देवनगरी के देवदर्शन पार्ट -1191 श्री चिरंजीवी हनुमान मंदिर पाडीव जिला सिरोही प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव
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- เผยแพร่เมื่อ 8 ก.พ. 2025
- देवनगरी के देवदर्शन पार्ट -1191 श्री चिरंजीवी हनुमान मंदिर पाडीव जिला सिरोही का तीन दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव धूमधाम से संपन्न हुआ ।
5000 साल पुराने पांडवकालीन श्री हनुमानजी महाराज के मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह ने सर्व समाज को एक सूत्र में बांध दिया । आबू के परम पूजनीय संत सिरोमणि श्री श्री 1008 श्री चंदन गिरी जी महारारणा , मार्गदर्शन और परम सानिध्य में मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू हुआ , प्राचीन प्रतिमा को यथावत रखते हुए मंदिर का नवनिर्माण आरंभ हुआ और देखते देखते वह शुभ दिन आ गया जब प्राण प्रतिष्ठा होना निश्चय हुआ ।
इस पुनीत कार्य के लिए सर्व समाज संगठित हुआ , योजना बनाई गयी , आमंत्रण पत्रिका का प्रारूप तैयार हुआ , आमंत्रण की सूचना दी गई , व्यवस्थाओं के लिए कार्यकर्ताओं की फौज तैयार हुई , भामाशाहों ने आगे बढ़ कर चिंरजीवी हनुमानजी के प्राण प्रतिष्ठा समारोह मे तन मन धन से सहयोग देकर आशीर्वाद पाया , कार्य का विकेंद्रीकरण हुआ , पाडीव ठाकुर साहब श्रीमान समरजीत सिंह जी देवडा साहब समेत हर समाज ने इस आयोजन को सफल बनाने में बडी भूमिका निभाई और तीन दिवसीय समारोह में विभिन्न आयोजन हुए ।
पूरे गांव को सजाया गया , बडे बडे पांडाल बनाए गए , भोजनशाला तैयार हुई जिसमें हजारों हजारों लोगों के प्रसादी की व्यवस्था की गयी , जन्म भूमि से सैंकड़ों हजारों किलोमीटर दूर रहने वाले लोगों का आगमन आरंभ हुआ , अतीथियों के स्वागत , संतों की सेवा और व्यवस्थाओं को अंजाम दिया गया , चढावे बोले गये हवन हुआ , ढोल नगाड़ों और बैंड बाजे के साथ भव्यातिभव्य शोभायात्रा निकाली गया , रात्रि की भजनसंध्या में सुप्रसिद्ध गायक कलाकार श्रीमान छोटू सिंह जी रावणा साहब की रात भर भक्ति की गंगा बहती रही ।
प्राण प्रतिष्ठा के साथ पाडीव गांव ने आध्यात्म क पुस्तक में एक अध्याय जोड दिया गया ।
तीन साल पहले देवनगरी के देवदर्शन यात्रा के तहत 5000 साल पुराना पांडवकालीन श्री हनुमानजी महाराज का मंदिर को दिखाया जो अब अतीत की यादें बन चुका पुराना वीडियो आप इस लिंक पर अवश्य देखिए -
• देवनगरी के देवदर्शन पा...
देवनगरी के देवदर्शन पार्ट - 773 " सिरोही के निकट पाडीव गांव मे है 5000 साल पुराना पांडवकालीन श्री हनुमानजी महाराज का मंदिर "
महाभारत काल के कई उल्लेख आते हैं कि पांडवों ने भारत के अनेक क्षेत्रों मे समय गुजारा । अलवर जिले का पांडुपोल , माउंट आबू की पांडव गुफा , पाडीव गांव के जगधणी बावसी , पोसिन्द्रा के श्री ईस्बोर जी और पाडीव गांव का ये ऐतिहासिक स्थान " भीमगोडा " की चर्चा अक्सर होती है ।
देवनगरी के देवदर्शन Sirohi Temples आज पाडीव के निकट उस स्थान पर पहुंचा जहां पांच हजार साल पहले पांडवों ने श्री हनुमानजी महाराज के मंदिर की स्थापना की ।
पाडीव के श्री जगधणी बावसी और श्री हनुमानजी महाराज का मंदिर -
श्री जगधणी पाडीव और श्री जगधणी दिल्ली दो ऐसे स्थान है जहां पांडवों ने यज्ञ किया और यज्ञ से भगवान प्रगट हुए । श्री जगधणी बावसी साक्षात जगदीश हैं जिनकी उत्पत्ति यज्ञ से हुई । हमने देवनगरी के देवदर्शन यात्रा में श्री जगधणी भगवान के दर्शन करवाए थे । पाडीव का संबंध पांडवों से था , उनके हाथ की बावडी , श्री जगधणी बावसी की स्थापना और विशालकाय शिला पर भीम गोडे का निशान यहा की विरासत है जो हमको सहेजनी चाहिए ।
श्री हनुमानजी महाराज के प्रति समाज की गहरी आस्था है ।
राजेन्द्र सिंह नरुका ' आनंद '*