यार ये क्या मस्त रूह है क्या अस्तित्व है वाह स्पिनोजा की एक फिलोसोफी है हमें चीजो के स्वभाव से झगड़ना नही चाहिए हमें अपने अंतर्द्वंदों में पड़े रहने में क्या ही आनंद आता है ख़ैर बेहद मस्त कर रहीं हैं आप यह बातें यह ज्ञान मादक है अलग सा नशा है इस शब्दब्रह्म को शून्य को पी लेने में इस मदहोशी में मिलता मुझे मैं स्वयं मैं मिलता हूँ मुझसे बहुत कुछ है कहने को यार मैं 17 घण्टे बतिया सकता हूँ आपसे पर मौन की श्रेष्ठता है दो शब्दों के मध्य में दो अंतराल है उसके बीच मे भरे मौन को मैं पी रहा हूँ उर्वशी यार क्या ही चिंतन है
जब हमारा दमन होता है तब जिस ऊर्जा का दमन हो रहा होता है, वह ऊर्जा हममें सड़ने लगती है। वही ऊर्जा जो एक फूल बन सकती थी, काँटा बन जाती है। जिस ऊर्जा से विकास हो सकता था, वह थम कर बदबू देना शुरू कर देती हैl ऊर्जा को एक बहाव में रहने की ज़रूरत है, दमन जीवन रोक देता है।
मुझे आपकी बातें सुन कर भगवान ओशो की याद आ रही है, मुझे लगता है आप बुद्धत्व को उपलब्ध हो गईं हैं, कृपया आप मेरा जिज्ञासा शांत करें 🙏 आज ओशो जिन्दा रहते तो उन्हें पूछता कि (मेरा प्रश्न) आज मैं अभी वर्तमान में शरीर में हूँ, शकल इंद्रियों का सुख दुःख भोग रहा हूं परन्तु भगवान ओशो का सत्संग,ध्यान प्रवचनों को सुन सुन कर मुझे लगता है कि मैं धीरे आगे बढ़ रहा हूं, सांसारिक आदमी का सोच समझ और मेरे सोच समझ में बहुत फर्क महाशूस करता हूं, आज मैं सशरीर में रह कर ध्यान कर रहा हूं अब मेरा प्रश्न यह है कि जब मैं शरीर में नहीं रहूंगा तब मैं कहां होऊंगा, शरीर छूटने के बाद मैं कहां स्थित रहूंगा? इस समझाने की कृपा करें 🙏🙏🙏
@उर्वशी-0 जवाब देने के आपका बहुत बहुत धन्यवाद, ध्यान मार्ग पर और आगे गति बढ़े इससे संबंधित प्रवचन अपलोड करते रहें, मैं आपका यूट्यूब सब्सक्राइबर हूँ 🙏🙏🙏
Aapko thanks apke videos apke words ek ek anmol hai
Bahut sundar darshan
यार ये क्या मस्त रूह है क्या अस्तित्व है वाह स्पिनोजा की एक फिलोसोफी है हमें चीजो के स्वभाव से झगड़ना नही चाहिए हमें अपने अंतर्द्वंदों में पड़े रहने में क्या ही आनंद आता है ख़ैर बेहद मस्त कर रहीं हैं आप यह बातें यह ज्ञान मादक है अलग सा नशा है इस शब्दब्रह्म को शून्य को पी लेने में इस मदहोशी में मिलता मुझे मैं स्वयं मैं मिलता हूँ मुझसे
बहुत कुछ है कहने को यार मैं 17 घण्टे बतिया सकता हूँ आपसे पर मौन की श्रेष्ठता है दो शब्दों के मध्य में दो अंतराल है उसके बीच मे भरे मौन को मैं पी रहा हूँ उर्वशी यार क्या ही चिंतन है
जब हमारा दमन होता है तब जिस ऊर्जा का दमन हो रहा होता है, वह ऊर्जा हममें सड़ने लगती है। वही ऊर्जा जो एक फूल बन सकती थी, काँटा बन जाती है। जिस ऊर्जा से विकास हो सकता था, वह थम कर बदबू देना शुरू कर देती हैl ऊर्जा को एक बहाव में रहने की ज़रूरत है, दमन जीवन रोक देता है।
THANKS 😊😊🌻🌻🌹🌹🙏🙏
Didi ko pranam ❤❤❤❤❤
Budh ka gyan ..... Madhyam me raho...❤ namo Budhay..💙
Bilkul.sahi kaha aapne...meine abhi tak aisa socha kyun nahin...
PRANAAM DIDI 🙏🙏🙏
Apki avaj ki bav me akrshek h hum jeso ko jo bhatke huve h sahi path par lane ki kripa kre ,🙏
Behetreen
ओशो प्रणाम
Ram Ram
Very nice
🙏
nman
I love you
मुझे आपकी बातें सुन कर भगवान ओशो की याद आ रही है, मुझे लगता है आप बुद्धत्व को उपलब्ध हो गईं हैं, कृपया आप मेरा जिज्ञासा शांत करें 🙏
आज ओशो जिन्दा रहते तो उन्हें पूछता कि (मेरा प्रश्न) आज मैं अभी वर्तमान में शरीर में हूँ, शकल इंद्रियों का सुख दुःख भोग रहा हूं परन्तु भगवान ओशो का सत्संग,ध्यान प्रवचनों को सुन सुन कर मुझे लगता है कि मैं धीरे आगे बढ़ रहा हूं, सांसारिक आदमी का सोच समझ और मेरे सोच समझ में बहुत फर्क महाशूस करता हूं, आज मैं सशरीर में रह कर ध्यान कर रहा हूं अब मेरा प्रश्न यह है कि जब मैं शरीर में नहीं रहूंगा तब मैं कहां होऊंगा, शरीर छूटने के बाद मैं कहां स्थित रहूंगा? इस समझाने की कृपा करें 🙏🙏🙏
अपनी अपनी गति पर निर्भर करता है ,या तो वापिस शरीर धारण होता है अन्यथा परम चेतना में सब विलीन हो जाता है । उस ब्रह्म में लीन हो जाती है आत्मा ।
@उर्वशी-0 जवाब देने के आपका बहुत बहुत धन्यवाद, ध्यान मार्ग पर और आगे गति बढ़े इससे संबंधित प्रवचन अपलोड करते रहें, मैं आपका यूट्यूब सब्सक्राइबर हूँ 🙏🙏🙏
Nice one 🕜
Voice of Video is extremely low.....!
Kya jindagi ka sabse bada mantr sakshivab hi he ?
Mantra nahi h satya hai
ati kisi cheej ki theek nahi. sakshibhav ki bhi nahi.
BTW you are my crush... just crush.@@उर्वशी-0
Ankhey to jhapaka lo mam . Lady Osho ho aap