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उच्च और निम्न कुल में शादी होने पर सबसे बड़ी दिक़्क़त विचारों, तौर तरीक़ों और संस्कारों की आती है, जिन तौर तरीक़ों को उच्च कुल में ग़लत माना जाता है उनको निम्न कुल में सामान्य माना जाता है, इससे मतभेद उभरते हैं और शादी जल्द ही समाप्त हो जाती है। जब दो लोगों के संस्कार और विचार मिलेंगे तभी जीवन आगे बढ़ पायेगा!!
100% सही है....निम्न कुल में शराब, मांसाहार बिलकुल आम बात है जबकि उच्च कुल जैसे ब्राह्मण पंडित इनमे ये कर्म पाप है यही वजह की निम्न और उच्च कुल में रिश्ता नही हो पाता....लेकिन आज कलयुग चल रहा है उच्च कुल के लोग अब निम्न कुल के लोगो की ओर बढ़ रहे है उनको भी मांस मंदिरा का सेवन करते है देखा है....... संभल जाओ....
विवाह संस्कार में विचारों को समान होना आवश्यक है । लड़का मांसाहारी हो लड़की शाकाहारी हो मेरे समझ से जीवन यापन में तकलीफ उठानी पड़ेगी और भी तमाम विसंगतियां आएगी ।
पूरे विश्व के मानव मानव भाई भाई हैं मानव से मानव पैदा होता है जानवर से जानवर आपस में खूब शादियां करो पूरा भारत पूरा विश्व एक परिवार है जातियां समाप्त करो मानव मानव एक समान है
@@ravichandra3893 tu bhi to h , reservation lekar betha h , cast certificate bnwakr , apne ko victim bta rha h , or hum hai bhi to tujhe kya dikkat h , tumhari aurte k peeche to nahi pde hum
मै आदिवासी हूँ। मै जानना चाहता हूँ ,कि प्याज लहसून मिट्टी से उगाया जाता है,और दुध और मांस खून से पैदा होता है तो प्याज लहसून को नहीं खाया जाता है और दुध को खाया जाता है।(अभिनाथ किस्कू)
Iska reason ye hai ki.. Pyaj or lehsun smell chhod deta hai khane ke bad. Or insaan ka man agar sachai ho.. Karm acha ho.. To uske sarir.. Uske juban pe devta vas krne lagte hai. Or kyuki pyaj lehsun se smell ati hai.. Devta pass nhi ate ise khane se. Isliye pyaj lehsun ko varjit kia gya tha purane samay me.
प्याज लहसुन आध्यात्मिक साधना के सम्बन्ध में नेष्ट सिर्फ इसलिये है कि ये वस्तुएं तमोगुणी है और साधक तमोगुण और रजोगुण को संतुलित रखने के सतोगुणी अवस्था चाहता हैं।लेकिन जो व्यक्ति ऐसी किसी अवस्था के लिये संकल्पित ही नहीं है तो उसके लिए ये जरूरत है क्योंकि ये आयुर्वेदिक औषध है।
@@girlofmahadevkya brahaman me saadi krne se jo bachhe honge unko sc ,st ka reservation milega ????, Saadi isi base pr krungi , bachho ko reservation milega , or agra ya kisi bhi general cast k insaan se saadi krne pr ??
अंतरजातीय विवाह करने में कोई दिक्कत नहीं है परन्तु किसी के झांसे में आकर गलत फसने से पहले उसके परिवार की जानकारी लेना बहुत ज्यादा जरूरी है आज कल प्रेम कम धोखा ज्यादा मिलता है लव जिहाद जैसी घटनाएं बहुत हो रही है नाम बदल कर प्रेम जाल में फसा लेते है बाद में धर्म परिवर्तन करवाते हैं नही करने से सूट केस में बंद कर ठिकाने लगा देते हैं सावधानी रखना जरूरी है
@@shrigupt2211 जो कर रही है उनको इनकी असलियत का पता नहीं चल पाता है जिसके कई कारण हैं 1. वूलीवुड सीरियल में हिंदू लड़की को तकलीफ में फसा दिखाया जाता है और बचाने वाला मुस्लिम को दिखाया जाता है 2. ऐसे सीरियल टीवी चैनल यू ट्यूब चैनल पर दिखाए जाते है जिसको देख कर सोचती है में इसके साथ सुरक्षित रह सकती हूं वो भ्रमित हो जाती है चक्रव्यू में फसने के बाद निकल ने की बजाय मौत को ही गले लगाना पड़ता है 3. टीवी सीरियल के साथ साथ न्यूज देखना चाहिए ताकि देश दुनियां में क्या हो रहा है जानकारी प्राप्त होती रहेगी 4. लड़का देखने में कितना ही अच्छा क्यों न हो बिना अपने बड़ों के द्वारा जानकारी प्राप्त किए शादी विवाह नही करनी चाहिए तो ही जिन्दगी को सुरक्षित रखा जा सकता है 5. लड़की को पहले अपने परिजनों से सम्बंध इतने खराब करवा दिए जाते है ताकि वो अपने परिजनों के पास वापस नहीं जा सकती
हिंदुस्तान में अलग अलग संस्कृति अलग अलग मान्यताओं वाले अलग अलग पहचान वाले लोग है... जिसे अपना एक संस्कृति है.. .. परंपरा है संस्कृति है जिसका परंपरा में अपनी जाति में शादी करना है... तो करना ही चाहिए उनका वह अधिकार है ....संवैधानिक अधिकार संविधान ने दिया हिंदुस्तान में अलग अलग संस्कृति अलग अलग मान्यताओं वाले अलग अलग पहचान वाले लोग है... जिसे अपना एक संस्कृति है.. .. परंपरा है संस्कृति है जिसका परंपरा में अपनी जाति में शादी करना है... तो करना ही चाहिए
हिंदू एक ज्योग्राफी में रहने वाले लोगों के लिए कहा गया है हिंदू कोई धर्म नहीं है... भारत में रहने वाले विभिन्न समुदाय में शादी एक धार्मिक अनुष्ठान है ...एक संस्कार है.. संविधान एक सेकुलर है ...सरकार सेकुलर है हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट सेकुलर है ..किसी को भी धार्मिक अनुष्ठान में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है.. कुछ लोग संविधान का आंख पर पर्दा लगाकर.... सॉफ्ट कन्वेंशन करना चाहता है
Ek dam sahi baat...In jaiso k bajay Acharya Prashant g ko sunna chahiye..Hindu Dharm me hajaro Achi bat bhale ho par dher sare kuritiyan aur kupratha h jisme se ye v hai 1...In logo ko lgta h is tarah ka dogalapan, bhed bhav v krenge aur Dharm v bacha rhega... 🤐
Uska har baat hindusim ko nicha dikhana hain .. wo ak propoganist hain isiliye usse har anti indian & anti hindu forces support karte hain@@nil.nilesh56
Reason ye tumhara srasar galt h ...keval brahaman jatti iski jimmedar h jisne apne dimaag ka jyada istemal karke varan vyavshtha shuru kiya@@RakeshSingh-b8c
जाति व्यवस्था एक भ्रम है इसे बनाना और इसे समाप्त करना इंसान के हाथ में है ऊंच नीच बनाकर इज्जत और बे इज्जती महसूस किया जाता है अगर जाति व्यवस्था न हो तो सभी समान है फिर इज्जत घटने बढ़ने का सवाल खत्म हो जाता है
ओम श्री सतगुरु देवाय नमः ओम श्री गणेशाय नमः ओम श्री गणेश शिव शक्ति सूर्य विष्णु दरबार आए नमः ओम नमः शिवाय ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः ओम श्री राधे रुक्मणी कृष्ण भगवान दरबार आए नमः ओम श्री तुलसी शालिग्राम दरबार आए नमः ओम श्री हनुमते नमः ओम श्री पित्रेश्वर देवेश्वर दरबार आए नमः ओम श्री समस्त वर्णाश्रम धूणीमाता भेख भगवान दरबार आए नमः ओम श्री समस्त धाम दरबार आए नमः ओम श्री हरि हराय नमः ओम श्री हर हर महादेव ओम शांति ओम सीताराम सीताराम सीताराम कहिए जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए ओम श्री राधेश्याम राधेश्याम राधेश्याम कहिए जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए
बहुत कुछ सीखने को मिला है।नई बात का ज्ञान हुआ। संसकार सम्मत जो वार्ता की गई है। इसे छोटे छोटे भागों में वांट कर सीरियल टाईप प्रयोग में लाया जाए तो समाज ज़्यादा से ज़्यादा जुड़ेगा और बहुत कुछ सीखेगा। आप बक्ताओं को सादर ससम्मान शुभकामनाएं। धन्यवाद
सम + बन्ध _ सम्बन्ध जहां समानता होगी वहीं बंधन होगा उचित सम्बन्ध कहलाएगा। किस चीज की समानता ? शारीरिक उम्र, योग्यता में समानता। मानसिक योग्यता, आचार , विचार , व्योवहार, रुचि, सोच , शिक्षा के स्तर, believe के स्तर , खान पान के रुचि में समानता , रहन सहन के स्तर में समानता, एक दुसरे के समझ का सम्मान, एक दूसरे के अधिकार एवं कर्तव्य के प्रति सम्मान।
हिंदू एक ज्योग्राफी में रहने वाले लोगों के लिए कहा गया है हिंदू कोई धर्म नहीं है... भारत में रहने वाले विभिन्न समुदाय में शादी एक धार्मिक अनुष्ठान है ...एक संस्कार है.. संविधान एक सेकुलर है ...सरकार सेकुलर है हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट सेकुलर है ..किसी को भी धार्मिक अनुष्ठान में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है.. कुछ लोग संविधान का आंख पर पर्दा लगाकर.... सॉफ्ट कन्वेंशन करना चाहता है
अगर तुम अंतर्जातीय विवाह को ग़लत करार दे रही हो तो।अब मैं तथाकथित ब्राह्मण धर्म के मनुस्मृति ब्यास स्मृति में यह कहना जायज मानता हूं कि औरत नीच होती है, कुल्टा और पथभ्रष्टक होती है। लेकिन मैं सबसे पहले भारतीय हूं और देश से बढ़कर मेरी नज़र में ना धर्म है, ना जाति है ना ही कोई अपना पराया
शूद्रं शब्द का मतलब तपस्वी है । यजुर्वेद मंत्र - तपसे शूद्रं । शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगी है। यह बिंदी अवश्य लगानी चाहिए। अंक की बिंदी लगने से शूद्रन/ शूद्रण/ शूद्रम भी लिख बोल सकते हैं। चारवर्ण चारकर्म चारविभाग जीविका विषय अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार ही शूद्रण है। कर्म चार = = वर्ण चार = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। पांचवेजन जनसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन भी इन्ही चतुरवर्ण चतुर कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत हैं। वेदमंत्र दर्शनशास्त्र ज्ञान विज्ञान विधान अनुसार और प्रत्यक्ष कर्म अनुसार प्रमाण हैं। कुछ किताबो में शूद्रन का मतलब तपस्वी उत्पादक निर्माता उद्योगण ना लिखकर सिर्फ सेवक लिख कर गलती कर रहे हैं । शिक्षित द्विजन ( स्त्री-पुरुष) को सुधार कर बोलना लिखना चाहिए और सुधार कर प्रिंट करना चाहिए। अनुचित लेखन कर्म अनुचित बोलना लिखना वेद विरूद्ध करते रहते हैं आजकल अज्ञजन । लेखक प्रकाशक जन अज्ञानता में सुधार नहीं करते हैं। द्विज और द्विजोत्तम भी अलग अलग हैं। चारो वर्ण कर्म विभाग वाले सवर्ण और असवर्ण होते हैं। शूद्रण भी द्विज और पवित्र होता और चार वर्ण कर्म विभाग अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार तपस्वी होता है। जो द्विज तपश्रम उद्योग उत्पादन निर्माण कार्य करते हैं वे शूद्रण हो जाते हैं। अशूद्र अब्राहण अछूत व्यभीचारी जुआरी नपुंसक चाटुकार होता है। क्षुद्र पाशविक सोच रखकर जीने वाला होता है। इस पोस्ट को कापी कर अन्य सबजन को लेखक प्रकाशक को भेजकर कर प्रिंट सुधार करवाएं।
दुसरी जाती के लोगो के साथ एक दुसरे साथ शादी करांना पाप है तो क्या हत्यार अलग अलग या छोटे बडे होते है क्या? अरे जरा सब्र करो इन्सान तो इन्सान ही हॊता है, जनावर नहीं हॊता |
हिंदू एक ज्योग्राफी में रहने वाले लोगों के लिए कहा गया है हिंदू कोई धर्म नहीं है... भारत में रहने वाले विभिन्न समुदाय में शादी एक धार्मिक अनुष्ठान है ...एक संस्कार है.. संविधान एक सेकुलर है ...सरकार सेकुलर है हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट सेकुलर है ..किसी को भी धार्मिक अनुष्ठान में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है.. कुछ लोग संविधान का आंख पर पर्दा लगाकर.... सॉफ्ट कन्वेंशन करना चाहता है
पौराणिक वैदिक सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन धर्म संस्कार। विषय: विवाह सम्बंध प्राणिग्रहण संस्कार में वर्ण/जाति बाधा नहीं है। विवाह प्राणिग्रहण संस्कार के लिए जो जन माता पिता के सपिण्ड सात पीढ़ी के नहीं हों और माता पिता के गोत्र के नही हो, ऐसे स्त्री पुरूष दोजन (द्विजन) की अग्नी फेरे विवाह कर्म के बाद पत्नी से श्रेष्ठ संतान होती है l संस्कृत संस्कार श्लोक नियम- ॐ असपिण्डा च या मातुरसगोत्रा च या पितुः l सा प्रशस्ता द्विजातीनां दारकर्माणि मैथुने l l जय विश्व राष्ट्र प्रजापत्य दक्ष सनातन धर्म l जय अखण्ड भारत l जय वसुद्धैव कुटुम्बकम् l 🕉 l
आज दुनिया कहाँ से कहाँ पहुँच गाई है और ये अभी सबको जातियों में बांट रहे हैं ,जब बच्चा पैदा होता है तो क्या उसके माथे पर सटैमप गली होती है कि यह किस जाति का है या किस धर्म का हैं
Sanatan main mata pita kai javik ansh kae gaun jaroor aate hain,ghodi ghode sae prignent hogi tau uske vachcha nasly ghoda hi hoga ,yadi ghadhe sae crosbeed. hoga tau uh khachchar hi paida hoga jo ,uski nasly alag hi hogi, uska D N A hi alag hoga ,filmi duniya nae cross beeding ko antar cast love marrage ko badhava Diya hai ,jiska result talak, pariwar anusar nahi hoga ,gharalu hinsa ka samajik bhayanak rog felraha hai, HONORABLE AMITABH Bachchan ka pariwar tabah ho Gaya hai, es pariwarik tootan sae vachchan Kitana dukhi hoga uhi jante hain ,samajik maryada ka palan hona ,bhavi vansh ko aage badhane ko bahut jaroori hai , Jay Sanatan dharm Jay Bhartiya culture , filmi duniya nae samaj ko barbad kar diya ,sensar bord v sarkar ko espar canuni sinkanja kasna chahiyae nahi tau samaj ko varwad hone sae koe nahi rok sakta , jayhind JaySanatan dharm, S p singh
One of best Talk-Show I came across in my life. My age is running 69 years. Though I am from Jain Family but follower of LORD KRISHNA . Your Talk-Show is a guide line for all aspirants for marriage wanted to become best couple. My heartiest Thanks to you MAATAJI and GRATITUDE.
Brahmano me maja lutane aor dhan kamane ke liye pakhand bhara garantho ki rachana ki samaj par enka adhikar ho ye manmani kare shudaro se sabhi prakar ke shishan kare garbhkal se mrityu tak pakhand sanskaro ke dawara
Aisa kuch ni h the beautiful tree by dharampal jo ki british archives se li gyi h usme likha h ki gurukul mein 60% padhne waale shudra h. Pustak angrezi bhasha mein h. Free h pdf uski prishth sankhya 29 aur 35 padhe @@arvindkumar-zh1zs
बच्चों को विवाह के निर्माण के लिए माँ, बाप के अनुभवों और आशीर्वाद की बहुत अधिक आवश्यकता होती है साथ ही अच्छे भविष्य के लिए भी निर्णय लिया जाता है🙏 विवाह समान वैचारिक, आर्थिक, सामाजिक स्थिति के लोगों के बीच ही होने में सुखद भविष्य का निर्माण होता है नहीं तो कुछ समय बाद वह गले की फास बन जाती है🙏
जो जात पात को देख कर शादी करते है सब से बड़े जातिवादी वही होते है। मानव का कर्म और प्रेम उच्च होता है। कृष्ण ने भी यही बोला है। जो प्रेम को जाति से टोलते है वो मानवता के नाम पे कलंक है।
आज कल का प्रेम विवाह सब नष्ट कर रहा है लोग बोलते हैं कोई जाति नहीं मानी जाती हेयर सर्विस में जाति प्रमाण पत्र क्यों मांगा जाता है बच्चों सुनो और समझो जाति होती है जो ब्राह्मण नॉनवेज खाते हैं वे ब्राह्मण के नाम पर कलंक है कलंक जय श्री राम हमारे वेद में सब बताइए 🙏🙏
Geeta me to ye bhi kaha gya hai ki jivo ko nhi khana chahiye fir bhi aaj ke sabhi bramhan log bhi kha rahe hai to aap log bataiye ki ab kisko uchh kul ka insan bola jayega
Mere Nazar mein Bhagwan Ram aur Bhagwan Krishna dono saman hain. Hum sab bas issi baaton mein ulajhte rahein yahi bhavishya hai humara Aaj se 400 saal baad bhi yahi sawal pucha jaayega isliye bas issi mein lage rahiye is se upar matt uthiyega ok. Kyunki aaplogon ki nazar mein bas yahi sab maulik prashn hain. Continue your hardwork on this. Good luck to you all. Krishna aap logon aise hi mahayvpurn prashno ke uttar ke liye aur sadbuddhi pradan karein. Lage rahiye bhide rahiye. Bharat ki unnati nhi avnati ka ek aur adhyay aaplogon ke hi kar kamlon se likha jaata rahe. Iske liye bahut shubhkamnaye.
बात तो सही है, किन्तु यह बात ऋषियों, मुनियों ने कही है, इसलिए क्योंकि लहसुन और प्याज उत्तेजना उत्पन्न करने वाले पदार्थ हैं, जो तपस्वियों के लिए त्याज्य बताया गया है।
राधे राधे मेरे हिसाब से कृष्ण का जन्म तो द्वापुर में ही हुआ है नकि त्रेता युग में और आप त्रेता में बता रही हैं शायद ग़लत बतारही है , पुनः अबलोकन करैं। भगवत गीता के 18 बे अध्याय में 41 बा श्लोक का अवलोकन करें उसमें वर्ण व्यवस्था को श्री कृष्ण जी ने बताया है। क्या वह गलत है ।ॽ ।
हरे कृष्णा माता जी ! आज आधुनिकता की दौर मे लोग पश्चमी सभ्यता का अनुसरण करके गौरवंवित् होते है ! लेकिन इनका अंत बहुत बुरा होता है ! ऐसे लोगो को आप आगे भी मार्गदर्शन करते रहें 🙏🙏🙏🙏
प्राचीन काल में राजा लोग परस्पर युद्ध किया करते थे जो राजा हार जाता था वह अपनी लड़की की शादी उस राज्य से कर देता था उस समय जाति प्रजाति नहीं देखा जाता था। इसलिए शादी दूसरे जाति में किया जा सकता है।।
PRACHIN KAAL MAI 99% KSHATRIYA RAJA HOTAI TAB MUGHAL CHRISTIAN NAHI HOTAI THAI ANPADD GANWAR I% KSHATRIYA + BRAHMAN YA VAISYA KA HOTA THA SHUDRA GIRL USE N THROW HOTI THI
Kis khet ki mooli ho bhai? Bichar sanskar se ata hai, jati se nehi! Itna jahaliyat kaha se paida hota hai? Apne desh ki sanskar ko jano , pahchano, Dil se samajhne ki koshish karo! Borbole so called pandits aur murkh gharwalo ke chakkar me parhne se Aisa hi haal hota hai!!Janu latkane koi Brahman nehi bon jata!!
समस्त मानव एक ही व्यवस्थारुप ऊपर से आया है रंग श्वेत ,श्याम,काला,गोरा हो सकता है रुप सुंदर या कम सुंदर हो सकता है लेकिन हाथ पैरों की समानता एक जैसी होती है विचारों भाव में सरल या तीखा स्वभाव हो सकते हैं,परन्तु कुत्ता,बिल्ली,चूहा,शेर,गाय,आदि अलग अलग रुप शरीर होनें से उन्हें अलग अलग जाति वाला कहना उचित है, ऐसे ही उड़ने वाले भिन्न भिन्न शरीर के पक्षी भी विभिन्न जाति सूचक कहे जा सकते है, वैसे कार्य के नाम को जाति कह दिया गया है जैसे लोहे के कार्य करने वाला लौहार,हलुआ बनाकर बेचने वाला हलवाई कहलाता है क्योकि हलुआ को बराबर कड़छी से बार बार चलानें के बाद ही स्वादिष्ट हलुआ बनता है बनाने वाला हलवाई नाम हुआ जबकि हलवाई जाति अभी तक सुननें में नहीं आयी,जबकि कपड़ा सिलने वाले को दर्जी जाति सुना गया है,ऐसी बहुत किवदंतियां है जो जाति कहलायीं जानें लगी ,
सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक के चौथे समुल्लास में विवाह का वैदिक तरीका बताया है।उसमें बताया गया है कि जो कन्या माता पिता की चार पीढी की न हो उससे विवाह करना चाहिये। ऐसा करने से जेनेटिकली बिमारियाँ सन्तानों में नहीं आती है। विवाह का उद्देश्य सुसन्तान उत्पन्न करना है। अन्तर्जातीय विवाह करना उचित है।🙏
माता जी, नमस्कार, आप श्री मद भगवत गीता के अनुसार व्याख्या दे रही हैं जो उत्तम है। आपके शब्दों के अनुरूप भारत में जो लोग आज अविवाहित हैं वे सभी ब्रह्मचारी नहीं हैं, उल्टा बड़ी संख्या में लिव इन में रह रहे हैं। दूसरा आपके अनुसार J & K में ज्यादा लोग विवाह करना नही चाहते क्योंकि वे परिवार बढ़ाने के पक्षधर नहीं हैं। मेरे विचार में इस का कारण राजनैतिक ज्यादा है क्यों कि वहां के प्रशासन ने व्यवसायों व नौकरियों को पनपने नहीं दिया और आमजन को गरीबी में जीने के लिए मजबूर किया गया।
लोग अपनी जाति में भी ईमानदारी से विवाह जैसे पवित्र बंधन को निभा लेंगे तो भी अच्छा है लड़कियां विवाह के उपरांत मायके में बैठ जाती है और कुछ लोग धन के लालची होते हैं वे लड़कियों को रखना नहीं चाहते हैं मन मिलने पर एवम एक दूसरे को जानने के बाद अंतर्जातीय विवाह अपने हिंदू समाज में किया जा सकता है लेकिन दुख की बात यह ही की उच्च वर्ग की लड़कियां गैर हिन्दू से विवाह करती है जिसमे शाम नही आती है
हिंदू एक ज्योग्राफी में रहने वाले लोगों के लिए कहा गया है हिंदू कोई धर्म नहीं है... भारत में रहने वाले विभिन्न समुदाय में शादी एक धार्मिक अनुष्ठान है ...एक संस्कार है.. संविधान एक सेकुलर है ...सरकार सेकुलर है हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट सेकुलर है ..किसी को भी धार्मिक अनुष्ठान में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है.. कुछ लोग संविधान का आंख पर पर्दा लगाकर.... सॉफ्ट कन्वेंशन करना चाहता है
मनुष्य जिंदा रहता है।तब इंसान कहलाता है।जब इंसान का मृत्यु होता है तो भगवान होता है।जिसका मृत्यु हो जाता है वह किसी को कोई भलाई नहीं कर सकता। जैसे गुड चीनी जपने से मुंह मीठा नहीं होता है वैसे भगवान भगवान जपने से भगवान नहीं मिल सकता है।
हिंदू एक ज्योग्राफी में रहने वाले लोगों के लिए कहा गया है हिंदू कोई धर्म नहीं है... भारत में रहने वाले विभिन्न समुदाय में शादी एक धार्मिक अनुष्ठान है ...एक संस्कार है.. संविधान एक सेकुलर है ...सरकार सेकुलर है हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट सेकुलर है ..किसी को भी धार्मिक अनुष्ठान में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है.. कुछ लोग संविधान का आंख पर पर्दा लगाकर.... सॉफ्ट कन्वेंशन करना चाहता है
Amazing session!!! Thank you so much it helped me alot, i had so many questions , finally got the answers....hare Krishna Mata ji' s i have huge respect for u... dandvat pranam 🙌🙌🙌
ये भिडियो देख कर ऐस यहेसास होता हे ब्रामन, क्षेत्री, बैंस और सुद्रको जनम दिने वाले भगवानने पक्षपाती प्रयोजन के लिय यिस तरह से जनम दिया हे, नहि तो सास्त्रोमे मनो कल्पित मित्था लेखा गया है
Mataji Jo apne bataya ki karm se varn bante hae ye perfect laga Magar agar karm se bhraman ho par janam se shudra parivar se ho to use bhraman se karna chaheye ya shudra parvir se
विवाह और निभा ऊपर वाले की मर्जी से होता है। संतान पर असर पर बात करते हैं तो संकल वर्ण संतान, अनुलोम संतान, प्रतिलोम संतान पर बात करो कि इन संतान उत्पत्ति के विचार से ही अंतर्जातीय विवाह और विधर्मियों में विवाह से प्रभावित होकर कैसी संतान पैदा होती है उनका मानसिक रूप विकास कैसा रहेगा और समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा
( निति) जाति दो मानी गई है,एक मनुष्य दूसरा पशु,जाती जीवन भर एक रहती है,बदलती नही ,और समान प्रसव ही होता है,वर्ण पेशा जाती नही, गधा, घोड़ा भिन्न जाति के कारण, खच्चर की जाती नही चलती?
मुख से ब्राह्मण की उत्पत्ति क्षत्रिय की उत्पत्ति बाहों से वैश्य की उत्पत्ति जांघों से शूद्र की उत्पत्ति पैरों से पहले से ही होती आई है तो वर्तमान समय में मनुष्य की उत्पत्ति क्यों नहीं होती, जवाब दें, यदि नहीं तो गलत उच्चारण करना अवैधानिक है। मानव जाति को गुमराह क्यों कर रहे हो।
Kisi ki utpatti kahi se nahi hui hai.Sab maata ke pet se paida huye hai Apna dosh chhipane ke liye khoob slok banaye gaye.wahi yah desh bhugat raha hai
रावण की मृत्यु होने बाद विभीषण ने अपनी भाभी के साथ विवाह क्या था बाली के मृत्यु होने के बाद सुग्रीव ने भी अपनी भाभी के साथ विवाह किया था क्या शास्त्र के विरोध किया था कि सही क्या था
Hare krishna mataji me 100% sahmat hu apka jis kul me janm huya apko ussi kul me shadi karni chahiye aur agar aap ko inter caste marriage karni bhi hai toh apko vaishnav hona padega kyoki vaishnav varna aur ashram vyastha se upper hota hai ....
माताजी आप वोल रही हैं कि जो व्यक्ति इस पेशे को अपनाएगा वह उसी वर्न का होगा लेकिन कलियुग में मनु संहिता के अनुसार एक शूद्र देश चलाएगा, एक ब्राह्मण शूद्र का काम करेगा तो ऐसे में सही वर्न का निर्धारण कैसे किया जा सकता है ?
ये माता जी खुद बैष्णव होंगी इसलिए इन्होंने चार बर्णो के अलावा एक बर्ण और वनाकर पांचवें बर्ण का निर्माण कर के उसे ब्राह्मण से भी ऊपर का बर्ण वना डाला ।।
ब्रह्मा के पांच मुख का मतलब हैं एक अध्यापक ब्राह्मण, दूसरा सुरक्षक क्षत्रिय, तीसरा उत्पादक शूद्राण और चौथा वितरक वैश्य। पांचवे मुख का मतलब है दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन चारो वर्ण कर्म विभाग में सहयोग करने वाला। ब्रह्म = ज्ञान । मुख से । ब्रह्म वर्ण = ज्ञान विभाग। ब्राह्मण = ज्ञानदाता/ अध्यापक/ गुरूजन/ विप्रजन/ पुरोहित/ आचार्य/ अनुदेशक/ चिकित्सक/ संगीतज्ञ। क्षत्रम = ध्यान न्याय। बांह से । क्षत्रम वर्ण = ध्यान न्याय रक्षण विभाग। क्षत्रिय = सुरक्षक बल चौकीदार न्यायाधीश । शूद्रम = तपसे उत्पादन निर्माण = पेटऊर से । शूद्रम वर्ण = उत्पादन निर्माण उद्योग विभाग। शूद्राण = उत्पादक निर्माता उद्योगण तपस्वी वैशम = वितरन वाणिज्य व्यापार = चरण से । वैशम वर्ण = वितरण विभाग। वैश्य = वितरक वणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर। चरण पांव चलाकर ही व्यापार ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है । दासजन/ जनसेवक = वेतनभोगी /नौकरजन।सेवकजन/भृत्यजन। चारो वर्ण कर्म विभाग में कार्यरतजन। जय विश्व राष्ट्र प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम वर्णाश्रम संस्कार ।ॐ।
शिक्षित द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) ! सबसे अधिक पवित्र कौन ? इस पोस्ट को पढ़कर जानें । शूद्रन सबसे अधिक पवित्र है। आचमन के समय ह्रदय तक जल पहुंचने पर अध्यापक विप्रजन ( ब्रह्मण ) शुद्ध होता है, कंठ तक पहुंचने पर सुरक्षक चौकीदार (क्षत्रिय) शुद्ध होता है, मुख में पंहुचने पर वितरक वणिक (वैश्य) शुद्ध होता है और जल छूने मात्र से उत्पादक निर्माता ( शूद्रण) पवित्र होता है। इस पोस्ट में प्रस्तुत श्लोक विधिनियम प्रमाण अनुसार सबसे अधिक शूद्रण पवित्र होता है। संस्कृत श्लोक विधिनियम- ह्रद्गागाभि: पूयते विप्र: कण्ठगाभिस्तु भूमिप: । वैश्योऽद्भि: प्राशिताभिस्तु शूद्रण: स्पृष्टाभिरन्तत: ।। वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र।। तपसे शूद्रम । यजुर्वेद अनुसार। शूद्रण ही तपस्वी है। शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगानी आवश्यक है। अंक की मात्रा होने से शूद्रन/शूद्रण/ शूद्रम लिखना बोलना प्रिंट सुधार करना चाहिए। पांचजन्य चारवर्ण = ( शिक्षण-ब्रह्म वर्ण + सुरक्षण-क्षत्रम वर्ण + उत्पादन-शूद्रम वर्ण + वितरण-वैशम वर्ण ) × जनसेवकवर्ग/ दासजनवर्ग । जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।
हे मनुष्यो! पुरोहित/ विप्रजन/ धर्मगुरु / पन्थगुरु/ गुरूजन/अध्यापक / शिक्षक / चिकित्सक/आचार्य/ कविजन ( ब्रह्मण ) का आचरण व्यवहार कैसा होना चाहिए ? जानें। विश्व राष्ट्र के प्रथम सतयुग के प्रथम राजर्षि दक्ष प्रजापति महाराज की ऋषि संसद द्वारा निर्मित गुण नियम अनुसार - संस्कार शिक्षक पुरोहित ( ब्रह्मण ) विप्रजन/द्विजोत्तम/अध्यापक/कविजन/गुरूजन/पन्थगुरु को - 1- सत्यवादी आचरण व्यवहार वाला होना चाहिए , 2- शुद्ध चित आचरण रखने वाला होना चाहिए, 3- सत्यवृतपरायण आचरण वाला होना चाहिए, 4- नित्य सनातन दक्षधर्म में रत होना चाहिए, 5- शान्त चित वाला बने रहने वाला होना चाहिए, 6 - व्यर्थ अनर्गल बातो से रहित होना चाहिए, 7- द्रोहरहित स्वभाव वाला होना चाहिए, 8- चोरकर्म से रहित सही आदत वाला होना चाहिए, 9- प्राणियो के हित में लगे रहने वाला होना चाहिए, 10- अपनी स्त्री भार्या में रत रहने वाला होना चाहिए, 11- सविनय नर्म स्वभाव वाला होना चाहिए, 12- न्याय प्रिय सुरक्षक स्वभाव होना चाहिए, 13- अकर्कश सरल स्वभाव वाला होना चाहिए, 14- माता पिता का आज्ञाकारी होना चाहिए, 15- गुरुओ का सम्मान करने वाला होना चाहिए, 16- वृद्धो पर श्रद्धा रखने वाला होना चाहिए , 17- श्रद्घालु स्वभाव वाला होना चाहिए, 18- वेदमंत्र दक्षधर्म शास्त्ररज्ञाता होना चाहिए, 19- वैदिक धर्म संस्कार गुण क्रियावान होना चाहिए और 20- भिक्षा दान दक्षिणा वेतन से जीवन यावन करने वाला होना चाहिए। इन सभी बीस (20) वैदिक सनातन दक्ष धर्म विधि-विधान नियम संस्कार गुणो से युक्त विप्रजन अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक पन्थगुरु अभिनेता (ब्रह्मण)को होना चाहिए। इन्ही गुण स्वभाव वाले शिक्षको को देखकर अन्य द्विजनों ( स्त्री-पुरुषो ) को आचरण व्यवहार निर्माण कर जीना चाहिए। पौराणिक वैदिक संस्कृत भाषा श्लोक - ॐ सत्यवाक् शुद्धचेता यः सत्यव्रतपरायणः । नित्यं धर्मरतः शान्तः स भिन्नलापवर्जितः।। अद्रोहोऽस्तेयकर्मा च सर्वप्राणिहिते रतः। स्वस्त्रीरतः सविनया नयचक्षुरकर्कशः ।। पितृमातृवचः कर्ता गुरूवृद्धपराष्टि ( ति) कः । श्रध्दालुर्वेदशास्त्रज्ञः क्रियावान्भैक्ष्य जीवकः ।। ( पौराणिक वैदिक सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार ) ।। जय विश्व राष्ट्र सनातन प्राजापत्य दक्ष धर्म। जय वर्णाश्रम प्रबन्धन श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।। विश्वराष्ट्र मित्रो! पौराणिक वैदिक पुरोहित संस्कार शिक्षको लिए बताए गए जैसे गुण नियम की तरह सभी साम्प्रदायिक पन्थी गुरुओ के बने नियम पोस्ट करने चाहिए, ताकि तुलनात्मक रूप से अध्ययन कर सुधार किया जाए । साम्प्रदायिक गुरुओ की निजी पन्थी सोच ने पौराणिक वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म संस्कार विधि-विधान नियमों में क्या क्या वेवजह बिगाङ किया है ? सबजन जान सकें और सुधार कर अपने पूर्वज बहुदेव ऋषिओ देवताओ को पहचान सकें । विश्व राष्ट्र दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार प्रबन्धन। श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।।
आजकल गीता का सिर्फ शाब्दिक अर्थ ही बताया जा रहा है और लोगों को वास्तविक सत्य से दूर रखा गया है। कृष्ण क्या कह के गए और हम इंसानों ने उसका अपने स्वार्थ के अनुसार अनुवाद कर लिया। सनातन धर्म में श्रीमद्भगवदगीता उपनिषद त्रयि में आती है और उपनिषद ऐसा सीधा अर्थ कभी नहीं देते उसके पीछे गूढ़ अर्थ छिपा होता है अब कृष्ण को अर्जुन को समझाने में १८ अध्याय लग गए और आजकल के व्याख्याकर्ता एक श्लोक को पढ़ कर उसका अर्थ करने लगते हैं ऐसे जैसे उन्हें कृष्ण की बात एक बार पढ़ कर समझ आ गई। इसलिए तो लोग धर्म से दूर भागने लगे हैं क्योंकि खुद को श्रेष्ठ जाति का कहने वाला अपने अनुसार अर्थ करता है और निम्न जाति का कहा जाने वाला उसमें अपनी अवहेलना देखता है। ईश्वर कभी मनुष्य में भेद नहीं करते इसलिए जन्म से मिला कोई भी प्रमाण वास्तविकता नहीं है ऐसा कृष्ण ने अपने जीवन में पालन किया और वही सत्य अर्जुन के समक्ष रखा ताकि यथार्थ का बोध हो। कृष्ण ने तो सत्य के समक्ष कर्मकाण्ड को भी त्याज्य माना है उन्होंने किसी को श्रेष्ठ और किसी को निम्न नहीं कहा केवल इंसान ने अपने स्वार्थ और बुद्धि के अहंकार में खुद को ही दूसरे से ऊंचा घोषित किया है। ना बोध को वरीयता देता है ना ज्ञान को बस जन्म आधारित धर्म पर चलना ही वर्तमान का सत्य बनाना चाहता है और जब तक ऐसा चलता रहेगा सनातन धर्म का निरंतर पतन को होगा।
Right. Thori si porai korke apna dimag ka istemal korke Koli yug ka nature se jor ke remark korte h usme hamara Hindu ka dhorm ko niche dekha ne ka Teri ka dhud liya. Vdo bana ke high light me ana chaha ta h. Dusri dhorm se shadi korke admi suhki h ? Achar achoron somaj ko dekh ke shadhi kor na chahiye.
मेरी जहां तक जान कारी है तो उस मे मानव समाज को आगे बढ़ाने व जिवन यापन करने के लिय जो वैवसथा बनाई गई है वो गलत नही है आज-कल कुछ लोग इस व्यवस्था गल बताते वो गलत है
विवाह विचारो का समन्वय है। अगर लडका लडकी के विचार एकमत है और जीवन स्तर समानता है। तो पिछड़े वर्गों की शादिया दलित में शादिया होना जातिवाद को समाप्त करना है। इससे देश से दहेजप्रथा, समाप्त होगी फिर अमीर और गरीब की राजनीति का उदय होगा।
नही होता है लेकिन इससे एक कर्म व्यवस्था को चिन्हीत किया है एक उदाहरण के रूप मे जैसे मुख बोलने विचार बताने का भूजा युद्ध का जंघा शरीर का भार सभालती है तो अर्थव्यवस्था वैश्य सभालते है वही पैर चलना और विभिन्न कार्य को करता है और पैर आधार है तो वहा शुद्र को बताया है बस यह एक उदाहरण जैसा है समझ की आवश्यकता है
हे मनुष्यो! पुरोहित/ विप्रजन/ धर्मगुरु / पन्थगुरु/ गुरूजन/अध्यापक / शिक्षक / चिकित्सक/आचार्य/ कविजन ( ब्रह्मण ) का आचरण व्यवहार कैसा होना चाहिए ? जानें। विश्व राष्ट्र के प्रथम सतयुग के प्रथम राजर्षि दक्ष प्रजापति महाराज की ऋषि संसद द्वारा निर्मित गुण नियम अनुसार - संस्कार शिक्षक पुरोहित ( ब्रह्मण ) विप्रजन/द्विजोत्तम/अध्यापक/कविजन/गुरूजन/पन्थगुरु को - 1- सत्यवादी आचरण व्यवहार वाला होना चाहिए , 2- शुद्ध चित आचरण रखने वाला होना चाहिए, 3- सत्यवृतपरायण आचरण वाला होना चाहिए, 4- नित्य सनातन दक्षधर्म में रत होना चाहिए, 5- शान्त चित वाला बने रहने वाला होना चाहिए, 6 - व्यर्थ अनर्गल बातो से रहित होना चाहिए, 7- द्रोहरहित स्वभाव वाला होना चाहिए, 8- चोरकर्म से रहित सही आदत वाला होना चाहिए, 9- प्राणियो के हित में लगे रहने वाला होना चाहिए, 10- अपनी स्त्री भार्या में रत रहने वाला होना चाहिए, 11- सविनय नर्म स्वभाव वाला होना चाहिए, 12- न्याय प्रिय सुरक्षक स्वभाव होना चाहिए, 13- अकर्कश सरल स्वभाव वाला होना चाहिए, 14- माता पिता का आज्ञाकारी होना चाहिए, 15- गुरुओ का सम्मान करने वाला होना चाहिए, 16- वृद्धो पर श्रद्धा रखने वाला होना चाहिए , 17- श्रद्घालु स्वभाव वाला होना चाहिए, 18- वेदमंत्र दक्षधर्म शास्त्ररज्ञाता होना चाहिए, 19- वैदिक धर्म संस्कार गुण क्रियावान होना चाहिए और 20- भिक्षा दान दक्षिणा वेतन से जीवन यावन करने वाला होना चाहिए। इन सभी बीस (20) वैदिक सनातन दक्ष धर्म विधि-विधान नियम संस्कार गुणो से युक्त विप्रजन अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक पन्थगुरु अभिनेता (ब्रह्मण)को होना चाहिए। इन्ही गुण स्वभाव वाले शिक्षको को देखकर अन्य द्विजनों ( स्त्री-पुरुषो ) को आचरण व्यवहार निर्माण कर जीना चाहिए। पौराणिक वैदिक संस्कृत भाषा श्लोक - ॐ सत्यवाक् शुद्धचेता यः सत्यव्रतपरायणः । नित्यं धर्मरतः शान्तः स भिन्नलापवर्जितः।। अद्रोहोऽस्तेयकर्मा च सर्वप्राणिहिते रतः। स्वस्त्रीरतः सविनया नयचक्षुरकर्कशः ।। पितृमातृवचः कर्ता गुरूवृद्धपराष्टि ( ति) कः । श्रध्दालुर्वेदशास्त्रज्ञः क्रियावान्भैक्ष्य जीवकः ।। ( पौराणिक वैदिक सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार ) ।। जय विश्व राष्ट्र सनातन प्राजापत्य दक्ष धर्म। जय वर्णाश्रम प्रबन्धन श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।। विश्वराष्ट्र मित्रो! पौराणिक वैदिक पुरोहित संस्कार शिक्षको लिए बताए गए जैसे गुण नियम की तरह सभी साम्प्रदायिक पन्थी गुरुओ के बने नियम पोस्ट करने चाहिए, ताकि तुलनात्मक रूप से अध्ययन कर सुधार किया जाए । साम्प्रदायिक गुरुओ की निजी पन्थी सोच ने पौराणिक वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म संस्कार विधि-विधान नियमों में क्या क्या वेवजह बिगाङ किया है ? सबजन जान सकें और सुधार कर अपने पूर्वज बहुदेव ऋषिओ देवताओ को पहचान सकें । विश्व राष्ट्र दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार प्रबन्धन। श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।।
Mata Ji vivha ek aatmik bandhan hai, jo do insano ke bich hota hai, ise sirf uper vala hi unke karmo k hisab se jodta hai, maine apni puri jindgi kisi ladki ku taraf nazar utha ker nhi dekha, hamesha apne her daitav ko nibhaya, lekin jab shadi ka samay aaya to meri intercast Marriage ho gayi. Jab ki hum nhi krna chahte the hamare pariwaro ki vzha se, or hamare pariwar hi hamari shadi ka karan ban gaye, we are happy today with our families.
सिर्फ झुंठ बोलकार पब्लिव को नाही बहकाज आप प्रुफ करो कोई मुख़ से बच्चा पैदा बो सकता हो मुख़ खाने और बोलने मे कम आता है या बच्चा पैदा करने मे किर्प्या सही उत्तर दे
जय गजानन जय महाकाल अपने धरम पर हर नर नारीको अपने पालन करना चाहिए किसी के मोह माया मे फसकर धरम न खोया नर से बचे सिवा महापुराण मे पाप पुण्य और नर के संबाद को हर इंसान पत्र गियान प्राप्त करने की किरपा करें सत्य पर जिये और सत्य परेशान हूँ मरे इसी मे फायदा है मनुष्य के लिए जय महाकाल सबको प्रणाम करता हूँ
Chatur varna division is based on knowledge hence it is natural but to make it permanent to any individual and his descendants is pure corruption . 🤔😃😃😎👍⛳⚔️ .
आज कल वर्ण व्यवस्था का पालन बहोत कम हो रहा है l ब्राम्हण, क्षेत्रीय आज job/ business कर रहे हैं l फिर बदले परिपेक्ष मे किस तरह से विवाह मे वर्ण व्यवस्था का पालन करे l
ब्रह्मा के पांच मुख का मतलब हैं एक अध्यापक ब्राह्मण, दूसरा सुरक्षक क्षत्रिय, तीसरा उत्पादक शूद्राण और चौथा वितरक वैश्य। पांचवे मुख का मतलब है दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन चारो वर्ण कर्म विभाग में सहयोग करने वाला। ब्रह्म = ज्ञान । मुख से । ब्रह्म वर्ण = ज्ञान विभाग। ब्राह्मण = ज्ञानदाता/ अध्यापक/ गुरूजन/ विप्रजन/ पुरोहित/ आचार्य/ अनुदेशक/ चिकित्सक/ संगीतज्ञ। क्षत्रम = ध्यान न्याय। बांह से । क्षत्रम वर्ण = ध्यान न्याय रक्षण विभाग। क्षत्रिय = सुरक्षक बल चौकीदार न्यायाधीश । शूद्रम = तपसे उत्पादन निर्माण = पेटऊर से । शूद्रम वर्ण = उत्पादन निर्माण उद्योग विभाग। शूद्राण = उत्पादक निर्माता उद्योगण तपस्वी वैशम = वितरन वाणिज्य व्यापार = चरण से । वैशम वर्ण = वितरण विभाग। वैश्य = वितरक वणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर। चरण पांव चलाकर ही व्यापार ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है । दासजन/ जनसेवक = वेतनभोगी /नौकरजन।सेवकजन/भृत्यजन। चारो वर्ण कर्म विभाग में कार्यरतजन। जय विश्व राष्ट्र प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम वर्णाश्रम संस्कार ।ॐ।
जितने भी धर्म शास्त्र हैं, यदि भगवान है तो उन्होंने नहीं बनाया है, शास्त्र को मनुष्य ने अपने स्वार्थ लिए बनाए हैं ,ताकि किसी उच्च किसी को निम्न बना दिया मनुष्य को मनुष्य नहीं समझा इसी कारण भारत में उच्च नीच छुआछूत पनपा
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिन: Astro - Jyotish Upay: Feeling lost or confused in life? You are simply a message away to get the remedies for all your life problems. To book your telephonic appointment with our expert Vedic astrologers, WhatsApp message here: wa.me/917700910592
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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिन: Astro Mantra - ज्योतिष उपाय: क्या आप जीवन में खोया हुआ या भ्रमित महसूस कर रहे हैं? आप अपने जीवन की सभी समस्याओं का समाधान पाने के लिए बस एक मैसेज दूर हैं। हमारे अनुभवी वैदिक ज्योतिषियों के साथ अपनी टेलीफोन पर अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए यहां व्हाट्सएप संदेश भेजे : wa.me/917700910592
😊
P
Polⁿ😅
aaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaAAAAAAAAAAg&'& 1:06:29
😊😊
आप ॐ😊
द्ववापर मे भी ऐसा होता था ,प्रमाण सत्यवती ,हिडिम्बा ,और कुन्ती आदि।
उच्च और निम्न कुल में शादी होने पर सबसे बड़ी दिक़्क़त विचारों, तौर तरीक़ों और संस्कारों की आती है, जिन तौर तरीक़ों को उच्च कुल में ग़लत माना जाता है उनको निम्न कुल में सामान्य माना जाता है, इससे मतभेद उभरते हैं और शादी जल्द ही समाप्त हो जाती है। जब दो लोगों के संस्कार और विचार मिलेंगे तभी जीवन आगे बढ़ पायेगा!!
100% सही है....निम्न कुल में शराब, मांसाहार बिलकुल आम बात है जबकि उच्च कुल जैसे ब्राह्मण पंडित इनमे ये कर्म पाप है यही वजह की निम्न और उच्च कुल में रिश्ता नही हो पाता....लेकिन आज कलयुग चल रहा है उच्च कुल के लोग अब निम्न कुल के लोगो की ओर बढ़ रहे है उनको भी मांस मंदिरा का सेवन करते है देखा है....... संभल जाओ....
Bilkul sahi kaha
जाती में भगवान ने भी नही बाटा है मानवता ही सच्चा धर्म है
Sayad chamar ho
Ma ha bhart fir se dekho achhe se
पहले लिखा सीखा जा @@BasantRajput-t6n
पाखण्ड समाज एवं देश के हित मे ठीक नही, पर कर्म श्रेष्ठ है क्योकि सत्य सदा सत्य है।
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Da,
pakhand aur dharm ke bich ka line kya hai tujhe itna bhi nahi pata hoga
Jis karm me dharm nahi hai o karm srest nahi sakta
विवाह संस्कार में विचारों को समान होना आवश्यक है । लड़का मांसाहारी हो लड़की शाकाहारी हो मेरे समझ से जीवन यापन में तकलीफ उठानी पड़ेगी और भी तमाम विसंगतियां आएगी ।
पूरे विश्व के मानव मानव भाई भाई हैं मानव से मानव पैदा होता है
जानवर से जानवर
आपस में खूब शादियां करो पूरा भारत पूरा विश्व एक परिवार है
जातियां समाप्त करो मानव मानव एक समान है
To fir fir bharat Or any desh me kya frk hoga
@@BasantRajput-t6nदूसरे देश कही पीछे नहीं है चाहे जापान, चीन इंग्लैड फ्रांस रूस बेलारूस जर्मनी आदी आदि
@@BasantRajput-t6nmatalb tum jati badi Ho Wah dost 😂
@@ravichandra3893 tu bhi to h , reservation lekar betha h , cast certificate bnwakr , apne ko victim bta rha h , or hum hai bhi to tujhe kya dikkat h , tumhari aurte k peeche to nahi pde hum
मै आदिवासी हूँ। मै जानना चाहता हूँ ,कि प्याज लहसून मिट्टी से उगाया जाता है,और दुध और मांस खून से पैदा होता है तो प्याज लहसून को नहीं खाया जाता है और दुध को खाया जाता है।(अभिनाथ किस्कू)
प्याज लहसुन में तामसिक गुण होते हैं। सेक्स की इच्छा बढ़ती है। गृहस्थों को खाने में कोई बुराई नहीं।
Gay aur bhys jo chara,ghas khate hy usse duth, milk Banta hy khun se nahe
Iska reason ye hai ki.. Pyaj or lehsun smell chhod deta hai khane ke bad. Or insaan ka man agar sachai ho.. Karm acha ho.. To uske sarir.. Uske juban pe devta vas krne lagte hai. Or kyuki pyaj lehsun se smell ati hai.. Devta pass nhi ate ise khane se. Isliye pyaj lehsun ko varjit kia gya tha purane samay me.
प्याज लहसुन आध्यात्मिक साधना के सम्बन्ध में नेष्ट सिर्फ इसलिये है कि ये वस्तुएं तमोगुणी है और साधक तमोगुण और रजोगुण को संतुलित रखने के सतोगुणी अवस्था चाहता हैं।लेकिन जो व्यक्ति ऐसी किसी अवस्था के लिये संकल्पित ही नहीं है तो उसके लिए ये जरूरत है क्योंकि ये आयुर्वेदिक औषध है।
❤❤❤❤❤❤
कृष्णाय वासुदेवाय देवकीनन्दनाय च, नन्द गोप कुमाराय गोविन्दाय नमो नमः 🙏🙏
Bakwaas kar rahi
किसी जाति में शादी की सकती है क्योंकि इस समाज मे जब तक जाति प्रथा रहेगी, भेद भाव, ऊँच नीच बना रहेगा और समाज बिखरा रहेगा ।
अपनी जाति में ही शादी विवाह करना चाहिए अलग जाति में बिलकुल नहीं करना चाहिए
इसी कारण तो राष्ट्र में किसी के जाति का उल्लेख नहीं होना चाहिए परन्तु जब तक जाति आधारित लाभ मिलते रहेंगें समाज बिखरता रहेगा।
अपनी जाति में ही शादी करनी चाहिए।
भीमटा
Tina Dabi UPSC Jihadi ke bare pehele Jan Lo??? Bad me pastana??? Nehi to35 tokde freeze me35 tokda???
जात हमने बनाया है
शादी भगवान की देन है
कभी जात पात मत देखो सिर्फ इंसान चुनो
गुड और ग्रेट वर्क
@@santoshthakur8204 जब लव जिहाद की बात क्यो करते हो कोई धर्म हो इन्सान है
@@sarveshbishnoi9970dharm ek vichardhara hai cast kuch nahi isliye dharm mattar krta hai
Kisi bhi cast me thik h chal skta hai lakin dusre religion me bilkul nhi kyuki religion badlne k sath hmara pura jivan prabhavit ho skta h
@@girlofmahadevkya brahaman me saadi krne se jo bachhe honge unko sc ,st ka reservation milega ????, Saadi isi base pr krungi , bachho ko reservation milega , or agra ya kisi bhi general cast k insaan se saadi krne pr ??
@KajalPARIHAR-yp3ll nhi milega general me sadi krne s
अंतरजातीय विवाह करने में कोई दिक्कत नहीं है परन्तु किसी के झांसे में आकर गलत फसने से पहले उसके परिवार की जानकारी लेना बहुत ज्यादा जरूरी है आज कल प्रेम कम धोखा ज्यादा मिलता है
लव जिहाद जैसी घटनाएं बहुत हो रही है नाम बदल कर प्रेम जाल में फसा लेते है बाद में धर्म परिवर्तन करवाते हैं नही करने से सूट केस में बंद कर ठिकाने लगा देते हैं
सावधानी रखना जरूरी है
fir bhi kiyu kare
@@shrigupt2211 जो कर रही है उनको इनकी असलियत का पता नहीं चल पाता है जिसके कई कारण हैं
1. वूलीवुड सीरियल में हिंदू लड़की को तकलीफ में फसा दिखाया जाता है और बचाने वाला मुस्लिम को दिखाया जाता है
2. ऐसे सीरियल टीवी चैनल यू ट्यूब चैनल पर दिखाए जाते है जिसको देख कर सोचती है में इसके साथ सुरक्षित रह सकती हूं वो भ्रमित हो जाती है चक्रव्यू में फसने के बाद निकल ने की बजाय मौत को ही गले लगाना पड़ता है
3. टीवी सीरियल के साथ साथ न्यूज देखना चाहिए ताकि देश दुनियां में क्या हो रहा है जानकारी प्राप्त होती रहेगी
4. लड़का देखने में कितना ही अच्छा क्यों न हो बिना अपने बड़ों के द्वारा जानकारी प्राप्त किए शादी विवाह नही करनी चाहिए तो ही जिन्दगी को सुरक्षित रखा जा सकता है
5. लड़की को पहले अपने परिजनों से सम्बंध इतने खराब करवा दिए जाते है ताकि वो अपने परिजनों के पास वापस नहीं जा सकती
@@घरेलूनुस्खे-च2भ hi hi hi hi, intercaste marrige kar sakte hai parantu isme khatre bahut hain
हिंदुस्तान में अलग अलग संस्कृति अलग अलग मान्यताओं वाले अलग अलग पहचान वाले लोग है... जिसे अपना एक संस्कृति है.. .. परंपरा है संस्कृति है
जिसका परंपरा में अपनी जाति में शादी करना है... तो करना ही चाहिए उनका वह अधिकार है ....संवैधानिक अधिकार संविधान ने दिया हिंदुस्तान में अलग अलग संस्कृति अलग अलग मान्यताओं वाले अलग अलग पहचान वाले लोग है... जिसे अपना एक संस्कृति है.. .. परंपरा है संस्कृति है
जिसका परंपरा में अपनी जाति में शादी करना है... तो करना ही चाहिए
हिंदू एक ज्योग्राफी में रहने वाले लोगों के लिए कहा गया है हिंदू कोई धर्म नहीं है...
भारत में रहने वाले विभिन्न समुदाय में शादी एक धार्मिक अनुष्ठान है ...एक संस्कार है..
संविधान एक सेकुलर है ...सरकार सेकुलर है हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट सेकुलर है ..किसी को भी धार्मिक अनुष्ठान में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है..
कुछ लोग संविधान का आंख पर पर्दा लगाकर.... सॉफ्ट कन्वेंशन करना चाहता है
The moral of the story is that
भुझ जाए दीया तो बाती का क्या करोगे
अरे धर्म हि नहीं बचा सकोगे तो जाति का क्या करोगे
Dharm waise bhi khtm hogya..
Ek dam sahi baat...In jaiso k bajay Acharya Prashant g ko sunna chahiye..Hindu Dharm me hajaro Achi bat bhale ho par dher sare kuritiyan aur kupratha h jisme se ye v hai 1...In logo ko lgta h is tarah ka dogalapan, bhed bhav v krenge aur Dharm v bacha rhega... 🤐
Acharya Prashant Mk stalin ko support karta hain.. wo insaan sabse jyda danger hain hinduism ke liye@@nil.nilesh56
Uska har baat hindusim ko nicha dikhana hain .. wo ak propoganist hain isiliye usse har anti indian & anti hindu forces support karte hain@@nil.nilesh56
Sharm kar apne aap par ..itna sa baat aab tak nehi jaan paya.. check kar uska comment section only fake accounts comment karte hain.. @@nil.nilesh56
त्रेता में कृष्ण का जन्म ही नहीं हुआ , द्वापर में जन्म हुआ है , आखिर उनके शरीर से चार बर्ण की उत्पत्ति कैसे हुई.....
Tum Marney ke baad pta Krna uncle
@@dvavatsa4919 अर्धज्ञानी h ye माताजी अंकल
@@dvavatsa4919 वर्ण व्यवस्था सतयुग से शुरू हुई है
Ye shree Mati adhura Gyan de rahi hai isko khud pta nhi hai kuchh
Krishna har yug me the thoda sastra pad kar ayiye bhaiya @@Ranjeet_pandey01
आप जैसे ही लोगों ने देश के टुकड़े-टुकड़े कर दिए
Desh ke tukde reservation ne kiye aur Kitane saal tak ye drama chalega
It's
It's correct
Please closed your channel
Reason ye tumhara srasar galt h ...keval brahaman jatti iski jimmedar h jisne apne dimaag ka jyada istemal karke varan vyavshtha shuru kiya@@RakeshSingh-b8c
जाति व्यवस्था टूटने से
कुछ लोगों को सम्मान से जीने का अवसर प्राप्त होगा
और जो अपने आप को बडीं जाति का मानता है उसकी इज्जत कम हो जाएगी
जाति व्यवस्था एक भ्रम है इसे बनाना और इसे समाप्त करना इंसान के हाथ में है ऊंच नीच बनाकर इज्जत और बे इज्जती महसूस किया जाता है अगर जाति व्यवस्था न हो तो सभी समान है फिर इज्जत घटने बढ़ने का सवाल खत्म हो जाता है
@@kuntidevi2420 jati pratha ko dharmik books me samil kr ke sahi btane ka chal chala gya hai
कर्म ही पूजा है
ओम श्री सतगुरु देवाय नमः ओम श्री गणेशाय नमः ओम श्री गणेश शिव शक्ति सूर्य विष्णु दरबार आए नमः ओम नमः शिवाय ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः ओम श्री राधे रुक्मणी कृष्ण भगवान दरबार आए नमः ओम श्री तुलसी शालिग्राम दरबार आए नमः ओम श्री हनुमते नमः ओम श्री पित्रेश्वर देवेश्वर दरबार आए नमः ओम श्री समस्त वर्णाश्रम धूणीमाता भेख भगवान दरबार आए नमः ओम श्री समस्त धाम दरबार आए नमः ओम श्री हरि हराय नमः ओम श्री हर हर महादेव ओम शांति ओम सीताराम सीताराम सीताराम कहिए जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए ओम श्री राधेश्याम राधेश्याम राधेश्याम कहिए जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए
Jati samapt nahi ho sakata
Jati karm par adharit hona chahiye
Koi karm nich nahi hota na koi jyati
Hame sochane ki jarurat hai
बहुत कुछ सीखने को मिला है।नई बात का ज्ञान हुआ। संसकार सम्मत जो वार्ता की गई है। इसे छोटे छोटे भागों में वांट कर सीरियल टाईप प्रयोग में लाया जाए तो समाज ज़्यादा से ज़्यादा जुड़ेगा और बहुत कुछ सीखेगा। आप बक्ताओं को सादर ससम्मान शुभकामनाएं। धन्यवाद
सम + बन्ध _ सम्बन्ध
जहां समानता होगी वहीं बंधन होगा उचित सम्बन्ध कहलाएगा।
किस चीज की समानता ?
शारीरिक उम्र, योग्यता में समानता।
मानसिक योग्यता, आचार , विचार , व्योवहार, रुचि, सोच , शिक्षा के स्तर, believe के स्तर , खान पान के रुचि में समानता , रहन सहन के स्तर में समानता,
एक दुसरे के समझ का सम्मान, एक दूसरे के अधिकार एवं कर्तव्य के प्रति सम्मान।
Ek dusare ke samman ka khayal rakhna
Satyavati aour shantanu ki vivah hua tha
Lakho...ke...hisab...sadi...kamjab...hai...ap..ki...soch....kurha....badi...hai
❤❤❤
हिंदू एक ज्योग्राफी में रहने वाले लोगों के लिए कहा गया है हिंदू कोई धर्म नहीं है...
भारत में रहने वाले विभिन्न समुदाय में शादी एक धार्मिक अनुष्ठान है ...एक संस्कार है..
संविधान एक सेकुलर है ...सरकार सेकुलर है हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट सेकुलर है ..किसी को भी धार्मिक अनुष्ठान में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है..
कुछ लोग संविधान का आंख पर पर्दा लगाकर.... सॉफ्ट कन्वेंशन करना चाहता है
माताजी हॉस्पिटल से तबीयत अच्छी करके आयी है और धन्यवाद जगन्नाथ जी को दे रही है|
Tb tk hospital Jane Wale ko marna hi nhi chahiye agar sabkuchh doctor aur science se possible hota to log marte nhi
अगर तुम अंतर्जातीय विवाह को ग़लत करार दे रही हो तो।अब मैं तथाकथित ब्राह्मण धर्म के मनुस्मृति ब्यास स्मृति में यह कहना जायज मानता हूं कि औरत नीच होती है, कुल्टा और पथभ्रष्टक होती है। लेकिन मैं सबसे पहले भारतीय हूं और देश से बढ़कर मेरी नज़र में ना धर्म है, ना जाति है ना ही कोई अपना पराया
Well shot 😂😂😂😂
जातियां कृत्रिम हैं; सभी एक ही परमात्मा के अंश हैं।
I agree with you ..Sab bolte hn shastra me likha hai shastra me likha hai..par kis shastra me likha hai ye to btao? ?🎉😢
शूद्रं शब्द का मतलब तपस्वी है ।
यजुर्वेद मंत्र - तपसे शूद्रं ।
शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगी है। यह बिंदी अवश्य लगानी चाहिए। अंक की बिंदी लगने से शूद्रन/ शूद्रण/ शूद्रम भी लिख बोल सकते हैं।
चारवर्ण चारकर्म चारविभाग जीविका विषय अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार ही शूद्रण है।
कर्म चार = = वर्ण चार = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम।
पांचवेजन जनसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन भी इन्ही चतुरवर्ण चतुर कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत हैं। वेदमंत्र दर्शनशास्त्र ज्ञान विज्ञान विधान अनुसार और प्रत्यक्ष कर्म अनुसार प्रमाण हैं।
कुछ किताबो में शूद्रन का मतलब तपस्वी उत्पादक निर्माता उद्योगण ना लिखकर सिर्फ सेवक लिख कर गलती कर रहे हैं । शिक्षित द्विजन ( स्त्री-पुरुष) को सुधार कर बोलना लिखना चाहिए और सुधार कर प्रिंट करना चाहिए। अनुचित लेखन कर्म अनुचित बोलना लिखना वेद विरूद्ध करते रहते हैं आजकल अज्ञजन । लेखक प्रकाशक जन अज्ञानता में सुधार नहीं करते हैं।
द्विज और द्विजोत्तम भी अलग अलग हैं। चारो वर्ण कर्म विभाग वाले सवर्ण और असवर्ण होते हैं।
शूद्रण भी द्विज और पवित्र होता और चार वर्ण कर्म विभाग अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार तपस्वी होता है। जो द्विज तपश्रम उद्योग उत्पादन निर्माण कार्य करते हैं वे शूद्रण हो जाते हैं।
अशूद्र अब्राहण अछूत व्यभीचारी जुआरी नपुंसक चाटुकार होता है।
क्षुद्र पाशविक सोच रखकर जीने वाला होता है।
इस पोस्ट को कापी कर अन्य सबजन को लेखक प्रकाशक को भेजकर कर प्रिंट सुधार करवाएं।
There is no caste of any human being.God is everywhere.In India Brahmin divided the society into castism.❤❤❤❤😂😂😂😂
दुसरी जाती के लोगो के साथ एक दुसरे साथ शादी करांना पाप है तो क्या हत्यार अलग अलग या छोटे बडे होते है क्या? अरे जरा सब्र करो इन्सान तो इन्सान ही हॊता है, जनावर नहीं हॊता |
Han Bhai inko kon samjhae 🙏🙏
हिंदू एक ज्योग्राफी में रहने वाले लोगों के लिए कहा गया है हिंदू कोई धर्म नहीं है...
भारत में रहने वाले विभिन्न समुदाय में शादी एक धार्मिक अनुष्ठान है ...एक संस्कार है..
संविधान एक सेकुलर है ...सरकार सेकुलर है हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट सेकुलर है ..किसी को भी धार्मिक अनुष्ठान में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है..
कुछ लोग संविधान का आंख पर पर्दा लगाकर.... सॉफ्ट कन्वेंशन करना चाहता है
❤🙏🙏
हरे कृष्णा
आप दोनों गुरु तुल्य आत्मा को विनम्र कोटि कोटि प्रणाम।
आप बहुत अच्छे विषय को चुनकर विश्लेषण किया जो आज की आवश्यकता है ।
पौराणिक वैदिक सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन धर्म संस्कार।
विषय: विवाह सम्बंध प्राणिग्रहण संस्कार में वर्ण/जाति बाधा नहीं है।
विवाह प्राणिग्रहण संस्कार के लिए जो जन माता पिता के सपिण्ड सात पीढ़ी के नहीं हों और माता पिता के गोत्र के नही हो, ऐसे स्त्री पुरूष दोजन (द्विजन) की अग्नी फेरे विवाह कर्म के बाद पत्नी से श्रेष्ठ संतान होती है l
संस्कृत संस्कार श्लोक नियम-
ॐ असपिण्डा च या मातुरसगोत्रा च या पितुः l
सा प्रशस्ता द्विजातीनां दारकर्माणि मैथुने l l
जय विश्व राष्ट्र प्रजापत्य दक्ष सनातन धर्म l जय अखण्ड भारत l जय वसुद्धैव कुटुम्बकम् l 🕉 l
आज दुनिया कहाँ से कहाँ पहुँच गाई है और ये अभी सबको जातियों में बांट रहे हैं ,जब बच्चा पैदा होता है तो क्या उसके माथे पर सटैमप गली होती है कि यह किस जाति का है या किस धर्म का हैं
Sanatan main mata pita kai javik ansh kae gaun jaroor aate hain,ghodi ghode sae prignent hogi tau uske vachcha nasly ghoda hi hoga ,yadi ghadhe sae crosbeed. hoga tau uh khachchar hi paida hoga jo ,uski nasly alag hi hogi, uska D N A hi alag hoga ,filmi duniya nae cross beeding ko antar cast love marrage ko badhava Diya hai ,jiska result talak, pariwar anusar nahi hoga ,gharalu hinsa ka samajik bhayanak rog felraha hai, HONORABLE AMITABH Bachchan ka pariwar tabah ho Gaya hai, es pariwarik tootan sae vachchan Kitana dukhi hoga uhi jante hain ,samajik maryada ka palan hona ,bhavi vansh ko aage badhane ko bahut jaroori hai , Jay Sanatan dharm Jay Bhartiya culture , filmi duniya nae samaj ko barbad kar diya ,sensar bord v sarkar ko espar canuni sinkanja kasna chahiyae nahi tau samaj ko varwad hone sae koe nahi rok sakta , jayhind JaySanatan dharm, S p singh
Hindutva ko jo manne vale hai vo jati me bilkul biaswash na kare tabhi hindutva bachega
गीता में जातिवाद जैसा कुछ नही है ।लोगों को खुद ही गीता पढ़नी चाहिए नही तो ये ढोंगी गीता के नामपर कुछ भी चिपका जाते हैं।
One of best Talk-Show I came across in my life. My age is running 69 years. Though I am from Jain Family but follower of LORD KRISHNA . Your Talk-Show is a guide line for all aspirants for marriage wanted to become best couple. My heartiest Thanks to you MAATAJI and GRATITUDE.
😊
Aàaaà
सोची समझी साजिश के तहत ये वरण व्यवस्था बनाए ग,ई हैं जो कि समाज के एक बहुत बड़े जन समूह को
ग़ुलाम बना दिया ।
Brahmano me maja lutane aor dhan kamane ke liye pakhand bhara garantho ki rachana ki samaj par enka adhikar ho ye manmani kare shudaro se sabhi prakar ke shishan kare garbhkal se mrityu tak pakhand sanskaro ke dawara
Aisa kuch ni h the beautiful tree by dharampal jo ki british archives se li gyi h usme likha h ki gurukul mein 60% padhne waale shudra h. Pustak angrezi bhasha mein h. Free h pdf uski prishth sankhya 29 aur 35 padhe @@arvindkumar-zh1zs
बच्चों को विवाह के निर्माण के लिए माँ, बाप के अनुभवों और आशीर्वाद की बहुत अधिक आवश्यकता होती है साथ ही अच्छे भविष्य के लिए भी निर्णय लिया जाता है🙏 विवाह समान वैचारिक, आर्थिक, सामाजिक स्थिति के लोगों के बीच ही होने में सुखद भविष्य का निर्माण होता है नहीं तो कुछ समय बाद वह गले की फास बन जाती है🙏
प्याज,लहसूनमेकौनगुनहै, मांस इनमेतामशी गूनधर्महै इससेकाम,क्रोध,लोभयेगूनऊत्पन्नहोतेहै जिनोसे अपना जिवन बिघडजाताहै, दुधपहलेसेही सात्विक आहार पवित्र आहार माना गया,जन्मसेही माका दुधपियाजाताहै,माभीएक मनूष्य प्राणि तोहैसमजनेवालेकोकफीहैधन्यवादआपिसोड बहोतग्यानवर्धकलगाधन्यवादजय श्रीकृष्णा, जय श्रीराम, जय श्रीनारायणजयजय
🎉 क्या मैं आपकी राय चाहता हूं कि पहले जुगों में प्रेम बिबाह नहीं किया है
Gandharw vivah dwapar yug me hua hoti thi. Use hi aaj prem vivah kaha jata hai
जो जात पात को देख कर शादी करते है सब से बड़े जातिवादी वही होते है।
मानव का कर्म और प्रेम उच्च होता है।
कृष्ण ने भी यही बोला है।
जो प्रेम को जाति से टोलते है वो मानवता के नाम पे कलंक है।
kul aur varnsakarta ko bhagvan Shri Ram bhi mante the to ham bhi manege Tum Kaun hote ho
@@shrigupt2211to is dharm me bas 10% log rahenge.
उच्च कुल, नीच कुल ऐसे शब्द आपके द्वारा सुनकर बहुत दुःख हुआ l सभी वर्ण एक समान है l ब्राम्हण उच्च कुल है l यह आपको किसने बताया l
Han par logon ko samjhane ke liye yah karna padta hai barna bah nahi samjhenge
bhgwan ne srimat bhagwatam me batay he
आज कल का प्रेम विवाह सब नष्ट कर रहा है लोग बोलते हैं कोई जाति नहीं मानी जाती हेयर सर्विस में जाति प्रमाण पत्र क्यों मांगा जाता है बच्चों सुनो और समझो जाति होती है जो ब्राह्मण नॉनवेज खाते हैं वे ब्राह्मण के नाम पर कलंक है कलंक जय श्री राम हमारे वेद में सब बताइए 🙏🙏
Gossamer Tulasi Das ne Ram Charit Manas me likha hai.
Geeta me to ye bhi kaha gya hai ki jivo ko nhi khana chahiye fir bhi aaj ke sabhi bramhan log bhi kha rahe hai to aap log bataiye ki ab kisko uchh kul ka insan bola jayega
Mere Nazar mein Bhagwan Ram aur Bhagwan Krishna dono saman hain. Hum sab bas issi baaton mein ulajhte rahein yahi bhavishya hai humara Aaj se 400 saal baad bhi yahi sawal pucha jaayega isliye bas issi mein lage rahiye is se upar matt uthiyega ok. Kyunki aaplogon ki nazar mein bas yahi sab maulik prashn hain. Continue your hardwork on this. Good luck to you all. Krishna aap logon aise hi mahayvpurn prashno ke uttar ke liye aur sadbuddhi pradan karein. Lage rahiye bhide rahiye. Bharat ki unnati nhi avnati ka ek aur adhyay aaplogon ke hi kar kamlon se likha jaata rahe. Iske liye bahut shubhkamnaye.
🙏एक वचन,एक पत्नी, एक धर्म असं प्रभु श्री राम यांचं राम बाण शब्दाचं वर्णन 🌞|| जय श्री राम ||🌞 ⏳ युग परिवर्तनाच्या दिशेने ⌛🏜️
मनुष्य जाति होने में क्या बुराई है लोगों की सोच में बुराई है संसार में फुल और कांटे दोनों होते हैं
❤❤❤❤❤❤
बात तो सही है, किन्तु यह बात ऋषियों, मुनियों ने कही है, इसलिए क्योंकि लहसुन और प्याज उत्तेजना उत्पन्न करने वाले पदार्थ हैं, जो तपस्वियों के लिए त्याज्य बताया गया है।
आप ने जो कहा सही कहा मैंने कमेंट पढेऐसे बिचारे वाले लोगों की बजह से आज समस्या का अंबार खड़ा है
विश्वगुरु महामानव गौतम बुद्ध ने मनुष्यों में दो ही जाति बतलाया है | एक महिला और दूसरा पुरुष और तीसरी कोई जाति ही नहीं | जय भीम नमो बुद्धाय ❤❤❤
ap male or female ko alag kyu samjhte ho insan hai itna kafi nhi hai kya jaise animals hote hai
Hare krishna
Bhai jabtak intercaste marriage nhi hoga tab tak hindu dharm ko jativaad se naas ho jayega
माताजी को ज्ञान nhi है।
किनको उठा लाते हो परंपरागत गुरु आचार्यों के पास जाइए ,इनके पास सनातन का नहीं केवल अपने खुद का ज्ञान है
😂 nile kabutar jai Bheem bol rhe ho jinhone khud ne casteism kiya
Sharm aani chahiye
हमारी सर्वश्रेष्ठ संस्कृति बताने के लिए करोड़ों बार धन्यवाद ❤
राधे राधे
मेरे हिसाब से कृष्ण का जन्म तो द्वापुर में ही हुआ है नकि त्रेता युग में और आप त्रेता में बता रही हैं शायद ग़लत बतारही है , पुनः अबलोकन करैं।
भगवत गीता के 18 बे अध्याय में 41 बा श्लोक का अवलोकन करें उसमें वर्ण व्यवस्था को श्री कृष्ण जी ने बताया है। क्या वह गलत है ।ॽ
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Very nice...logical fact...detail discussion..🙏🙏..aap jese log ke vjh se hi bharat varse and sanatn Dharm and Brahman sanskar bcha hua h...🙏🙏🙏👌👌
हरे कृष्णा
माता जी !
आज आधुनिकता की दौर मे लोग पश्चमी सभ्यता का अनुसरण करके गौरवंवित् होते है ! लेकिन इनका अंत बहुत बुरा होता है ! ऐसे लोगो को आप आगे भी मार्गदर्शन करते रहें 🙏🙏🙏🙏
प्राचीन काल में राजा लोग परस्पर युद्ध किया करते थे जो राजा हार जाता था वह अपनी लड़की की शादी उस राज्य से कर देता था उस समय जाति प्रजाति नहीं देखा जाता था। इसलिए शादी दूसरे जाति में किया जा सकता है।।
Nhi mostly Raja kashtriya hote tha isliya ho jate thi
@@ashishmehra9330mostly nhi sb raja bnta hi kashtriya the
❤❤❤❤❤❤❤
PRACHIN KAAL MAI 99% KSHATRIYA RAJA HOTAI TAB MUGHAL CHRISTIAN NAHI HOTAI THAI ANPADD GANWAR I% KSHATRIYA + BRAHMAN YA VAISYA KA HOTA THA SHUDRA GIRL USE N THROW HOTI THI
एक जाति और गोत्र में शादी करने की वजह से ही भारतीय ना बुद्धी मे तेज है और ना शारीरिक रूप से मज़बूत है ।
गोत्र अलग अलग ही होता है परन्तु जाति समान
@@Soooorajकहा जी रहा है तू भाई
@@sandeepchhapolaभाई हमारे तरफ जो होता है वहीं बोल रहा हूँ। झारखंड से 🙏
@@sandeepchhapolaAbe same gotra Wale brother sister hote hai.
शादी दूसरी जाती में करना थोड़ा मुश्किल ही होता है विचार अलग-अलग होने से ।राम राम जी
Kis khet ki mooli ho bhai? Bichar sanskar se ata hai, jati se nehi! Itna jahaliyat kaha se paida hota hai? Apne desh ki sanskar ko jano , pahchano, Dil se samajhne ki koshish karo! Borbole so called pandits aur murkh gharwalo ke chakkar me parhne se Aisa hi haal hota hai!!Janu latkane koi Brahman nehi bon jata!!
समस्त मानव एक ही व्यवस्थारुप ऊपर से आया है रंग श्वेत ,श्याम,काला,गोरा हो सकता है रुप सुंदर या कम सुंदर हो सकता है लेकिन हाथ पैरों की समानता एक जैसी होती है विचारों भाव में सरल या तीखा स्वभाव हो सकते हैं,परन्तु कुत्ता,बिल्ली,चूहा,शेर,गाय,आदि अलग अलग रुप शरीर होनें से उन्हें अलग अलग जाति वाला कहना उचित है, ऐसे ही उड़ने वाले भिन्न भिन्न शरीर के पक्षी भी विभिन्न जाति सूचक कहे जा सकते है, वैसे कार्य के नाम को जाति कह दिया गया है जैसे लोहे के कार्य करने वाला लौहार,हलुआ बनाकर बेचने वाला हलवाई कहलाता है क्योकि हलुआ को बराबर कड़छी से बार बार चलानें के बाद ही स्वादिष्ट हलुआ बनता है बनाने वाला हलवाई नाम हुआ जबकि हलवाई जाति अभी तक सुननें में नहीं आयी,जबकि कपड़ा सिलने वाले को दर्जी जाति सुना गया है,ऐसी बहुत किवदंतियां है जो जाति कहलायीं जानें लगी ,
Right
Kattar jati pratha se Kahi salo ke baad Hindi Dharm alph sankhya ban jayega.
सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक के चौथे समुल्लास में विवाह का वैदिक तरीका बताया है।उसमें बताया गया है कि जो कन्या माता पिता की चार पीढी की न हो उससे विवाह करना चाहिये। ऐसा करने से जेनेटिकली बिमारियाँ सन्तानों में नहीं आती है। विवाह का उद्देश्य सुसन्तान उत्पन्न करना है। अन्तर्जातीय विवाह करना उचित है।🙏
माता जी, नमस्कार, आप श्री मद भगवत गीता के अनुसार व्याख्या दे रही हैं जो उत्तम है। आपके शब्दों के अनुरूप भारत में जो लोग आज अविवाहित हैं वे सभी ब्रह्मचारी नहीं हैं, उल्टा बड़ी संख्या में लिव इन में रह रहे हैं। दूसरा आपके अनुसार J & K में ज्यादा लोग विवाह करना नही चाहते क्योंकि वे परिवार बढ़ाने के पक्षधर नहीं हैं। मेरे विचार में इस का कारण राजनैतिक ज्यादा है क्यों कि वहां के प्रशासन ने व्यवसायों व नौकरियों को पनपने नहीं दिया और आमजन को गरीबी में जीने के लिए मजबूर किया गया।
J & k
ष रेंज
😊
लोग अपनी जाति में भी ईमानदारी से विवाह जैसे पवित्र बंधन को निभा लेंगे तो भी अच्छा है लड़कियां विवाह के उपरांत मायके में बैठ जाती है और कुछ लोग धन के लालची होते हैं वे लड़कियों को रखना नहीं चाहते हैं मन मिलने पर एवम एक दूसरे को जानने के बाद अंतर्जातीय विवाह अपने हिंदू समाज में किया जा सकता है लेकिन दुख की बात यह ही की उच्च वर्ग की लड़कियां गैर हिन्दू से विवाह करती है जिसमे शाम नही आती है
हिंदू एक ज्योग्राफी में रहने वाले लोगों के लिए कहा गया है हिंदू कोई धर्म नहीं है...
भारत में रहने वाले विभिन्न समुदाय में शादी एक धार्मिक अनुष्ठान है ...एक संस्कार है..
संविधान एक सेकुलर है ...सरकार सेकुलर है हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट सेकुलर है ..किसी को भी धार्मिक अनुष्ठान में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है..
कुछ लोग संविधान का आंख पर पर्दा लगाकर.... सॉफ्ट कन्वेंशन करना चाहता है
जाती वाद खत्म करने और जातीय जहर को कम करने के लिए अन्तर जातीय करना उचित है
Manv ko jivan me vah gyan arjit karna chahiye jo snatan ho .
Na ki jo man ko bhaye vah gyan .
Gita 1.41 se 45 tak dekh lo
हरे कृष्णा माताजी,यदि किसी अनहोनी वश ब्रह्म मुहूर्त में शादी होती है तो उसे किस तरह की शादी माननी चाहिए
जातीभेद मिटो हा सारा मनवतेने हो अती प्यारा तुकडोजी महाराज जय गुरू3:57 3:59
अति उत्तम ज्ञान वर्धक जानकारी दी गई हैं धन्यवाद।
मनुष्य जिंदा रहता है।तब इंसान कहलाता है।जब इंसान का मृत्यु होता है तो भगवान होता है।जिसका मृत्यु हो जाता है वह किसी को कोई भलाई नहीं कर सकता। जैसे गुड चीनी जपने से मुंह मीठा नहीं होता है वैसे भगवान भगवान जपने से भगवान नहीं मिल सकता है।
fir to nich se nich log manushy kahlane ke layak hai
Sahi bole bhaiya ji
हिंदू एक ज्योग्राफी में रहने वाले लोगों के लिए कहा गया है हिंदू कोई धर्म नहीं है...
भारत में रहने वाले विभिन्न समुदाय में शादी एक धार्मिक अनुष्ठान है ...एक संस्कार है..
संविधान एक सेकुलर है ...सरकार सेकुलर है हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट सेकुलर है ..किसी को भी धार्मिक अनुष्ठान में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है..
कुछ लोग संविधान का आंख पर पर्दा लगाकर.... सॉफ्ट कन्वेंशन करना चाहता है
माता जी मै आपसे सिर्फ एक बात पूछना चाहूंगी, की जानवरो की रचना ईश्वर ने कैसे करी।
😂😂😂😂
Jaise tumhe kari
माताजी की बात 100 प्रतिशत सही है हमें यह बातें पर चलना चाहिए ❤
Amazing session!!! Thank you so much it helped me alot, i had so many questions , finally got the answers....hare Krishna Mata ji' s i have huge respect for u... dandvat pranam 🙌🙌🙌
कौन बोला ब्राह्मण उच्च कूल के हैं जबकि हमने देखा बिहार मे बकरे की बली देते और खाते हैं फिर kese उच्च कूल ho गए उसके के चरित्र से तय होना चाहिए
Right
Do not try to judge Brahmins, and build offensive narratives against Brahmins only better judge yourself and your own caste people
Right bro
You are right
He's not lying, you illiterate priest@@Jainagwa
ये भिडियो देख कर ऐस यहेसास होता हे ब्रामन, क्षेत्री, बैंस और सुद्रको जनम दिने वाले भगवानने पक्षपाती प्रयोजन के लिय यिस तरह से जनम दिया हे, नहि तो सास्त्रोमे मनो कल्पित मित्था लेखा गया है
Mataji Jo apne bataya ki karm se varn bante hae ye perfect laga
Magar agar karm se bhraman ho par janam se shudra parivar se ho to use bhraman se karna chaheye ya shudra parvir se
विवाह और निभा ऊपर वाले की मर्जी से होता है।
संतान पर असर पर बात करते हैं तो संकल वर्ण संतान, अनुलोम संतान, प्रतिलोम संतान पर बात करो कि इन संतान उत्पत्ति के विचार से ही अंतर्जातीय विवाह और विधर्मियों में विवाह से प्रभावित होकर कैसी संतान पैदा होती है उनका मानसिक रूप विकास कैसा रहेगा और समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा
( निति) जाति दो मानी गई है,एक मनुष्य दूसरा पशु,जाती जीवन भर एक रहती है,बदलती नही ,और समान प्रसव ही होता है,वर्ण पेशा जाती नही, गधा, घोड़ा भिन्न जाति के कारण, खच्चर की जाती नही चलती?
जय श्री कृष्ण
हरे कृष्णा
🚩🌹🙏
JOY SIR CHRISHNA 🙏
HARRY CHRISHNA 🙏
मुख से ब्राह्मण की उत्पत्ति क्षत्रिय की उत्पत्ति बाहों से वैश्य की उत्पत्ति जांघों से शूद्र की उत्पत्ति पैरों से पहले से ही होती आई है तो वर्तमान समय में मनुष्य की उत्पत्ति क्यों नहीं होती, जवाब दें, यदि नहीं तो गलत उच्चारण करना अवैधानिक है। मानव जाति को गुमराह क्यों कर रहे हो।
Kisi ki utpatti kahi se nahi hui hai.Sab maata ke pet se paida huye hai Apna dosh chhipane ke liye khoob slok banaye gaye.wahi yah desh bhugat raha hai
Bakvas hai aaysa mu hat jang pairse nahihote
रावण की मृत्यु होने बाद विभीषण ने अपनी भाभी के साथ विवाह क्या था बाली के मृत्यु होने के बाद सुग्रीव ने भी अपनी भाभी के साथ विवाह किया था क्या शास्त्र के विरोध किया था कि सही क्या था
कोई भी वहां नहीं किया था गलत
जन्मना जयते जंतुः कर्मणा जयते द्विजः | वेदाध्यायनतो विप्राः ब्रह्मविद ब्राह्मण स्मृतः ||
त्रेता युग में भगवान राम हुए थे द्वापर में कृष्ण आया तो त्रेता में विराट स्वरूप कैसे दे दिए भगवान कृष्ण
Hare krishna mataji me 100% sahmat hu apka jis kul me janm huya apko ussi kul me shadi karni chahiye aur agar aap ko inter caste marriage karni bhi hai toh apko vaishnav hona padega kyoki vaishnav varna aur ashram vyastha se upper hota hai ....
varnasram se slag hai i.e ansrya hai jo mallech mulle hi😊😅😅😢
छोडो कल की बातें कल की बातें पुरानी
नये दौर में लिखेंगे हम जाती मुक्त कहानी ।
to apne ma bahan se sadi kzr ab aur naye duar me nayi kahani likh de
@@shrigupt2211 तुझे क्हा दिक्कत बनगी ?
माताजी आप वोल रही हैं कि जो व्यक्ति इस पेशे को अपनाएगा वह उसी वर्न का होगा लेकिन कलियुग में मनु संहिता के अनुसार एक शूद्र देश चलाएगा, एक ब्राह्मण शूद्र का काम करेगा तो ऐसे में सही वर्न का निर्धारण कैसे किया जा सकता है ?
विवाह के बारेमे माताजी सविस्तर विवेचन किया है! धन्यवाद
Right
Bahut hi gyanvardhak hai
बहुत सुंदर जानकारी दीया, उत्तम विचार
क्या चर्चा भगवद्गीता से है या मद्भागवत से ?
I am a brahman by birth but my father is a businessman and my grandfather was in job. We are not into poojas and yagya then i belong to which varna
Hare Krishna , your karma is just like vaishya (according to Bhagwat geeta)
New Varna. Chutiya 😂
ये माता जी खुद बैष्णव होंगी इसलिए इन्होंने चार बर्णो के अलावा एक बर्ण और वनाकर पांचवें बर्ण का निर्माण कर के उसे ब्राह्मण से भी ऊपर का बर्ण वना डाला ।।
Gade ku olaad, read the Gita to know reality
No
ब्रह्मा के पांच मुख का मतलब हैं
एक अध्यापक ब्राह्मण, दूसरा सुरक्षक क्षत्रिय, तीसरा उत्पादक शूद्राण और चौथा वितरक वैश्य। पांचवे मुख का मतलब है दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन चारो वर्ण कर्म विभाग में सहयोग करने वाला।
ब्रह्म = ज्ञान । मुख से ।
ब्रह्म वर्ण = ज्ञान विभाग।
ब्राह्मण = ज्ञानदाता/ अध्यापक/ गुरूजन/ विप्रजन/ पुरोहित/ आचार्य/ अनुदेशक/ चिकित्सक/ संगीतज्ञ।
क्षत्रम = ध्यान न्याय। बांह से ।
क्षत्रम वर्ण = ध्यान न्याय रक्षण विभाग।
क्षत्रिय = सुरक्षक बल चौकीदार न्यायाधीश ।
शूद्रम = तपसे उत्पादन निर्माण = पेटऊर से ।
शूद्रम वर्ण = उत्पादन निर्माण उद्योग विभाग।
शूद्राण = उत्पादक निर्माता उद्योगण तपस्वी
वैशम = वितरन वाणिज्य व्यापार = चरण से ।
वैशम वर्ण = वितरण विभाग।
वैश्य = वितरक वणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर।
चरण पांव चलाकर ही व्यापार ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है ।
दासजन/ जनसेवक = वेतनभोगी /नौकरजन।सेवकजन/भृत्यजन। चारो वर्ण कर्म विभाग में कार्यरतजन।
जय विश्व राष्ट्र प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम वर्णाश्रम संस्कार ।ॐ।
शिक्षित द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) ! सबसे अधिक पवित्र कौन ? इस पोस्ट को पढ़कर जानें ।
शूद्रन सबसे अधिक पवित्र है।
आचमन के समय ह्रदय तक जल पहुंचने पर अध्यापक विप्रजन ( ब्रह्मण ) शुद्ध होता है, कंठ तक पहुंचने पर सुरक्षक चौकीदार (क्षत्रिय) शुद्ध होता है, मुख में पंहुचने पर वितरक वणिक (वैश्य) शुद्ध होता है और जल छूने मात्र से उत्पादक निर्माता ( शूद्रण) पवित्र होता है। इस पोस्ट में प्रस्तुत श्लोक विधिनियम प्रमाण अनुसार सबसे अधिक शूद्रण पवित्र होता है।
संस्कृत श्लोक विधिनियम-
ह्रद्गागाभि: पूयते विप्र: कण्ठगाभिस्तु भूमिप: । वैश्योऽद्भि: प्राशिताभिस्तु शूद्रण: स्पृष्टाभिरन्तत: ।। वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र।।
तपसे शूद्रम । यजुर्वेद अनुसार।
शूद्रण ही तपस्वी है।
शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगानी आवश्यक है। अंक की मात्रा होने से शूद्रन/शूद्रण/ शूद्रम लिखना बोलना प्रिंट सुधार करना चाहिए।
पांचजन्य चारवर्ण = ( शिक्षण-ब्रह्म वर्ण + सुरक्षण-क्षत्रम वर्ण + उत्पादन-शूद्रम वर्ण + वितरण-वैशम वर्ण ) × जनसेवकवर्ग/ दासजनवर्ग ।
जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।
हे मनुष्यो!
पुरोहित/ विप्रजन/ धर्मगुरु / पन्थगुरु/ गुरूजन/अध्यापक / शिक्षक / चिकित्सक/आचार्य/ कविजन ( ब्रह्मण ) का आचरण व्यवहार कैसा होना चाहिए ? जानें।
विश्व राष्ट्र के प्रथम सतयुग के प्रथम राजर्षि दक्ष प्रजापति महाराज की ऋषि संसद द्वारा निर्मित गुण नियम अनुसार - संस्कार शिक्षक पुरोहित ( ब्रह्मण ) विप्रजन/द्विजोत्तम/अध्यापक/कविजन/गुरूजन/पन्थगुरु को -
1- सत्यवादी आचरण व्यवहार वाला होना चाहिए ,
2- शुद्ध चित आचरण रखने वाला होना चाहिए,
3- सत्यवृतपरायण आचरण वाला होना चाहिए,
4- नित्य सनातन दक्षधर्म में रत होना चाहिए,
5- शान्त चित वाला बने रहने वाला होना चाहिए,
6 - व्यर्थ अनर्गल बातो से रहित होना चाहिए,
7- द्रोहरहित स्वभाव वाला होना चाहिए,
8- चोरकर्म से रहित सही आदत वाला होना चाहिए,
9- प्राणियो के हित में लगे रहने वाला होना चाहिए,
10- अपनी स्त्री भार्या में रत रहने वाला होना चाहिए,
11- सविनय नर्म स्वभाव वाला होना चाहिए,
12- न्याय प्रिय सुरक्षक स्वभाव होना चाहिए,
13- अकर्कश सरल स्वभाव वाला होना चाहिए,
14- माता पिता का आज्ञाकारी होना चाहिए,
15- गुरुओ का सम्मान करने वाला होना चाहिए,
16- वृद्धो पर श्रद्धा रखने वाला होना चाहिए ,
17- श्रद्घालु स्वभाव वाला होना चाहिए,
18- वेदमंत्र दक्षधर्म शास्त्ररज्ञाता होना चाहिए,
19- वैदिक धर्म संस्कार गुण क्रियावान होना चाहिए और
20- भिक्षा दान दक्षिणा वेतन से जीवन यावन करने वाला होना चाहिए।
इन सभी बीस (20) वैदिक सनातन दक्ष धर्म विधि-विधान नियम संस्कार गुणो से युक्त विप्रजन अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक पन्थगुरु अभिनेता (ब्रह्मण)को होना चाहिए। इन्ही गुण स्वभाव वाले शिक्षको को देखकर अन्य द्विजनों ( स्त्री-पुरुषो ) को आचरण व्यवहार निर्माण कर जीना चाहिए।
पौराणिक वैदिक संस्कृत भाषा श्लोक -
ॐ सत्यवाक् शुद्धचेता यः सत्यव्रतपरायणः । नित्यं धर्मरतः शान्तः स भिन्नलापवर्जितः।। अद्रोहोऽस्तेयकर्मा च सर्वप्राणिहिते रतः। स्वस्त्रीरतः सविनया नयचक्षुरकर्कशः ।। पितृमातृवचः कर्ता गुरूवृद्धपराष्टि ( ति) कः । श्रध्दालुर्वेदशास्त्रज्ञः क्रियावान्भैक्ष्य जीवकः ।। ( पौराणिक वैदिक सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार ) ।।
जय विश्व राष्ट्र सनातन प्राजापत्य दक्ष धर्म। जय वर्णाश्रम प्रबन्धन श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।।
विश्वराष्ट्र मित्रो! पौराणिक वैदिक पुरोहित संस्कार शिक्षको लिए बताए गए जैसे गुण नियम की तरह सभी साम्प्रदायिक पन्थी गुरुओ के बने नियम पोस्ट करने चाहिए, ताकि तुलनात्मक रूप से अध्ययन कर सुधार किया जाए ।
साम्प्रदायिक गुरुओ की निजी पन्थी सोच ने पौराणिक वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म संस्कार विधि-विधान नियमों में क्या क्या वेवजह बिगाङ किया है ? सबजन जान सकें और सुधार कर अपने पूर्वज बहुदेव ऋषिओ देवताओ को पहचान सकें ।
विश्व राष्ट्र दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार प्रबन्धन। श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।।
आजकल गीता का सिर्फ शाब्दिक अर्थ ही बताया जा रहा है और लोगों को वास्तविक सत्य से दूर रखा गया है। कृष्ण क्या कह के गए और हम इंसानों ने उसका अपने स्वार्थ के अनुसार अनुवाद कर लिया। सनातन धर्म में श्रीमद्भगवदगीता उपनिषद त्रयि में आती है और उपनिषद ऐसा सीधा अर्थ कभी नहीं देते उसके पीछे गूढ़ अर्थ छिपा होता है अब कृष्ण को अर्जुन को समझाने में १८ अध्याय लग गए और आजकल के व्याख्याकर्ता एक श्लोक को पढ़ कर उसका अर्थ करने लगते हैं ऐसे जैसे उन्हें कृष्ण की बात एक बार पढ़ कर समझ आ गई। इसलिए तो लोग धर्म से दूर भागने लगे हैं क्योंकि खुद को श्रेष्ठ जाति का कहने वाला अपने अनुसार अर्थ करता है और निम्न जाति का कहा जाने वाला उसमें अपनी अवहेलना देखता है। ईश्वर कभी मनुष्य में भेद नहीं करते इसलिए जन्म से मिला कोई भी प्रमाण वास्तविकता नहीं है ऐसा कृष्ण ने अपने जीवन में पालन किया और वही सत्य अर्जुन के समक्ष रखा ताकि यथार्थ का बोध हो। कृष्ण ने तो सत्य के समक्ष कर्मकाण्ड को भी त्याज्य माना है उन्होंने किसी को श्रेष्ठ और किसी को निम्न नहीं कहा केवल इंसान ने अपने स्वार्थ और बुद्धि के अहंकार में खुद को ही दूसरे से ऊंचा घोषित किया है। ना बोध को वरीयता देता है ना ज्ञान को बस जन्म आधारित धर्म पर चलना ही वर्तमान का सत्य बनाना चाहता है और जब तक ऐसा चलता रहेगा सनातन धर्म का निरंतर पतन को होगा।
🎉🎉❤❤❤❤❤❤❤❤🎉🎉❤
Right. Thori si porai korke apna dimag ka istemal korke Koli yug ka nature se jor ke remark korte h usme hamara Hindu ka dhorm ko niche dekha ne ka Teri ka dhud liya. Vdo bana ke high light me ana chaha ta h. Dusri dhorm se shadi korke admi suhki h ? Achar achoron somaj ko dekh ke shadhi kor na chahiye.
Bahut Sunder. 🙏🙏🙏
@@jjprasad205 Ap ko hamara dill se hazaro namaskar 👏♈
मेरी जहां तक जान कारी है तो उस मे मानव समाज को आगे बढ़ाने व जिवन यापन करने के लिय जो वैवसथा बनाई गई है वो गलत नही है आज-कल कुछ लोग इस व्यवस्था गल बताते वो गलत है
विवाह विचारो का समन्वय है। अगर लडका लडकी के विचार एकमत है और जीवन स्तर समानता है। तो पिछड़े वर्गों की शादिया दलित में शादिया होना जातिवाद को समाप्त करना है। इससे देश से दहेजप्रथा, समाप्त होगी फिर अमीर और गरीब की राजनीति का उदय होगा।
प्रेम विवाह वाले मात्र अपनी खुशी के लिए जाती वह परिवार विवाह हमारे पूरे खानदान की इज्जत के लिए
This is really good story give me🙏 thanksgiving dinner with my family👪
क्या मुख और बड़ों से या जांघों से या पैरों से इंसान पैदा हो सकते हैं
उसके लिए चारो वेद 18 पुराणों का अध्ययन करना पड़ेगा
😢😢😢😢😢😢
नही होता है लेकिन इससे एक कर्म व्यवस्था को चिन्हीत किया है एक उदाहरण के रूप मे जैसे मुख बोलने विचार बताने का भूजा युद्ध का जंघा शरीर का भार सभालती है तो अर्थव्यवस्था वैश्य सभालते है वही पैर चलना और विभिन्न कार्य को करता है और पैर आधार है तो वहा शुद्र को बताया है बस यह एक उदाहरण जैसा है समझ की आवश्यकता है
अंध विश्वासी हो तुम
@gopalmali1444 1:37 ही के आरc।
हे मनुष्यो!
पुरोहित/ विप्रजन/ धर्मगुरु / पन्थगुरु/ गुरूजन/अध्यापक / शिक्षक / चिकित्सक/आचार्य/ कविजन ( ब्रह्मण ) का आचरण व्यवहार कैसा होना चाहिए ? जानें।
विश्व राष्ट्र के प्रथम सतयुग के प्रथम राजर्षि दक्ष प्रजापति महाराज की ऋषि संसद द्वारा निर्मित गुण नियम अनुसार - संस्कार शिक्षक पुरोहित ( ब्रह्मण ) विप्रजन/द्विजोत्तम/अध्यापक/कविजन/गुरूजन/पन्थगुरु को -
1- सत्यवादी आचरण व्यवहार वाला होना चाहिए ,
2- शुद्ध चित आचरण रखने वाला होना चाहिए,
3- सत्यवृतपरायण आचरण वाला होना चाहिए,
4- नित्य सनातन दक्षधर्म में रत होना चाहिए,
5- शान्त चित वाला बने रहने वाला होना चाहिए,
6 - व्यर्थ अनर्गल बातो से रहित होना चाहिए,
7- द्रोहरहित स्वभाव वाला होना चाहिए,
8- चोरकर्म से रहित सही आदत वाला होना चाहिए,
9- प्राणियो के हित में लगे रहने वाला होना चाहिए,
10- अपनी स्त्री भार्या में रत रहने वाला होना चाहिए,
11- सविनय नर्म स्वभाव वाला होना चाहिए,
12- न्याय प्रिय सुरक्षक स्वभाव होना चाहिए,
13- अकर्कश सरल स्वभाव वाला होना चाहिए,
14- माता पिता का आज्ञाकारी होना चाहिए,
15- गुरुओ का सम्मान करने वाला होना चाहिए,
16- वृद्धो पर श्रद्धा रखने वाला होना चाहिए ,
17- श्रद्घालु स्वभाव वाला होना चाहिए,
18- वेदमंत्र दक्षधर्म शास्त्ररज्ञाता होना चाहिए,
19- वैदिक धर्म संस्कार गुण क्रियावान होना चाहिए और
20- भिक्षा दान दक्षिणा वेतन से जीवन यावन करने वाला होना चाहिए।
इन सभी बीस (20) वैदिक सनातन दक्ष धर्म विधि-विधान नियम संस्कार गुणो से युक्त विप्रजन अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक पन्थगुरु अभिनेता (ब्रह्मण)को होना चाहिए। इन्ही गुण स्वभाव वाले शिक्षको को देखकर अन्य द्विजनों ( स्त्री-पुरुषो ) को आचरण व्यवहार निर्माण कर जीना चाहिए।
पौराणिक वैदिक संस्कृत भाषा श्लोक -
ॐ सत्यवाक् शुद्धचेता यः सत्यव्रतपरायणः । नित्यं धर्मरतः शान्तः स भिन्नलापवर्जितः।। अद्रोहोऽस्तेयकर्मा च सर्वप्राणिहिते रतः। स्वस्त्रीरतः सविनया नयचक्षुरकर्कशः ।। पितृमातृवचः कर्ता गुरूवृद्धपराष्टि ( ति) कः । श्रध्दालुर्वेदशास्त्रज्ञः क्रियावान्भैक्ष्य जीवकः ।। ( पौराणिक वैदिक सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार ) ।।
जय विश्व राष्ट्र सनातन प्राजापत्य दक्ष धर्म। जय वर्णाश्रम प्रबन्धन श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।।
विश्वराष्ट्र मित्रो! पौराणिक वैदिक पुरोहित संस्कार शिक्षको लिए बताए गए जैसे गुण नियम की तरह सभी साम्प्रदायिक पन्थी गुरुओ के बने नियम पोस्ट करने चाहिए, ताकि तुलनात्मक रूप से अध्ययन कर सुधार किया जाए ।
साम्प्रदायिक गुरुओ की निजी पन्थी सोच ने पौराणिक वैदिक सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म संस्कार विधि-विधान नियमों में क्या क्या वेवजह बिगाङ किया है ? सबजन जान सकें और सुधार कर अपने पूर्वज बहुदेव ऋषिओ देवताओ को पहचान सकें ।
विश्व राष्ट्र दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार प्रबन्धन। श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।।
Mata Ji vivha ek aatmik bandhan hai, jo do insano ke bich hota hai, ise sirf uper vala hi unke karmo k hisab se jodta hai, maine apni puri jindgi kisi ladki ku taraf nazar utha ker nhi dekha, hamesha apne her daitav ko nibhaya, lekin jab shadi ka samay aaya to meri intercast Marriage ho gayi. Jab ki hum nhi krna chahte the hamare pariwaro ki vzha se, or hamare pariwar hi hamari shadi ka karan ban gaye, we are happy today with our families.
Ekdam sai baat h:)
ईश्वर ने केवल एक जाति बनाई है मनुष्य जाति
Manushya Ishwar Ne Keval do jatiyan Banai hai manushya aur Stri
विवाह बंधन में “ जाति- प्रथा “ बंद होना चाहिए
DIFFERENT MIND DIFFERENT SAGE. I LOVE IT. YOU ALSO TRY TO UNDERSTAND AND LOVE IT
सिर्फ झुंठ बोलकार पब्लिव को नाही बहकाज आप प्रुफ करो कोई मुख़ से बच्चा पैदा बो सकता हो मुख़ खाने और बोलने मे कम आता है या बच्चा पैदा करने मे किर्प्या सही उत्तर दे
Andhviwas ko badhai ka kam h . Bakwas.
सही है, धन्यवाद प्रेषक कालाचांद राय
चाहे कोई भी जाति का हो उन्हें वैवाहित जीवन जीने के लिए लड़का या लड़की को आध्यात्मिकता व्यवहार बहुत ही जरूरी है।
L
Boht badhiya jankari di h aap logo ne iss video ke dwara . ❤❤
जय गजानन जय महाकाल अपने धरम पर हर नर नारीको अपने पालन करना चाहिए किसी के मोह माया मे फसकर धरम न खोया नर से बचे सिवा महापुराण मे पाप पुण्य और नर के संबाद को हर इंसान पत्र गियान प्राप्त करने की किरपा करें सत्य पर जिये और सत्य परेशान हूँ मरे इसी मे फायदा है मनुष्य के लिए जय महाकाल सबको प्रणाम करता हूँ
जयश्रीसीयाराम जय्श्रीकृषण हर हर महादेवाय नमःजय हनुमान श्रीरामचंद्र जय्श्रीकृषण ❤❤❤❤❤
जाति वर्ण व्यवस्था के बारे में श्री कृष्ण ने कहा था कि जाति कर्म के आधार पर निश्चित होनी चाहिए, ना कि जन्म के आधार पर
माताजी बहुत अच्छी तरह से समझाएं उनकी बात से मैं सहमत हूं जय श्री राम जय जय श्रीराम
Chatur varna division is based on knowledge hence it is natural but to make it permanent to any individual and his descendants is pure corruption . 🤔😃😃😎👍⛳⚔️ .
मानव की
जाति एक है मानव
जाति हाथी, गाय, शेर, गधा, तोता, सारस, बंदर, छिपकली आदि की होती है
मानव की सादी मानव से होनी चाहिए।
Right❤❤❤❤❤
आज कल वर्ण व्यवस्था का पालन बहोत कम हो रहा है l ब्राम्हण, क्षेत्रीय आज job/ business कर रहे हैं l फिर बदले परिपेक्ष मे किस तरह से विवाह मे वर्ण व्यवस्था का पालन करे l
आप बिल्कुल सही कह रहे हैं वर्ण व्यवस्था अब रह नहीं गई इसलिए आज कर्म के अनुसार हम इस वर्ण व्यवस्था को देखते हैं।
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Veri good
4 ward kiska likha huaa hai
ब्रह्मा के पांच मुख का मतलब हैं
एक अध्यापक ब्राह्मण, दूसरा सुरक्षक क्षत्रिय, तीसरा उत्पादक शूद्राण और चौथा वितरक वैश्य। पांचवे मुख का मतलब है दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन चारो वर्ण कर्म विभाग में सहयोग करने वाला।
ब्रह्म = ज्ञान । मुख से ।
ब्रह्म वर्ण = ज्ञान विभाग।
ब्राह्मण = ज्ञानदाता/ अध्यापक/ गुरूजन/ विप्रजन/ पुरोहित/ आचार्य/ अनुदेशक/ चिकित्सक/ संगीतज्ञ।
क्षत्रम = ध्यान न्याय। बांह से ।
क्षत्रम वर्ण = ध्यान न्याय रक्षण विभाग।
क्षत्रिय = सुरक्षक बल चौकीदार न्यायाधीश ।
शूद्रम = तपसे उत्पादन निर्माण = पेटऊर से ।
शूद्रम वर्ण = उत्पादन निर्माण उद्योग विभाग।
शूद्राण = उत्पादक निर्माता उद्योगण तपस्वी
वैशम = वितरन वाणिज्य व्यापार = चरण से ।
वैशम वर्ण = वितरण विभाग।
वैश्य = वितरक वणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर।
चरण पांव चलाकर ही व्यापार ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है ।
दासजन/ जनसेवक = वेतनभोगी /नौकरजन।सेवकजन/भृत्यजन। चारो वर्ण कर्म विभाग में कार्यरतजन।
जय विश्व राष्ट्र प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम वर्णाश्रम संस्कार ।ॐ।
To make sure that the spouse from other sources is not forbidden since a long era.❤we should learn a lesson from Shakuntla & Dushyant. 🎉
मुजे एक ही सवाल है,,,
जब जोड़ियां ऊपर ही बनती हे तो धरती पर मिलते हे एक दूजे से,,,तो धर्म बीच में क्यों ???
यदि सभी भगवान के ही भाग है तो भगवान किसी ऐक भाग के बिना अधुरे रह जाएँगे अस्तु ये सभी वन्दनीय है
Koi vibhajan hona hi nahi chahiye.Durrbhawana se banayi gai parampara ne hi Hinduo ko gulami di hai.
@@surendrasinghkush2953🎉🎉🎉🎉🎉🎉
जितने भी धर्म शास्त्र हैं, यदि भगवान है तो उन्होंने नहीं बनाया है, शास्त्र को मनुष्य ने अपने स्वार्थ लिए बनाए हैं ,ताकि किसी उच्च किसी को निम्न बना दिया मनुष्य को मनुष्य नहीं समझा इसी कारण भारत में उच्च नीच छुआछूत पनपा
समाज का क्या दायित्व है,यदि एक दूसरे को पसंद हो ,लम्बे समय से सम्पर्क में होतो ,शादी कर लेना उचित है,जाति, कुंडली मायने नही रखती।
विवाह करना कोई बुराई नहीं है इस्त्री विवाह के लिए बाधक नहीं साधक है क्योंकि देवी देवता भी विवाहित थे