प्रणाम महाराज जी, "कबीर के 'युगन युगन हम योगी' का वर्णन आत्मबोध की उस कालातीत प्रकृति को प्रकट करता है, जहां आत्मा की यात्रा समय और व्यक्तिगत पहचान की सीमाओं से परे होती है।" #आत्मबोध #कालातीत
प्रणाम महाराज जी, "मुक्ति का यह दृष्टिकोण कि यह 'व्यक्ति' के लिए नहीं है, अहंकार के विघटन और इस बोध पर प्रकाश डालता है कि सच्ची स्वतंत्रता व्यक्तिगत पहचान की अनुपस्थिति में ही है।" #अहंकारविघटन #सच्चीस्वतंत्रता
आज फिर से आपने अपने सत्संग में मारवाड़ की संत माता माता भूरी बाई 'अलख' को याद किया। आपका यह प्रयास भविष्य में आने वाली पीढ़ियों को याद कराता रहेगा कि कोई ऐसी भी महिला ज्ञानी संत हुई थी अपनी इस भारत की मरूभूमि में। सत्संग का प्रस्तुतीकरण अद्भुत लगा। आपकी वाणी संतों की वाणी के वास्तविक अभिप्राय को उद्घाटित कर देती है। सादर नमस्कार 🌹🌹🌹🌹
प्रणाम ! बहुत ही सुंदर अति सुंदर कबीर साहब का भजन बहुत खूब हे और जो अपने व्याख्या की वो और अति सुंदर है मोक्ष किसी व्यक्ति को नहीं मिलता अनाहत शब्द ब्रह्म ब्रह्म को जान रहा है आदि को अपने बहुत ही सुंदर व्याख्या की। धन्यवाद
प्रणाम महाराज जी🙏 | आपने बोहोत ही सुंदर भजन गाया है लगता है स्वयं कबीर साहब सामने आकर खड़े हो गए हैं जितनी बार भी सुनो मन नहीं भरता है लगता है सुनते ही रहो। मैं इस भजन और इस अनुभव को कभी नहीं भूलूंगा। जब मैं आपके द्वारा गाये हुवे यह भजन सुनता हूं तो मैं तुरंत अपने भीतर से जुड़ जाता हूं। यह मेरे लिए केवल आँसू लाता है...बोलना बंद हो जाता है... आपका हार्दिक धन्यवाद महाराज जी युगन युगन हम योगी अवधूता, युगन युगन हम योगी आवे ना जाये मिटे ना कबहुं शब्द अनाहत भोगी अवधूता, युगन युगन हम योगी सब ठौर जमात हमारी सब ठौर पर मेला हम सब मांय, सब हैं हम मांय हम है बहूरी अकेला अवधूता, युगन युगन हम योगी हम ही सिद्धि समाधी हम ही हम मौनी हम बोले रूप सरूप अरूप दिखा के हम ही हम में हम तो खेले अवधूता, युगन युगन हम योगी कहें कबीरा सुनो भाई साधो नाहीं न कोई इच्छा अपनी मढ़ी में आप मैं डोलूँ खेलूँ सहज स्वइच्छा अवधूता, युगन युगन हम योगीयुगों-युगों से मैं योगी रहा हूँ ओ पथिक, युगों-युगों से मैं योगी रहा हूँ मैं न आता हूँ, न जाता हूँ, मैं कभी लुप्त नहीं होता मैं अंतहीन ध्वनि का आनंद लेता हूँ ओ पथिक, युगों-युगों से मैं योगी रहा हूँ हर जगह मैं अपना समुदाय देखता हूँ हर जगह मैं उनसे मिलता हूँ मैं सब में हूँ, सब मेरे हैं मैं अकेला और साथ हूँ ओ पथिक, युगों-युगों से मैं योगी रहा हूँ मैं साक्षात्कारी हूँ, मैं स्वयं साक्षात्कार हूँ मैं मौन हूँ, मैं बोलता हूँ मैं बाह्य रूप, आंतरिक रूप, कोई रूप नहीं दिखाता हूँ मैं अपने भीतर खेलता हूँ ओ पथिक, युगों-युगों से मैं योगी रहा हूँ मेरी कोई इच्छा नहीं मैं अपनी कुटिया में ही झूमता हूँ मैं केवल अपने आप को प्रसन्न करने के लिए खेलता हूँ ओ पथिक, युगों-युगों से मैं योगी रहा हूँ - कबीर
🙏महाराजी प्रणाम 🙏 आपका सत्संग बहुत प्यारा है। अपने बहुत अच्छा दोहा बताया ओर टोयो एक बच्चा था पर उसने भी पीर्यश किया ओर उस ने एक हाथ की ताली देख ली बेस ही हम सब भी बो ताली को खोज सकते है बस हमे भी टोयो की तरह मेहनत करनी होगी तथा जिज्ञाशु बनना पढ़ेगा । शुनियता ही संती है। आपके चरणों मैं कोटि कोटि नमन 🌹
🙏प्रणाम महाराज जी🙏 युगन युगन हम योगी संत कबीर दास" यह एक प्रसिद्ध भजन है जिसमें संत कबीर दास ने अपने अनुभवों के माध्यम से योगी के मार्ग को बताया है। उन्होंने इस भजन में योगी का अर्थ व्यक्त किया है जो आत्मा को दिव्यता की दिशा में ले जाता है। इसे गाते हुए वे यह सिद्ध करते हैं कि सत्य और प्रेम के माध्यम से व्यक्ति भगवान से मिलता है महाराज जी आपने और अच्छी तरीके से समझा दिया।
Jis prakar murtikaar apni murti ko dheere dheere aakaar deta hai, usi prakaar aapke har satsung se hamare vichaar ek akaar le rahe hai. Aapka bahut dhanyawaad. 🙏🙏
You experienced wonderful Thanks I hear Soundless sound twenty four hrs In my room an my house it constantly Run Where I'm silence and Alone I enjoyed Naad 🙏🌹🙏
प्रणाम महाराज जी, "आत्मा का न कहीं से आना और न कहीं को जाना, यह अद्वैत वेदांत के उस सत्य को दर्शाता है जहां सब भेद समाप्त हो जाते हैं।" #अद्वैतवेदांत #आत्मा
कबीर एक ऐसे अद्भुत संत हुए है इतिहास में कि निर्गुण के भी गुण गा दिए है जिसने। #कबीरजयंती पर उनके एक रहस्यमयी पद की सटीक व्याख्या पर कृतार्थ हुआ ये दास साहिब को प्रणाम
Kabir's concept of the 'Pure I' resonates with Buddha's impersonal essence, highlighting a state of consciousness that transcends individual personality and embodies universal truth.#UniversalTruth #ImpersonalEssence
आपके द्वारा संत कबीर के इस लोकप्रिय पद की व्याख्या सुन इस अहसास से भर गया हूँ कि संत कबीर ने वेदांत को किस प्रकार से अपनी सधुक्खड़ी भाषा में स्पष्ट गाया है। ऐसी अनमोल कृति यू ट्यूब पर पहुंचाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद एवं स्वामी जी आपको प्रणाम! 👌👍🌸🌸
व्याख्या में एक तरफ ज्ञान की ऊंचाइयां है तो आपके स्वर में आपकी गायकी में हृदय के भावों की गहराइयां है ! दोनों से ही प्रेरणा मिलती है कि हम भीतर चले...भीतर चले और भीतर चले। उसकी तरफ जो कि निर्वैयक्तिक सत्ता है...निर्गुण और निराकार है जो कि हम सबका एक शुद्ध 'मैं'है...ओम है...शांति है...🙏🙏🙏🙏
Kabir saheb ji ka ye bhajan aapki karunamai awaz me orbhi sundar banpada h or Samast Bahari jhuthe aavarno se mon ho jana hi yogi h iss satya ki or le jaane ke liye apka hirdye se aabhar 🙏🙏
प्रणाम महाराज जी 🙏 आपने जो संत कबीर जी का भजन आपकी अति सुंदर वाणी से सुनाया वह हमको बहुत प्यारा लगा है और जो आपने बताया कि मोक्ष किसी को नहीं , मोक्ष (मुक्ति) एक ऐसा अवस्था है जिसे हर व्यक्ति अपने आंतरिक ज्ञान और सत्य की खोज के माध्यम से पा सकता है। उनका मानना था कि बाहरी आडंबर और औपचारिकताएँ इस मार्ग में अवरोध पैदा करती हैं। कबीर का संदेश था कि सच्ची मुक्ति का अनुभव केवल आत्मा के शुद्धिकरण और ईश्वर के प्रति सच्चे प्रेम के माध्यम से ही संभव है। वे जोर देते थे कि सच्चा मोक्ष व्यक्ति के भीतर ही स्थित है, जिसे बाहरी दिखावे और धार्मिक आडंबर से नहीं पाया जा सकता। उनके अनुसार, मोक्ष के लिए आंतरिक साधना, सत्संग, और सच्चे गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक है! प्रणाम 🙇♂️
बहुत ही मधुर एवं गंभीर स्वर में आपने गाया। सुन कर तरंगित हो गया मन। पद की व्याख्या सोच से परे सोचने को प्रेरित करती है। हंसानंद महाराज जी को सादर नमन! 🙏🙏👌
Pranam Maharaj Ji, "The concept of 'Anahat Shabd' as discussed in this discourse transcends the physical realm, symbolizing the eternal unstruck sound that resonates in the silence of the soul." #AnahatShabd #UnstruckSound
कबीर के 'अनाहत शब्द' का वर्णन हमें यह संकेत देता है कि यह अनहद नाद किसी भी भौतिक ध्वनि से परे है और सच्ची जागरूकता केवल गहन मौन में प्रकट होती है।" #अनहदनाद #सच्चीजागरूकता
प्रणाम महाराज जी, "कबीर का 'निर्वैयक्तिक मैं' अद्वैत के सिद्धांत का सार प्रस्तुत करता है, जहां आत्मज्ञान के मार्ग पर कोई व्यक्ति नहीं होता, केवल शुद्ध चेतना होती है।" #निर्वैयक्तिक #अद्वैत
प्रणाम महाराज जी, 'ब्रह्म ही ब्रह्म को जान रहा है' यह विचार अद्वैत वेदांत की मूल धारणा को स्पष्ट करता है, जिसमें सभी भेद मिट जाते हैं। #अद्वैतवेदांत #ब्रह्मज्ञान
सत्य की ओर जैसा चैनल का नाम उसी के अनुरूप एक से बढ़कर एक सत्संग ! हर वीडियो थोड़ा चौंकाने वाला जरूर होता है क्यूंकि हमारी पूर्व की अर्जित धारणाओं पर चोट करता है...पर आपके सत्संग ने नई राहें भी खोल दी हैं चलने के लिए ! प्रणाम!
स्पेस कही से आता नहीं है और कही जाता नहीं है l जो सबके भीतर है l और सब ऊस स्पेस के अंदर है l हर सेल्स मे भी स्पेस है और हर सेल्स स्पेस मे है l यु कहे सारा ब्रम्हांड स्पेस मे ही घुम रहा है l सब स्पेस ही है l
एक हाथ की ताली एक जापानी झेन फकीरों द्वारा अनेक बार प्रयोग में लाई गई कुआन है...तैत्तिरीय उपनिषद से उसे जोड़ #संतकबीर की निर्गुण वाणी की व्याख्या करना एक अतुलनीय प्रयास है! 🥰🌹🌻✨
Maharaj Ji...feeling grateful to you once again for such a nice video u provided. Mokurai was really a true master as he returned Toyo again and again unless he cracked the Koan. I had such thoughts that Koan is a practice followed only in Zen traditions but today this video open my eyes as you gave the facts relating pursuing of this practice in Vaidik Era which is long long before Buddhism reached into Japan. Many many thanks 😊 🙏
प्रणाम महाराज जी, "संत कबीर के 'अनाहत शब्द' की व्याख्या यह सिद्ध करती है कि वास्तविकता की गहराई में प्रवेश मौन के माध्यम से होता है, जहां शब्द विफल हो जाते हैं।" #अनाहतशब्द #मौन
The Zen story of the 'One Hand Clap' elucidates the profound meaning of 'Anahat Shabd', revealing the truth of silence. #OneHandClap #Silence #Soundlesssound
प्रणाम! वीडियो देखने के लिए धन्यवाद। कृपया अपने प्रश्न और सुझाव हमें नीचे दिए गए ईमेल पते पर भेजें ताकि हम महाराज जी द्वारा आपको विस्तृत समुचित उत्तर उपलब्ध करवा सके: ईमेल आईडी: satya_ki_aur@yahoo.com टीम - सत्य की ओर
प्रणाम! वीडियो देखने के लिए धन्यवाद। कृपया अपने प्रश्न और सुझाव हमें नीचे दिए गए ईमेल पते पर भेजें ताकि हम महाराज जी द्वारा आपको विस्तृत समुचित उत्तर उपलब्ध करवा सके: ईमेल आईडी: satya_ki_aur@yahoo.com टीम - सत्य की ओर
प्रणाम! वीडियो देखने के लिए धन्यवाद। कृपया अपने प्रश्न और सुझाव हमें नीचे दिए गए ईमेल पते पर भेजें ताकि हम महाराज जी द्वारा आपको विस्तृत समुचित उत्तर उपलब्ध करवा सके: ईमेल आईडी: satya_ki_aur@yahoo.com टीम - सत्य की ओर
व्याख्या में एक तरफ ज्ञान की ऊंचाइयां है तो आपके स्वर में आपकी गायकी में हृदय के भावों की गहराइयां है ! दोनों से ही प्रेरणा मिलती है कि हम भीतर चले...भीतर चले और भीतर चले। उसकी तरफ जो कि निर्वैयक्तिक सत्ता है...निर्गुण और निराकार है जो कि हम सबका एक शुद्ध 'मैं'है...ओम है...शांति है...🙏🙏🙏🙏
प्रणाम महाराज जी, "आत्मा का न कहीं से आना और न कहीं को जाना, यह अद्वैत वेदांत के उस सत्य को दर्शाता है जहां सब भेद समाप्त हो जाते हैं।" #अद्वैतवेदांत #आत्मा
महाराज आपको प्रणाम ।
कबीर जी का भजन और झेन कहानी बहुत ही ज्ञानवर्धक है।
प्रणाम महाराज जी,
"कबीर के 'युगन युगन हम योगी' का वर्णन आत्मबोध की उस कालातीत प्रकृति को प्रकट करता है, जहां आत्मा की यात्रा समय और व्यक्तिगत पहचान की सीमाओं से परे होती है।" #आत्मबोध #कालातीत
सार आज मिला 👍
प्रणाम महाराज जी,
"मुक्ति का यह दृष्टिकोण कि यह 'व्यक्ति' के लिए नहीं है, अहंकार के विघटन और इस बोध पर प्रकाश डालता है कि सच्ची स्वतंत्रता व्यक्तिगत पहचान की अनुपस्थिति में ही है।" #अहंकारविघटन #सच्चीस्वतंत्रता
अप्रतीम हृदयस्पर्शी,💐💐💐💐💐👌🙏🙏🙏🙏🙏
Pranaam Prabhu
आज फिर से आपने अपने सत्संग में मारवाड़ की संत माता माता भूरी बाई 'अलख' को याद किया। आपका यह प्रयास भविष्य में आने वाली पीढ़ियों को याद कराता रहेगा कि कोई ऐसी भी महिला ज्ञानी संत हुई थी अपनी इस भारत की मरूभूमि में। सत्संग का प्रस्तुतीकरण अद्भुत लगा। आपकी वाणी संतों की वाणी के वास्तविक अभिप्राय को उद्घाटित कर देती है।
सादर नमस्कार 🌹🌹🌹🌹
प्रणाम !
बहुत ही सुंदर अति सुंदर कबीर साहब का भजन बहुत खूब हे और जो अपने व्याख्या की वो और अति सुंदर है
मोक्ष किसी व्यक्ति को नहीं मिलता
अनाहत शब्द
ब्रह्म ब्रह्म को जान रहा है आदि
को अपने बहुत ही सुंदर व्याख्या की।
धन्यवाद
जब खोज होती है तो मैं विलीन हो जाता है बचता है केवल ईश्वर जो कुछ नहीं नहीं है l
It is a beyond to beyond explanation of Saint kabir's nirgun poem. Extremely thankful 🙏🙏
प्रणाम महाराज जी🙏 | आपने बोहोत ही सुंदर भजन गाया है लगता है स्वयं कबीर साहब सामने आकर खड़े हो गए हैं जितनी बार भी सुनो मन नहीं भरता है लगता है सुनते ही रहो।
मैं इस भजन और इस अनुभव को कभी नहीं भूलूंगा।
जब मैं आपके द्वारा गाये हुवे यह भजन सुनता हूं तो मैं तुरंत अपने भीतर से जुड़ जाता हूं। यह मेरे लिए केवल आँसू लाता है...बोलना बंद हो जाता है... आपका हार्दिक धन्यवाद महाराज जी
युगन युगन हम योगी
अवधूता, युगन युगन हम योगी
आवे ना जाये मिटे ना कबहुं
शब्द अनाहत भोगी
अवधूता, युगन युगन हम योगी
सब ठौर जमात हमारी
सब ठौर पर मेला
हम सब मांय, सब हैं हम मांय
हम है बहूरी अकेला
अवधूता, युगन युगन हम योगी
हम ही सिद्धि समाधी हम ही
हम मौनी हम बोले
रूप सरूप अरूप दिखा के
हम ही हम में हम तो खेले
अवधूता, युगन युगन हम योगी
कहें कबीरा सुनो भाई साधो
नाहीं न कोई इच्छा
अपनी मढ़ी में आप मैं डोलूँ
खेलूँ सहज स्वइच्छा
अवधूता, युगन युगन हम योगीयुगों-युगों से मैं योगी रहा हूँ ओ पथिक, युगों-युगों से मैं योगी रहा हूँ मैं न आता हूँ, न जाता हूँ, मैं कभी लुप्त नहीं होता मैं अंतहीन ध्वनि का आनंद लेता हूँ ओ पथिक, युगों-युगों से मैं योगी रहा हूँ हर जगह मैं अपना समुदाय देखता हूँ हर जगह मैं उनसे मिलता हूँ मैं सब में हूँ, सब मेरे हैं मैं अकेला और साथ हूँ ओ पथिक, युगों-युगों से मैं योगी रहा हूँ मैं साक्षात्कारी हूँ, मैं स्वयं साक्षात्कार हूँ मैं मौन हूँ, मैं बोलता हूँ मैं बाह्य रूप, आंतरिक रूप, कोई रूप नहीं दिखाता हूँ मैं अपने भीतर खेलता हूँ ओ पथिक, युगों-युगों से मैं योगी रहा हूँ मेरी कोई इच्छा नहीं मैं अपनी कुटिया में ही झूमता हूँ मैं केवल अपने आप को प्रसन्न करने के लिए खेलता हूँ ओ पथिक, युगों-युगों से मैं योगी रहा हूँ - कबीर
मैं तो कभी था नहीं ना ही होगा ना रहेंगा l ईश्वर ही था ईश्वर ही होगा और ईश्वर ही रहेंगा l ईश्वर ही है तुम हो की नहीं पता करो पक्का करो l
Hariom.guruji❤❤
मैं कुछ नहीं हूं और मैं ही सबकुछ हूं ll ये कुछ नहीं कुछ नहीं नहीं है ये कुछ नहीं तो सबकुछ है l
🙏दंडवत प्रणाम महाराज जी आपने बहुत ही सुंदर भजन गया है🙏
संत कबीर की जयंती पर एक रोचक झंन कथा के माध्यम से जो आज सत्संग दिया है महाराज जी वह अद्भुत है आपको कोटि कोटि प्रणाम
🙏महाराजी प्रणाम 🙏
आपका सत्संग बहुत प्यारा है।
अपने बहुत अच्छा दोहा बताया ओर
टोयो एक बच्चा था पर उसने भी पीर्यश किया ओर उस ने एक हाथ की ताली देख ली बेस ही हम सब भी बो ताली को
खोज सकते है बस हमे भी टोयो की तरह मेहनत करनी होगी तथा जिज्ञाशु बनना पढ़ेगा । शुनियता ही संती है।
आपके चरणों मैं कोटि कोटि नमन 🌹
स्वामीजी के श्री चरणों में कोटि कोटि नमन 🙏🏻
🙏प्रणाम महाराज जी🙏
युगन युगन हम योगी संत कबीर दास" यह एक प्रसिद्ध भजन है जिसमें संत कबीर दास ने अपने अनुभवों के माध्यम से योगी के मार्ग को बताया है। उन्होंने इस भजन में योगी का अर्थ व्यक्त किया है जो आत्मा को दिव्यता की दिशा में ले जाता है। इसे गाते हुए वे यह सिद्ध करते हैं कि सत्य और प्रेम के माध्यम से व्यक्ति भगवान से मिलता है महाराज जी आपने और अच्छी तरीके से समझा दिया।
"संत कबीर का यह पद हमें सिखाता है कि वास्तविकता का अनुभव समष्टिगत दृष्टिकोण से ही संभव है, जो सभी भेदभावों से परे है।" #समष्टिगतदृष्टिकोण #वास्तविकता
प्रणाम भगवान 🙏
साहेब बंदगी साहेब
ATYANT MARMIK -- ACHNTYA CHEEJH KO BHEE NITAANT SAHAJ -- SARAL ABHIVYAKT -- PRAKAT DEKH MUDHTA SE BHER GAYE , SHREE YUT !
🙏🙏दंडवत प्रणाम महाराज जी 🙏🙏
Jis prakar murtikaar apni murti ko dheere dheere aakaar deta hai, usi prakaar aapke har satsung se hamare vichaar ek akaar le rahe hai. Aapka bahut dhanyawaad. 🙏🙏
🙏🙏महाराज जी प्रणाम आपने कबीर साहब के भजन के माध्यम से सत्संग बहुत अच्छा बताया है 🙏🙏
क्या गाया है वाह🙏🙏🙏
You experienced wonderful
Thanks
I hear Soundless sound twenty four hrs In my room an my house it constantly Run
Where I'm silence and Alone I enjoyed Naad
🙏🌹🙏
प्रणाम महाराज जी,
"आत्मा का न कहीं से आना और न कहीं को जाना, यह अद्वैत वेदांत के उस सत्य को दर्शाता है जहां सब भेद समाप्त हो जाते हैं।" #अद्वैतवेदांत #आत्मा
कबीर एक ऐसे अद्भुत संत हुए है इतिहास में कि निर्गुण के भी गुण गा दिए है जिसने।
#कबीरजयंती पर उनके एक रहस्यमयी पद की सटीक व्याख्या पर कृतार्थ हुआ ये दास
साहिब को प्रणाम
प्रणाम महाराज जी संत कबीर जो भजन बहुत सुंदर है की आकर्षित कर सकता है बहुत बहुत सुंदर
Kabir's concept of the 'Pure I' resonates with Buddha's impersonal essence, highlighting a state of consciousness that transcends individual personality and embodies universal truth.#UniversalTruth #ImpersonalEssence
Thanks
आपके द्वारा संत कबीर के इस लोकप्रिय पद की व्याख्या सुन इस अहसास से भर गया हूँ कि संत कबीर ने वेदांत को किस प्रकार से अपनी सधुक्खड़ी भाषा में स्पष्ट गाया है। ऐसी अनमोल कृति यू ट्यूब पर पहुंचाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद एवं स्वामी जी आपको प्रणाम! 👌👍🌸🌸
भाषा द्वारा उसकी और इशारा करना जो कि सदैव से अपरिभाषित है एवं भाषा से परे है आज जैसे संतों का काम है!
प्रणाम! प्यारे महाराज जी
💯 sure
व्याख्या में एक तरफ ज्ञान की ऊंचाइयां है तो आपके स्वर में आपकी गायकी में हृदय के भावों की गहराइयां है ! दोनों से ही प्रेरणा मिलती है कि हम भीतर चले...भीतर चले और भीतर चले।
उसकी तरफ जो कि निर्वैयक्तिक सत्ता है...निर्गुण और निराकार है जो कि हम सबका एक शुद्ध 'मैं'है...ओम है...शांति है...🙏🙏🙏🙏
प्रणाम! महाराज जी...बहुत ही सुंदर तरीके से भजन गाया आपने। आप द्वारा मधुर एवं लयबद्ध भजन और फिर उसका अर्थ...दोनों ही बड़े अच्छे लगे। 👌🙏
Narayan Hari 🙏Jai ho Prabhu
Pranam Maharaj Ji,
Kabir’s 'Anahat Shabd' signifies a soundless sound, taking us into the depths of silence. #AnahatShabd #SoundlessSound
🙏🙏
Pranaam maharaj jj 🙏 bhot sukoon hai aapki vaani me....aapko sunte sunte shunyata apne aap hi viksit hone lagti hai...adbhut satsang dhanyawaad🙏🙏🙏
Kabir saheb ji ka ye bhajan aapki karunamai awaz me orbhi sundar banpada h or Samast Bahari jhuthe aavarno se mon ho jana hi yogi h iss satya ki or le jaane ke liye apka hirdye se aabhar 🙏🙏
प्रणाम महाराज जी 🙏
आपने जो संत कबीर जी का भजन आपकी अति सुंदर वाणी से सुनाया वह हमको बहुत प्यारा लगा है और जो आपने बताया कि मोक्ष किसी को नहीं , मोक्ष (मुक्ति) एक ऐसा अवस्था है जिसे हर व्यक्ति अपने आंतरिक ज्ञान और सत्य की खोज के माध्यम से पा सकता है। उनका मानना था कि बाहरी आडंबर और औपचारिकताएँ इस मार्ग में अवरोध पैदा करती हैं। कबीर का संदेश था कि सच्ची मुक्ति का अनुभव केवल आत्मा के शुद्धिकरण और ईश्वर के प्रति सच्चे प्रेम के माध्यम से ही संभव है। वे जोर देते थे कि सच्चा मोक्ष व्यक्ति के भीतर ही स्थित है, जिसे बाहरी दिखावे और धार्मिक आडंबर से नहीं पाया जा सकता। उनके अनुसार, मोक्ष के लिए आंतरिक साधना, सत्संग, और सच्चे गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक है!
प्रणाम 🙇♂️
'ब्रह्म ही ब्रह्म को जान रहा है' यह विचार अद्वैत वेदांत की मूल धारणा को स्पष्ट करता है, जिसमें सभी भेद मिट जाते हैं। #अद्वैतवेदांत #ब्रह्मज्ञान
🙏प्रणव महाराज जी🙏
महाराज जी आपने जो भजन गया वह बहुत ही सुंदर गया और उसका जो आपने अर्थ बहुत अच्छी तरीके से समझाया धन्यवाद महाराज जी
प्रणाम महाराज जी,
"ओशो और पापा जी की शिक्षाएं कबीर की विचारधारा के साथ सामंजस्य बिठाते हुए मौन की महत्वपूर्ण भूमिका को स्पष्ट करती हैं।" #ओशो #पापाजी
Namskar ji
प्रणाम महाराज जी,
"कबीर का 'शुद्ध मैं' भगवान बुद्ध की निर्वैयक्तिकता की ओर संकेत करता है, जो शुद्ध चेतना की अभिव्यक्ति है।" #शुद्धमैं #निर्वैयक्तिकता
बहुत ही मधुर एवं गंभीर स्वर में आपने गाया। सुन कर तरंगित हो गया मन। पद की व्याख्या सोच से परे सोचने को प्रेरित करती है। हंसानंद महाराज जी को सादर नमन! 🙏🙏👌
❤❤
The universal view in Kabir’s 'Yugan-Yugan Hum Yogi' illustrates that self-realization is eternal and omnipresent. #UniversalView #SelfRealization
Pranam Maharaj Ji,
"The concept of 'Anahat Shabd' as discussed in this discourse transcends the physical realm, symbolizing the eternal unstruck sound that resonates in the silence of the soul." #AnahatShabd #UnstruckSound
कबीर के 'अनाहत शब्द' का वर्णन हमें यह संकेत देता है कि यह अनहद नाद किसी भी भौतिक ध्वनि से परे है और सच्ची जागरूकता केवल गहन मौन में प्रकट होती है।" #अनहदनाद #सच्चीजागरूकता
प्रणाम महाराज जी,
"कबीर का 'निर्वैयक्तिक मैं' अद्वैत के सिद्धांत का सार प्रस्तुत करता है, जहां आत्मज्ञान के मार्ग पर कोई व्यक्ति नहीं होता, केवल शुद्ध चेतना होती है।" #निर्वैयक्तिक #अद्वैत
प्रणाम महाराज जी,
'ब्रह्म ही ब्रह्म को जान रहा है' यह विचार अद्वैत वेदांत की मूल धारणा को स्पष्ट करता है, जिसमें सभी भेद मिट जाते हैं। #अद्वैतवेदांत #ब्रह्मज्ञान
सत्य की ओर
जैसा चैनल का नाम उसी के अनुरूप एक से बढ़कर एक सत्संग !
हर वीडियो थोड़ा चौंकाने वाला जरूर होता है क्यूंकि हमारी पूर्व की अर्जित धारणाओं पर चोट करता है...पर आपके सत्संग ने नई राहें भी खोल दी हैं चलने के लिए !
प्रणाम!
स्पेस कही से आता नहीं है और कही जाता नहीं है l जो सबके भीतर है l और सब ऊस स्पेस के अंदर है l हर सेल्स मे भी स्पेस है और हर सेल्स स्पेस मे है l यु कहे सारा ब्रम्हांड स्पेस मे ही घुम रहा है l सब स्पेस ही है l
🙏🌼🌼🌼🌼😍😍❤
एक हाथ की ताली एक जापानी झेन फकीरों द्वारा अनेक बार प्रयोग में लाई गई कुआन है...तैत्तिरीय उपनिषद से उसे जोड़ #संतकबीर की निर्गुण वाणी की व्याख्या करना एक अतुलनीय प्रयास है! 🥰🌹🌻✨
Maharaj Ji...feeling grateful to you once again for such a nice video u provided.
Mokurai was really a true master as he returned Toyo again and again unless he cracked the Koan.
I had such thoughts that Koan is a practice followed only in Zen traditions but today this video open my eyes as you gave the facts relating pursuing of this practice in Vaidik Era which is long long before Buddhism reached into Japan.
Many many thanks 😊 🙏
प्रणाम महाराज जी,
"संत कबीर के 'अनाहत शब्द' की व्याख्या यह सिद्ध करती है कि वास्तविकता की गहराई में प्रवेश मौन के माध्यम से होता है, जहां शब्द विफल हो जाते हैं।" #अनाहतशब्द #मौन
The Zen story of the 'One Hand Clap' elucidates the profound meaning of 'Anahat Shabd', revealing the truth of silence. #OneHandClap #Silence #Soundlesssound
प्रणाम महाराज
देह युक्त इस जीवन जीने की कला पर भी प्रकाश डालिए गा।
पूरा वीडियो दीजिए। धन्यवाद.
💖🧡💖💛💖💚💖💙💖💜💖🤍♥
प्रणाम महाराज जी जब हम दूसरे महात्मा या गुरुओं के किसी बात पर हम विश्वास कर लेते है तो वो काम कैसे सिद्ध हो जाते ही
प्रणाम!
वीडियो देखने के लिए धन्यवाद। कृपया अपने प्रश्न और सुझाव हमें नीचे दिए गए ईमेल पते पर भेजें ताकि हम महाराज जी द्वारा आपको विस्तृत समुचित उत्तर उपलब्ध करवा सके:
ईमेल आईडी: satya_ki_aur@yahoo.com
टीम - सत्य की ओर
Aapse baat ho sakti h kya
प्रणाम!
वीडियो देखने के लिए धन्यवाद। कृपया अपने प्रश्न और सुझाव हमें नीचे दिए गए ईमेल पते पर भेजें ताकि हम महाराज जी द्वारा आपको विस्तृत समुचित उत्तर उपलब्ध करवा सके:
ईमेल आईडी: satya_ki_aur@yahoo.com
टीम - सत्य की ओर
आपका no. Mil sakta kta
प्रणाम!
वीडियो देखने के लिए धन्यवाद। कृपया अपने प्रश्न और सुझाव हमें नीचे दिए गए ईमेल पते पर भेजें ताकि हम महाराज जी द्वारा आपको विस्तृत समुचित उत्तर उपलब्ध करवा सके:
ईमेल आईडी: satya_ki_aur@yahoo.com
टीम - सत्य की ओर
Pranaam Prabhu
व्याख्या में एक तरफ ज्ञान की ऊंचाइयां है तो आपके स्वर में आपकी गायकी में हृदय के भावों की गहराइयां है ! दोनों से ही प्रेरणा मिलती है कि हम भीतर चले...भीतर चले और भीतर चले।
उसकी तरफ जो कि निर्वैयक्तिक सत्ता है...निर्गुण और निराकार है जो कि हम सबका एक शुद्ध 'मैं'है...ओम है...शांति है...🙏🙏🙏🙏
प्रणाम महाराज जी,
"आत्मा का न कहीं से आना और न कहीं को जाना, यह अद्वैत वेदांत के उस सत्य को दर्शाता है जहां सब भेद समाप्त हो जाते हैं।" #अद्वैतवेदांत #आत्मा