कण कण में जो रमा हे हर दिल में है समाया \पं.दिनेश पथिक \BY DINESH PATHIK

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  • เผยแพร่เมื่อ 12 เม.ย. 2024
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ความคิดเห็น • 5

  • @RohitSingh-zl7tp
    @RohitSingh-zl7tp 21 วันที่ผ่านมา

    अति सुन्दर प्रस्तुति 🙏🙏🙏

  • @user-rm8bg1tt6i
    @user-rm8bg1tt6i 25 วันที่ผ่านมา

    बहुत सुंदर भजन है

  • @subhashbhayana3102
    @subhashbhayana3102 หลายเดือนก่อน

    ARYA SAMAJ AMAR RAHE ,
    MAHARISHI SWAMI DAYANAND JI AMAR RAHE

  • @meerabasu5726
    @meerabasu5726 หลายเดือนก่อน

    🙏🙏🙏🙏🙏

  • @munnalal-ui6lb
    @munnalal-ui6lb หลายเดือนก่อน

    🎉 जो कण कण में रमा वह भी छल है। क्योंकि यह संसार भी छल है।सत से सत ही निकलता है और छल से छल।
    🎉 संसार के कण कण में सत होता तो संसार भी सत होता। लेकिन ऐसा नहीं है। यह संसार केवल सपना है जड़ है छल है झूठ है क्षणभंगुर है तो इस के कण कण में सत केसे माना जाए।
    🎉 जहां कण कण में सत है चेतन है और आनंद है वह परम धाम अरस अजीम है। यहां तो असत जड़ है और दुख है। तो उस कण कण का क्या फायदा। सब सपना है। इसे सत कहना ही धोखा है।