जो भी हुवा अच्छा हूवा और जो लड़की के परिवार वालों ने जो कदम उठाया वो एक दम सही है जिस मां ने नो महीने पेट में रखा कितनी पीड़ा सहन की ओर उस बाप में क्या बीती होगी जिसने अपनी बेटी को बीस साल तक बेटी को पाला पोसा होगा और उसे एक आवारा लडका फोन पर प्यार के जाल में फसाया और लेके भाग गया लडके को अपनी बहन कोही भगाकर ले जाना चाहिए था
जो भी हुवा अच्छा हूवा और जो लड़की के परिवार वालों ने जो कदम उठाया वो एक दम सही है जिस मां ने नो महीने पेट में रखा कितनी पीड़ा सहन की ओर उस बाप में क्या बीती होगी जिसने अपनी बेटी को बीस साल तक बेटी को पाला पोसा होगा और उसे एक आवारा लडका फोन पर प्यार के जाल में फसाया और लेके भाग गया लडके को अपनी बहन कोही भगाकर ले जाना चाहिए था
रिश्तों का तो नामो-निशान ही नहीं रहा।
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