शिवजी की आरती | ॐ जय शिव ओमकारा आरती | Shiv Aarti |Om Jay Shiv Omkara | Shiv Aarti 2024

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  • เผยแพร่เมื่อ 21 ต.ค. 2024
  • शिवजी की आरती | ॐ जय शिव ओमकारा आरती | Shiv Aarti |Om Jay Shiv Omkara | Shiv Aarti 2024
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    शिवजी की आरती | ॐ जय शिव ओमकारा आरती | Shiv Aarti |Om Jay Shiv Omkara | Shiv Aarti 2024
    ओम जय शिव ओंकारा,
    स्वामी जय शिव ओंकारा।
    ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
    ओम जय शिव ओंकारा॥
    एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
    हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
    ओम जय शिव ओंकारा॥
    दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
    त्रिगुण रूप निरखत त्रिभुवन जन मोहे॥
    ओम जय शिव ओंकारा॥
    अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
    त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
    ओम जय शिव ओंकारा॥
    श्वेताम्बर पीताम्बर बाघंबर अंगे।
    सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥
    ओम जय शिव ओंकारा॥
    कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
    सुखकारी दुखहारी जगपालनकारी॥
    ओम जय शिव ओंकारा॥
    ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
    मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥
    ओम जय शिव ओंकारा॥
    पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
    भांग धतूरे का भोजन, भस्मी में वासा॥
    ओम जय शिव ओंकारा॥
    जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
    शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
    ओम जय शिव ओंकारा॥
    काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी। नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
    त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ स्वामी ओम जय शिव ओंकारा॥

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