🏵️📘🏵️📘🏵️📘🏵️📘🏵️ वीतरागतासे....अकर्तावाद सिद्धांत निकलता है / और क्रमबद्धपर्या से सर्वज्ञता निकलती है / कार्य तो छहों द्रव्यों में होता है / पाचों समवाय से हो रहा है / पुद्गलों का परिणमन अपने स्वतंत्र योग्यता से हो रहा है / 👍👍👌👌 सहज ज्ञाता द्रुष्टा रहने का नाम पुरूषार्थ है / करने धरने का नाम पुरूषार्थ नही है कार्य होने में पाँचो समवाय लागु होते है/ 👍👍👌👌 क्रमबद्ध का निर्णय तो महापुरूषार्थ का कार्य है / उससे सारी द्रुष्टी ही पलट जाती है / यह कोई साधारण बात नही है / यह तो जैनदर्शन का मर्म है / 👍👌👌 ( गुरूदेवश्री 👆 ) क्रमबद्ध की श्रद्धा वाले के अनन्त भव ही नही होते / क्रमबद्ध की श्रद्धा तो भव का अभाव करने वाली है / जिनके अनन्त भव बाकि हों / उसकी समझमें क्रमबद्ध आ ही नही सकती / क्यौं की उसकी द्रुष्टी ज्ञायक के सन्मुख नही होती और ज्ञायक के सन्मुख द्रुष्टी हुए बिना क्रमबद्धपर्या समझ में नही आती है / ( गुरूदेवश्री 👈 👌👌👍👍 जिस समय जो पर्याय आने वाली है वही आएगी / उसमें फेरफार नही हो सकता 👌👌👍👍 🌷🌷 भगवान आत्मा के सैंतालीस नय है 🌷🌷अ..अक्षर का प्रयोग....अल्प/ अतिरिक्त / अज्ञान/ अभाव / अकाल / अकाल भी वस्तु का धर्म है.🌷🌷 🌼 नियतनय / अनियतनय 🌼 उदाहरण :- अग्नी की उष्णता 🌼 स्वभावनय / अस्वभावनय 🌼 उदाहरण :- लुहार के द्वारा संस्कार करके निकाली गयी पैने बाण की भाँती 🌼 गुरूदेवश्री का उदाहरण 🌼 मैं पामर हूँ.. मेरा पर के बिना एक क्षण भी नहीं चलता / इसप्रकार की उलटि मान्यता उलटे संस्कार के स्थान पर....मैं स्वयं चिदानन्द भगवान आत्मा हूँ / मेरा त्रिकाल पर के बिना ही चलता रहा है और चलता रहेगा.....👌👍 🌼 कालनय / अकालनय 🌼 उदाहरण :- गर्मी के अनुसार और क्रुत्रीम गर्मी के अनुसार पकनेवाले आम्रफल का 🌼 पुरुषकारनय / दैवनय 🌼 उदाहरण :- पुरूषार्थ द्वारा नीबू का व्रुक्ष यि मधुछत्ता प्राप्त होता है .....और बिना प्रयत्न के ही अचानक माणिक्य प्राप्त होता है / 🌼 Etc....Etc 👌👍🌼 🌷🌷 क्रमबद्धपर्याय की स्वीक्रुती का नाम ही 🌠सम्यगदर्शन🌠 है 🌷🌷 🌷🌷सुंदर , मार्मिक विस्लेषण ,👌👌👌👌👍👍🌷🌷🙏🙏😇🌷🌷
सादर, जय जिनेन्द्र जी
जय जिनेन्द्र -
Jai jinendra panditji.
Maine aaj tak isse acha pravachan nhi sunna. Krambadh Paryay ko na manna sabse bada mithyaatav hai.
Jai jinendra
🙏🙏🙏
🙏🏻
दिल्ली बहुत उपकार पंडितजी
Jai jinendra 🙏
Ashok Jain Madhuban jai jinendra
Extremely very good explanation.... Nirbhar hone ka ek maha mantra...
Aayush Nayak 🙏 💐 JAY JINENDRA 🙏🙏 💐🙏💐🌹🏳️🌈
Jayjinendra
Jai 🙏 jineandra ujjain
Well explained 🙏🙏🙏
Jsca
basic doubts cleared after listening this lecture
Jai jinedra bhaishab..muje bhi 9august ke karm sidhant ke pravchan you tube per nhi dish rahe hai
Well explained 🙏🙏 jain dharm mein ye kundali dosh, griha dosh, etc., ki manyata hai? Ya sirf hamare karma hi hamara bhavishya ka aadhaar hai??
Kal ka karma badh wale pravchan kaha milenge
You tube par dr sanjeev godha type kare.. aur play list par jaye .. vaho par milega
Jay jinendra
Can you please slove below question !!
Ek bhav me ek muni ke kitni bar aaharak sharir nikal sakta he ??
Plz answer me as fast as possible
🏵️📘🏵️📘🏵️📘🏵️📘🏵️
वीतरागतासे....अकर्तावाद सिद्धांत निकलता है / और क्रमबद्धपर्या से
सर्वज्ञता निकलती है /
कार्य तो छहों द्रव्यों में होता है / पाचों समवाय से हो रहा है / पुद्गलों का परिणमन अपने स्वतंत्र योग्यता से हो रहा है / 👍👍👌👌
सहज ज्ञाता द्रुष्टा रहने का नाम पुरूषार्थ
है / करने धरने का नाम पुरूषार्थ नही है
कार्य होने में पाँचो समवाय लागु होते है/
👍👍👌👌
क्रमबद्ध का निर्णय तो महापुरूषार्थ का
कार्य है / उससे सारी द्रुष्टी ही पलट जाती
है / यह कोई साधारण बात नही है /
यह तो जैनदर्शन का मर्म है / 👍👌👌
( गुरूदेवश्री 👆 )
क्रमबद्ध की श्रद्धा वाले के अनन्त भव ही
नही होते / क्रमबद्ध की श्रद्धा तो भव का
अभाव करने वाली है / जिनके अनन्त भव बाकि हों / उसकी समझमें क्रमबद्ध
आ ही नही सकती / क्यौं की उसकी द्रुष्टी
ज्ञायक के सन्मुख नही होती और ज्ञायक
के सन्मुख द्रुष्टी हुए बिना क्रमबद्धपर्या
समझ में नही आती है / ( गुरूदेवश्री 👈
👌👌👍👍
जिस समय जो पर्याय आने वाली है वही आएगी / उसमें फेरफार नही हो सकता
👌👌👍👍
🌷🌷 भगवान आत्मा के सैंतालीस नय
है 🌷🌷अ..अक्षर का प्रयोग....अल्प/
अतिरिक्त / अज्ञान/ अभाव / अकाल /
अकाल भी वस्तु का धर्म है.🌷🌷
🌼 नियतनय / अनियतनय 🌼
उदाहरण :- अग्नी की उष्णता
🌼 स्वभावनय / अस्वभावनय 🌼
उदाहरण :- लुहार के द्वारा संस्कार
करके निकाली गयी पैने बाण की भाँती
🌼 गुरूदेवश्री का उदाहरण 🌼
मैं पामर हूँ.. मेरा पर के बिना एक क्षण भी
नहीं चलता / इसप्रकार की उलटि मान्यता
उलटे संस्कार के स्थान पर....मैं स्वयं
चिदानन्द भगवान आत्मा हूँ / मेरा त्रिकाल पर के बिना ही चलता रहा है और चलता रहेगा.....👌👍
🌼 कालनय / अकालनय 🌼
उदाहरण :- गर्मी के अनुसार और क्रुत्रीम
गर्मी के अनुसार पकनेवाले आम्रफल का
🌼 पुरुषकारनय / दैवनय 🌼
उदाहरण :- पुरूषार्थ द्वारा नीबू का व्रुक्ष यि मधुछत्ता प्राप्त होता है .....और
बिना प्रयत्न के ही अचानक माणिक्य
प्राप्त होता है /
🌼 Etc....Etc 👌👍🌼
🌷🌷 क्रमबद्धपर्याय की स्वीक्रुती का नाम ही 🌠सम्यगदर्शन🌠 है 🌷🌷
🌷🌷सुंदर , मार्मिक विस्लेषण ,👌👌👌👌👍👍🌷🌷🙏🙏😇🌷🌷
6ku oț
🤗🤗
Bahut khoob
P
JAI JINENDRA.
Sharad guna
🙏🙏🙏 jai jinendra
🙏🙏🙏
Jai jinendra
🙏🏻
🙏🙏🙏