जय महालक्ष्मी कथा | माता लक्ष्मी ने छोड़ा वैकुंठ
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- เผยแพร่เมื่อ 9 พ.ย. 2024
- • बजरंग बाण | पाठ करै बज...
बजरंग बाण | पाठ करै बजरंग बाण की हनुमत रक्षा करै प्राण की | जय श्री हनुमान | तिलक प्रस्तुति 🙏 भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन दो भगवान!
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Watch the Story Of "Maata Lakshmee ne chhoda vaikunth" now!
माता लक्ष्मी ऋषि भृगु के द्वारा किए गए अपमान के कारण दुःखी हो जाती हैं और विष्णु भगवान को कहती हैं की ऋषि भृगु ने उनका अपमान किया और अपने उन्हें कुछ भी नहीं कहा। इस बात पर लक्ष्मी माता नाराज़ होकर वैकुंठ का परित्याग कर देती हैं। महादेव और ब्रह्मा जी उन्हें रोकने के लिए आते हैं और उनसे कहते हैं की आप यदि चली जाएँगी तो सृष्टि का निर्माण और उसको चलाने के लिए हमें आपकी आवश्यकता है। माता लक्ष्मी जब वैकुंठ को त्याग कर चली जाती हैं तो ब्रह्मा जी और महादेव जी भी उनके साथ चलते हैं। तीनों पृथ्वी पर पहुँच जाते हैं और वैकण्टाचल पर्वत पर रुक जाते हैं। विष्णु जी लक्ष्मी को ढूँढते हुए इधर उधर घूमते हैं। माता लक्ष्मी विष्णु भगवान से छुपने के लिए राजा चोल को नगरी में जाकर छिपने की बात कहती हैं और महादेव और ब्रह्मा जी को एक गाएँ और बछड़े में बदलने के लिए कहती हैं और स्वयं एक ग्वालन का रूप धर लेती हैं। माता लक्ष्मी को खोजते हुए विष्णु जी पृथ्वी पर इधर उधर भटक रहे थे। और अचानक एक गड्ढे में गिर कर बेहोश हो जाते हैं। देवताओं को को चिंता होती है की सभी त्रिदेव और माता लक्ष्मी पृथ्वी लोक पर चले गए हैं तो स्वर्ग लोक का क्या होगा तो नारद मुनि जी उन्हें बताते हैं की जब वराह रूप में विष्णु जी ने अवतार लिया था तो उन्होंने हरिणयाक्ष का वध करके वापस आते हैं तो ब्रह्मा जी उन्हें कहते हैं की अपने पृथ्वी को पाताल में जाने से बचाया है आप। कृपा करके पृथ्वी पर। वैंकटात्री पर निवास करने के लिए कहते हैं वराह भगवान उनकी बात मान कर पहुँच जाते हैं। वैंकटात्री पर 5 राक्षस ऋषियों पर अत्याचार करते थे जिनके वध के लिए वराह भगवान पृथ्वी पर आए हैं यह बात सुन वो पाँचों राक्षस उन्हें मारने आते हैं तो वराह भगवान उन्हें समझाते है की अधर्म का रास्ता छोड़ दें लेकिन वो नहीं मानते और भगवान वराह पर आक्रमण करते हैं तो वराह भगवान उनका वध कर देते हैं। वैंकटात्री में रहने वाले सभी ऋषि वराह भगवान के पास आते हैं और उनसे कहते हैं की आप यहाँ वैंकटात्री पर किसी भी रूप में निवास करे। विष्णु जी उन्हें कहते हैं की मैं आज से यहाँ वैंकटेश के नाम से निवास करता हूँ।
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Jai Maha Lakshmi presented Tirupati, Balaji and Padmavati for the first time on the small screen. It created a mass frenzy all over India, particularly in southern region where Tirupati Balaji is the most worshipped and revered deity. “JAI MAHA LAKSHMI“ began the chapters of Tirupati Balaji from its genesis. Bhrigu Rishi is assigned the task of finding who is the supreme, having all the three virtues (Trigun) among the Trinity (Brahma, Vishnu and Mahesh). After a lot of search and disappointments, Bhrigu Rishi is convinced that Vishnu is the Supreme and is touched by the Lord’s concern even after insulting him by a purposely designed kick in the Lord’s chest. Lakshmi asks the Lord to punish the Sage. “I cannot harm one who is my guest.” Said the Lord. Considering this an affront to Her dignity, Lakshmi disappears from Ksheer Sagar and descends on today’s Kolhapur as Karveer Maa Lakshmi.
Later, Lakshmi is pleaded and pleased and She reappears as Padmavati and joins Her husband, who are worshipped and revered as Tirupati Balaji over the years to present.
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