#puran
ฝัง
- เผยแพร่เมื่อ 3 ต.ค. 2024
- सत्यार्थ प्रकाश को ऑनलाइन पढ़ने के लिए- satyarthprakash...
वेदों को ऑनलाइन पढ़ें-
www.onlineved....
vedicscripture...
xn--j2b3a4c.co...
सनातन धर्म के प्रचार में आप अपने सामर्थ्य के अनुसार हमें सहयोग कर सकते हैं।
हमारा खाता विवरण इस प्रकार है-
खाताधारक- अंकित कुमार
बैंक- State Bank of India
Branch- station road, ajmer
A/C no. 33118016323
IFSC- SBIN0031104
UPI- 7240584434@upi
१. सत्यार्थ प्रकाश - रात्रि 8:30 बजे से (यू-ट्यूब पर)
२. योग दर्शन - प्रातः 6 बजे से (ज़ूम पर)
३. ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका - गुरुवार प्रातः 5:30 बजे से (ज़ूम पर)
हमारी कक्षाओं से जुड़ने के लिये इस लिंक पर जाकर समूह से जुड़ें
chat.whatsapp....
हमारे चैनल की सभी कक्षाओं को क्रम से देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें
योग दर्शन
• योग दर्शन
ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका
• Rigved-aadi Bhaashya B...
अध्यात्म
• अध्यात्म
प्रथम समुल्लास
• सत्यार्थ प्रकाश (प्रथम...
द्वितीय समुल्लास
• सत्यार्थ प्रकाश (दूसरा...
तृतीय समुल्लास
• सत्यार्थ प्रकाश (तीसरा...
चतुर्थ समुल्लास
• सत्यार्थ प्रकाश (चौथा ...
पंचम समुल्लास
• सत्यार्थ प्रकाश (पाँचव...
षष्ठ समुल्लास
• सत्यार्थ प्रकाश (छठा स...
सप्तम समुल्लास
• सत्यार्थ प्रकाश (सातवा...
आठवाँ समुल्लास
• सत्यार्थ प्रकाश (आठवाँ...
नौवाँ समुल्लास
• सत्यार्थ प्रकाश (नौवाँ...
दसवाँ समुल्लास
• सत्यार्थ प्रकाश (दसवाँ...
ग्यारहवाँ समुल्लास
• सत्यार्थ प्रकाश (ग्यार...
सत्यार्थ प्रकाश सार
• सत्यार्थ प्रकाश सार
आपको नमन है आचार्य जी
गुरुदेव महाराज आपको साष्टांग दंडवत
🙏🙏
Aacharya ji Sadar pranam om shanti om
Bahut bahut achchha prayas
सादर नमस्ते अचार्य जी आपका बख्यान बहुत अच्छा है
आचार्य जी,सादर प्रणाम 🌹🌹🌹☂️
पुराणों ने इस्लामी गप्पाष्टों को पीछे धकेल दिया है।
आपको पूरे परिवार 👪 सहित दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ
ओऊम स्वस्ति नमस्ते धन्यवाद जी
Pranam guru ji🙏🙏🙏🙏🙏👍👍👍
सुप्रभातम् शुभकामनाएं हार्दिक धन्यवाद आयुष्मान भव ओ३म् 🙏🏼🚩 वसुदेव जी ने बालक कृष्ण को नन्दगांव पहुंचा जो मथुरा के सामने यानि यमुना जी को पार करके और वृन्दावन मथुरा के उत्तर में १२ या १४ किलोमीटर दूर लेकिन जहां कंस भवन से उससे दोनों की दूरी लगभग बराबर है सत्य के ऊपर आवरण होने से झूठ चलाता है महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने सत्य को उजागर किया ओम् 🙏🏼🚩 कृण्वनतो विश्वार्यम । जय आर्य जय आर्यव्रत भरतखण्ड । वन्देमातरम् वन्देमातरम् वन्देमातरम् ...... 🇮🇳
Aap bahut hi accha kaam kar rahe hai jay ho 🎉🎉
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Satya sanatan Vedic Dharma ki jai om 🙏🙏
वेदे यदुक्तं तत्सर्वं पुराणे निहितम्*इथिहासपुराणाभ्याम्,, इस प्रकार सनातनीय आर्योङ्का उद्घोष है,अत: पुराणोङ्को अतार्किक मानना सर्वथा अनुचित है ,* इतिहासपुराणाभ्याम् उपबृम्हित सनातनवैदिकधर्म* सनातन है,*जयतु जयतु नित्यं वैदिको धर्म एष:।सकलपुरुषशान्तेराश्रयो पूर्णसिद्ध:।।
❤❤ वेदों को सही रूप में जानने के लिए आर्यों के पास जाना चाहिए तो क्या पुरान को समझने के लिए विद्वान भक्तों की जरूरत नहीं है ❤ आप जो बता रहे हो भक्ति के बारे में पूरी खिचड़ी पका रहे हो ❤❤
❤
Ved hi satya hai
ॐप्रभुचित्रगुप्तायनमः🙏🚩🇮🇳✍️॥ॐश्री उमाशंकरलाल गणपतिसहाय लगनीदैव्यै नमः 🙏॥ ॐसर्वेभ्यः देवेभ्यः नमः🙏॥ ॐसर्वेभ्यः गुरूभ्य नमः 🙏॥ॐक्लि॑ रामाय नमः 🙏॥ ॐश्रीराधाकृष्णाभ्याम् नमः🙏॥ ॐजय हिन्द 🇮🇳🙏॥ॐ जय भारत मातृ 🇮🇳🙏॥ॐ
,✍️
किसी की पाण्डु लिपि खोयी
तो वैसा समकक्ष श्लोक बनाकर।
उसको बातों को तथ्य मानकर-
अन्य के तथ्यो॑ को असत्य सिद्ध कर-
प्रकृज्ञा॰क्या हम ये रहें है॑ कर॥
अपनी बात सिद्ध करना है
तो वेदों के पाठक है श्रीहनु प्रवर।
रामायण की बात कैसी है
कैसे पढ़ सकते है॑ वानर॥
हम कम्प्यूटर में देखकर भी बोल ले॑+
अन्य की गणित कमजोर बताकर।
अपने समर्थित ग्रन्थ का को सत्य से
प्रकाशित तर्कसऺग
ॐप्रभुचित्रगुप्तायनमः🙏🚩🇮🇳✍️॥ॐश्री उमाशंकरलाल गणपतिसहाय लगनीदैव्यै नमः 🙏॥ ॐसर्वेभ्यः देवेभ्यः नमः🙏॥ ॐसर्वेभ्यः गुरूभ्य नमः 🙏॥ॐक्लि॑ रामाय नमः 🙏॥ ॐश्रीराधाकृष्णाभ्याम् नमः🙏॥ ॐजय हिन्द 🇮🇳🙏॥ॐ जय भारत मातृ 🇮🇳🙏॥ॐ
,✍️
किसी की पाण्डु लिपि खोयी
तो वैसा समकक्ष श्लोक बनाकर।
उसको बातों को तथ्य मानकर-
अन्य के तथ्यो॑ को असत्य सिद्ध कर-
प्रकृज्ञा॰क्या हम ये रहें है॑ कर॥
अपनी बात सिद्ध करना है
तो वेदों के पाठक है श्रीहनु प्रवर।
रामायण की बात कैसी है
कैसे पढ़ सकते है॑ वानर॥
हम कम्प्यूटर में देखकर भी बोल ले॑+
अन्य की गणित कमजोर बताकर।
अपने समर्थित ग्रन्थ का को सत्य से
प्रकाशित तर्कसऺग
Ved,puran sab 200 saaal pahle likhe gye😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
@@kaaalpnemi get well soon Lil bro ❤
Very true 👍
सत्य सनातन वैदिक धर्म संस्कृति और सभ्यता की जय
Main puranon ko kyon maanu jab upnishad jaise granth hamare paas hain jab ved jaise granth hain kya kisi 6 aachryon mein se kisi ne bhi apne granth mein bhashya puran se praman Diya hai
Hamne navdha bhakti sune thi aap ne jo bataya kabhi nahi phada darasal bhakti ka yha matalab hi badal gaya hai hár har Mahadev🕉️🙏🙏🙏🕉️
He is not at all Aacharya,we have to hate hid illogical argument He knows nothing,,pl.See 10008 Shree Shankaraachaarya Bhaashyam अचिन्त्या : खलु ये भावा नताञ्स्तर्केण योजयेद्*
भगवान और ईश्वर में क्या अन्तर है जानिए- th-cam.com/video/Vcdo410mPpg/w-d-xo.htmlsi=G-dO9pKJGmUtlDcX
पुराणों में Symbols दिये हैं व अलंकारिक भाषा---अर्थ गहन हैं 🇮🇳🕉️🚩
अति सुन्दर ब्याख्या
पुराण गप्पाष्टों के पिटारा हैं।
अष्टादशपुराणानाम् कर्ता सत्यवतीसुत:* इति श्रुते: का गति:?
Sab gapoda hai puran mai
हनुमान चालीसा में जुग सहस्त्र योजन पर भानू ये तुलासी दास जी सुर्य से पृथ्वी की सटीक दूरी कैसे लिख गए।
वृन्दावन जमुना पार का वर्णन है।
अभी जो वृन्दावन है वह क्या है।
कृपा कर।स्पष्ट करें।
नार अर्थात् पानी, अयन स्थान या घर यह भी नारायण का अर्थ प्रचलित है ।
आपने(प्रभाकर) बहुत ही समय लगाया पुराणिक कहनियां बताने में प्रिय आर्य
समाजी भाई जी, आप अध्यात्म विज्ञान
से जुड़े होते तो ये कहानियां कैसी दिखतीं, ये कुछ संकेत सूक्ष्म में कह रहा हूँ कृपया ध्यान दें। नारायण के यहां जय -विजय द्वारपाल थे और चारों ऋषि नारा
-यण से मिलने का लक्ष्य है।इतने ही वक्तव्य का अध्यात्म अर्थ है नारायण =परमात्मा।। और जय विजय =मन =संकल्प -विकल्प।। और 4ऋषि मिलने
वाले =चतुष्टय अंत:करण।।संकल्प विक
-ल्प रूपी द्वारपाल चतुष्टय अंत:करण
को परमात्मा से मिलने नहीं देता।
समझ समझ के समझना ये उसकी समझ है।
समझ समझ के ना समझना ये
उसकी नासमझ है।।
धन्यवाद,
नमस्ते जी।
प्रभाकर जी एक कथा में आपने कहा था कि कुछ जो है शब्द भावनात्मक होते हैं
ऊँ नमस्ते
पुराणनिन्दकं धूर्तमसत्यस्य प्रकाशकं पुस्तकं सर्वथा त्याज्यं सदार्यैरार्यगर्हितम्।। म्लेच्छलब्धधने लोभादयं कश्चिदवैदिक:। वैदिकानाम् सदार्याणाम् निन्दत्यत्र हि दुर्मति:।।
आपने संस्कृत श्लोक तो अच्छा बनाया है पर अपने बनाए इस श्लोक का अर्थ भी लिख देते।
@@Shanti108. ये आचार्य अङ्कितप्लभाकरमहाशय पुराणोङ्का निन्दक है, सत्यार्थप्रकाश नाम से असत्यार्थ को प्रकाश मे ला रहा है,प्रतीत होता है कि कटमुल्ले आदि विधरामि योङ्को खुश कर के धनादि प्राप्त करना चाहता है, अत: वैदिक सनातन धर्म खी निन्दा करता है,*इतिहासपुराणाभ्याम् वेदं समुपबृम्हयेत्** यह पौराणिक वाक्य *कश्च्छन्दसाम् योगमावेद धीर:*( ऋग्वेद10) श्लुति को अभीष्ट है,10008 श्री शङ्करभगवत्पादशजी ने *अचिन्त्या: खलु ये भावा, ,,,,,, * इत्त्यादि तर्क के द्वारा इन के सभी कुतर्कोङ्को समाधान धे चुके है,कृपया आचार्यशङ्कर जी के भाष्य पढे
@@parbhakarprasad153 उन्होंने अपमान नहीं किया, वह तो कई बार कह रहे है कि सब बुरी बात नहीं है, कुछ अच्छी भी है, बस बुरी को सुधारने की आवश्यकता है। वह तो कथा सुनाकर पूछ रहे हैं कि सिद्धांत क्या है वह बताओ। फिर भी आपको आपत्ति है तो तर्क सहित सिद्धांतो को स्पष्ट करो। वही खंडन हो जाएगा।
व्यक्तिगत प्रहारों से कुछ प्राप्त नहीं होगा।
रही बात म्लेच्छ वंश से लोभ की तो 12 समुल्लास नास्तिकत्व खंडन है, 13 व 14 समुल्लास आपके आरोपों का उत्तर देगा। पुराणों से भी भयानक आरोप तो उन पर लगे हैं।
म्लेछो का खंडन बिना भय के आर्य समाज सदा ही करते हैं, जो किसी धर्मगुरु ने नहीं किया। यह एक बात वर्तमान शंकराचार्यों को भी सीखनी चाहिए।
महाराज मनु ने धैर्य को धर्म का पहला लक्षण बताया है, अत: थोड़ा धैर्य रखे, सब होगा।
@@Shanti108. कश्च्छन्दसाम् योगमावेद धीर:*(ऋग्वेद 10मण्डल) यह भगवती श्रुति स्वत: कह रही है कि वेद को जानना अति कठिन काम है अत एव 100008 श्री व्यासाचार्य ने पुराण एवं इतिहास का प्रणयन किया है,कहा भी गया है कि *इतिहासपुराणाभ्याम् वेदं समुपबृम्हयेत्*,इसलिए यह अवश्य मानना पडता है कि आर्य वैदिको ङ्को पुराण भी वेदवत् प्रमाण है,यदि क्वचित् पुराणो मे अतार्किक लगता है ,उस का उत्तर है कि *अचिन्त्या: खलु ये भावा न ताम्सर्केण योजयेत्*,इस जगह इस प्रकार कुतर्क करेङ्गे तो वेद भी हात से चले जायेगा,कहा आप आर्य वैदिक रहेङ्गे,,10008 श्री कुमारिल भट्टाचार्य जी ने कहा कि *-चार्वाको मर्कटायते* ।आशय यह है कि नास्तिक चार्वाक को एक जगह मिल गया तो वो लोग समापूर्ण वेद को ही अप्रामाणिक सिद्ध करेङ्गे,अत: हमारे पूर्वज लोग वैदिक परम्परा के रक्षण हेतु आहिमालयात् आकुमारीम् यावत् तत्र तत्र भगवान् के सिद्ध स्थान घोषित किये थे,वो लोग क्या मूर्ख या स्वार्थी कहना उचित है,अति कष्ट को सहन करते हुए गुहा गह्वर पर्वतादि मे 100008 श्रीपरमेश्वर कि उपासनास्थान मन्दि बनाये है,क्या सभी को पाखण्ढी कहना पढे लिखे आदमी को उचित प्रतीत होता है? निस्स्वार्थी बन कर विचार करो,,इसलिए पुराणोङ्को वेद वत् प्रमाण मान कर प्रणाम करो* किमीह: किम्काय: सृजति किमुपादान इति च, ,,,,,,,,श्री शिवमहिम्नस्तोत्र पढो,,,और भी कही उटपटाङ्ग लगता है तब 100000000008 श्री करपात्री जी प्रणीत * वेदार्थपारिजात *को 21 बार पढो,सभी प्रश्न का उत्तर मिल जायेगा, विना मतलब वैदिक आर्योङ्को सनातनीयोङ्को तोडने की कुचेष्टा मत करो,आप को भी विधर्मीयो सै कष्ट मिलेगा ,सब को भी
Kurksehtra me hai
अक्रुर को वायु की गति जाने के लिए कहना यहां उपमा अलंकार का प्रयोग किया हो
जन्म जन्म मुनि जतन करही अंतराम का आवत नाही
Dayanand thongi tha
पुराणों में तमाम बातें गलत व अलंकारिक लिखीं है
ना तो तुम एक्सपर्ट हो अध्यात्म विज्ञान में, न हम एक्सपर्ट हैं। अगर आपको पुराणों में कुछ मिलावट लगती है तो जगत गुरु रामभद्राचार्य जैसे विद्वानों से बात करो।
आपकी बातों का भरोसा तभी किया जा सकेगा जब आप विद्वानों से विचार करेंगे।
पुराणको मानते नेही - मान नेही देते, ठिकसे पड़ते नेही, - बिष्णु कुर्म नेही बराह रूपसे धरतीकि भीतर प्रबेस किया था। सत्य सत्य करते हो अर मिथ्या बोलते हो ?
❤ हिरण्याक्ष के द्वारा पृथ्वी को लपेट के तकिया बनाने की बात कहीं पर भी नहीं लिखी है आप झूठ बोल रहे हो ❤ आप गोपियों के भक्ति को कामवासना रूपी भक्ति बता रहे हो क्या आपको प्रेम और कामवासना में अंतर नहीं मालूम पड़ता है अगर नहीं मालूम पड़ता है तो ठीक से आप भागवत पढ़िए पता लगेगा की दोनों में क्या अंतर है ❤❤
Jo nastik hain dharam virodhi hain
Wo hi Aapka samarthan karinge
Hidu virodhi hain
Pyare Bharat virodhi hain
Vo hi tumhara samarthan kareinge
आपका शरीर किसने बनाया और क्यों बनाया?
लगता है,शायद आप अंकितजी,जरुरत से ज्यादा.........हैं आप को पुराण पङने की बिलकुल समझ नही है।
लगता है शायद आप नाम बदला हिन्द् हैं। आप अधिकतम असत्य भाषण कर रहे है।स्वामी दयानंद का संदर्भ गलत उदघृत कर रहे हैं।
अरे आर्य समाजी भाई ऐसी कटाक्ष मुस्लिम धर्म और सिख धर्म पे भी कर के दिखा। मजा तो तब आएगा। आर्य समाज का काम ही खण्डन करना है। मेरे सनातनी भाईओ इन खण्डन वादियों का विरोध जरूर किया करो।
नही भाई हम गलत का खंडन और सही का मंडन करते है सब मनुष्यो का यही धर्म है
अयं कश्चिदनार्य: वैदिकानामार्याणाम् सनातनं मतं निन्दति,,अस्य विरोध: सर्वैरपि कार्य:
सब होगा, धैर्य रखो। ये ग्यारहवा समुल्लास है, बारहवा, तेरहवा और चौदहवा आने दो।
पुराण की कथाएं प्रतीकात्मक हैं।अनेक प्रक्षेपण भी हो सकते हैं।कुछ प्रतीकों में गूढ़ वैदिक रहस्यों को कथा रूप में बताया गया है और कुछ कल्पनाएं भी हो सकती है।हमें हमारे छह दर्शनों के आधार पर पौराणिक घटनाओं को तौलकर देखना चाहिए।
To arya samaj unpe bhi Kiya hai , 14 samulas kholke padhle
why such unrealistic narration is written in Puran.Is there any one to prove such unrealistic narration.
,who are U to decide this is real tgis us not,?0
Are pakhnde ay go bta rha Esme kuchh logek hai pura pakhand hai
यह समुल्लास क्या है इसको भी ससमझाओ।। सही बताओ समाज उलझाना मत।।।।।
मुझे लगता है की संस्कृति धर्म को आप भड़काना चाहते यह गलत बात पुरानी कथा को इस तरह से बोलना यह कहीं भी जायज नहीं है