MARKANDESHWAR DHAAM KI RAKSHA PART-02 | Ajari Shiv Dhaam | Maa Saraswati Dhaam | Raawal Samaaj ||

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  • เผยแพร่เมื่อ 19 ก.ย. 2024
  • 800 सालों से भी ज्यादा,पुरे रावल समाज ने,धार्मिक शक्तियों को संभाल कर ,हमारे मंदिरों की रक्षा की ,
    रावल समाज के सभी ब्राह्मणो को पुरे हिन्दू समाज की तरफ से, कोटि कोटि प्रणाम,
    MARKANDESHWAR DHAAM KI RAKSHA PART-02 #Ajari Shiv Dhaam#Maa Saraswati Dhaam
    #Raawal Samaaj | #aapnaandaj.newstamilnadu
    वीडियो देखने वाले भक्तों से मेरी विनंती है की आप इस विडिओ को ज्यादा से ज्यादा कैसे वायरल करे
    ताकि रावल समाज के पुजारियों का मान और इज्जत बढे
    मार्कण्डेय ऋषि के माता-पिता का नाम उनके परम पिता मृगायु और माता अरुंधती थे। उनके पितामह का नाम भगवान ब्रह्मा था।मार्कण्डेय ऋषि भगवान ब्रह्मा के कौलीन थे और उनका गोत्र भारद्वाज था। इनके वंशज का वर्णन पुराणों में मिलता है।
    वेदव्यास के 'मार्कण्डेय पुराण' में मार्कण्डेय ऋषि के वंशजों का विस्तृत वर्णन है। उनके पुत्रों में प्रमुख थे महाराज शतनन्द, जिनकी पत्नी का नाम था श्यामा। शतनन्द के एक सन्तान का नाम था भरद्वाज, जिन्होंने उपदेश दिया था और वे अपने शिष्य दौर्वास ऋषि को जन्म देने वाले थे। दौर्वास ऋषि के बाद उनके पुत्र अपेक्षित हुए, जिनमें प्रमुख थे विश्रवा, विश्रवा की पत्नी ने अपने पुत्र का नाम विश्वामित्र रखा था। विश्वामित्र ऋषि फिर और भी अत्यधिक प्रसिद्ध हुए। इस प्रकार, मार्कण्डेय ऋषि के वंशजों का विस्तृत वर्णन है।
    भारत में कई स्थानों पर मार्कण्डेय जन्मोत्सव के अवसर पर मेले और उत्सव आयोजित किए जाते हैं। इनमें से कुछ स्थानों पर मार्कण्डेय जन्मोत्सव के दौरान स्थानीय मंदिरों में रथ यात्राएं और पारंपरिक उत्सव होते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में यह मेला चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को होता है। इन मेलों में स्थानीय नृत्य, संगीत, और उत्सवी गतिविधियों का आनंद लिया जाता है।
    विभिन्न क्षेत्रों में मार्कण्डेय जयंती और मेलों का आयोजन किया जाता है, जैसे कि उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, आदि। इन स्थानों पर भगवान मार्कण्डेय के उत्सव को धूमधाम से मनाया जाता है, और लोग उनकी कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं।भारत में मार्कण्डेय ऋषि की जन्म-तिथि को विशेषत: मनाया जाता है। इसे "मार्कण्डेय जयंती" या "मार्कण्डेय जन्मोत्सव" के रूप में मनाया जाता है। मार्कण्डेय जयंती को हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है, जो कई स्थानों पर "चैत्र कृष्ण चतुर्दशी" या "महाचैती" के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन भगवान मार्कण्डेय की पूजा, अर्चना और भक्तों द्वारा समारोहों का आयोजन किया जाता है।
    तमिलनाडु में मार्कण्डेय ऋषि के कई मंदिर और तीर्थ स्थल हो सकते हैं, लेकिन मुझे सटीक संख्या का ज्ञान नहीं है। वहाँ भगवान शिव के अनेक मंदिरों में मार्कण्डेय ऋषि को समर्पित स्थान हो सकते हैं, क्योंकि वे शिव के परम भक्त माने जाते हैं। इन मंदिरों में आमतौर पर मार्कण्डेय ऋषि की मूर्तियाँ और प्रतिमाएं स्थापित होती हैं, जहां भक्तगण उनकी पूजा अर्चना करते हैं और उनके आशीर्वाद का आनंद लेते हैं।
    मार्कण्डेय ऋषि ने भगवान शिव की अत्यंत भक्ति की थी, और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया था। शिव ने यमराज को अनुमति नहीं दी कि उन्हें मार्कण्डेय ऋषि का प्राण लेने का अधिकार दिया जाए, क्योंकि मार्कण्डेय ऋषि के तपस्या और भक्ति की शक्ति ने उन्हें अमर बना दिया था। इस प्रकार, यमराज ने मार्कण्डेय ऋषि को प्राण नहीं लेने का निर्णय किया।
    इस घटना से हमें यह सिखने को मिलता है कि भगवान के भक्त की भक्ति और निष्ठा उसे हर परिस्थिति में सुरक्षित रखती है और उसे अनंत आशीर्वाद प्रदान करती है।मार्कण्डेय ऋषि के अमरत्व का कथात्मक वर्णन महाभारत में है। अनुसार, यमराज ने भी मार्कण्डेय ऋषि का जीवन लेने का प्रयास किया था, लेकिन उन्हें यमराज के द्वार पर ही लिप्त नहीं किया जा सका। मार्कण्डेय ऋषि के ध्यान और भक्ति की शक्ति ने उन्हें अमर बना दिया था। यमराज को इसका ज्ञान हो गया और उन्होंने अंततः मार्कण्डेय ऋषि को मृत्यु के ग्रहण से मुक्त कर दिया। इस प्रकार, मार्कण्डेय ऋषि की अमरत्व की विशेषता उनके ध्यान, तपस्या, और भक्ति के प्रति उनके परमात्मा के प्रति निष्ठा के कारण थी, जिसके चलते उन्हें यमराज की प्रभुता के भीतर भी कोई हानि नहीं हो सकी।
    जी हां, यमराज का कार्य होता है प्राण लेना, लेकिन मार्कण्डेय ऋषि के मामले में अनोखी परिस्थिति थी। यमराज ने तो मार्कण्डेय ऋषि का प्राण लेने की कोशिश की थी, लेकिन उनकी अत्यंत अद्भुत तपस्या और ध्यान की शक्ति के कारण यमराज उन्हें छू नहीं सके।
    अजारी में मार्कण्डेय ऋषि ने अपने तपस्या का अभ्यास किया और अपने आध्यात्मिक साधना का प्रयास किया। उन्होंने यहाँ पर अपने जीवन का बड़ा हिस्सा बिताया और लोगों को धर्मिक उपदेश दिया।
    मार्कण्डेय ऋषि की जीवन अवधि के बारे में स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन परंपरागत धारणा अनुसार, वे अत्यंत प्राचीन काल से ही इस भूमि पर निवास कर रहे हो सकते हैं। उनकी अमरत्व के कथानक भी महाभारत में मिलते हैं, जिससे यह साबित होता है कि उनकी आयु बहुत लंबी थी। अतः, उन्होंने अजारी में अपने जीवन का बहुत बड़ा समय बिताया हो सकता है।अजारी में मार्कण्डेय शिव धाम का भव्य और पवित्र वातावरण शिव भक्तों को आत्मा की शांति और आनंद प्रदान करता है। यहां का दर्शन करने से भक्तगण अपने मन को शुद्ध करते हैं और भगवान शिव के आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं।मार्कण्डेय शिव धाम के पास अजारी गांव में स्थित अजारी झील भी एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यहां के प्राकृतिक सौंदर्य और शांति का आनंद लेने के लिए लोग आते हैं।
    मार्कण्डेय ऋषि की यात्रा के विषय में विस्तृत जानकारी विद्यमान नहीं है, लेकिन अनुपलब्ध कालांकन के अनुसार, उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अपने तपस्या और ध्यान के लिए यात्रा की हो सकती है। उनकी यात्रा का अधिकांश स्थल और विवरण पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में उल्लिखित है।

ความคิดเห็น • 26

  • @ganpatsinghrao6623
    @ganpatsinghrao6623 2 ปีที่แล้ว +1

    Har Har Mahadev

  • @rajendragulechha6867
    @rajendragulechha6867 2 ปีที่แล้ว +1

    सुंदर जानकारी।

  • @pankajcmavani999
    @pankajcmavani999 2 ปีที่แล้ว +1

    आगे ऐसी सुंदर जानकारी मीलते रहे ऐसी पाथँना कर्ता हु

  • @priyagundesha1976
    @priyagundesha1976 2 ปีที่แล้ว +1

    bahut sundar jankari mili aur voice ka to kya kehna bahut khoob badhiya aawaz 👏👏👏👏👏👏👍👍👌👌

  • @roshansancheti4167
    @roshansancheti4167 2 ปีที่แล้ว +1

    Superb Superb Superb

  • @aapnaandajkarnatakanews9400
    @aapnaandajkarnatakanews9400 2 ปีที่แล้ว +1

    सुंदर वर्णन सुनील सा

  • @sunandapatil4677
    @sunandapatil4677 2 ปีที่แล้ว +1

    Har har bole

  • @pankajcmavani999
    @pankajcmavani999 2 ปีที่แล้ว +1

    आपकी तरफ से धार्मिक महिमा बहुत जानकारी पापत हुआ है ।पौराणिक कथाओं आगे ओर जानकारी मिलती रहे ।ऐसी विनंती है ।पाथँना है

  • @nareshrawal1035
    @nareshrawal1035 2 ปีที่แล้ว +1

    Jai bholenath

  • @jagdishprasadrawal7958
    @jagdishprasadrawal7958 2 ปีที่แล้ว +1

    बहुत सुंदर एतिहासिक वर्णन 🙏जय महादेव 🙏 जय माँ सरस्वति 🙏निश्चित रूप से इस शिवधाम के परम्परागत पुजीरियों ने अपने तप व बलिदान के माध्यम से अास्था व सनातन संस्कृति को बनाये रखने में जो अतुलनीय योगदान दिया वह वंदनीय हैं 🙏🙏🙏

  • @rmdmusicnevents8762
    @rmdmusicnevents8762 2 ปีที่แล้ว

    Satik Jankari Sunil Ji👍👍

  • @manishsancheti3444
    @manishsancheti3444 2 ปีที่แล้ว

    Very nice... shankeshwar parshwanath dada ki kripa se aap hamesha khush rahe aur aage badhe yehi prarthana karta hu mamaji

  • @pankajcmavani999
    @pankajcmavani999 2 ปีที่แล้ว

    Jay ambe

  • @SurendraKumar-vt3hp
    @SurendraKumar-vt3hp 2 ปีที่แล้ว +1

    Beautiful message and best anchoring...All the best...

  • @pankajcmavani999
    @pankajcmavani999 2 ปีที่แล้ว

    सर जी आगे आपकी तरफ से 3 भाग कब प्रसारित होंगा । दो नो भाग सुनकर बहुत पौराणिक कथा की जानकारी पापत हुआ है आनंद हुआ ।आभार सर जी

  • @savitridhanesha5852
    @savitridhanesha5852 2 ปีที่แล้ว +1

    What a beautiful presentation, sunilji great tonal quality, lovely language, great detailing. A fantastic and interesting story telling, keep it up, all the best. Waiting for the next video Sunil sa

  • @vjdewasipindwaracisf2276
    @vjdewasipindwaracisf2276 2 ปีที่แล้ว

    Sir avntika nqgri ujjain hai
    Or aapki pahal b acchi hai magar usme vastvikta se judi vishestqye bataye
    Jaise yahan pr sarasvati maa ka pragatikqran kiska or kyon hua....or vo chavad rabari kis tarah mahan join guru bane jirnoddar kisne karvaya ...yahan pr ganga pragatikaran kaise hua ..kshetra vishesh ke log inhe kuldevi kyon mante the....or nath panthiyon ka yahan kya balidan rha un sab batao ka sargarbhit jankari pradan Karen kyun yahan asthi visarjan hota hai...aadivqsiyon ka b mela lagta hai ..Alag Alag Kom se jo mahan tapasvi or rishi muniyon ka b jikra ho to shayad Hindu dharm ki acchi vyakhya hoti....yahan pr maujud sant or dharmshalaye ye b pradarshit krta hai ki yah sthan kisi jati vishesh ka nhi hai