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Reason ye tumhara srasar galt h ...keval brahaman jatti iski jimmedar h jisne apne dimaag ka jyada istemal karke varan vyavshtha shuru kiya@@RakeshSingh-b8c
जाति व्यवस्था एक भ्रम है इसे बनाना और इसे समाप्त करना इंसान के हाथ में है ऊंच नीच बनाकर इज्जत और बे इज्जती महसूस किया जाता है अगर जाति व्यवस्था न हो तो सभी समान है फिर इज्जत घटने बढ़ने का सवाल खत्म हो जाता है
ओम श्री सतगुरु देवाय नमः ओम श्री गणेशाय नमः ओम श्री गणेश शिव शक्ति सूर्य विष्णु दरबार आए नमः ओम नमः शिवाय ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः ओम श्री राधे रुक्मणी कृष्ण भगवान दरबार आए नमः ओम श्री तुलसी शालिग्राम दरबार आए नमः ओम श्री हनुमते नमः ओम श्री पित्रेश्वर देवेश्वर दरबार आए नमः ओम श्री समस्त वर्णाश्रम धूणीमाता भेख भगवान दरबार आए नमः ओम श्री समस्त धाम दरबार आए नमः ओम श्री हरि हराय नमः ओम श्री हर हर महादेव ओम शांति ओम सीताराम सीताराम सीताराम कहिए जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए ओम श्री राधेश्याम राधेश्याम राधेश्याम कहिए जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए
उच्च और निम्न कुल में शादी होने पर सबसे बड़ी दिक़्क़त विचारों, तौर तरीक़ों और संस्कारों की आती है, जिन तौर तरीक़ों को उच्च कुल में ग़लत माना जाता है उनको निम्न कुल में सामान्य माना जाता है, इससे मतभेद उभरते हैं और शादी जल्द ही समाप्त हो जाती है। जब दो लोगों के संस्कार और विचार मिलेंगे तभी जीवन आगे बढ़ पायेगा!!
100% सही है....निम्न कुल में शराब, मांसाहार बिलकुल आम बात है जबकि उच्च कुल जैसे ब्राह्मण पंडित इनमे ये कर्म पाप है यही वजह की निम्न और उच्च कुल में रिश्ता नही हो पाता....लेकिन आज कलयुग चल रहा है उच्च कुल के लोग अब निम्न कुल के लोगो की ओर बढ़ रहे है उनको भी मांस मंदिरा का सेवन करते है देखा है....... संभल जाओ....
@@Sanatani_DSG aysa ni hai har insan ka soch alg alg hota h ucch kul me paida huye insan jruri ni hai ki uska snskar, education bhi uchh ho nimn kul me bhi uche vichar ke, achhe snskar, educated log hote hai Sadi insan dekhkr krni chahiye kyuki uche kul ke hr insan uche ni hote or nimn kul ke hr insan nich ni hote 🙏🏻
पूरे विश्व के मानव मानव भाई भाई हैं मानव से मानव पैदा होता है जानवर से जानवर आपस में खूब शादियां करो पूरा भारत पूरा विश्व एक परिवार है जातियां समाप्त करो मानव मानव एक समान है
@@ravichandra3893 tu bhi to h , reservation lekar betha h , cast certificate bnwakr , apne ko victim bta rha h , or hum hai bhi to tujhe kya dikkat h , tumhari aurte k peeche to nahi pde hum
Ek dam sahi baat...In jaiso k bajay Acharya Prashant g ko sunna chahiye..Hindu Dharm me hajaro Achi bat bhale ho par dher sare kuritiyan aur kupratha h jisme se ye v hai 1...In logo ko lgta h is tarah ka dogalapan, bhed bhav v krenge aur Dharm v bacha rhega... 🤐
Uska har baat hindusim ko nicha dikhana hain .. wo ak propoganist hain isiliye usse har anti indian & anti hindu forces support karte hain@@nil.nilesh56
@@girlofmahadevkya brahaman me saadi krne se jo bachhe honge unko sc ,st ka reservation milega ????, Saadi isi base pr krungi , bachho ko reservation milega , or agra ya kisi bhi general cast k insaan se saadi krne pr ??
मै आदिवासी हूँ। मै जानना चाहता हूँ ,कि प्याज लहसून मिट्टी से उगाया जाता है,और दुध और मांस खून से पैदा होता है तो प्याज लहसून को नहीं खाया जाता है और दुध को खाया जाता है।(अभिनाथ किस्कू)
Iska reason ye hai ki.. Pyaj or lehsun smell chhod deta hai khane ke bad. Or insaan ka man agar sachai ho.. Karm acha ho.. To uske sarir.. Uske juban pe devta vas krne lagte hai. Or kyuki pyaj lehsun se smell ati hai.. Devta pass nhi ate ise khane se. Isliye pyaj lehsun ko varjit kia gya tha purane samay me.
प्याज लहसुन आध्यात्मिक साधना के सम्बन्ध में नेष्ट सिर्फ इसलिये है कि ये वस्तुएं तमोगुणी है और साधक तमोगुण और रजोगुण को संतुलित रखने के सतोगुणी अवस्था चाहता हैं।लेकिन जो व्यक्ति ऐसी किसी अवस्था के लिये संकल्पित ही नहीं है तो उसके लिए ये जरूरत है क्योंकि ये आयुर्वेदिक औषध है।
सम + बन्ध _ सम्बन्ध जहां समानता होगी वहीं बंधन होगा उचित सम्बन्ध कहलाएगा। किस चीज की समानता ? शारीरिक उम्र, योग्यता में समानता। मानसिक योग्यता, आचार , विचार , व्योवहार, रुचि, सोच , शिक्षा के स्तर, believe के स्तर , खान पान के रुचि में समानता , रहन सहन के स्तर में समानता, एक दुसरे के समझ का सम्मान, एक दूसरे के अधिकार एवं कर्तव्य के प्रति सम्मान।
हिंदू एक ज्योग्राफी में रहने वाले लोगों के लिए कहा गया है हिंदू कोई धर्म नहीं है... भारत में रहने वाले विभिन्न समुदाय में शादी एक धार्मिक अनुष्ठान है ...एक संस्कार है.. संविधान एक सेकुलर है ...सरकार सेकुलर है हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट सेकुलर है ..किसी को भी धार्मिक अनुष्ठान में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है.. कुछ लोग संविधान का आंख पर पर्दा लगाकर.... सॉफ्ट कन्वेंशन करना चाहता है
जो जात पात को देख कर शादी करते है सब से बड़े जातिवादी वही होते है। मानव का कर्म और प्रेम उच्च होता है। कृष्ण ने भी यही बोला है। जो प्रेम को जाति से टोलते है वो मानवता के नाम पे कलंक है।
@@shrigupt2211 alg alg varn me sadi krne se bcche varnsankar kahlate hai thik hai bhai aapka bat man lete hai lekin jati or varn me bhut antar hai Sudra me jitne bhi jatiya aate hai vah to aaps me sadi kr skte hai kyunki sudra ka sudra ke sath sadi hone se bccha varnsankar to ni honge n💯
Brahmano me maja lutane aor dhan kamane ke liye pakhand bhara garantho ki rachana ki samaj par enka adhikar ho ye manmani kare shudaro se sabhi prakar ke shishan kare garbhkal se mrityu tak pakhand sanskaro ke dawara
Aisa kuch ni h the beautiful tree by dharampal jo ki british archives se li gyi h usme likha h ki gurukul mein 60% padhne waale shudra h. Pustak angrezi bhasha mein h. Free h pdf uski prishth sankhya 29 aur 35 padhe @@arvindkumar-zh1zs
नोट_हिन्दु जिस जिस राज्य में थे वहां चार वर्ण नहीं थे वल्कि छै वर्ण व्यवस्था पाया जाता हैं । जैसे, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री, ,श्रम मंत्री, जनसंपर्क मंत्री और अंत में जो नौकरी पद वह अंतिम 6 छटवां वर्ण व्यवस्था पाया जाता हैं। यही हिन्दू धर्म कि खासियत है। धन्यवाद।❤❤❤❤❤
विवाह संस्कार में विचारों को समान होना आवश्यक है । लड़का मांसाहारी हो लड़की शाकाहारी हो मेरे समझ से जीवन यापन में तकलीफ उठानी पड़ेगी और भी तमाम विसंगतियां आएगी ।
शूद्रं शब्द का मतलब तपस्वी है । यजुर्वेद मंत्र - तपसे शूद्रं । शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगी है। यह बिंदी अवश्य लगानी चाहिए। अंक की बिंदी लगने से शूद्रन/ शूद्रण/ शूद्रम भी लिख बोल सकते हैं। चारवर्ण चारकर्म चारविभाग जीविका विषय अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार ही शूद्रण है। कर्म चार = = वर्ण चार = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। पांचवेजन जनसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन भी इन्ही चतुरवर्ण चतुर कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत हैं। वेदमंत्र दर्शनशास्त्र ज्ञान विज्ञान विधान अनुसार और प्रत्यक्ष कर्म अनुसार प्रमाण हैं। कुछ किताबो में शूद्रन का मतलब तपस्वी उत्पादक निर्माता उद्योगण ना लिखकर सिर्फ सेवक लिख कर गलती कर रहे हैं । शिक्षित द्विजन ( स्त्री-पुरुष) को सुधार कर बोलना लिखना चाहिए और सुधार कर प्रिंट करना चाहिए। अनुचित लेखन कर्म अनुचित बोलना लिखना वेद विरूद्ध करते रहते हैं आजकल अज्ञजन । लेखक प्रकाशक जन अज्ञानता में सुधार नहीं करते हैं। द्विज और द्विजोत्तम भी अलग अलग हैं। चारो वर्ण कर्म विभाग वाले सवर्ण और असवर्ण होते हैं। शूद्रण भी द्विज और पवित्र होता और चार वर्ण कर्म विभाग अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार तपस्वी होता है। जो द्विज तपश्रम उद्योग उत्पादन निर्माण कार्य करते हैं वे शूद्रण हो जाते हैं। अशूद्र अब्राहण अछूत व्यभीचारी जुआरी नपुंसक चाटुकार होता है। क्षुद्र पाशविक सोच रखकर जीने वाला होता है। इस पोस्ट को कापी कर अन्य सबजन को लेखक प्रकाशक को भेजकर कर प्रिंट सुधार करवाएं।
U are right, hidmana is hybrid product of Bhima and Aadivasi Mahila who borned more courageous and strong fought for Father dignity and died for Father without considering death. So we should be lesson from Mahabharata.
दुसरी जाती के लोगो के साथ एक दुसरे साथ शादी करांना पाप है तो क्या हत्यार अलग अलग या छोटे बडे होते है क्या? अरे जरा सब्र करो इन्सान तो इन्सान ही हॊता है, जनावर नहीं हॊता |
हिंदू एक ज्योग्राफी में रहने वाले लोगों के लिए कहा गया है हिंदू कोई धर्म नहीं है... भारत में रहने वाले विभिन्न समुदाय में शादी एक धार्मिक अनुष्ठान है ...एक संस्कार है.. संविधान एक सेकुलर है ...सरकार सेकुलर है हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट सेकुलर है ..किसी को भी धार्मिक अनुष्ठान में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है.. कुछ लोग संविधान का आंख पर पर्दा लगाकर.... सॉफ्ट कन्वेंशन करना चाहता है
अगर तुम अंतर्जातीय विवाह को ग़लत करार दे रही हो तो।अब मैं तथाकथित ब्राह्मण धर्म के मनुस्मृति ब्यास स्मृति में यह कहना जायज मानता हूं कि औरत नीच होती है, कुल्टा और पथभ्रष्टक होती है। लेकिन मैं सबसे पहले भारतीय हूं और देश से बढ़कर मेरी नज़र में ना धर्म है, ना जाति है ना ही कोई अपना पराया
अंतरजातीय विवाह करने में कोई दिक्कत नहीं है परन्तु किसी के झांसे में आकर गलत फसने से पहले उसके परिवार की जानकारी लेना बहुत ज्यादा जरूरी है आज कल प्रेम कम धोखा ज्यादा मिलता है लव जिहाद जैसी घटनाएं बहुत हो रही है नाम बदल कर प्रेम जाल में फसा लेते है बाद में धर्म परिवर्तन करवाते हैं नही करने से सूट केस में बंद कर ठिकाने लगा देते हैं सावधानी रखना जरूरी है
@@shrigupt2211 जो कर रही है उनको इनकी असलियत का पता नहीं चल पाता है जिसके कई कारण हैं 1. वूलीवुड सीरियल में हिंदू लड़की को तकलीफ में फसा दिखाया जाता है और बचाने वाला मुस्लिम को दिखाया जाता है 2. ऐसे सीरियल टीवी चैनल यू ट्यूब चैनल पर दिखाए जाते है जिसको देख कर सोचती है में इसके साथ सुरक्षित रह सकती हूं वो भ्रमित हो जाती है चक्रव्यू में फसने के बाद निकल ने की बजाय मौत को ही गले लगाना पड़ता है 3. टीवी सीरियल के साथ साथ न्यूज देखना चाहिए ताकि देश दुनियां में क्या हो रहा है जानकारी प्राप्त होती रहेगी 4. लड़का देखने में कितना ही अच्छा क्यों न हो बिना अपने बड़ों के द्वारा जानकारी प्राप्त किए शादी विवाह नही करनी चाहिए तो ही जिन्दगी को सुरक्षित रखा जा सकता है 5. लड़की को पहले अपने परिजनों से सम्बंध इतने खराब करवा दिए जाते है ताकि वो अपने परिजनों के पास वापस नहीं जा सकती
हिंदुस्तान में अलग अलग संस्कृति अलग अलग मान्यताओं वाले अलग अलग पहचान वाले लोग है... जिसे अपना एक संस्कृति है.. .. परंपरा है संस्कृति है जिसका परंपरा में अपनी जाति में शादी करना है... तो करना ही चाहिए उनका वह अधिकार है ....संवैधानिक अधिकार संविधान ने दिया हिंदुस्तान में अलग अलग संस्कृति अलग अलग मान्यताओं वाले अलग अलग पहचान वाले लोग है... जिसे अपना एक संस्कृति है.. .. परंपरा है संस्कृति है जिसका परंपरा में अपनी जाति में शादी करना है... तो करना ही चाहिए
हिंदू एक ज्योग्राफी में रहने वाले लोगों के लिए कहा गया है हिंदू कोई धर्म नहीं है... भारत में रहने वाले विभिन्न समुदाय में शादी एक धार्मिक अनुष्ठान है ...एक संस्कार है.. संविधान एक सेकुलर है ...सरकार सेकुलर है हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट सेकुलर है ..किसी को भी धार्मिक अनुष्ठान में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है.. कुछ लोग संविधान का आंख पर पर्दा लगाकर.... सॉफ्ट कन्वेंशन करना चाहता है
Kis khet ki mooli ho bhai? Bichar sanskar se ata hai, jati se nehi! Itna jahaliyat kaha se paida hota hai? Apne desh ki sanskar ko jano , pahchano, Dil se samajhne ki koshish karo! Borbole so called pandits aur murkh gharwalo ke chakkar me parhne se Aisa hi haal hota hai!!Janu latkane koi Brahman nehi bon jata!!
Amazing session!!! Thank you so much it helped me alot, i had so many questions , finally got the answers....hare Krishna Mata ji' s i have huge respect for u... dandvat pranam 🙌🙌🙌
आज दुनिया कहाँ से कहाँ पहुँच गाई है और ये अभी सबको जातियों में बांट रहे हैं ,जब बच्चा पैदा होता है तो क्या उसके माथे पर सटैमप गली होती है कि यह किस जाति का है या किस धर्म का हैं
Sanatan main mata pita kai javik ansh kae gaun jaroor aate hain,ghodi ghode sae prignent hogi tau uske vachcha nasly ghoda hi hoga ,yadi ghadhe sae crosbeed. hoga tau uh khachchar hi paida hoga jo ,uski nasly alag hi hogi, uska D N A hi alag hoga ,filmi duniya nae cross beeding ko antar cast love marrage ko badhava Diya hai ,jiska result talak, pariwar anusar nahi hoga ,gharalu hinsa ka samajik bhayanak rog felraha hai, HONORABLE AMITABH Bachchan ka pariwar tabah ho Gaya hai, es pariwarik tootan sae vachchan Kitana dukhi hoga uhi jante hain ,samajik maryada ka palan hona ,bhavi vansh ko aage badhane ko bahut jaroori hai , Jay Sanatan dharm Jay Bhartiya culture , filmi duniya nae samaj ko barbad kar diya ,sensar bord v sarkar ko espar canuni sinkanja kasna chahiyae nahi tau samaj ko varwad hone sae koe nahi rok sakta , jayhind JaySanatan dharm, S p singh
मुख से ब्राह्मण की उत्पत्ति क्षत्रिय की उत्पत्ति बाहों से वैश्य की उत्पत्ति जांघों से शूद्र की उत्पत्ति पैरों से पहले से ही होती आई है तो वर्तमान समय में मनुष्य की उत्पत्ति क्यों नहीं होती, जवाब दें, यदि नहीं तो गलत उच्चारण करना अवैधानिक है। मानव जाति को गुमराह क्यों कर रहे हो।
Kisi ki utpatti kahi se nahi hui hai.Sab maata ke pet se paida huye hai Apna dosh chhipane ke liye khoob slok banaye gaye.wahi yah desh bhugat raha hai
प्राचीन काल में राजा लोग परस्पर युद्ध किया करते थे जो राजा हार जाता था वह अपनी लड़की की शादी उस राज्य से कर देता था उस समय जाति प्रजाति नहीं देखा जाता था। इसलिए शादी दूसरे जाति में किया जा सकता है।।
PRACHIN KAAL MAI 99% KSHATRIYA RAJA HOTAI TAB MUGHAL CHRISTIAN NAHI HOTAI THAI ANPADD GANWAR I% KSHATRIYA + BRAHMAN YA VAISYA KA HOTA THA SHUDRA GIRL USE N THROW HOTI THI
मनुष्य जिंदा रहता है।तब इंसान कहलाता है।जब इंसान का मृत्यु होता है तो भगवान होता है।जिसका मृत्यु हो जाता है वह किसी को कोई भलाई नहीं कर सकता। जैसे गुड चीनी जपने से मुंह मीठा नहीं होता है वैसे भगवान भगवान जपने से भगवान नहीं मिल सकता है।
हिंदू एक ज्योग्राफी में रहने वाले लोगों के लिए कहा गया है हिंदू कोई धर्म नहीं है... भारत में रहने वाले विभिन्न समुदाय में शादी एक धार्मिक अनुष्ठान है ...एक संस्कार है.. संविधान एक सेकुलर है ...सरकार सेकुलर है हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट सेकुलर है ..किसी को भी धार्मिक अनुष्ठान में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है.. कुछ लोग संविधान का आंख पर पर्दा लगाकर.... सॉफ्ट कन्वेंशन करना चाहता है
ये भिडियो देख कर ऐस यहेसास होता हे ब्रामन, क्षेत्री, बैंस और सुद्रको जनम दिने वाले भगवानने पक्षपाती प्रयोजन के लिय यिस तरह से जनम दिया हे, नहि तो सास्त्रोमे मनो कल्पित मित्था लेखा गया है
Mataji Jo apne bataya ki karm se varn bante hae ye perfect laga Magar agar karm se bhraman ho par janam se shudra parivar se ho to use bhraman se karna chaheye ya shudra parvir se
हरे कृष्णा माता जी ! आज आधुनिकता की दौर मे लोग पश्चमी सभ्यता का अनुसरण करके गौरवंवित् होते है ! लेकिन इनका अंत बहुत बुरा होता है ! ऐसे लोगो को आप आगे भी मार्गदर्शन करते रहें 🙏🙏🙏🙏
नही होता है लेकिन इससे एक कर्म व्यवस्था को चिन्हीत किया है एक उदाहरण के रूप मे जैसे मुख बोलने विचार बताने का भूजा युद्ध का जंघा शरीर का भार सभालती है तो अर्थव्यवस्था वैश्य सभालते है वही पैर चलना और विभिन्न कार्य को करता है और पैर आधार है तो वहा शुद्र को बताया है बस यह एक उदाहरण जैसा है समझ की आवश्यकता है
सनातन धर्म के लोग, जैन धर्म के लोग,सिख धर्म के लोग के कल्चर थोड़े मिलते हैं लेकिन ईसाई धर्म के सिध्दांत बिल्कुल अलग होते हैं लेकिन इस्लाम मज़हब तो दूसरे धर्म के लोगों को काफीर या नापाक समझता है
सिर्फ झुंठ बोलकार पब्लिव को नाही बहकाज आप प्रुफ करो कोई मुख़ से बच्चा पैदा बो सकता हो मुख़ खाने और बोलने मे कम आता है या बच्चा पैदा करने मे किर्प्या सही उत्तर दे
बच्चों को विवाह के निर्माण के लिए माँ, बाप के अनुभवों और आशीर्वाद की बहुत अधिक आवश्यकता होती है साथ ही अच्छे भविष्य के लिए भी निर्णय लिया जाता है🙏 विवाह समान वैचारिक, आर्थिक, सामाजिक स्थिति के लोगों के बीच ही होने में सुखद भविष्य का निर्माण होता है नहीं तो कुछ समय बाद वह गले की फास बन जाती है🙏
राधे राधे मेरे हिसाब से कृष्ण का जन्म तो द्वापुर में ही हुआ है नकि त्रेता युग में और आप त्रेता में बता रही हैं शायद ग़लत बतारही है , पुनः अबलोकन करैं। भगवत गीता के 18 बे अध्याय में 41 बा श्लोक का अवलोकन करें उसमें वर्ण व्यवस्था को श्री कृष्ण जी ने बताया है। क्या वह गलत है ।ॽ ।
रावण की मृत्यु होने बाद विभीषण ने अपनी भाभी के साथ विवाह क्या था बाली के मृत्यु होने के बाद सुग्रीव ने भी अपनी भाभी के साथ विवाह किया था क्या शास्त्र के विरोध किया था कि सही क्या था
Yoga of love ( Ishvara Gauranga prabhuji ) there was only one matching quality in his Kundali and his wife, yet today in the society of devotees, their life is one of the best marital lives, so how will you judge this??
Jo kuch time. Work aur parisithti ke anusar bana rakha ha. Risi munio k anusar thik है yadi sab ek ho jaye unki pahchan kaise hogi bolenae ki apxea likhe Due to hearing problam
आजकल गीता का सिर्फ शाब्दिक अर्थ ही बताया जा रहा है और लोगों को वास्तविक सत्य से दूर रखा गया है। कृष्ण क्या कह के गए और हम इंसानों ने उसका अपने स्वार्थ के अनुसार अनुवाद कर लिया। सनातन धर्म में श्रीमद्भगवदगीता उपनिषद त्रयि में आती है और उपनिषद ऐसा सीधा अर्थ कभी नहीं देते उसके पीछे गूढ़ अर्थ छिपा होता है अब कृष्ण को अर्जुन को समझाने में १८ अध्याय लग गए और आजकल के व्याख्याकर्ता एक श्लोक को पढ़ कर उसका अर्थ करने लगते हैं ऐसे जैसे उन्हें कृष्ण की बात एक बार पढ़ कर समझ आ गई। इसलिए तो लोग धर्म से दूर भागने लगे हैं क्योंकि खुद को श्रेष्ठ जाति का कहने वाला अपने अनुसार अर्थ करता है और निम्न जाति का कहा जाने वाला उसमें अपनी अवहेलना देखता है। ईश्वर कभी मनुष्य में भेद नहीं करते इसलिए जन्म से मिला कोई भी प्रमाण वास्तविकता नहीं है ऐसा कृष्ण ने अपने जीवन में पालन किया और वही सत्य अर्जुन के समक्ष रखा ताकि यथार्थ का बोध हो। कृष्ण ने तो सत्य के समक्ष कर्मकाण्ड को भी त्याज्य माना है उन्होंने किसी को श्रेष्ठ और किसी को निम्न नहीं कहा केवल इंसान ने अपने स्वार्थ और बुद्धि के अहंकार में खुद को ही दूसरे से ऊंचा घोषित किया है। ना बोध को वरीयता देता है ना ज्ञान को बस जन्म आधारित धर्म पर चलना ही वर्तमान का सत्य बनाना चाहता है और जब तक ऐसा चलता रहेगा सनातन धर्म का निरंतर पतन को होगा।
Right. Thori si porai korke apna dimag ka istemal korke Koli yug ka nature se jor ke remark korte h usme hamara Hindu ka dhorm ko niche dekha ne ka Teri ka dhud liya. Vdo bana ke high light me ana chaha ta h. Dusri dhorm se shadi korke admi suhki h ? Achar achoron somaj ko dekh ke shadhi kor na chahiye.
Chatur varna division is based on knowledge hence it is natural but to make it permanent to any individual and his descendants is pure corruption . 🤔😃😃😎👍⛳⚔️ .
ये माता जी खुद बैष्णव होंगी इसलिए इन्होंने चार बर्णो के अलावा एक बर्ण और वनाकर पांचवें बर्ण का निर्माण कर के उसे ब्राह्मण से भी ऊपर का बर्ण वना डाला ।।
ब्रह्मा के पांच मुख का मतलब हैं एक अध्यापक ब्राह्मण, दूसरा सुरक्षक क्षत्रिय, तीसरा उत्पादक शूद्राण और चौथा वितरक वैश्य। पांचवे मुख का मतलब है दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन चारो वर्ण कर्म विभाग में सहयोग करने वाला। ब्रह्म = ज्ञान । मुख से । ब्रह्म वर्ण = ज्ञान विभाग। ब्राह्मण = ज्ञानदाता/ अध्यापक/ गुरूजन/ विप्रजन/ पुरोहित/ आचार्य/ अनुदेशक/ चिकित्सक/ संगीतज्ञ। क्षत्रम = ध्यान न्याय। बांह से । क्षत्रम वर्ण = ध्यान न्याय रक्षण विभाग। क्षत्रिय = सुरक्षक बल चौकीदार न्यायाधीश । शूद्रम = तपसे उत्पादन निर्माण = पेटऊर से । शूद्रम वर्ण = उत्पादन निर्माण उद्योग विभाग। शूद्राण = उत्पादक निर्माता उद्योगण तपस्वी वैशम = वितरन वाणिज्य व्यापार = चरण से । वैशम वर्ण = वितरण विभाग। वैश्य = वितरक वणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर। चरण पांव चलाकर ही व्यापार ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है । दासजन/ जनसेवक = वेतनभोगी /नौकरजन।सेवकजन/भृत्यजन। चारो वर्ण कर्म विभाग में कार्यरतजन। जय विश्व राष्ट्र प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम वर्णाश्रम संस्कार ।ॐ।
शिक्षित द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) ! सबसे अधिक पवित्र कौन ? इस पोस्ट को पढ़कर जानें । शूद्रन सबसे अधिक पवित्र है। आचमन के समय ह्रदय तक जल पहुंचने पर अध्यापक विप्रजन ( ब्रह्मण ) शुद्ध होता है, कंठ तक पहुंचने पर सुरक्षक चौकीदार (क्षत्रिय) शुद्ध होता है, मुख में पंहुचने पर वितरक वणिक (वैश्य) शुद्ध होता है और जल छूने मात्र से उत्पादक निर्माता ( शूद्रण) पवित्र होता है। इस पोस्ट में प्रस्तुत श्लोक विधिनियम प्रमाण अनुसार सबसे अधिक शूद्रण पवित्र होता है। संस्कृत श्लोक विधिनियम- ह्रद्गागाभि: पूयते विप्र: कण्ठगाभिस्तु भूमिप: । वैश्योऽद्भि: प्राशिताभिस्तु शूद्रण: स्पृष्टाभिरन्तत: ।। वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र।। तपसे शूद्रम । यजुर्वेद अनुसार। शूद्रण ही तपस्वी है। शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगानी आवश्यक है। अंक की मात्रा होने से शूद्रन/शूद्रण/ शूद्रम लिखना बोलना प्रिंट सुधार करना चाहिए। पांचजन्य चारवर्ण = ( शिक्षण-ब्रह्म वर्ण + सुरक्षण-क्षत्रम वर्ण + उत्पादन-शूद्रम वर्ण + वितरण-वैशम वर्ण ) × जनसेवकवर्ग/ दासजनवर्ग । जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।
हे मनुष्यो! पुरोहित/ विप्रजन/ धर्मगुरु / पन्थगुरु/ गुरूजन/अध्यापक / शिक्षक / चिकित्सक/आचार्य/ कविजन ( ब्रह्मण ) का आचरण व्यवहार कैसा होना चाहिए ? जानें। विश्व राष्ट्र के प्रथम सतयुग के प्रथम राजर्षि दक्ष प्रजापति महाराज की ऋषि संसद द्वारा निर्मित गुण नियम अनुसार - संस्कार शिक्षक पुरोहित ( ब्रह्मण ) विप्रजन/द्विजोत्तम/अध्यापक/कविजन/गुरूजन/पन्थगुरु को - 1- सत्यवादी आचरण व्यवहार वाला होना चाहिए , 2- शुद्ध चित आचरण रखने वाला होना चाहिए, 3- सत्यवृतपरायण आचरण वाला होना चाहिए, 4- नित्य सनातन दक्षधर्म में रत होना चाहिए, 5- शान्त चित वाला बने रहने वाला होना चाहिए, 6 - व्यर्थ अनर्गल बातो से रहित होना चाहिए, 7- द्रोहरहित स्वभाव वाला होना चाहिए, 8- चोरकर्म से रहित सही आदत वाला होना चाहिए, 9- प्राणियो के हित में लगे रहने वाला होना चाहिए, 10- अपनी स्त्री भार्या में रत रहने वाला होना चाहिए, 11- सविनय नर्म स्वभाव वाला होना चाहिए, 12- न्याय प्रिय सुरक्षक स्वभाव होना चाहिए, 13- अकर्कश सरल स्वभाव वाला होना चाहिए, 14- माता पिता का आज्ञाकारी होना चाहिए, 15- गुरुओ का सम्मान करने वाला होना चाहिए, 16- वृद्धो पर श्रद्धा रखने वाला होना चाहिए , 17- श्रद्घालु स्वभाव वाला होना चाहिए, 18- वेदमंत्र दक्षधर्म शास्त्ररज्ञाता होना चाहिए, 19- वैदिक धर्म संस्कार गुण क्रियावान होना चाहिए और 20- भिक्षा दान दक्षिणा वेतन से जीवन यावन करने वाला होना चाहिए। इन सभी बीस (20) वैदिक सनातन दक्ष धर्म विधि-विधान नियम संस्कार गुणो से युक्त विप्रजन अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक पन्थगुरु अभिनेता (ब्रह्मण)को होना चाहिए। इन्ही गुण स्वभाव वाले शिक्षको को देखकर अन्य द्विजनों ( स्त्री-पुरुषो ) को आचरण व्यवहार निर्माण कर जीना चाहिए। पौराणिक वैदिक संस्कृत भाषा श्लोक - ॐ सत्यवाक् शुद्धचेता यः सत्यव्रतपरायणः । नित्यं धर्मरतः शान्तः स भिन्नलापवर्जितः।। अद्रोहोऽस्तेयकर्मा च सर्वप्राणिहिते रतः। स्वस्त्रीरतः सविनया नयचक्षुरकर्कशः ।। पितृमातृवचः कर्ता गुरूवृद्धपराष्टि ( ति) कः । श्रध्दालुर्वेदशास्त्रज्ञः क्रियावान्भैक्ष्य जीवकः ।। ( पौराणिक वैदिक सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार ) ।। जय विश्व राष्ट्र सनातन प्राजापत्य दक्ष धर्म। जय वर्णाश्रम प्रबन्धन श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।। विश्वराष्ट्र मित्रो! पौराणिक वैदिक पुरोहित संस्कार शिक्षको लिए बताए गए जैसे गुण नियम की तरह सभी साम्प्रदायिक पन्थी गुरुओ के बने नियम पोस्ट करने चाहिए, ताकि तुलनात्मक रूप से अध्ययन कर सुधार किया जाए । साम्प्रदायिक गुरुओ की निजी पन्थी सोच ने पौराणिक वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म संस्कार विधि-विधान नियमों में क्या क्या वेवजह बिगाङ किया है ? सबजन जान सकें और सुधार कर अपने पूर्वज बहुदेव ऋषिओ देवताओ को पहचान सकें । विश्व राष्ट्र दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार प्रबन्धन। श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।।
अंतर्जातीय विवाह जेनिटिक्स दृष्टिकोण से उचित है. इस दृष्टिकोण से अंतरधार्मिक विवाह भी उचित है. लेकिन अंतरधार्मिक विवाह मे संस्कार, पूजा पद्धति और पारम्परिक मान्यताएं का अंतर परस्परिक सम्बन्ध विच्छेद का कारण बन सकता है. अतः इन कारणों से स्वधर्म मे अंतर्जतीय विवाह करना ही उचित है. विवाह के लिए वर कन्या का विवाह पूर्व एक दूसरे को अच्छी तरह से समझना लेना ठीक है और इसको प्रोत्साहन देना चाहिए.
Mera sujhav hai ki sabhi jati ke logo ko apni hi jati me vivah karna chahiye .other caste me marriage karne se society accept nahi karti Example shudra ko shudra me Brahman ko Brahman me . Radley Radley by R C srivastava general caste.
Hare Krishna Mata g... Kaha jata hai ki istri ka koi varan nhi hota.. isme kitni sachai hai .. or jaise hmm baat krte hein varan ki to varan change ho skta hai.e.g. An army personnel can later become a trader, so his Varna changes from kshatriya to vashay.. so when we say inter-varna marriage, do we consider Varna of man at the time of marriage or something else? And if Varna can be changed, so to avoid this inter-varna thing, we can change our occupation right at the time of marriage? Also, a person from Brahmin family can be in business, so in this case Varna of man's family (Brahmin) will be considered for marriage or Varna of that man (vashay) will be considered for marriage?
माताजी आप वोल रही हैं कि जो व्यक्ति इस पेशे को अपनाएगा वह उसी वर्न का होगा लेकिन कलियुग में मनु संहिता के अनुसार एक शूद्र देश चलाएगा, एक ब्राह्मण शूद्र का काम करेगा तो ऐसे में सही वर्न का निर्धारण कैसे किया जा सकता है ?
जय गजानन जय महाकाल अपने धरम पर हर नर नारीको अपने पालन करना चाहिए किसी के मोह माया मे फसकर धरम न खोया नर से बचे सिवा महापुराण मे पाप पुण्य और नर के संबाद को हर इंसान पत्र गियान प्राप्त करने की किरपा करें सत्य पर जिये और सत्य परेशान हूँ मरे इसी मे फायदा है मनुष्य के लिए जय महाकाल सबको प्रणाम करता हूँ
आज कल वर्ण व्यवस्था का पालन बहोत कम हो रहा है l ब्राम्हण, क्षेत्रीय आज job/ business कर रहे हैं l फिर बदले परिपेक्ष मे किस तरह से विवाह मे वर्ण व्यवस्था का पालन करे l
ब्रह्मा के पांच मुख का मतलब हैं एक अध्यापक ब्राह्मण, दूसरा सुरक्षक क्षत्रिय, तीसरा उत्पादक शूद्राण और चौथा वितरक वैश्य। पांचवे मुख का मतलब है दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन चारो वर्ण कर्म विभाग में सहयोग करने वाला। ब्रह्म = ज्ञान । मुख से । ब्रह्म वर्ण = ज्ञान विभाग। ब्राह्मण = ज्ञानदाता/ अध्यापक/ गुरूजन/ विप्रजन/ पुरोहित/ आचार्य/ अनुदेशक/ चिकित्सक/ संगीतज्ञ। क्षत्रम = ध्यान न्याय। बांह से । क्षत्रम वर्ण = ध्यान न्याय रक्षण विभाग। क्षत्रिय = सुरक्षक बल चौकीदार न्यायाधीश । शूद्रम = तपसे उत्पादन निर्माण = पेटऊर से । शूद्रम वर्ण = उत्पादन निर्माण उद्योग विभाग। शूद्राण = उत्पादक निर्माता उद्योगण तपस्वी वैशम = वितरन वाणिज्य व्यापार = चरण से । वैशम वर्ण = वितरण विभाग। वैश्य = वितरक वणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर। चरण पांव चलाकर ही व्यापार ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है । दासजन/ जनसेवक = वेतनभोगी /नौकरजन।सेवकजन/भृत्यजन। चारो वर्ण कर्म विभाग में कार्यरतजन। जय विश्व राष्ट्र प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम वर्णाश्रम संस्कार ।ॐ।
ब्रह्मा के पांच मुख का मतलब हैं एक अध्यापक ब्राह्मण, दूसरा सुरक्षक क्षत्रिय, तीसरा उत्पादक शूद्राण और चौथा वितरक वैश्य। पांचवे मुख का मतलब है दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन चारो वर्ण कर्म विभाग में सहयोग करने वाला। ब्रह्म = ज्ञान । मुख से । ब्रह्म वर्ण = ज्ञान विभाग। ब्राह्मण = ज्ञानदाता/ अध्यापक/ गुरूजन/ विप्रजन/ पुरोहित/ आचार्य/ अनुदेशक/ चिकित्सक/ संगीतज्ञ। क्षत्रम = ध्यान न्याय। बांह से । क्षत्रम वर्ण = ध्यान न्याय रक्षण विभाग। क्षत्रिय = सुरक्षक बल चौकीदार न्यायाधीश । शूद्रम = तपसे उत्पादन निर्माण = पेटऊर से । शूद्रम वर्ण = उत्पादन निर्माण उद्योग विभाग। शूद्राण = उत्पादक निर्माता उद्योगण तपस्वी वैशम = वितरन वाणिज्य व्यापार = चरण से । वैशम वर्ण = वितरण विभाग। वैश्य = वितरक वणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर। चरण पांव चलाकर ही व्यापार ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है । दासजन/ जनसेवक = वेतनभोगी /नौकरजन।सेवकजन/भृत्यजन। चारो वर्ण कर्म विभाग में कार्यरतजन। जय विश्व राष्ट्र प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम वर्णाश्रम संस्कार ।ॐ।
शिक्षित द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) ! सबसे अधिक पवित्र कौन ? इस पोस्ट को पढ़कर जानें । शूद्रन सबसे अधिक पवित्र है। आचमन के समय ह्रदय तक जल पहुंचने पर अध्यापक विप्रजन ( ब्रह्मण ) शुद्ध होता है, कंठ तक पहुंचने पर सुरक्षक चौकीदार (क्षत्रिय) शुद्ध होता है, मुख में पंहुचने पर वितरक वणिक (वैश्य) शुद्ध होता है और जल छूने मात्र से उत्पादक निर्माता ( शूद्रण) पवित्र होता है। इस पोस्ट में प्रस्तुत श्लोक विधिनियम प्रमाण अनुसार सबसे अधिक शूद्रण पवित्र होता है। संस्कृत श्लोक विधिनियम- ह्रद्गागाभि: पूयते विप्र: कण्ठगाभिस्तु भूमिप: । वैश्योऽद्भि: प्राशिताभिस्तु शूद्रण: स्पृष्टाभिरन्तत: ।। वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र।। तपसे शूद्रम । यजुर्वेद अनुसार। शूद्रण ही तपस्वी है। शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगानी आवश्यक है। अंक की मात्रा होने से शूद्रन/शूद्रण/ शूद्रम लिखना बोलना प्रिंट सुधार करना चाहिए। पांचजन्य चारवर्ण = ( शिक्षण-ब्रह्म वर्ण + सुरक्षण-क्षत्रम वर्ण + उत्पादन-शूद्रम वर्ण + वितरण-वैशम वर्ण ) × जनसेवकवर्ग/ दासजनवर्ग । जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।
हे मनुष्यो ! जन्म से सबजन दस इंद्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और चार वर्ण कर्म विभाग के समान शरीर के चार अंग समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से सबजन बराबर होते हैं। हरएक मानव जन हरएक समय मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं वे किसी भी वर्ण का कार्य चारो अंग से करते रहते हैं। इस पोस्ट को पढ़कर समझकर अपना अज्ञान मिटाई करें ओर अपने समाज का ज्ञान वर्धन करवाएं । यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करके कि मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हरएक मानव जन हैं। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वितरण ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म करते हैं। इसलिए चरण समान वैशम वर्ण कर्म है। चार वर्ण कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। पांचवेजन जनसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन दासजन भी इन्ही चतुरवर्ण कर्म को वेतन पर करते हैं। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करवाएं और प्रिंट सुधार करवाएं।
मुख से ब्रह्मण, बांह से क्षत्रिय ,पेटउदर से शूद्रण और चरण से वैश्य हरएक मानव जन हैं और जो मानव जन अध्यापक शिक्षक गुरुजन पुरोहित विप्रजन द्विजोत्तम हैं वे उच्च पद पर होते हैं । पाचमुख मतलब है पांचजन = जनसेवक दासजन वेतभोगी × ( अध्यापकजन ब्रह्मवर्णजन + सुरक्षकजन क्षत्रमवर्णजन + उत्पादकजन शूद्रमवर्णजन + वितरकजन वैशमवर्णजन)। यही चारवर्ण पांचज़न सनातन शाश्वत जीविकोपार्जन प्रबन्धन विषय व्यवस्था है। शूद्रं शब्द का मतलब तपस्वी है । यजुर्वेद मंत्र - तपसे शूद्रं । शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगी है। यह लगानी चाहिए। अंक की बिंदी लगने से शूद्रन/ शूद्रण/ शूद्रम भी लिख बोल सकते हैं। चारवर्ण चारकर्म चारविभाग जीविका विषय अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार ही शूद्रण है। कर्म चार = = वर्ण चार = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। पांचवेजन जनसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन भी इन्ही चतुरवर्ण चतुर कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत हैं। वेदमंत्र दर्शनशास्त्र ज्ञान विज्ञान विधान अनुसार और प्रत्यक्ष कर्म अनुसार प्रमाण हैं। कुछ किताबो में शूद्रन का मतलब तपस्वी उत्पादक निर्माता उद्योगण ना लिखकर सिर्फ सेवक लिख कर गलती कर रहे हैं । शिक्षित द्विजन ( स्त्री-पुरुष) को सुधार कर बोलना लिखना चाहिए और सुधार कर प्रिंट करना चाहिए। अनुचित लेखन कर्म अनुचित बोलना लिखना वेद विरूद्ध करते रहते हैं आजकल अज्ञजन । लेखक प्रकाशक जन अज्ञानता में सुधार नहीं करते हैं। द्विज और द्विजोत्तम भी अलग अलग हैं। चारो वर्ण कर्म विभाग वाले सवर्ण और असवर्ण होते हैं। शूद्रण भी द्विज पवित्र होता और चार वर्ण कर्म विभाग अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार तपस्वी होता है। अशूद्र अब्राहण अछूत व्यभीचारी जुआरी नपुंसक चाटुकार होता है। क्षुद्र पाशविक सोच रखकर जीने वाला होता है।
If you are going in selflessness and total devotion means samadhi or state of atamrati then you don't need to marry...it's already towards vanprastha or higher state sanyas.
सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक के चौथे समुल्लास में विवाह का वैदिक तरीका बताया है।उसमें बताया गया है कि जो कन्या माता पिता की चार पीढी की न हो उससे विवाह करना चाहिये। ऐसा करने से जेनेटिकली बिमारियाँ सन्तानों में नहीं आती है। विवाह का उद्देश्य सुसन्तान उत्पन्न करना है। अन्तर्जातीय विवाह करना उचित है।🙏
जितने भी धर्म शास्त्र हैं, यदि भगवान है तो उन्होंने नहीं बनाया है, शास्त्र को मनुष्य ने अपने स्वार्थ लिए बनाए हैं ,ताकि किसी उच्च किसी को निम्न बना दिया मनुष्य को मनुष्य नहीं समझा इसी कारण भारत में उच्च नीच छुआछूत पनपा
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिन: Astro - Jyotish Upay: Feeling lost or confused in life? You are simply a message away to get the remedies for all your life problems. To book your telephonic appointment with our expert Vedic astrologers, WhatsApp message here: wa.me/917700910592
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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिन: Astro Mantra - ज्योतिष उपाय: क्या आप जीवन में खोया हुआ या भ्रमित महसूस कर रहे हैं? आप अपने जीवन की सभी समस्याओं का समाधान पाने के लिए बस एक मैसेज दूर हैं। हमारे अनुभवी वैदिक ज्योतिषियों के साथ अपनी टेलीफोन पर अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए यहां व्हाट्सएप संदेश भेजे : wa.me/917700910592
😊
P
Polⁿ😅
aaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaAAAAAAAAAAg&'& 1:06:29
😊😊
आप ॐ😊
आप जैसे ही लोगों ने देश के टुकड़े-टुकड़े कर दिए
Desh ke tukde reservation ne kiye aur Kitane saal tak ye drama chalega
It's
It's correct
Please closed your channel
Reason ye tumhara srasar galt h ...keval brahaman jatti iski jimmedar h jisne apne dimaag ka jyada istemal karke varan vyavshtha shuru kiya@@RakeshSingh-b8c
जाति व्यवस्था टूटने से
कुछ लोगों को सम्मान से जीने का अवसर प्राप्त होगा
और जो अपने आप को बडीं जाति का मानता है उसकी इज्जत कम हो जाएगी
जाति व्यवस्था एक भ्रम है इसे बनाना और इसे समाप्त करना इंसान के हाथ में है ऊंच नीच बनाकर इज्जत और बे इज्जती महसूस किया जाता है अगर जाति व्यवस्था न हो तो सभी समान है फिर इज्जत घटने बढ़ने का सवाल खत्म हो जाता है
@@kuntidevi2420 jati pratha ko dharmik books me samil kr ke sahi btane ka chal chala gya hai
कर्म ही पूजा है
ओम श्री सतगुरु देवाय नमः ओम श्री गणेशाय नमः ओम श्री गणेश शिव शक्ति सूर्य विष्णु दरबार आए नमः ओम नमः शिवाय ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः ओम श्री राधे रुक्मणी कृष्ण भगवान दरबार आए नमः ओम श्री तुलसी शालिग्राम दरबार आए नमः ओम श्री हनुमते नमः ओम श्री पित्रेश्वर देवेश्वर दरबार आए नमः ओम श्री समस्त वर्णाश्रम धूणीमाता भेख भगवान दरबार आए नमः ओम श्री समस्त धाम दरबार आए नमः ओम श्री हरि हराय नमः ओम श्री हर हर महादेव ओम शांति ओम सीताराम सीताराम सीताराम कहिए जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए ओम श्री राधेश्याम राधेश्याम राधेश्याम कहिए जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए
Jati samapt nahi ho sakata
Jati karm par adharit hona chahiye
Koi karm nich nahi hota na koi jyati
Hame sochane ki jarurat hai
उच्च और निम्न कुल में शादी होने पर सबसे बड़ी दिक़्क़त विचारों, तौर तरीक़ों और संस्कारों की आती है, जिन तौर तरीक़ों को उच्च कुल में ग़लत माना जाता है उनको निम्न कुल में सामान्य माना जाता है, इससे मतभेद उभरते हैं और शादी जल्द ही समाप्त हो जाती है। जब दो लोगों के संस्कार और विचार मिलेंगे तभी जीवन आगे बढ़ पायेगा!!
100% सही है....निम्न कुल में शराब, मांसाहार बिलकुल आम बात है जबकि उच्च कुल जैसे ब्राह्मण पंडित इनमे ये कर्म पाप है यही वजह की निम्न और उच्च कुल में रिश्ता नही हो पाता....लेकिन आज कलयुग चल रहा है उच्च कुल के लोग अब निम्न कुल के लोगो की ओर बढ़ रहे है उनको भी मांस मंदिरा का सेवन करते है देखा है....... संभल जाओ....
Bilkul sahi kaha
Bilkul right Ji ❤❤🎉
@@Sanatani_DSG aysa ni hai har insan ka soch alg alg hota h ucch kul me paida huye insan jruri ni hai ki uska snskar, education bhi uchh ho nimn kul me bhi uche vichar ke, achhe snskar, educated log hote hai
Sadi insan dekhkr krni chahiye kyuki uche kul ke hr insan uche ni hote or nimn kul ke hr insan nich ni hote 🙏🏻
@@Sanatani_DSG जो मास खाता है वो उच्च कुल का कैसे हो सकता है।
पूरे विश्व के मानव मानव भाई भाई हैं मानव से मानव पैदा होता है
जानवर से जानवर
आपस में खूब शादियां करो पूरा भारत पूरा विश्व एक परिवार है
जातियां समाप्त करो मानव मानव एक समान है
To fir fir bharat Or any desh me kya frk hoga
@@BasantRajput-t6nदूसरे देश कही पीछे नहीं है चाहे जापान, चीन इंग्लैड फ्रांस रूस बेलारूस जर्मनी आदी आदि
@@BasantRajput-t6nmatalb tum jati badi Ho Wah dost 😂
@@ravichandra3893 tu bhi to h , reservation lekar betha h , cast certificate bnwakr , apne ko victim bta rha h , or hum hai bhi to tujhe kya dikkat h , tumhari aurte k peeche to nahi pde hum
Fir love jihad say kya dikkat hai???
Apni bayti dayga tu ??
कृष्णाय वासुदेवाय देवकीनन्दनाय च, नन्द गोप कुमाराय गोविन्दाय नमो नमः 🙏🙏
Bakwaas kar rahi
@@bhushanbhatti8872jal gyi Teri bheemte ki😂😂
जाती में भगवान ने भी नही बाटा है मानवता ही सच्चा धर्म है
Sayad chamar ho
Ma ha bhart fir se dekho achhe se
पहले लिखा सीखा जा @@BasantRajput-t6n
The moral of the story is that
भुझ जाए दीया तो बाती का क्या करोगे
अरे धर्म हि नहीं बचा सकोगे तो जाति का क्या करोगे
Dharm waise bhi khtm hogya..
Ek dam sahi baat...In jaiso k bajay Acharya Prashant g ko sunna chahiye..Hindu Dharm me hajaro Achi bat bhale ho par dher sare kuritiyan aur kupratha h jisme se ye v hai 1...In logo ko lgta h is tarah ka dogalapan, bhed bhav v krenge aur Dharm v bacha rhega... 🤐
Acharya Prashant Mk stalin ko support karta hain.. wo insaan sabse jyda danger hain hinduism ke liye@@nil.nilesh56
Uska har baat hindusim ko nicha dikhana hain .. wo ak propoganist hain isiliye usse har anti indian & anti hindu forces support karte hain@@nil.nilesh56
Sharm kar apne aap par ..itna sa baat aab tak nehi jaan paya.. check kar uska comment section only fake accounts comment karte hain.. @@nil.nilesh56
जात हमने बनाया है
शादी भगवान की देन है
कभी जात पात मत देखो सिर्फ इंसान चुनो
गुड और ग्रेट वर्क
@@santoshthakur8204 जब लव जिहाद की बात क्यो करते हो कोई धर्म हो इन्सान है
@@sarveshbishnoi9970dharm ek vichardhara hai cast kuch nahi isliye dharm mattar krta hai
Kisi bhi cast me thik h chal skta hai lakin dusre religion me bilkul nhi kyuki religion badlne k sath hmara pura jivan prabhavit ho skta h
@@girlofmahadevkya brahaman me saadi krne se jo bachhe honge unko sc ,st ka reservation milega ????, Saadi isi base pr krungi , bachho ko reservation milega , or agra ya kisi bhi general cast k insaan se saadi krne pr ??
@KajalPARIHAR-yp3ll nhi milega general me sadi krne s
मै आदिवासी हूँ। मै जानना चाहता हूँ ,कि प्याज लहसून मिट्टी से उगाया जाता है,और दुध और मांस खून से पैदा होता है तो प्याज लहसून को नहीं खाया जाता है और दुध को खाया जाता है।(अभिनाथ किस्कू)
प्याज लहसुन में तामसिक गुण होते हैं। सेक्स की इच्छा बढ़ती है। गृहस्थों को खाने में कोई बुराई नहीं।
Gay aur bhys jo chara,ghas khate hy usse duth, milk Banta hy khun se nahe
Iska reason ye hai ki.. Pyaj or lehsun smell chhod deta hai khane ke bad. Or insaan ka man agar sachai ho.. Karm acha ho.. To uske sarir.. Uske juban pe devta vas krne lagte hai. Or kyuki pyaj lehsun se smell ati hai.. Devta pass nhi ate ise khane se. Isliye pyaj lehsun ko varjit kia gya tha purane samay me.
प्याज लहसुन आध्यात्मिक साधना के सम्बन्ध में नेष्ट सिर्फ इसलिये है कि ये वस्तुएं तमोगुणी है और साधक तमोगुण और रजोगुण को संतुलित रखने के सतोगुणी अवस्था चाहता हैं।लेकिन जो व्यक्ति ऐसी किसी अवस्था के लिये संकल्पित ही नहीं है तो उसके लिए ये जरूरत है क्योंकि ये आयुर्वेदिक औषध है।
❤❤❤❤❤❤
किसी जाति में शादी की सकती है क्योंकि इस समाज मे जब तक जाति प्रथा रहेगी, भेद भाव, ऊँच नीच बना रहेगा और समाज बिखरा रहेगा ।
अपनी जाति में ही शादी विवाह करना चाहिए अलग जाति में बिलकुल नहीं करना चाहिए
इसी कारण तो राष्ट्र में किसी के जाति का उल्लेख नहीं होना चाहिए परन्तु जब तक जाति आधारित लाभ मिलते रहेंगें समाज बिखरता रहेगा।
अपनी जाति में ही शादी करनी चाहिए।
भीमटा
Tina Dabi UPSC Jihadi ke bare pehele Jan Lo??? Bad me pastana??? Nehi to35 tokde freeze me35 tokda???
सम + बन्ध _ सम्बन्ध
जहां समानता होगी वहीं बंधन होगा उचित सम्बन्ध कहलाएगा।
किस चीज की समानता ?
शारीरिक उम्र, योग्यता में समानता।
मानसिक योग्यता, आचार , विचार , व्योवहार, रुचि, सोच , शिक्षा के स्तर, believe के स्तर , खान पान के रुचि में समानता , रहन सहन के स्तर में समानता,
एक दुसरे के समझ का सम्मान, एक दूसरे के अधिकार एवं कर्तव्य के प्रति सम्मान।
Ek dusare ke samman ka khayal rakhna
Satyavati aour shantanu ki vivah hua tha
Lakho...ke...hisab...sadi...kamjab...hai...ap..ki...soch....kurha....badi...hai
❤❤❤
हिंदू एक ज्योग्राफी में रहने वाले लोगों के लिए कहा गया है हिंदू कोई धर्म नहीं है...
भारत में रहने वाले विभिन्न समुदाय में शादी एक धार्मिक अनुष्ठान है ...एक संस्कार है..
संविधान एक सेकुलर है ...सरकार सेकुलर है हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट सेकुलर है ..किसी को भी धार्मिक अनुष्ठान में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है..
कुछ लोग संविधान का आंख पर पर्दा लगाकर.... सॉफ्ट कन्वेंशन करना चाहता है
जो जात पात को देख कर शादी करते है सब से बड़े जातिवादी वही होते है।
मानव का कर्म और प्रेम उच्च होता है।
कृष्ण ने भी यही बोला है।
जो प्रेम को जाति से टोलते है वो मानवता के नाम पे कलंक है।
kul aur varnsakarta ko bhagvan Shri Ram bhi mante the to ham bhi manege Tum Kaun hote ho
@@shrigupt2211to is dharm me bas 10% log rahenge.
@@shrigupt2211 alg alg varn me sadi krne se bcche varnsankar kahlate hai thik hai bhai aapka bat man lete hai lekin jati or varn me bhut antar hai
Sudra me jitne bhi jatiya aate hai vah to aaps me sadi kr skte hai kyunki sudra ka sudra ke sath sadi hone se bccha varnsankar to ni honge n💯
एक जाति और गोत्र में शादी करने की वजह से ही भारतीय ना बुद्धी मे तेज है और ना शारीरिक रूप से मज़बूत है ।
गोत्र अलग अलग ही होता है परन्तु जाति समान
@@Soooorajकहा जी रहा है तू भाई
@@sandeepchhapolaभाई हमारे तरफ जो होता है वहीं बोल रहा हूँ। झारखंड से 🙏
@@sandeepchhapolaAbe same gotra Wale brother sister hote hai.
सोची समझी साजिश के तहत ये वरण व्यवस्था बनाए ग,ई हैं जो कि समाज के एक बहुत बड़े जन समूह को
ग़ुलाम बना दिया ।
Brahmano me maja lutane aor dhan kamane ke liye pakhand bhara garantho ki rachana ki samaj par enka adhikar ho ye manmani kare shudaro se sabhi prakar ke shishan kare garbhkal se mrityu tak pakhand sanskaro ke dawara
Aisa kuch ni h the beautiful tree by dharampal jo ki british archives se li gyi h usme likha h ki gurukul mein 60% padhne waale shudra h. Pustak angrezi bhasha mein h. Free h pdf uski prishth sankhya 29 aur 35 padhe @@arvindkumar-zh1zs
नोट_हिन्दु जिस जिस राज्य में थे वहां चार वर्ण नहीं थे वल्कि छै वर्ण व्यवस्था पाया जाता हैं । जैसे, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री, ,श्रम मंत्री, जनसंपर्क मंत्री और अंत में जो नौकरी पद वह अंतिम 6 छटवां वर्ण व्यवस्था पाया जाता हैं। यही हिन्दू धर्म कि खासियत है। धन्यवाद।❤❤❤❤❤
There is no caste of any human being.God is everywhere.In India Brahmin divided the society into castism.❤❤❤❤😂😂😂😂
त्रेता में कृष्ण का जन्म ही नहीं हुआ , द्वापर में जन्म हुआ है , आखिर उनके शरीर से चार बर्ण की उत्पत्ति कैसे हुई.....
Tum Marney ke baad pta Krna uncle
@@dvavatsa4919 अर्धज्ञानी h ye माताजी अंकल
@@dvavatsa4919 वर्ण व्यवस्था सतयुग से शुरू हुई है
Ye shree Mati adhura Gyan de rahi hai isko khud pta nhi hai kuchh
Krishna har yug me the thoda sastra pad kar ayiye bhaiya @@Ranjeet_pandey01
पाखण्ड समाज एवं देश के हित मे ठीक नही, पर कर्म श्रेष्ठ है क्योकि सत्य सदा सत्य है।
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Da,
pakhand aur dharm ke bich ka line kya hai tujhe itna bhi nahi pata hoga
Jis karm me dharm nahi hai o karm srest nahi sakta
विवाह संस्कार में विचारों को समान होना आवश्यक है । लड़का मांसाहारी हो लड़की शाकाहारी हो मेरे समझ से जीवन यापन में तकलीफ उठानी पड़ेगी और भी तमाम विसंगतियां आएगी ।
@@aryanhindu881 जिस कर्म से समाज की उन्नति हो वो कर्म श्रेष्ठ होते है।
फिर वो करने वाला किसिभी धर्म का हो या ना हो।
शूद्रं शब्द का मतलब तपस्वी है ।
यजुर्वेद मंत्र - तपसे शूद्रं ।
शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगी है। यह बिंदी अवश्य लगानी चाहिए। अंक की बिंदी लगने से शूद्रन/ शूद्रण/ शूद्रम भी लिख बोल सकते हैं।
चारवर्ण चारकर्म चारविभाग जीविका विषय अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार ही शूद्रण है।
कर्म चार = = वर्ण चार = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम।
पांचवेजन जनसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन भी इन्ही चतुरवर्ण चतुर कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत हैं। वेदमंत्र दर्शनशास्त्र ज्ञान विज्ञान विधान अनुसार और प्रत्यक्ष कर्म अनुसार प्रमाण हैं।
कुछ किताबो में शूद्रन का मतलब तपस्वी उत्पादक निर्माता उद्योगण ना लिखकर सिर्फ सेवक लिख कर गलती कर रहे हैं । शिक्षित द्विजन ( स्त्री-पुरुष) को सुधार कर बोलना लिखना चाहिए और सुधार कर प्रिंट करना चाहिए। अनुचित लेखन कर्म अनुचित बोलना लिखना वेद विरूद्ध करते रहते हैं आजकल अज्ञजन । लेखक प्रकाशक जन अज्ञानता में सुधार नहीं करते हैं।
द्विज और द्विजोत्तम भी अलग अलग हैं। चारो वर्ण कर्म विभाग वाले सवर्ण और असवर्ण होते हैं।
शूद्रण भी द्विज और पवित्र होता और चार वर्ण कर्म विभाग अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार तपस्वी होता है। जो द्विज तपश्रम उद्योग उत्पादन निर्माण कार्य करते हैं वे शूद्रण हो जाते हैं।
अशूद्र अब्राहण अछूत व्यभीचारी जुआरी नपुंसक चाटुकार होता है।
क्षुद्र पाशविक सोच रखकर जीने वाला होता है।
इस पोस्ट को कापी कर अन्य सबजन को लेखक प्रकाशक को भेजकर कर प्रिंट सुधार करवाएं।
विश्वगुरु महामानव गौतम बुद्ध ने मनुष्यों में दो ही जाति बतलाया है | एक महिला और दूसरा पुरुष और तीसरी कोई जाति ही नहीं | जय भीम नमो बुद्धाय ❤❤❤
ap male or female ko alag kyu samjhte ho insan hai itna kafi nhi hai kya jaise animals hote hai
Hare krishna
Bhai jabtak intercaste marriage nhi hoga tab tak hindu dharm ko jativaad se naas ho jayega
माताजी को ज्ञान nhi है।
किनको उठा लाते हो परंपरागत गुरु आचार्यों के पास जाइए ,इनके पास सनातन का नहीं केवल अपने खुद का ज्ञान है
😂 nile kabutar jai Bheem bol rhe ho jinhone khud ne casteism kiya
Sharm aani chahiye
द्ववापर मे भी ऐसा होता था ,प्रमाण सत्यवती ,हिडिम्बा ,और कुन्ती आदि।
विवाह ही महाभारत का कारण है
Inka jinse shaadi hui thi wo sub mantro se paida huay the Isliye unki shaadi sambhav thi ok
@@mahendrapratap3885 : लगता है, तुम्हें जरूरत से ज्यादा ज्ञान है. जरूरत से ज्यादा ज्ञान सदैव हानिकारक होता है. याद रखना. 🤔🤨🙄
U are right, hidmana is hybrid product of Bhima and Aadivasi Mahila who borned more courageous and strong fought for Father dignity and died for Father without considering death. So we should be lesson from Mahabharata.
दुसरी जाती के लोगो के साथ एक दुसरे साथ शादी करांना पाप है तो क्या हत्यार अलग अलग या छोटे बडे होते है क्या? अरे जरा सब्र करो इन्सान तो इन्सान ही हॊता है, जनावर नहीं हॊता |
Han Bhai inko kon samjhae 🙏🙏
हिंदू एक ज्योग्राफी में रहने वाले लोगों के लिए कहा गया है हिंदू कोई धर्म नहीं है...
भारत में रहने वाले विभिन्न समुदाय में शादी एक धार्मिक अनुष्ठान है ...एक संस्कार है..
संविधान एक सेकुलर है ...सरकार सेकुलर है हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट सेकुलर है ..किसी को भी धार्मिक अनुष्ठान में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है..
कुछ लोग संविधान का आंख पर पर्दा लगाकर.... सॉफ्ट कन्वेंशन करना चाहता है
🙏एक वचन,एक पत्नी, एक धर्म असं प्रभु श्री राम यांचं राम बाण शब्दाचं वर्णन 🌞|| जय श्री राम ||🌞 ⏳ युग परिवर्तनाच्या दिशेने ⌛🏜️
अति उत्तम ज्ञान वर्धक जानकारी दी गई हैं धन्यवाद।
हमारी सर्वश्रेष्ठ संस्कृति बताने के लिए करोड़ों बार धन्यवाद ❤
अगर तुम अंतर्जातीय विवाह को ग़लत करार दे रही हो तो।अब मैं तथाकथित ब्राह्मण धर्म के मनुस्मृति ब्यास स्मृति में यह कहना जायज मानता हूं कि औरत नीच होती है, कुल्टा और पथभ्रष्टक होती है। लेकिन मैं सबसे पहले भारतीय हूं और देश से बढ़कर मेरी नज़र में ना धर्म है, ना जाति है ना ही कोई अपना पराया
Well shot 😂😂😂😂
जातियां कृत्रिम हैं; सभी एक ही परमात्मा के अंश हैं।
तो फिर फ्री का आरक्षण रूपी भीख क्यों लेते हो? सब बराबर हैं तो मेहनत करो कामचोरों
अंतरजातीय विवाह करने में कोई दिक्कत नहीं है परन्तु किसी के झांसे में आकर गलत फसने से पहले उसके परिवार की जानकारी लेना बहुत ज्यादा जरूरी है आज कल प्रेम कम धोखा ज्यादा मिलता है
लव जिहाद जैसी घटनाएं बहुत हो रही है नाम बदल कर प्रेम जाल में फसा लेते है बाद में धर्म परिवर्तन करवाते हैं नही करने से सूट केस में बंद कर ठिकाने लगा देते हैं
सावधानी रखना जरूरी है
fir bhi kiyu kare
@@shrigupt2211 जो कर रही है उनको इनकी असलियत का पता नहीं चल पाता है जिसके कई कारण हैं
1. वूलीवुड सीरियल में हिंदू लड़की को तकलीफ में फसा दिखाया जाता है और बचाने वाला मुस्लिम को दिखाया जाता है
2. ऐसे सीरियल टीवी चैनल यू ट्यूब चैनल पर दिखाए जाते है जिसको देख कर सोचती है में इसके साथ सुरक्षित रह सकती हूं वो भ्रमित हो जाती है चक्रव्यू में फसने के बाद निकल ने की बजाय मौत को ही गले लगाना पड़ता है
3. टीवी सीरियल के साथ साथ न्यूज देखना चाहिए ताकि देश दुनियां में क्या हो रहा है जानकारी प्राप्त होती रहेगी
4. लड़का देखने में कितना ही अच्छा क्यों न हो बिना अपने बड़ों के द्वारा जानकारी प्राप्त किए शादी विवाह नही करनी चाहिए तो ही जिन्दगी को सुरक्षित रखा जा सकता है
5. लड़की को पहले अपने परिजनों से सम्बंध इतने खराब करवा दिए जाते है ताकि वो अपने परिजनों के पास वापस नहीं जा सकती
@@घरेलूनुस्खे-च2भ hi hi hi hi, intercaste marrige kar sakte hai parantu isme khatre bahut hain
हिंदुस्तान में अलग अलग संस्कृति अलग अलग मान्यताओं वाले अलग अलग पहचान वाले लोग है... जिसे अपना एक संस्कृति है.. .. परंपरा है संस्कृति है
जिसका परंपरा में अपनी जाति में शादी करना है... तो करना ही चाहिए उनका वह अधिकार है ....संवैधानिक अधिकार संविधान ने दिया हिंदुस्तान में अलग अलग संस्कृति अलग अलग मान्यताओं वाले अलग अलग पहचान वाले लोग है... जिसे अपना एक संस्कृति है.. .. परंपरा है संस्कृति है
जिसका परंपरा में अपनी जाति में शादी करना है... तो करना ही चाहिए
हिंदू एक ज्योग्राफी में रहने वाले लोगों के लिए कहा गया है हिंदू कोई धर्म नहीं है...
भारत में रहने वाले विभिन्न समुदाय में शादी एक धार्मिक अनुष्ठान है ...एक संस्कार है..
संविधान एक सेकुलर है ...सरकार सेकुलर है हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट सेकुलर है ..किसी को भी धार्मिक अनुष्ठान में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है..
कुछ लोग संविधान का आंख पर पर्दा लगाकर.... सॉफ्ट कन्वेंशन करना चाहता है
शादी दूसरी जाती में करना थोड़ा मुश्किल ही होता है विचार अलग-अलग होने से ।राम राम जी
Kis khet ki mooli ho bhai? Bichar sanskar se ata hai, jati se nehi! Itna jahaliyat kaha se paida hota hai? Apne desh ki sanskar ko jano , pahchano, Dil se samajhne ki koshish karo! Borbole so called pandits aur murkh gharwalo ke chakkar me parhne se Aisa hi haal hota hai!!Janu latkane koi Brahman nehi bon jata!!
Very nice...logical fact...detail discussion..🙏🙏..aap jese log ke vjh se hi bharat varse and sanatn Dharm and Brahman sanskar bcha hua h...🙏🙏🙏👌👌
Amazing session!!! Thank you so much it helped me alot, i had so many questions , finally got the answers....hare Krishna Mata ji' s i have huge respect for u... dandvat pranam 🙌🙌🙌
आज दुनिया कहाँ से कहाँ पहुँच गाई है और ये अभी सबको जातियों में बांट रहे हैं ,जब बच्चा पैदा होता है तो क्या उसके माथे पर सटैमप गली होती है कि यह किस जाति का है या किस धर्म का हैं
Sanatan main mata pita kai javik ansh kae gaun jaroor aate hain,ghodi ghode sae prignent hogi tau uske vachcha nasly ghoda hi hoga ,yadi ghadhe sae crosbeed. hoga tau uh khachchar hi paida hoga jo ,uski nasly alag hi hogi, uska D N A hi alag hoga ,filmi duniya nae cross beeding ko antar cast love marrage ko badhava Diya hai ,jiska result talak, pariwar anusar nahi hoga ,gharalu hinsa ka samajik bhayanak rog felraha hai, HONORABLE AMITABH Bachchan ka pariwar tabah ho Gaya hai, es pariwarik tootan sae vachchan Kitana dukhi hoga uhi jante hain ,samajik maryada ka palan hona ,bhavi vansh ko aage badhane ko bahut jaroori hai , Jay Sanatan dharm Jay Bhartiya culture , filmi duniya nae samaj ko barbad kar diya ,sensar bord v sarkar ko espar canuni sinkanja kasna chahiyae nahi tau samaj ko varwad hone sae koe nahi rok sakta , jayhind JaySanatan dharm, S p singh
Hindutva ko jo manne vale hai vo jati me bilkul biaswash na kare tabhi hindutva bachega
गीता में जातिवाद जैसा कुछ नही है ।लोगों को खुद ही गीता पढ़नी चाहिए नही तो ये ढोंगी गीता के नामपर कुछ भी चिपका जाते हैं।
माताजी हॉस्पिटल से तबीयत अच्छी करके आयी है और धन्यवाद जगन्नाथ जी को दे रही है|
Tb tk hospital Jane Wale ko marna hi nhi chahiye agar sabkuchh doctor aur science se possible hota to log marte nhi
More of them had been relationed in Muslim families and giving us lesson.
जाती वाद खत्म करने और जातीय जहर को कम करने के लिए अन्तर जातीय करना उचित है
Manv ko jivan me vah gyan arjit karna chahiye jo snatan ho .
Na ki jo man ko bhaye vah gyan .
Gita 1.41 se 45 tak dekh lo
Hare krishna. Mataji.
Ajka intercaste marriage ke bareme apka pravachan bahut achha laga.
Aur bahut achhi jankari bhi mili.
Thank you.
Excellent vishleshan thanks 🙏🙏
🎉 क्या मैं आपकी राय चाहता हूं कि पहले जुगों में प्रेम बिबाह नहीं किया है
Gandharw vivah dwapar yug me hua hoti thi. Use hi aaj prem vivah kaha jata hai
मनुष्य जाति होने में क्या बुराई है लोगों की सोच में बुराई है संसार में फुल और कांटे दोनों होते हैं
❤❤❤❤❤❤
मुख से ब्राह्मण की उत्पत्ति क्षत्रिय की उत्पत्ति बाहों से वैश्य की उत्पत्ति जांघों से शूद्र की उत्पत्ति पैरों से पहले से ही होती आई है तो वर्तमान समय में मनुष्य की उत्पत्ति क्यों नहीं होती, जवाब दें, यदि नहीं तो गलत उच्चारण करना अवैधानिक है। मानव जाति को गुमराह क्यों कर रहे हो।
Kisi ki utpatti kahi se nahi hui hai.Sab maata ke pet se paida huye hai Apna dosh chhipane ke liye khoob slok banaye gaye.wahi yah desh bhugat raha hai
Bakvas hai aaysa mu hat jang pairse nahihote
बहुत सुंदर जानकारी दीया, उत्तम विचार
प्राचीन काल में राजा लोग परस्पर युद्ध किया करते थे जो राजा हार जाता था वह अपनी लड़की की शादी उस राज्य से कर देता था उस समय जाति प्रजाति नहीं देखा जाता था। इसलिए शादी दूसरे जाति में किया जा सकता है।।
Nhi mostly Raja kashtriya hote tha isliya ho jate thi
@@ashishmehra9330mostly nhi sb raja bnta hi kashtriya the
❤❤❤❤❤❤❤
PRACHIN KAAL MAI 99% KSHATRIYA RAJA HOTAI TAB MUGHAL CHRISTIAN NAHI HOTAI THAI ANPADD GANWAR I% KSHATRIYA + BRAHMAN YA VAISYA KA HOTA THA SHUDRA GIRL USE N THROW HOTI THI
कौन बोला ब्राह्मण उच्च कूल के हैं जबकि हमने देखा बिहार मे बकरे की बली देते और खाते हैं फिर kese उच्च कूल ho गए उसके के चरित्र से तय होना चाहिए
Right
Do not try to judge Brahmins, and build offensive narratives against Brahmins only better judge yourself and your own caste people
Right bro
You are right
He's not lying, you illiterate priest@@Jainagwa
जय श्री कृष्ण
हरे कृष्णा
🚩🌹🙏
JOY SIR CHRISHNA 🙏
HARRY CHRISHNA 🙏
Informative presentation. Appreciate for explaining I’m simple language.
Very nice thinking and teaching to the society .
Both are correct God bless you. Jay shree Krishna.
मनुष्य जिंदा रहता है।तब इंसान कहलाता है।जब इंसान का मृत्यु होता है तो भगवान होता है।जिसका मृत्यु हो जाता है वह किसी को कोई भलाई नहीं कर सकता। जैसे गुड चीनी जपने से मुंह मीठा नहीं होता है वैसे भगवान भगवान जपने से भगवान नहीं मिल सकता है।
fir to nich se nich log manushy kahlane ke layak hai
Sahi bole bhaiya ji
हिंदू एक ज्योग्राफी में रहने वाले लोगों के लिए कहा गया है हिंदू कोई धर्म नहीं है...
भारत में रहने वाले विभिन्न समुदाय में शादी एक धार्मिक अनुष्ठान है ...एक संस्कार है..
संविधान एक सेकुलर है ...सरकार सेकुलर है हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट सेकुलर है ..किसी को भी धार्मिक अनुष्ठान में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है..
कुछ लोग संविधान का आंख पर पर्दा लगाकर.... सॉफ्ट कन्वेंशन करना चाहता है
माता जी मै आपसे सिर्फ एक बात पूछना चाहूंगी, की जानवरो की रचना ईश्वर ने कैसे करी।
😂😂😂😂
Jaise tumhe kari
Boht badhiya jankari di h aap logo ne iss video ke dwara . ❤❤
जातीभेद मिटो हा सारा मनवतेने हो अती प्यारा तुकडोजी महाराज जय गुरू3:57 3:59
ये भिडियो देख कर ऐस यहेसास होता हे ब्रामन, क्षेत्री, बैंस और सुद्रको जनम दिने वाले भगवानने पक्षपाती प्रयोजन के लिय यिस तरह से जनम दिया हे, नहि तो सास्त्रोमे मनो कल्पित मित्था लेखा गया है
Mataji Jo apne bataya ki karm se varn bante hae ye perfect laga
Magar agar karm se bhraman ho par janam se shudra parivar se ho to use bhraman se karna chaheye ya shudra parvir se
हरे कृष्णा
माता जी !
आज आधुनिकता की दौर मे लोग पश्चमी सभ्यता का अनुसरण करके गौरवंवित् होते है ! लेकिन इनका अंत बहुत बुरा होता है ! ऐसे लोगो को आप आगे भी मार्गदर्शन करते रहें 🙏🙏🙏🙏
Shruti mata ji. Pl.. kaam boleye.and in brief. Aap ke question aac he hote hei.
Matajee ko pranam.A very good and knowledgeable talk show came across me. Many many thanks to both of you.
क्या मुख और बड़ों से या जांघों से या पैरों से इंसान पैदा हो सकते हैं
उसके लिए चारो वेद 18 पुराणों का अध्ययन करना पड़ेगा
😢😢😢😢😢😢
नही होता है लेकिन इससे एक कर्म व्यवस्था को चिन्हीत किया है एक उदाहरण के रूप मे जैसे मुख बोलने विचार बताने का भूजा युद्ध का जंघा शरीर का भार सभालती है तो अर्थव्यवस्था वैश्य सभालते है वही पैर चलना और विभिन्न कार्य को करता है और पैर आधार है तो वहा शुद्र को बताया है बस यह एक उदाहरण जैसा है समझ की आवश्यकता है
अंध विश्वासी हो तुम
@gopalmali1444 1:37 ही के आरc।
विवाह के बारेमे माताजी सविस्तर विवेचन किया है! धन्यवाद
Right
Bahut hi gyanvardhak hai
छोडो कल की बातें कल की बातें पुरानी
नये दौर में लिखेंगे हम जाती मुक्त कहानी ।
to apne ma bahan se sadi kzr ab aur naye duar me nayi kahani likh de
@@shrigupt2211 तुझे क्हा दिक्कत बनगी ?
सनातन धर्म के लोग, जैन धर्म के लोग,सिख धर्म के लोग के कल्चर थोड़े मिलते हैं लेकिन ईसाई धर्म के सिध्दांत बिल्कुल अलग होते हैं लेकिन इस्लाम मज़हब तो दूसरे धर्म के लोगों को काफीर या नापाक समझता है
Pl tel swarg kaha h pl send location
I am a brahman by birth but my father is a businessman and my grandfather was in job. We are not into poojas and yagya then i belong to which varna
Hare Krishna , your karma is just like vaishya (according to Bhagwat geeta)
New Varna. Chutiya 😂
DIFFERENT MIND DIFFERENT SAGE. I LOVE IT. YOU ALSO TRY TO UNDERSTAND AND LOVE IT
सिर्फ झुंठ बोलकार पब्लिव को नाही बहकाज आप प्रुफ करो कोई मुख़ से बच्चा पैदा बो सकता हो मुख़ खाने और बोलने मे कम आता है या बच्चा पैदा करने मे किर्प्या सही उत्तर दे
Andhviwas ko badhai ka kam h . Bakwas.
प्रेम विवाह वाले मात्र अपनी खुशी के लिए जाती वह परिवार विवाह हमारे पूरे खानदान की इज्जत के लिए
Remedies kya hey,please
बच्चों को विवाह के निर्माण के लिए माँ, बाप के अनुभवों और आशीर्वाद की बहुत अधिक आवश्यकता होती है साथ ही अच्छे भविष्य के लिए भी निर्णय लिया जाता है🙏 विवाह समान वैचारिक, आर्थिक, सामाजिक स्थिति के लोगों के बीच ही होने में सुखद भविष्य का निर्माण होता है नहीं तो कुछ समय बाद वह गले की फास बन जाती है🙏
राधे राधे
मेरे हिसाब से कृष्ण का जन्म तो द्वापुर में ही हुआ है नकि त्रेता युग में और आप त्रेता में बता रही हैं शायद ग़लत बतारही है , पुनः अबलोकन करैं।
भगवत गीता के 18 बे अध्याय में 41 बा श्लोक का अवलोकन करें उसमें वर्ण व्यवस्था को श्री कृष्ण जी ने बताया है। क्या वह गलत है ।ॽ
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रावण की मृत्यु होने बाद विभीषण ने अपनी भाभी के साथ विवाह क्या था बाली के मृत्यु होने के बाद सुग्रीव ने भी अपनी भाभी के साथ विवाह किया था क्या शास्त्र के विरोध किया था कि सही क्या था
कोई भी वहां नहीं किया था गलत
जाति भले ही अलग-अलग हो। पर अपने अपने धर्म में ही विवाह करके जीवन निर्वाह करने से हर कदम पर होने वाली दैनिक समस्या से निजात पाया जा सकता है।
Yoga of love ( Ishvara Gauranga prabhuji ) there was only one matching quality in his Kundali and his wife, yet today in the society of devotees, their life is one of the best marital lives, so how will you judge this??
Jo kuch time. Work aur parisithti ke anusar bana rakha ha. Risi munio k anusar thik है yadi sab ek ho jaye unki pahchan kaise hogi bolenae ki apxea likhe Due to hearing problam
आजकल गीता का सिर्फ शाब्दिक अर्थ ही बताया जा रहा है और लोगों को वास्तविक सत्य से दूर रखा गया है। कृष्ण क्या कह के गए और हम इंसानों ने उसका अपने स्वार्थ के अनुसार अनुवाद कर लिया। सनातन धर्म में श्रीमद्भगवदगीता उपनिषद त्रयि में आती है और उपनिषद ऐसा सीधा अर्थ कभी नहीं देते उसके पीछे गूढ़ अर्थ छिपा होता है अब कृष्ण को अर्जुन को समझाने में १८ अध्याय लग गए और आजकल के व्याख्याकर्ता एक श्लोक को पढ़ कर उसका अर्थ करने लगते हैं ऐसे जैसे उन्हें कृष्ण की बात एक बार पढ़ कर समझ आ गई। इसलिए तो लोग धर्म से दूर भागने लगे हैं क्योंकि खुद को श्रेष्ठ जाति का कहने वाला अपने अनुसार अर्थ करता है और निम्न जाति का कहा जाने वाला उसमें अपनी अवहेलना देखता है। ईश्वर कभी मनुष्य में भेद नहीं करते इसलिए जन्म से मिला कोई भी प्रमाण वास्तविकता नहीं है ऐसा कृष्ण ने अपने जीवन में पालन किया और वही सत्य अर्जुन के समक्ष रखा ताकि यथार्थ का बोध हो। कृष्ण ने तो सत्य के समक्ष कर्मकाण्ड को भी त्याज्य माना है उन्होंने किसी को श्रेष्ठ और किसी को निम्न नहीं कहा केवल इंसान ने अपने स्वार्थ और बुद्धि के अहंकार में खुद को ही दूसरे से ऊंचा घोषित किया है। ना बोध को वरीयता देता है ना ज्ञान को बस जन्म आधारित धर्म पर चलना ही वर्तमान का सत्य बनाना चाहता है और जब तक ऐसा चलता रहेगा सनातन धर्म का निरंतर पतन को होगा।
🎉🎉❤❤❤❤❤❤❤❤🎉🎉❤
Right. Thori si porai korke apna dimag ka istemal korke Koli yug ka nature se jor ke remark korte h usme hamara Hindu ka dhorm ko niche dekha ne ka Teri ka dhud liya. Vdo bana ke high light me ana chaha ta h. Dusri dhorm se shadi korke admi suhki h ? Achar achoron somaj ko dekh ke shadhi kor na chahiye.
Bahut Sunder. 🙏🙏🙏
@@jjprasad205 Ap ko hamara dill se hazaro namaskar 👏♈
Chatur varna division is based on knowledge hence it is natural but to make it permanent to any individual and his descendants is pure corruption . 🤔😃😃😎👍⛳⚔️ .
ये माता जी खुद बैष्णव होंगी इसलिए इन्होंने चार बर्णो के अलावा एक बर्ण और वनाकर पांचवें बर्ण का निर्माण कर के उसे ब्राह्मण से भी ऊपर का बर्ण वना डाला ।।
Gade ku olaad, read the Gita to know reality
No
ब्रह्मा के पांच मुख का मतलब हैं
एक अध्यापक ब्राह्मण, दूसरा सुरक्षक क्षत्रिय, तीसरा उत्पादक शूद्राण और चौथा वितरक वैश्य। पांचवे मुख का मतलब है दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन चारो वर्ण कर्म विभाग में सहयोग करने वाला।
ब्रह्म = ज्ञान । मुख से ।
ब्रह्म वर्ण = ज्ञान विभाग।
ब्राह्मण = ज्ञानदाता/ अध्यापक/ गुरूजन/ विप्रजन/ पुरोहित/ आचार्य/ अनुदेशक/ चिकित्सक/ संगीतज्ञ।
क्षत्रम = ध्यान न्याय। बांह से ।
क्षत्रम वर्ण = ध्यान न्याय रक्षण विभाग।
क्षत्रिय = सुरक्षक बल चौकीदार न्यायाधीश ।
शूद्रम = तपसे उत्पादन निर्माण = पेटऊर से ।
शूद्रम वर्ण = उत्पादन निर्माण उद्योग विभाग।
शूद्राण = उत्पादक निर्माता उद्योगण तपस्वी
वैशम = वितरन वाणिज्य व्यापार = चरण से ।
वैशम वर्ण = वितरण विभाग।
वैश्य = वितरक वणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर।
चरण पांव चलाकर ही व्यापार ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है ।
दासजन/ जनसेवक = वेतनभोगी /नौकरजन।सेवकजन/भृत्यजन। चारो वर्ण कर्म विभाग में कार्यरतजन।
जय विश्व राष्ट्र प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम वर्णाश्रम संस्कार ।ॐ।
शिक्षित द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) ! सबसे अधिक पवित्र कौन ? इस पोस्ट को पढ़कर जानें ।
शूद्रन सबसे अधिक पवित्र है।
आचमन के समय ह्रदय तक जल पहुंचने पर अध्यापक विप्रजन ( ब्रह्मण ) शुद्ध होता है, कंठ तक पहुंचने पर सुरक्षक चौकीदार (क्षत्रिय) शुद्ध होता है, मुख में पंहुचने पर वितरक वणिक (वैश्य) शुद्ध होता है और जल छूने मात्र से उत्पादक निर्माता ( शूद्रण) पवित्र होता है। इस पोस्ट में प्रस्तुत श्लोक विधिनियम प्रमाण अनुसार सबसे अधिक शूद्रण पवित्र होता है।
संस्कृत श्लोक विधिनियम-
ह्रद्गागाभि: पूयते विप्र: कण्ठगाभिस्तु भूमिप: । वैश्योऽद्भि: प्राशिताभिस्तु शूद्रण: स्पृष्टाभिरन्तत: ।। वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र।।
तपसे शूद्रम । यजुर्वेद अनुसार।
शूद्रण ही तपस्वी है।
शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगानी आवश्यक है। अंक की मात्रा होने से शूद्रन/शूद्रण/ शूद्रम लिखना बोलना प्रिंट सुधार करना चाहिए।
पांचजन्य चारवर्ण = ( शिक्षण-ब्रह्म वर्ण + सुरक्षण-क्षत्रम वर्ण + उत्पादन-शूद्रम वर्ण + वितरण-वैशम वर्ण ) × जनसेवकवर्ग/ दासजनवर्ग ।
जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।
हे मनुष्यो!
पुरोहित/ विप्रजन/ धर्मगुरु / पन्थगुरु/ गुरूजन/अध्यापक / शिक्षक / चिकित्सक/आचार्य/ कविजन ( ब्रह्मण ) का आचरण व्यवहार कैसा होना चाहिए ? जानें।
विश्व राष्ट्र के प्रथम सतयुग के प्रथम राजर्षि दक्ष प्रजापति महाराज की ऋषि संसद द्वारा निर्मित गुण नियम अनुसार - संस्कार शिक्षक पुरोहित ( ब्रह्मण ) विप्रजन/द्विजोत्तम/अध्यापक/कविजन/गुरूजन/पन्थगुरु को -
1- सत्यवादी आचरण व्यवहार वाला होना चाहिए ,
2- शुद्ध चित आचरण रखने वाला होना चाहिए,
3- सत्यवृतपरायण आचरण वाला होना चाहिए,
4- नित्य सनातन दक्षधर्म में रत होना चाहिए,
5- शान्त चित वाला बने रहने वाला होना चाहिए,
6 - व्यर्थ अनर्गल बातो से रहित होना चाहिए,
7- द्रोहरहित स्वभाव वाला होना चाहिए,
8- चोरकर्म से रहित सही आदत वाला होना चाहिए,
9- प्राणियो के हित में लगे रहने वाला होना चाहिए,
10- अपनी स्त्री भार्या में रत रहने वाला होना चाहिए,
11- सविनय नर्म स्वभाव वाला होना चाहिए,
12- न्याय प्रिय सुरक्षक स्वभाव होना चाहिए,
13- अकर्कश सरल स्वभाव वाला होना चाहिए,
14- माता पिता का आज्ञाकारी होना चाहिए,
15- गुरुओ का सम्मान करने वाला होना चाहिए,
16- वृद्धो पर श्रद्धा रखने वाला होना चाहिए ,
17- श्रद्घालु स्वभाव वाला होना चाहिए,
18- वेदमंत्र दक्षधर्म शास्त्ररज्ञाता होना चाहिए,
19- वैदिक धर्म संस्कार गुण क्रियावान होना चाहिए और
20- भिक्षा दान दक्षिणा वेतन से जीवन यावन करने वाला होना चाहिए।
इन सभी बीस (20) वैदिक सनातन दक्ष धर्म विधि-विधान नियम संस्कार गुणो से युक्त विप्रजन अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक पन्थगुरु अभिनेता (ब्रह्मण)को होना चाहिए। इन्ही गुण स्वभाव वाले शिक्षको को देखकर अन्य द्विजनों ( स्त्री-पुरुषो ) को आचरण व्यवहार निर्माण कर जीना चाहिए।
पौराणिक वैदिक संस्कृत भाषा श्लोक -
ॐ सत्यवाक् शुद्धचेता यः सत्यव्रतपरायणः । नित्यं धर्मरतः शान्तः स भिन्नलापवर्जितः।। अद्रोहोऽस्तेयकर्मा च सर्वप्राणिहिते रतः। स्वस्त्रीरतः सविनया नयचक्षुरकर्कशः ।। पितृमातृवचः कर्ता गुरूवृद्धपराष्टि ( ति) कः । श्रध्दालुर्वेदशास्त्रज्ञः क्रियावान्भैक्ष्य जीवकः ।। ( पौराणिक वैदिक सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार ) ।।
जय विश्व राष्ट्र सनातन प्राजापत्य दक्ष धर्म। जय वर्णाश्रम प्रबन्धन श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।।
विश्वराष्ट्र मित्रो! पौराणिक वैदिक पुरोहित संस्कार शिक्षको लिए बताए गए जैसे गुण नियम की तरह सभी साम्प्रदायिक पन्थी गुरुओ के बने नियम पोस्ट करने चाहिए, ताकि तुलनात्मक रूप से अध्ययन कर सुधार किया जाए ।
साम्प्रदायिक गुरुओ की निजी पन्थी सोच ने पौराणिक वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म संस्कार विधि-विधान नियमों में क्या क्या वेवजह बिगाङ किया है ? सबजन जान सकें और सुधार कर अपने पूर्वज बहुदेव ऋषिओ देवताओ को पहचान सकें ।
विश्व राष्ट्र दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार प्रबन्धन। श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।।
Mata ji kya treta yug me bhi sri Krishna ji ne udhav ko gyan diya tha mai misguide ho raha hun kripya muthe santust karen to achchha hoga.
ज्ञान के बढ़ने और समझ की ताकत ने मनुष्य को आजादी के साथ- साथ बदलाव के महत्व को भी समझाया🙏🦚
Very nice mataji 🙏🙏🌹🌹
धर्म को इंसानने बनाया है ना इंसान कोधर्म ने बनाया है
Jai shree Krishna 👍🙏🙏🙏
अंतर्जातीय विवाह जेनिटिक्स दृष्टिकोण से उचित है. इस दृष्टिकोण से अंतरधार्मिक विवाह भी उचित है. लेकिन अंतरधार्मिक विवाह मे संस्कार, पूजा पद्धति और पारम्परिक मान्यताएं का अंतर परस्परिक सम्बन्ध विच्छेद का कारण बन सकता है. अतः इन कारणों से स्वधर्म मे अंतर्जतीय विवाह करना ही उचित है.
विवाह के लिए वर कन्या का विवाह पूर्व एक दूसरे को अच्छी तरह से समझना लेना ठीक है और इसको प्रोत्साहन देना चाहिए.
Namaste,I want to ask about your example army man marriage army environment but at that time you tell me are they marriage same caste or inter caste
🙏🙏🙏JAY SHREE KRISHNA🙏🙏🙏
🌸Jai Shri Krishna🙏🏼
Mera sujhav hai ki sabhi jati ke logo ko apni hi jati me vivah karna chahiye .other caste me marriage karne se society accept nahi karti
Example shudra ko shudra me Brahman ko Brahman me .
Radley Radley by R C srivastava general caste.
જ્ઞાતિ જાતિના વર્ણનશ્રુસ્ટીવહિત્યારથી માણસો ના વિચારો બદલી ગયા બુધીભ્રસ્ટ થઈ ગઈ
विवाह बंधन में “ जाति- प्रथा “ बंद होना चाहिए
Hare Krishna Mata g... Kaha jata hai ki istri ka koi varan nhi hota.. isme kitni sachai hai .. or jaise hmm baat krte hein varan ki to varan change ho skta hai.e.g. An army personnel can later become a trader, so his Varna changes from kshatriya to vashay.. so when we say inter-varna marriage, do we consider Varna of man at the time of marriage or something else? And if Varna can be changed, so to avoid this inter-varna thing, we can change our occupation right at the time of marriage?
Also, a person from Brahmin family can be in business, so in this case Varna of man's family (Brahmin) will be considered for marriage or Varna of that man (vashay) will be considered for marriage?
माताजी आप वोल रही हैं कि जो व्यक्ति इस पेशे को अपनाएगा वह उसी वर्न का होगा लेकिन कलियुग में मनु संहिता के अनुसार एक शूद्र देश चलाएगा, एक ब्राह्मण शूद्र का काम करेगा तो ऐसे में सही वर्न का निर्धारण कैसे किया जा सकता है ?
जय गजानन जय महाकाल अपने धरम पर हर नर नारीको अपने पालन करना चाहिए किसी के मोह माया मे फसकर धरम न खोया नर से बचे सिवा महापुराण मे पाप पुण्य और नर के संबाद को हर इंसान पत्र गियान प्राप्त करने की किरपा करें सत्य पर जिये और सत्य परेशान हूँ मरे इसी मे फायदा है मनुष्य के लिए जय महाकाल सबको प्रणाम करता हूँ
जयश्रीसीयाराम जय्श्रीकृषण हर हर महादेवाय नमःजय हनुमान श्रीरामचंद्र जय्श्रीकृषण ❤❤❤❤❤
Hare Krishna Mata ji
ऐसे भगवान को मैं नही मानता जो वर्ण व्यवस्था और जाति बनाई है ये भगवान नही हो सकते 😊
प्याज,लहसूनमेकौनगुनहै, मांस इनमेतामशी गूनधर्महै इससेकाम,क्रोध,लोभयेगूनऊत्पन्नहोतेहै जिनोसे अपना जिवन बिघडजाताहै, दुधपहलेसेही सात्विक आहार पवित्र आहार माना गया,जन्मसेही माका दुधपियाजाताहै,माभीएक मनूष्य प्राणि तोहैसमजनेवालेकोकफीहैधन्यवादआपिसोड बहोतग्यानवर्धकलगाधन्यवादजय श्रीकृष्णा, जय श्रीराम, जय श्रीनारायणजयजय
आज कल वर्ण व्यवस्था का पालन बहोत कम हो रहा है l ब्राम्हण, क्षेत्रीय आज job/ business कर रहे हैं l फिर बदले परिपेक्ष मे किस तरह से विवाह मे वर्ण व्यवस्था का पालन करे l
आप बिल्कुल सही कह रहे हैं वर्ण व्यवस्था अब रह नहीं गई इसलिए आज कर्म के अनुसार हम इस वर्ण व्यवस्था को देखते हैं।
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Veri good
4 ward kiska likha huaa hai
ब्रह्मा के पांच मुख का मतलब हैं
एक अध्यापक ब्राह्मण, दूसरा सुरक्षक क्षत्रिय, तीसरा उत्पादक शूद्राण और चौथा वितरक वैश्य। पांचवे मुख का मतलब है दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन चारो वर्ण कर्म विभाग में सहयोग करने वाला।
ब्रह्म = ज्ञान । मुख से ।
ब्रह्म वर्ण = ज्ञान विभाग।
ब्राह्मण = ज्ञानदाता/ अध्यापक/ गुरूजन/ विप्रजन/ पुरोहित/ आचार्य/ अनुदेशक/ चिकित्सक/ संगीतज्ञ।
क्षत्रम = ध्यान न्याय। बांह से ।
क्षत्रम वर्ण = ध्यान न्याय रक्षण विभाग।
क्षत्रिय = सुरक्षक बल चौकीदार न्यायाधीश ।
शूद्रम = तपसे उत्पादन निर्माण = पेटऊर से ।
शूद्रम वर्ण = उत्पादन निर्माण उद्योग विभाग।
शूद्राण = उत्पादक निर्माता उद्योगण तपस्वी
वैशम = वितरन वाणिज्य व्यापार = चरण से ।
वैशम वर्ण = वितरण विभाग।
वैश्य = वितरक वणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर।
चरण पांव चलाकर ही व्यापार ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है ।
दासजन/ जनसेवक = वेतनभोगी /नौकरजन।सेवकजन/भृत्यजन। चारो वर्ण कर्म विभाग में कार्यरतजन।
जय विश्व राष्ट्र प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम वर्णाश्रम संस्कार ।ॐ।
विवाह करना कोई बुराई नहीं है इस्त्री विवाह के लिए बाधक नहीं साधक है क्योंकि देवी देवता भी विवाहित थे
मानव की
जाति एक है मानव
जाति हाथी, गाय, शेर, गधा, तोता, सारस, बंदर, छिपकली आदि की होती है
मानव की सादी मानव से होनी चाहिए।
Right❤❤❤❤❤
Uchh varna or nimn varna ka nirdharan kaise hota hai ......plz bataiye
Very nice mataji
किसी भी प्रानी का जन्म योनी से ही होता है .मुह से नही कंधो से नही पैरो से नही ये सब गलत है.
ब्रह्मा के पांच मुख का मतलब हैं
एक अध्यापक ब्राह्मण, दूसरा सुरक्षक क्षत्रिय, तीसरा उत्पादक शूद्राण और चौथा वितरक वैश्य। पांचवे मुख का मतलब है दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन चारो वर्ण कर्म विभाग में सहयोग करने वाला।
ब्रह्म = ज्ञान । मुख से ।
ब्रह्म वर्ण = ज्ञान विभाग।
ब्राह्मण = ज्ञानदाता/ अध्यापक/ गुरूजन/ विप्रजन/ पुरोहित/ आचार्य/ अनुदेशक/ चिकित्सक/ संगीतज्ञ।
क्षत्रम = ध्यान न्याय। बांह से ।
क्षत्रम वर्ण = ध्यान न्याय रक्षण विभाग।
क्षत्रिय = सुरक्षक बल चौकीदार न्यायाधीश ।
शूद्रम = तपसे उत्पादन निर्माण = पेटऊर से ।
शूद्रम वर्ण = उत्पादन निर्माण उद्योग विभाग।
शूद्राण = उत्पादक निर्माता उद्योगण तपस्वी
वैशम = वितरन वाणिज्य व्यापार = चरण से ।
वैशम वर्ण = वितरण विभाग।
वैश्य = वितरक वणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर।
चरण पांव चलाकर ही व्यापार ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है ।
दासजन/ जनसेवक = वेतनभोगी /नौकरजन।सेवकजन/भृत्यजन। चारो वर्ण कर्म विभाग में कार्यरतजन।
जय विश्व राष्ट्र प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम वर्णाश्रम संस्कार ।ॐ।
शिक्षित द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) ! सबसे अधिक पवित्र कौन ? इस पोस्ट को पढ़कर जानें ।
शूद्रन सबसे अधिक पवित्र है।
आचमन के समय ह्रदय तक जल पहुंचने पर अध्यापक विप्रजन ( ब्रह्मण ) शुद्ध होता है, कंठ तक पहुंचने पर सुरक्षक चौकीदार (क्षत्रिय) शुद्ध होता है, मुख में पंहुचने पर वितरक वणिक (वैश्य) शुद्ध होता है और जल छूने मात्र से उत्पादक निर्माता ( शूद्रण) पवित्र होता है। इस पोस्ट में प्रस्तुत श्लोक विधिनियम प्रमाण अनुसार सबसे अधिक शूद्रण पवित्र होता है।
संस्कृत श्लोक विधिनियम-
ह्रद्गागाभि: पूयते विप्र: कण्ठगाभिस्तु भूमिप: । वैश्योऽद्भि: प्राशिताभिस्तु शूद्रण: स्पृष्टाभिरन्तत: ।। वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र।।
तपसे शूद्रम । यजुर्वेद अनुसार।
शूद्रण ही तपस्वी है।
शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगानी आवश्यक है। अंक की मात्रा होने से शूद्रन/शूद्रण/ शूद्रम लिखना बोलना प्रिंट सुधार करना चाहिए।
पांचजन्य चारवर्ण = ( शिक्षण-ब्रह्म वर्ण + सुरक्षण-क्षत्रम वर्ण + उत्पादन-शूद्रम वर्ण + वितरण-वैशम वर्ण ) × जनसेवकवर्ग/ दासजनवर्ग ।
जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।
हे मनुष्यो !
जन्म से सबजन दस इंद्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और चार वर्ण कर्म विभाग के समान शरीर के चार अंग समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से सबजन बराबर होते हैं।
हरएक मानव जन हरएक समय मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं वे किसी भी वर्ण का कार्य चारो अंग से करते रहते हैं।
इस पोस्ट को पढ़कर समझकर अपना अज्ञान मिटाई करें ओर अपने समाज का ज्ञान वर्धन करवाएं । यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करके कि मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हरएक मानव जन हैं। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वितरण ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म करते हैं। इसलिए चरण समान वैशम वर्ण कर्म है।
चार वर्ण कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। पांचवेजन जनसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन दासजन भी इन्ही चतुरवर्ण कर्म को वेतन पर करते हैं।
यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करवाएं और प्रिंट सुधार करवाएं।
मुख से ब्रह्मण, बांह से क्षत्रिय ,पेटउदर से शूद्रण और चरण से वैश्य हरएक मानव जन हैं और जो मानव जन अध्यापक शिक्षक गुरुजन पुरोहित विप्रजन द्विजोत्तम हैं वे उच्च पद पर होते हैं ।
पाचमुख मतलब है पांचजन = जनसेवक दासजन वेतभोगी × ( अध्यापकजन ब्रह्मवर्णजन + सुरक्षकजन क्षत्रमवर्णजन + उत्पादकजन शूद्रमवर्णजन + वितरकजन वैशमवर्णजन)।
यही चारवर्ण पांचज़न सनातन शाश्वत जीविकोपार्जन प्रबन्धन विषय व्यवस्था है।
शूद्रं शब्द का मतलब तपस्वी है ।
यजुर्वेद मंत्र - तपसे शूद्रं ।
शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगी है। यह लगानी चाहिए। अंक की बिंदी लगने से शूद्रन/ शूद्रण/ शूद्रम भी लिख बोल सकते हैं।
चारवर्ण चारकर्म चारविभाग जीविका विषय अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार ही शूद्रण है।
कर्म चार = = वर्ण चार = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम।
पांचवेजन जनसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन भी इन्ही चतुरवर्ण चतुर कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत हैं। वेदमंत्र दर्शनशास्त्र ज्ञान विज्ञान विधान अनुसार और प्रत्यक्ष कर्म अनुसार प्रमाण हैं।
कुछ किताबो में शूद्रन का मतलब तपस्वी उत्पादक निर्माता उद्योगण ना लिखकर सिर्फ सेवक लिख कर गलती कर रहे हैं । शिक्षित द्विजन ( स्त्री-पुरुष) को सुधार कर बोलना लिखना चाहिए और सुधार कर प्रिंट करना चाहिए। अनुचित लेखन कर्म अनुचित बोलना लिखना वेद विरूद्ध करते रहते हैं आजकल अज्ञजन । लेखक प्रकाशक जन अज्ञानता में सुधार नहीं करते हैं।
द्विज और द्विजोत्तम भी अलग अलग हैं। चारो वर्ण कर्म विभाग वाले सवर्ण और असवर्ण होते हैं।
शूद्रण भी द्विज पवित्र होता और चार वर्ण कर्म विभाग अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार तपस्वी होता है।
अशूद्र अब्राहण अछूत व्यभीचारी जुआरी नपुंसक चाटुकार होता है।
क्षुद्र पाशविक सोच रखकर जीने वाला होता है।
If you are going in selflessness and total devotion means samadhi or state of atamrati then you don't need to marry...it's already towards vanprastha or higher state sanyas.
ईश्वर ने केवल एक जाति बनाई है मनुष्य जाति
Manushya Ishwar Ne Keval do jatiyan Banai hai manushya aur Stri
सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक के चौथे समुल्लास में विवाह का वैदिक तरीका बताया है।उसमें बताया गया है कि जो कन्या माता पिता की चार पीढी की न हो उससे विवाह करना चाहिये। ऐसा करने से जेनेटिकली बिमारियाँ सन्तानों में नहीं आती है। विवाह का उद्देश्य सुसन्तान उत्पन्न करना है। अन्तर्जातीय विवाह करना उचित है।🙏
राधे राधे
यदि सभी भगवान के ही भाग है तो भगवान किसी ऐक भाग के बिना अधुरे रह जाएँगे अस्तु ये सभी वन्दनीय है
Koi vibhajan hona hi nahi chahiye.Durrbhawana se banayi gai parampara ne hi Hinduo ko gulami di hai.
@@surendrasinghkush2953🎉🎉🎉🎉🎉🎉
जितने भी धर्म शास्त्र हैं, यदि भगवान है तो उन्होंने नहीं बनाया है, शास्त्र को मनुष्य ने अपने स्वार्थ लिए बनाए हैं ,ताकि किसी उच्च किसी को निम्न बना दिया मनुष्य को मनुष्य नहीं समझा इसी कारण भारत में उच्च नीच छुआछूत पनपा
Hare Krishna ❤❤
Very very thanks to you for this your opinions