छह ढाला दोलत राम जी कृत

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  • เผยแพร่เมื่อ 2 ต.ค. 2024
  • शिविर में मौजूद समाज की महिलाएं ।
    श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में जैन विद्या संस्कार शिविर जारी
    भास्कर संवाददाता | झाबुआ
    श्री 1008 शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे जैन विद्या संस्कार शिविर के अंतर्गत बुधवार को छहढाला का विस्तार से अध्ययन कराया जा रहा है। शिविर में ब्रह्मचारी जिनेंद्र मलैया ने सिलसिलेवार सारी जानकारी दी। उन्होंने पहली ढाल में संसार के चक्रमण के कारण बताते हुए चतुर्गति के दुखों का यथार्थ भाव समझाया। दूसरी ढाल में संसारी प्राणियों की मिथ्या मान्यता के संदर्भ में बताया। उन्होंने मिथ्या दर्शन, मिथ्या ज्ञान और मिथ्या चरित्र की सुंदर व्याख्या की। तीसरी ढाल में सात तत्व-बहिरात्मा, अंतरात्मा व परमात्मा मोक्ष की प्रथम सीढ़ी निरूपित कर ज्ञान चरित्र की उपयोगिता के बारे में समझाया। चौथी ढाल में श्री मलैया ने कहा सम्यक दर्शन से ही ज्ञान और चारित्र में समानता आती है। स्वाध्याय पर बल देते हुए कहा मनुष्य जन्म की सार्थकता जिन वाणी के श्रवण तथा उसके समान आचरण करने में निहित है। पांचवी ढाल में बारह भावना के रस, मनुष्य जन्म की दुर्लभता, देह आत्मा का पृथकत्वीकरण, रिश्तों का सच, मुनियों के समान आचरण करने की प्रेरणा आदि के बारे में बताया। छठवीं ढाल में ध्यान की एकाग्रता, मुनिधर्म की प्ररूपण, परिग्रह, 14 अंतरंग परिग्रह, 10 बाहृय परिग्रह, तप धर्म के 10 भेद का वर्णन समझाया।

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