खोल बंधन है, आत्मा किसी भी रूप में बंधन नहीं है। सर्वशक्तिमान सतपुरूष के सिवा आत्माओं को कोई भी नहीं नचवा सकता, आप अपनी आत्मा को नहीं देख सकते तो आपको सबमें भेद नजर आता है, जिस दिन अपनी आत्मा को देख लोगे चारों शरीर के खोल उतारकर, शुद्ध रूप से, फिर सतपुरूष ओर आप में ही फर्क नहीं रहेगा ओर तो बहुत दूर की बात है। सारा खेल उस एक सतपुरूष का है कोई भी उसकी मर्जी के बहार नहीं जाता, शब्द ओर प्रकाश उस अनामी से ही आ रहा है सबके पास, सतपुरूष भी एक असंख्य प्रकाश ओर शब्द का भंडार है, सतपुरूष से ही शब्द ओर प्रकाश सबमें जा रहा है, किरदार फंसाने वाले ओर निकालने वाले सब उस एक सर्वशक्तिमान के ही हैं, अपनी इच्छा से कोई भी कुछ भी नहीं करता, सर्वशक्तिमान एक ही है। काल का असली रूप कर्म है समस्त अच्छे बुरे कर्म इससे बहार निकलना ही काल से बहार निकलना है, काल भी उस का ही अंश है उस सर्वशक्तिमान का, मन ब्रह्म का हिस्सा है मन से बहार निकलना ब्रह्म से बहार निकलना, ब्रह्म भी उसी सर्वशक्तिमान का अंश है, माया समस्त इच्छाएं माया है, समस्त इच्छाओं से बहार निकलना माया से बहार निकलना है, माया भी उसी सर्वशक्तिमान का अंश है, तीनों गुणों से बहार निकलना ब्रह्म विष्णु महेश से बहार निकलना, ब्रह्म विष्णु महेश भी उसी सर्वशक्तिमान का अंश है, प्रकृति पांचों विकार पांचों तत्व,समस्त इन्द्रियों से बहार निकलना, आद्या महाशक्ति भी उसी सर्वशक्तिमान का अंश है, कोई भी अलग नहीं है, ओर बिना आत्मा के उस सर्वशक्तिमान के सिवा कोई भी नहीं है, सब अविनाशी है, चारों शरीर के खोल का विनाश होता है, आत्मा का नहीं। जब तक एक भी भेद रहेगा तब तक भवसागर ही रहेगा। उस सर्वशक्तिमान के ही ये सारे किरदार है, संत परमसंत यह भी उसी सर्वशक्तिमान के किरदार है, अंश सबमें उसी सर्वशक्तिमान का है, किसी का किरदार फंसाने का किसी का किरदार निकालने का, नफरत के लायक एक भी नहीं है, सब आदर के लायक है सब अविनाशी है, मोक्ष चाहिए तो मोक्ष का रास्ता सही तो जानो, सर्वशक्तिमान की मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता, सर्वशक्तिमान का ही सारा खेल है, ओर कोई भी उस एक सर्वशक्तिमान को दोष नहीं दे सकता, वह सबमें रहकर भी सबसे परे है, वह इनमें से किसी में भी नहीं आता। बाकी आपकी मर्जी है जेसा समझना चाहो वेसा समझो।
महोदय जहा हमारे गुरू जी संत रामपाल जी महाराज ओर पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब जहा रहेगे हम वहा जायेगे वो चाहै नरक ही क्यो ना हो ओके , जहा मेरे गुरू जी है वो नरक भी सतलोक ही लगेगा,
बोलो बंदीछोड सत गुरू रामपाल जी महाराज की जय 😊
सत साहेब 😊
आप किताबों को प्रमाण मानते हो, ओर किसी भी किताब को आप पूरा नहीं मानते, आपको यही सिखाया जाता है हमें हमारी मतलब की बात को उठाना है बाकी से हमें कोई मतलब नहीं। यह एक भ्रम है, उदाहरण कुछ भी दो, सब मनमुखी है, गीता वेद कबीर सागर पुराण जहां जो अपने ज्ञान को मतलब रामपाल जी के ज्ञान को सिद्ध करने के लिए जरूरी है उठा लो,बाकी सब कबाड़ है, यह लाजिक आपको मान्य होगा, मुझे नहीं, गहराई में उतरे बिना आधार नहीं, भेद दृष्टि का ज्ञान आपका है, साधना किस तरह से की जाती है, यह सबका अपना मत है, आपको मंत्र जाप से मोक्ष मिलेगा, तो औरों को भी मंत्र जाप से मिल जायेगा, जिस तरह रामपाल जी ने काल के बावन अक्षरों से अपने अक्षर निकालकर सिद्ध कर लिये, उसी तरह उन बावन अक्षरों में से औरों ने निकालकर सिद्ध कर लिये। हर एक अक्षर काल का जो बावन अक्षर हैं, वेद पुराण गीता कुरान बाइबिल ओर भी जो धर्म पुस्तकें हैं उन सबमें मिल जायेगा। राधा स्वामी, राम रहीम,आशा राम निरंकारी रामपाल जी कबीर पंथी ग्रन्थ साहिब ब्रह्मा कुमारी, ओर भी जितने है सबके मंत्र बावन अक्षर काल से ही निकलते हैं, ओर सबने अपने मन्त्रों को कहीं न कहीं किसी ना किसी धर्म पुस्तकों का आलमबन लेकर प्रमाण दिखाया है, भाई मेरे मे सबको मानता हूं, लेकिन मन ओर माया से बहार जो है उसे ही में मोक्ष का अधिकारी मानता हूं, ओर किसी भी पंथ में से मुझे कोई भी मन ओर माया से बहार नहीं दिखा। आप मन ओर माया से बहार हो तो बताओ। में विश्व मंच पर आपको ही खड़ा कर देता हूं। कहां क्या लिखा है सबने दिखाया है, सबने हर जगह से अपने ज्ञान को सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने का प्रमाण दिखाया है। अपने अपने अर्थ करके, जियो जिस तरह जीना चाहते हो, लेकिन एक को भी पाखंड कहा तो वे आपको कहेंगे, आप अपने ज्ञान का प्रमाण दिखाओगे वे अपने ज्ञान का प्रमाण दिखायेंगे, नुकसान किसका होगा हमेशा ही भोली भाली जनता का, गुमराह करके अपनी माया की दुकान चलती रहे बस यही मोक्ष है। अगर कोई भी मन ओर माया से बहार होता तो विश्व मंच पर आकर डंके की चोट पर कहता में मन ओर माया से बहार हूं, मुझे किसी भी तरह से मन ओर माया के अंदर साबित करो पूरे विश्व को खुली छूट है, इसे कहते हैं मोक्ष का डंका बजाना, जो आज तक किसी में दम नहीं हुआ। किताबों पर ही लड़ते रहो ओर किताबों में ही सिद्ध करते रहो। फिर भी आपकी आस्था है जिसे मानो आपका चुनाव है। लेकिन मेरी दृष्टि में यह मोक्ष नहीं है।
@amituniyal4899 
आदरणीय दादू साहेब जी कबीर परमेश्वर के साक्षी
God Kabir
आदरणीय दादू साहेब जी कबीर परमेश्वर के साक्षी
Updated: January 20th, 2016
by Sant Rampal Ji

आदरणीय दादू साहेब जी जब सात वर्ष के बालक थे तब पूर्ण परमात्मा जिंदा महात्मा के रूप में मिले तथा सत्यलोक ले गए। तीन दिन तक दादू जी बेहोश रहे। होश में आने के पश्चात् परमेश्वर की महिमा की आँखों देखी बहुत-सी अमृतवाणी उच्चारण की:
अमृत वाणी में प्रमाण
जिन मोकुं निज नाम दिया, सोइ सतगुरु हमार। दादू दूसरा कोई नहीं, कबीर सृजन हार।।
दादू नाम कबीर की, जै कोई लेवे ओट। उनको कबहू लागे नहीं, काल बज्र की चोट।।
दादू नाम कबीर का, सुनकर कांपे काल। नाम भरोसे जो नर चले, होवे न बंका बाल।।
जो जो शरण कबीर के, तरगए अनन्त अपार। दादू गुण कीता कहे, कहत न आवै पार।।
कबीर कर्ता आप है, दूजा नाहिं कोय। दादू पूरन जगत को, भक्ति दृढावत सोय।।
ठेका पूरन होय जब, सब कोई तजै शरीर। दादू काल गँजे नहीं, जपै जो नाम कबीर।।
आदमी की आयु घटै, तब यम घेरे आय। सुमिरन किया कबीर का, दादू लिया बचाय।।
मेटि दिया अपराध सब, आय मिले छनमाँह। दादू संग ले चले, कबीर चरण की छांह।।
सेवक देव निज चरण का, दादू अपना जान। भृंगी सत्य कबीर ने, कीन्हा आप समान।।
दादू अन्तरगत सदा, छिन-छिन सुमिरन ध्यान। वारु नाम कबीर पर, पल-पल मेरा प्रान।।
सुन-2 साखी कबीर की, काल नवावै माथ। धन्य-धन्य हो तिन लोक में, दादू जोड़े हाथ।।
केहरि नाम कबीर का, विषम काल गज राज। दादू भजन प्रतापते, भागे सुनत आवाज।।
पल एक नाम कबीर का, दादू मनचित लाय। हस्ती के अश्वार को, श्वान काल नहीं खाय।।
सुमरत नाम कबीर का, कटे काल की पीर। दादू दिन दिन ऊँचे, परमानन्द सुख सीर।।
दादू नाम कबीर की, जो कोई लेवे ओट। तिनको कबहुं ना लगई, काल बज्र की चोट।।
और संत सब कूप हैं, केते झरिता नीर। दादू अगम अपार है, दरिया सत्य कबीर।।
अबही तेरी सब मिटै, जन्म मरन की पीर। स्वांस उस्वांस सुमिरले, दादू नाम कबीर।।
कोई सर्गुन मंे रीझ रहा, कोई निर्गुण ठहराय। दादू गति कबीर की, मोते कही न जाय।।
जिन मोकुं निज नाम दिया, सोइ सतगुरु हमार। दादू दूसरा कोई नहीं, कबीर सृजन हार।।
चाहिये तुम कुछ भी करलो
Yahan sabhi log murkh nahi hai
Bahut sare buddhiman bhi hai jo ki sant Rampal Ji Maharaj ka Gyan samajh rahe hain.
रामपाल जी कौन सी तापश्यa ki आज जेल मे भोग रहे इससे सिद्ध होता की गलत परिणाम फल गलत होता है (प्रजापति कुम्हार )
@ramayanpandit4440 shree Ram ne 14 varsh ka vanvash kis galti ke Karan bhoga
@@ramayanpandit4440आपके हिसाब से राम , कृष्ण, गांधी, सुभाष चंद्र बोस , येशु, आदि सभी महापुरुषों अपने गलत कामों का फल भुगते । नानक जी जेल में थे बसुदेव देवकी जेल में थे । माता सीता अजीबन सुख नहीं भोगे ।
@@ramayanpandit4440 इतनी जल्दी मत मचाओ। संत रामपाल जी महाराज सभी केसो में बरी होते जा रहे हैं। उन्ही की जीत हो रही है। वे जेल से बाहर जरूर आएंगे। लेकिन जेल जाने से भी उनके मिशन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है जेल जाने से पहले उनके 50 लाख अनुयायी थे। जो आज 9.5 करोड़ हो चुके हैं। आजकल सब पढ़े-लिखे हैं। कोई किसी को नहीं बका सकता। ये सभी लोग वे है जिन्होंने आध्यात्मिक लाभ प्राप्त किया है। पहले केवल बरवाला में एक आश्रम था। आज 10 आश्रम हो चुके हैं। पहले केवल साधना टीवी पर सत्संग आता था। आज 13 चैनल पर सत्संग आता है।
Agar padney ka hak respected Bhim Rao Ambedkar ji ne diya toh Bhim Rao Ambedkar ji kaisey padhey
According to records of Chennai presidency all people were given rights to study
Are the ancient documents false
Why are they telling lies
Iskcon has temples in Pakistan much before you people and stop telling false self praised sentences
Please don't defame your guru by spreading false statements
Shame on some of these people like Amit Das please don't spread these false statements plz
नही मानेगे
Ghyan ki baat mat Karo rampal me Jada ghyan he isliye jel me he
Amit tere me budhi nahi hai
Pal juttha hai
रामपाल केद हुआ है रामपाल अपनी रक्षा नहीं कर पाता दुसरो की रक्षा क्या खाख करेगा आप प्रणाम ज्ञान गंगा पुस्तक में दिखाते वो पुस्तक रामपाल खुद ने पुस्तक छापी वो पुस्तक रामपाल के मनमर्जी से बनाई है जे श्री राम
इतनी जल्दी मत मचाओ। संत रामपाल जी महाराज सभी केसो में बरी होते जा रहे हैं। उन्ही की जीत हो रही है। वे जेल से बाहर जरूर आएंगे। लेकिन जेल जाने से भी उनके मिशन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है जेल जाने से पहले उनके 50 लाख अनुयायी थे। जो आज 9.5 करोड़ हो चुके हैं। आजकल सब पढ़े-लिखे हैं। कोई किसी को नहीं बका सकता। ये सभी लोग वे है जिन्होंने आध्यात्मिक लाभ प्राप्त किया है। पहले केवल बरवाला में एक आश्रम था। आज 10 आश्रम हो चुके हैं। पहले केवल साधना टीवी पर सत्संग आता था। आज 13 चैनल पर सत्संग आता है।
Kal koi naya baba aaye kuch aur bak de to uske piche beth jana
Tera bandi chhod jail ki roti Tod Raha hai,
Glat he ......kabir ek mahan purush he....lord nehi..
Bhauji ab inki dukanen band hone wali hai
Isiliye to jail mein sad raha hai is baat ka gyan Kisi ko Nahin hai kyon chal raha hai maloom hai tumko chahie dhyan dena
इतनी जल्दी मत मचाओ। संत रामपाल जी महाराज सभी केसो में बरी होते जा रहे हैं। उन्ही की जीत हो रही है। वे जेल से बाहर जरूर आएंगे। लेकिन जेल जाने से भी उनके मिशन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है जेल जाने से पहले उनके 50 लाख अनुयायी थे। जो आज 9.5 करोड़ हो चुके हैं। आजकल सब पढ़े-लिखे हैं। कोई किसी को नहीं बका सकता। ये सभी लोग वे है जिन्होंने आध्यात्मिक लाभ प्राप्त किया है। पहले केवल बरवाला में एक आश्रम था। आज 10 आश्रम हो चुके हैं। पहले केवल साधना टीवी पर सत्संग आता था। आज 13 चैनल पर सत्संग आता है।
सत साहेब जी ❤❤❤❤❤❤❤
Sat Saheb ji
Sat sahib bahgt ji
Sat saheb
Sat saheb ji
sat saheb
Sat.saheb.