irrespective the current Jumate-e-islami political situation, but Moulana Moududi (R.A) did great work for ISLAM and specially that time against communist because then communism was spreading and specially young generation bending towards it. May ALLAH TAHALA give great reward to Moulana Moududi (R.A) on this service of ISLAM
Allah Talaa Maulana Maududi ke ghaltiyon ko Darguzer farmaye lekin jo Naike kaam kiya. Aur Qaum ki jo khidmat ki uske badle Jannat mein Aala muqam ata farmaye
الحمد للہ نہایت بہترین انداز سے بہت عمدہ بات کہی۔۔۔سید ابو الاعلی مودودی علیہ الرحمہ کی پوری زندگی اس بات پر گواہ ہے کہ ان کو اللہ تعالٰی نے ایک خاص مقصد کی خاطر دل و دماغ کی یکسوئی عطا فرما دی تھی اور انھوں نے کامل یکسوئی کے ساتھ اقامتِ دین اسلام کا کام کیا
مولانا مودودی علیہ الرحمہ نے اقامتِ دین کی فطری ترتیب فرد کی اصلاح خاندان اور معاشرے کی تعمیر اور ریاست کی تشکیل کو ہمیشہ فکری اور عملی طور پر مقدم رکھا بقول شاہ نواز فاروقی "اقامت دین کی نیت دل میں نہ ہو تو ہماری عبادات بھی ایک طرح سے ناقص بن جاتی ہیں "
#20वीं_शताब्ती_का_महान_इस्लामी_सकाॅलर मौलाना मौदूदी रह० दुनिया की उन अज़ीम शख्सियतों में से हैं जिन्हें सबसे ज्यादा पढ़ा जाता है, आपने 100 से ज्यादा किताबें लिखी हैं, 20 वीं शताब्दी में गैर इस्लामी व बातिल विचारधाराओं पर सबसे ज्यादा तर्कसंगत प्रहार किसी ने किया है तो वो सैयद अबुल अअला मौदूदी रह० और सैयद कुतुब शहीद रह० हैं, जिनकी तहरीरों ने कितने ही लोगों को हक की राह दिखाई और कितने ही मुस्लिम नौजवानों को बातिल विचारधाराओं से रोका! अलग अलग तरीकों से यूरोप ने जो जो हमले इस्लाम पर किए और विभिन्न मामलों पर सवालिया निशान खड़े किए, सबका जबरदस्त जवाब मौलाना मौदूदी रह० ने दिया, चाहे जिहाद हो या ब्रथ कंट्रोल, लोकतंत्र हो या पूंजीवाद, कम्यूनिज्म हो या नेशनलिज़म, सब पर मौलाना के तर्कसंगत जवाबों ने बातिल को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया, रिवायती मुसलमानों ने कम ही उन्हें पढ़ा है लेकिन गौर व फिक्र करने वाले आधुनिक शिक्षा से जुड़े विधार्थियों ने उनसे ही अपनी शंकाओं को दूर किया, उनकी तफ्सीर "तफहीमुल कुरआन" दुनिया में सबसे ज्यादा पढी जाने वाली तफ्सीरों में शामिल है, उनकी किताब "दीनियात" का अनुवाद दुनिया की 60-70 ज़बानों में हुआ और इस्लाम धर्म के अध्ययन पर सबसे जबरदस्त किताब है जो दुनिया की बहुत सी यूनिवर्सिटीज़ के सिलेबस में शामिल है, जिसे पढ़कर गैर मुस्लिम भाई कहते हैं कि अगर इस्लाम ये है तो फिर यही सत्य धर्म है, जब उलमा मायूसी में कहते थे कि अब बचे खुचे इस्लाम पर अमल हो जाए तो काफी है, अब इस्लाम अमल करने के काबिल नहीं रह गया है, उन हालात में मौलाना ने इस्लाम को निज़ाम-ए-ज़िन्दगी की हैसियत से परिचित कराया और उस पर रहनुमाई भी की, जब दीन को मस्जिद में समेट दिया गया था तब उन्होंने जीवन के हर क्षेत्र में इस्लाम को एकमात्र हल के तौर पर पैश किया, तब भी उन्हें निशाना बनाया गया लेकिन सही कहा है किसी ने कि आप किसी को कत्ल कर सकते हैं लेकिन उसकी फिक्र को खत्म नहीं कर सकते! आज बातिल सबसे ज्यादा उनकी फिक्र से खोफज़दा है इसलिए कुछ मुस्लिम देश भी उनसे खौफज़दा हैं लेकिन हकीकत यही है कि फिक्र को कुचला नहीं जा सकता! इन्शाअल्लाह अब उन्हें ओर ज्यादा पढा जाएगा! जहां तक इल्ज़ामात की बात है तो ज़ुल्म व फसाद के प्रतीक फिरओन ने भी मूसा अलैहिमुस्सलाम को फसादी कहा था जो हकीकत में शांतिदूत थे, मौलाना मौदूदी रह० भी नबियों के वारिसीन में हैं, वो 20 शताब्दी के मुजद्दिद थे जिन्होंने इस्लाम की सही तस्वीर दुनिया के सामने पेश की! अल्लाह मौलाना के दरजात बुलंद करे और उनकी फिक्र व तहरीक को ओर तरक्की दे ताकि दुनिया वास्तविक शांति का गहवारा बन सके और ज़ालिमों का खात्मा हो!
Bhai deen ko qaayam karna likha gaya hai Hukoomat nahi. Aur deen ko qaayam karna agar tafseer padoge to tawheed ko kayam karna, Allah ki ita’at karna aur nafarmani se bachna hai.
👆👆ऐसा नहीं है कि आज यहूदी साजिशें बंद हो गई हैं। बल्कि और भी तेज़ और मज़बूत हो गई हैं। आज भी यहूदियों के पाले हुए और ट्रेन्ड किये हुए लाखों उलेमा बड़ी बड़ी तन्ज़ीमों और जमाअतों की भागदौड़ सम्भाले हुए हैं। भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश सभी जगह ऐसे आलिमे दीन मिलेंगे जो उम्मत को इस बात का यक़ीन दिलाते हैं कि उनकी हर परेशानी और हर तकलीफ़ को सिर्फ आमीन और रफेएदीन से दूर किया जा सकता है यही नहीं उनकी नज़र में तो इस्लाम को ग़ल्बा (वर्चस्व) भी इसी तरह से मिलेगा। अल्लाह की धरती पर अल्लाह कानून कैसे नाफिस हो हमारी घरेलू जिंदगी और सामजिक जिंदगी में इस्लाम कैसे नाफिस हो इससे ये यहुद paid उलेमा शू उम्मत ए मुस्लिमा को काट देते हैं। सऊदी अरब के पैसे पर पलने वाले मौलवी ही खिलाफत के असली दुश्मन
👆👆ऐसा नहीं है कि आज यहूदी साजिशें बंद हो गई हैं। बल्कि और भी तेज़ और मज़बूत हो गई हैं। आज भी यहूदियों के पाले हुए और ट्रेन्ड किये हुए लाखों उलेमा बड़ी बड़ी तन्ज़ीमों और जमाअतों की भागदौड़ सम्भाले हुए हैं। भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश सभी जगह ऐसे आलिमे दीन मिलेंगे जो उम्मत को इस बात का यक़ीन दिलाते हैं कि उनकी हर परेशानी और हर तकलीफ़ को सिर्फ आमीन और रफेएदीन से दूर किया जा सकता है यही नहीं उनकी नज़र में तो इस्लाम को ग़ल्बा (वर्चस्व) भी इसी तरह से मिलेगा। अल्लाह की धरती पर अल्लाह कानून कैसे नाफिस हो हमारी घरेलू जिंदगी और सामजिक जिंदगी में इस्लाम कैसे नाफिस हो इससे ये यहुद paid उलेमा शू उम्मत ए मुस्लिमा को काट देते हैं। सऊदी अरब के पैसे पर पलने वाले मौलवी ही खिलाफत के असली दुश्मन
Abe kaisa Alim hai ..abul aala ko iss Mane me nhi liya jaiga.. "Allah ka baap" Nauzubillah...Abe gadhe use dusre mana me rakha gya hoga... Ali bhi Allah ka naam hai... lekin insan ka bhi naam ali hota h ... Agr uss Mane me hota to ye Bina kisi shubah ke kufr akbar h....aur millat se kharij kr Dene wali cheez hai...aur aise naam ko bdlna wajib h....kon se madrse se padhe ho ?
Javed sahab molana maodudi ke bare mein aap ka maoqquf jaan ker Khushi Hui Allah aap ki ghaliti ko dar guzar farmaye aur ek kamon ajre azim ataa farmaye
شَرَعَ لَكُمۡ مِّنَ الدِّيۡنِ مَا وَصّٰى بِهٖ نُوۡحًا وَّالَّذِىۡۤ اَوۡحَيۡنَاۤ اِلَيۡكَ وَمَا وَصَّيۡنَا بِهٖۤ اِبۡرٰهِيۡمَ وَمُوۡسٰى وَعِيۡسٰٓى اَنۡ اَقِيۡمُوۡا الدِّيۡنَ وَ لَا تَتَفَرَّقُوۡا فِيۡهِؕ كَبُرَ عَلَى الۡمُشۡرِكِيۡنَ مَا تَدۡعُوۡهُمۡ اِلَيۡهِؕ اللّٰهُ يَجۡتَبِىۡۤ اِلَيۡهِ مَنۡ يَّشَآءُ وَيَهۡدِىۡۤ اِلَيۡهِ مَنۡ يُّنِيۡبُ ﴿۱۳﴾ اسی نے تمہارے لئے دین کا وہی رستہ مقرر کیا جس (کے اختیار کرنے کا) نوح کو حکم دیا تھا اور جس کی (اے محمدﷺ) ہم نے تمہاری طرف وحی بھیجی ہے اور جس کا ابراہیم اور موسیٰ اور عیسیٰ کو حکم دیا تھا (وہ یہ) کہ دین کو قائم رکھنا اور اس میں پھوٹ نہ ڈالنا۔ جس چیز کی طرف تم مشرکوں کو بلاتے ہو وہ ان کو دشوار گزرتی ہے۔ الله جس کو چاہتا ہے اپنی بارگاہ کا برگزیدہ کرلیتا ہے اور جو اس کی طرف رجوع کرے اسے اپنی طرف رستہ دکھا دیتا ہے ﴿۱۳﴾ He hath ordained for you that religion which He commended unto Noah, and that which We inspire in thee (Muhammad), and that which We commended unto Abraham and Moses and Jesus, saying: Establish the religion, and be not divided therein. Dreadful for the idolaters is that unto which thou callest them. Allah chooseth for Himself whom He will, and guideth unto Himself him who turneth (toward Him). ﴾13﴿
السلام عليكم ورحمة الله I sincerely request Maulana Sahib to please study Maulana Maudoodi's books. Because, u seem to be not an insincere person. You may not agree with him 100 % but request to please read all his books. Let u start from تجديد و احيآء دين or whatever.
Shabir Ahmad Shah ye riyaal khor Dajjali aale hadas log hain inhen sab pata hota hai in ka miss hi hai dajjaliyat failana aor musalmaano ko bewaqoof banakar gumraah karna naam Quraan wa hadees ka lagana
AGAR DAWAT KA KAAM KARNA HAI TO NABI KE TARIKE PAR KARNA CHAHIYE, NABI KE TARIKE SE ALAG HO TO WO GALAT HI HOGA. LOGON KO NABI KA TARIKA KYA HAI PAHLE MALOOM KARNA CHAHIYE. ALLAH HAME SAHIH SAMAJH KI TAUFEEQ DE AMEEN YA RABBIL ALMEEN...
U r mistaken. Today someone read the book of Maulana and I found in the book it states " our objective is not to establish khilafa but to establish Islam in all aspects of human life " book in Bengali "Islami Dawat ebong kormoniti"
@@TalhaKhan0007 can we deny the verse of Quran in Surah Shura Ch 42 verse 13 where Allah says about establishing the Deen of Allah (nauzubillah) the speaker is misleading people.
👆👆ऐसा नहीं है कि आज यहूदी साजिशें बंद हो गई हैं। बल्कि और भी तेज़ और मज़बूत हो गई हैं। आज भी यहूदियों के पाले हुए और ट्रेन्ड किये हुए लाखों उलेमा बड़ी बड़ी तन्ज़ीमों और जमाअतों की भागदौड़ सम्भाले हुए हैं। भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश सभी जगह ऐसे आलिमे दीन मिलेंगे जो उम्मत को इस बात का यक़ीन दिलाते हैं कि उनकी हर परेशानी और हर तकलीफ़ को सिर्फ आमीन और रफेएदीन से दूर किया जा सकता है यही नहीं उनकी नज़र में तो इस्लाम को ग़ल्बा (वर्चस्व) भी इसी तरह से मिलेगा। अल्लाह की धरती पर अल्लाह कानून कैसे नाफिस हो हमारी घरेलू जिंदगी और सामजिक जिंदगी में इस्लाम कैसे नाफिस हो इससे ये यहुद paid उलेमा शू उम्मत ए मुस्लिमा को काट देते हैं। सऊदी अरब के पैसे पर पलने वाले मौलवी ही खिलाफत के असली दुश्मन
اقامتِ دین _______ کیسے کیسے اعتراضات؟! دو دوز قبل 'اقامتِ دین' سے متعلق میری پوسٹ پر بعض احباب نے تبصرے کیے _میں ان کا شکر گزار ہوں _ بعض احباب نے تنقید کی اور جماعت کے تصور اقامتِ دین پر بعض اعتراضات کیے _ ان کی وضاحت کے لیے میں نے چند سطریں مزید لکھ دیں _ اللہ کرے میری بات کچھ مزید واضح ہوجائے ، ورنہ میں جواب در جواب کا قائل نہیں _ " اپنی بات دوسرے کی طرف منسوب کرکے تبصرہ کرنا بد دیانتی ہے _ میں نے نہیں لکھا کہ حکومت قائم کرنا انبیاء کا مشن ہے _ انبیاء کا مشن یہ رہا ہے کہ جتنے احکام اور تعلیمات اللہ تعالٰی کی جانب سے موصول ہوں انھیں اللہ کے بندوں تک پہنچائیں _ رہا یہ سوال کہ جن انبیاء نے حکومت نہیں کی کیا انھوں نے دین قائم نہیں کیا؟ اس پر ایک الزامی سوال یہ ہو سکتا ہے کہ جن انبیاء نے حکومت چلائی (حضرت داؤد، حضرت سلیمان اور خاتم النبیین علیہم السلام) کیا انھوں نے ایسا کام کیا جس کا انھیں اللہ کی طرف سے حکم نہیں دیا گیا تھا؟ کتنی عجیب بات ہے کہ یہ کہا جائے کہ ہر نبی کا مشن ایمانیات تھا اور دلیل میں یہ آیت پیش کی جائے : و لقد بعثنا فی کل امۃ رسولا ان اعبدوا اللہ_ کیا اعبدوا اللہ کا مطلب ایمانیات ہوتا ہے؟ ہم تو سمجھتے ہیں کہ اعبدوا اللہ کا مطلب ہے پوری زندگی اللہ کی مرضی کے مطابق گزاری جائے _ ہم کہتے ہیں کہ اقامت دین میں سب سے پہلے فرد کی اصلاح ہے، اس کے بعد معاشرہ کی تعمیر، آخر میں ریاست کی تشکیل _ وہ لوگ جماعت کی طرف غلط بات منسوب کرتے ہیں جو کہتے ہیں کہ جماعت فرد کی اصلاح کے بجائے اجتماعی نظام سے اپنی بات شروع کرتی ہے اور پورا زور اجتماعی اقامت دین پر دیتی ہے _ یہ جھوٹا الزام ہے کہ جماعت کی ساری بات دنیا سے شروع ہوکر دنیا پر ختم ہوجاتی ہے اور وہ ایمان، توحید اور آخرت کی کوئی بات نہیں کرتی _ کہا جاتا ہے کہ اسلامی تعلیمات کو تدریجاً پیش کرنا مطلوب ہے _اللہ کے رسول صلی اللہ علیہ و سلم نے حضرت معاذ رضی اللہ عنہ کو یمن بھیجا تھا تو صرف کلمہ شہادت، نماز اور روزہ کی بات کرنے کا حکم دیا تھا _ اس پر سوال پیدا ہوتا ہے کہ کیا آج کے دور میں کوئی غیر مسلم پوچھے کہ اسلام کیا ہے؟ تو اس کے سامنے صرف کلمہ شہادت، نماز اور روزہ کا تذکرہ کیا جائے گا اور کہا جائے گا کہ بس یہی اسلام ہے؟ حیرت ہوتی ہے کہ جماعت کی مخالفت میں بعض احباب کیسی کیسی بے تکی باتیں کہہ جاتے ہیں اور ذرا نہیں سوچتے کہ ان کی بات اسلام کے صحیح تصور کو مسخ کرنے والی ہے _ ( محمد رضی الاسلام ندوی )
Until today I used to value lectures of Hafiz Javed Usman Rabbani's a lot but after listening to his comment on Moulana Moudoodi Aur Jamat e Islami Ki Haqeeqat , am very much disappointed that he miscalculated the genuine efforts of Moulana Moudoodi (May Allah Be Pleased With Him) who aimed very much on Tawheed e Ilahi as a way to establish Allah's(Subhanahu wa Tala) Deen which was given to our beloved Prophet Muhammad(Sallalahu alaihi wa salam). May Allah forgive Hafiz Javed and guide him better understanding....Aameen Ya Rabb
👆👆ऐसा नहीं है कि आज यहूदी साजिशें बंद हो गई हैं। बल्कि और भी तेज़ और मज़बूत हो गई हैं। आज भी यहूदियों के पाले हुए और ट्रेन्ड किये हुए लाखों उलेमा बड़ी बड़ी तन्ज़ीमों और जमाअतों की भागदौड़ सम्भाले हुए हैं। भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश सभी जगह ऐसे आलिमे दीन मिलेंगे जो उम्मत को इस बात का यक़ीन दिलाते हैं कि उनकी हर परेशानी और हर तकलीफ़ को सिर्फ आमीन और रफेएदीन से दूर किया जा सकता है यही नहीं उनकी नज़र में तो इस्लाम को ग़ल्बा (वर्चस्व) भी इसी तरह से मिलेगा। अल्लाह की धरती पर अल्लाह कानून कैसे नाफिस हो हमारी घरेलू जिंदगी और सामजिक जिंदगी में इस्लाम कैसे नाफिस हो इससे ये यहुद paid उलेमा शू उम्मत ए मुस्लिमा को काट देते हैं। सऊदी अरब के पैसे पर पलने वाले मौलवी ही खिलाफत के असली दुश्मन
Assalamualaikum Mi ahle hadees hu. Magar apsos aaj k ahle hadees aalimo par. Sab jaante hai ambia ki dawat tawheed hi rahi hai. rahi baat hukumat ki tho kya sahabakaram ne hukumate ilahi khayam nahikithi?jaha bhi tawheed ki dawat diye waha hukumamat bhi khayam liye. Aaj ke daur me bhi koi sochta hai k hukumate ilahi khayam kare tho inshaallah usko Ajar milega.shart hai k o mushrik aur bittati naho
#20वीं_शताब्ती_का_महान_इस्लामी_सकाॅलर मौलाना मौदूदी रह० दुनिया की उन अज़ीम शख्सियतों में से हैं जिन्हें सबसे ज्यादा पढ़ा जाता है, आपने 100 से ज्यादा किताबें लिखी हैं, 20 वीं शताब्दी में गैर इस्लामी व बातिल विचारधाराओं पर सबसे ज्यादा तर्कसंगत प्रहार किसी ने किया है तो वो सैयद अबुल अअला मौदूदी रह० और सैयद कुतुब शहीद रह० हैं, जिनकी तहरीरों ने कितने ही लोगों को हक की राह दिखाई और कितने ही मुस्लिम नौजवानों को बातिल विचारधाराओं से रोका! अलग अलग तरीकों से यूरोप ने जो जो हमले इस्लाम पर किए और विभिन्न मामलों पर सवालिया निशान खड़े किए, सबका जबरदस्त जवाब मौलाना मौदूदी रह० ने दिया, चाहे जिहाद हो या ब्रथ कंट्रोल, लोकतंत्र हो या पूंजीवाद, कम्यूनिज्म हो या नेशनलिज़म, सब पर मौलाना के तर्कसंगत जवाबों ने बातिल को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया, रिवायती मुसलमानों ने कम ही उन्हें पढ़ा है लेकिन गौर व फिक्र करने वाले आधुनिक शिक्षा से जुड़े विधार्थियों ने उनसे ही अपनी शंकाओं को दूर किया, उनकी तफ्सीर "तफहीमुल कुरआन" दुनिया में सबसे ज्यादा पढी जाने वाली तफ्सीरों में शामिल है, उनकी किताब "दीनियात" का अनुवाद दुनिया की 60-70 ज़बानों में हुआ और इस्लाम धर्म के अध्ययन पर सबसे जबरदस्त किताब है जो दुनिया की बहुत सी यूनिवर्सिटीज़ के सिलेबस में शामिल है, जिसे पढ़कर गैर मुस्लिम भाई कहते हैं कि अगर इस्लाम ये है तो फिर यही सत्य धर्म है, जब उलमा मायूसी में कहते थे कि अब बचे खुचे इस्लाम पर अमल हो जाए तो काफी है, अब इस्लाम अमल करने के काबिल नहीं रह गया है, उन हालात में मौलाना ने इस्लाम को निज़ाम-ए-ज़िन्दगी की हैसियत से परिचित कराया और उस पर रहनुमाई भी की, जब दीन को मस्जिद में समेट दिया गया था तब उन्होंने जीवन के हर क्षेत्र में इस्लाम को एकमात्र हल के तौर पर पैश किया, तब भी उन्हें निशाना बनाया गया लेकिन सही कहा है किसी ने कि आप किसी को कत्ल कर सकते हैं लेकिन उसकी फिक्र को खत्म नहीं कर सकते! आज बातिल सबसे ज्यादा उनकी फिक्र से खोफज़दा है इसलिए कुछ मुस्लिम देश भी उनसे खौफज़दा हैं लेकिन हकीकत यही है कि फिक्र को कुचला नहीं जा सकता! इन्शाअल्लाह अब उन्हें ओर ज्यादा पढा जाएगा! जहां तक इल्ज़ामात की बात है तो ज़ुल्म व फसाद के प्रतीक फिरओन ने भी मूसा अलैहिमुस्सलाम को फसादी कहा था जो हकीकत में शांतिदूत थे, मौलाना मौदूदी रह० भी नबियों के वारिसीन में हैं, वो 20 शताब्दी के मुजद्दिद थे जिन्होंने इस्लाम की सही तस्वीर दुनिया के सामने पेश की! अल्लाह मौलाना के दरजात बुलंद करे और उनकी फिक्र व तहरीक को ओर तरक्की दे ताकि दुनिया वास्तविक शांति का गहवारा बन सके और ज़ालिमों का खात्मा हो!
👆👆ऐसा नहीं है कि आज यहूदी साजिशें बंद हो गई हैं। बल्कि और भी तेज़ और मज़बूत हो गई हैं। आज भी यहूदियों के पाले हुए और ट्रेन्ड किये हुए लाखों उलेमा बड़ी बड़ी तन्ज़ीमों और जमाअतों की भागदौड़ सम्भाले हुए हैं। भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश सभी जगह ऐसे आलिमे दीन मिलेंगे जो उम्मत को इस बात का यक़ीन दिलाते हैं कि उनकी हर परेशानी और हर तकलीफ़ को सिर्फ आमीन और रफेएदीन से दूर किया जा सकता है यही नहीं उनकी नज़र में तो इस्लाम को ग़ल्बा (वर्चस्व) भी इसी तरह से मिलेगा। अल्लाह की धरती पर अल्लाह कानून कैसे नाफिस हो हमारी घरेलू जिंदगी और सामजिक जिंदगी में इस्लाम कैसे नाफिस हो इससे ये यहुद paid उलेमा शू उम्मत ए मुस्लिमा को काट देते हैं। सऊदी अरब के पैसे पर पलने वाले मौलवी ही खिलाफत के असली दुश्मन
Mashaallah bhot behtreen baat batayi aap ne. Ab isse logo ko jalan ho rahi hai to kya kar sakte par baat to haq hai na. Mai tamam logo se guzarish karta hai ke wo log khud maoudodi sab ki kitabo ka mutalla sirf is liye kare ke dekhe ke inhone waqiy me quran hadis aur aslaf ke manjhaj pe the ya nahi. Isliye phele salaf ki kitabo ka mutalla zarur kare. Phir apne aap asliyat malum ho jayegi maoudodi sab ki
القرآن - سورۃ نمبر 42 الشورى آیت نمبر 13 ترجمہ: اُس نےتمہارے لیے دین کا وہی طریقہ مقرر کیا ہے جس کا حکم اُس نے نُوحؑ کو دیا تھا، اور جسے (اے محمدؐ )اب تمہاری طرف ہم نے وحی کے ذریعہ سے بھیجا ہے، اور جس کی ہدایت ہم ابراہیمؑ اور موسیٰؑ اور عیسیٰؑ کو دے چکے ہیں، اِس تاکید کے ساتھ کہ قائم کرو اِس دین کو اور اُس میں متفرق نہ ہوجاوٴ۔ یہی بات اِن مشرکین کو سخت ناگوار ہوئی ہے جس کی طرف (اے محمدؐ )تم انہیں دعوت دے رہے ہو۔ اللہ جسے چاہتا ہے اپنا کر لیتا ہے، اور وہ اپنی طرف آنے کا راستہ اُسی کو دکھاتا ہے جو اُس کی طرف رجوع کرے۔
Hafiz sahab! Ek musalman dusre musalman ka bhai hai, ek muslim ko ye shayan nahin ke dusre ki aabru rezi karen. Ye ho sakta hai ke koi baat me ikhtelaf ho, ikhtelaf to sahaba me bhi tha, Hazrat Ayesha r.a. aur hazrat Ali r.a. ke do group hogai the. Hazrat Ali r.a aur Hazrat Mavia r.a ke do groups hogai the. Ikhtelaf to lazmi hai cheez hai Iska matlab ye thodi na hai ke ek dusre ki aabro rezi karen. Inhi ikhtelaf ko jab hum charcha karte hai, ya zere bahez late hai to batil firqon ko mauka milta hai unli uthane ka. Tamam Musalmano ko chahiye ke ikhtelaf ko alag rakh kar ittefaq pe aayen.
Akhtaf agar sihi aur galat main farq ke liye ho raha hai take log kahi gumrah na hojaye. Who qaum ko batana zaroori hai. Jaisa aaj jo daish islam ko present kerraha hai who galat hai. Agar galat ko galat nahi bola gaya to log kaise samjhege.
@@nadeemkha9130 mere bahi gali dena sahi nahi hai.lekin kisi shaks ke bare mai thod marod ke bolna bhi sahi nahi hai.aap jaan ki khud koshish karen ke Syed mududi kis cheez ke liye mhenath kar rahe the.aur ek cheez jab pakistan bana tha tho nara tha la ilah illalah.jab yehi cheez mududi sahab yaad delaye hukumat se ke pakistan mai Allah aur Rassul ki tareeke mai hukumat yani sharia laya jay tho ye kaise hogaya ke o ghalt cheez mang rahin hai.jab ki Allah aur Rassul ka hukum hai ki agar Islam aam ho oo mulk tho wahan hukumat bhi Allah aur Rassul ki ho ( sharia ) tho ismai galat kya hai.jab ki aye tho haak hai.aur aye jo haffez Sahab bol rahin hai bilkul teek nahi hai.hafeez shab aap aye bhi batha dete ke Syed mududi jail kis cheez ke liye dale gaye the.agar aye batha dete tho shayad aap sawalon mai aa jate.
@@onemessage3984 bhai aapne sahi kha galath ko galath khena chaheeye.par jhot aur thodi marodi bath karna bhi galat hai.Agar aap manhaj salf saliheen ke tareeke mai ho tho aapka farz banta hai ke aap uss cheez ki thekik karen aur fir Faisla dene kisi ke bare mai.naa ki unko bhala bura kahain beena jane hakeekat.Aur mafa karen muje dhuk hotha hai aye dekar ke manhaj salf saliheen ko mane walon mai se kuch chand log jhot ko aam kar rahin hai.Aur jab ke manhaj salf saliheen ka aye tareeka nahi hai.aur bhi mai jamaat Islami hind ka member nahi hoon.mai ahlye Hadith aur manhaj salf saliheen ka mane wala hoon.isliye dhuk hota hai.
may Allah swt guide u towards right path i suggest u to study the syed Maudoodi ra u wll become a good muslim u r looking illitrate so i suggest u to go through the books of syed rahmatullah aly
Chapter 42 verse 13 Explains the concept of iqamat e deen. And I request you to build the strong relation with Quran. And don't follow this javeed usman Rabbani and all these people are dividing the Ummah. Hope you get my point. Jazakallah.
السلام علیکم و رحمۃ اللہ و برکاتہ۔ بھائی علامہ مودودی رح کی زندگی میں اور ان کی وفات کے بعد ان کی حقیقت بیان کر والوں ایک تانتا بندھا ہوا ہے۔ اپ بھی شوق پورا کرلیں۔ جو کوئی limelight میں آنا چاہتا ہے جھٹ مودودی رح کی شخصیت کو نشانہ بنانا شروع کر دیتا ہے۔ اللہ تعالیٰ ان پر اپنی رحمت کا نزول فرما ئے۔
Ambiya waqt k hukmuran aur purohiton k chungal se logon ko nikaalkar ek Allah ki tauheed me laate thhe. Quran ka mutala karo, koi nabi moulvi nai thhe. Maashire ko pahunchte, unke masail hal karte aur Ek Allah ki tauheed me le aate.
Learn some Islamic manner and humility from these Salafi scholars who even actually correct someone's statement with facts and proofs but giving them with respect and manner ...masa Allah...Sheikh...Respect from West Bengal India...
Shabih Nayyer Point out their mistakes....and they don't need just your attention and respect rather it is u who propagate false allegations about them....We fear Allah s.w.t that we will have to stand in front of Allah s.w.t for our account....
👆👆ऐसा नहीं है कि आज यहूदी साजिशें बंद हो गई हैं। बल्कि और भी तेज़ और मज़बूत हो गई हैं। आज भी यहूदियों के पाले हुए और ट्रेन्ड किये हुए लाखों उलेमा बड़ी बड़ी तन्ज़ीमों और जमाअतों की भागदौड़ सम्भाले हुए हैं। भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश सभी जगह ऐसे आलिमे दीन मिलेंगे जो उम्मत को इस बात का यक़ीन दिलाते हैं कि उनकी हर परेशानी और हर तकलीफ़ को सिर्फ आमीन और रफेएदीन से दूर किया जा सकता है यही नहीं उनकी नज़र में तो इस्लाम को ग़ल्बा (वर्चस्व) भी इसी तरह से मिलेगा। अल्लाह की धरती पर अल्लाह कानून कैसे नाफिस हो हमारी घरेलू जिंदगी और सामजिक जिंदगी में इस्लाम कैसे नाफिस हो इससे ये यहुद paid उलेमा शू उम्मत ए मुस्लिमा को काट देते हैं। सऊदी अरब के पैसे पर पलने वाले मौलवी ही खिलाफत के असली दुश्मन
Sheikh sahib Aslam.o.alaikum ALLAH apko salamat rakhy r isteqamet r traqi iman.o.tandrusti wali lambi zindgi r dunya.o.akhrat ki tamam behlayain ata farmay aur Ap yonhi islam k libady mn batil ko isiterha expose ker k batil ki jeren(roots) kat.ty rahn aur subcontinent k Muslims ko Quran.o.Hadith( true islam )ki dawat dayty rehn Aur subcontinent k Muslims ko kuffer shirk bidat qadianiat Sufism jadugeron Najumion kahinon peeron ulma.e.crime (jo logon ko gumrah kerty hn) sufia.e.crime Made in india islam r Made in iran islam ( fabricated islam) Malngon mazarat majzubun(shaitano) c nijat Delaney k leye apna historical role play kerty rehn ''''''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' '''''''''''''''''''''''''''''''''''
first one has to understand islam from the original sources and study the fuqaha of the past,then,what it demands from us and thirdly we have to strive how to follow islam as nearly as possible as was followed by sahaba and the later people following in their foot steps and fourthly how to accomodate ourselves as Muslims in the modern World.
th-cam.com/video/38OppwsNOzk/w-d-xo.html ULAMA makki, madni, salafi, nadvi (seth,sarmayadaar ke gulam) tumhara deen jumhuriyat (kufr)OR mera deen islaam "VOTE DENE JAOGE TO ISLAM SE PHIR JAOGE
Aap ne shai kha ye log manhaj salf saliheen ka naam kharab kar rahin hai.kisko juta ilzaam lagne se ye log baz nahi ate.Allah inko hidayat ata farmaye ameen.aur hame chahiye ke hum andhe na hoke khud Syed mududi ke bare mai janeki kaushish karne.
An open invitation to all muslims,rulers and islamic scholars, Let us join the sect of our beloved prophet Muhammad peace and blessings of ALLAH be upon him,ahl al bayt and caliphs rashidun(RA) by saying good bye to other 72 sects and groups. Our beloved prophet Muhammad peace and blessings of ALLAH be upon him ,all prophets(from Adam to Muhammad) peace and blessings of ALLAH be upon them, ahl al bayt and caliphs rashidun(RA) were not brailvies, wahabi,shia,deobandi,hanafi, al hadis,malki,shafi,zadi, ismaili,sunni etc. They were only muslim. Therefore,We have to be a muslim. Haven is only for muslim. A muslim means who follows the commandments of ALLAH TALLAH as our beloved prophet Muhammad peace and blessings of ALLAH be upon him showed, acted and taught. We should practise islam according to quran, authentic hadiths and sunnah(life of our beloved prophet peace be upon him). Our beloved prophet muhammad peace and blessings of ALLAH be upon him is a last and final nabi and prophet (rasool). No more nabi and rasool (prophet) are coming. He (SAWS) is seal of prophet,nabi and rasool. We have to get rid of all inauthentic hadiths,fake or selfmade traditions,culture,sects and groups introduced by scholars and authorities to divide muslims,spread hatred,collect donations,get favours, make them weak,stay them away from real ALLAH and sunnah,make a cult, name them such as sunni, shia,wahabi,deobandi,brailvi,malki,hanafi,humbli,ismiali so on, use bad language for one another , and rule over them. Meaning of an authentic hadith, whenever you see conflicts among people(scholars and authorities) about Islam, come back to ALLAH and HIS prophet muhammad peace and blessings of ALLAH be upon him to get a right path. This is only way of salvation and become muslim umma united. Please be called youself muslim not abovesaid sects or groups. Do not just read it forward it to whom you care as i do for you
جا ہل عوام کا بھی فرض ہے کہ وہ خود قرآن و حدیث کا مطالعہ کرے ۔ لیکن مطالعہ کرنا بہت بڑا مجاہدہ ہے اور یہ قربانی دینا ان کی بس کی بات نہیں ہے ، اس لیے ان کے لیے یہ برابر کہ کوی دجال ان کو گمراہ کرے ، جن کو اپنی آخرت عزیز ہوگی وہ اپنا ذاتی مطالعہ کرے گے ۔
👆👆ऐसा नहीं है कि आज यहूदी साजिशें बंद हो गई हैं। बल्कि और भी तेज़ और मज़बूत हो गई हैं। आज भी यहूदियों के पाले हुए और ट्रेन्ड किये हुए लाखों उलेमा बड़ी बड़ी तन्ज़ीमों और जमाअतों की भागदौड़ सम्भाले हुए हैं। भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश सभी जगह ऐसे आलिमे दीन मिलेंगे जो उम्मत को इस बात का यक़ीन दिलाते हैं कि उनकी हर परेशानी और हर तकलीफ़ को सिर्फ आमीन और रफेएदीन से दूर किया जा सकता है यही नहीं उनकी नज़र में तो इस्लाम को ग़ल्बा (वर्चस्व) भी इसी तरह से मिलेगा। अल्लाह की धरती पर अल्लाह कानून कैसे नाफिस हो हमारी घरेलू जिंदगी और सामजिक जिंदगी में इस्लाम कैसे नाफिस हो इससे ये यहुद paid उलेमा शू उम्मत ए मुस्लिमा को काट देते हैं। सऊदी अरब के पैसे पर पलने वाले मौलवी ही खिलाफत के असली दुश्मन
Qazi Ahmed Mukhtar doua ki darkwast hai Mara waldain k intaqal hogaya hai mukhtasar ya hai k Mara peacha doua karna Wala kowi bhi hath nahi hai, obliged thanks.
If you don’t want to become a part of any tehreeek or revolution keep quite and do your work effciently Please don’t spread any fitnah among Ummete Muslimah
#जमाअत_ए_इस्लामी_ही_क्यों??? आज ही के दिन यानी 26 अगस्त 1941ई० को आधुनिक युग के महानतम इस्लामी स्काॅलर, मुफक्किर व मुसन्निफ मौलाना सैयद अबुल अअला मौदूदी रह० की अध्यक्षता में 72 लोगों की उपस्थिति व संकल्प से #जमाअत_इस्लामी की स्थापना हुई! दुनिया में बहुत सी जमाअतें हैं जो अल्लाह के दीन के लिए कोशिश कर रही हैं, लेकिन जमाअत इस्लामी उनमें सबसे विशिष्ट है, आइए इस अवसर पर आम भाषा में समझते हैं कि जमाअत इस्लामी क्या है और दूसरी जमाअतों से कैसे अलग है??? - कुछ विद्वानों ने समझा कि उम्मत तालीम में बहुत पीछे है, इसलिए उन्होंने मिलकर एक जमाअत बनाई और उम्मत-ए-मुस्लिमा की तालीम के लिए प्रयास करने लगे, अलग अलग तरीके अपनाए, ये यकीनन बहुत महत्वपूर्ण और सराहनीय कार्य है, जिसकी हर किसी को हिमायत करनी चाहिए! - कुछ ओर लोगों ने समझा कि मुसलमान आर्थिक रुप से बहुत कमजोर हैं, उन्होंने इस आर्थिक कमजोरी को दूर करने के लिए जमाअत बनाकर प्रयास किए, ये भी एक जबरदस्त काम है! - कुछ विद्वानों ने समझा कि मुसलमान कल्मा से अपरिचित व इबादतों से दूर हैं, शिर्क व बिदअत तथा खुराफात में पड़े हुए हैं, उन्होंने कोशिश की कि मिल्लत-ए-इस्लामिया को इस स्थिति से निकाला जाए और उन्होंने इस मैदान में जबरदस्त मेहनत की, स्पष्ट है कि ये भी एक दीन का काम है और सराहनीय है! - कुछ विद्वानों ने सोचा कि जो हक हमारे पास है उसे दूसरों तक भी पहुंचाया जाए, सारी इंसानियत को नर्क से बचाया जाए, अल्लाह का पैगाम तमाम इन्सानों तक पहुंचाया जाए, बहरहाल ये भी एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है जो अब मुसलमानों को उठानी है बल्कि फर्ज़ है! - कुछ लोगों ने जमाअत बनाकर कोशिश की कि जेलों में बंद बेगुनाहों को छुड़ाया जाए, मानवाधिकारों की रक्षा की जाए, ये भी एक बड़ी जिम्मेदारी है! - कुछ लोगों ने समाज सेवा यानी गरीबों की मदद को अपनी कोशिशों का केन्द्र बनाया! ये भी शानदार कार्य है। - कुछ ने अकीदों में खराबी को महसूस किया तो अकीदे में सुधार के लिए प्रयासरत हुए, ये भी एक अहम काम है! - कुछ लोगों ने सियासत, कुछ ने मीडिया, कुछ ने स्वास्थ्य, कुछ ने मुसलमानों की तर्बियत, कुछ ने कुरआन प्रवचन वगैरह अलग अलग मैदान चुनकर कोशिश की और कर रहे हैं, गर्ज ये और दूसरे तमाम अच्छे काम सराहनीय हैं! तमाम जमाअतें एक एक, दो दो या कुछ विभागों को लेकर अल्लाह के दीन के लिए कोशिश कर रही हैं और सभों के काम सराहनीय हैं और सबका सहयोग करना इत्तिहाद के लिए जरूरी है, लेकिन #जमाअत_इस्लामी विशिष्ट इसलिए है कि ये जमाअत एक ही समय में जीवन के तमाम विभागों में कुरआन व सुन्नत के आधार पर सम्पूर्ण मानवता के लिए कोशिश कर रही है, आज उम्मत-ए-मुस्लिमा जिन मैदानों में ये समझ रही है कि हम पिछड़ गए हैं, हमें इन मैदानों में आगे आना चाहिए, जमाअत इस्लामी अपने कम संसाधनों के बावजूद पहले दिन से उन तमाम मैदानों में काम करने के लिए कोशां है और मुसलमानों को दावत देती रही है, समाज हो या मस्जिद, नैतिकता हो या शिक्षा, तर्बियत हो या दावत, आर्थिक हालत में सुधार की बात हो या सियासत के मैदान में, स्वास्थ्य हो या खिदमते खल्क, गर्ज हर मैदान में अल्हम्दुलिल्लाह सिर्फ़ जमाअत इस्लामी ही प्रयासरत है, अगर हम एक दो विभागों को लेकर दोडेंगे तो दूसरे विभागों में पिछड़ना स्वाभाविक है, बहैसियत जमाअत एक हिस्से में काम करना और दूसरे हिस्सों को छोड़ देना इस्लाम का तरीका नहीं है, नबी हर उस मैदान में कोशिश करते थे जहां जहां बिगाड़ आ जाता था, इसलिए हमें समझना चाहिए कि हमारी एनर्जी ज्यादा से ज्यादा हिस्सों में लगें ताकि हम किसी भी हिस्से में न पिछड़ें और ऐसी ही इज्तिमाइयत से जुड़ें! हर विभाग में काम करने के साथ साथ जमाअत इस्लामी की एक खूबी ये है कि जमाअत इस्लामी का सिस्टम शूराई (मशवरे से चलने वाला) है, जमाअत इस्लामी का अमीर भी मशवरे से ही तै होता है, यहां मौरूसियत (बाप के बाद बेटा) नहीं है बल्कि सलाहियत के आधार पर जिम्मेदारी सौंपी जाती है, यहां पद को जिम्मेदारी समझा जाता है, यहां बैतुलमाल में बिल्कुल ट्रांसपेरेंसी है एक पैसे की भी गडबड़ी अल्हम्दुलिल्लाह जमाअत इस्लामी में नहीं है, यहां मस्लकों से ऊपर उठकर इकामत-ए-दीन को उद्देश्य समझा गया है, इनके अलावा ओर बहुत सी खूबियां हैं जो जमाअत को विशिष्ट बनाती हैं, इसलिए मेरा आपसे काॅमन निवेदन है कि जमाअत इस्लामी को पढें, समझें और जुड़ें!
We sent aforetime our messengers with Clear Signs and sent down with them the Book and the Balance (of Right and Wrong), that men may stand forth in justice; and We sent down Iron, in which is (material for) mighty war, as well as many benefits for mankind, that Allah may test who it is that will help, Unseen, Him and His messengers: For Allah is Full of Strength, Exalted in Might (and able to enforce His Will).surah hadeed 57:25 is ayat say kya aap inkar kartey hai??
Moulana aap mazeed mutala kijiye... Jih ki dawat bhi touheed ki hi hai.. Iqamate deen to jih ka vision hai.. Ye bat jo visionary hai unko samajh me aayegi.. Aap तो ahle hadees ke dukandar malum hote ho... Jamat parasti bhi shirk hai... Aur ek baat Abul aala ke mane Aala sifatvala bhi hota hai.. Aap bhi apne andar aala sifat paida kijiye phir dekhiye aap ki shaqsiyat badaljayegi... Insha Allah...
Bhai jolog Allah ko ak man rahe the usi ko bolaya gaya ,khilafat keliye, ar gairon keliye shahadat , yani dawate tawheed,....afsos apne parha nahi.......
How can u say Rahim Ullah to maududi who rejected hadith about dajjal and rejected the coming of Allah on the day of qiyamah . He also praises Khumaini who curses our sahaba.plz reply plz otherwise it will be difficult for me to further listen to you plz reply
The speaker seems to be ignorant of this verse of Surah Shuraa (Ch42, V13) "He hath ordained for you that religion which he enjoined on Nuh (AS), and that which we inspire in You (Muhammed saw) and that which we enjoined on Ibrahim(AS), Musa(AS), And Isa (AS): Namely , that you should Establish the Deen (An Aqeemud Deen ) and be not divided therein.."
Maulana sahab jamate Islami ka tarika dawat hi hai kya jamat wale kafiron se jang nahi kar re. Tauhid ki taraf hi logon ko dawat dete hain aur muslim mashare ki islah karte hain. Aap galat baat kar rahe hain pahle arkan ko sahi Islam samjhne aur amal karne ki baat hoti hai. Pahle aap sahi samjhe k jamat ka tarika kya hai sirf akamate deen kah rahe hain to galat hai. Jamat sirf hukumat ya khilafat ki baat nahi karti.
He is always criticised on islamic personalities who doesn't belong to his so called jamat Ahle Hadees. He is a paid scholar from Saudi Arabia whoever speak about khilafat his group speak against them because they have obey their duties to make happy their godfathers
👆👆ऐसा नहीं है कि आज यहूदी साजिशें बंद हो गई हैं। बल्कि और भी तेज़ और मज़बूत हो गई हैं। आज भी यहूदियों के पाले हुए और ट्रेन्ड किये हुए लाखों उलेमा बड़ी बड़ी तन्ज़ीमों और जमाअतों की भागदौड़ सम्भाले हुए हैं। भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश सभी जगह ऐसे आलिमे दीन मिलेंगे जो उम्मत को इस बात का यक़ीन दिलाते हैं कि उनकी हर परेशानी और हर तकलीफ़ को सिर्फ आमीन और रफेएदीन से दूर किया जा सकता है यही नहीं उनकी नज़र में तो इस्लाम को ग़ल्बा (वर्चस्व) भी इसी तरह से मिलेगा। अल्लाह की धरती पर अल्लाह कानून कैसे नाफिस हो हमारी घरेलू जिंदगी और सामजिक जिंदगी में इस्लाम कैसे नाफिस हो इससे ये यहुद paid उलेमा शू उम्मत ए मुस्लिमा को काट देते हैं। सऊदी अरब के पैसे पर पलने वाले मौलवी ही खिलाफत के असली दुश्मन
Moulana You Are wrong. Allah ki zameen par Allah ka Qannon lagoo ho. Insan, Insan ki gulami se nikal kar Allah ki gulami main aaye. Ye har jamat ka maqsad hona chahiye. Aur isi ki jaddojahad karni chahiye.
👆👆ऐसा नहीं है कि आज यहूदी साजिशें बंद हो गई हैं। बल्कि और भी तेज़ और मज़बूत हो गई हैं। आज भी यहूदियों के पाले हुए और ट्रेन्ड किये हुए लाखों उलेमा बड़ी बड़ी तन्ज़ीमों और जमाअतों की भागदौड़ सम्भाले हुए हैं। भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश सभी जगह ऐसे आलिमे दीन मिलेंगे जो उम्मत को इस बात का यक़ीन दिलाते हैं कि उनकी हर परेशानी और हर तकलीफ़ को सिर्फ आमीन और रफेएदीन से दूर किया जा सकता है यही नहीं उनकी नज़र में तो इस्लाम को ग़ल्बा (वर्चस्व) भी इसी तरह से मिलेगा। अल्लाह की धरती पर अल्लाह कानून कैसे नाफिस हो हमारी घरेलू जिंदगी और सामजिक जिंदगी में इस्लाम कैसे नाफिस हो इससे ये यहुद paid उलेमा शू उम्मत ए मुस्लिमा को काट देते हैं। सऊदी अरब के पैसे पर पलने वाले मौलवी ही खिलाफत के असली दुश्मन
Rabbani sab aap hafiz hain ,aalim nahin hain isliye aap deen qaem karne ka matlab khada karne ka nahin ,aap matlab ko tod marod kar pesh ki , apna matlab nikal liya .aap ko allah ka dar(fear) nahin. Toba kijiye ,tohmat mat bayan kijiye.
Allah ke zimme Chodne ka matalab Koi Comment nahi karna Aap ne unke aqeede, manhaj per fatwa bhi dediya aur ye bhi kah rahe hain ke Allah ke uper choda hain. Waaah!
irrespective the current Jumate-e-islami political situation, but Moulana Moududi (R.A) did great work for ISLAM and specially that time against communist because then communism was spreading and specially young generation bending towards it. May ALLAH TAHALA give great reward to Moulana Moududi (R.A) on this service of ISLAM
Allah Talaa Maulana Maududi ke ghaltiyon ko Darguzer farmaye lekin jo Naike kaam kiya. Aur Qaum ki jo khidmat ki uske badle Jannat mein Aala muqam ata farmaye
Kya kaam kiya hai koi kaam nhi kiya hai
Aameen
Aameen
الحمد للہ نہایت بہترین انداز سے بہت عمدہ بات کہی۔۔۔سید ابو الاعلی مودودی علیہ الرحمہ کی پوری زندگی اس بات پر گواہ ہے کہ ان کو اللہ تعالٰی نے ایک خاص مقصد کی خاطر دل و دماغ کی یکسوئی عطا فرما دی تھی اور انھوں نے کامل یکسوئی کے ساتھ اقامتِ دین اسلام کا کام کیا
Ma sha Allah, smoothly explained good concept which was need in this modern era .
مولانا مودودی علیہ الرحمہ نے اقامتِ دین کی فطری ترتیب
فرد کی اصلاح
خاندان اور معاشرے کی تعمیر
اور ریاست کی تشکیل
کو ہمیشہ فکری اور عملی طور پر مقدم رکھا
بقول شاہ نواز فاروقی
"اقامت دین کی نیت دل میں نہ ہو تو ہماری عبادات بھی ایک طرح سے ناقص بن جاتی ہیں "
May Allah give hidayat to all of us.. And also forgive sins of all the moulanas.. Including maududi sahab
Ameen
#20वीं_शताब्ती_का_महान_इस्लामी_सकाॅलर
मौलाना मौदूदी रह० दुनिया की उन अज़ीम शख्सियतों में से हैं जिन्हें सबसे ज्यादा पढ़ा जाता है, आपने 100 से ज्यादा किताबें लिखी हैं, 20 वीं शताब्दी में गैर इस्लामी व बातिल विचारधाराओं पर सबसे ज्यादा तर्कसंगत प्रहार किसी ने किया है तो वो सैयद अबुल अअला मौदूदी रह० और सैयद कुतुब शहीद रह० हैं, जिनकी तहरीरों ने कितने ही लोगों को हक की राह दिखाई और कितने ही मुस्लिम नौजवानों को बातिल विचारधाराओं से रोका! अलग अलग तरीकों से यूरोप ने जो जो हमले इस्लाम पर किए और विभिन्न मामलों पर सवालिया निशान खड़े किए, सबका जबरदस्त जवाब मौलाना मौदूदी रह० ने दिया, चाहे जिहाद हो या ब्रथ कंट्रोल, लोकतंत्र हो या पूंजीवाद, कम्यूनिज्म हो या नेशनलिज़म, सब पर मौलाना के तर्कसंगत जवाबों ने बातिल को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया, रिवायती मुसलमानों ने कम ही उन्हें पढ़ा है लेकिन गौर व फिक्र करने वाले आधुनिक शिक्षा से जुड़े विधार्थियों ने उनसे ही अपनी शंकाओं को दूर किया, उनकी तफ्सीर "तफहीमुल कुरआन" दुनिया में सबसे ज्यादा पढी जाने वाली तफ्सीरों में शामिल है, उनकी किताब "दीनियात" का अनुवाद दुनिया की 60-70 ज़बानों में हुआ और इस्लाम धर्म के अध्ययन पर सबसे जबरदस्त किताब है जो दुनिया की बहुत सी यूनिवर्सिटीज़ के सिलेबस में शामिल है, जिसे पढ़कर गैर मुस्लिम भाई कहते हैं कि अगर इस्लाम ये है तो फिर यही सत्य धर्म है, जब उलमा मायूसी में कहते थे कि अब बचे खुचे इस्लाम पर अमल हो जाए तो काफी है, अब इस्लाम अमल करने के काबिल नहीं रह गया है, उन हालात में मौलाना ने इस्लाम को निज़ाम-ए-ज़िन्दगी की हैसियत से परिचित कराया और उस पर रहनुमाई भी की, जब दीन को मस्जिद में समेट दिया गया था तब उन्होंने जीवन के हर क्षेत्र में इस्लाम को एकमात्र हल के तौर पर पैश किया, तब भी उन्हें निशाना बनाया गया लेकिन सही कहा है किसी ने कि आप किसी को कत्ल कर सकते हैं लेकिन उसकी फिक्र को खत्म नहीं कर सकते!
आज बातिल सबसे ज्यादा उनकी फिक्र से खोफज़दा है इसलिए कुछ मुस्लिम देश भी उनसे खौफज़दा हैं लेकिन हकीकत यही है कि फिक्र को कुचला नहीं जा सकता!
इन्शाअल्लाह अब उन्हें ओर ज्यादा पढा जाएगा! जहां तक इल्ज़ामात की बात है तो ज़ुल्म व फसाद के प्रतीक फिरओन ने भी मूसा अलैहिमुस्सलाम को फसादी कहा था जो हकीकत में शांतिदूत थे, मौलाना मौदूदी रह० भी नबियों के वारिसीन में हैं, वो 20 शताब्दी के मुजद्दिद थे जिन्होंने इस्लाम की सही तस्वीर दुनिया के सामने पेश की! अल्लाह मौलाना के दरजात बुलंद करे और उनकी फिक्र व तहरीक को ओर तरक्की दे ताकि दुनिया वास्तविक शांति का गहवारा बन सके और ज़ालिमों का खात्मा हो!
Jahil. Mol vi
SURAH no .42 ayat 13 deen ko khayam karne ki baat batayi gayi hai
They really don't have any knowledge neither do they have brains to understand that.
Bhai deen ko qaayam karna likha gaya hai Hukoomat nahi. Aur deen ko qaayam karna agar tafseer padoge to tawheed ko kayam karna, Allah ki ita’at karna aur nafarmani se bachna hai.
Ma sha Allah...
u had cleared everything. so now we should check everything regarding every every jammat and do what is right in Islam..
👆👆ऐसा नहीं है कि आज यहूदी साजिशें बंद हो गई हैं। बल्कि और भी तेज़ और मज़बूत हो गई हैं। आज भी यहूदियों के पाले हुए और ट्रेन्ड किये हुए लाखों उलेमा बड़ी बड़ी तन्ज़ीमों और जमाअतों की भागदौड़ सम्भाले हुए हैं। भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश सभी जगह ऐसे आलिमे दीन मिलेंगे जो उम्मत को इस बात का यक़ीन दिलाते हैं कि उनकी हर परेशानी और हर तकलीफ़ को सिर्फ आमीन और रफेएदीन से दूर किया जा सकता है यही नहीं उनकी नज़र में तो इस्लाम को ग़ल्बा (वर्चस्व) भी इसी तरह से मिलेगा। अल्लाह की धरती पर अल्लाह कानून कैसे नाफिस हो हमारी घरेलू जिंदगी और सामजिक जिंदगी में इस्लाम कैसे नाफिस हो इससे ये यहुद paid उलेमा शू उम्मत ए मुस्लिमा को काट देते हैं। सऊदी अरब के पैसे पर पलने वाले मौलवी ही खिलाफत के असली दुश्मन
شاباش مولانا مودودی رح سب سے بڑے عالم تھے
Haan sabse bade, koi nahi paida hua unse bada ☺️🤔
اقامت دین کا کام تو اللہ نے قرآن میں ہمارے ذمہ لگایا
Subhan Allaah,... Very nice explanation.
Assalaamualaikum sheikh,,where can i get the complete video of this lecture?
Adil Khan markazus salam
👆👆ऐसा नहीं है कि आज यहूदी साजिशें बंद हो गई हैं। बल्कि और भी तेज़ और मज़बूत हो गई हैं। आज भी यहूदियों के पाले हुए और ट्रेन्ड किये हुए लाखों उलेमा बड़ी बड़ी तन्ज़ीमों और जमाअतों की भागदौड़ सम्भाले हुए हैं। भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश सभी जगह ऐसे आलिमे दीन मिलेंगे जो उम्मत को इस बात का यक़ीन दिलाते हैं कि उनकी हर परेशानी और हर तकलीफ़ को सिर्फ आमीन और रफेएदीन से दूर किया जा सकता है यही नहीं उनकी नज़र में तो इस्लाम को ग़ल्बा (वर्चस्व) भी इसी तरह से मिलेगा। अल्लाह की धरती पर अल्लाह कानून कैसे नाफिस हो हमारी घरेलू जिंदगी और सामजिक जिंदगी में इस्लाम कैसे नाफिस हो इससे ये यहुद paid उलेमा शू उम्मत ए मुस्लिमा को काट देते हैं। सऊदी अरब के पैसे पर पलने वाले मौलवी ही खिलाफत के असली दुश्मन
ماشاء الله تبارك وتعالى
بارك الله فيك وجزاك الله خيرا واحسن الجزاء في الدنيا والآخرة
Abe kaisa Alim hai ..abul aala ko iss Mane me nhi liya jaiga.. "Allah ka baap"
Nauzubillah...Abe gadhe use dusre mana me rakha gya hoga...
Ali bhi Allah ka naam hai... lekin insan ka bhi naam ali hota h ...
Agr uss Mane me hota to ye Bina kisi shubah ke kufr akbar h....aur millat se kharij kr Dene wali cheez hai...aur aise naam ko bdlna wajib h....kon se madrse se padhe ho ?
استغفرالله استغفرالله استغفرالله استغفرالله استغفرالله استغفرالله استغفرالله استغفرالله استغفرالله
Mashallah bahut khoob mashallah ❤❤❤
Maodidi sahab was great scholar.
yessss👍👍👍👌👌
😂😂😂
Wo.sahaba ka gustak tha
Maudoodi ek fitna...
@@ammarkhan4262please read maoududi by urself.just don't listen to others and follow blindly.....moududi sahab is the mujaddid of 20th century..
Javed sahab molana maodudi ke bare mein aap ka maoqquf jaan ker Khushi Hui Allah aap ki ghaliti ko dar guzar farmaye aur ek kamon ajre azim ataa farmaye
شَرَعَ لَكُمۡ مِّنَ الدِّيۡنِ مَا وَصّٰى بِهٖ نُوۡحًا وَّالَّذِىۡۤ اَوۡحَيۡنَاۤ اِلَيۡكَ وَمَا وَصَّيۡنَا بِهٖۤ اِبۡرٰهِيۡمَ وَمُوۡسٰى وَعِيۡسٰٓى اَنۡ اَقِيۡمُوۡا الدِّيۡنَ وَ لَا تَتَفَرَّقُوۡا فِيۡهِؕ كَبُرَ عَلَى الۡمُشۡرِكِيۡنَ مَا تَدۡعُوۡهُمۡ اِلَيۡهِؕ اللّٰهُ يَجۡتَبِىۡۤ اِلَيۡهِ مَنۡ يَّشَآءُ وَيَهۡدِىۡۤ اِلَيۡهِ مَنۡ يُّنِيۡبُ ﴿۱۳﴾
اسی نے تمہارے لئے دین کا وہی رستہ مقرر کیا جس (کے اختیار کرنے کا) نوح کو حکم دیا تھا اور جس کی (اے محمدﷺ) ہم نے تمہاری طرف وحی بھیجی ہے اور جس کا ابراہیم اور موسیٰ اور عیسیٰ کو حکم دیا تھا (وہ یہ) کہ دین کو قائم رکھنا اور اس میں پھوٹ نہ ڈالنا۔ جس چیز کی طرف تم مشرکوں کو بلاتے ہو وہ ان کو دشوار گزرتی ہے۔ الله جس کو چاہتا ہے اپنی بارگاہ کا برگزیدہ کرلیتا ہے اور جو اس کی طرف رجوع کرے اسے اپنی طرف رستہ دکھا دیتا ہے ﴿۱۳﴾
He hath ordained for you that religion which He commended unto Noah, and that which We inspire in thee (Muhammad), and that which We commended unto Abraham and Moses and Jesus, saying: Establish the religion, and be not divided therein. Dreadful for the idolaters is that unto which thou callest them. Allah chooseth for Himself whom He will, and guideth unto Himself him who turneth (toward Him). ﴾13﴿
السلام عليكم ورحمة الله
I sincerely request Maulana Sahib to please study Maulana Maudoodi's books. Because, u seem to be not an insincere person. You may not agree with him 100 % but request to please read all his books. Let u start from تجديد و احيآء دين or whatever.
وعليكم السلام ورحمة الله وبركاته
Kya aap logon ko maududi ki aqadi khataiyain nazr nahin aati
Shabir Ahmad Shah ye riyaal khor Dajjali aale hadas log hain inhen sab pata hota hai in ka miss hi hai dajjaliyat failana aor musalmaano ko bewaqoof banakar gumraah karna naam Quraan wa hadees ka lagana
الحق مر
Shabir Ahmad Shah oh. Molwi who got shah fasal award in Saudia any Ahlihadees or mudadi Sahab
Oh molwi Ahliyazeed go to home and drink cold water...
JazakAllahu Khairan katheeran
AGAR DAWAT KA KAAM KARNA HAI TO NABI KE TARIKE PAR KARNA CHAHIYE, NABI KE TARIKE SE ALAG HO TO WO GALAT HI HOGA. LOGON KO NABI KA TARIKA KYA HAI PAHLE MALOOM KARNA CHAHIYE. ALLAH HAME SAHIH SAMAJH KI TAUFEEQ DE AMEEN YA RABBIL ALMEEN...
U r mistaken. Today someone read the book of Maulana and I found in the book it states " our objective is not to establish khilafa but to establish Islam in all aspects of human life " book in Bengali "Islami Dawat ebong kormoniti"
Akmate deen...ye ek word hi to bol ke start kiye wo apni baat..shaid ap sune nahi
@@TalhaKhan0007 can we deny the verse of Quran in Surah Shura Ch 42 verse 13 where Allah says about establishing the Deen of Allah (nauzubillah) the speaker is misleading people.
V.well explained to guide people to the right path.Mashaallah
👆👆ऐसा नहीं है कि आज यहूदी साजिशें बंद हो गई हैं। बल्कि और भी तेज़ और मज़बूत हो गई हैं। आज भी यहूदियों के पाले हुए और ट्रेन्ड किये हुए लाखों उलेमा बड़ी बड़ी तन्ज़ीमों और जमाअतों की भागदौड़ सम्भाले हुए हैं। भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश सभी जगह ऐसे आलिमे दीन मिलेंगे जो उम्मत को इस बात का यक़ीन दिलाते हैं कि उनकी हर परेशानी और हर तकलीफ़ को सिर्फ आमीन और रफेएदीन से दूर किया जा सकता है यही नहीं उनकी नज़र में तो इस्लाम को ग़ल्बा (वर्चस्व) भी इसी तरह से मिलेगा। अल्लाह की धरती पर अल्लाह कानून कैसे नाफिस हो हमारी घरेलू जिंदगी और सामजिक जिंदगी में इस्लाम कैसे नाफिस हो इससे ये यहुद paid उलेमा शू उम्मत ए मुस्लिमा को काट देते हैं। सऊदी अरब के पैसे पर पलने वाले मौलवी ही खिलाफत के असली दुश्मन
اقامتِ دین _______
کیسے کیسے اعتراضات؟!
دو دوز قبل 'اقامتِ دین' سے متعلق میری پوسٹ پر بعض احباب نے تبصرے کیے _میں ان کا شکر گزار ہوں _ بعض احباب نے تنقید کی اور جماعت کے تصور اقامتِ دین پر بعض اعتراضات کیے _ ان کی وضاحت کے لیے میں نے چند سطریں مزید لکھ دیں _ اللہ کرے میری بات کچھ مزید واضح ہوجائے ، ورنہ میں جواب در جواب کا قائل نہیں _
" اپنی بات دوسرے کی طرف منسوب کرکے تبصرہ کرنا بد دیانتی ہے _ میں نے نہیں لکھا کہ حکومت قائم کرنا انبیاء کا مشن ہے _ انبیاء کا مشن یہ رہا ہے کہ جتنے احکام اور تعلیمات اللہ تعالٰی کی جانب سے موصول ہوں انھیں اللہ کے بندوں تک پہنچائیں _
رہا یہ سوال کہ جن انبیاء نے حکومت نہیں کی کیا انھوں نے دین قائم نہیں کیا؟ اس پر ایک الزامی سوال یہ ہو سکتا ہے کہ جن انبیاء نے حکومت چلائی (حضرت داؤد، حضرت سلیمان اور خاتم النبیین علیہم السلام) کیا انھوں نے ایسا کام کیا جس کا انھیں اللہ کی طرف سے حکم نہیں دیا گیا تھا؟
کتنی عجیب بات ہے کہ یہ کہا جائے کہ ہر نبی کا مشن ایمانیات تھا اور دلیل میں یہ آیت پیش کی جائے : و لقد بعثنا فی کل امۃ رسولا ان اعبدوا اللہ_
کیا اعبدوا اللہ کا مطلب ایمانیات ہوتا ہے؟ ہم تو سمجھتے ہیں کہ اعبدوا اللہ کا مطلب ہے پوری زندگی اللہ کی مرضی کے مطابق گزاری جائے _
ہم کہتے ہیں کہ اقامت دین میں سب سے پہلے فرد کی اصلاح ہے، اس کے بعد معاشرہ کی تعمیر، آخر میں ریاست کی تشکیل _ وہ لوگ جماعت کی طرف غلط بات منسوب کرتے ہیں جو کہتے ہیں کہ جماعت فرد کی اصلاح کے بجائے اجتماعی نظام سے اپنی بات شروع کرتی ہے اور پورا زور اجتماعی اقامت دین پر دیتی ہے _ یہ جھوٹا الزام ہے کہ جماعت کی ساری بات دنیا سے شروع ہوکر دنیا پر ختم ہوجاتی ہے اور وہ ایمان، توحید اور آخرت کی کوئی بات نہیں کرتی _
کہا جاتا ہے کہ اسلامی تعلیمات کو تدریجاً پیش کرنا مطلوب ہے _اللہ کے رسول صلی اللہ علیہ و سلم نے حضرت معاذ رضی اللہ عنہ کو یمن بھیجا تھا تو صرف کلمہ شہادت، نماز اور روزہ کی بات کرنے کا حکم دیا تھا _ اس پر سوال پیدا ہوتا ہے کہ کیا آج کے دور میں کوئی غیر مسلم پوچھے کہ اسلام کیا ہے؟ تو اس کے سامنے صرف کلمہ شہادت، نماز اور روزہ کا تذکرہ کیا جائے گا اور کہا جائے گا کہ بس یہی اسلام ہے؟
حیرت ہوتی ہے کہ جماعت کی مخالفت میں بعض احباب کیسی کیسی بے تکی باتیں کہہ جاتے ہیں اور ذرا نہیں سوچتے کہ ان کی بات اسلام کے صحیح تصور کو مسخ کرنے والی ہے _
( محمد رضی الاسلام ندوی )
سبحان اللہ بہت واضع بات پیش کی ہے تنگ نظر لوگوں کو کب سمجھ آئی ہے حقیقت
جزاک اللہ خیرا محترم
جزاك اللہ ،،، ہم غرباء ہی غالب ہوں گے ان شاء اللہ
Until today I used to value lectures of Hafiz Javed Usman Rabbani's a lot but after listening to his comment on Moulana Moudoodi Aur Jamat e Islami Ki Haqeeqat , am very much disappointed that he miscalculated the genuine efforts of Moulana Moudoodi (May Allah Be Pleased With Him) who aimed very much on Tawheed e Ilahi as a way to establish Allah's(Subhanahu wa Tala) Deen which was given to our beloved Prophet Muhammad(Sallalahu alaihi wa salam).
May Allah forgive Hafiz Javed and guide him better understanding....Aameen Ya Rabb
القرآن - سورۃ نمبر 5 المائدة
آیت نمبر 68
أَعُوذُ بِاللّٰهِ مِنَ الشَّيْطَانِ الرَّجِيمِ
بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
قُلۡ يٰۤـاَهۡلَ الۡـكِتٰبِ لَسۡتُمۡ عَلٰى شَىۡءٍ حَتّٰى تُقِيۡمُوا التَّوۡرٰٮةَ وَالۡاِنۡجِيۡلَ وَمَاۤ اُنۡزِلَ اِلَيۡكُمۡ مِّنۡ رَّبِّكُمۡ ؕ وَلَيَزِيۡدَنَّ كَثِيۡرًا مِّنۡهُمۡ مَّاۤ اُنۡزِلَ اِلَيۡكَ مِنۡ رَّبِّكَ طُغۡيَانًا وَّكُفۡرًاۚ فَلَا تَاۡسَ عَلَى الۡقَوۡمِ الۡكٰفِرِيۡنَ ۞
Assalaam alaikum shaik javed sahab ko allah jannatul firdous ataa farmae aameen ya rab
This is the real concept of Islam. Khallafath is lost option.First option is worship of only Almighty Allah
Jazak Allah,
👆👆ऐसा नहीं है कि आज यहूदी साजिशें बंद हो गई हैं। बल्कि और भी तेज़ और मज़बूत हो गई हैं। आज भी यहूदियों के पाले हुए और ट्रेन्ड किये हुए लाखों उलेमा बड़ी बड़ी तन्ज़ीमों और जमाअतों की भागदौड़ सम्भाले हुए हैं। भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश सभी जगह ऐसे आलिमे दीन मिलेंगे जो उम्मत को इस बात का यक़ीन दिलाते हैं कि उनकी हर परेशानी और हर तकलीफ़ को सिर्फ आमीन और रफेएदीन से दूर किया जा सकता है यही नहीं उनकी नज़र में तो इस्लाम को ग़ल्बा (वर्चस्व) भी इसी तरह से मिलेगा। अल्लाह की धरती पर अल्लाह कानून कैसे नाफिस हो हमारी घरेलू जिंदगी और सामजिक जिंदगी में इस्लाम कैसे नाफिस हो इससे ये यहुद paid उलेमा शू उम्मत ए मुस्लिमा को काट देते हैं। सऊदी अरब के पैसे पर पलने वाले मौलवी ही खिलाफत के असली दुश्मन
Assalamualaikum
Mi ahle hadees hu. Magar apsos aaj k ahle hadees aalimo par.
Sab jaante hai ambia ki dawat tawheed hi rahi hai. rahi baat hukumat ki tho kya sahabakaram ne hukumate ilahi khayam nahikithi?jaha bhi tawheed ki dawat diye waha hukumamat bhi khayam liye. Aaj ke daur me bhi koi sochta hai k hukumate ilahi khayam kare tho inshaallah usko
Ajar milega.shart hai k o mushrik aur bittati naho
#20वीं_शताब्ती_का_महान_इस्लामी_सकाॅलर
मौलाना मौदूदी रह० दुनिया की उन अज़ीम शख्सियतों में से हैं जिन्हें सबसे ज्यादा पढ़ा जाता है, आपने 100 से ज्यादा किताबें लिखी हैं, 20 वीं शताब्दी में गैर इस्लामी व बातिल विचारधाराओं पर सबसे ज्यादा तर्कसंगत प्रहार किसी ने किया है तो वो सैयद अबुल अअला मौदूदी रह० और सैयद कुतुब शहीद रह० हैं, जिनकी तहरीरों ने कितने ही लोगों को हक की राह दिखाई और कितने ही मुस्लिम नौजवानों को बातिल विचारधाराओं से रोका! अलग अलग तरीकों से यूरोप ने जो जो हमले इस्लाम पर किए और विभिन्न मामलों पर सवालिया निशान खड़े किए, सबका जबरदस्त जवाब मौलाना मौदूदी रह० ने दिया, चाहे जिहाद हो या ब्रथ कंट्रोल, लोकतंत्र हो या पूंजीवाद, कम्यूनिज्म हो या नेशनलिज़म, सब पर मौलाना के तर्कसंगत जवाबों ने बातिल को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया, रिवायती मुसलमानों ने कम ही उन्हें पढ़ा है लेकिन गौर व फिक्र करने वाले आधुनिक शिक्षा से जुड़े विधार्थियों ने उनसे ही अपनी शंकाओं को दूर किया, उनकी तफ्सीर "तफहीमुल कुरआन" दुनिया में सबसे ज्यादा पढी जाने वाली तफ्सीरों में शामिल है, उनकी किताब "दीनियात" का अनुवाद दुनिया की 60-70 ज़बानों में हुआ और इस्लाम धर्म के अध्ययन पर सबसे जबरदस्त किताब है जो दुनिया की बहुत सी यूनिवर्सिटीज़ के सिलेबस में शामिल है, जिसे पढ़कर गैर मुस्लिम भाई कहते हैं कि अगर इस्लाम ये है तो फिर यही सत्य धर्म है, जब उलमा मायूसी में कहते थे कि अब बचे खुचे इस्लाम पर अमल हो जाए तो काफी है, अब इस्लाम अमल करने के काबिल नहीं रह गया है, उन हालात में मौलाना ने इस्लाम को निज़ाम-ए-ज़िन्दगी की हैसियत से परिचित कराया और उस पर रहनुमाई भी की, जब दीन को मस्जिद में समेट दिया गया था तब उन्होंने जीवन के हर क्षेत्र में इस्लाम को एकमात्र हल के तौर पर पैश किया, तब भी उन्हें निशाना बनाया गया लेकिन सही कहा है किसी ने कि आप किसी को कत्ल कर सकते हैं लेकिन उसकी फिक्र को खत्म नहीं कर सकते!
आज बातिल सबसे ज्यादा उनकी फिक्र से खोफज़दा है इसलिए कुछ मुस्लिम देश भी उनसे खौफज़दा हैं लेकिन हकीकत यही है कि फिक्र को कुचला नहीं जा सकता!
इन्शाअल्लाह अब उन्हें ओर ज्यादा पढा जाएगा! जहां तक इल्ज़ामात की बात है तो ज़ुल्म व फसाद के प्रतीक फिरओन ने भी मूसा अलैहिमुस्सलाम को फसादी कहा था जो हकीकत में शांतिदूत थे, मौलाना मौदूदी रह० भी नबियों के वारिसीन में हैं, वो 20 शताब्दी के मुजद्दिद थे जिन्होंने इस्लाम की सही तस्वीर दुनिया के सामने पेश की! अल्लाह मौलाना के दरजात बुलंद करे और उनकी फिक्र व तहरीक को ओर तरक्की दे ताकि दुनिया वास्तविक शांति का गहवारा बन सके और ज़ालिमों का खात्मा हो!
Masha Allah (Batil aya hi mitne kelye Haq ka bolbala)jamate Islami ko dajjal ke fitne ko manna parega
👆👆ऐसा नहीं है कि आज यहूदी साजिशें बंद हो गई हैं। बल्कि और भी तेज़ और मज़बूत हो गई हैं। आज भी यहूदियों के पाले हुए और ट्रेन्ड किये हुए लाखों उलेमा बड़ी बड़ी तन्ज़ीमों और जमाअतों की भागदौड़ सम्भाले हुए हैं। भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश सभी जगह ऐसे आलिमे दीन मिलेंगे जो उम्मत को इस बात का यक़ीन दिलाते हैं कि उनकी हर परेशानी और हर तकलीफ़ को सिर्फ आमीन और रफेएदीन से दूर किया जा सकता है यही नहीं उनकी नज़र में तो इस्लाम को ग़ल्बा (वर्चस्व) भी इसी तरह से मिलेगा। अल्लाह की धरती पर अल्लाह कानून कैसे नाफिस हो हमारी घरेलू जिंदगी और सामजिक जिंदगी में इस्लाम कैसे नाफिस हो इससे ये यहुद paid उलेमा शू उम्मत ए मुस्लिमा को काट देते हैं। सऊदी अरब के पैसे पर पलने वाले मौलवी ही खिलाफत के असली दुश्मन
Mashaallah bhot behtreen baat batayi aap ne. Ab isse logo ko jalan ho rahi hai to kya kar sakte par baat to haq hai na. Mai tamam logo se guzarish karta hai ke wo log khud maoudodi sab ki kitabo ka mutalla sirf is liye kare ke dekhe ke inhone waqiy me quran hadis aur aslaf ke manjhaj pe the ya nahi. Isliye phele salaf ki kitabo ka mutalla zarur kare. Phir apne aap asliyat malum ho jayegi maoudodi sab ki
القرآن - سورۃ نمبر 42 الشورى
آیت نمبر 13
ترجمہ:
اُس نےتمہارے لیے دین کا وہی طریقہ مقرر کیا ہے جس کا حکم اُس نے نُوحؑ کو دیا تھا، اور جسے (اے محمدؐ )اب تمہاری طرف ہم نے وحی کے ذریعہ سے بھیجا ہے، اور جس کی ہدایت ہم ابراہیمؑ اور موسیٰؑ اور عیسیٰؑ کو دے چکے ہیں، اِس تاکید کے ساتھ کہ قائم کرو اِس دین کو اور اُس میں متفرق نہ ہوجاوٴ۔ یہی بات اِن مشرکین کو سخت ناگوار ہوئی ہے جس کی طرف (اے محمدؐ )تم انہیں دعوت دے رہے ہو۔ اللہ جسے چاہتا ہے اپنا کر لیتا ہے، اور وہ اپنی طرف آنے کا راستہ اُسی کو دکھاتا ہے جو اُس کی طرف رجوع کرے۔
Hafiz sahab!
Ek musalman dusre musalman ka bhai hai, ek muslim ko ye shayan nahin ke dusre ki aabru rezi karen. Ye ho sakta hai ke koi baat me ikhtelaf ho, ikhtelaf to sahaba me bhi tha, Hazrat Ayesha r.a. aur hazrat Ali r.a. ke do group hogai the. Hazrat Ali r.a aur Hazrat Mavia r.a ke do groups hogai the.
Ikhtelaf to lazmi hai cheez hai
Iska matlab ye thodi na hai ke ek dusre ki aabro rezi karen.
Inhi ikhtelaf ko jab hum charcha karte hai, ya zere bahez late hai to batil firqon ko mauka milta hai unli uthane ka.
Tamam Musalmano ko chahiye ke ikhtelaf ko alag rakh kar ittefaq pe aayen.
Jo modudi ke manne wale molanao ko gali de ye aachha he
Akhtaf agar sihi aur galat main farq ke liye ho raha hai take log kahi gumrah na hojaye. Who qaum ko batana zaroori hai. Jaisa aaj jo daish islam ko present kerraha hai who galat hai. Agar galat ko galat nahi bola gaya to log kaise samjhege.
@@nadeemkha9130 mere bahi gali dena sahi nahi hai.lekin kisi shaks ke bare mai thod marod ke bolna bhi sahi nahi hai.aap jaan ki khud koshish karen ke Syed mududi kis cheez ke liye mhenath kar rahe the.aur ek cheez jab pakistan bana tha tho nara tha la ilah illalah.jab yehi cheez mududi sahab yaad delaye hukumat se ke pakistan mai Allah aur Rassul ki tareeke mai hukumat yani sharia laya jay tho ye kaise hogaya ke o ghalt cheez mang rahin hai.jab ki Allah aur Rassul ka hukum hai ki agar Islam aam ho oo mulk tho wahan hukumat bhi Allah aur Rassul ki ho ( sharia ) tho ismai galat kya hai.jab ki aye tho haak hai.aur aye jo haffez Sahab bol rahin hai bilkul teek nahi hai.hafeez shab aap aye bhi batha dete ke Syed mududi jail kis cheez ke liye dale gaye the.agar aye batha dete tho shayad aap sawalon mai aa jate.
@@onemessage3984 bhai aapne sahi kha galath ko galath khena chaheeye.par jhot aur thodi marodi bath karna bhi galat hai.Agar aap manhaj salf saliheen ke tareeke mai ho tho aapka farz banta hai ke aap uss cheez ki thekik karen aur fir Faisla dene kisi ke bare mai.naa ki unko bhala bura kahain beena jane hakeekat.Aur mafa karen muje dhuk hotha hai aye dekar ke manhaj salf saliheen ko mane walon mai se kuch chand log jhot ko aam kar rahin hai.Aur jab ke manhaj salf saliheen ka aye tareeka nahi hai.aur bhi mai jamaat Islami hind ka member nahi hoon.mai ahlye Hadith aur manhaj salf saliheen ka mane wala hoon.isliye dhuk hota hai.
Allah Tala Aapke ilm Mein Aur ijaafa De
Kabhi saudi haqimo ke baare me bhi kuch bayan karo jo america ke chammach bane hue hai
Aur Bhai Saudi Ko choro Aap muslman Ho na!!!!
@@jawedali645 Alhamdulillah
@@mvansari3022
To Bhai Saudi kya kr raha Hai Pakistan kya kr raha Hai
Inse hame kya main kya Kr raha hoon tum kya kr Rahe Ho Ye dekho
@@jawedali645 Sahi farmaya aapne
Bhai pesa ruk jaye gaa sudi ager bole too
Vry good molana javed usmaan rabbani........
may Allah swt guide u towards right path
i suggest u to study the syed Maudoodi ra u wll become a good muslim
u r looking illitrate so i suggest u to go through the books of syed rahmatullah aly
read has books u only understand
What is Ekamat deen?
Plz describe it, and send me some evedence form the holy Quran.
Chapter 42 verse 13 Explains the concept of iqamat e deen. And I request you to build the strong relation with Quran. And don't follow this javeed usman Rabbani and all these people are dividing the Ummah. Hope you get my point. Jazakallah.
جزاك الله خير
jamat paressteeeeee aur laraaayeeee kaaraanaaaa chorrrrrrr dooooooooo
Yeh aisi harkaton ki wajah se..Allah ne in jaiso pe Engineer Ali Mirza jaisa Shaqs ko mussalat kardiya hai....ab bhag te fir rahe hai...
Mujtahid madoodi sb is great personality of muslim world
السلام علیکم و رحمۃ اللہ و برکاتہ۔ بھائی علامہ مودودی رح کی زندگی میں اور ان کی وفات کے بعد ان کی حقیقت بیان کر والوں ایک تانتا بندھا ہوا ہے۔ اپ بھی شوق پورا کرلیں۔ جو کوئی limelight میں آنا چاہتا ہے جھٹ مودودی رح کی شخصیت کو نشانہ بنانا شروع کر دیتا ہے۔ اللہ تعالیٰ ان پر اپنی رحمت کا نزول فرما ئے۔
Ambiya waqt k hukmuran aur purohiton k chungal se logon ko nikaalkar ek Allah ki tauheed me laate thhe. Quran ka mutala karo, koi nabi moulvi nai thhe. Maashire ko pahunchte, unke masail hal karte aur Ek Allah ki tauheed me le aate.
to kya ye saara kaam aaj sio, jamate islami aur maududiyat ki alag alag shakhayein bakhoobi karrahi hain?
@@tanveersheikh9860 alhamdulillah
Learn some Islamic manner and humility from these Salafi scholars who even actually correct someone's statement with facts and proofs but giving them with respect and manner ...masa Allah...Sheikh...Respect from West Bengal India...
We will start respecting these scholars when these scholars will talk about their mistakes, inspite of others
Shabih Nayyer Point out their mistakes....and they don't need just your attention and respect rather it is u who propagate false allegations about them....We fear Allah s.w.t that we will have to stand in front of Allah s.w.t for our account....
استغفرالله استغفرالله استغفرالله استغفرالله استغفرالله استغفرالله استغفرالله استغفرالله استغفرالله استغفرالله
Jazaaka Allah khair
👆👆ऐसा नहीं है कि आज यहूदी साजिशें बंद हो गई हैं। बल्कि और भी तेज़ और मज़बूत हो गई हैं। आज भी यहूदियों के पाले हुए और ट्रेन्ड किये हुए लाखों उलेमा बड़ी बड़ी तन्ज़ीमों और जमाअतों की भागदौड़ सम्भाले हुए हैं। भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश सभी जगह ऐसे आलिमे दीन मिलेंगे जो उम्मत को इस बात का यक़ीन दिलाते हैं कि उनकी हर परेशानी और हर तकलीफ़ को सिर्फ आमीन और रफेएदीन से दूर किया जा सकता है यही नहीं उनकी नज़र में तो इस्लाम को ग़ल्बा (वर्चस्व) भी इसी तरह से मिलेगा। अल्लाह की धरती पर अल्लाह कानून कैसे नाफिस हो हमारी घरेलू जिंदगी और सामजिक जिंदगी में इस्लाम कैसे नाफिस हो इससे ये यहुद paid उलेमा शू उम्मत ए मुस्लिमा को काट देते हैं। सऊदी अरब के पैसे पर पलने वाले मौलवी ही खिलाफत के असली दुश्मन
Sheikh sahib Aslam.o.alaikum ALLAH apko salamat rakhy r isteqamet r traqi iman.o.tandrusti wali lambi zindgi r dunya.o.akhrat ki tamam behlayain ata farmay aur Ap yonhi islam k libady mn batil ko isiterha expose ker k batil ki jeren(roots) kat.ty rahn aur subcontinent k Muslims ko Quran.o.Hadith( true islam )ki dawat dayty rehn Aur subcontinent k Muslims ko kuffer shirk bidat qadianiat Sufism jadugeron Najumion kahinon peeron ulma.e.crime (jo logon ko gumrah kerty hn) sufia.e.crime Made in india islam r Made in iran islam ( fabricated islam) Malngon mazarat majzubun(shaitano) c nijat Delaney k leye apna historical role play kerty rehn ''''''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''' '''''''''''''''''''''''''''''''''''
Jazakallah
JazaakAllah khaira
Afsoos moulana Jamat e islami Hind ki Datoor e jamat e islami Hind ki Dafaa 4 aur 5 padlete to accha samjha sakte the😊
first one has to understand islam from the original sources and study the fuqaha of the past,then,what it demands from us and thirdly we have to strive how to follow islam as nearly as possible as was followed by sahaba and the later people following in their foot steps and fourthly how to accomodate ourselves as Muslims in the modern World.
If it so why saudi govt given first shah Faisal award to madudi for Islamic service!!!!!!!!!!.
Answer janab
th-cam.com/video/38OppwsNOzk/w-d-xo.html
ULAMA makki, madni, salafi, nadvi (seth,sarmayadaar ke gulam) tumhara deen jumhuriyat (kufr)OR mera deen islaam "VOTE DENE JAOGE TO ISLAM SE PHIR JAOGE
नीचे दिये गये लिंक को ज़रूर देखें इस रीयाली मौलाना की बेख़बरी का जवाब
मौलाना मोदूदी की आवाज़ में
Hzrt kya deen ke naam pr jhoote ilzam lagana jaiz h?
Agr nhi to plz tauba kijiye.
Aap ne shai kha ye log manhaj salf saliheen ka naam kharab kar rahin hai.kisko juta ilzaam lagne se ye log baz nahi ate.Allah inko hidayat ata farmaye ameen.aur hame chahiye ke hum andhe na hoke khud Syed mududi ke bare mai janeki kaushish karne.
An open invitation to all muslims,rulers and islamic scholars, Let us join the sect of our beloved prophet Muhammad peace and blessings of ALLAH be upon him,ahl al bayt and caliphs rashidun(RA) by saying good bye to other 72 sects and groups.
Our beloved prophet Muhammad peace and blessings of ALLAH be upon him ,all prophets(from Adam to Muhammad) peace and blessings of ALLAH be upon them, ahl al bayt and caliphs rashidun(RA) were not brailvies, wahabi,shia,deobandi,hanafi, al hadis,malki,shafi,zadi, ismaili,sunni etc.
They were only muslim. Therefore,We have to be a muslim. Haven is only for muslim.
A muslim means who follows the commandments of ALLAH TALLAH as our beloved prophet Muhammad peace and blessings of ALLAH be upon him showed, acted and taught.
We should practise islam according to quran, authentic hadiths and sunnah(life of our beloved prophet peace be upon him).
Our beloved prophet muhammad peace and blessings of ALLAH be upon him is a last and final nabi and prophet (rasool). No more nabi and rasool (prophet) are coming. He (SAWS) is seal of prophet,nabi and rasool.
We have to get rid of all inauthentic hadiths,fake or selfmade traditions,culture,sects and groups introduced by scholars and authorities to divide muslims,spread hatred,collect donations,get favours, make them weak,stay them away from real ALLAH and sunnah,make a cult, name them such as sunni, shia,wahabi,deobandi,brailvi,malki,hanafi,humbli,ismiali so on, use bad language for one another , and rule over them.
Meaning of an authentic hadith, whenever you see conflicts among people(scholars and authorities) about Islam, come back to ALLAH and HIS prophet muhammad peace and blessings of ALLAH be upon him to get a right path.
This is only way of salvation and become muslim umma united.
Please be called youself muslim not abovesaid sects or groups.
Do not just read it forward it to whom you care as i do for you
جا ہل عوام کا بھی فرض ہے کہ وہ خود قرآن و حدیث کا مطالعہ کرے ۔ لیکن مطالعہ کرنا بہت بڑا مجاہدہ ہے اور یہ قربانی دینا ان کی بس کی بات نہیں ہے ، اس لیے ان کے لیے یہ برابر کہ کوی دجال ان کو گمراہ کرے ، جن کو اپنی آخرت عزیز ہوگی وہ اپنا ذاتی مطالعہ کرے گے ۔
Viewers of this video please take a look at the comments section as well
منافقت دیکھئیے
اقامت دین اور توحید ایک ہی معنی میں ہے
استغفرالله استغفرالله استغفرالله استغفرالله استغفرالله استغفرالله استغفرالله استغفرالله استغفرالله استغفرالله
masha allha 💙💙💚💚❤❤💗💗💙💚💓💓❤💚💙💗💙💓
Please upload part 2 also...
👆👆ऐसा नहीं है कि आज यहूदी साजिशें बंद हो गई हैं। बल्कि और भी तेज़ और मज़बूत हो गई हैं। आज भी यहूदियों के पाले हुए और ट्रेन्ड किये हुए लाखों उलेमा बड़ी बड़ी तन्ज़ीमों और जमाअतों की भागदौड़ सम्भाले हुए हैं। भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश सभी जगह ऐसे आलिमे दीन मिलेंगे जो उम्मत को इस बात का यक़ीन दिलाते हैं कि उनकी हर परेशानी और हर तकलीफ़ को सिर्फ आमीन और रफेएदीन से दूर किया जा सकता है यही नहीं उनकी नज़र में तो इस्लाम को ग़ल्बा (वर्चस्व) भी इसी तरह से मिलेगा। अल्लाह की धरती पर अल्लाह कानून कैसे नाफिस हो हमारी घरेलू जिंदगी और सामजिक जिंदगी में इस्लाम कैसे नाफिस हो इससे ये यहुद paid उलेमा शू उम्मत ए मुस्लिमा को काट देते हैं। सऊदी अरब के पैसे पर पलने वाले मौलवी ही खिलाफत के असली दुश्मन
You need to study deeply 😆
And you need to differenriate between haqq and baatil...
First learn that then have guts to comment..
Pehla musalman dekha jise mulk me allah ka nijaam qaayam hone se nafrat hai arre islam ka apna political social aur economics nijaam hota h
Qazi Ahmed Mukhtar doua ki darkwast hai Mara waldain k intaqal hogaya hai mukhtasar ya hai k Mara peacha doua karna Wala kowi bhi hath nahi hai, obliged thanks.
Sure shura ayat 13 padiay ga maulana,Allah ke liay
yaar samaj nahi aata yeh loog insan hai ya gadhay
Ye Ghalat Kah Rahe Ho Ya Sahi Kah Rahe...
Lekin Kounse Bi Jamaat Ke Moulvi Ko Bura Kahna Durust Nahi Hai. 🙂
If you don’t want to become a part of any tehreeek or revolution keep quite and do your work effciently
Please don’t spread any fitnah among Ummete Muslimah
#जमाअत_ए_इस्लामी_ही_क्यों???
आज ही के दिन यानी 26 अगस्त 1941ई० को आधुनिक युग के महानतम इस्लामी स्काॅलर, मुफक्किर व मुसन्निफ मौलाना सैयद अबुल अअला मौदूदी रह० की अध्यक्षता में 72 लोगों की उपस्थिति व संकल्प से #जमाअत_इस्लामी की स्थापना हुई! दुनिया में बहुत सी जमाअतें हैं जो अल्लाह के दीन के लिए कोशिश कर रही हैं, लेकिन जमाअत इस्लामी उनमें सबसे विशिष्ट है, आइए इस अवसर पर आम भाषा में समझते हैं कि जमाअत इस्लामी क्या है और दूसरी जमाअतों से कैसे अलग है???
- कुछ विद्वानों ने समझा कि उम्मत तालीम में बहुत पीछे है, इसलिए उन्होंने मिलकर एक जमाअत बनाई और उम्मत-ए-मुस्लिमा की तालीम के लिए प्रयास करने लगे, अलग अलग तरीके अपनाए, ये यकीनन बहुत महत्वपूर्ण और सराहनीय कार्य है, जिसकी हर किसी को हिमायत करनी चाहिए!
- कुछ ओर लोगों ने समझा कि मुसलमान आर्थिक रुप से बहुत कमजोर हैं, उन्होंने इस आर्थिक कमजोरी को दूर करने के लिए जमाअत बनाकर प्रयास किए, ये भी एक जबरदस्त काम है!
- कुछ विद्वानों ने समझा कि मुसलमान कल्मा से अपरिचित व इबादतों से दूर हैं, शिर्क व बिदअत तथा खुराफात में पड़े हुए हैं, उन्होंने कोशिश की कि मिल्लत-ए-इस्लामिया को इस स्थिति से निकाला जाए और उन्होंने इस मैदान में जबरदस्त मेहनत की, स्पष्ट है कि ये भी एक दीन का काम है और सराहनीय है!
- कुछ विद्वानों ने सोचा कि जो हक हमारे पास है उसे दूसरों तक भी पहुंचाया जाए, सारी इंसानियत को नर्क से बचाया जाए, अल्लाह का पैगाम तमाम इन्सानों तक पहुंचाया जाए, बहरहाल ये भी एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है जो अब मुसलमानों को उठानी है बल्कि फर्ज़ है!
- कुछ लोगों ने जमाअत बनाकर कोशिश की कि जेलों में बंद बेगुनाहों को छुड़ाया जाए, मानवाधिकारों की रक्षा की जाए, ये भी एक बड़ी जिम्मेदारी है!
- कुछ लोगों ने समाज सेवा यानी गरीबों की मदद को अपनी कोशिशों का केन्द्र बनाया! ये भी शानदार कार्य है।
- कुछ ने अकीदों में खराबी को महसूस किया तो अकीदे में सुधार के लिए प्रयासरत हुए, ये भी एक अहम काम है!
- कुछ लोगों ने सियासत, कुछ ने मीडिया, कुछ ने स्वास्थ्य, कुछ ने मुसलमानों की तर्बियत, कुछ ने कुरआन प्रवचन वगैरह अलग अलग मैदान चुनकर कोशिश की और कर रहे हैं, गर्ज ये और दूसरे तमाम अच्छे काम सराहनीय हैं!
तमाम जमाअतें एक एक, दो दो या कुछ विभागों को लेकर अल्लाह के दीन के लिए कोशिश कर रही हैं और सभों के काम सराहनीय हैं और सबका सहयोग करना इत्तिहाद के लिए जरूरी है, लेकिन #जमाअत_इस्लामी विशिष्ट इसलिए है कि ये जमाअत एक ही समय में जीवन के तमाम विभागों में कुरआन व सुन्नत के आधार पर सम्पूर्ण मानवता के लिए कोशिश कर रही है, आज उम्मत-ए-मुस्लिमा जिन मैदानों में ये समझ रही है कि हम पिछड़ गए हैं, हमें इन मैदानों में आगे आना चाहिए, जमाअत इस्लामी अपने कम संसाधनों के बावजूद पहले दिन से उन तमाम मैदानों में काम करने के लिए कोशां है और मुसलमानों को दावत देती रही है, समाज हो या मस्जिद, नैतिकता हो या शिक्षा, तर्बियत हो या दावत, आर्थिक हालत में सुधार की बात हो या सियासत के मैदान में, स्वास्थ्य हो या खिदमते खल्क, गर्ज हर मैदान में अल्हम्दुलिल्लाह सिर्फ़ जमाअत इस्लामी ही प्रयासरत है, अगर हम एक दो विभागों को लेकर दोडेंगे तो दूसरे विभागों में पिछड़ना स्वाभाविक है, बहैसियत जमाअत एक हिस्से में काम करना और दूसरे हिस्सों को छोड़ देना इस्लाम का तरीका नहीं है, नबी हर उस मैदान में कोशिश करते थे जहां जहां बिगाड़ आ जाता था, इसलिए हमें समझना चाहिए कि हमारी एनर्जी ज्यादा से ज्यादा हिस्सों में लगें ताकि हम किसी भी हिस्से में न पिछड़ें और ऐसी ही इज्तिमाइयत से जुड़ें!
हर विभाग में काम करने के साथ साथ जमाअत इस्लामी की एक खूबी ये है कि जमाअत इस्लामी का सिस्टम शूराई (मशवरे से चलने वाला) है, जमाअत इस्लामी का अमीर भी मशवरे से ही तै होता है, यहां मौरूसियत (बाप के बाद बेटा) नहीं है बल्कि सलाहियत के आधार पर जिम्मेदारी सौंपी जाती है, यहां पद को जिम्मेदारी समझा जाता है, यहां बैतुलमाल में बिल्कुल ट्रांसपेरेंसी है एक पैसे की भी गडबड़ी अल्हम्दुलिल्लाह जमाअत इस्लामी में नहीं है, यहां मस्लकों से ऊपर उठकर इकामत-ए-दीन को उद्देश्य समझा गया है, इनके अलावा ओर बहुत सी खूबियां हैं जो जमाअत को विशिष्ट बनाती हैं, इसलिए मेरा आपसे काॅमन निवेदन है कि जमाअत इस्लामी को पढें, समझें और जुड़ें!
Mere Nabe sw ka qoal sahi hy unqareb mere ummat to firqo me bant jayege
Jhoote log, jhoote ilzam.. lanat hai... Allah ummat ko aise jhoote logo se bachaye.
سبحان اللہ
We sent aforetime our messengers with Clear Signs and sent down with them the Book and the Balance (of Right and Wrong), that men may stand forth in justice; and We sent down Iron, in which is (material for) mighty war, as well as many benefits for mankind, that Allah may test who it is that will help, Unseen, Him and His messengers: For Allah is Full of Strength, Exalted in Might (and able to enforce His Will).surah hadeed 57:25 is ayat say kya aap inkar kartey hai??
Moulana aap mazeed mutala kijiye... Jih ki dawat bhi touheed ki hi hai.. Iqamate deen to jih ka vision hai.. Ye bat jo visionary hai unko samajh me aayegi.. Aap तो ahle hadees ke dukandar malum hote ho... Jamat parasti bhi shirk hai... Aur ek baat Abul aala ke mane Aala sifatvala bhi hota hai.. Aap bhi apne andar aala sifat paida kijiye phir dekhiye aap ki shaqsiyat badaljayegi... Insha Allah...
Assalamualikum .. guzarish hai ke pora bayen upload karo plzzzz ...
jazaakallahukhaira va ahsanal jazaa va nafaa bikumul islama val muslimeen.
Saudi badshaho kai ajant ho tum
Bhai jolog Allah ko ak man rahe the usi ko bolaya gaya ,khilafat keliye, ar gairon keliye shahadat , yani dawate tawheed,....afsos apne parha nahi.......
How can u say Rahim Ullah to maududi who rejected hadith about dajjal and rejected the coming of Allah on the day of qiyamah . He also praises Khumaini who curses our sahaba.plz reply plz otherwise it will be difficult for me to further listen to you plz reply
Stopid aelem thuhid or iqamate din kiaya hain nehi samja!
Molana sahab please discribe word TAGOOT
and Allah say in quran
an AKEEM o Den
and jamaat gives also the Dawa twheed
Pehley uskey layak Bano...
V. Nice.
The speaker seems to be ignorant of this verse of Surah Shuraa (Ch42, V13) "He hath ordained for you that religion which he enjoined on Nuh (AS), and that which we inspire in You (Muhammed saw) and that which we enjoined on Ibrahim(AS), Musa(AS), And Isa (AS): Namely , that you should Establish the Deen (An Aqeemud Deen ) and be not divided therein.."
Exactly brother
Zoot baat mat karna. Pahle aap Maulana Moudidi Rahmatullah ki kitab khutbaat padiye.
Best book from Maulana maududi is " khilafat o malookiyat ".
You are calling it the best book. By the way you sound like Shia
Masaallah
Ahlehadees zinda baad
👍👍👍💖🅰️
Your wrong maulana... Actually u study first please....
Aap ne kitna deen haasil kiya bata dijiye?
Maulana sahab jamate Islami ka tarika dawat hi hai kya jamat wale kafiron se jang nahi kar re. Tauhid ki taraf hi logon ko dawat dete hain aur muslim mashare ki islah karte hain. Aap galat baat kar rahe hain pahle arkan ko sahi Islam samjhne aur amal karne ki baat hoti hai. Pahle aap sahi samjhe k jamat ka tarika kya hai sirf akamate deen kah rahe hain to galat hai. Jamat sirf hukumat ya khilafat ki baat nahi karti.
He is always criticised on islamic personalities who doesn't belong to his so called jamat Ahle Hadees. He is a paid scholar from Saudi Arabia whoever speak about khilafat his group speak against them because they have obey their duties to make happy their godfathers
Masha allah
👆👆ऐसा नहीं है कि आज यहूदी साजिशें बंद हो गई हैं। बल्कि और भी तेज़ और मज़बूत हो गई हैं। आज भी यहूदियों के पाले हुए और ट्रेन्ड किये हुए लाखों उलेमा बड़ी बड़ी तन्ज़ीमों और जमाअतों की भागदौड़ सम्भाले हुए हैं। भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश सभी जगह ऐसे आलिमे दीन मिलेंगे जो उम्मत को इस बात का यक़ीन दिलाते हैं कि उनकी हर परेशानी और हर तकलीफ़ को सिर्फ आमीन और रफेएदीन से दूर किया जा सकता है यही नहीं उनकी नज़र में तो इस्लाम को ग़ल्बा (वर्चस्व) भी इसी तरह से मिलेगा। अल्लाह की धरती पर अल्लाह कानून कैसे नाफिस हो हमारी घरेलू जिंदगी और सामजिक जिंदगी में इस्लाम कैसे नाफिस हो इससे ये यहुद paid उलेमा शू उम्मत ए मुस्लिमा को काट देते हैं। सऊदी अरब के पैसे पर पलने वाले मौलवी ही खिलाफत के असली दुश्मन
Moulana You Are wrong.
Allah ki zameen par Allah ka Qannon lagoo ho. Insan, Insan ki gulami se nikal kar Allah ki gulami main aaye. Ye har jamat ka maqsad hona chahiye. Aur isi ki jaddojahad karni chahiye.
are molana saheb maslak ka chashma otar kar molana modudi ki kitabo ko padho
Iska part 2 aur full lecture ka link???
👆👆ऐसा नहीं है कि आज यहूदी साजिशें बंद हो गई हैं। बल्कि और भी तेज़ और मज़बूत हो गई हैं। आज भी यहूदियों के पाले हुए और ट्रेन्ड किये हुए लाखों उलेमा बड़ी बड़ी तन्ज़ीमों और जमाअतों की भागदौड़ सम्भाले हुए हैं। भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश सभी जगह ऐसे आलिमे दीन मिलेंगे जो उम्मत को इस बात का यक़ीन दिलाते हैं कि उनकी हर परेशानी और हर तकलीफ़ को सिर्फ आमीन और रफेएदीन से दूर किया जा सकता है यही नहीं उनकी नज़र में तो इस्लाम को ग़ल्बा (वर्चस्व) भी इसी तरह से मिलेगा। अल्लाह की धरती पर अल्लाह कानून कैसे नाफिस हो हमारी घरेलू जिंदगी और सामजिक जिंदगी में इस्लाम कैसे नाफिस हो इससे ये यहुद paid उलेमा शू उम्मत ए मुस्लिमा को काट देते हैं। सऊदी अरब के पैसे पर पलने वाले मौलवी ही खिलाफत के असली दुश्मन
Rabbani sab aap hafiz hain ,aalim nahin hain isliye aap deen qaem karne ka matlab khada karne ka nahin ,aap matlab ko tod marod kar pesh ki , apna matlab nikal liya .aap ko allah ka dar(fear) nahin. Toba kijiye ,tohmat mat bayan kijiye.
Maulana Maudoodi Gumrah The Unka Aqeeda-O-Manhaj Bigda Huwa Tha, Wo Salaf Ke Manhaj Par Qayam Nahi The Aur Ham Unka Muamila Allah Ke Zimma Chodte Hein
Allah ke zimme Chodne ka matalab Koi Comment nahi karna
Aap ne unke aqeede, manhaj per fatwa bhi dediya aur ye bhi kah rahe hain ke Allah ke uper choda hain. Waaah!
What is tauheed? According to the holy Quran. Plz send me more ayat from the Holy Quran.
Qur'an ki har aayat tauheed define karti hai, Allah ki Ruboobiyah, uske asma wa sifat aur usko ibaadat karne ka tarreeqa ya hukum(uloohiyat)
Kiun. Allah k faisle Apne haat me letye Bhai aakhrat barbaad na Karu ... Apne Iman ki Khair manao
Secular tauheed se tauba Karu ..Bhai ..