महर्षि अरबिंदो घोष की भविष्यवाणी:आध्यात्मिक संदेश और रहस्य!|Sri Aurobindo Ghosh
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- เผยแพร่เมื่อ 19 ธ.ค. 2024
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धन्यवाद नमो नारायण🙏🏻
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महर्षि अरविन्द घोष जी को कोटि कोटि नमन 🙏🙏🙏
जय आर्यावर्त जय हिंदू राष्ट्र जय सनातन धर्म जय काशी विश्वनाथ हर हर महादेव
महर्षी अरविंदो घोष जी को कोटी कोटी प्रणाम, विनम्र अभिवादन, धन्यवाद 🌹🙏🌹
Bharat got freedom on his birthday on 15th August
स्वामी जी महर्षि श्री अरविंद घोष के विषय जितना कहा जाए वह सब कम है।श्री अरविंद ने भागवत चेतना को धरा पर ऊतारने के लिए आराधना की ओर वे अपने जीवन काल मे ही इस कार्य को करने मे सफल रहे ।उन्होने इसका उल्लेख करते हुए लिखा है कि मैने मानवता के लिए इतना बडा वरदान प्राप्त किया जितना यह पृथ्वी मांग सकती थी। लेकिन इस देश व संपूर्ण मानव जाती के लिए दुर्भाग्य यह है कि आज इस देश के लगभग 95% या तो महर्षि के विषय मे कुछ भी नही जानते या थोडी बहुत जानकारी है तो वह केवल इतनी की वे भी तात्कालिक भारत की आजादी की लड़ाई मे भूमिका निभाई। हमारे पाठ्यक्रम मे उनका बहुत कम उल्लेख मिलता है।ओर चूकि वे गांधी के पक्षधर नही थे तो गाधीवादीयो ने उनके कार्य व उनके नाम को देश की जनता से हमेशा दबाए रखा।क्यो कि देश मे आजादी के बाद लगभग गांधीवादीयो का ही शासन रहा।
गांधीवादीओं का नहीं, गांधी के नाम पर राजकीय रोटियां सेकने वालों का राज रहा.
@@jaitaramvedanti181 उनके ऐसा भागवत चेतना कैसे प्राप्त करे? कैसे कर सकते है?
गुगल पर सर्च करो
गुरु सियाग सिद्ध योग@@abhinavkumar9905
As a bengali I like to thank you for bringing the name of rishi Aurobindo Ghosh and his contributions as freedom struggler and as spiritual leaders.
As you are Bengali will request you to stop voting for Mamata Banerjee... Desh pe upkar honge aap bangaliyon ke 🙏
Onek Onek Dhonyobod Dada 🌹🌹
@@allOizzOwell bhai ap log kabhi honor killings ke against main baat kyu nahi krte? Bangal main honor killings nahi hota
@death-jy1ph good u liked Arvindo ji , but even Arvindo ji would have been happy if u could rise above ur benglai identity and behave think and talk as a Hindu and as a Indian first
U people such complex is responsible for the current state of Bangladeshi hindis and hindu of WB , for muslims relgion is above bengali language and identity
Sri Auribindo Was a great soul. His contribution to India was immense. But people do not know about it since he stayed away from dirty politics.
जय हो महर्षि अरविंदो घोष 🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩
ॐ नमः शिवाय,गुरुदेव
आज के युग में ऐसें नेता सिर्फ हमारे प्यारे भारतमाता के धन्य सुपुत्र नरेंद्र मोदी साहेब मैं आप की बात समज गया गुरुजी 🙏जय हो गुरुदेव ❤️
Akhand Bharat will be disastrous for India and hindus
I'm a huge fan of Shri Aurobindo 🙏💓
Me too
Shree Arbindo Ghosh ko Pranam!!
धन्यवाद गुरुजी आपके विश्लेषण पर और राष्ट्र भक्ति और मोदीजी के लिए प्रजाको मार्गदर्शन।
Sri Aurobindo was one our greatest souls. Pranams to Him.
Sri aurobindo is the real father of the nation
You Said It Sir ji .... Totally agree with you !! Jay Hind
ॐ नमो नारायण। 🙏🏻 🚩🇮🇳
महाराज जी आपको प्रणाम, आपकी बातें देश हित में है लेकिन अफसोस इस बात का है कि देश हित की बात सोचने वालों का प्रतिशत % देश में बहुत कम है
जनता को आप जैसे महानुभावों की जरूरत है,👌🙏
Being a ex student of Sri Aurobindo Institute of Integral Education, Bhubaneswar, Ifeel very proud & respect to nation
"KNOW HIS EDUCATION PHILOSOPHY"
Nachiketa Purohit
I'm from bhubaneswar I'm also ex student of mother integral school .....
Same school
"कल्कि अवतार ,भ्रान्ति का निराकरण व सच्चाई"
अवतार का एक मात्र लक्ष्य होता है, धर्म की, न्याय की, स्थापना , उसके लिए उसे दोनो काम करने होते है - ध्वंस और सृजन दोनो - जेसे हर बार चिरकाल से किया गया है !! इस बार का तो लक्ष्य पूरा विश्व मानव ही है !!!
हम सभी को बच्चे का जन्म ही दिखता हे, लेकिन उसके लिए मां व पूरे परिवार को 3-4 वर्ष तक , गर्भ-ठहरने-जन्म-खेलने-चलने तक मे, नन्हे से शुक्राणु के पूर्ण बालक का विकास चरणबद्ध रूप से हम नही देख पाते है , पूरे परिवार को कितनी खुशी व कितना कष्ट होता है यह हम नही देख पाते है !!! इसी प्रकार कोई सतयुग या युग परिवर्तन का बालक कल्कि आज जन्म लेकर कल ही घोड़े पर सवार हो संहार करने निकल पडेगा, यह अनहोनी न हुई है न होगी , !!! ईश्वर के कार्य क्रमानुसार सफलतापूर्वक संपन्न हो रहे हे, वह होते रहेंगे!!!!
United Nation के प्रेरणास्रोत व भारतीय आजादी मे सबसे महत्वपूर्ण पुरूषार्थ करनेवाले, संत श्रीअरविंदजी(aurobindo) पांडिचेरी, के अनुसार , कलियुग का अन्त व सतयुग का शुभारंभ सन् 1836 मे महानतम् अवतार भगवान श्रीरामकृष्ण परमहंसदेव कलकत्ता के, जन्म के साथ ही हो गया !!!!
कलियुग की समाप्ति व सतयुग का आरम्भ, यह समय ऐसा ही होगा जैसे सूर्योदय के पूर्व का काल, जैसे सबेरे 4 बजे से 7 बजे तक, भोर का समय,तब जब अंधेरा सबसे घना होता है , यह युति संध्या कहलाती है !!! दिन-रात के बीच यह कुछ धण्टे की होती है, पर दो युगो के बीच यह संधि 175 साल की होती है, जोकि 2011 मे पूरी हो गई है व अब भगवान सूर्य के दर्शन, सुबह की लालिमा के दर्शन, जीव-जगत की चहलपहल शुरू दिखाई दे रही है, सतयुग के लिए महाकाल की जाज्लयमान अग्नि प्रकट हो रही है!!!
हम सुधिजन यह देख-अनुभव कर सकते है कि विश्व मे धर्म व न्याय के पक्ष मे आमजन 2011 से एकाएक मुखर होने लगे है , मोदी भी 2011 तक साधना-तप-तपस्या तैयारी कर रहे थे !!!! अब शैने शैने क्रमानुसार धर्म व न्याय व नैतिकता की स्थापना का कार्य पूरी धरती पर चलेगा !!!
इस बार का भी अवतरण हजारो मनुष्यो मे एक साथ होगा जेसे रीछ-वानर , ग्वाल-बाल के आने से हुआ !!! यह सब वही है जो मानवता को बचाने का कर्म करते दिखाई देगे !!! कल्कि भगवान अपने लाखो भक्तो - प्रतिभावानो के साथ, विचार क्रांति अभियान की तलवार से दुर्बुद्धि का ध्वंस व गायत्री मंत्र से सद्बुद्धि का सृजन करेंगे!!!!
विश्वास करना चाहिए कि जो कोई भी मानव या संसाधन समाज मे अच्छाई-धर्म-न्याय-स्नेह फेला रहा है श्रद्धा करे कि वह कल्कि का वाहन यानि सफेदघोडा-तलवार हे जिस पर कल्कि-प्रज्ञा सवार है !!!!
ओर अगर आज कल्कि अवतार किसी एक मानव रूप मे तलवार लेकर आ जाये तो, तय मानो कि लाखो वरदान मागनेवाले भिखारी-मनुष्य उनको 1 इंच भी हिलने नही देगे, करोडो पागल मोबाईल-केमरे उन्हे रिकॉर्ड कर रहे होंगे😄, तब वे अपना काम केसे करेगे???
🕉️🪔🔥
असंभवम् संभवम् करतुमुद्तम्, प्रचण्ड झंझावृतिरोसक्षमम्!
युगस्यनिर्माण कृते समुद्यतम, परम महाकाल नमामहयम्!!!
Lucky you guys, Great Rishi very unfortunate that many Hindus couldn't understand him .
Why did you become an ex student
महर्षि अरबिंदो का उत्तरपाडा भाषण सभी को पढ़ना चाहिए जो भारत के भविष्य को रेखांकित करता है।
परम पूज्य महर्षि जी, आध्यात्म जगत में एक प्रकाश स्तंभ हैं, इसमें कोई संशय नहीं
गुरु जी आपने हैं बहूत से महापुरुष देखे हैं परंतु मुझे आप के साक्षात दर्शन करने की अभिलाषा हैं
स्वामी जी आप इसी तरह समाज में जागरण पैदा करतें रहें. प्रभु आपको स्वस्थ रखें और दीर्घायु करें!
ॐ नमो नारायण, स्वामीजी आप ने जितनी भी बातें कही सब सही है। भारत के हिंदूओं को भ्रमित किया जा रहा है, अच्छा बुरा नहीं समझ रही है वर्ना लोक सभा चुनाव का ऐसा परिणाम न आता। कांग्रेस और सिमट जाती या साफ ही हो जाती। ईश्वर से प्रार्थना है जनता को सद्बुद्धि दे और देश की रक्षा करें। नमो नारायण स्वामीजी ❤❤
They are not confused !! They're morons... and stupid !! Don't learn anything from history..
मोदी जी योगी जी है तो सब मुमकी ही नहीं बेड़ा पार हे आपकी बातो को सर आंखों पर महाराज जी
I am devotee of Sri Aurobindo
Om namo bhagwate Sri Aurobindaaye
Shree aurobindo ghose was a great person. I am member of aurobindo society.
गुरु देव के चरणों में बारम्बार प्रणाम आपकी सभी अनुभव ओर आपके विचार परम सत्य है इस समय आपके विचारों पर सरकार को आपके विचारों को सुनना चाहिए आपके दर्शन की परम इच्छा है
आप सही बातें कह रहे हो इसके लिए कोटि-कोटि प्रणाम
गुरु जी आप ने बिलकुल सही कहा
गुरुवर। ।आप।को।सत सत।नमन।व।साधु।
वाद।जय।भारती
Am feeling so proud that more and more people are talking about Sri Aurobindo. As an ex-student of the Pondicherry Aurobindo Ashram, i feel blessed.
श्री अरविंद के अनुसार भूदेवी अपने स्वयं के आध्यात्मिक चेतनात्मक विकास और उत्थान में एक ऐसी अवस्था में पहुँचेगी जहाँ ऐसी आत्मायें जो मुक्ति की अधिकारिक सत्ता को प्राप्त हो चुकी हैं वह परम कैवल्य लाभ को प्राप्त आत्मस्थ परमात्मायें (अपनी प्रकाशमय- चिन्मय दिव्य देह जो कि अग्नि बीज है, ) भूलोक पर ही चिरकाल तक बनी रह कर मानवता के आध्यात्मिक विकास और भूचेतना के उत्थान में सहायक हो सकेंगी। ऐसी आत्मस्थ सिद्ध आत्मायें दीपक की लौ के समान साधारण मनुष्य को उनके स्थूल चक्षुओं को दिप्तीमान कर द्रष्टिगोचर होंगी।
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यहां यह जो नूर तत्व की बात कर रहे हैं, उस नूर शब्द का अर्थ होता है प्रकाश या लाइट, कबीर और मीरा की देह, चिन्मय या लाइट बॉडी बन गई थी, ऐसे सन्त सूक्ष्म जगत विचरते हैं और साधकों पर क्रपा करते हैं. श्री अरविंद की घोषणा के अनुसार प्रथ्वी की आध्यात्मिक यात्रा और आध्यात्मिक विकास सदा ही बना रहता है और उस यात्रा में धरती एक ऐसी आध्यात्मिक अवस्था को प्राप्त करेगी, जिसमें सामान्य मानव अपने सामान्य चक्षुओं से इन दिव्यआत्माओं के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त कर सकेगा. ऐसी घटना का भविष्य में होना , पार्थिव चेतना और मानव के आध्यात्मिक चेतना के विकास का अगला पडाव है ऐसा होना श्री अरविंद अवश्य संभावी मानते हैं, पर इस घटना के इस धरा पर प्रत्यक्ष होने में कितना समय और लगेगा , इस विषय में कोई स्पष्ट संकेत ,उनकी घोषणाओं मे उपलब्ध नहीं हैं.
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श्री अरविंद के अनुसार, अतिमानस सृष्टि में भी देव असुर संग्राम सतत बना रहेगा ऐसा मदर ने भी कहा है। जो देव लोक में भी शाश्वत बना ही हुआ है। केवल विकास का अगला पायदान अतिमानस देह प्रथ्वी के आभामंडल में विराजमान होकर मानव चेतना को आध्यात्मिक उत्थान में सहायक होगी। इसका अर्थ यह है कि यह चिन्मय दिव्य देह जो कि अग्नि बीज है फोटोन क्वांटा लाइट बॉडी साधारण मनुष्य के स्थूल नेत्रों को दीपक की लौ के समान दिखाई देगी। अर्थ है कि मुक्त परमात्मा बनी आत्मा अन्य उच्च लोकों की ओर प्रस्थान न करके धरती के वातावरण में रहकर मानव को आध्यात्मिक पथ प्रदर्शक के रूप में कार्यरत रहेंगी। इसका अर्थ यह भी है देवों के समान ही प्रभावकारी होगा, अतिमानस चिन्मय दिव्य देह अवस्था को प्राप्त होने वाले योगीयों के कार्य।
अंतर यह है कि अभी यह दिव्य देहधारी संत धरती के सूक्ष्म वातावरण में अभी भी सक्रिय हैं पर केवल उन साधक को उनके दर्शन प्राप्त होते हैं जिनकी सूक्ष्म या दिव्य द्रष्टि खुल जाती है ,जिस प्रकार से श्री अरविंद और श्री मॉ सब्टल फिजिकल में अभी भी सक्रिय हैं और अनेक साधकों को दर्शन दिये हैं पर सुप्रामेन्टल अतिमानस जगत में वह सभी मनुष्यों को प्राप्त हो सकेंगे। यह विशेष रूप से से तीन अग्नि, वायु और आकाश तत्व से निर्मित होती है और जिसमें जल और भूमि तत्व अल्प मात्रा में होते हैं और यह देह इलास्टिसिटि और फ्लेक्सीबिल लोच, लचीलापन लिए होगी जिस कारण संग्राम अस्त्रों के आघात आसानी से झेलने में सक्षम होगी और इस लचलता फ्लेक्सीबिल प्लास्टिसिटि के गुण होने के कारण अनेक रूप धारण आसानी से कर सकेगी यानि कि रूप परिवर्तन की सिद्धि सहज इस शरीर में होगी जो देवजनो को भी उपलब्ध है और यही सुप्रामेन्टल विश्व में धरती पर स्वर्ग की स्थापना है। इसका प्रोटोटाइप सूक्ष्म विश्व में आलरेडी उपलब्ध है जैसा कि मदर और श्री अरविंद ने कहा है पर अभी उसके डिस्सेन्ट अवतरण में धरती भूदेवी के आवश्यक आध्यात्मिक विकास और उत्थान का होना बाकी है।
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श्री अरविंद सुप्रामेन्लटल स्रष्टि की स्थापना की बात करते हैं। जिसमें दिव्य अग्नि बीज प्रकाशमय शरीरधारी योगी संत महात्मा ,मुक्तावस्था प्राप्त करने पश्चात भी धरती के आभामंडलीय वातावरण में रहकर मानव को आध्यात्मिक पथ प्रदर्शक के रूप में कार्यरत रहेंगे और साधारण मनुष्य को उनके स्थूल चक्षुओं को दिप्ती मान कर उन्हें भी दर्शन प्राप्त कराने में सक्षम होंगे। अतः दिव्य चेतना का उदय और अवतरण होगा और मानव एक नये आध्यात्मिक आयाम , विकास और उत्थान को धारण करेगा।
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How do you know this? Did aurobindo wrote it?
@@samthesmith88 Collected this information from conversations with different sages, seers and yogis.
@@samthesmith88
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The luminous and transformed body and The Supramental Transformation and the visibility of such a glorious - effulgent body to ordinary humans
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When we read these Two passages from The Mother (Pondicherry) " s collected works (the first passage is from vol.9 and the second is from vol.3). From these two passages, we come to two conclusions which are, the supramentalised body will be more similar to the Astral/subtle body as we know from Kundalini Yoga as all chakras only exist in the Subtle body but not in the physical body. In the physical body, we have endocrine glands which are controlled and governed by different chakras corresponding to their location. Secondly, we know all these transformed bodies in Yogic literature are called Chinmay Deha or Tejomaya Sharir or Body of light made of like sunlight of electronic particles called Photon Quanta-which at the same time functions as a particle and wave simultaneously. We know from yogic literature there are hundreds and thousands and even millions of yogis who have attained this transformed luminous body, but they are visible only to those yogis, on the physical plane who have developed subtle vision or Divine vision- it is called the opening of Sushma Drishti or Divya Drishti-and because of this they are able to interact with these yogis who exist on the astral/subtle plane. But what The Mother is saying here is -with Supramental manifestation, these yogis would be visible to ordinary human eyes, which means those subtle-luminous bodies will be visible to ordinary human beings. Before that thing happens, we need to have a large number of enlightened beings whom Sri Aurobindo called, a race of Superman or as the theosophists call them next root race. Since we know a luminous body will have more fire element and that is what will make it so bright, but ordinary humans will have no such capacity or resilience to stand before or even to come near such a body made of fire as it will have a scorching effect upon their negative karmas, and that is the reason why we need a large portion of Enlightened beings in given population because they can only interact and withstand the scorching heat emanating from these bodies are made of light.
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In the very, very old traditions - there was a tradition more ancient than the Vedic and the Chaldean which must have been the source of both - In that ancient tradition, there is already mention of a “glorious body” that would be plastic enough to be transformed at every moment by the deeper consciousness: it would express that consciousness; it would have no fixity of form. It mentioned luminosity: the constituent matter could become luminous at will. It mentioned a sort of possibility of weightlessness which would allow the body to move about in the air only by the action of will-power and by certain processes of control of the inner energy, and so on. Much has been said about these things.
----------------------- April 1957
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I don’t know if there ever were beings on earth who had partially realised this, but in a very small way, there have been partial instances of one thing or another, examples which go to prove that it is possible. And following up this idea, one could go so far as to conceive of the replacement of material organs and their functioning as it now is, by centres of concentration of force and energy which would be receptive to the higher forces and which, by a kind of alchemy, would use them for the necessities of life and the body. We already speak of the different “centres” in the body - this knowledge is very widespread among people who have practised yoga - but these centres could be perfected? to the point where they replace the different organs by a direct action of the higher energy and vibrations on the matter. Those who have practised occultism well enough, in its most integral form, it could be said, know the process of materialisation of subtle energies and can put them in contact with physical vibrations. Not only is it something that can be done, but it is something which is done. And all that is a science, a science which must itself be perfected, completed, and which will obviously be used for the creation and setting in action of new bodies which will be able to manifest the supramental life in the material world..
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One of the greatest victories of this ineffable humility ofGod will be the transformation of Matter which is apparently the most undivine. Supramental plasticity is an attribute of finally transformed Matter. The supramental body which has to be brought into being here has four main attributes: lightness, adaptability, plasticity and luminosity. When the physical body is thoroughly divinised, it will feel as if it were always walking on-air, there will be no heaviness or tamas or unconsciousness in it. There will also be no end to its power of adaptability: whatever conditions it is placed it will immediately be equal to the demands made upon it because its full consciousness will drive out all that inertia and incapacity which usually make matter a drag on the Spirit. Supramental plasticity will enable it to stand the attack of every hostile force which strives to pierce it: it will present no dull resistance to the attack but will be, on the contrary, so pliant as to nullify the force by giving way to it to pass off. Thus, it will suffer no harmful consequences and the most deadly attacks will leave it unscathed. Lastly, it will be turned into the stuff of light, each cell will radiate the supramental glory. Not only those who are developed enough to have their subtle sight open but the ordinary man too will be able to perceive this luminosity. It will be an evident fact to each and all, a permanent proof of the transformation which will convince even the most sceptical. The bodily transformation will be the supreme spirit.t
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Both The Mother AND Sri Aurobindo talked about the glorious and luminous body that would be elastic enough to withstand the onslaughts from hostile beings and not get damaged as the gross body, which is made of five elements (god's/angels bodies also don't get distorted /destroyed/damaged in such battles). The luminous body would maintain plasticity and elasticity because it would be made up of three subtle elements ie. Firelight, Air - prana, and the Akasha-Vyoma, like the bodies of the gods and the Goddess with a small amount of water and the earth elements. Since even in the supramental world the battle will keep on happening, as it happens in the heavens of lord Indra, that means the qualities, behaviour, and functions of the supramental body would be similar to the bodies of the gods/angels. So, the question is what would be that mind-consciousness by which a supramental being will live, as Sri Aurobindo says knowing the truth by identifying with the object and that is how the body made of subtle elements can become one with the object, as the subject and the object duality will be obliterated, so in that sense, they can attain the state of Adwaitic Nondual - Unitary consciousness at will. But since the war between light and the dark powers will continue, the duality in the consciousness will also exist to differentiate between I- a being of luminosity and the other, the beings of darkness, (the bodies of the Asuras - hostile beings are also made up of three elements but because of the heaviness of the Tamas - darkness, their fire element has more of smoke in it, which deprives them of brightness, but makes them capable of battling with the gods. ) In the supramental world the liberated beings will have a possibility to keep on existing and living on earth as the raised consciousness of the earth will allow that to happen and because of the earth's ascension into the fifth-dimensional vibrations ( as TM says earth consciousness should be prepared enough to sustain supramental manifestations) will allow such bright beings made of photon quanta light bodies to manifest, that means these photon quanta light beings would be able to function both as the particle ( visible) and the wave ( invisible ) and because of this they can even pass through the walls, can even create as many body copies as gods/angels can do and also can shapeshift this energy body. And in similar ways, they can Will and bring forth or give birth to their own children or the replicas as all gods do in the astral - subtle planes, as in their dimensions, the thought field can easily become the creation field, as gathered energy can instantaneously take shape of thought-out thinking patterns. This way it will be heaven upon the earth. All enlightened beings attain bright and sacred luminous bodies but like TM AND SA and other liberated ascended masters/ yogis, they exist only on nonphysical astral planes but in supramental manifestations, they can visit, exist, or even remain in the ascended earth's immediate aura field. The important part of the Supramental world would be that these luminous fiery glowing ascended master's bodies will also be visible to ordinary non-initiated humans
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महर्षि अरविन्द जी ने कहा हैं कि आगामी मानव जाती दिव्य रुप धारण करेंगी. सदगुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग 🙏🙏 जी उसी भविष्य वाणी को मूर्त रुप दें रहें हैँ. यू ट्यूब सर्च करें 🙏
@@vishambardutt2487
श्री रामलाल सियाग का योग क्रिया योग पर आधारित था | सभी योगी अपनी क्षमताओं के अनुसार दिव्य देह को भूतल पर स्थापित करने का प्रयास करते रहे हैं | थियोसोफिकल सोसाइटी के महात्मा असेंडेड मास्टर भी इस दिशा में शम्भल - हिमालय के सूक्ष्म लोक से काम कर रहे हैं |
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आनंदमय कोष ( सहस्रार चक्र)के दिव्य आनंद और विज्ञानमय ( आज्ञा चक्र) कोष की विज्ञानमयी ओमिनीपोटेन्सी - सर्वशक्तिमान - सर्वशक्तिसम्पन्नता - सर्वक्षमता को मनोमय कोष में निर्विकल्प समाधिस्थ चेतना में प्राप्त कर , इसी आनंद और सर्वज्ञता को प्राणमय कोष और अन्नमय कोष में स्थापित कर इन दोनों ही कोषों को ओमिनीशियेन्स - सर्वज्ञता - सर्वज्ञानत्व - सर्व दर्शनत्व - अन्तर्यामीत्व ,ओमीनीप्रजेन्स - सर्वविद्यमानता - सर्वव्यापकता और ओमिनीपोटेन्स - सर्वक्षमताशाली - सर्वशक्तिशाली जैसी चेतनावस्था प्राप्त करवाना ही अतिमानसीकरण का लक्ष्य है। माइन्ड ऑफ लाइट ,मनोमय कोष-शरीर से होते हुए प्राणमय और अन्नमय देह में स्थापित होकर इन्हें भी चिन्मय दिव्य- बायोफोटोन क्वांटा लाइट बॉडी में परिवर्तित करे। और यह बायोफोटोन क्वांटा लाइट बॉडी ,दीपक की लौ के समान साधारण मनुष्य को उनके स्थूल चक्षुओं को दिप्ती मान कर उन्हें भी दर्शन प्राप्त कराने में सक्षम होगी। पर यह तभी संभव है जब भूदेवी भी अपने आत्मोत्कर्ष में उस अवस्था में पहुँच चुकी होगी कि यह अविनाशी चिन्मय दिव्य देह भी प्रथ्वी के वातावरण में रहकर मानव को आध्यात्मिक पथ प्रदर्शक के रूप में कार्यरत रह सके।
छात्र जीवन काल से महर्षि अरविन्द घोष जी के प्रति श्रद्धा भाव अटूट रहा उन्हें कोटिशः नमन🙏
महात्मा जी को दंडवत
जय भारत जय सनातन
ॐ नमो नारायणाय
नमो नमो कोटि कोटि नमन गुरुजी।
🚩जयतु जयतु हिंदुराष्ट्रम् 🚩
बहुत सुन्दर ❤
अर्ध सत्य
श्री अरविंद को समज ने के लिए सही पात्रता होनी चाहिए
It's beyond my capabilities and comprehension to find the befitting words to describe the greatness Maharshi Arbindo attained in the sphere of yoga and spirituality .
I am a Bengali, I visited pondicherry ashram and felt tranquility, I also know his words, This division of Bharat must and will go, his Yogic vision definitely will become true and world political scenario is moving in that direction ❤❤❤🙏🙏🙏
ॐ नमो शिवाय नमः ॐ नमो शिवाय नमः
जय श्री राम जय जय श्री राम , राधे गोविंदा सीताराम, सीताराम जय सीताराम, भज प्यारे मन सीताराम।
हर हर महादेव
🌼🙏
Swami YO you are great. ❤
बहुत सुन्दर प्रस्तुति दी है स्वामी जी, बहुत बहुत धन्यवाद🙏💕
श्री शिवाय नमश्तुभ्यम 🕉️❤
।।ॐ नमो नमः आचार्य।।
Very very true स्वामी जी marvelous
Finally, someone recognizes the great Sri Aurobindo. His explanation for Geeta in English IS the best to date.
नमो नारायण
गुरुदेव को कोटि कोटि प्रणाम
ॐ मां श्री अरबिंदो🙏🙏श्री अरबिंदो के बारे में ये वीडियो लाने के लिए आपको बहुत धन्यवाद। मनुष्य के सारे कष्टों को दूर करने के लिए पृथ्वी पर दिव्य जीवन के लिए उन्होंने जो तपस्या की उसके लिए संपूर्ण मानवजाति उनके लिए कृतज्ञ रहेगी। ये एक वीडियो पर्याप्त नहीं। अपने प्रधानमंत्री जी ने भी आश्रम से आशीर्वाद लिया
बहन सदगुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग जी 🙏🙏 यू ट्यूब सर्च करें अरबिंदो ऋषि जी ने जिस दिव्य मंत्र की बात कही थी वो गुरूदेव की दिव्य वाणी में सुनकर भौतिक और अद्यात्मिक जगत में अपनी समस्याओ से छुटकारा पा सकते हैँ 🙏
Mahrshi Arbindo ghosh was a great saint as well as adhyatmik guru
महर्षि अरविंदो घोष को लेकर नाम के अलावा मैं ज्यादा नहीं पढ़ा लेकिन पता नहीं क्यों उनके प्रति अपूर्व श्रद्धा जीवन भर बनी हुई है।।महान संत को कोटि कोटि प्रणाम।।
I love the people who love the lord. 🙏
Koti Koti Pranam Guruji Jay Ho aapki
ଶ୍ରୀ ଅରବିନ୍ଦ ଙ୍କ ବିଷୟରେ ଆପଣଙ୍କ ବାଣୀ ବହୁତ ଉପାଦେୟ 🙏
🙏 नमो नारायण। 🙏
I feel happy for being a student of sri maa sri aurobindo❤
@@Sumansathua325 you taken initiation?
Thank you for all this! You are a true deshbhakht !
খুব ভালো লাগলো প্রনাম স্বামী জী আপনাকে 🙏🙏প্রনাম মহান বিপ্লবী মনীষীদের 🙏🙏💐💐❤❤
Jay mahaguru sree Aurobindo 🚩🙏🙏🙏
Om Namo Narayan. Jai Sri Ram
अती सुंदर 😀
महर्षि अरविंदो के पूज्य श्री चरणों में कोटिश:प्रणाम!ऐसे महान महर्षि को प्रारम्भिक से लेकर अति उच्च पाठ्यक्रम में सम्पूर्ण सम्मिलित किया जाय!!
नमस्कार,
स्वामीजी आपकी माध्यमसे हमे बहुमुल्य जानकारी मिली ये है हमारे भारत देश के संत और रत्न जिन्होने भारत देश के लिये अपना साराजिवन खपा दिया और गांधीजी भारत देशसे जादा मायनारीटी याने मुसलमान को जादा मानते थे तभी भारत देश का बटवारा हुआ ये बात धिरे धिरे अब जनता को मालूम होते जा रही हैं
अति प्रसन्नता हुई आप के चैनल से जुड़ कर और आपकी बातों से जो जानकारी मिली इससे मेरी जानकारी में और वृद्धि हुई, उसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
एक बात जरूर है बाबा नरेंद्र मोदी बाबर नहीं रहते तो देश में रामराज भी नहीं आता राम जी भी नहीं आते और बाबा विश्वनाथ कहां से मथुरा की श्री कृष्णा भगवान भी नहीं आते भगवान आप सब संत का आशीर्वाद मोदी बाबा के ऊपर पड़ी रहे और देश की अच्छी सी विकास हो जाए और जितने विपक्ष पार्टी है सबका मुंह काला हो जाना चाहिए जय श्री राम जय श्री राम नमो नारायण
🙏 ॐ नमो नारायण 🙏 धन्यवाद स्वामीजी 🙏
Excellent. Had opportunity to be in Pondy Ashram for 5 to 6 years as Ashrsmite, in touch with Sweet Mother n many genuine Sadhaks of Sri Aurobindo's time. Baroda visited too.
But now no leader in ministry is fit to lead Ssnatan Bharat as many top leaders too directly or indirectly responsible for Gauhatya.
Almighty will do needful.
Satya Sanatan.
🙏🕉🙏👍🏻
Jai Shri Ram, Guruji. Jai Sanatan, Jai Bharat Mata
Swami ji Pranam. "Sri Aurobindo"
Thanks Swamiji.... for revealing the truth about Rishi Aurobindo Ghosh.....
स्वामी जी आपका अध्यात्म ज्ञान और राजनीतिक ज्ञान उत्तम है
जय हो स्वामी जी❤❤❤
Om namo bhagavavate Sri
Arvindaya.
श्री रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद और मा शरादा पर भी विडिओ बनाइये
Ham to kah rahe hain Guruji aapko jo jo bhi Mahan lagta hai vah sab per video banaen kam se kam Aisa to lagega Ki Kisi sacche Insan Se Kisi Ki Baat sun rahe hain Varna aaj ke Jamane Mein To kisi ke dwara Bataye Gaye Baton ka Bharosa hi nahin Hota
"कल्कि अवतार ,भ्रान्ति का निराकरण व सच्चाई"
अवतार का एक मात्र लक्ष्य होता है, धर्म की, न्याय की, स्थापना , उसके लिए उसे दोनो काम करने होते है - ध्वंस और सृजन दोनो - जेसे हर बार चिरकाल से किया गया है !! इस बार का तो लक्ष्य पूरा विश्व मानव ही है !!!
हम सभी को बच्चे का जन्म ही दिखता हे, लेकिन उसके लिए मां व पूरे परिवार को 3-4 वर्ष तक , गर्भ-ठहरने-जन्म-खेलने-चलने तक मे, नन्हे से शुक्राणु के पूर्ण बालक का विकास चरणबद्ध रूप से हम नही देख पाते है , पूरे परिवार को कितनी खुशी व कितना कष्ट होता है यह हम नही देख पाते है !!! इसी प्रकार कोई सतयुग या युग परिवर्तन का बालक कल्कि आज जन्म लेकर कल ही घोड़े पर सवार हो संहार करने निकल पडेगा, यह अनहोनी न हुई है न होगी , !!! ईश्वर के कार्य क्रमानुसार सफलतापूर्वक संपन्न हो रहे हे, वह होते रहेंगे!!!!
United Nation के प्रेरणास्रोत व भारतीय आजादी मे सबसे महत्वपूर्ण पुरूषार्थ करनेवाले, संत श्रीअरविंदजी(aurobindo) पांडिचेरी, के अनुसार , कलियुग का अन्त व सतयुग का शुभारंभ सन् 1836 मे महानतम् अवतार भगवान श्रीरामकृष्ण परमहंसदेव कलकत्ता के, जन्म के साथ ही हो गया !!!!
कलियुग की समाप्ति व सतयुग का आरम्भ, यह समय ऐसा ही होगा जैसे सूर्योदय के पूर्व का काल, जैसे सबेरे 4 बजे से 7 बजे तक, भोर का समय,तब जब अंधेरा सबसे घना होता है , यह युति संध्या कहलाती है !!! दिन-रात के बीच यह कुछ धण्टे की होती है, पर दो युगो के बीच यह संधि 175 साल की होती है, जोकि 2011 मे पूरी हो गई है व अब भगवान सूर्य के दर्शन, सुबह की लालिमा के दर्शन, जीव-जगत की चहलपहल शुरू दिखाई दे रही है, सतयुग के लिए महाकाल की जाज्लयमान अग्नि प्रकट हो रही है!!!
हम सुधिजन यह देख-अनुभव कर सकते है कि विश्व मे धर्म व न्याय के पक्ष मे आमजन 2011 से एकाएक मुखर होने लगे है , मोदी भी 2011 तक साधना-तप-तपस्या तैयारी कर रहे थे !!!! अब शैने शैने क्रमानुसार धर्म व न्याय व नैतिकता की स्थापना का कार्य पूरी धरती पर चलेगा !!!
इस बार का भी अवतरण हजारो मनुष्यो मे एक साथ होगा जेसे रीछ-वानर , ग्वाल-बाल के आने से हुआ !!! यह सब वही है जो मानवता को बचाने का कर्म करते दिखाई देगे !!! कल्कि भगवान अपने लाखो भक्तो - प्रतिभावानो के साथ, विचार क्रांति अभियान की तलवार से दुर्बुद्धि का ध्वंस व गायत्री मंत्र से सद्बुद्धि का सृजन करेंगे!!!!
विश्वास करना चाहिए कि जो कोई भी मानव या संसाधन समाज मे अच्छाई-धर्म-न्याय-स्नेह फेला रहा है श्रद्धा करे कि वह कल्कि का वाहन यानि सफेदघोडा-तलवार हे जिस पर कल्कि-प्रज्ञा सवार है !!!!
ओर अगर आज कल्कि अवतार किसी एक मानव रूप मे तलवार लेकर आ जाये तो, तय मानो कि लाखो वरदान मागनेवाले भिखारी-मनुष्य उनको 1 इंच भी हिलने नही देगे, करोडो पागल मोबाईल-केमरे उन्हे रिकॉर्ड कर रहे होंगे😄, तब वे अपना काम केसे करेगे???
🕉️🪔🔥
असंभवम् संभवम् करतुमुद्तम्, प्रचण्ड झंझावृतिरोसक्षमम्!
युगस्यनिर्माण कृते समुद्यतम, परम महाकाल नमामहयम्!!!
Well speeches Guru ji. Carry on, for indian people.
सही दिशा
🇮🇳🚩🕉️🌞जय श्री अखंड भारत 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹आपकी जय जय जय हो 🌹🌹🌹🌹
ॐ नमो नारायण
Jai Bhole 🙏Namo Narayan
Yes, one can feel divine energy's presence there, my son was meditating there ,he said he felt suble divine energy and suddenly he was in deep samadhi.
My beloved Maharsi Sri Aurobindo 🙏🙏🙏 proud to be his and The Mother’s follower.
Bahut achhi jankari. ❤se dhanyabad
Sshhaabbaass dhanyavad aravind ghosh ji ko koti pranam jay hind vande Matram
प्रणाम और धन्यवाद स्वामीजी. महर्षि अरविंदो घोष इनकी पहली बार इतनी विस्तृत जानकारी मिली. धन्य हो गये. उनको कोटी कोटी प्रणाम.
Jay jay shree ram
Har har modi har har yogi
Aap ko charan sparsh gurudev
Absolutely right swamijj
BandeyMataram Om Namobhagabate SriAurobindaya 💐🙏💐
Many many salutations and Pranam to you for reviving our true Bharatiya culture and our true ethos which was twisted, modified and portrayed for so many years together that the real truth and ehos got buried. Kudos to you for extracting it out and making us we the Bharatiya proud of it to follow it. We should stop following the west blindly and come out of the mental slavery of the West and return back to our pristine glory and strengthen ourselves to fight the Devil and the evil forces both within and without. Jai Hind Jai Akhand Bharat.
जय श्री कृष्णा
कृष्णा nehi कृष्ण। कृष्णा माने द्रोपदी
Aur Prabhu Sri Aurobindo ji ki aur ek sapna hai ki humara desh Biswa ka no1 desh hoga. And i trust Prabhu Sri Aurobindo 🙏🙏.
Pronam Rishi Arobindo Ghose.
OM Namobhagabate Sriaurobindaya 🙏
Swamiji, it was so wonderful to listen to Shree Arbindo's history u narrated. Pl contine kindly this on regular basis. His work on Gita is just awesome although some of the words r very difficult to understand. I am sure people will love it. Hare Krishna🙏🙏 Thank u Swamiji
Om namh sewaai
Proper presentations regarding Sri Aurobindo, a great spiritual leader of our planet. 🙏🙏🙏🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳
Mere Pita ji ko yah saubhagya mila ki unke jivan ke 16 varsh Mother or Sri Aurobindo ji ka aashirvad or unke chhaw me Arvindo aasaram me rahane ka saubhagya prapt hua
Ham sabhi ki aatma hai Sri Aurobindo or Mother ❤
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Mere
सारगर्भित विश्लेषण हेतु आपको साधुवाद आदरणीय 🙏
After reading Epic Savit ry in the year 1967-68 I
had unforgettable experience that I will never never forget until the last moment of my life.jay Shree Shree Aur bindo,
Beautiful views and guidance. Pranam Guru ji
श्री स्वामी समर्थ महाराज की जय
OM NOMO NARAYANA