कल्पना मनोरमा की कहानी - पहियों पर परिवार | Kalpana Manorma Kahani | Hindi Stories | Hindi Story
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- เผยแพร่เมื่อ 10 ม.ค. 2025
- कल्पना मनोरमा की कहानी - पहियों पर परिवार | Kalpana Manorma Kahani | Hindi Stories | Hindi Story स्वर - सिम्मी सैनी@kathasahityapro
लेखिका - कल्पना मनोरमा
कल्पना मनोरमा का जन्म इटावा (उत्तर प्रदेश) में हुआ। कानपुर विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में परास्नातक किया, जम्मू यूनिवर्सिटी से बी.एड. पुन: इग्नू से एम.ए (हिंदी साहित्य) किया। वह हिंदी अध्यापन से जुड़ी रहीं, फिर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। कुछ समय तक जी.बी.पी. पब्लिकेशन हाउस में बतौर सीनियर एडिटर कार्य सँभाला, अब साहित्य-सृजन में संलग्न हैं।
उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं : प्रथम नवगीत संग्रह-‘कब तक सूरजमुखी बनें हम’, ‘बाँस भर टोकरी’, ‘नदी सपने में थी’ काव्य-संग्रह तथा ‘चिड़िया का कहना सुनो’ लघुकथा-संग्रह।
विशेष : ब्लॉग ‘कस्तूरिया’ का कुशल संचालन व संपादन।
प्राप्त सम्मान : दोहा शिरोमणि 2014 सम्मान, वनिका पब्लिकेशन द्वारा (लघुकथा लहरी सम्मान 2016), बैसबारा शोध संस्थान द्वारा (नवगीत गौरव सम्मान 2018), प्रथम कृति पर सर्व भाषा ट्रस्ट द्वारा (सूर्यकांत निराला 2019 सम्मान) आचार्य सम्मान (जैमिनी अकादेमी, पानीपत हरियाणा, 2021)
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बहुत ही सुनदर कहानी❤
🙏❤️
बहुत धन्यवाद सिम्मी जिसपने कहानी का बेहद भावपूर्ण वाचन किया है।
बहुत आभारी हूँ आपकी कल्पना जी जो आपने अपनी इतनी सुंदर कहानी वाचन का अवसर दिया 🙏😊
Very nice story
❤️
Suni Hui thi. But tumhe sunna accha lagta hai ❤
जानकर बहुत अच्छा लगा 😘❤️🙏