मनोपुब्बॾमा धम्मा,मनोसेट्ठा मनोमया।मनसा चे पसन्नेन,भांति वा करोति वा। ततो नं सचखमन्वेति , छाया व अनपायिनी।। तथागत बुध्द कहते हैं (धम्मपद ग्रंथ में)अर्थात:--तुम्हारा मन ही सर्वोपरि है। सारे सुखों और दुःखों के जो कारण है,वे तुम्हारे मन में ही स्थित है।राग,द्वेष,मोह, काम, तृष्णा इत्यादि बुरे विचारों को चित्त से निकालकर यदि आदमी प्रज्ञा (प्रत्यक्ष ज्ञान) और शील(सदाचार)पर स्थित रहे तथा करूणा और मैंत्री भावना सभी जीवों पर रखें तो वह स्वयं सुख पा सकता है और उसी प्रकार सारा समाज सुखपूर्वक रह सकता है। धन्यवाद आपका...!(श्री राजेश रोशन बनसोड नागपुर महाराष्ट्र)❤❤❤🎉🎉🎉
मनोपुब्बॾमा धम्मा,मनोसेट्ठा मनोमया।मनसा चे पसन्नेन,भांति वा करोति वा। ततो नं सचखमन्वेति , छाया व अनपायिनी।। तथागत बुध्द कहते हैं (धम्मपद ग्रंथ में)अर्थात:--तुम्हारा मन ही सर्वोपरि है। सारे सुखों और दुःखों के जो कारण है,वे तुम्हारे मन में ही स्थित है।राग,द्वेष,मोह, काम, तृष्णा इत्यादि बुरे विचारों को चित्त से निकालकर यदि आदमी प्रज्ञा (प्रत्यक्ष ज्ञान) और शील(सदाचार)पर स्थित रहे तथा करूणा और मैंत्री भावना सभी जीवों पर रखें तो वह स्वयं सुख पा सकता है और उसी प्रकार सारा समाज सुखपूर्वक रह सकता है। धन्यवाद आपका...!(श्री राजेश रोशन बनसोड नागपुर महाराष्ट्र)❤❤❤🎉🎉🎉
कृष्ण बोला हिन्दुओ थारे धौरे कृष्ण आले कै ! छाती फूको तम जिसकी वो छाती कै लाले कै ! सोलह हजार से उपर रानी मेरे नु किस्से छिड जाते इतनी रानी हो तो फिर लटूर मेरे सब झड़ जाते किस-किस के मैं महल में जाता सबके थोबड़े चढ़ जाते एक महल ने छोड़ सभी में गावं के रांडे बढ़ जाते एक बीर निभानी मुश्किल इतनी कोई निभाले कै -------छाती फूको -- फेरै कहो तुम मुरली सुनकर गोपनी भाजी आवें थी नाह्वें छिटे मारे मेरे हासें और गिरकावें थी धर कंधे पर हाथ मेरे वैं नाचे और गावें थी तन की मन की अपनी सारी प्यास बुझा के जावें थी चलन किसा था कृष्ण का भय गलत अर्थ ना लाले कै ------छाती फूको -- नारी ने ना मुरली की धुन गायाँ ने लागे प्यारी मुरली सुनकर पास मेरे वें कट्ठी हो जा थी सारी दूध पीया और मखन्न खाया ठा सेवा उनकी भारी ढाये महल सभी मथुरा के गिरवा दी थी किलकारी चाह (चाय) के तोड़े आज सभी कोई गा ने थपक पोसाले कै ------छाती फूको -- रुक्मण एक मेरी रानी थी जिसको लाया था ब्याह कै सारी उम्र में महल उसके एक बर पहुचा था जा कै रुक्मण - कृष्ण कोई ना कह राधा कृष्ण कह चाह कै राधा जिनकी बेबे थी मै ठह् रुगा उनके आ कै रिश्तेदार ना दुःख माने बिन फेटा कृष्ण जाले कै ------छाती फूको -- औमप्रकाश कह कृष्ण बोला एक दिन हिन्द आउगा कौन एकेला आउ मै बलराम ने गैला लाउगा जोनसे राधा कृष्ण कह एक-एक उन्हें दिखाउगा जौर के मुसल मारे उनके पाछ्या ने झग्वाउगा जो भगवान ने गुंडा कह उस देश ने कौन बचाले कै ---छाती फूको --
भारत कोई धर्म नही एक सभ्यता है यह लड़ाई civilisation की है मैं स्वयं भी नास्तिक हु पर हिंदू हु मैं धर्म के विषयो को वैज्ञानिक, तार्किक व्यवहारिक आधार पर विवेचन विश्लेषण कर मानता हु मैं ठंड में मकर संक्रांति के पखवाड़े में तिल्ली खाता हु अब मैं कहू की मैं अभी गर्मी में तिल्ली खाऊं तो दस्त लग जाएंगे 😜🤣🤫 इसलिए भारतीय सभ्यता में धर्म पूजा सब सम्मिलित है और हमे नास्तिक रहने की स्वतंत्रता संसार का एकमात्र धर्म सनातन ही देता है।
बेटी समाज के सामने सच का प्रचार किया बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
बहुत ही सटीक व शानदार विवेचना धर्म व पाखंड की 👌👌👌
धन्यवाद बहुत सुन्दर।
धर्म की बहुत ही उत्तम व्याख्यान किए विदुषि बहन जी। ❤
वाह जी वाह देवी जी आप ने तो हमारे दिल को छू लिया आप को मेरा नमस्कार जी
सत्य वचन बहन 🙏🙏🙏
वाह दीदी बहुत ओजस्वी विचार 👏🌷🙏🏻🚩🕉
Bhavna beti khush raho
आचार्य जी आपने बिल्कुल सत्य परिभाषा की है धर्म की
Respected Ayushi Rana Ji Ko Sat Sat Naman.
आपको ह्रदय से प्रणाम आचार्य जी को
श्रेष्ठ विचारों की श्रेष्ठ जागरूकता पूर्वक विवेचना । जय भारत
Ayushi ji sadar ABHINANDAN....
अति सुन्दर उपदेश 🎉❤
यही तो समस्या है बहन , हिंदू धर्म में हर चीज़ भगवान है चाहे माता पिता, अतिथि, ग्राहक , गाय .. इत्यादि । बहुत अधिक सुधार की आवश्यक्ता है । लगे रहो ....
महर्षि दयानंद आर्य समाज 🙏🙏
Bahut Bahut Sunder
जय जय श्रीराम
जय जय श्री श्याम
Great
बहुत सुंदर प्रस्तुति🎉
सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय
Vaidik Dharm ki jai jo ❤
अति प्रभावशाली व शिक्षाप्रद विवेचन करने के लिए हार्दिक आभार व शुभकामनाएं।🎉
मनोपुब्बॾमा धम्मा,मनोसेट्ठा मनोमया।मनसा चे पसन्नेन,भांति वा करोति वा। ततो नं सचखमन्वेति , छाया व अनपायिनी।। तथागत बुध्द कहते हैं (धम्मपद ग्रंथ में)अर्थात:--तुम्हारा मन ही सर्वोपरि है। सारे सुखों और दुःखों के जो कारण है,वे तुम्हारे मन में ही स्थित है।राग,द्वेष,मोह, काम, तृष्णा इत्यादि बुरे विचारों को चित्त से निकालकर यदि आदमी प्रज्ञा (प्रत्यक्ष ज्ञान) और शील(सदाचार)पर स्थित रहे तथा करूणा और मैंत्री भावना सभी जीवों पर रखें तो वह स्वयं सुख पा सकता है और उसी प्रकार सारा समाज सुखपूर्वक रह सकता है। धन्यवाद आपका...!(श्री राजेश रोशन बनसोड नागपुर महाराष्ट्र)❤❤❤🎉🎉🎉
मनोपुब्बॾमा धम्मा,मनोसेट्ठा मनोमया।मनसा चे पसन्नेन,भांति वा करोति वा। ततो नं सचखमन्वेति , छाया व अनपायिनी।। तथागत बुध्द कहते हैं (धम्मपद ग्रंथ में)अर्थात:--तुम्हारा मन ही सर्वोपरि है। सारे सुखों और दुःखों के जो कारण है,वे तुम्हारे मन में ही स्थित है।राग,द्वेष,मोह, काम, तृष्णा इत्यादि बुरे विचारों को चित्त से निकालकर यदि आदमी प्रज्ञा (प्रत्यक्ष ज्ञान) और शील(सदाचार)पर स्थित रहे तथा करूणा और मैंत्री भावना सभी जीवों पर रखें तो वह स्वयं सुख पा सकता है और उसी प्रकार सारा समाज सुखपूर्वक रह सकता है। धन्यवाद आपका...!(श्री राजेश रोशन बनसोड नागपुर महाराष्ट्र)❤❤❤🎉🎉🎉
Satya sanatan vaidik dharm ki jay 🙏🙏 jay shiri ram 🙏🙏 Didi ji ko Ram Ram 🙏🙏
हृदय से प्रणाम आचार्या जी
बहुत ही सराहनीय
धर्म को हम अपने व्याहारिक जीवन में लेके आए तभी हम धार्मिक कहलाएंगे 🙏🕉️❤️🤟
🕉️ अति उत्तम बहन जी 🙏
Jay shree Ram
Very nice Didi, keep it up always, thank you very much, God bless you Didi.
Good preaching
Hamare desh ke logoko Samhain,village ko Jakar,Apke ministry ko badhaie.God bless you.
ओ३म सादर नमस्ते बहन जी
Bahut sundar
Satya Sanatan Vaidik Dharm
OM OM OM
ॐ 🚩🙏
उत्तम
स्वामी श्रद्धानंद आर्य समाज 🙏🙏
👌👏👏👏👏
Ayushi Ranaji Sadare Namasteji
Ghar Ghar Arya samaj Jay hind jay Bheat
इस देश बुद्ध भी हुए इस देश में नारी को पढ़ने हक ज्योतिबा फुले माता सावित्री बाई फूले ने हक दिलवाए नमो बुद्दाय
Very nice 🙏
🌸🌱🍁🙏🙏🙏
कृष्ण बोला हिन्दुओ थारे धौरे कृष्ण आले कै !
छाती फूको तम जिसकी वो छाती कै लाले कै !
सोलह हजार से उपर रानी मेरे नु किस्से छिड जाते
इतनी रानी हो तो फिर लटूर मेरे सब झड़ जाते
किस-किस के मैं महल में जाता सबके थोबड़े चढ़ जाते
एक महल ने छोड़ सभी में गावं के रांडे बढ़ जाते
एक बीर निभानी मुश्किल इतनी कोई निभाले कै -------छाती फूको --
फेरै कहो तुम मुरली सुनकर गोपनी भाजी आवें थी
नाह्वें छिटे मारे मेरे हासें और गिरकावें थी
धर कंधे पर हाथ मेरे वैं नाचे और गावें थी
तन की मन की अपनी सारी प्यास बुझा के जावें थी
चलन किसा था कृष्ण का भय गलत अर्थ ना लाले कै ------छाती फूको --
नारी ने ना मुरली की धुन गायाँ ने लागे प्यारी
मुरली सुनकर पास मेरे वें कट्ठी हो जा थी सारी
दूध पीया और मखन्न खाया ठा सेवा उनकी भारी
ढाये महल सभी मथुरा के गिरवा दी थी किलकारी
चाह (चाय) के तोड़े आज सभी कोई गा ने थपक पोसाले कै ------छाती फूको --
रुक्मण एक मेरी रानी थी जिसको लाया था ब्याह कै
सारी उम्र में महल उसके एक बर पहुचा था जा कै
रुक्मण - कृष्ण कोई ना कह राधा कृष्ण कह चाह कै
राधा जिनकी बेबे थी मै ठह् रुगा उनके आ कै
रिश्तेदार ना दुःख माने बिन फेटा कृष्ण जाले कै ------छाती फूको --
औमप्रकाश कह कृष्ण बोला एक दिन हिन्द आउगा
कौन एकेला आउ मै बलराम ने गैला लाउगा
जोनसे राधा कृष्ण कह एक-एक उन्हें दिखाउगा
जौर के मुसल मारे उनके पाछ्या ने झग्वाउगा
जो भगवान ने गुंडा कह उस देश ने कौन बचाले कै ---छाती फूको --
Dharam vaastviktaa, vigyaanvaadi, samaantaavaadi, kaa darshan hai, yah tathaagat budh hai, jo andhvisvaas, bhedbhaav, kaalpniktaa th adharm hi hogaa, bharat ko chhutkaaraa chaahiye.
Laddu.gopal.ki.puja.krishn.ka.uphas.or.adhrm.hai
❤❤🎉🎉🎉
Kbir.saheb ka.siddhant manavta. Ki.phchan sundar prbchn ra...c.g
भारत कोई धर्म नही एक सभ्यता है
यह लड़ाई civilisation की है
मैं स्वयं भी नास्तिक हु
पर हिंदू हु
मैं धर्म के विषयो को वैज्ञानिक, तार्किक व्यवहारिक आधार पर विवेचन विश्लेषण कर मानता हु
मैं ठंड में मकर संक्रांति के पखवाड़े में तिल्ली खाता हु
अब मैं कहू की मैं अभी गर्मी में तिल्ली खाऊं तो दस्त लग जाएंगे 😜🤣🤫
इसलिए भारतीय सभ्यता में धर्म पूजा सब सम्मिलित है और हमे नास्तिक रहने की स्वतंत्रता संसार का एकमात्र धर्म सनातन ही देता है।
Jo pooja path karey mandir jaye dharmikta ka dikhawa karey isey hi dharm samgh liya gya hai. chaye bheeter sey kitna ganda ho.
अपनी इतनी ऊंची ग्यान को अपने पास ही रखो।
Ye updesh bagladesh de a supankha