मनीषा का भगवान से उठा विश्वास | निर्मला की जायदाद हुई नीलाम
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- เผยแพร่เมื่อ 31 ธ.ค. 2024
- दीनानाथ अपने दोस्त की मौत के बाद और टूट जाता है और मंजुला को ख़त लिखता है की वो उसे सभी क़समों से मुक्त कर रहा है ताकि वो अपना जीवन आगे चला सके क्योंकि उसका अंत नज़दीक है। मनीषा रामलाल को लेकर अपने घर आ जाती है मनीषा को भगवान से नाराज़ हो जाती है और वो अपने घर से भगवान की तस्वीर को नदी में फेंकने के लिए राजेंद्र को भेजती है। साई बाबा मनीषा के दर्द को देख कर द्रवित होते हैं। मंजुला दीनानाथ के ख़त को फाड़ देती है और उसका जवाब दीनानाथ को भेज देती है। अस्पताल का कर्मचारी दीनानाथ को मंजुला द्वारा फाड़ा ख़त उसे दिखाकर दीनानाथ को मंजुला की हक़ीक़त बता देता है की मंजी ही मंजुल है। निर्मला की माँ मनीषा को बताती है की राजेंद्र साईकल का नाम ख़राब हो रहा है जिसके कारण साईकल की बिक्री कम हो रही है अगर ऐसा चलता रहा तो कम्पनी की नीलामी करनी पड़ेगी। निर्मला को अपने किए पर फिर से दुःख होता है की उसने छल कपट से ये सब पा तो लिया लेकिन उसे सम्भालना और उस जायदाद को पाकर उसे सुकून नहीं मिल रहा। निर्मला की सारी ज़मीन जायदाद नीलाम हो जाती है और उन्हें घर से भी निकलने का समय दे दिया जाता है। मंजुला की असलियत जानने के बाद दीनानाथ उसे अपना चेहरा दिखने को कहता है।
ॐ जय श्री साईं नाथ महाराज जी ❤❤❤❤🙏🙏🙏🙏