अब घर पायो है जबर रे। आवागमन मे फेर नही आऊँ ना जन्म मरण रे।। तीन लोक माया रो चवदे भवन तक डर रे । उनके आगे भोम बसत है वहीं तूं आसरो कर रे।। ना कोई वेद कतेब वहां कुछ नाहीं ना कोई क्षर अक्षर रे । हद बेहद अनहद से आगे ना धरण अमर रे ।। ना कोई रैण सूर नही चन्दा वहां आसन किया हे अधर रे । झिलमिल नूर अमी रस बरसे सप्त भोम रे पर रे ।। नानकनाथ मिला गुरू पुरा वहां किना अटल अमर रे । कह लाधुनाथ सुनो भाई साधो काल मौत नहीं डर रे ।।🙏🙏🙏🙏🙏सतसाहेब
वर्तमान में शिक्षित समाज हैं शिक्षा का दौर है वैज्ञानिक दृष्टिकोण है स्वंय बिचार करें कि सत्य क्या है असत्य क्या है। मानव समाज को एकरुपता के लिए संघर्ष करिए कुछ लोगों के घर जाकर ज्ञान देने से मतभेदों का बहुत बड़ा स्वरुप बनता जाएगा।
इंसान चांद पर उतरा हम सब मानते । मनने के लिए, या एक बंगलो बनाने के पहले मॉडल बना के दिखाते है। चांद का या महल का मोड़ेल् समझ और एहसास करने के लिये, रोड पर पत्तर रास्ता दिखाता ना की खुद शहर है । इसलिए पत्तर भगवान पर मन एकत्र बना के योग निद्रा द्वारा खुद और भगवान समजे । पत्तर को कोई पत्तर या संत का शरीर् शरीर् का ❗❓. आप का प्रवचन ऑडियो सुन सकते फिर भी विडिओ मे जो आप का आकर देख के सुनते और महसूस करते है । आकार् के द्वारा निराकर, निराकर से आकर, दोनो सच्च और दोनो भ्रम है । 🙏
देखिए मूर्ति को दोष जिसने दिया क्या वह मूर्ति को समझें, मूर्ति के सामने पाखंड हो रहा है तो ग़लत है। यह संसार निराकार तो नहीं आकार में है यह समझ में आया। देखिए धर्मांतरण होना ही था तुम सब लोग वस्त्र पहने तो हो शास्त्रार्थ तो हुआ ही नहीं। धर्मान्तरण ईश्वर सम्बन्धित विषय थोड़ी है। शास्त्रार्थ से आध्यात्म ज्ञान का पता चल जाता।
साहेब सदगुर को लख लख नमन आप का हस्त लेखा गीता चाहिए जी बन्दी छोर साहेब जी को प्रणाम
अब घर पायो है जबर रे।
आवागमन मे फेर नही आऊँ ना जन्म मरण रे।।
तीन लोक माया रो चवदे भवन तक डर रे ।
उनके आगे भोम बसत है वहीं तूं आसरो कर रे।।
ना कोई वेद कतेब वहां कुछ नाहीं ना कोई क्षर अक्षर रे ।
हद बेहद अनहद से आगे ना धरण अमर रे ।।
ना कोई रैण सूर नही चन्दा वहां आसन किया हे अधर रे ।
झिलमिल नूर अमी रस बरसे सप्त भोम रे पर रे ।।
नानकनाथ मिला गुरू पुरा वहां किना अटल अमर रे ।
कह लाधुनाथ सुनो भाई साधो काल मौत नहीं डर रे ।।🙏🙏🙏🙏🙏सतसाहेब
जय सतनाम साहेब बंदगी सतनाम गुरु के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम
Saheb bandagi Sahib bandagi saheb bandagi
Saheb bandagi satnam 🌹satguru ji ke charno me koti koti pranam 🌹🙏🌹
❤❤❤
😊😊😊 जय हो बंदी छोड सद्गुरु नितीन दास साहेब जी की सदा सदा ही जय हो सतनाम साहेब बनते की
साहेब बंदगी सतनाम गुरूजी जी
साहेब बन्दगी साहेब सद्गुरु बन्दीछोर कबीर परमपुरुष परमात्मा साहेब मेरे कुतिया बैर परी ।घुर् घुराय और खीसे कढै मार्ग घेर खडी
साहिब बँदगी सतनाम गुरूजी 🙏प्रणाम 🙏
जय सतनाम साहिब जी।🪷🙏🪷🙏🪷🙏🪷🙏
जय सतनाम🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
राम जी राम 🙏🙏🪔🥀🍅🌹🌹🌹🌹
भेदी सतगुरू नितिनदासजी साहेबजी प्रणाम जी सत् कबीरजी साहेबजी बंदीछोड मालिक जी का सदा सदा जय जय कार हो साहेबजी बंदगी सतनाम गुरूजी
प्रणाम गुरुजी आशिर्वाद चाहिए
साहैबजी स्वरूपकोतोजबजानाजाएजबउसकाचिन्हपताहो
वर्तमान में शिक्षित समाज हैं शिक्षा का दौर है वैज्ञानिक दृष्टिकोण है स्वंय बिचार करें कि सत्य क्या है असत्य क्या है।
मानव समाज को एकरुपता के लिए संघर्ष करिए कुछ लोगों के घर जाकर ज्ञान देने से मतभेदों का बहुत बड़ा स्वरुप बनता जाएगा।
BandeChaod SatnamjiKoKotiKoti Chranvandna
🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹
Guruji Jadu tona se to prabhavit kar deta hai
सार शब्द बताओ क्या है
इंसान चांद पर उतरा हम सब मानते । मनने के लिए, या एक बंगलो बनाने के पहले मॉडल बना के दिखाते है। चांद का या महल का मोड़ेल् समझ और एहसास करने के लिये, रोड पर पत्तर रास्ता दिखाता ना की खुद शहर है ।
इसलिए पत्तर भगवान पर मन एकत्र बना के योग निद्रा द्वारा खुद और भगवान समजे ।
पत्तर को कोई पत्तर या संत का शरीर् शरीर् का ❗❓. आप का प्रवचन ऑडियो सुन सकते फिर भी विडिओ मे जो आप का आकर देख के सुनते और महसूस करते है । आकार् के द्वारा निराकर, निराकर से आकर, दोनो सच्च और दोनो भ्रम है । 🙏
Pani
Hath Mein Jalan ki Marji Nahin Hai to yah jaati kahan hai
Hi
Kuchh kuchh samajh mein aata hai guruji
Pani barf Panna
देखिए मूर्ति को दोष जिसने दिया क्या वह मूर्ति को समझें, मूर्ति के सामने पाखंड हो रहा है तो ग़लत है।
यह संसार निराकार तो नहीं आकार में है यह समझ में आया।
देखिए धर्मांतरण होना ही था तुम सब लोग वस्त्र पहने तो हो शास्त्रार्थ तो हुआ ही नहीं।
धर्मान्तरण ईश्वर सम्बन्धित विषय थोड़ी है। शास्त्रार्थ से आध्यात्म ज्ञान का पता चल जाता।