उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म।Uttam Brahmacharya Dharm।आर्यिका पूर्णमति माताजी प्रवचन।दशलक्षण पर्व।Paryushan

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  • เผยแพร่เมื่อ 30 ก.ย. 2024
  • 🪷दशलक्षण महापर्व🪷
    ✨उत्तम ब्रह्मचर्य (दिन-10)✨
    📿ॐ ह्रीं श्रीं उत्तम ब्रह्मचर्य धर्मांगाय नमः📿
    (सोरठा)
    शील-बाड़ नौ राख, ब्रह्म-भाव अंतर लखो।
    करि दोनों अभिलाख, करहु सफल नर-भव सदा।।
    (चौपाई)
    उत्तम ब्रह्मचर्य मन आनो, माता-बहिन-सुता पहिचानो।
    सहें बान- वरषा बहु सूरे, टिकें न नैन-बान लखि कूरे।।
    (हरिगीतिका)
    कूरे तिया के अशुचि तन में, काम-रोगी रति करें।
    बहु मृतक सड़हिं मसान-माँहीं, काग ज्यों चोंचैं भरें।।
    संसार में विष-बेल नारी, तजि गये जोगीश्वरा।
    ‘द्यानत’ धरम दस पैंडि चढ़ि के, शिव-महल में पग धरा।।
    उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म।Uttam Brahmacharya Dharm।आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी प्रवचन।दशलक्षण पर्व।Paryushan Parv
    उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म
    दशलक्षण महापर्व
    पर्युषण महापर्व
    आर्यिका पूर्णमति माताजी प्रवचन

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