पुष्पांजलि, श्रद्धा के सुमन, श्री गुरूदेव आरती || नीम करौली बाबा महाराजजी हनुमान मंदिर || ऋषिकेश

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  • เผยแพร่เมื่อ 7 ก.พ. 2025
  • These prayers are sung during daily prayers of Gurudev Maharaj Ji Neem Karoli baba.
    This is an original audio recorded (on 17 May 2023) in the Neem Karoli Hanuman Mandir, Rishikesh.
    Sangat is done by many members of the temple singing group. Names of some of them are mentioned here:-
    Harmonium and Lead Singer - Sh. Abhishek Pant ji
    Female Lead Singer - Smt. Shweta Agarwal ji
    Dhaphli - Sh. Brij pal ji
    Thanks to many other members who played other instruments and sang with the sangat.

ความคิดเห็น •

  • @pankajashah651
    @pankajashah651 ปีที่แล้ว

    Babaji Maharaj Ki Jai Ho
    Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • @shubhamuniyal2913
    @shubhamuniyal2913 ปีที่แล้ว +1

    जय श्री गुरुदेव महाराज 🙏🙏

  • @deepbohra6311
    @deepbohra6311 ปีที่แล้ว

    🙏 🙏 Jai Shri Neem karoli maharaj ji 🙏 🙏

  • @manjukanderi8571
    @manjukanderi8571 ปีที่แล้ว +1

    Jai Siya Ram 🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹 Jai Baba Maharaj Ji Jai Maa Sidhi 🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏 Aapke Paawan Charno m koti koti Pranam 🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹 Hum Sub per Apni Kripa Drishti V Ashirwad hmesha banaye rakhna 🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏

  • @bakiii2919
    @bakiii2919 ปีที่แล้ว

    Jai sita ram jai jai hanuman ❤

  • @spiritualgk1344
    @spiritualgk1344 ปีที่แล้ว

    🙏

  • @ravigujjar9484
    @ravigujjar9484 ปีที่แล้ว

    Jay sree Ram Jay sree Ram Jay sree Ram Jay sree Ram Jay sree Ram Jay sree Ram Jay sree

  • @sarthak8350
    @sarthak8350 ปีที่แล้ว

    काहू को पठायौ ठेलि, काहू को भगायौ बेगी
    काहू को बुलायो तेरी-तेरी के बिठायौ है
    काहू को बतायौ नेम काहू को सिखायौ प्रेम
    काहू के हिय में ज्ञान दीपक जरायौ है
    कोई कोई सोयौ योग निद्रा में चिरकाल
    कोई कोई निशि-दिन महिना जगायौ है
    काहू के तौ दुख तैं छीना लियौ छीना मन्ही
    काहू के हिय में प्रेमा पीरा कु बधायौ है
    काहू कौ बखाणो भूत काहू कौ तू वर्तमान
    काहू कौ भविष्य अति निकौ बतायौ है
    भक्तन की जया कौ उद्घौष कियौ बारा बारा
    घनी बेरा तैने डंका जिता कौ बजायौ है
    काहू कौ बढ़ायौ कोष काहू कौ घटयौ रोष
    कोई दिव्य संतोषधाना पयौ है
    कोई कोई इष्ट रूप पयौ दर्शन तेरे द्वार
    काहू के हिय में रूपा वानरी समायौ है
    गहि लियौ जाकौ हठ, छोरौ नहीं ताकौ साथ
    काहू के श्रवण सुधा शब्द सरकायौ है
    काहू के तौ झनकौ नहीं, तेरे ते हम बार-बार
    काहू के तू तेरे बिना अलख जगायौ है
    काहू पे तौ रीझौ नहीं, व्यंजना अनेका धरे
    काहू के तू रुचि रुचि रुखौ सुखौ खायौ है
    तेरौ गुढ़ा लारा नेहा, बरसहौ जैसे घोरा मेहा
    भक्तन के नेत्रा, नेहा-नीरा छलकायौ है
    कोई कोई पिके घुमता, हिय बिलाखया रहयौ
    कोई कोई हियौ, फूटी फूटी डकारयौ है
    कोई कोई ज्ञानी लखि पयौ न समीप आया
    कोई कोई कहै घट-घट में समायौ है
    कोई कोई मुका भयौ, प्रेम रस पाना किए
    कोई कोई गुण गया, गया न अघयौ है
    कोई कोई भूपा भयौ, तेरी कृपा बिन्दु पाया
    कोई कोई तेरे पीछे, जग बिसारयौ है
    कोई कोई भूप हु न प्यौ दर्शन पै आया
    कोई कोई रांका अन्यसा दर्शन पयौ है
    बाबा तेरे लीला गुण, जानी नहीं पयौ को-उ
    जानो है वही जाकू तैने ही जानो है
    काहू को धरयौ धीरा, काहू कोऊ मिटायौ पीर
    भक्तन कू हीरा हीरा, प्रेम-निरा पयौ है
    बजाउ बजाउ बुरहटौ बचायौ भव बारिधि सो,
    बजाउ बारा बारा बारहा लारा की भयौ है
    काहू को उछारौ दैनके प्यार को सहरौ तैनै
    कोई घेरी घेरी ढेरी-नेहा में दबायौ है
    कोई कोई अंका बैठौ लरिला लराइतौ तेरौ
    कोई तेरी झनकी झिनका झिनका झनकी प्यौ है
    कोई कोई बारा बारा पूछि पूछि गयौ हर
    भयौ न रूझाणा तेरौ, येसौ दर्शनौ है
    कोई दियौ झकाझोरी, हिया के किवारा
    तोरी हिय धरौ गुरहा भव, हठ में थमायौ है
    कोई दियौ झकाझोरी, हिये को दिवारा तोरी
    हिये भयौ गुरहा प्रश्न, पूछे बिना बतायौ है
    हत्था पकारौ जब्बारा कौ, ताऊ भया का है कबबारा कौ
    काहू सो यह कहि के बैना, भया कु मिटायौ है
    जय जय हे कृपा के धाम, तेरौ रूप तेरौ नाम
    महिमा अपरा कोई, कहाँ कुटी प्यौ है
    मो सौ जरा जीवा-जंतु, जने कहा तेरौ तंतु
    श्रद्धा के सुमना तेरे, चरण चरहयौ है
    भाग 2
    लिखा रहयौ झिनका झिनका मंगू हू कृपा कि भीख
    श्रद्धा के सुमना नीता नूतन चरहयौ करु
    गयौ करु गीता तेरे, भक्त होई मिटा मेरे
    रेहा नदिया में नीता, डुबकी लगायौ करु
    पायौ करु भोगा तेरौ, नाशै भव रोग मेरौ
    चरणामृत पाय तेरौ, हिये हुलासयौ करती
    धन की न कीर्ति कामिनी की हिया इच्छा होय
    बारा बारा तेरे द्वार, दर्शन कू आयौ करु
    जीव हरि नाम लहै, चित्त निष्काम रहै
    पद नख ज्योति कौ प्रकाश हिय पयौ करु
    श्रद्धा भक्ति की हो डोरी, जामे झूलै छवि तौरै झोटा देया
    मति मोरी, तपै जीवन धन वरौ करु
    मन अपमान कौ न भाना हिए मेरे रहै
    समदृष्टि है के सारे विश्व कु निहार करु
    आयौ हू माई तेरो द्वारा, नैय्या तू लगैयौ पर आसा
    रहै तेरी, सरौ जग विसारयौ करु (2x)