ऋषि अगस्त ने सागर का पान किया योग बल पर, लक्षमण जी चौदह वर्ष जागे योग बल पर, वैसे ही अंगद जी ने पैर जमाया योग बल पर | शारीरिक बल पर ऐसे कार्य सम्भव नहीं | युवराज अंगद देवगुरु बृहस्पति के अवतार व सप्तम् सोपान(सीढ़ी) के योगी थे, और उसी योगबल पर पैर जमा दिया था | किन्तु सागर किनारे वही अंगद जी लंका जाने में हिचकिचा रहे थे क्योंकि उन्हें शरीर का आकार बढ़ाने-घटाने, और इच्छानुरूप वेश बदलने का योग सिद्ध नहीं था | हनुमंत लाल को योग के सारे नवम् सोपान सिद्ध थे | विचार कीजिये यदि अंगद जी लंका जा रहे होते तो सुरसा के सामने क्या करते?
Supar
Bahut sundar Dada ji tark
बहुत सुंदर कार्यक्रम बहुत सुन्दर प्रसारण
लालमन डाकेल ते ज्यादा
जय हो ग्रेट गुरु जी
Lalmanhare
🙏🙏🌹🌹
लाल मन ज़ी आप तो तर्ज़ ही नहीं गा पाए
बहुत सुन्दर प्रस्तुति, आदरणीया दीदी जी के चरणों में कोटि कोटि नमन🙏💕🙏💕 कामता प्रसाद अनुरागी पवा धनौरी वाले
ऋषि अगस्त ने सागर का पान किया योग बल पर, लक्षमण जी चौदह वर्ष जागे योग बल पर, वैसे ही अंगद जी ने पैर जमाया योग बल पर | शारीरिक बल पर ऐसे कार्य सम्भव नहीं |
युवराज अंगद देवगुरु बृहस्पति के अवतार व सप्तम् सोपान(सीढ़ी) के योगी थे, और उसी योगबल पर पैर जमा दिया था | किन्तु सागर किनारे वही अंगद जी लंका जाने में हिचकिचा रहे थे क्योंकि उन्हें शरीर का आकार बढ़ाने-घटाने, और इच्छानुरूप वेश बदलने का योग सिद्ध नहीं था |
हनुमंत लाल को योग के सारे नवम् सोपान सिद्ध थे |
विचार कीजिये यदि अंगद जी लंका जा रहे होते तो सुरसा के सामने क्या करते?
बहुत सुन्दर जानकारी दी है आपने 👌👌🌹🙏🏵️
जैसा संतो से सुना वैसा ही लिख दिया, इसमें मेरा क्या?
@@bhanvarsingh3086 जैसी संगत वैसी रंगत 👍🙏
Angadkokahnemandodarijanjatikimeraputrahy