ज्वालामुखी का जन्म कैसे हुआ? (How Jwalamukhi was born?)

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  • เผยแพร่เมื่อ 21 ก.ย. 2023
  • ज्वालामुखी हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर देवी ज्वालामुखी को समर्पित है, जो देवी दुर्गा का एक रूप है। यह मंदिर अद्वितीय है क्योंकि इसमें कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि नौ प्राकृतिक रूप से प्रज्वलित ज्योतियां हैं, जिन्हें ज्वाला कहा जाता है। इन ज्वालाओं को माता ज्वालामुखी का स्वरूप माना जाता है।
    इस वीडियो में हम आपको बताएंगे कि ज्वालामुखी का जन्म कैसे हुआ? ज्वालामुखी की उत्पत्ति के पीछे कई कथाएं हैं, लेकिन सबसे प्रचलित कथा यह है कि ज्वालामुखी की उत्पत्ति तब हुई जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में अपनी आहुति दे दी थी। देवी सती के पति भगवान शिव उनके शव को लेकर तांडव नृत्य करने लगे, जिससे पूरा ब्रह्मांड कांप उठा। तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से देवी सती के शव को 51 टुकड़ों में काट दिया। देवी सती के शरीर के अंग जहां-जहां गिरे, वहीं-वहीं शक्तिपीठ बन गए। ज्वालामुखी इन 51 शक्तिपीठों में से एक है।
    ज्वालामुखी की उत्पत्ति के पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं। ज्वालामुखी एक ज्वालामुखी क्षेत्र में स्थित है, जहां पृथ्वी की पपड़ी पतली होती है। इस कारण, गर्म मैग्मा पृथ्वी की सतह के करीब आ जाता है और कभी-कभी बाहर निकल आता है। यह मैग्मा ज्वालामुखी के ज्वालाओं का स्रोत है।
    ज्वालामुखी एक हिंदू तीर्थस्थल के साथ-साथ एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक धरोहर भी है। यह वीडियो आपको ज्वालामुखी के जन्म के इतिहास और वैज्ञानिक कारणों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा।
  • วิทยาศาสตร์และเทคโนโลยี

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