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चमत्कारी बाबा बालक नाथ धाम दर्शन। 4K । दर्शन 🙏
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- เผยแพร่เมื่อ 26 ก.ค. 2022
- भक्तों नमस्कार! प्रणाम! सादर नमन, वंदन और अभिनन्दन
भक्तों! बाबा बालकनाथ को हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरयाणा और दिल्ली सहित समूचे उत्तरभारत में बड़ी श्रद्धा से पूजा जाता है, भक्तों बाबा बालकनाथ के धाम को “दयोटसिद्ध” के नाम से जाना जाता है,तो भक्तों आइये आज हम आपको लेकर चलते हैं बाबा बालकनाथ के धाम “दयोटसिद्ध”….
स्थित:
भक्तों! “दयोटसिद्ध” यानि बाबा बालकनाथ जी का मंदिर देवभूमि हिमांचल प्रदेश के हमीरपुर से 45 किलोमीटर दूर चकमोह गाँव की ग्रनेर पहाड़ी के ऊंचे सुरम्य शिखर पर एक गुफ़ा में स्थित है जो कसौली से 3 किलोमीटर दूर है।
निषेध/प्रतिबंध:
भक्तों! बाबा बालकनाथ जी की इस गुफा में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है... क्योंकि मान्यता है कि बाबाजी सारी उम्र ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हुए इसी गुफा में अंतर्ध्यान (अलोप) हो गए थे .
लोकगाथा/मान्यताएँ:
भक्तों! द्वापर युग में “महाकौल(बाबा जी)” कैलाश पर्वत जा रहे थे, तो रास्ते में उनकी मुलाकात एक वृद्ध स्त्री से हुई, उसने “महाकौल (बाबा जी) से गन्तव्य में जाने का कारण पूछा तो उन्होने वृद्ध स्त्री को बताया कि मैं कैलाश पर्वत भगवान शिव से मिलने जा रहे हूँ तो उस वृद्ध स्त्री ने “महाकौल (बाबा जी) को मानसरोवर के किनारे तपस्या करने की सलाह देते हुये बताया कि “माता पार्वती प्रायः मानसरोवर में स्नान के लिए आया करती हैं उन्हीसे आग्रह करो, वे भगवान शिवतक पहुँचने तुम्हारी सहायता करेंगी। “महाकौल (बाबा जी) ने बिलकुल वैसा ही किया और अपने उद्देश्य, भगवान शिव से मिलने में सफल हुए। बालयोगी महाकौल को देखकर शिवजी बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने बाबाजी को कलयुग तक भक्तों के बीच सिद्ध प्रतीक के तौर से पूजे जाने का आशिर्वाद प्रदान किया और चिर आयु तक उनकी छबि को बालक की छबि के तौर पर बने रहने का भी आशिर्वाद दिया।
इतिहास:
भक्तों! कलयुग में बाबा बालकनाथ जी की जन्म को लेकर दो कथाएँ प्रचलित हैं.. पहली कथा के अनुसार
बाबा बालकनाथ का जन्म गुजरात, काठियावाड़ में “देव” नामक बालक के रूप हुआ। उनकी माता का नाम लक्ष्मी और पिता का नाम वैष्णव वैश्य था, बचपन से ही बालक देव रूपी बाबाजी दिनरात अनवरत ‘आध्यात्म’ में लीन रहते थे। यह देखकर उनके माता पिता ने उनका विवाह करने का निश्चय किया, परन्तु “देव” (बाबाजी) माता पिता के प्रस्ताव को अस्वीकार कर, घरवार छोड़ परमसिद्धि हेतु निकल पड़े... और जा पहुंचे जूनागढ़ के गिरनार पर्वत... जहां उनका सामना हुआ स्वामी दत्तात्रेय जी से... यहीं देव/बाबाजी ने स्वामी दत्तात्रेय से गुरुदीक्षा लेकर, आत्मसिद्धि की बुनियादी शिक्षा भी ग्रहण की... और सिद्धि प्राप्त करने हेतु साधना पथ पर अग्रसर हो गए... वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बालक देव यानि बाबा जी को शाहतलाई में गरुड़ वृक्ष के नीचे सिद्धि प्राप्त हुई...
दूसरी कथा के अनुसार:
बाबा बालक नाथ जी 3 वर्ष की अल्पायु में ही अपना घर छोड़ कर चार धाम की यात्रा पर निकाल गए... यात्रा करते-करते शाहतलाई नामक पहुंचे थे।
जहां रतनो नामक एक माई रहती थीं, जिनकी कोई संतान नहीं थी...उन्होंने बालकनाथ को अपना धर्मपुत्र बनाया और अपनी गौएँ चराने का काम करवाती और भोजन हेतु लस्सी रोटी देती।
बाबा जी गौएँ लेकर जाते और गौओं को छोडकर ध्यान और साधना में लीन हो जाते जिससे गायें लोगों की फसलें चर लेती थीं...इसी प्रकार बारह वर्ष बीत गए... लोग माई रतनो के पास शिकायत लाकर आने लगे...
एक दिन माई रतनो, बाबाजी को लस्सी रोटी का ताना मारा... तो बाबा जी ने अपने चमत्कार से 12 वर्ष की लस्सी और रोटियां एक पल में लौटा दीं।
इस घटना की जब आस-पास के क्षेत्र में बाबाजी के चमत्कार चर्चा होने लगी। तत्कालीन ऋषि-मुनि व साधक तपस्वी लोग बाबा जी की चमत्कारी शक्ति से बहुत प्रभावित उनकी प्रशंशा करने लगे। भक्तों! गुरु गोरखनाथ जी को बाबाजी के चमत्कारी शक्ति बारे में ज्ञात हुआ, तो उन्होंने बाबा बालकनाथ जी को अपना चेला बनाना चाहा परंतु बाबा जी के इंकार कर दिया... जिससे गोरखनाथ बहुत क्रोधित हो गए ... और बाबाजी को जबरदस्ती चेला बनाना चाहा... तब बाबा जी शाहतलाई से छलांग लगाकर धौलगिरि पर्वत की सुंदर गुफा के अंदर पहुँच गए।
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन ! 🙏
इस कार्यक्रम के प्रत्येक एपिसोड में हम भक्तों को भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर, धाम या देवी-देवता के दर्शन तो करायेंगे ही, साथ ही उस मंदिर की महिमा उसके इतिहास और उसकी मान्यताओं से भी सन्मुख करायेंगे। तो देखना ना भूलें ज्ञान और भक्ति का अनोखा दिव्य दर्शन।🙏
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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Jai baba balak nath ji jai 🙏 😊 ❤
Jai Baba Balak nath ji... 🙏🙏🙏🙏🙏
Jai baba balak nath ji, jaikara pounahari ji ka bolo sachi Sarkaar ki jai
Jai jhardojee, jai rupnathjee, jai bababalaknathjee 🙏🙏🙏🙏🙏
ਜੈ ਬਾਬੇ ਦੀ ਜੀ
Jai baba balak nath jiiiii
Jai babe di
🌹🌹🌹🌹ਮੇਰੇ ਸ਼੍ਰੀ ਸਿੱਧ ਜੋਗੀ ਨਾਥ ਜੀ🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jai siddh Baba balak nath ji
Jai babe di sab ko ji
ਜੈ ਸਿੱਧ ਜੋਗੀ ਬਾਬਾ ਬਾਲਕ ਨਾਥ ਜੀ
jai baba balak nath ji
Jai baba balak nath ji ki
Baba ji mehr kro tuhdi kirpa chahidi bs main chrna nal la ke rakheo
aapne byout aachi knowledge dii lekin abhi bhi btout kafii leelaye baabji ki bcchi hai
jasie ki sheshnaag ke aana or sher ka unke aagye hath jodarna
raja barthri ji ka unki sharn grahan krna
guru gorknath ji ka unee parajit krna or unhe apne shiv roop ke darshan dena
bhoot,preto ke raja narah sing veer ka unse yudh honaa or baba ji ka usee parajit krna or apnii sharn mei rkna
or setha or lalli ji ka अहंकार thodra ,
mare huye bcche ho jeevat krna
ek raksh ne jo bccha kha liya tha
kasie baba ji ne raksha ke पेट में से बचे के shairi ke tukdro ko जुड़ा और उसे जीवत किया ये सब
assi or bhi anekh baba ji ki puran kathye hai
ye bhi baba ji ke jeevan kaal mei huyi hai ,
kasie unka naam phonahari pdha kyuki bo sirf हवा से gujara krte hai
kasi unka naam दुधादारी padha
kyuki unke kano se khoon ke jagh। doodh nikla
kasie guru gorak nath ke 360 cheloo ko sirf dudh se rjaa diya or uss gaay ka dudh pillaya jo kabhi dudh hi nahi dete। ausr gaay anke lilaaye hai ❤❤❤🎉🎉
kripa ek puri vedio bniye gaa jis se sabhi ko baba ji ki sarii lelaayo ke baare mei ptaa chle
jasie abb haridwar mei baba ji ke ek byoyt bdaa mandir ka nirman hone ja Raha hai jisme 2 crore ki baba ji ki murti stapit hone ja rhi hai।anke lella or anke baba ji ki kathye hai
jai baba balak nath ji
jai sidh jogi
jai mere panohari baba ji ❤❤