मनुस्मृति को ही क्यों पढ़ाना चाहता था दिल्ली विश्वविद्यालय || Manusmriti || DU || Dr. Laxman Yadav
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- เผยแพร่เมื่อ 3 ส.ค. 2024
- मनुस्मृति को ही क्यों पढ़ाना चाहता था दिल्ली विश्वविद्यालय || Manusmriti || DU || Dr. Laxman Yadav
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मैं, लक्ष्मण यादव, Writer, Social Activist, Political Analyst, Expelled Assistant Prof., University of Delhi (बहिष्कृत असिस्टेंट प्रोफ़ेसर). सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक मसलों पर सोचना, समझना, पढ़ना, लिखना, बोलना और बातें करना अच्छा लगता है. सामाजिक न्याय की वैचारिकी से बेहद प्रभावित हूँ. सामाजिक न्याय के भीतर आर्थिक और लैंगिक न्याय का समर्थक हूँ. न्याय, समता और समानता पर आधारित मोहब्बत से सराबोर दुनिया का ख़्वाब देखता हूँ.
अगर आप भी मेरे हमख़्वाब होना चाहते हैं, तो मुझसे जुड़िये.
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आपके स्नेह और सहयोग के लिए धन्यवाद
~लक्ष्मण यादव (#drlaxmanyadav #delhiuniversity)
मनुस्मृति पढ़ाई नहीं जाएगी जगह जगह जलाई जाएगी। इंकलाब जिंदाबाद।
@@Akhilendra96 chamra ko isse jyada aata bhi nhi 😃😃
@@Akhilendra96 25 दिसंबर 1927 को भीम राव अम्बेडकर ने सार्वजनिक रूप से मनुस्मृति को जलाया था।
अब हमें इस दिन मनुस्मृति दहन दिवस मानवता उत्थान दिवस के रूप में हर वर्ष मनुस्मृति जलाकर तथा संविधान को आत्मसात कर उत्सव मनाने की आवश्यकता है।
,||🇮🇳
||) जयभीम
(|| जय भारत
||\ जय संविधान
🏫 🌹 ✍️🙏🙏✍️
@@RajKamal-cq6ed thank you so much, I salute u.
@@khageshkumarpatel6754han chamrs bahut acha hain patelon se scam mer kahike jao kisiko thug. ho idhar mat raho thug patel kahike
@@new-youthtabbi toh kharid ke jalaya godh.e
संविधान पढ़ा ना चाहिए था तो मनुस्मृति पढ़ा रहे हैं विश्वविद्यालयों में इससे सर्मनाक बात और क्या हो सकती है जय भीम जय भारत जय संविधान जय मुलनिवासी नमो बुध्दाय
LLB मे क्या पढ़ते है तब...
लॉ मे संबिधान ही पढ़ाते है बेवकूफ
@@gautammishra7299संविधान तो पढ़ते ही हैं तो तेरे पूर्वजों द्वारा लिखी हुई मानवता विरोधी घटिया किताब को पढ़ाना जरूरी है
@@gautammishra7299abe Delhi University ki baat ho rhi hai
@@Gautam1_3 DU me Law branch ki hi baat ho rhi hai
Education system me manuwadi ghuse huwe, Inka desh ke 85% bhartiyo ke khilaaf esa hi bartaw he jesa angrezo ka bhartiyo ke khilaaf tha, balki usase bhi bura.
मनुस्मृति नहीं पढ़ानी चाहिए लेकिन क्या करें वहां पर भी लोग मनुवादी ब्राह्मणवादी लोग बैठे हैं
@@MAURYAVANSHI2618 तो क्या अनपढ़ असभ्य आरक्षण के नाम पर चमार को बैठा दे इसके लिए योग्यता लाओ😃😃
तो सविधान को भी नही मानना चाहिए तेरे हिसाब से
Namo bhudhay Awaaz uthao sanvidhan padhao Desh sanvidhan se chalta hai manusmriti se nahin
@@user-nr1kc4no1m संविधान और मनुस्मृति दोनों को पढ़ाओ तभी दोनो में अंतर स्पष्ट होगा😃😃क्या सही क्या गलत का भी पता चलेगा😃😃
@@user-nr1kc4no1m गलत बात है दोनो आपने आपने जगह पर है
आप इसी तरह मनुवादी के खिलाफ आवाज उठाते रहिए हम सब आपके साथ हैं।
dheduvafi se ladavi samajik duri rakhe gav gav se 😂😂
@@dhannajaykushwaha7145 पहली बात तो मनुवादी मतलब पापा होता है दूसरी बात मनुस्मृति के खिलाफ बोलने से झाट फर्क नहीं पड़ेगा बाबा साहब भी खिलाफ बोल रहे थे ओ भी ऊपर चले गए और ये भी जायेगा बहुत जल्दी भगवान इसका आत्मा को नरक में बास दे जो बोलेगा खिलाफ उसको भी भगवान नरक में बास दे नीच आदमी नीच सोच
@@rajshrishahuraje4395 😂 arey marathi nikal idhar se jake chipkali se khudwa idhar rone mat aa chadar madar ?.?
तू भी नही रहेगा,बेशरम, निर्लज्ज इंसान @@deepakkr5509
अगर ये पढ़ाई जाए तो भारत में उपलब्ध पेरियार रचित सच्ची रामायण भी पढ़ाई जानी चाहिए!
एकदम सही तब समझ में आया
Jo kitan bharat ke obc sc st ko bhayank tor se marne katne ki baat karti h usse padhai jani chahiye ?kyu baat karte ho jo manusmriti ko manta h usse jada insaniyat janwaron me hota h samjh leni chahiye uss genocide kitab ko kabhi bhi university me nhi aani chahiye kyun ki hume bilkul wiswas h wo isme se sare katl ki bate hata ye gian iss kitab ko jayaz thehraye gain apne mann chahe milawat kar ke aur bachhaon ke dimag me manusmriti ko jayaz thehrane ki kosis kar rahe hain ye sajish h sach chhupanane ka rss ki sabse badi planning me se ek step h
👌💯💯💯💯✅
Jo log kahte he ki so called upper castes sudhar gaye he, unke purkho ke kiye ka unhe dosh nahi dena chahiye. Wo log samjhe ki wo nahi sudhare he, kewal uski acting karte he. Education system me manuwadi ghuse pade he, ye desh ke 85% logo ke khilaaf ese hi kaam karte he.
Jin brahmiyo se ek sui tak ka awiskaar nahi huwa. Wo khudko wiswa ka sabse intelligent batakar, merit ghotale karke, education system par kabza kiye bethe he.
मनुस्मृति हटाओ मनुवाद मिटाओ सारे बहुजन एक हो जाओ
दिल्ली विश्वविद्यालय में मनु वाद ब्राह्मण वाद जाति वाद पर आधारित पाठों को पढाये जाने पर आन्दोलन किया जाये और भारतीय संविधान को पढ़ाने पर जोर दिया दिया जाये
मनुस्मृति पढ़ने से समाज में हिंसा बढ़ेगा इसका हम घोर निन्दा करते हैं।
मनुस्मृति मुर्दा बाद।।।
संविधान जिंदाबाद जिंदाबाद।।
Jay Bheem Jay samvidhan
हिंदू धर्म के देवी देवताओं को मानना भी मनुस्मृति के बराबर है
चमारो के कोई देवता देवी नहीं होते वो तो बस चमड़ी के छाल निकालते हैं वो हिंदू थोडीना हैं😮😮
@@khageshkumarpatel6754abe Patel shudro tumahri jyadatar population shudra hi hai
Lnd@@khageshkumarpatel6754
Is desh me keval shanti rakhna hi bramano ka kam tha , rahi manu smriti ki baat wo ek vyangya hai , kyun ki sone ki chidiya bharat ko kewal brahmano ne nahi balki charo varn ne banai thi ,nimn vargo me vishwarma[ghar] vaisya[vyapar] chaurasiya[pan supadi] ityadi kaam unke the , brahmano ka kaam raja ko updesh dena vidhyalayo me padhana mandiron me pooja karna aur unko sampatti ka adhikar nahi tha chhuwachhut agar hoti uspar awasya uthani chahiye, 😊
@@khageshkumarpatel6754chamro ko gali de rehw ho tum v obc ho ,shudr ho
महाविद्यालय में मनुस्मृती पढ़ाने से भारत को हजारो वर्ष पुर्व समाजव्यवस्था में जो लोग ले जाना चाहते हैं उन्होंने पहिलें लंगोटी पहनकर जंगल में जाना चाहिए ताकी दुनिया भर में भारतीय को जंगली कहा जाय.
100% सही कहा भाई
Kuch logo ne nizi swarth me aakar manusmriti ka istemal karke desh ko itna kamjor kar diya ki desh ek hazaar saal tak gulam raha. Manuwadi ab bhi nahi sudhar rahe he.
कृपया मेरा जनरल कॉमेंट पढ़े। जय मूलनिवासी।
भागवत गीता पाखंड का पुलिंदा वाला किताब भी पढ़ाना चाहिए जय भीम
Mnu s. Jlane ki hi kitab hai pdane ki nhi
यह कृत्य दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा किया गया घोर निंदनीय ग़ैर ऐतिहासिक और असंवैधानिक है बहुजन कानूनविददों को कोर्ट में मुक़दमा करना चाहिए।
परियार साहब की सच्ची रामायण भी दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई जाय
संविधान और डॉ. भीमराव के नाम पर वोट मांगने वालों ने इसका विरोध क्यों नहीं किया?
Nahi karayenge Ambani ke Ghar gay Sambhidhan bachne vale jitne bhi neta the Sambhidhan bachne vale Sab neta 1 hi Jaise hai Janta Ko Bekhuf banate hai
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी को सैल्यूट करता हूं लक्ष्मण भैया आपकी बात से सहमत हूं प्रोफेसर की डायरी लिखकर अपने सही जानकारी दी मनुस्मृति मुर्दाबाद
जातिवाद ने बाबा साहेब डॉ भीम राव अम्बेडकर जी को कितना सताया था एक बार जब बाम्बे में पारसी धर्म के लोगों ने रातोंरात बाबा साहेब डॉ भीम राव अम्बेडकर जी को किराए के से बेरहमी से निकाल दिया था 😭😭😭 बाबा साहेब ने सुबह तक रूकने का आग्रह किया वह भी ठुकरा दिया था और बाबा साहेब बार बाहर आकर पहली बार फूट फूटकर रोये थे 😭😭😭😭 और उसी नफ़रती मनुस्मृति को स्कूल , कालेजों में पढ़ाया जाएगा तो साइंस या विज्ञान क्या करेगा 😢😢😢😢
सक्
Sambidhan padhana chahiye Jay bhim Jay sambidhan
पढ़ाया जाना चाहिए ताकि चमारों को अपना इतिहास पता चल सके😮😮
फिर से सामंतवादी व्यवस्था लाना चाहते हैं ब्राह्मण
देश में अगर घटिया मानसिकता वाले नेता रहेंगे तो देश को नर्क बना देंगे
हमारे देश के लोगों को चाहिए कि हर स्कूल कालेज में संविधान पढ़ाना अनिवार्य करने की मांग होना चाहिए।
जय ललई जय पेरियार
जय भीम जय सविंधान
DU को भारतीय संविधान को पढ़ाने को पप्राथमिकता देनी चाहिए
yes
आखिर धर्म को पाठ्यक्रम में जोड़ने का प्रयास है ताकि उच्च वर्ग खुले आम महिलाओं का शोषण कर सके 😭😭😭😭 चिंता का विषय 😢😢😢😢
जो भारत के संविधान की रक्षा करेगा संविधान उसकी रक्षा करेगा।❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
प्रो लक्ष्मण यादव जी आपको सादर जय भीम नमो budhay।आप बिल्कुल सही कह रहे हैं।
मर जायेंगे मगर मनुस्मृति नहीं आने देंगे अब भारत के मूलनिवासी जागरूक है
संविधान बदलने का मौका नहीं मिला तो यही करना है।
यह देश के संविधान के लिए बहुत ही खतरनाक है
No, देश संविधान से चलेगा
संविधान रक्षक आयेंगे,रक्षा के लिए
जय भीम जय संविधान
विश्वविद्यालय में मनुस्मृति पढ़ाना घोर निंदनीय है , यह कृत्य असंवैधानिक है , ग़ैर क़ानूनी है , इन पर कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए।
अब हर साल मनुस्मृति दहन दिवस धूमधाम से मनाया जाएगा बाबा साहब का जो जो मनुस्मृति दहन दिवस है इसी बार बार दोहराया जाएगा 22 प्रतिज्ञा का पालन होगा बुद्ध के मार्ग की और सम्राट अशोक को स्थापित किया जाएगा जय भीम जय भारत नमो बुद्धाय जयशंकर
हरएक मानव जन दो प्रकार से ब्राह्मण हैं। पहले तरह से मुख से ब्रह्मण नाममात्र हैं । मुख के सहयोग से चारो वर्ण कर्म होते हैं। दूसरे प्रकार से जब सबजन अपने कार्य का शिक्षण प्रशिक्षण आदान-प्रदान करते हैं।
और ज्ञान शिक्षण वैद्यन पुरोहित संगीत कर्म करने वाले द्विजन ( स्त्री-पुरुष) अध्यापक गुरूजन विप्रजन कर्मधारी ब्रह्मण होते हैं।
दिमाग सदुपयोग कर चार वर्ण और चार आश्रम का मतलब समझकर ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करवाओ।
विश्व विद्वान मित्रो!
जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से जन होते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को शरीर के चार अंग को समान माना गया है ।
जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी है और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है। इसलिए चरण समान वैश्य होता है। अत: किसी भी वर्ण को नामधारी वर्ण वाला बताकर मानकर सबजन को समान अवसर उपलब्ध है।
लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक जन अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा जन सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा जन उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा जन वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन कार्यरत है।
यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं।
दो विषय अलग अलग हैं जैसे कि वर्ण जाति और वंश ज्ञाति इनको को समझना चाहिए ।
स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि कहा जाता है ।
जबकि
वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है।
चार वर्ण कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) । इन्ही चतुरवर्ण में पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत होते हैं।
चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) । आयु आश्रम अनुसार जीवन प्रबंधन किया जाता है।
यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर सोच सुधार करें और प्रिंट सुधार करें।
बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
जब तक बटे रहोगे तब तक चंद लोग ही राजकरेंगे
ताकि ब्राह्मण जजों को मनुवादी फैसला सुनाने में आसानी हो भारत पर फिर से मनुवाद ठोकने की तैयारी हो रही है स्कूल कॉलेज में संविधान कब पढ़ाया जाएगा
जब मनुस्मृति कानून के विद्यार्थी को पढ़ाना आवश्यक है तो फिर शरीयत को भी शामिल कर लेना चाहिए।
Ap snvidhan ki bat kro samjhe kisi dharm granth ki nhi pakistan nhi bnana h 😡😡
सर इस बर्बादी के जिम्मेदार हम खुद आदिवासी,दलित और पिछड़े हैं हम आपस में इतने बटे हुए हैं कि इनका स्पष्ट षड्यंत्र देखते हुएभी हम अपने स्वार्थ को नहीं त्याग रहे हैं और एकजुट भी नहीं हो पा रहे हैं इसलिए ब्राह्मण के हाथ में सत्ता है और शायद आगे भी रहेगा इसलिए ब्राह्मण अपने ब्राह्मणी व्यवस्था का षड्यंत्र रचना में कामयाब होता रहेगा और आगे भी रहेगा
*सावधान होशियार देश में अघोषित आपातकाल लागू किया जा चुका है, और यह आपातकाल श्रीमती इंदिरा गांधी के घोषित आपातकाल से भी ज्यादा भयावाह और नैतिक रूप से गिरी हुई स्थिति में है।*
जाति पाति, पाखंड, अन्धविश्वास, ऊँच नीच बनाये रखना चाहते हैं। विभाजनकारी नीति इनकी रणनीति हमेसा से रही है। सीधी सी बात है जिसका सम्मान इसमें नहीं है उसे विरोध करना चाहिए। संविधान और डाक्टर भीमराव अम्बेडकर अपमान करना चाहते हैं।
हरएक मानव जन दो प्रकार से ब्राह्मण हैं। पहले तरह से मुख से ब्रह्मण नाममात्र हैं । मुख के सहयोग से चारो वर्ण कर्म होते हैं। दूसरे प्रकार से जब सबजन अपने कार्य का शिक्षण प्रशिक्षण आदान-प्रदान करते हैं।
और ज्ञान शिक्षण वैद्यन पुरोहित संगीत कर्म करने वाले द्विजन ( स्त्री-पुरुष) अध्यापक गुरूजन विप्रजन कर्मधारी ब्रह्मण होते हैं।
दिमाग सदुपयोग कर चार वर्ण और चार आश्रम का मतलब समझकर ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करवाओ।
विश्व विद्वान मित्रो!
जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से जन होते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को शरीर के चार अंग को समान माना गया है ।
जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी है और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है। इसलिए चरण समान वैश्य होता है। अत: किसी भी वर्ण को नामधारी वर्ण वाला बताकर मानकर सबजन को समान अवसर उपलब्ध है।
लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक जन अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा जन सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा जन उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा जन वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन कार्यरत है।
यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं।
दो विषय अलग अलग हैं जैसे कि वर्ण जाति और वंश ज्ञाति इनको को समझना चाहिए ।
स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि कहा जाता है ।
जबकि
वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है।
चार वर्ण कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) । इन्ही चतुरवर्ण में पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत होते हैं।
चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) । आयु आश्रम अनुसार जीवन प्रबंधन किया जाता है।
यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर सोच सुधार करें और प्रिंट सुधार करें।
बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
मनुस्मृति पढ़ाई जाएगी तभी जलाई जाएगी
मुफ्त राशन,गैस,किसान सम्मान निधि,के एवज में भले ही हाथ पैर बांधकर पिजड़े में बन्द कर दिया जाय सब चलेगा।sc,St,obc अपनी पुरानी ब्यवस्था में लौटने के लिए आतुर हैं।।
Ye to khas kar tum jaise ko samajhna chahiye !
जाति से निकलकर वैज्ञानिकता को धारण करते हुए सामूहिकता के साथ वर्ग बन शक्ति बन जाएं समाधान प्राप्त हो जाएगा।
Jai Samvidhan
savidhan ke mathe shriram 💪💪
I am a Loco Pilot at IR , OBC running branch president . Can I get Dr Laxman Singh`s email id
I am a Loco Pilot at IR , OBC running branch president . Can I get Dr Laxman Singh`s email id
सिलेबस डिजाइन करने वाले लोग मनुवादी है तो वह अपना जातिवाद ही फेलाएंगे यह मनुवादी लोग सिलेबस में संविधान को बढ़ाने की बात नहीं कहेंगे
हरएक मानव जन दो प्रकार से ब्राह्मण हैं। पहले तरह से मुख से ब्रह्मण नाममात्र हैं । मुख के सहयोग से चारो वर्ण कर्म होते हैं। दूसरे प्रकार से जब सबजन अपने कार्य का शिक्षण प्रशिक्षण आदान-प्रदान करते हैं।
और ज्ञान शिक्षण वैद्यन पुरोहित संगीत कर्म करने वाले द्विजन ( स्त्री-पुरुष) अध्यापक गुरूजन विप्रजन कर्मधारी ब्रह्मण होते हैं।
दिमाग सदुपयोग कर चार वर्ण और चार आश्रम का मतलब समझकर ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करवाओ।
विश्व विद्वान मित्रो!
जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से जन होते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को शरीर के चार अंग को समान माना गया है ।
जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी है और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है। इसलिए चरण समान वैश्य होता है। अत: किसी भी वर्ण को नामधारी वर्ण वाला बताकर मानकर सबजन को समान अवसर उपलब्ध है।
लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक जन अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा जन सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा जन उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा जन वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन कार्यरत है।
यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं।
दो विषय अलग अलग हैं जैसे कि वर्ण जाति और वंश ज्ञाति इनको को समझना चाहिए ।
स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि कहा जाता है ।
जबकि
वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है।
चार वर्ण कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) । इन्ही चतुरवर्ण में पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत होते हैं।
चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) । आयु आश्रम अनुसार जीवन प्रबंधन किया जाता है।
यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर सोच सुधार करें और प्रिंट सुधार करें।
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मनुस्मृति तो महिला और शुद्र को पढ़ने से रोकती है ये देश में क्या हो रहा है 😢
ओबीसी एससी एसटी के नेताओं को हम लोग अपने जाति का समझ करके वोट देदेते हैं और वह नेता मनुवादी सरकार का समर्थन कर रहे हैं । ऐसे में समस्या का समाधान कैसे होगा?
Laxman Yadav Tum sangharsh karo ham tumhare sath hai..
यह सब कारनामा एक खास विचारधारा के कहने पर हो रहा है समय आने के बाद सब का जवाब दिया जाएगा।
भैया आप आगे बढ़ो हम आपके साथ है जय भीम 🙏
भाई मैं ब्राह्मण होकर भी मनुस्मृति का विरोध करता हूं.. और आजीवन करता रहूंगा.... में अपने सभी दलित पिछड़े और ब्रह्मण भाईयो से ये प्राथना करता हूं की वो बीजेपी के विरोध में वोट डाले... आज जो मुस्लिम का हाल है वोही ब्राह्मण का हाल होगा क्योंकि बीजेपी एक नीच पार्टी है जिस पार्टी ने आज़ादी का विरोध किया हो... वो साले देश के क्या सगे होंगे!!
बहुत हुआ अब जनता को रोड पर निकलना चाहिए
Jay Bhim Namo Buddhay ❤️🙏
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर के विचारो की नारी.. पड गई मनुस्मृती पर भारी.. मनसमुर्ती डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने जला दी थी ! अब उसी मनुस्मृती को देश की राष्ट्र कन्या, नारी, माता- बहण दुबारा जला देगी ..❤
न्याय प्रिय बहुजन समाज जागो और जगाओ जानो अपने हक और अधिकार को पहचानो वक्त है जागो जागो।
जिस संविधान को पुरी दुनिया अपनाना चाहती है बाबासाहेब आंबेडकर जयंती पुरी दुनिया मना भी रहीं हैं उस देश में संविधान का अपमान किया जाता हैं बड़ी शर्म की बात हैं ये देश का सर झुकाता जा रहा है इस देश मे जितना सरकार जिम्मेदार है उतना ही देश का एक एक नागरिक जिम्मेदार है
जय भीम जय संविधान जय भारत नमो बुद्धाय
जय भीम जय किसान
Namo budhay ❤
संविधान शुरु से पढाई ज|नी च|हिऐ भ|जप| संविध|न विरोधी है जय भीम जय संविथ|न जय पीडीए जय बहुजन
गधेड़ा सभी क्लास में संविधान पढ़ाया जाता है😮😮
सवाल यह नहीं है की सबसे ज्यादा पुराना धर्म कौन सा है सवाल यह है की सबसे ज्यादा झूठ पाखंडी कर्म कांड अंधविश्वासी भगवान किस धर्म में बनाए गए हैं
सबसे ज्यादा उच्च नीच छुआछूत भेदभाव जातिवाद किस धर्म में पैदा किया गया है
सबसे ज्यादा इंसानों को दलित शुद्र जानवर बनाकर महिलाओं का अपमान किस धर्म में किया गया है महिलाओं को स्तन ढकने का हक किस धर्म ने रोका है।
Manuvadio ka dharm to purana bhi nhi h chori ka maal h. Usi me apni gandgi mila k bana liya h manuvad dharm.Science journey channel pe inki history ki Puri khudai jaari rahti h with reserch hawa me nhi😂
शिक्षित द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) सबजन को समान अवसर उपलब्ध है वे किसी भी वर्ण कर्म विभाग के कार्य करके किसी भी वर्ण कर्म को मानकर बताकर जी सकते हैं इसलिए जो मानवजन ऊच नीच की बात करते रहते हैं उनको इस पोस्ट को पढ़कर समझकर ज्ञान प्राप्त करना चाहिए और अज्ञान मिटाई करना चाहिए । ऊचा नीचा पदवि विभाग ( जाति वर्ण) के कार्य करने का और मानने का पौराणिक वैदिक सनातन दक्ष धर्म संस्कार विधि-विधान नियम अनुसार सबजन को समान अवसर उपलब्ध है।
चार वर्ण कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम।
चार वर्ण कर्म को करने वाले मानव पांचजन = ( अध्यापक ब्राह्मण + सुरक्षक क्षत्रिय + उत्पादक शूद्राण + वितरक वैश्य ) × दासजन/ जनसेवक।
= ( ब्रह्मण अध्यापक + क्षत्रिय सुरक्षक + शूद्राण उत्पादक + वैश्य वितरक) × दासवर्ग /ऋषिवर्ग।
= सतसेवा ज्ञान शिक्षण ब्रह्म कर्म + रजसेवा ध्यान न्याय क्षत्रम कर्म सुरक्षण + तपसेवा उत्पादण निर्माण शूद्रम कर्म + तमसेवा वितरण वाणिज्य वैशम कर्म।
= ( शिक्षा सेवा+ सुरक्षा सेवा + उद्योग सेवा + व्यापार सेवा ) × दाससेवा/ ऋषिसेवा/ नौकरसेवा /जनसेवा।
जन्म से सबजन दस इंद्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और हरएक मानव जन मुख, बांह, पेट और चरण चार अंग समान लेकर जन्म लेते हैं । इसलिए जन्म से सबजन बराबर होते हैं । मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटऊरू समान शूद्रण और चरण समान वैश्य सबजन होते हैं, चरणपांव चलाकर ही क्रय विक्रय वाणिज्य वित्त वितरण व्यापार ट्रांसपोर्ट वैशम वर्ण कर्म करते हैं ।
वेतनमान पर चतुरवर्ण में कार्यरत ऋषिजन जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन होते हैं।
आयु उम्र अनुसार चार आश्रम परिवार कल्याण के लिए निर्मित हैं जैसे कि
ब्रह्मचर्य आश्रम + गृहस्थ आश्रम + वानप्रस्थ आश्रम+ यति आश्रम। पौराणिक वैदिक सनातन दक्ष धर्म संस्कार विधि-विधान नियम अनुसार चार वर्ण कर्म और चार आयु आश्रम अनुसार श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन करना चाहिए।
चतुर वर्णाश्रम प्रबन्धन - श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन।
सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार। जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम्। ॐ।
पोस्ट निर्माता बुद्धप्रकाश प्रजापत। इस पोस्ट को कापी कर अन्य सबजन को भेजते रहें और सोच सुधार प्रिंट सुधार करवाते रहें ।
हरएक मानव जन दो प्रकार से ब्राह्मण हैं। पहले तरह से मुख से ब्रह्मण नाममात्र हैं । मुख के सहयोग से चारो वर्ण कर्म होते हैं। दूसरे प्रकार से जब सबजन अपने कार्य का शिक्षण प्रशिक्षण आदान-प्रदान करते हैं।
और ज्ञान शिक्षण वैद्यन पुरोहित संगीत कर्म करने वाले द्विजन ( स्त्री-पुरुष) अध्यापक गुरूजन विप्रजन कर्मधारी ब्रह्मण होते हैं।
दिमाग सदुपयोग कर चार वर्ण और चार आश्रम का मतलब समझकर ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करवाओ।
विश्व विद्वान मित्रो!
जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से जन होते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को शरीर के चार अंग को समान माना गया है ।
जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी है और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है। इसलिए चरण समान वैश्य होता है। अत: किसी भी वर्ण को नामधारी वर्ण वाला बताकर मानकर सबजन को समान अवसर उपलब्ध है।
लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक जन अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा जन सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा जन उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा जन वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन कार्यरत है।
यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं।
दो विषय अलग अलग हैं जैसे कि वर्ण जाति और वंश ज्ञाति इनको को समझना चाहिए ।
स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि कहा जाता है ।
जबकि
वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है।
चार वर्ण कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) । इन्ही चतुरवर्ण में पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत होते हैं।
चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) । आयु आश्रम अनुसार जीवन प्रबंधन किया जाता है।
यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर सोच सुधार करें और प्रिंट सुधार करें।
बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
नमो बुद्धाय नमो अशोकय नमो अंग्रेजाया...
जय जोतिराव जय भीमराव जय संविधान...
डॉ लक्ष्मण यादव जी आप का लोगो को जाग्रत करना सही है आप और हम जैसे लोग क्या चाहते हैं की परम पूज्य बाबा साहेब डॉ भीमराव आम्बेडकर जी (भारतीय संविधान) बना रहे
आप जैसे बहुत लोग हैं जो भारतीय संविधान को पढ़े हैं और इस संविधान को मूलनिवासी बहुजन समाज जरूर अपनाने में सफल होंगे यही भारतीय का सबसे बड़ा आधार है मैं इतना ही कह सकता हूं जी
आपका बहुत बहुत शुक्रिया
जो चमार क्रिस्चियन अंग्रेजों को जो केवल भारत ही नहीं कई देशों को गुलाम बनाया अपार धन संपत्ति लूटे को सही बताता है वो वाकई कल भी असभ्य थे आज भी है जो देश द्रोह से कम नहीं😮😮😮
मनुस्मृति पुन: दहन हो।।
Dr.Laxman yadav ji aapki himmat ko Salam..jai Bhim jai Savidhan ❤
जय भीम जय संविधान
आपने सही कहां प्रोफेसर जी इस व्यवस्था को कैसे हटाए इस बारे में भी लोगों को अवेयर करें मैदान में उतरे और राजनीति की चाबी अपने हाथ में लें सच्चाई कभी छुपी नहीं है खुद ओबीसी के विद्यार्थी या ओबीसी के लोग हिंदू धर्म को पोषित करने में लगे हुए हैं
Jai bhim Jai samvidhan 🙏🙏🙏🙏🙏
काश उन नेताओं को समझ में आता जो ऐसी पार्टी के साथ है और अपने को पिछड़ी जाति अनुसूचित जाति जन जाति के नायक कहते हैं महज अपने सुख के लिये।दिखावे के इन नेताओं को काश जनता सबक सिखाती जो समाज के हित को नजर अंदाज कर के उस पार्टी में बने हुए हैं।लाख लाख धन्यवाद आपको कि आप अपने दम पर सच आम लोगों के सामने ला रहे हैं।
Jay bheem
लाज़वाब विश्लेषण,ये मनुवादी एवं ब्राह्मणवादी इस विश्लेषण पर सहमत होगा।
जागो बहुजनों और बीजेपी एवं मनुवादियो की जड़ को मिटाने के संकल्प ले।
मनुस्मृति का असली जड़ RSS मोहन भागवत
हमें इन चीजों पर एक ही तरह से काम करना पड़ेगा बस जिस तरह से चुनाव में हम लोगों को अपने वर्चस्व बनाएं रखना है और इसका लोकसभा और राज्यसभा में पकड़ मजबूत बनाए रखनी। है तभी हमारा कुछ उद्धार होगा
जय भीम
Jai bheem nmo budhay 💙
सलाम है ऐसे गुरुजनों की जो आज भी दलित व पिछड़ा जाति मुद्दे पर सवाल उठाते हैं और अपने कर्तव्य का सफलपूर्वाक निर्वाहन करते हैं...सर जो बच्चा उच्छ दृष्टिकोन का होगा वो आपकी बातों से अवश्य सहमत होगा.. जय भीम जय संविधान 😊
मनुस्मृति नहीं संविधान पढ़ाओ जय भीम
Apne ghar pe😂😂😂
Jay bhim namo buddhay ❤
Ac st OBC यानी बहुजन समाज को इससे कोई मतलब नही है हमें पढ़ना किया है जय भीम जय संविधान
Ghanta in sab ka admission hee nahi ho pata hai OBC ews or gernal walo ko isliye hame ko tension hee nahi hai savidhan purana wala hoga to padenge congress ka nahi resarvation hatega tab kuch baat hoga manusmriti nahi padna bhagwat Geeta phadna hai savidhan me se secular word hatawo
Jai bhim jai samvidhan namo buddhay😊😊😊
Namo buddhay Jay Bheem Jay Bharat❤
You are right 👍 sar
नफरत भगाए और भारत देश बचाए
मनुस्मृति एक डायन है जो इंसान इंसान में भेद पैदा करती है
चमार लोग कब से डायन को मानने लगे😮😮
You are very good sir ji
Good job laxmanji hindu dharam ke naam sey aur sanskriti key naam sey brahman vyavastha thopi ja rahey hai logo ko jagruk hona padega wake up people 🙏
अमानवीय प्रथा को बाबा साहेब जी जला दिया, क्यों कि बाबा साहेब जी ने कहा मेरी बुद्धि में बैठती है, चैनल का शुक्रिया, जागो और जगाओ, जय संविधान
शिक्षित द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) सबजन को समान अवसर उपलब्ध है वे किसी भी वर्ण कर्म विभाग के कार्य करके किसी भी वर्ण कर्म को मानकर बताकर जी सकते हैं इसलिए जो मानवजन ऊच नीच की बात करते रहते हैं उनको इस पोस्ट को पढ़कर समझकर ज्ञान प्राप्त करना चाहिए और अज्ञान मिटाई करना चाहिए । ऊचा नीचा पदवि विभाग ( जाति वर्ण) के कार्य करने का और मानने का पौराणिक वैदिक सनातन दक्ष धर्म संस्कार विधि-विधान नियम अनुसार सबजन को समान अवसर उपलब्ध है।
चार वर्ण कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम।
चार वर्ण कर्म को करने वाले मानव पांचजन = ( अध्यापक ब्राह्मण + सुरक्षक क्षत्रिय + उत्पादक शूद्राण + वितरक वैश्य ) × दासजन/ जनसेवक।
= ( ब्रह्मण अध्यापक + क्षत्रिय सुरक्षक + शूद्राण उत्पादक + वैश्य वितरक) × दासवर्ग /ऋषिवर्ग।
= सतसेवा ज्ञान शिक्षण ब्रह्म कर्म + रजसेवा ध्यान न्याय क्षत्रम कर्म सुरक्षण + तपसेवा उत्पादण निर्माण शूद्रम कर्म + तमसेवा वितरण वाणिज्य वैशम कर्म।
= ( शिक्षा सेवा+ सुरक्षा सेवा + उद्योग सेवा + व्यापार सेवा ) × दाससेवा/ ऋषिसेवा/ नौकरसेवा /जनसेवा।
जन्म से सबजन दस इंद्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और हरएक मानव जन मुख, बांह, पेट और चरण चार अंग समान लेकर जन्म लेते हैं । इसलिए जन्म से सबजन बराबर होते हैं । मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटऊरू समान शूद्रण और चरण समान वैश्य सबजन होते हैं, चरणपांव चलाकर ही क्रय विक्रय वाणिज्य वित्त वितरण व्यापार ट्रांसपोर्ट वैशम वर्ण कर्म करते हैं ।
वेतनमान पर चतुरवर्ण में कार्यरत ऋषिजन जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन होते हैं।
आयु उम्र अनुसार चार आश्रम परिवार कल्याण के लिए निर्मित हैं जैसे कि
ब्रह्मचर्य आश्रम + गृहस्थ आश्रम + वानप्रस्थ आश्रम+ यति आश्रम। पौराणिक वैदिक सनातन दक्ष धर्म संस्कार विधि-विधान नियम अनुसार चार वर्ण कर्म और चार आयु आश्रम अनुसार श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन करना चाहिए।
चतुर वर्णाश्रम प्रबन्धन - श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन।
सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार। जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम्। ॐ।
पोस्ट निर्माता बुद्धप्रकाश प्रजापत। इस पोस्ट को कापी कर अन्य सबजन को भेजते रहें और सोच सुधार प्रिंट सुधार करवाते रहें ।
हरएक मानव जन दो प्रकार से ब्राह्मण हैं। पहले तरह से मुख से ब्रह्मण नाममात्र हैं । मुख के सहयोग से चारो वर्ण कर्म होते हैं। दूसरे प्रकार से जब सबजन अपने कार्य का शिक्षण प्रशिक्षण आदान-प्रदान करते हैं।
और ज्ञान शिक्षण वैद्यन पुरोहित संगीत कर्म करने वाले द्विजन ( स्त्री-पुरुष) अध्यापक गुरूजन विप्रजन कर्मधारी ब्रह्मण होते हैं।
दिमाग सदुपयोग कर चार वर्ण और चार आश्रम का मतलब समझकर ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करवाओ।
विश्व विद्वान मित्रो!
जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से जन होते हैं और संस्कार से द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म,क्षत्रम, शूद्रम और वैशम वर्ण विभाग को शरीर के चार अंग को समान माना गया है ।
जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी है और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है। इसलिए चरण समान वैश्य होता है। अत: किसी भी वर्ण को नामधारी वर्ण वाला बताकर मानकर सबजन को समान अवसर उपलब्ध है।
लेकिन जब पांचजन सामाजिक कर्मी हैं तो एक जन अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा जन सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा जन उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा जन वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन कार्यरत है।
यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं।
दो विषय अलग अलग हैं जैसे कि वर्ण जाति और वंश ज्ञाति इनको को समझना चाहिए ।
स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि कहा जाता है ।
जबकि
वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है।
चार वर्ण कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) । इन्ही चतुरवर्ण में पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत होते हैं।
चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) । आयु आश्रम अनुसार जीवन प्रबंधन किया जाता है।
यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर सोच सुधार करें और प्रिंट सुधार करें।
बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन को ब्रह्मण बनाएं ।
Sir ! आपका साहस असाधारण और अत्यंत सराहनीय है। देश को जागरुक करने का आपका प्रयास और बाबा साहब एवं बुद्ध के सपनों यह देश एक दिन अवश्य अपने स्वरुप को प्राप्त होगा।
❤ जय भीम जय भारत जय संविधान।
You are absolutely right agreed Mr laxman your are taking very very good step advocate dharamvir singh
जो व्यक्ति इस तरह कि बात करते हैं कि मनुस्मृति को पढ़ना चाहिए, वो असल जातिवाद की बढ़वा दे, रहे हैं
जय भीम नमो बौद्ध जय संविधान
ये अल्पसंख्यक नकली बुद्धिस्ट तो बोलेंगे ही मौका जो मिल गया😮😮
जिससकी सरकार होती है उसकी शिक्षा नीती होती है।
लोक एकता पाटीॅ
जन अधिकार पार्टी
Sambidhan padana chahiye
Jay bhim Jay sambidhan
पूरे देश में आंदोलन होगा,,
Brother you are right ✅️ and brother you are very Very great work 👏 Jay bhim 🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Great 👍 सभी शिक्षित लोगों को सोचना चाहिए
manusmriti se samaj ko khatra hai
aap ka bhut -2 dhnyawad hme jankari ke lye
Jay bhim Jay sanvidhan
Jai bhim, namo Budhay.
Jai bhim namo budhay 🙏🙏🙏
Jai bheem
ये सरकार जाने के बाद मंदिर के पुजारी भी ब्राह्मण नही रहेगा,जागरण obc,sc,st
ये चमारो की गलतफहमी है😮😮
@@khageshkumarpatel6754 मंदिर का आरक्षण गया,नही तो हिंदू पंथ गया
@@Worldfaimly ये अम्बेडकर की तरह कोई दी गई जागीर नही है तभी तो एक भी चमार आजतक सभ्य नही हुए नही ब्राम्हण बन सके नीचता तो उनके रग रग में है😃😃कितना भी पढ़ लो ब्राम्हण से आगे निकल ही नहीं सकते क्योंकि चारी करने में जो लगे हो
Jay bhim
आने वाले समय में मनुस्मृति को लोग खुद जलाएंगे संविधान है और रहेगा क्योंकि देश संविधान से चलता है न की काल्पनिक मनुस्मृति से जय भीम जय संविधान जय भारत 💪💙🇮🇳🙏
अपना देश यही कारण से पीछे है की पाखंड को ज्यादा महत्व देते है है हर कंट्री आगे बढ़ रही हैं भारत अभी भी 21 बी शताब्दी में पाखंड से मुक्त नहीं हुआ सर