Hanuman Chalisa 108 times (with lyrics) | Sadguru Aniruddha Bapu

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  • เผยแพร่เมื่อ 9 ก.พ. 2025
  • Sadguru Aniruddha Bapu emphasized the significance of chanting the Hanuman Chalisa 108 times at least one day during the auspicious period of Shreegurucharan Maas. Shreegurucharan Maas is the period that stretches from Vata Pournima (Jyeshtha Pournima) to the Guru Pournima (Ashadh Pournima).
    The recitation of the Hanuman Chalisa 108 times during this period wards off negativity and enhances faith, endurance, and confidence.
    The only rule we need to observe while reciting the Hanuman Chalisa is that it needs to be done with love and Bhakti.
    This video features the chanting of Hanuman Chalisa 108 times and can be played for recitation.
    #AniruddhaBapu #HanumanChalisa #JaiShreeRam #GuruPurnima
    Lyrics :
    हनुमान चालीसा
    दोहा
    श्रीगुरु चरन सरोज रज
    निज मनु मुकुरु सुधारि ।
    बरनऊँ रघुबर बिमल जसु
    जो दायकु फल चारि ॥
    बुद्धिहीन तनु जानिके
    सुमिरौं पवनकुमार ।
    बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं
    हरहु कलेस बिकार ॥
    चौपाई
    जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
    जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥
    राम दूत अतुलित बल धामा ।
    अंजनिपुत्र पवनसुत नामा ॥
    महाबीर बिक्रम बजरंगी ।
    कुमति निवार सुमति के संगी ॥
    कंचन बरन बिराज सुबेसा ।
    कानन कुंडल कुंचित केसा ॥
    हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै ।
    काँधे मूँज जनेऊ साजै ॥
    संकर सुवन केसरीनंदन ।
    तेज प्रताप महा जग बंदन ॥
    विद्यावान गुनी अति चातुर ।
    राम काज करिबे को आतुर ॥
    प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
    राम लखन सीता मन बसिया ॥
    सूक्श्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
    बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥
    भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
    रामचंद्र के काज सँवारे ॥
    लाय सजीवन लखन जियाये ।
    श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥
    रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।
    तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥
    सहस बदन तुम्हरो जस गावैं ।
    अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ॥
    सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
    नारद सारद सहित अहीसा ॥
    जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
    कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥
    तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा ।
    राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥
    तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना ।
    लंकेस्वर भए सब जग जाना ॥
    जुग सहस्र जोजन पर भानू ।
    लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥
    प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
    जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥
    दुर्गम काज जगत के जेते ।
    सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥
    राम दुआरे तुम रखवारे ।
    होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥
    सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।
    तुम रच्छक काहू को डर ना ॥
    आपन तेज संहारो आपै ।
    तीनों लोक हाँक तें काँपै ॥
    भूत पिसाच निकट नहिं आवै ।
    महाबीर जब नाम सुनावै ॥
    नासै रोग हरै सब पीरा ।
    जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥
    संकट तें हनुमान छुड़ावै ।
    मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥
    सब पर राम तपस्वी राजा ।
    तिन के काज सकल तुम साजा ॥
    और मनोरथ जो कोई लावै ।
    सोई अमित जीवन फल पावै ॥
    चारों जुग परताप तुम्हारा ।
    है परसिद्ध जगत उजियारा ॥
    साधु संत के तुम रखवारे ।
    असुर निकंदन राम दुलारे ॥
    अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।
    अस बर दीन जानकी माता ॥
    राम रसायन तुम्हरे पासा ।
    सदा रहो रघुपति के दासा ॥
    तुम्हरे भजन राम को पावै ।
    जनम जनम के दुख बिसरावै ॥
    अंत काल रघुबर पुर जाई ।
    जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥
    और देवता चित्त न धरई ।
    हनुमत सेई सर्ब सुख करई ॥
    संकट कटै मिटै सब पीरा ॥
    जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
    जै जै जै हनुमान गोसाईं ।
    कृपा करहु गुरु देव की नाईं ॥
    जो सत बार पाठ कर कोई ।
    छूटहि बंदि महा सुख होई ॥
    जो यह पढ़ै हनुमान चलीसा ।
    होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥
    तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
    कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ॥
    दोहा
    पवनतनय संकट हरन
    मंगल मूरति रूप ।
    राम लखन सीता सहित
    हृदय बसहु सुर भूप ॥
    आरती
    मंगल मूरती मारुत नंदन
    सकल अमंगल मूल निकंदन
    पवनतनय संतन हितकारी
    हृदय बिराजत अवध बिहारी
    मातु पिता गुरू गणपति सारद
    शिव समेट शंभू शुक नारद
    चरन कमल बिन्धौ सब काहु
    देहु रामपद नेहु निबाहु
    जै जै जै हनुमान गोसाईं
    कृपा करहु गुरु देव की नाईं
    बंधन राम लखन वैदेही
    यह तुलसी के परम सनेही
    सियावर रामचंद्रजी की जय ॥
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