जीवन में धर्म क्यों जरूरी है ? Jivan Me Dharm Kyu Jaruri Hai ? By Pravchan Mahesh Guru Ji

แชร์
ฝัง
  • เผยแพร่เมื่อ 25 ต.ค. 2024

ความคิดเห็น • 7

  • @UmeshPunjabi999
    @UmeshPunjabi999 หลายเดือนก่อน +1

    Ram Ram ji Radhe Radhe ji pravchan Mahesh Guru ji Umesh ji 🙏🙏🙏🙏🙏🇮🇳☑️

  • @dineshroy8825
    @dineshroy8825 หลายเดือนก่อน

    Har har Mahadev

  • @ramanandagrahari1629
    @ramanandagrahari1629 หลายเดือนก่อน

    हर हर महादेव जय श्री श्याम❤

  • @ramanathbajpai9099
    @ramanathbajpai9099 หลายเดือนก่อน

    Har Har Mahadev Charan Sparsh Guruji🙏🙏🙏🙏🙏

  • @ritapatel2465
    @ritapatel2465 หลายเดือนก่อน

    🙏Jay bhole 🙏🙏

  • @RkTripathi-l5e
    @RkTripathi-l5e หลายเดือนก่อน

    Gn...... guruji

  • @PrakashSharma-i4w
    @PrakashSharma-i4w หลายเดือนก่อน

    ❤ ॐ ❤❤❤। *वेद में विभिन्न मंत्रो में आया है। सब कुछ बनाने वाला सिर्फ एक अजन्मा परम तत्त्व परमेश्वर है। कुरान में भी आया है सबकुछ बनाने वाला अल्लाह है*
    *अगर हम वेदों के ईश्वर को अल्लाह कहते तो भी गुण एक समान है और दोनो किताबो में भी लिखा है सब कुछ बनाने वाला एक सर्वव्यापी हर प्रकार से शुद्ध चैतन्य है उसकी सीमा अनंत और अनादि है ।*
    *अल्लाह शब्द अरब देश में कुरान के आने से पहले भी बोला जाता था। इतिहास में इसका वर्णन मिलता ।*
    *अल्लाह नाम के अर्थ का मतलब = अल+ इलाह से बना है । इलाह का मतलब = सब कुछ बनाने वाला , उसका सुरक्षा करने वाला, और पालन- पोषण करने और न्याय करने वाला इत्यादि।*
    *कुरान में उस सर्वशक्तिमान परमेश्वर का नाम उसके गुणों के आधार पर है। कुरान का ज्ञान अरब देश में आया ।*
    *ये बिल्कुल सच बात है की कुरान की एक एक बात सत्य है ।। वेद और कुरान ये दोनो किताब उसी एक सर्वव्यापी परमेश्वर का वचन है ।। इसलिए बोला जाता है वेद और कुरान की रचना किसी मनुष्य ने नही की है । ये तो साक्षात परमेश्वर का कथन वाक्य है। अतः हमें उसका प्रतिदिन ध्यान करना चाहिए जिसने हम सभी मनुष्यों को बनाया।*
    *( वेद के कुछ मंत्र )*
    *ईशावास्यमिदं सर्वं यत्किंच जगत्याञ्जगत् । (यजुर्वेद अध्याय ४० मंत्र २ )*
    *अर्थात् जो कुछ इस संसार में और सभी लोक में है,उस सब में व्याप्त होकर जो सृष्टि से परे है वह परमेश्वर कहलाता है ।*
    *हिरण्यगर्भ: समवर्त्तताग्रे भूतस्य जात: पतिरेक आसीत् । स दाधार पृथिवीं द्यामुतेमाम् कस्मै देवाय हविषा विधेम ।। ( यजुर्वेद १३/४ )*
    *अर्थात् सृष्टि से पूर्व जो सूर्य आदि तेजवाले लोकों का निर्माण किया , और जो कुछ उसने उत्पन्न किया , है और जो करेगा ,उसका स्वामी वही है और आगे भी रहेगा , वही पृथ्वी से लेकर सूर्य तथा सभी लोक तक सभी सृष्टि को बना के धारण कर रहा है ,उस सुखस्वरूप परमेश्वर ही का ध्यान हम सब लोग किया करें ।*
    *पर्यगाच्छुक्रमकायमव्रणमस्नाविरंशुद्धमपापविद्धं। कवीर्मनीषी परिभू: स्वयम्भूर्याथातथ्यतोऽर्थान् व्यदधाच्छाश्वतीभ्य: समाभ्य: । ( यजुर्वेद ४०/८ )*
    *अर्थात् वह ईश्वर ,सर्व शक्तिमान , न्यायकारी और शरीर से रहित,छिद्र रहित, नस - नाड़ियों के बंधन से रहित , अविद्या आदि दोषों से रहित । वह सर्वज्ञ, सभी जीवों का उत्पत्तिकर्ता और उनके मनों की वृत्तियों को जानने वाला , सभी लोक एवं संसार के निर्माणकर्ता अनादि , उत्पत्ति और विनाश रहित , वहीं परमेश्वर उपासना करने योग्य है ।*